दर्द की ताकत
दर्द करते रहो बरदाश्त जब तक हो तुमसे,
एक दिन यही दर्द ताकत बन जायेगा।
ज़ीस्त को करने दो मनमानी जितनी भी,
एक दिन अहद तुम से दोस्ती कर जायेगा।
नाज़ुक बनकर ना जीओ चलो कांटो पर,
एक दिन इन्हीं काँटो में कोई फूल खिल जायेगा।
हर्फ कहते हैं अब ना कहो किसी से कुछ,
एक दिन यही हर्फ पूरी किताब बन जायेगा।
दहलीज़ पर खड़ी खुशी अंदर आना नहीं चाहती,
दुख में महसूस करो खुशी को दरवाज़ा खुद- ब -खुद खुल जायेगा।
रूदाद सुनकर मेरी तुम्हारी आँख क्यूँ भर आई?
एक दिन रुदाद ताकत बनकर सामने आ जायेगा।
शाहाना परवीन...✍️
ज़ीस्त -- ज़िंदगी
अहद - समय
हर्फ -शब्द
दहलीज़ -- डेहरी, द्वार
रूदाद -- कहानी