27 मई 2022
कुछ उलझने थी जो सुलझा रही थी कुछ बातें हैं जो खुद को बता रही थी कुछ कर्त्तव्य हैं जो निभा रही थी.. कुछ अपने पराये भेद को समझ और समझा रही थी कुछ निराशाओं को मन से हटा रही थी ,, कुछ आशाओं के दीप