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साजिश

30 नवम्बर 2021

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  साजिश

   रामू और उसकी औरत सुनीता भले ही काला अक्षर भैंस बराबर न थे पर प्राथमिक विद्यालय तक की पढाई को बहुत अधिक नहीं कह सकते। फिर भी रामू ने अपनी छोटी बहन संजना की पढाई में कोई कसर न छोङी। दोनों पति और पत्नी ने संजना को बेटी का प्यार दिया। कह सकते हैं कि रामू और सुनीता को कोई बच्चा न होने के कारण उनका स्नेह संजना पर ज्यादा था। पर रामू और सुनीता में किसमें कमी थी , यह पता करने व डाक्टर से इलाज कराने तक सोचने समझने की दोनों में शक्ति न थी। पति पत्नी ईश्वर की मर्जी मान संतोष कर चुप बैठ गये। अब संजना ही उनकी बेटी थी।

    आज रामू कुछ ज्यादा ही खुश था। बहुत पढाई कर संजना एक विद्यालय में अध्यापिका बन गयी। विद्यालय गाॅव से नजदीक ही कस्बे में था। संजना के कारण रामू की इज्जत बहुत बढ गयी ।पर कुछ के लिये यह जलन का भी कारण था।अब रामू का घर भी पक्का था।

    संजना ने अपने भैय्या को सुरेश के बारे में बताया जो उसी के साथ अध्यापक था। पढाई लिखाई तक बात अलग थी। पर रामू और सुनीता ने संजना की पसंद को इस तरह स्वीकार कर लिया जैसे कोई बात ही नहीं। हालांकि गांव के प्रधान जी ने भी संजना की शादी अपने लङके सोहन से कराने की बात चलाई थी। सोहन भी पढा लिखा युवक था। किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर था। पर रामू के लिये संजना की पसंद ही सर्वोपरि थी।

    " राम राम पंडित जी। देखा कलयुग कितने जोर पर है।" पंडित शांताराम को देख हरिया ने चुटकी ली।

   " क्यों... क्या हुआ।" पंडित जी अनजान बनने का नाटक कर रहे थे।

   " एक तो रामू लङकी की कमाई से घर बना रहा है। हमारे यहाॅ तो लङकी की कमाई खाना, सबसे बङा पाप है। ऊपर से देखो, लङकी न जाने किस जाति के लङके से शादी कर रही है।"

   " सही कहा हरिया ।अब जो न हो जाये, वह कम है। पर पाप करने बाले न जाने कितने पाप करते हैं। पर ईश्वर के यहाॅ देर है पर अंधेर नहीं। एक न एक दिन सभी पापों का भंडाफोड़ होता है। पापी अपने कर्मों का फल भोगते हैं। "

  पंडित जी राम राम बोलते हुए अपनी राह चल दिये। पर कुछ ही दिनों में गांव के लोग पंडित जी की बुद्धि की तारीफ कर रहे थे। आखिर पुलिस ने रामू के घर छापा डाला तो काफी मात्रा में अफीम बरामद हुई। अफीम के पैकेट न केवल स्टोर रूम में, बल्कि शयन कक्ष में भी छिपे मिले। रामू, सुनीता और संजना तीनों पुलिस की गिरफ्त में थे। सच कहा है कि जो बेटी की कमाई खा ले, वह कुछ भी अपराध कर सकता है।

    इंस्पेक्टर राधा के खास मुखबिर राहुल ने खबर दी थी।

   " मैडम जी। लक्ष्मी देवी इंटर कालेज की मैडम संजना के घर में कुछ तो गङबङ है।"

   " क्या गङबङ लग रही है।"

   " मैडम जी... ।रात में कुछ लोगों आते देखा है। वे चुपचाप रात में ही निकल गये।"

   "हो सकता है कि कोई रिश्तेदार आया हो। पर तू नजर रखना।"

  पर राहुल की रोज ऐसी खबर सुनकर इंस्पेक्टर राधा का भी माथा ठनका। एक तो गांव में लोग देर तक जगते नहीं। हर रात भला कौन छिपकर आयेगा। अगर प्रेम की बात कही जाये तो संजना की अध्यापक सुरेश से प्रेम कहानी छिपी थोङे ही है। आखिर एक दिन इंस्पेक्टर राधा ने रामू के घर छापा डाला। राहुल की बात सही निकली।

.................

   " देखो... । मैं तुम तीनों को तकलीफ देना नहीं चाहती। अच्छा है कि तुम तीनों हमें सब सच सच बता दो। अफीम की तस्करी किस पैमाने पर हो रही है। तुम्हारा सरगना कौन है। कहाॅ से अफीम आती है। कहाॅ जाती है।. सब कुछ... । नहीं यह मत बोलना कि पुलिस बिलकुल रहम नहीं करती।" इंस्पेक्टर राधा इतना बोलकर लाकअप से बाहर आ गयी।

     घंटों सोच विचार के समय में भी रामू सुनीता और संजना कुछ समझ नहीं पाये। सचमुच परिवार में कोई तो अफीम तस्करी कर रहा है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता। हालांकि सभी एक दूसरे को शंकित नजर से देख रहे थे। पर प्रेम भी अलग चीज है। सभी दूसरों को बचाने के लिये खुद जुर्म स्वीकार करने को तैयार थे। पर केवल जुर्म स्वीकार करना ही काफी न था। भले ही तीनों ने जुर्म स्वीकार कर लिया था पर आगे की बात कोई नहीं बता पा रहा था। आखिर इंस्पेक्टर राधा का सब्र टूट गया। अब इन अपराधियों पर कोई रियायत नही होगी। जब तक जुर्म की दुनिया की पूरी कहानी सामने नहीं आ जाती, पुलिस की मेहमान नवाजी जारी रहेगी। रामू की खातिर के लिये पुरुष पुलिस व सुनीता और संजना की खातिर के लिये महिला पुलिस थी। पर काफी तरकीबों के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ।

    " देखो... ।सच्चाई तो तुम्हें बतानी होगी। अदालत से भी तुम्हारी रिमांड मिलने में कठिनाई नहीं होगी। भला यही है कि सब सच बता दो।" इंस्पेक्टर राधा ने फटकारने में कोई कसर न छोङी। हालांकि एक संभावना यह भी थी कि शायद दूसरे अपराधी ज्यादा खतरनाक हैं तो इंस्पेक्टर राधा ने पैंतरा बदला।

  " अगर किसी से डर रहे हो तो बता दूं कि पुलिस की मदद करने पर सजा कम हो सकती है। नहीं तो बेबजह पिटाई होगी। और पुलिस की दो दिन की पिटाई में अपराधी सब सच बोल देते हैं।" इंस्पेक्टर राधा ने डराने और समझाने का खेल एक साथ खेला।

   दूसरे दिन तीनों अदालत में पेश हुए। मामले की गंभीरता देख न्यायाधीश ने पांच दिन की रिमांड पुलिस को दे दी। उसके बाद पुलिस की खातिरदारी भला कोई कैसे सहन कर पाता। बस दो दिनों की खातिर के बाद अफीम सप्लाई करने बालों की अगली कङी सभी के सामने थी।

    संजना के मंगेतर सुरेश के घर से अफीम के पैकेट बरामद हुए। भले ही सुरेश अपने आप को बेकसूर बता रहा था पर इंस्पेक्टर राधा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। संजना को टूटने में दो दिन लगे। सुरेश भी निश्चित टूटेगा। भले ही एक दो दिन ज्यादा लगे। अफीम का कारोबार करने बाला पूरा रैकेट पुलिस की गिरफ्त में होगा।

.......
.
   " मैडम जी। हमारे लङके को छोड़ दो। वह बिल्कुल बेकसूर है। उसका अपराध से कोई वास्ता नहीं है।" सुरेश के पिता मनमोहन इंस्पेक्टर राधा के सामने हाथ जोङकर खङे थे। पर इंस्पेक्टर राधा को इन सबसे क्या मतलब।

   " मनमोहन जी। आप अभी घर जाइये। पुलिस की कार्रवाई में दखल न दें। आपके लङके के कमरे से अफीम बरामद हुई है। और आप बोल रहे हैं कि वह निरपराध है। देखिये.. ।संजना ने सब कबूल किया है। उसका साथी और कोई नहीं, बल्कि आपका लङका है।"

     मनोहर जी के पास वापस जाने के अलावा कोई चारा न था। कमरे से बाहर निकलते समय इंस्पेक्टर मैडम की कास्टेबल से बात सुनकर एक दम रुआसू हो गये।

  " राधेलाल जी। कुछ कबूला, लङके ने या नहीं। "

  " नहीं मैडम। पर जल्द सब बोलेगा। "

  " ऐसा करो राधेलाल जी..। उसे उल्टा लटका कर फिर पीटो। जब रंजना पर लङकी होकर भी हमने कोई रहम नहीं किया तो लङके पर क्या रहम।"

   मनमोहन जी भागकर मैडम के पैरों में गिर गये।

  " मैडम जी। मुझे माफ करो। मेरी गलती की सजा मेरे लङके को मत दो।

...........

     मनमोहन जी लाकअप में बैठे थे। सुरेश ने अपने कानों से जो सुना, उस पर यकीन करना भी आसान न था।

    " मैडम जी। मैं सुरेश की शादी अपने हिसाब से करना चाहता था। पर लङका तो उस संजना के प्यार में पागल था। तो उसकी बात माननी पङी। हमें पता था कि राहुल पैसो के लिये पुलिस की मुखबरी करता है। तो उसे खूब पैसा देकर अपने साथ मिला लिया। संजना के घर में अफीम हमने ही रखबाया था। हमें लगा कि अब संजना तो जेल से छूटेगी ही नहीं। और सुरेश को भी हम संजना के खिलाफ भङका कर फिर अपनी मर्जी से उसकी शादी कर देंगें। पर पता नहीं हमारे घर में अफीम किसने रख दी। "

  " अरे अक्ल के दुश्मन। जब तू संजना को फसाने के लिये संजना के घर में अफीम रखवा सकता है तो हम भी तो    किसी निरफराध को बचाने के लिये और हकीकत सामने लाने के लिये कुछ भी कर सकते हैं। "

................

   आज संजना इंस्पेक्टर राधा के सामने हाथ जोंङे खङी थी।

  " मैडम जी। मैं किस तरह आपको धन्यवाद करूं। आपने मुझे निरपराध सिद्ध कर दिया। मैं तो समझ रही थी कि रिमांड के बाद आप हमारी क्या हालत करोंगी। "

    आज इंस्पेक्टर राधा ने संजना को अपने पास बिठाया। प्यार से सर पर हाथ रखा।

   " संजना। प्रेम विश्वास का दूसरा रूप होता है। जब कोई भी विश्वास न करे पर उस समय भी कोई तुमपर विश्वास करे तो वही तुम्हारा सच्चा प्रेमी है। कोई है जो तुमसे इतना प्रेम करता है कि उसने तुम पर विश्वास किया। हमारे अलावा तुम्हारे गांव बालों को भी विश्वास दिलाया कि संजना और उसका परिवार कुछ भी गलत नहीं कर सकता है। हमारे मुखबिर राहुल की हकीकत भी उसने हमें बताई। और तुम्हारे खिलाफ जो साजिश बनी थी , उसी ने नाकाम की। वह बाहर तुम्हारा इंतजार कर रहा है। "

   संजना भागकर बाहर आयी। कभी संजना के साथ पढे और आज एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर मुखिया जी के बेटे सोहन को देख संजना ठिठक गयी। फिर खुद व खुद सोहन के पैरों में झुक गयी।

दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'


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