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राजनीति के गढ्ढे ( कहानी प्रथम क़िश्त)

8 अप्रैल 2022

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( राजनीति के गढ्ढे )   ( कहानी- प्रथम क़िश्त )

यह कहानी है भारतीय महाद्वीप में  स्थित  *रंगत* देश के रामपुर प्रांत की। रामपुर प्रांत के महादेव नगर का निवासी विमल राजनीति शास्त्र में एम ए करने के बाद नौकरी की तलाश में जुट गया । साल दो साल धक्के खाने के बाद उसे एहसास हुआ कि एम ए करने के बाद यहां नौकरी पाना एक टेढी खीर है । उसे और कोई रस्ता नज़र नहीं आया तो राजनीति के ही क्षेत्र में कदम रखने का मन बना लिया । 
राज्य में लिबर्टी पार्टी की सरकार थी और विपक्ष में डेमोक्रेटिक वाले बैठे थे । चूंकि विमल के पिताजी पहले कभी लिबर्टी पार्टी के स्वयं सेवक थे अत: उसने भी लिबर्टी पार्टी ज्वाइन कर लिया  और पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी दर्ज़ कराने लगा । 
 धीरे से उसे पार्टी के ज़िला  अद्ध्यक्ष ने मिडिया प्रभारी की ज़िम्मेदारी सौंप दिया । विमल पढा लिखा तो था साथ ही उसकी लेखनी भी धारदार थी । अत: मिडिया वाले उसकी विग्यप्ति को तवज्जो देने लगे । इस तरह जैसे जैसे विमल का कद पार्टी के अंदर बढने लगा  उसके हम उम्र कई पार्टी के सदस्य उससे जलने लगे और मौक़ा देखने लगे कि कैसे उसकी टांगें खींची जाये । 
टांग खींचने वालों में सबसे आगे पार्टी का एक सदस्य था । जिसका नाम था नवीन शर्मा । नवीन शर्मा पि्छले पांच वर्षों से पार्टी से जुड़ा था और उसकी चाहत मिडिया प्रभारी बनने की बहुत दिनों से थी । भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया तो वह एक साधारण कार्यक्रता बनकर रह गया था  ।
 6 महीनों बाद नगर निगम का चुनाव होना था । लोग जोड़ तोड़ में लगे थे कि मुझे किसी वार्ड का टिकिट मिल जाए तो आगे का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा । 
इसी जुगाड़ में नवीन शर्मा भी लगा था कि बाज़ार वार्ड से उसे टिकिट मिल जाए । इस हेतु वह पार्टी के कई बड़े बड़े नेताओं से मिल चुका था । कुछ नेताओं ने उसे आश्वासन दिया था कि हम पूरा प्रयास करेंगे तुम्हारे खातिर । 
उधर विमल मिडिया के कामों में और व्यस्त रहने लगा । उसने चुनाव लड़ने की कहीं इच्छा नहीं दिखाई थी । लेकिन उसका भाग्य शायद प्रबल था , बाज़ार वार्ड से उसे ही पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया ।  यह बात जैसे ही नवीन शर्मा को पता चली वह जल भून गया । वह जगह जगह विमल की बुराई करने लगा कि  लोगों से उसका कोई जुड़ाव नहीं है । वह तो ज़रूर हारेगा । नवीन द्वारा किए जा रहे विष वमन की जानकारी जब विमल को मिली तो वह हंस कर टाल दिया । 
धीरे धीरे चुनाव की गतिविधियां चरम को छूने लगीं । हर तरफ़ सिर्फ़ चुनाव की बातें । हर तरफ़ प्रत्याशियों का चुनावी प्रचार व भाषण बाज़ी । मानों महादेव शहर वालों को चुनाव के अलावा किसी और चीज़ से मतलब नहीं है । 
उधर विमल के विरोध में डेमोक्रेटिक पार्टी ने शेरसिंग भाटी को खड़ा किया था । जिसका असली काम क्या था कोई जानता नहीं था । हां यहां वहां के झगड़े झंझट में उसका नाम आते रहता था । उसके विरुद्ध मारपीट क मामले भी थाने में दर्ज़ थे । 
जैसे ही शेरसिंग का नाम घोषित हुआ , उसके चाहने वाले, उसके समर्थक अपने विरोधी लोगों को धमकाना प्रारंभ कर दिया कि या तो हमारे साथ आ जाओ या फिर बिल्कुल खामोश बैठ जाओ । वरना खैर नहीं । अब नवीन खुश था कि विमल को शेरसिंग से लड़ना है और शेर सिंग अपनि जीत के लिए कुछ भी कर सकता था । यहां तक कि अपनी हार की स्थिति में वह गोलियां भी चलवा सकता था । नवीन भी अब पीठ पीछे शेर सिंग का प्रचार करने लगा और लिबरल पार्टी के रणनीतियों को शेर सिंग तक पहुंचाने लगा ।
उधर लिबरल पार्टी को लगा कि शेरसिंग कभी भी विमल को नुकसान पहुंचा सकता है तो इसको अपनी सुरक्षा निश्चित करने की सलाह दी और मदद का आश्वासन भी दिया  ।
बाज़ार वार्ड का मतदान 80 प्रतिशत हुआ । लोग अभी अनुमान ही लगा रहें थे कि कौन जीतेगा पर काऊंटिंग अभी एक सप्ताह बाद होनी थी । अत: जीत हार अभी समय के गर्भ में था । 
काऊंटिंग के दिन विमल अपने  साथियों के साथ स्थल पर मौजूद था वहीं शेरसिंग भी दल बदल के साथ वहां उपस्थित था । शेरसिंग के चेहरे पर आज एक कुटिल मुस्कान विराजमान थी । 
काऊंटिंग प्रारंभ हुआ । चार चक्रों में काऊंटिग होनी थी । पहले चक्र में शेरसिंग कुछ मतों से आगे रहा लेकिन आगे के तीन चक्रों में विमल को मिलने वाली मतों की गड्डियां ज्यादा मोटी दिख रहीं थीं । अभी कांऊंटिंग पूरी भी नहीं हुई थी कि मतदान स्थल की बिजली गुल हो गई । बिजली के जाते ही वहां अफ़रा तफ़री का माहौल बन गया । टेबल पर रखे बिना गिने हुए मतपत्रों को किसी ने गायब कर दिया।   

( क्रमशः)
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रंगत देश के महादेव शहर के चुनाव में एक अपराधिक गतिविधियों में मुब्तिला व्यक्ति चुनाव लडता है और अपने तिकड़मों से चुनाव जीत जाता है । अब शहर का प्रशासन उसके ही आदेश का पालन करने मजबूर है।

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