अजीब किस्सा है ज़िंदगी
अजीब किस्सा है ज़िंदगी,
ना जाने किसका हिस्सा है ज़िंदगी?
हमेशा नहीं रहती साथ फिर भी
सभी की आरज़ू है ज़िंदगी।
अजीब किस्सा है ज़िंदगी।
खोने को नहीं कुछ बाक़ी
जो है पास वह भी चला जायेगा।
मत कर आरज़ू किसी की,
कुछ हाथ में नहीं रह पायेगा।
फिर एक आस है ज़िंदगी।
अजीब किस्सा है ज़िंदगी।
लम्हों की बातें गुम हो जाती हैं,
तन्हाईयाँ घर कर जाती हैं।
खिंच गई दीवार खामोशियों की,
फिर भी एक इंतज़ार है ज़िंदगी।
अजीब किस्सा है ज़िंदगी।
शाहाना परवीन...✍️