पैसे और रिश्ते
मैं एक ऐसे परिवार का सदस्य हूँ जहाँ पैसा एकदम नगण्य माना जाता है जिसकी अहमियत सिर्फ और सिर्फ उसकी जरूरत पर समझ आये और उससे ज्यादा कुछ नहीं। कभी भी उसे रिश्तों से उठने ही नहीं दिया। पैसो से बने रिश्तों की गारंटी नहीं होती मगर जो रिश्ते एक बार दिल बन जाये तो ये धन दौलत सब बेकार की बाते होती हैं। ज़मान