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कोठे पर मर्डर

30 नवम्बर 2021

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    राजन और मंगल को अय्याशियों से फुर्सत मिले तो पढाई करें। उम्र बीस पार हो गयी। पर अभी दोनो भाई हाई स्कूल पास नहीं कर पाये।कितने छोटे बच्चे उनसे आगे बढ लिये। वैसे ठाकुर दौलतनाथ को इसकी ज्यादा परवाह न थी। पढ लिख कर भी भला लङके कितना कमा लेते। ठाकुर साहब ने इतना कमा रखा था कि दोनो भाई दोनों हाथों से लुटाये तो भी जीवन भर कम न पङे। और सचमुच राजन और मंगल दोनों ने कोई भी ऐसा शौक न था जो पूरा न किया हो। चाहे मंहगी शराब की बात हो या सुंदर लङकियों के साथ अय्याशी की, दोनों कम न पङते।

    मुन्नी बाई के कोठे पर दोनो घुस गये। मुन्नी बाई के वे रेगुलर कस्टमर थे। पर कुछ दिनों से दूसरे कोठों पर भी जाने लगे थे।

    " आओ हुजूर। बङे दिनों बाद आये हो। सुना है कि दिलेरी के कोठे की तरफ ज्यादा जा रहे हो आजकल। हमसे क्या भूल हुई सरकार।"

   " अरे नहीं मुन्नी बाई। अलग अलग रैस्टेरेंटों में खाने का जायका अलग अलग होता है। सभी का टेस्ट लेना चाहिये। वैसे इतना तो है कि जितना टेस्ट तुम्हारे रैस्टोरेंट में आता है , उतना कहीं और नहीं। " दोनों बेशर्मों की तरह हसने लगे। साथ में मुन्नी बाई भी हसने लगी।

   " अच्छा... ।आज का आपका खास डिस क्या है। रोज बाली डिश मत पेश करना। कुछ अलग सा है क्या। " इस बार मंगल बोल पङा।

  " अलग... । अरे हुजूर। आज तो ऐसा आइटम दूंगी कि हुजूर भी बोलेंगे कि धरती की है या जन्नत की।"

   दोनों भाई कमरे की तरफ बढ लिये। कमरे में जो देखा, वह बिल्कुल बैसा ही था जैसा मुन्नी बाई ने बोला था। एक अठारह साल की खूबसूरत लङकी ने उठकर दोनों के हाथ पकङे। और कमरे का दरबाजा बंद कर दिया। फिर बहुत देर तक दरबाजा नहीं खुला।

   " अब हुजूर...। सुबह होने आयी। बाहर आ जाओ।" मुन्नी देवी के बराबर आवाज देने पर भी कोई जबाब नहीं आया। मुन्नी बाई का दिमाग खटक गया। फिर क्या... ।

   " अरे लल्लन। कहाॅ हो। जल्दी आओ।"

    तुरंत मजबूत कद काठी का नौजवान आ गया।

   " लगता है कुछ गङबङ है। दरबाजा तोङ दो। "

   दरबाजा तोङते ही भीतर का दृश्य देख मुन्नी बाई के साथ लल्लन का भी मुंह खुला रह गया। दोनों की लाशें फर्श पर पङी थीं। खून बह रहा था। हालांकि कमरे में एक मजबूत जंगला लगा था। पर जंगले की सरिया टूटी हुई थीं।लङकी नदारद थी।

  " अरे... । अब क्या करें। कुछ समझ नहीं आ रहा।"

   "समझना क्या है। बस भागो।"

   फिर मुन्नी बाई, लल्लन और कोठे पर मौजूद तीन लङकियां जैसा मन हुआ, निकल भागे।

........

   इंस्पेक्टर रजनीश मर्डर की तफ्तीश कर रहे थे। पर कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर भी कोठे से लापता लोगों की लिस्ट तैयार की। उन्हें चारों तरफ ढूंढा जा रहा था। खबरियों की भी मदद ली जा रही थी। आखिर मुन्नी बाई, लल्लन और कोठे की दूसरी लङकियां मिल गयीं। पर कमरे में मौजूद लङकी का कुछ भी पता न था।

   बंद कमरे से लगातार मुन्नी बाई और दूसरी लङकियों की चीखें आ रहीं थीं। फिर सब शांत हो गया।

   " क्या हुआ रीता।" इंस्पेक्टर रजनीश ने कमरे से बाहर आ रही सब इंस्पेक्टर रीता से पूछा।

   " बङी घाघ हैं चारों। पिटते पिटते बेहोश हो गयीं हैं। पर कुछ बोल नहीं रहीं। बस एक ही रट लगा रही हैं कि शीला ने मारा होगा। पर शीला के बारे में भी कुछ नहीं बता रही हैं। कोई बात नहीं। होश में आने दो।"

   इसी तरह दूसरे कमरे में लल्लन बेहोश पङा था।

............

    फोरेंसिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट देखकर इंस्पेक्टर रजनीश एकदम चोंक गये। जिस कमरे में राजन और मंगल की लाश मिली थीं, उस कमरे में कुछ अलग तरह का कैमीकल भी मिला। इंस्पेक्टर उस कैमिकल का प्रयोग जानना चाह रहा था। पता चला कि वह अति दुर्लभ कैमिकल है। विदेशों में मिलता है। अगर चेहरे पर लगा लो तो काला से काला चेहरा गोरा दिखने लगता है। समझ गये कि मुन्नी बाई से ज्यादा हासिल नहीं होगा। फिर भी तथाकथित शीला के बारे में जो उन्होंने बताया, वह नोट कर लिया।

   इंस्पेक्टर रजनीश ने राजन और मंगल की हिस्ट्री खंगाली। ऐसे अय्याशों से कितनों को नफरत हो सकती थी। सूची बहुत लंबी होती ज रही थी। इंस्पेक्टर खुद संदिग्धों से मिल रहे थे। जरूरी होने पर उन्हें थाने भी ले आते। पर कुछ हल नहीं दिख रहा था।

........

   इंस्पेक्टर रजनीश ने मिस रागिनी का दरबाजा खटकाया। दरबाजा खुलने में बङी देर हुई। एक विकलांग लङकी ने दरबाजा खोला।

   " क्या मैं रागिनी जी से मिल सकता हूं।"

   " जी। मैं ही रागिनी हूं।"

   इंस्पेक्टर जिसे संदिग्ध समझ रहे थे, वह एक अपाहिज लङकी थी। भला वह खून कर और जंगला तोड़ भाग सकती है। फिर भी आये हैं तो तफ्तीश तो करनी ही थी।

   " क्या आप राजन और मंगल को जानती हैं।"

   रागिनी का चेहरा एकदम उतर गया।

   " क्यों नहीं सर। जिन दरिंदों की बजह से मेरी यह हालत हुई है, उन्हें कैसे भूल सकती हूं।"

   " जरा साफ साफ बताइये।"

   " सर। बहुत साल पहले उन दोनों ने मुझे बुरी नीयत से पकङ लिया। वो तो भाग्य अच्छा था कि मैं भाग गयी। पर जल्दी में तेज रफ्तार कार से टकरा गयी। आज भी मैं अपनी कानूनी लङाई लङ रही हूं। उन्हें सजा जरूर मिलेगी। "

  " आई एम सोरी, मिस रागिनी। वैसे आपके अपराधियों का किसी ने खून कर दिया है। मैं उसी की तफ्तीश कर रहा था। "

   इंस्पेक्टर रजनीश के दोनों हाथ खाली थे। पर आज अचानक उन्होंने कुछ ऎसा देख लिया कि लगने लगा कि कातिल नजदीक ही है।

........

   " सर । आप आज फिर से।" इंस्पेक्टर रजनीश को अपनी टीम के साथ देख रागिनी एकदम चौंक गयी।

  " आपके घर का सर्च वारंट है हमारे पास।" इंस्पेक्टर तुरंत भीतर आ गया। श्रंगार के सामान में से हर सामान को फोरेंसिक लैब भेज दिया और खुद वहीं बैठकर रिपोर्ट का इंतजार करने लगे। लगभग दो घंटे बाद उनके मोबाइल पर फोन आया।

   " सर। आपका शक ठीक है। एक क्रीम में वही कैमिकल मिला है। "

  " ओके। " इंस्पेक्टर रजनीश ने फोन रखकर फिर कहीं फोन मिलाया।

   " सब इंस्पेक्टर रीता। कहाॅ हो।"

    " सर आई एम रैडी। फीमेल कराटे लीग में ही हूं। क्या आदेश है।"

   " अरेस्ट हर। और ध्यान से। वह कराटे जानती है। "

  " कोई बात नहीं सर। मैं, कोन्सटेबल सुनीता और रजनी सभी कराटे की चैंपियन रही हैं।"

  फोन रखकर इंस्पेक्टर रजनीश रागिनी की तरफ देखने लगे।

  " मैं पूछ रही हूं कि इंस्पेक्टर। यह सब क्या चल रहा है। "
" मिस रागिनी। आपके साथ जो हुआ, उसका मुझे अफसोस है। पर आज मुझे और ज्यादा अफसोस है। आखिर आपकी छोटी बहन दिव्या को जेल होने बाली है, राजन और मंगल के खून के इल्ज़ाम में।"

   " यह नहीं हो सकता, इंस्पेक्टर। "
  " मिस रागिनी। यही सच है। उस दिन बाहर पार्क में मेने दिव्या जी को प्रेक्टिस करते देखा। वैसे मैं खुद उनका बङा फैन हूं। उस दिन उनसे मिलने चला गया। पता चला कि वह फीमेल कराटा लीग की तैयारी कर रही हैं। मेने उन्हें शुभकामनाएं भी दीं। तभी पता चला कि वह आपकी बहन हैं तो सब क्लीयर हो गया। "

   दिव्या ने भी स्वीकार कर लिया कि कैमिकल से शक्ल बदल वही कोठे में थी। फिर उसने अपने कराटे के हाथों से दोनों दुष्टों को मार डाला। जंगला तोङकर चली गयी। इस तरह उसने अपनी बहन के साथ हुई नाइंसाफी का बदला ले लिया। उसे लगा था कि वह कभी पकङ नहीं पायेगी। क्योंकि उसका असली चेहरा, उस चेहरे से एकदम अलग है।


Papiya

Papiya

अति सुन्दर ✌🏼

7 जनवरी 2022

Artee

Artee

Bahut achhi kahani

1 दिसम्बर 2021

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