कतरन बनी जिन्दगी में भीड में अजनबियों के बीच अपने आप को खोजती टूटे सपनों को लडी को बिखरे रिश्तों को जोडने की जद्दोजहद आदर्शों, आस्थाओं को स्थापित करने का रास्ता खोजते मंजिलों पाने को घिसी पिटी, ढर्रे की रोजमर्रा की जिंदगी में विसंगतियों को संवेदनहीनता को उजागर कर एक नए उजाले को मिलना महज संयोग नहीं