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सुराग

30 नवम्बर 2021

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   जब से नये अधिकारी आये हैं तभी से कर्मचारियों की बाट लगा रखी है। संतोष खुद भी बङे मेहनती थे। न दिन देखते और न रात। परिवार दूर एक महानगर में ठहरा था। एक तो बच्चों को महानगर की जिंदगी पसंद थी। पढाई की भी बजह थी। तो महानगर में एक आलीशान घर पर पत्नी और बच्चों को छोङकर खुद तैनाती की जगह चले जाते थे। तो घर पर कोई इंतजार करने बाला भी नहीं। पर कर्मचारियों की तो घर गृहस्थी थी। उन्हें तो घर जाने की जल्दी रहती ही है। बस ज्यादातर कर्मचारी संतोष से नाखुश थे।

   "खुद को तो घर की चिंता है नहीं। हमें भी परेशान कर रखा है।" सुनील ने कहा। कई हाॅ में हाॅ मिलाने बाले मिल गये। इसी बीच सुरेश ने एक तङकती भङकती खबर सुना दी।

     "इसका पुराना कच्चा चिट्ठा है मेरे पास। एक नंबर का अय्याश है। पिछली तैनाती की जगह एक ओपरेटर लङकी को खुलेआम रखता था। इसकी बीबी को खबर हो गयी। फिर काफी बबाल हुआ। सुना है कि इसकी कोई कमजोरी उस ओपरेटर लङकी को मालूम थी। उसपर पैसा लुटाता रहता। पर पत्नी की अच्छे रईस परिवार की थी। मायके बालों की सिफारिश पर ट्रांसफर हुआ है इसका। "

  " सच। मुझे तो समझ में नहीं आ रहा। "

" एकदम सच ।पुरानी जगह पर मेरा एक दोस्त काम करता है। उसका नं० तुझे देता हूं। खुद पता कर लो। "सुरेश ने एक न० बता दिया। फिर कइयों ने उसपर बात की। सुरेश की बात की बढा चढाकर दूसरी तरफ से पुष्टि हुई। एक और बात सामने आयी कि ट्रांसफर के बाद उस लङकी ने सभी के सामने संतोष को धमकी भी दी थी कि मुझे बर्बाद करके जा रहे हों। देख लूंगीं।

     वैसे इन बातों में कितनी सच्चाई थी। पर सभी चटकारे ले लेकर एक दूसरे को बताते रहे। धमकी बाली बात तो इतनी बढ गयी की लङकी ने कालर पकङकर धक्का दिया था। दूसरों ने बचाया।

    रविवार का दिन था। सोमवार को भी एक अवकाश था। संतोष के आवास पर ताला लगा था। साहब घर चले गये होंगें, यही माना गया।

    संतोष अपने घर नहीं पहुंचा। अपनी पत्नी का फोन भी नहीं उठा रहा था। पत्नी संध्या ने मिसिंग की शिकायत दर्ज कराई । एक इतने बङे अधिकारी की मिसिंग पर पुलिस तुरंत हरकत में आयी। काल डिटेल तुरंत पुलिस के पास थे। पर यह क्या। संतोष की लोकेशन तो उसी के घर की थी। तुरंत संतोष की तैनाती बाले थाने पर सूचना दी।

       पुलिस की टीम के साथ इंस्पैक्टर राहुल संतोष के आवास पर पहुंच गये। इतने बङे अधिकारी के आवास का ताला उनकी अनुपस्थिति में तोङना चाहिये या नहीं। पर हिम्मत करके ताला तुङबाया। और आवास के एक कमरे में संतोष की लाश फांसी के फंदे से लटकी थी। अगर आवास पर बाहर से ताला न लगा होता तो संतोष की मौत हर तरह से आत्महत्या लगती।

...........................

संतोष का आवास सील था। उसका मोवाइल व लैप्टाप भी पुलिस के कब्जे में था। आफिस की भी तलाशी ली जा रही थी। सी सी टी वी फुटेज भी पुलिस के अपने कब्जे में कर लिये। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सांस नली फटने से मौत की बात सामने आयी। कोई हाथापाई या चोट के निशान उसपर नहीं थे।

   "सब उसी चुङैल का काम है।" संध्या रोते समय ऐसा बोल गयी। किसकी बात कह रही थी संतोष की पत्नी। पर फिर कुछ बताया नहीं। शायद इज्जत की चिंता थी। इज्जत की खातिर अक्सर बहुत बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। इंस्पेक्टर राहुल की खोज उसी चुङैल को ढूंढ रही थी।

      सी सी टी वी फुटेज में एक तेईस चौबीस साल की लङकी दो दिन पहले आती दिखाई दी। कई लोग मिलने आते हैं। पर संतोष ने सभी को बाहर कर दिया था। पीऊन ने बताया कि भीतर कुछ लङाई की आवाज आ रही थी। सी सी टी वी में आवाज तो आती नहीं है। पर आधे घंटे बाद वह लङकी तिलमिला कर निकली और चली गयी।

      संतोष के बैंक एकांउट से स्पष्ट था कि संतोष ने एक दिन पहले किसी आरती को पांच लाख रुपये भेजे हैं। इंस्पेक्टर राहुल की थ्योरी के अनुसार संध्या की चुङैल और आरती एक ही हैं और वह सी सी टी वी के दिख रही लङकी है। सब इंस्पेक्टर शालिनी आरती को ढूंढने गयी और उन्हें ज्यादा परेशानी भी नहीं हुई। शाम तक आरती इंस्पेक्टर राहुल के सामने थी। इंस्पेक्टर राहुल को अपनी अक्ल को दाद देने का मन हो रहा था। आरती और सी सी टी वी की लङकी तो एक ही है। अब संध्या जिसे चुङैल कह रही थी, वह भी यही हो तो मामले की जङ तक पहुंच जायेंगें।

   " तुम संतोष से मिलने आयीं थीं। तुम्हारी उनसे लङाई क्यो हुई। पीऊन ने लङने की आवाज सुनी है। और तुम बङे गुस्से में निकली थीं।". राहुल के पूछने पर भी लङकी कुछ नहीं बोली तो थोड़ी सख्ती करने की सोची। पर ज्यादा सख्ती की जरूरत पङी नहीं। थोङी ही देर में लङकी बोलने लगी।

  " सर। संतोष ने मेरा प्रयोग किया। फिर मेने भी चुपचाप उनका वीडियो बना लिया। अब मैं मन मांगे पैसे मांगती रहती। इसी लिये ट्रांसफर कराकर यहाॅ आ गया। तो मैं उसे धमकाने आयी थी। अगले ही दिन उसने मुझे पांच लाख रुपये भेज दिये।"

.................

पुलिस आरती तक पहुंच चुकी थी। पति का राज सबके सामने था। वैसे भी संध्या का यह भ्रम था। ऐसी बातें कहीं छिपतीं थोङे ही हैं। पहले ही पूरी दुनिया को इनकी खबर थी। बस नयी बात यह थी कि आरती अपने अधिकारी को ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठती थी। संतोष भी शायद इसी भ्रम में होगा कि किसी और को पता न चले। पर पिछली तैनाती पर की अय्याशी की खबर नयी तैनाती तक भी पहुंच चुकी थी।

     जब जगहसाई हो ही गयी तो संध्या का मन भी आरती को सजा दिलाने का था। उसकी नजर में तो उसी चुङैल का यह काम था। वैसे भी कई बातें आरती को दोषी तो ठहरा रहीं थीं। पर कोई और भी खूनी हो सकता है। आरती की निशानदेही पर आरती और संतोष के अंतरंग क्षणों का वीडियो भी अब पुलिस के पास था

................

संध्या के मायके की पहुंच के कारण इंस्पेक्टर राहुल और सब इंस्पेक्टर शालिनी को काम करने में मुश्किल हो रही थी। आरती को खूनी साबित करने का बहुत दबाव था। अफवाह यह भी थी कि आरती ने पुलिस को रिश्वत दे रखी है। तभी तो कुछ कर नहीं रहे। अपराधी हाथ में है। पुलिस चाहे तो एक दिन में सच कबूलबा ले।

     सब इंस्पेक्टर शालिनी, आरती को पीट पीट कर थक चुकी थी। पर आरती की इस बात में दम तो था - "मैडम। संतोष तो सोने का अंडा देने बाली मुर्गी थी। उसकी मौत का सबसे ज्यादा नुकसान तो मुझे ही हुआ है।"

.....................

"सर ।कुछ समझ नहीं आ रहा। आरती की खातिरदारी करते करते थक चुकी हूं। पर एक बात तो सच है कि संतोष की मौत से उसे ही नुकसान हुआ है।"

"मैं भी यही सोच रहा हूँ, शालिनी। कुछ तो छूट रहा है। दुबारा ध्यान से हर पहलू को चेक करते हैं। "

फिर दुवारा से गहरी जांच शुरू हुई। एक एक काल की पङताल हुई। एक एक से दुवारा पूछताछ हुई। संतोष के पीऊन, ड्राइवर सभी से छोटी छोटी बातें पूछी गयीं। इतनी मेहनत के बाद एक अधेड़ औरत और एक लङकी पुलिस के लोकअप में थे।

...............

पुलिस लाकअप में एकदम अंधेरा था। अधेड़ औरत और लङकी का चेहरा देखकर भी नहीं पहचान सकते। इंस्पेक्टर राहुल ने बोल दिया कि जब तक सच नहीं बोलोंगें, न तो बैठने देंगें और न सोने देंगें। खाना तो दूर, पानी भी नहीं मिलेगा।गर्मी के मौसम में कमरे का पंखा भी इंस्पेक्टर ने बंद करा दिया। आखिर उस अधेड़ औरत ने सुबह चार बजे संतोष के नं0 पर बातें की थी, जबकि संतोष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हिसाब से संतोष रात बारह बजे मर चुका था और लङकी की लोकेशन उस रात कस्बे का बस स्टैंड थी और फिर मोबाइल स्विच औफ रहा। दूसरे दिन साङे चार बजे जब लङकी का मोवाइल ओन हुआ तो उसकी लोकेशन बस स्टैंड थी।
   

     इंस्पेक्टर राहुल को पूरा यकीन था कि सुविधा भोगी परिवार की स्त्रियां ज्यादा देर सच छिपा नहीं पायेंगी। गर्मी के मारे दोनों की हालत खराब थी। दो लेडी कांस्टेबल दूर से उनपर नजर रखे थीं। जैसे ही बैठने की कोशिश करतीं, दोनों डंडा फटकारती आ जातीं और खङा रहने पर मजबूर कर देतीं। कुछ घंटों के बाद ही बिना पिटाई के दोनो सच बताने को तैयार हो गयीं।

.................

कमरे में अब प्रकाश था। पंखा भी चल रहा था। बैंच पर बैठी संतोष की पत्नी संध्या और बेटी सुरुचि को पानी पिलाया गया। फिर उनका बोलना शुरू हुआ।

"सर। ऐसे अय्याश आदमी से तंग आ चुकी थी। खुद की लङकी शादी लायक और अपनी लङकी की उम्र की लङकी के साथ अय्याशी कर रहा था। अय्याशी तो छोङो, पैसे बर्बाद कर रहा था। फिर जैसे तैसे उसे ट्रांसफर पर राजी किया। पर जब उसने बताया कि आरती को फिर से पैसे भेजे हैं तो भीतर तक आत्मा जल गयी। " संध्या ने बताया।

" सर। उन्हें पापा कहना तो पापा शव्द को गाली देना था। एक ही तरीका बचा था कि उसे खत्म कर दिया जाये। फंड भी मिल जायेगा। बर्ना अगर वह जिंदा रहा तो हम तो सङक पर आ जायेंगे। फिर मेने फोन कर कहा कि पापा इस शनिवार मैं आ रही हूं। पास के झरने पर घूमने की बात बना दी। पापा बहुत खुश हो गये। वैसे आरती की बजह से मेने सालों से उनसे बात नहीं की। फिर पहुचने में देर कर दी। ताकि आस पास किसी को पता न चले। मोवाइल बस स्टैंड पर मम्मी से बात कर बंद कर दिया। रात के अंधेरे में मैं घर पहुंची। खुशी के मारे पापा ने मुझे गले लगा लिया।

कहने लगे - बेटा। गलती करके दलदल में ऐसा फस चुका हूं कि निकल नहीं पा रहा।

फिर मौका देखकर मेने बैग से रस्सी निकाल पापा के गले में फंदा डाल दिया। गला घोंटकर उन्हें लटका दिया।"लङकी सुरुचि ने कबूल किया।

" साहब। लङकी को मेने फोन करके समझाया कि रात में ही निकल जाना और ताला लगाकर आना। ताकि मर्डर ही लगे। आखिर आरती को भी फसाना था। फिर रोते हुए उसकी हिंट दे दी। मुझे पता था कि आरती दो दिन पहले आयी है और एक दिन पहले संतोष ने उसके खाते में पैसे भेजे हैं। आप आरती तक पहुंच ही जायेंगें। "संध्या से बात खत्म की।

" बहुत अच्छा प्लान था आप दोनों का। पर जिस पीऊन ने आरती और संतोष का झगङा सुना था, उसी ने यह भी सुना था कि सुरुचि ने फोन पर आने को बोला है। दो दिन तैयार रहने के लिये संतोष ने अपने ड्राइवर को भी बोला था। उन्हे बताया भी था कि बेटी आ रही है। उसे झरना पर घुमाने ले जाना है। ऊपर से संतोष के मरने के बाद उसके नं0 पर ही संध्या जी की बातें । कातिल कितना भी शातिर हो, सुराग खुद छोङ जाता है। "

आखिर संतोष के मर्डर का केस हल हुआ। संध्या और सुरुचि पर संतोष की हत्या करने, आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा चल रहा है। आरती पर भी ब्लैकमेल करने,धोखाधडी करके पैसे ऐंठने का का मुकदमा चल रहा है। तीनों एक ही जेल में बंद हैं। जेल में भी एक बार माॅ और बेटी ने आरती की पिटाई कर दी थी। आरती ने न्यायालय में किसी अन्य जेल में शिफ्ट करने की दरखास्त दी है।


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