बर्फ से अहसास
आज बदल गए रिश्ते सभी
बर्फ सा अहसास समाया है।
बदल गया सारा ज़माना,
अपना नहीं कोई जग पराया है।
बर्फ से अहसासों से बनी दुनिया,
किसी का दर्द नहीं समझता कोई ।
फासले बढ़ गए बीच लोगों के,
अपना नहीं कोई जग पराया है।
चोट लगने पर अब नहीं निकलती 'आह'
पता है कोई साथ नहीं देगा यहाँ ।
ना करो शिकायत किसी से दर्द की,
अपना नहीं कोई जग पराया है।।
बर्फ से अहसास कहते बहुत कुछ,
बर्फ के अहसास समझते नहीं कुछ।
सीलन भर गई आज जीवन में,
अपना नहीं कोई जग पराया है।।
शाहाना परवीन...✍️