रिश्ते कहां बनाते हैं लोग
अपने आप बन जाते हैं ,संपर्क में आते आते ।
विश्वास तो हम ही नहीं रख पाते एक दूसरे पर,
वही रिश्ते टूट जाते हैं संपर्क में रहते रहते।
सुना है रिश्ते किसी विश्वास की डोर से बंधे होते हैं
वो डोर तो कभी दिखाई नहीं देती,
लेकिन, जब रिश्ता में तनाव पैदा होता है वह तनाव दिख जाता है।
तनाव सहकर भी रिश्ता उसी का बना रहता है
जिसका विश्वास और इमान जिंदा रहता है
अन्यथा पास रहकर भी दूरियां इतनी बढ़ जाती है
किसी पीते भी नाप नहीं पाते,
रिश्ते कहां बनाते हैं लोग
अपने आप बन जाते हैं संपर्क में आते आते ।
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