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अनसुलझी निम्मी की कहानी

madhulika goel

1 अध्याय
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दोस्तों यह कहानी सिर्फ निम्मी की ही नहीं उस हर एक औरत की कहानी है जो इस समाज से जूझ रही है एक औरत पर कितना भार होता है परिवार का बच्चों का समाज का इस बीच उसको पारिवारिक रूप से और सामाजिक रूप से कितना प्रताड़ित किया जाता है यह बात सिर्फ एक औरत ही समझ सकती है दुनिया में ऐसी बहुत सारी औरतें हैं जिनको ना ही परिवार का साथ मिलता है ना ही समाज का हर तरफ से उनको इतनी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है कि उनको कभी-कभी समझ में ही नहीं आता है कि उनको करना क्या है मानसिक रूप से शारीरिक रूप से इतना प्रताड़ित हो जाती है कि कुछ कुछ औरतें आत्महत्या तक कर लेती हैं क्योंकि उनको परिवार के साथ-साथ सामाजिक लोगों के ताने भी सुनने पड़ते हैं दोस्तों एक इंसान तब नहीं हारता जब समाज उसके ऊपर उंगली उठाता है इंसान तब हारता है जब उसका परिवार उसका साथ नहीं देता है और उसका परिवार ही उसके ऊपर उंगली उठाता है ऐसी ही सच्ची घटना में आप सबके सामने लेकर आई हूं जो एक औरत की कहानी है एक ऐसी औरत की कहानी जिसने अपना पूरा बचपन खो दिया था आगे चलकर उसको नहीं पता था कि उसको किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है दोस्तों आजकल यह कहानी हर एक औरत की कहानी बन चुकी है क्यों ऐसा क्यों है इसके पीछे हमारा समाज जिम्मेदार है क्योंकि एक औरत की जिंदगी में पहले से ही इतनी परेशानियां होती हैं लोग उसको दिलासा देने की जगह उसके ऊपर उंगली उठाते हैं हंसते हैं ताने कसते हैं क्यों यह हक समाज को किसने दिया मैं नहीं मानती ऐसे समाज को अगर हर औरत यही सोचने लगी की सिर्फ हम अपने बारे में सोचें समाज के बारे में नहीं कि समाज क्या बोलेगा क्या देखेगा क्या सुनेगा यह सब ना सोच कर एक औरत को अपने बारे में सोचना चाहिए ऐसी ही कहानी है निम्मी की कहने के लिए हमारे समाज में औरतों को देवी का दर्जा दिया है लेकिन वही समाज यह भूल जाता है की वह जिसके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं वह भी एक औरत ही है आजकल के समय पर एक औरत ही एक औरत की दुश्मन होती है औरत जब एक पब्लिक प्लेस पर निकलती है तब वह पब्लिक प्रॉपर्टी हो जाती है ऐसा लोगों का मानना है यह लोग उसी समाज में रहते हैं जिस समाज में हम रहते हैं 

ansuljhi nimmi ki kahani

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