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वन नेशन वन इलेक्‍शन की लहर फिर चली

30 नवम्बर 2020

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वन नेशन वन इलेक्‍शन की लहर फिर चली

इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, देश में सन 1952 में जब पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे, तब 10.52 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, उसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में सरकार का खर्च कम हुआ था: लेकिन 1967 के चुनाव से हर साल केंद्र सरकार का खर्च बढ़ता ही गया: फिलहाल 2014 के लोकसभा चुनाव तक के ही खर्च का ब्यौरा है: 2014 में 3,870 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे:प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी चुनाव के दौरान व चुनाव जीतने के बाद से लगातार यह कह रहे हैं कि देश में एक चुनाव की जरूरत है: सवाल यह उठता है कि क्‍या ऐसा हो सकता है? यह सवाल उस समय से सभी की जुबान पर था और समय के साथ इस बात पर किसी ने न ज्‍यादा ध्‍यान दिया और न ही उसपर कोई ज्‍यादा चर्चा हुई लेकिन नरेन्‍द्र मोदी ने इस बात पर पुन: बल देकर इस महत्‍वपूर्ण मु्द्वे को एक बार फिर बहस का विषय बना दिया है:इस बारे में मोदी का यह तर्क सही लगता है कि लोकसभा- विधानसभा चुनाव साथ-साथ होने से खर्च कम होगा तथा विकास कार्य भी नहीं रूकेंगे: जबकि विपक्ष इसे मानने को तैयार नहीं है उनका कहना है कि इससे वोटर स्‍थानीय मुददो के बजाय राष्‍ट्रीय मुद्दो पर वोट देगा, इसका फायदा एक पार्टी को ही होगा: ऐसे में मोदी और सरकार के समक्ष चुनौती यह है कि लोकसभा और विधानसंभा का कार्यकाल पांच वर्ष तय है:लोकसभा को राष्‍ट्रपति ही भंग कर सकते हें जबकि विधानसभा को भंग करने के लिये दोनों सदनों की मंजूरी जरूरी है:संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने वन नेशन वन इलेक्शन की बात को पुन: उठाते हुए स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा कि , 'आज एक देश-एक चुनाव सिर्फ बहस का मुद्दा नहीं रहा ये भारत की जरूरत है इसलिए इस मसले पर गहन विचार-विमर्श और अध्ययन किया जाना चाहिए:'वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब हुआ कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों: स्‍वतंत्रता के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई: इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई: अब मुसीबत यह आन पडी कि सरकार का अधिकांश समय और पैसा दोनो चुनाव कराते कराते ही बीतने लगा:वन नेशन-वन इलेक्शन पर दिसंबर 2015 में लॉ कमीशन की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाते हैं, तो इससे करोड़ों रुपए बचाए जा सकते हैं इसके साथ ही बार-बार चुनाव आचार संहिता न लगने की वजह से डेवलपमेंट वर्क पर भी असर नहीं पड़ेगा। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सिफारिश की गई थी कि देश में एक साथ चुनाव कराए जाने चाहिए: चुनाव में भागीदार उम्मीदवार अपने प्रचार का खर्च खुद उठाता है, लेकिन चुनाव कराने का पूरा खर्च सरकारी ही होता है: अक्टूबर 1979 में लॉ कमीशन ने चुनावी खर्च को लेकर गाइडलाइन जारी की थीं इस गाइडलाइन के मुताबिक, लोकसभा चुनाव का सारा खर्च केंद्र सरकार उठाती है इसी तरह विधानसभा चुनाव का खर्च राज्य सरकार के जिम्मे है, अगर लोकसभा चुनाव के साथ-साथ किसी राज्य में विधानसभा चुनाव भी होते हैं, तो उसका आधा-आधा खर्च केंद्र और राज्य सरकार उठाती है:30 अगस्त 2018 को लॉ कमीशन ने एक और रिपोर्ट पेश की थी, इस रिपोर्ट में कमीशन ने 2014 के लोकसभा चुनाव के आसपास हुए विधानसभा चुनाव के खर्च की जानकारी दी थी, उस रिपोर्ट में कमीशन ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और दिल्ली में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में कितना खर्च हुआ, इसकी तुलना की थी और पाया था कि इन राज्यों में लोकसभा चुनाव के वक्त जितना सरकारी खर्च हुआ, लगभग उतना ही विधानसभा चुनाव में भी हुआ था:लॉ कमीशन और नीति आयोग की रिपोर्ट में यही कहा गया है कि अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराए जाते हैं, तो इससे खर्चा काफी कम किया जा सकता है: हालांकि, साथ-साथ चुनाव कराने से खर्च कितना बचेगा, इसका आंकड़ा रिपोर्ट में नहीं मिला लेकिन, साथ में चुनाव कराने से थोड़ा खर्च जरूर बढ़ेगा, लेकिन इतना नहीं जितना अलग-अलग चुनाव कराने पर बढ़ता है: 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अगस्त 2018 में लॉ कमीशन की एक रिपोर्ट आई थी, इसमें कहा था कि अगर 2019 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ होते हैं, तो उससे 4,500 करोड़ रुपए का खर्च बढ़ेगा ये खर्चा इसलिए क्योंकि ईवीएम ज्यादा लगानी पड़ेंगी इसमें ये भी कहा गया था कि साथ चुनाव कराने का सिलसिला आगे बढ़ता है, तो 2024 में 1,751 करोड़ रुपए का खर्च बढ़ता यानी, धीरे-धीरे ये अतिरिक्‍त खर्च भी कम हो जाता: साथ-साथ चुनाव कराने के साथ इस बात पर भी विचार जरूरी है कि एक बार चुनाव हो जाने के बाद उप चुनाव भी न हो: इसके लिये एक संशोधन यह किया जा सकता है कि किसी की मौत से खाली हुए स्‍थान को राष्‍ट्रपति के नांमीनेशन से भरा जाये:यह कोई किसी दल का व्‍यक्ति हो यह भी जरूरी नहीं होना चाहिये:

एंटोनी जोसफ की अन्य किताबें

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http://majosephs.blogspot.in/

13 अगस्त 2016
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गुरुवार, 11 अगस्त 2016सरकारी कामों में पब्लिक दखल,क्या कर्मचारी सुरक्षित हैं?अक्सर सरकारी दफतरों में यह आम बात हो गई है कि किसी न किसी बात को लेकर कर्मचारियों से बाहरी लोग आकर उलझ पड़ते हैं. इसमें दो मत नहीं कि कतिपय सरकारी कर्मचारी भी अपने रवैये से लोगों को उत्तेजित कर देते हैं किन्तु सभी इस तरह के

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https://www.polarisoffice.com/d/2ROD9dJ4

18 अगस्त 2016
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जनता के बीच के लोग...लेकिन जनता से कई आगे!

18 अगस्त 2016
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जनता के बीच के लोग...लेकिन जनता से कई आगे! राजा महाराजाओं के दिन जरूर खत्म हो गये लेकिन हमारी व्यवस्था ने कई ऐसे महाराजा तैयार कर दिये जिनकी लाइफ स्टाइल किसी भी आम आदमी से कई ऊंची है-यह अब भी इन सुविधाओं से संतुष्ट नहीं हैं और इन्हे जनता की सेवा के लिये और पैसे चाहिये.

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मंहगाई के दौर में नई आशाओं के साथ आये उर्जित पटेल!

21 अगस्त 2016
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मंहगाई के दौर में नई आशाओं के साथ आये उर्जित पटेल! उर्जित पटेल होंगे रिजर्व बैंक आफ इंडिया के नये गवर्नर. रघुराम राजन के बाद नया गवर्नर कौन होगा इसकी चर्चा उसी समय शुरू हो गया थी जब स्वामी विवाद के बाद रघुराम राजन ने आगे अपना कार्यकाल जारी रखने से अनिच्छा प्रकट कर दी

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इतना पैसा रखकर भी हम अपने खिलाडियों को क्यों नहीं सवार पाते?

22 अगस्त 2016
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किसी को इस बात पर कोई जलन या अफसोस नहीं होना चािहये कि रियो ओलंपिक में जीतने वाली सिंधु और साक्षी पर इनामों की बौछार हो रही है,किसी को इस बात का भी अफसोस नहीं होना चािहये कि पीवी सिंधु को तेलंगाना सरकार ने पांच करोड़, आंध्र प्रदेश सरकार ने तीन करोड़, दिल्ली सरकार ने दो करोड़, मध्यप्रदेश सरकार ने प

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शिक्षा के मंदिर में बड़े पुजारी की तानाशाही...क्यों सिस्टम फैल है यहां?

29 अगस्त 2016
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ं शिक्षा के मंदिर में बड़े पुजारी की तानाशाही...क्यों सिस्टम फैल है यहां? बहुमत नहीं तो सरकार नहीं चल सकती- डेमोक्रेटिक कंट्री में ऐसा होता है लेकिन डेमोके्रेटिक कंट्री के सिस्टम में ऐसा नहीं हो रहा. सिस्टम को चला रहे कतिपय लोगों के खिलाफ सारी प्रजा एक भी हो जाये तो सिस

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एक देश

7 सितम्बर 2016
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एक देश,एक चुनाव: अब इसमें देरी किस बात की! पहले प्रधानमंत्री बोले, फिर राष्ट्रपति ने मोहर लगा दी, अब बीजेपी भी कह रही है कि एक देश एक चुनाव में हमें भी कोई आपत्ति नहीं..तो फिर देरी किस बात की- देश में पांच साल मे सिर्फ एक ही बार चुनाव होना चाहिये-बार बार के चुनाव से जनत

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अब समय आ गया पाकिस्तान से फिर दो दो हाथ करने का!

18 सितम्बर 2016
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हकीकत यह है कि आज पूरा देश गुस्से में हैं कि सिर्फ चार आंतकवादी पडौस से आकर हमारे सत्रह जवानों को मारकर चले गये और हमारी सरकार हमेशा की तरह सिर्फ और सिर्फ निंदा करके वही पहली बाते दोहरा कर रह गई. जम्मू-कश्मीर में सेना की एक बटालियन के मुख्

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फिर वही -ढाक के तीन पात! आखिर कब तक?

20 सितम्बर 2016
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सोमवार को दिनभर चले घटनाक्रम के बाद अब यह लगभग निश्चित हो चला है कि उरी हमला भी पिछले अन्य हमलों की ही तरह जुबानी जंग के बाद भुला दी जाएगी लेकिन 17 जवानों की शहादत को देश सदैव याद रखेगा.जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के ब्रिगेड कैंप पर हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है. 17 जवानों के एक साथ शहीदी हो ज

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थानों में पिटाई...यह तो होता आ रहा है!

21 सितम्बर 2016
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थानों में पुलिस पिटाई कोई नई बात नहीं है-यहां जात पात,ऊंच-नीच या धर्म देखकर कार्रवाही नहीं होती बल्कि सबकुछ होता है पुलिस या खाकी की दबंगता के नाम पर...चोरी,लूट,अपहरण,हत्या जैसे मामले में थर्ड डिग्री का उपयोग जहां आम बात है वहीं पालिटिकल बदला लेने और पैसे देकर पिटाई कराने के भी कई उदाहरण हैं. इसके

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बिना खून खराबे के ही हमने अपने दुश्मन की रीढ़ तोड़ दी!

29 सितम्बर 2016
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किसी को अगर सजा देना है तो इससे अच्छी बात ओर क्या हो सकती है कि उससे बात करना ही बंद कर दे. यह सजा उसे मारने- पीटने से भी ज्यादा कठोर होती है. पीएम नरेन्द्र मोदी यह नुस्खा अच्छी तरह जानते हैं.उन्होंने उत्पाती पडौसी को सबक सिखाने के लिये जो रास्ता चुना वह युद्व का न होकर कुछ इसी तरह का है जिसने आंंत

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सेना ने वादा निभाया-चुनी हुई जगह और समय पर जवाब दिया!

30 सितम्बर 2016
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इस सर्जिकल स्ट्राइक्स को भले ही कुछ लोग उत्तर प्रदेश चुनाव से पूर्व मोदी की छवि सुधारने का प्रयास या और कुछ कहें लेकिन हम मानते हैं कि नरेन्द्र मोदी का यह कदम उडी हमले के बाद पाक को सबक सिखाने के लिये उठाया गया अब तक का सबसे बेहतरीन कदम है जो पूरे सोच समझकर और पूरी ब्यूह रचना के साथ किया गया. ठीक व

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पैसठ हजार लोग 'काले से 'गोरे हो गये बाकी कब?

2 अक्टूबर 2016
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काला धन एक समानान्तर अर्थ व्यवस्था को पैदा करता है इससे देश का विकास रूक जाता है और उपभोक्ता वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में कमी होती है. ब्लेक मनी अर्थात् गैर कानूनी धन जीवन का एक धु्र्रव सत्य बन चुका है जो पिछले कुछ वर्षो के दौरान हमारी अ

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अपराध की तपिश से क्यों झुलस रहा छत्तीसगढ़?

5 अक्टूबर 2016
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित बड़े शहर इन दिनों गंभीर किस्म के अपराधों से झुलस रहे हैं वहीं पुलिस की नाकामी ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. एक के बाद एक अपराध और उसमें पुलिस की विफलता ने यह सोचने के लिये विवश कर दिया है कि आखिर यह शांत राज्य अपराधों से कैसे झुलसने लगा?. एक के बाद एक होने वाले अपराध

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रेलवे में रिकार्ड अपराध.....और अब स्पर्म के लुटेरे भी!

6 अक्टूबर 2016
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यह रेलवे में पनप रहे एक नए अपराध की कहानी है जो एक ऐसे गिरोह द्वारा संचालित है जो पैसा कमाने के लिये कुछ भी करने को तैयार हैं गिरोह ट्रेनों में सफर करने वाले युवकों सेजबर्दस्तीकर उनके स्पर्म निकालकर बेचने का धंधा करता हैं हालाकि इस मामले की पूर्ण सत्यता सामने नहीं आई है लेकिन एक पीडि़त ने देश के

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हमारी सेना बहादुर थी हमारी सेना बहादुर थी

10 अक्टूबर 2016
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हमारी सेना बहादुर थी, बहादुर हैै और रहेगी.....कोई शक? उड़ी हमले में हमारे अठारह जवानों के मारे जाने के बाद हमारी सेना ने पीओके में पाक ठिकानों पर जाकर जो सर्जिकल स्ट्राइक किया या 2011 में जिंजर आपरेशन को अंजाम दिया वह हमारी सेना की वीरगाथाओं में से एक है इसका श्रेय किसी प

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जयललिता बीमार....मार्कंडे का प्यार जागा

13 अक्टूबर 2016
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अपने बयानों को लेकर विवादों में रहने वालों में यूं तो देश के कई नामी गिरामी हैं लेकिल जब पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडे काटजू और पूर्व रेलमंत्री व बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद बोलते हैं तो इसका रंग ही अलग होता है.यह दोनों हस्तियां अपने विवादास्पद बयानों से तत्काल चर्चा में आ जाते हैं.उनके बयान

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नन्हीं बच्चियों की चीख .... कानून कब तक यूं अंधा बहरा बना रहेगा?

17 अक्टूबर 2016
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इज्जत किसे प्यारी नहीं होती...किसी महिला की इज्जत उसकी जिंदगी होती है और कोई अगर इसी को लूट ले तो फिर उसके जीने का मकसद ही खत्म हो जाता है. कुछ अपवादों को छोड़कर हमारे समाज में महिलाएं पुरूषों के मुकाबले बहुत कमजोर होती है जबकि समाज ने झांसी की रानी दुर्गावती जैसी सिंहनियों को भी देखा है मगर सारी

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मौत हसीन है मेहबूबा है...यह हम कहते हैं लेकिन वे भी तो कुछ कहते हैं जो मौत के मुंह से वापस आये...

21 अक्टूबर 2016
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एक ऐसा भेद जिसपर से शायद कभी पर्दा उठ ही नहीं सकता मौत हसीन है, मेहबूबा है...यह हम कहते हैं लेकिन वे भी तो कुछ कहते हैं जो मौत के मुंह से वापस आये... कि न्तु जीवन का आखिरी सिरा आज भी रहस्य ही बना हुआ है! इस हकीकत से सब वाकिफ है कि किसी जीव की पैदाइश कैसे होती है लेकिन

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अक्सीजन पर चल रहे एटीएम.... नोट सिक्कों पर भी भ्रांतियां

8 नवम्बर 2016
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यह समय ई बैंकिंग का है-एटीएम के साथ कुछ बैंकों ने पैसा जमा करने की मशीने भी लगा रखी है.पहले हमें इसके लिये बैंक में जाकर लम्बी लाइन में खड़ा होना पड़ता था. गुस्सा आता था कि पैसा हमारा जमा होता है और परेशान भी हम ही होते हैं. मशीनों की दुनिया ने हमारे हर काम को आसान कर दिया लेकिन परेशानियां भी बड़ा

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कालेधन पर प्रहार..आर्थिक सुधार की दिशा में एक कदम!

10 नवम्बर 2016
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हम जब भी देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकारी कार्रवाई होते देखते आये हैं तब से कथित लोगो के निवास और संस्थान से पांच सौ, हजार रूपये की ढेरों गड्डियां देखकर यह सोचते रहे हैं कि कब हमारा देश सुधरेगा? भ्रष्टाचार से मुक्ति कब मिलेगी और क्या यह पैसा कभी हमारे देश के विकास में लग पायेगा. भ्रष्टाचारियों न

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इस दुर्घटना के लिये किसे जिम्मेदार ठहराया जाये?

22 नवम्बर 2016
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आठ जुलाई उन्नीस सौ अठासी को आईलैण्उ एक्सपे्रस केरल के अशतामुदी झील में गिरी जिसमें 107 लोग मारे गये-यह भारत की पहली बड़ी रेल दुर्घटना थी, इसके बाद आठ अप्रैल उन्नीस सौ अठासी को उत्तर प्रदेश में ललितपुर के पास कर्नाटक एक्सप्रेस पटरी से उतरी और पिचहत्तर लोग काल के गाल में समा गये... बड़ी दुर्घटनाओ का

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डिजिटल तो हम हो गये लेकिन चुनौतियां भी तो कम नहीं!

12 दिसम्बर 2016
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अगस्त 2014 में नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल ने डिजिटल इंडिया का फैसला कर लिया था, करीब एक साल की गहन तैयारी के बाद जुलाई 2015 में इसे धूमधाम के साथ लांच किया गया. देश में आज भी नेटवर्क इतना स्लो है कि हमारा स्थान दुनिया में 115 वां हैं ऐसी परिस्थिति में यह हमारी पहली चुनौती है कि हम अपने इंटरनेट नेटवर्क

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कब तक हम प्रदूषित ध्वनि और जाम की चपेट में फंसे रहेंगे?

14 दिसम्बर 2016
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· रोज सुबह तीन से पांच बजे का समय! जब शहरो में लोग गहरी नींद में होते हैं तब आसपास किसी क्षेत्र से या तो फिल्मी गाने की तेज आवाज आती है या फिर कोई माइक लेकर चीखता चिल्लाता हुआ सुनाई देता है. समझ में नहीं आता कि यह आयोजन किसलिये और किसको सुनाने के लिये?. ध्वनि फेकने वाले स

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संसद सेशन शोरगुल-हंगामे में बाईस दिन यूं ही बीत गया

16 दिसम्बर 2016
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मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में पार्लियामेंट के आठ सेशन हुए हैं. इस बार विंटर सेशन बाईस दिन चला लेकिन प्रोडक्टिवीटी सबसे कम रही. यह अंदेशा तो उसी समय से था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ अक्टूबर को नोटबंदी का ऐलान किया. सब कुछ शायद ठीक चलता यदि सरकार नोटबंद

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कानून बदला किन्तु लोग नहीं बदले!

19 दिसम्बर 2016
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इंटरनेट पर पोर्न साइट देखते हैदराबाद के पैसठ बच्चो को पकड़कर पुलिस ने उनके पालकों के सिपुर्द किया. यह उस दिन से एक दिन पहले की बात है जब दिल्ली के निर्भया कांड ने चार साल पूरे किये.इसी दिन चार वर्ष पूर्व निर्भया बलात्कार और निर्मम हत्याकांड ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया था ,इसी बर्सी के दिन दि

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नोट बंदी- ससंद बदी के बाद अब बजट व उत्तर प्रदेश में दाव पेच!

20 दिसम्बर 2016
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नोटबंदी से अब सब उकता गये हैं,कुछ नया हो जाये,हां बजट की बात की जाये तो इस बार सबका इंतजार उसी पर रहेगा.नोटबंदी-संसद बंदी के बाद जो नया होने वाला है उसमे यूपी का चुनाव और बजट ही है. ऐसी खबरें मिल रही है कि इस बार संभवत: एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में सरकार बहुत कुछ करना चाहेगी जिससे नोटबंदी से न

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बीएसएफ जवानों को घटिया खाना

11 जनवरी 2017
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बीएसएफ के एक जवान का दर्द सोमवार को दिनभर वीडियों के माध्यम से सोशल मीडिया पर चलता रहा और इसे देखने वालों की आंखें खुली की खुली रह गई कि क्या दुश्मनों से हमारी रक्षा करने के लिये तैनात जवानों के साथ उसके कतिपय अधिकारी इस प्रकार का व्यवहार करते हैं? लाखों लोगों ने इस वीडियों को देखा और अपनी प्रतिक्र

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भ्रष्ट आचरण पर सरकार का कठोर जवाब?

13 जनवरी 2017
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अब तक आम लोगों में एक धारणा रही है कि सरकार की सेवा में रहने वाले आईएएस, आईपीएस,आईएफएस का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन अब इस धारणा के खत्म होने का संकेत है.भ्रष्ट आचरण के एक मामले में लिप्त छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. अठारह साल पहले जांजगीर के बाराद्वार मे

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नाव पलटी दर्जनों मरें....कौन है ऐसे हादसों के लिये जिम्मेदार?

16 जनवरी 2017
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यह एक मानवीय प्रवृति बन गई है कि देर से पहुंचे...बस में चढऩा है तो दौड़ के चढ़े, ट्रेन में चढऩा हो तो यहां भी दौड़ लगाये.-प्लेन मिस हो जाये तो सर पर हाथ पकड़कर बैठ जाओं...कभी लाइन में खड़े रहकर सब्र करने की जगह एक दूसरे को धक्का देकर आगे बढऩे की कोशिश में तो कभी कभी बहुत कुछ हो जाता है. यह सब कई साल

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सब कुछ नकली- दवा तो हमें मारने के लिये ही बन रही!

10 फरवरी 2017
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नकली दवाओं के कारोबार में भी हम दुनिया में तीसरा सबसे बड़े देश के रूप में शामिल हो गये हैं-इस संकेत ने मानव जीवन को ही खतरे में डाल दिया है.खाने पीने की हर वस्तु हो या रोजमर्रे के उपयोग में आने वाली वस्तुएं अथवा इंसान का जीवन बचाने के लिये

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मानवता शर्मसार है? अग्रिपथ...अग्रिपथ..अग्निपथ!

14 फरवरी 2017
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फिर वही कहानी...! शवों व असहाय को कंधे पर लादना कोई शौक नहीं और न ही दिखावा है, यह सिर्फ हमारी व्यवस्था द्वारा दी गई चोट है, जिसे भी लोग अपने साथ लाद रहे हैं. हमारी अंधी- बहरी व्यवस्था ने कुछ ऐसा बना दिया है कि प्राय: हर महीने कोई असहाय किसी न किसी को अपने कंाधों पर लादने मजबूर है.इसमें चाहे उस व्

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आजादी के अड़सठ साल-कुछ लोग सोने की थाली में पैदा हुए तो कुछ धोखा देकर बन गये कुबेर

23 फरवरी 2017
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सोचिये!!अगर देश के कतिपय कर्ताधर्ता ईमानदार होते और देश का पैसा देश के लोगों के हित में लगाते तो आज हमारे देश की खुशहाली कैसी रहती? सन् 1947 को देश आजाद होने के बाद से ही देश के अपने लोग ही देश को लूटकर खाने लगे इसमें जहां कतिपय नेता तो

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आतंकी किसी के नहीं...

9 मार्च 2017
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यद्यपि इस बात से इंकार कर दिया गया है कि जिन लोगों को ट्रेन ब्लास्ट के सिलसिले में गिरफतार किया गया है उनका आईएसआईएस से कोई लिंक के संकेत हैं लेकिन उनसे जप्त झंडा तो इस बात का संकेत दे रहा है कि आईएसआईएस से कहीं न कहीं इन का नाता है खैर यह अब जांच एजेंसियोंं के जांच का विषय है लेकिन भारत में आतं

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तो फिर ईव्ही एम को बंद कर बैलेट फिर से लाना चाहिये!

15 मार्च 2017
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उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में सभी पार्टी और नेताओं ने एक-दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.सभी ने एक-दूसरे पर पर्याप्त तंज कसे और अपने आप को सर्वश्रेष्ठ दिखाने की पुरजोर कोशिश की.चुनाव परिणाम आये तो इतना अप्रत्याशित की कई के होश उड गये तो कई फूले नहीं समाये. आखिर यूपी में ऐसा क्या था कि

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महिलाओं की सुरक्षा पर अब कठोर होगा कानून?

21 मार्च 2017
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भारत भी विश्व की उस सूची में शामिल हैं जहां महिलाएं सुरक्षित नहीं है. हम चौथे स्थान पर हैं जबकि हमारी परंपरा संस्कृति सब महिलाओं को इज्जत और आदर देती रही है.भला जिस देश में जहां,नर में राम और नारी में सीता देखने की संस्कृति रही हो, नदियों को भी माता कहकर पुकारा जाता हो, भगवान के विभिन्न अवतारों, ऋ

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एक गुमनाम शव और एक हत्या के दस आरोपिया को माफी

28 मार्च 2017
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विदेश में सेवा देना भले ही कुछ लोगों के लिये अच्छी कमाई का जरिया लगता हो किन्तु कई ऐसे अभागे भीे हैं जिन्हें विदेश जाने के बाद धक्के खाने पड़ते हैं.अच्छी कमाई अच्छा भविष्य का झासा देकर कतिपय लोग उनका हमदर्द बनकर उन्हें विदेश ले जाते हैं किन्तु विदेश में पहुंचने के बाद उनको गुलाम बना दिया जाता है उनक

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क्यों न हो पत्रकारों के लिये भी एक ड्रेस कोड!

6 अप्रैल 2017
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दो दिलचस्प बातें पिछले सप्ताह हुई. एक तो मुम्बई की मुख्य न्यायाधीश ने पत्रकारों के ड्रेस पर सवाल किये जबकि दूसरी बात तिहाड़ जेल की है जहां एक बाहुबली ओर अंडरवल्ड डाँन दोनों ही कैद है. बाहुबली का कहना है कि उसके बगल के कैदी का टीवी जोर- जोर से बज रहा है इसलिये उसे भी जेल प्रशासन टीवी लाकर दें वह वह

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वे गर्दन काट रहे और ये...इनमें उनमें क्या अंतर? इंसान हैं या दरिन्दे!

27 अप्रैल 2017
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लेखिका तस्लीमा नसरीन ने ठीक ही कहा है-''ये मूर्ख माओवादी जवानों को क्यों मारते हैं? ये बिल्कुल आईएसआईएस जैसे हैं. विचित्र सपने पाले कातिलों का एक झुंड हैं ये आईएसआईएस इंसानों का कत्ल क्रूरता की हद तक जाकर करते हैं जबकि सुकमा के जंगलों में कथित रूप से सत्ता पाने की

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प्रयोग करने के मामले में अग्रणी बना मध्यप्रदेश!

4 मई 2017
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छत्तीसगढ़ से अलग हुआ मध्यप्रदेश एक से एक नये प्रयोगों के लिये मशहूर हो गया है.हाल का उसका नया प्रयोग जहां उसका नया फायनेंन्शियल एयर रहा वहीं भ्र्रष्टाचारियों को फ ांसने के मामले में भी वह अव्वल रहा किन्तु इसी मध्यप्रदेश में ऐसे -ऐसे कांड भी हुए हैं जिसने देश को हीं नहीं विदेश को भी चौका दिया है. इन

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'सजाएं मौत....फिर भी नहीं चेते दुष्कृत्याचारी!

15 मई 2017
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अभी सप्ताहभर भी नहीं हुआ होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने दो चर्चित मामलो में अपना निर्णय दिया जिसमें से एक में आरोपियों को जहां सजाएं मौत की सजा सुनाई गई और दूसरे में आजन्म कैद की सजा के हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा गया. दोनो ही मामले जिसमें एक बिलकिस मामला है तो दूसरा दिल्ली का निर्भया कांड. इन फैसलों

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क्या सारे राज्य किसानों के ऋण माफ करेंगे?

14 जून 2017
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बरसात आते ही किसानों का आंदोलन यद्यपि कुछ ठंडा पडऩे लगा है लेकिन इससे पूर्व का दृश्य देखे तो यह उन दिनों की याद दिला देता है जब केन्द में वीपी सिंह की सरकार थी और आरक्षण की ज्वाला मंडल-कमडंल के रूप में उठी थी. उस समय भी आंदोलन इतना उग्र था कि लोग मरने मारने को उतारू थे. आत्मदाह का प्रयास भी हुआ और

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रेलवे का निजीकरण...कितना लाभ आम यात्रियों को मिलेगा?

14 जून 2017
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क्या देश के सबसे बड़े कारोबार रेलवे का पूर्ण निजीकरण शुरू हो गया है?अगर निजीकरण हो रहा है तो इसका फायदा किसको कितना मिलेगा? प्रारंभिक सरकारी पहल से तो कुछ ऐसा ही लगता है कि सरकार ने फिलहाल देश के सबसे मशहूर रेलवे स्टेशनों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत

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क्रिकेट ने नाक कटाई

20 जून 2017
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क्रिकेट में शर्मनाक हार के बीच हॉकी में पाकिस्तान पर सबसे बड़ी जीत देश के क्रिकेट प्रेमियों के दर्द को जरूर कम करती है लेकिन इस प्रतिष्ठा की लड़ाई में पराजय ने हमें यह सोचने के लिये भी विवश कर दिया है कि हम क्रि केट को ही क्यों इतना महत्व दे कि उसके सामने दूसरे खेल

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इतनी धन- संपदा कि..फटी रह गई लोगों की आंखें...!

10 जुलाई 2017
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अब यह बात लगभग साफ होने लगी है कि विदेशों में जमा काले धन से कुछ ज्यादा ही माल हमारे देश के कतिपय परिवारों ने जमा कर रखा है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और रेल मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग सम्हालने वाला व्यक्ति भले ही यह कहें कि उनपर कार्रवाही राजनीतिक बदले की भावना से की गई है तो विश्वास करने वाली

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कोड़ानेर का रिकार्ड शहरों की हत्याएं तोड़ रही है..!

14 जुलाई 2017
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे जिलों में हीनियस क्राइम इतने बढ़ गए हैंंंंंंंंंंंंंं कि यह अब बस्तर जिले के कोड़ानेर इलाके को भी पीछे छोड़ रहे हंै. एक दो पखवाड़े के दौरान रायपुर शहर और उसके आसपास के शहरों में हुए अपराध जहां रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं वहीं इन अपराधों के पीछे छिपी कहानियां लोगो

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सीबीएस सी कोर्स या बोझ का पिटारा!

19 जुलाई 2017
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इस समय सबसे ज्यादा मुसीबत में कोई है तो वह है माता-पिता और किसी भी घर का नन्हा मुन्ना वारिस जो स्कूल प्रबंधन, शिक्षक-शिक्षिकाओं और सरकार के बीच में बुरी तरह फंसा हुआ हैं. सीबीएससी कोर्स एक तरह से शिक्षा न होकर पहाड़ बन गया है, जिसके नीचे दबकर माता-पिता चीख रहे हैं -

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आजाद भारत का स्वास्थ्य...!

16 अगस्त 2017
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हम आज उस घटना का उल्लेख कर लोगों की आंखों का और नम नहीं करना चाहते जिससे गोरखपुर के लोग आज भी सदमेे में हैं चूंकि उनको ऐसा जख्म मिला है जिसपर मरहम लगाना संभव नहीं है लेकिन उस घटना से कम से कम स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सेवा? देने वालों की आंखें खुल जानी चाहिये कि आखिर

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अब सुषुप्त धाराओं को जगाने का समय?

17 अगस्त 2017
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हम अपने संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार का कितना दुरूपयोग करते हैं इसपर आत्मचिंतन की जरूरत है. हम अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर न केवल अपने आपको धोखा दे रहे हैं बल्कि स्वच्छता व अमन पसंद लोगों के अधिकारों कर भी हनन कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिर एक बार लालकिले की प्राचीर

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ब्लू वेल का एक दूसरा भाई भी है सुपर बाइक स्टंटबाज!

18 अगस्त 2017
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पौने छै: लाख रूपये मूल्य की सुपर बाइक से अपने दोस्तों के साथ रेस लगा रहे दिल्ली के एक लड़के की दीवार से टकरा जाने से मौत हो गई.यह तो हुई इंडिया की बात केलिफोर्नियां में एक युवक गहरी खाई में जा गिरा किस्मत अच्छी कि बच गया. विदेशों में यह आम बात है. दिल्ली में मृत चौबीस

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फिर खिसके प्रभु पटरी से....क्यों ढीली है प्रभू की पटरी?

21 अगस्त 2017
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देश में बीते 5 साल में 586 रेल हादसे हुए. इनमें से 53प्रतिशत एक्सीडेंट्स ट्रेन के पटरी से उतरने के चलते हुए शनिवार शाम यूपी के खतौली स्टेशन के पास उत्कल एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतरने के चलते 23 लोगों की मौत हो गई और 156 जख्मी हो गए।.रेलवे की इस भीषणतम ट्रेन दुर्घटना की खबर ने दुनिया को चौका

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फिर खिसके प्रभु पटरी से....क्यों ढीली है प्रभू की पटरी?

21 अगस्त 2017
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देश में बीते 5 साल में 586 रेल हादसे हुए. इनमें से 53प्रतिशत एक्सीडेंट्स ट्रेन के पटरी से उतरने के चलते हुए शनिवार शाम यूपी के खतौली स्टेशन के पास उत्कल एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतरने के चलते 23 लोगों की मौत हो गई और 156 जख्मी हो गए।.रेलवे की इस भीषणतम ट्रेन दुर्घटना की खबर ने दुनिया को चौका

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अब जुड़ेंगी नदियां एक दूसरे से देर हुई मगर लाभ होगा!

5 सितम्बर 2017
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भारत की सारी बड़ी नदियों को आपस में जोडऩे का प्रस्ताव पहली बार इंजीनियर सर आर्थर कॉटन ने 1858 में दिया था. कॉटन इससे पहले कावेरी, कृष्णा और गोदावरी पर कई डैम और प्रोजेक्ट बना चुके थे लेकिन तब के संसाधनों के बूते से बाहर होने के चलते यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी.1970 मे

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न्याय में देर है अंधेर नहीं...देरी अब चुभने लगी है!

8 सितम्बर 2017
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घिनौने और क्रूर अपराधों से हमारा इतिहास भरा पड़ा है. इसमें दो मत नहीं कि देश के कानून ने क्रूरतम अपराधों में लिप्त लोगों को बख्शा भी नहीं किन्तु न्याय प्राप्ति में देर अब भी एक समस्या बनी हुई है इसके पीछे मौजूद कारण बताने की जरूरत नहीं. न्

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रफतार की नई तकनालाजी...लो आ गई बुलेट ट्रेन!

15 सितम्बर 2017
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भारत में इस गुरूवार को जापान और भारत के बीच रफतार की एक नई तकनालाजी का उदय हुआ है. इसमें दो मत नहीं कि जब भी हमारे देश में कुछ इस तरह की तकनालाजी या संस्कृति कदम रखती है तो उसका पहले विरोध होता है जैसा पहले टीवी, कम्पयूटर का हुआ. हाल ही ड्रायवर लेस कार ने ऐसे विरोध को हवा दी. परिवहन मंत्री ने तो य

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क्यों बन गये हैं भारत के लिए रोहिग्या सिरदर्द?

19 सितम्बर 2017
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क्यों बन गये हैं भारत के लिए रोहिग्या सिरदर्द? एक सरदर्द हमारे ऊपर उस इंटेलिजेंस रिपोर्ट के बाद और बढ़ गया जिसमें कहा गया है कि भारत-म्यांमार बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा के बीच रोहिंग्या मुसलमान पेशेवर तस्करों की मदद से समुद्र के रास्ते देश में घुसपैठ कर सकते हैं. रोहिंग्या मुसलमान स्थानीय एजेंसियों द्

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ब्रांडेड दवाओं से तेरह गुना तक सस्ती दवा के खिलाफ कौन सी साजिश?

21 सितम्बर 2017
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जैनरिक दवाओं के मामले में भारत की गिनती दुनिया के बेहतरीन देशों में होती है. इस समय भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा जैनरिक दवाओं के उत्पादक वाला देश है किन्तु कितने चिकित्सक ऐसे हैं जो अपनी पर्ची में जैविक दवा लिखते है ? भारत से हर वर्ष करीब बयालीस हजार करोड़ रुपए की जैनरिक दवाएं बाहर दूसरे देशों

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लड़की की बात वीसी सुन लेते तो क्या इतना बड़ा ववाल होता ?

27 सितम्बर 2017
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बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में गर्ल्स स्टूडेंट्स पर किए गए लाठीचार्ज के मामले की जांच रिपोर्ट आ गई है जिसमें जांचकर्ता कमिश्नर ने यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को जिम्मेदार बताया है वहीं, वाइस चांसलर (वीसी) ने कैम्पस में हुए लाठीचार्ज की बात को झूठा करार दिया है.आपस मे बातचीत नहीं रहने अथवा संवा

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क्या जनहित पर लिये गये निर्णयों से जनता को फायदा हो रहा?

29 सितम्बर 2017
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इसमें दो मत नहीं कि नोट बंदी के बाद ही इस बात के कयास लगने शुरू हो गये थे कि इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत पड़ सकता है.आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के बाद यह लगभग स्पष्ट हो गया कि नोटबंदी का फायदा उतना नहीं हुआ जितनी कि सरकार ने उम्मीद की थी इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि आधे से ज्याद

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पुलों पर ही नहीं स्टेशनों पर भी मौत का साया!

2 अक्टूबर 2017
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पुलों पर ही नहीं स्टेशनों पर भी मौत का साया! मुंबई के एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के हादसे ने कुछ पुराने हादसों की याद दिला दी.सवाल यह है कि हम हादसों से सबक क्यों नहीं सीखते?हमारी सरकारें दुर्घटनाओं के बाद सक्रिय हो जाती है-राजनीतिक पार्टियों का एक दूसरे पर दोषारोपण शुरू हो ज

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स्वच्छ भारत अभियान के तीन साल ...!

4 अक्टूबर 2017
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भले ही हम दावा करें कि स्वच्छता के मामले में हमने बहुत कुछ कर लिया है किन्तु हकीकत यही है कि अभी हमें बहुत कुछ करना है.आज सुबह जब मैं मार्निंग वाक पर निकला तो मुझे इस बात का एहसास हुआ कि इतना सब कुछ होने के बाद भी लोग जागरूक नहीं है. हम राजधानी मे रह रहे हैं और यहां की गरीब बस्ती में रहने वाले आज

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दंडधारी चौकीदार दरोगा से 'पुुलिस तक का सफर कितना सफल?

9 अक्टूबर 2017
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दंडधारी, चौकीदार, दरोगा से 'पुुलिस तक का सफर कितना सफल? प्राचीन भारत का स्थानीय शासन मुख्यत: ग्रामीण पंचायतों पर आधारित था गाँव के न्याय एवं शासन संबंधी कार्य ग्रामिक नामी एक अधिकारी द्वारा संचलित किए जाते थे. इसकी सहायता और निर्देशन ग्राम के वयोवृद्ध करते थे. पुलिस व्यवस्था के विकासक्रम में उस क

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जनता के मूड पर निर्भर रहेगा अब का चुनाव!

11 अक्टूबर 2017
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इस साल के आखिर तक होने वाला गुजरात विधानसभा का चुनाव यह बतायेगा कि अगले चुनावों में देश की दिशा क्या होगी? क्या भाजपा अगले सालों में सता पर बनी रहेगी? क्या अहमद पटेल की जीत के बाद गुजरात में माहौल बदला है? कांग्रेस इसी उत्साह से मैदान में उतरेगी कि उसे यहां फिर सत्ता में आसीन होने का मौका मिलेगा.

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आखिर हत्यारें कौन? क्यों मिली निर्दोष को सजा

13 अक्टूबर 2017
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यह विचित्र बात है कि नौ साल बाद भी हमारे देश की जांच एजेंसिया यह पता नहीं लगा पाई कि बाहर से बंद बंगले में चार लोगों के बीच रह रहे दो व्यक्तियों की सनसनीखेज ढंग से की गई हत्या का असली मुलजिम कौन हैं.सवाल यह उठता है कि क्या यह मामला भी अब उन पुराने मामलों की तरह गुमनामी में चला जायेगा जिसमें वास्त

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भारत में १९ करोड़ लोग रोजाना भूखे पेट सोते हैं.

17 अक्टूबर 2017
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देश में चार में से एक बच्चा कुपोषण का शिकार है। 58 फीसदी बच्चों की ग्रोथ 2 साल से कम उम्र में रुक जाती है ...और दूसरी और वीवीआईपी संस्कृति में जीने वाला एक पूरा कुनबा भी है जो हीरे और सोने से लदा है फिर भी खुश नहीं! इतनी सुविधाएं कि आंखे फटी रह जाये! हम भले ही अपने

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ढोल बजा नहीं शोर गूंजने लगा!

25 अक्टूबर 2017
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जी हां कुछ ऐसी ही स्थिति है गुजरात चुनाव की.चुनाव आयोग ने अभी गुजरात में चुनाव तिथियों का ऐलान नहीं किया है किन्तु इस बीच गुजरात को फतह करने जोड़तोड़ शुरू हो गई है. जनता जिसे सबकुछ करना है वह शांत व मूक दर्शक है लेकिन सत्ता पर काबिज होने के लिये बेताब रणबाकुरे कोइ्र्र भी खेल इस दौरान खेलने बेताब ह

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कोई दलील नहीं कोई सुनवाई नहीं- फैसला ऑन द स्पॉट!

27 अक्टूबर 2017
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कोई दलील नहीं, कोई सुनवाई नहीं- फैसला ऑन द स्पॉट!हमारे आसपास होने वाली कुछ घटनाओं को सुनकर या देखकर हमारा सिर शर्म से झुक जाता है और उस कानून पर भी तरस आता है जिसके रहते मनुष्यों या जानवरों पर जुर्म करने वालों पर कार्रवाई नहीं होती. हाल ही

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युवा पीढ़ी के दिमाग में सिर्फ किताबी किस्से ही क्यों?

9 नवम्बर 2017
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आजादी के बाद के कई वर्षो तक प्राथमिक शिक्षा का जो माहौल था वह बच्चों में थोड़ा या कहीं -कहीं ज्यादा डर पैदा कर कुछ सिखाने का रहता था. मंशा यह रहती थी कि बच्चा पढ़ाई के साथ कुछ ऐसा भी सीख ले कि वह आगे जाकर किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ भी दे तो उसे जो बुनियादी सीख दी गई है

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हम बस सत्तर सालों से 'आजाद हैं!

9 नवम्बर 2017
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लोकतंत्र का बड़ा पर्व चुनाव अब उस मुकाम पर पहुंच गया है जहां आम आदमी के मुकाबले ज्यादातर पैसे वालों व बाहुबली की भागीदारी हो रही है. गरीब, मजदूर और किसान की कोई पूछ नहीं होती, क्योंकि इस पर्व में सिर्फ पैसा बोलता है. अगर अवैध धन की बात

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यह अकेले फोर्टिस अस्पताल का मामला नहीं!

22 नवम्बर 2017
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गुडग़ांव के फोर्टिस हॉस्पिटल में डेंगू से पीडित एक सात साल की बच्ची को पन्द्रह दिनों तक भर्ती करके उसका इलाज किया गया और उसके बाद उसकी मौत हो गई इसके बाद परिवार पर तो जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. बच्ची को पन्द्रह दिन तक इलाज करने के नाम पर परिवार पर करीब अठारह लाख रूपये का बिल थमा दिया.यह सुनक

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ट्रेन दुर्घटनाओं की कड़ी बढ़ रही है फिर भी खाली पड़े है एक दशमलव इकत्तीस लाख पद !

24 नवम्बर 2017
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यूपी के चित्रकूट के पास हुए आज सुबह करीब चार बजकर तीस मिलिट पर एक ट्रेन हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई और नौ घायल हो गए हैं. ये हादसा मानिकपुर स्टेशन पर हुआ है. रेल मंत्रालय ने हादसे में मरनेवाले के परिवार को 5 लाख और गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख रुपये और घायलों को पच

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ऐसे लाकर जिसमें रखे पैसे की कोई सुरक्षा नहीं!

29 नवम्बर 2017
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14 सिंतंबर 2004 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर मेेंं दिन-दहाड़े सुबह करीब साढ़े दस बजे शहर के मुख्य मार्ग स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंदौर से पाँच करोड़ रुपए लूट लिए गये थे. यह बहुत बड़ी लूट थी तब से अब तक का लम्बा समय गुजर गया लेकिन न बैंक वाले चेते न पुलिस और न प्रशासन. सु

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किस्मत बदलती है दाना अब खुशहाल लेकिन...!

7 दिसम्बर 2017
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मनुष्य जीवन के बारे में बहुत सी बाते कहीं गई हैं-कहा जाता है कि इंसान पैदा होते ही अपने कर्मो का सारा फल अपने साथ लेकर आता है. यह भी कहा जाता है कि जिसके किस्मत में जो हैं उसे मिलकर ही रहेगा. यह भी कहा गया है कि मनुष्य को अपने कर्मो का

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क्यों हो गये हमारे 'धरती के भगवान इतने निर्दयी?

4 जनवरी 2018
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हम अपनी स्वास्थ्य सेवाओं की जितनी भी बढ़ चढ़कर बात करें लेकिन हकीकत यही है कि गरीब आदमी स्वास्थ्य सुविधा पाने के लिये इन धरती के भगवानों के सामने एडी चोटी एक कर रहा है किन्न्तु वह निराश-परेशान है. इस धरती के भगवान की नाखुशी या लापरवाही के चलते उसे या तो अपने अभिन्न को खोना पड़ रहा है या फिर ढेर स

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यूपी के कदम का अनुसरण करें अन्य राज्य भी!

11 जनवरी 2018
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ध्वनि प्रदूषण कई मायनों में मानव जीवन को प्रभावित करने वाली एक बड़ी समस्या के रूप में उबरकर सामने आया है. अत्यधिक शोर स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है.ध्वनि प्रदूषण मानव व पशु जीवन के लिए असंतुलन का कारण है हालांकि ध्वनि, जल, वायु व मृदा प्रदूषण आदि से कम हानिकारक है परन्

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प्रकृति पर हावी हो रही हमारी व्यवस्था!

6 फरवरी 2018
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कुछ नया करने के लिये तोडफ़ोड़ व पुराने वृक्षों को हटाना जरूरी है साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिये कि यह हमारे लिये आने वाले समय में मुसीबत न बन जायें. यह सोचने की जरूरत है कि अगर हम वृक्षों की कटाई करते हैं तो आगे आने वाले वर्षों में इसका प्रभाव वातावरण पर क्या पडऩे वाला है पिछले कुछ सालो

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काले धूल के राक्षसों का उत्पात...क्यों खामोश है प्रशासन?

8 फरवरी 2018
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के औद्योगिक क्षेत्रों-उरला, सिलतरा, सोनढोंगरी,भनपुरी से निकलने वाली काली रासायनिक धूल ने पूरे शहर को अपनी जकड़ में ले लिया है .यह धूल आस्ट्रेलिया के औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाली धूल से 18 हजार गुना ज्यादा है. यहां करीब तीन दर्जन उद्योग ऐसे हैं जो चौबीसों घंटे धूल

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गरीब-मध्यम के हाथ से फिसल रहा गैस-तैल!

9 फरवरी 2018
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गरीब-मध्यम के हाथ से फिसल रहा गैस-तैल! शनै शनै हम कुछ ऐसी वस्तुओ पर आश्रित होते जा रहे हंै जो हमारे लिए जरूरी तो है किन्तु हमारी आर्थिक क्षमता अब उसे स्वीकार करने लायक नही रह पा रही है, इसमे सबसे महत्व की बात तो यह है कि जिन्हें हमारे लिए इसका प्रबंध करना है वे ही इससे या

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छत्तीसगढ़ मेें 'एम्स... नाम बड़े, दर्शन छोटे

10 दिसम्बर 2019
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सिर्फ 'छींकने वालों की जांच के लिये क्यों बना दिया अस्पताल ?पांच साल से ज्यादा का वक्त गुजर गया.. मरीजों को दूसरे अस्पताल जाने का डायरेक्शन दिया जाता है... साफ्टवेयर अपडेट करने जैसे मामलों के लिये दस रूपये की वसूली... वह भी बिना रसीद के..करोडों रूपये खर्च करने के बाद

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वो तीन घंटे....

11 जनवरी 2020
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वो तीन घंटे....उनने तो मुझे मौत का द्वार दिखा ही दिया था... लेकिन आज पांच: साल बाद भी जिंदा हूं!यह हकीकत है.... हममें से कइयों की जिंदगी में ऐसा भी होता है जब हम किसी व्यक्ति या समूह के जाल में फंस गये होते हैं.एक ऐसा किस्सा मेरे साथ भी हुआ है जब मुझे जीते जी मारने का प्रयास किया गया. यह कोई हादसा न

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गुम इंसान की खोज लाश दिखाकर!

26 जनवरी 2020
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गुम इंसान की खोज लाश दिखाकर!(वेणोन्गिल चक्का वे-रेलुम कायकिम)यह एक मलयालम कहावत है जिसका हिन्दी अनुवाद है - चाहे तो कटहल(जेक फ्रूट) जड़ों में भी लग सकता है. इस कहावत का उपयोग हम यहां उस पुलिस व्यवस्था पर कर रहे हैं जो बहत्तर वर्ष पूर्व के अंग्रेज शासनकाल से बस यूं ही चली आ रही है अगर वह चाहे तो क

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करोना तूफान है तो सोशल मीडिया सुनामी!

16 मार्च 2020
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करोना तूफान है तो सोशल मीडिया सुनामी!बात का बतंगढ़ बनाना तो कोई इनसे सीखें..दुनिया के साढ़े छै: हजार से ज्यादा लोगों को खाकर भी करोना का दिल नहीं भरा! भारत ने कई मुसीबतों का सामना किया..... लेकिन अब भी दम है!एम.ए.जोसेफहम भारतवासी जिस मिटठी के बने हैं वह अद्भुत है. हममें प्रतिरोधक शक्ति है. हममें सब

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चीन मोदी के संकेतों को समझ जाये तो ठीक!

4 जुलाई 2020
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चीन मोदी के संकेतों को समझ जाये तो ठीक!यह मानना बेमानी होगी कि चीन के रवैये में कोई बदलाव होगा. यह बात उसी समय साबित हो चुकी थी जब चीन के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष ने भारत आकर हिन्दी-चीनी भाई भाई का नारा दिया था तथा चीन लौटने के तुरन्त बाद भारत पर हमला कर दिया था. चीन की मक्कारी ही उसकी कूटनीती है जो

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भेदियों से देश को कितना नुकसान!

5 जुलाई 2020
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भेदियों से देश को कितना नुकसान!अक्सर होता यह है कि किसी आपराधिक वारदात को रोकने पहले कोई एहतियाती कदम नहीं उठाये जाते किन्तु जब हो जाता है तो यह बवंडर बन जाता है तथा उसके पीछे जनता का पैसा इतना खर्च हो जाता है कि उसकी कोई सीमा नहीं रहती. उत्तर प्रदेश में भले ही छोटे मोटे अपराध को ज्यादा तबज्जो नहीं

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छत्तीसगढ़ अग्रणी है अग्रणी, रहेगा!

6 जुलाई 2020
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वनोपज ही नहीं, धरती से उत्पन्न हर वस्तु हमारी धरोहरहमआत्म निर्भर हैं फिर क्यों फैलाएं हाथ किसी के सामने?एम.ए.जोसेफइस करोना युग में छत्तीसगढ़ सरकार से मिली इस खबर ने सुकून ला दिया कि छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संग्रहण के मामले में देश में अव्वल

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प्रकृति ने इंसान को आइना दिखाया

9 जुलाई 2020
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प्रकृति ने इंसान को आइना दिखाया मुफत में कोरोना भूकंप,बाढ़,आग,टिड्डी और बहुत कुछ...पहले कलयुगी मानव ने दुनिया को लालच दिया कि तुम एक खरीदों, हम तुम्हें दो देंगे....लेकिन प्रकृति ने अब उसे ऐसा करारा जवाब दिया कि एक के बाद एक कई विपत्तियां मुफत में मिलने लगी. प्रकृति की मार के आगे आज मनुष्य बेबस और ल

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डाँन की 774 किलोमीटर यात्रा, किसने की मदद?

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डाँन की 774 किलोमीटर यात्रा, किसने की मदद?अंतत: डाँन का अंत,कोई ड्रामा काम नहीं आ पाया! मौत के बाद कई राज दब गये?बिल्कुल फिल्मी स्टाइल पर डाँन विकास दुबे कानपुर से सत्रह किलोमीटर पहले भौती में पुलिस की गोली का शिकार हो गया. पूरे उत्तर

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गुम इंसान की आप बीती...

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गुम इंसान की आप बीती...मानव तस्करों के जाल से ऐसे मुक्ति मिली दीपक को.....दीपक गवरे पिता प्रेमलाल गवरे नामक मजदूर अंतत: अपने परिवार में वापस तो आ गया लेकिन अपने गुम होने के करीब बीस -बाईस दिन उसने कैसे बितायें यह एक दिलचस्प कहानी है. गुम इंसान की खोज लाश दिखाकर-इस शीर्ष से इस साल के शुरू में दीपक

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कोरोना तो करोना, सांप भी पीछे नहीं!

14 जुलाई 2020
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कोरोना तो करोना, सांप भी पीछे नहीं!इस समय कोरोना ही नहीं सर्प भी लोगों का दुश्मन बना हुआ है. देश में इस समय मानसून और कोराना का दौर चल रहा है.कोरोना और सर्प का विष दोनो ही मनुष्य पर हावी है. कोरोना से मौत का सिलसिला हमारे देश में इस साल शुरू हुआ किन्तु पिछले बीस सालों में सांप के काटने से तकरीबन

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शहर रौशन है तो गांवों के लोगो ने क्या जुर्म कर दिया!

15 जुलाई 2020
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शहर रौशन है तो गांवों के लोगो ने क्या जुर्म कर दिया!मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं हैं- रोटी,क पड़ा,मकान, हवा,पानी,ओैर रौशनी इनमें से एक भी न मिले तो इंसान का जीना दूबर हो जाता है. अगर यह बात देश में आने-जाने वाली हर सरकार पिछले तेहत्तर चौहत्तर सालों में भी समझ जाती तो शायद आज हमारे देश के गांवों की

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क्यों है कांग्रेस की जवानी में आक्रोश! नेतृत्व में क्यों नहीं होता बदलाव?

20 जुलाई 2020
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क्यों है कांग्रेस की जवानी में आक्रोश! नेतृत्व में क्यों नहीं होता बदलाव?कांग्रेस में युवा नेताओं के बीच क्यों है आक्रोश? आजादी के बाद कई सालों तक सत्ता में रहने वाली देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस आज अंदरूनी अंतरद्वंद से जूझ रही है. वह लगातार जमीन छोड़ती जा रही है.ऐसे में शीर्ष पर राजनीति करन

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किसके जरिये यूएईसे तस्कर हुआ पन्द्रह करोड़ का सोना?

21 जुलाई 2020
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किसके जरिये यूएईसे तस्कर हुआ पन्द्रह करोड़ का सोना?पन्द्रह करोड़ रूपये का तीन सौ किलो सोना- केरल के तिरूवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक कैसे पहुंचा यह इन दिनों चर्चा का विषय है. इतने सोने की तस्करी की बात केरल जैसे राज्य के लोगों को भी हजम नहीं हो रही है जो अपने शरीर पर भारी मात्रा में सोना पह

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निजता के अधिकार को और कितनी बार चुनौती ?

22 जुलाई 2020
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निजता के अधिकार को और कितनी बार चुनौती ?फिर एक बार फोन टेपिंग सुर्खियों में र्है. पूरे भारत में लगभग 6000 से ज्यादा फोन रोज टैप होते हैं. अक्सर नेताओं, बड़े लोगों और कभी- कभी फिल्मी सितारों के फोन भी टैप हो जाते हैं. बहुत से लोगों ने फोन टेपिंग की खबर सुनी है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर यह क

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कौन जाने बेबस लोगों का दर्द...फ्री में मिल रही है प्राकृतिक आपदाएं!

26 जुलाई 2020
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कौन जाने बेबस लोगों का दर्द...फ्री में मिल रही है प्राकृतिक आपदाएं!प्राकृतिक आपदाओं से तबाही का मंजर सिर्फ हमारे देश में नहीं बल्कि अपने पडौसी देशों के साथ विश्व के अनेक देशो में मिल रहा है. मानसून शुरू होने के बाद प्राय: हर वर्ष बाढ़ का ताण्डव शुरू हो जाता है. इस बार जानलेवा कोराना वायरस की बीमारी

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जीवन शैली में बदलाव जरूरी वरना परिणाम भोगना होगा!

29 जुलाई 2020
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जीवन शैली में बदलाव जरूरी वरना पालकों को परिणाम भोगना होगा! विश्व आज विकट परिस्थियों से जूझ रहा है. कोराना महामारी से लेकर भूकंप, बाढ और अपराध की बढ़ती हुई घटनाओं ने इससे निपटने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कुदरत ने अभिभावकों पर डाल दी है .आज अगर उन्होंने अपने बच्चों में आ

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अन्नदाताओं पर प्रकृति का कहर!

30 जुलाई 2020
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अन्नदाताओं पर प्रकृति का कहर!पहले लोन से परेशान अब कृषक प्रकृति की मार से बेबस हैं.इस बार हमारे लिये अनाज पैदा करने वालों दो तरफा या कहे तितरफा मार पड़ी है. लाकडाउन, टिड्डी दल फिर बाढ़.किसान कुदरत की इस मार को झेल ही रहे हैं कोई ठोस समाधान भी इस बारे में नहीं निकल रहा. आगे चलकर हर आम आदमी को किसानों

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सुशांत की मौत सुसाइड या हत्या?, क्या पूर्व में हुई एक्टरों की मौत का राज भी खुलेगा?

31 जुलाई 2020
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सुशांत की मौत सुसाइड या हत्या?, क्या पूर्व में हुई एक्टरों की मौत का राज भी खुलेगा? फैंस को रुलाने वाले बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत पहले व्यक्ति नहीं है जिन्होंने कथित खुदकुशी का रास्ता अपनाया.बॉलीवुड की चकाचौंध ऐसी नहीं है जिसमें हर कोई खुश ही रहता है. सुशांत युवाओं की पसंद थे और उनकी पहचान

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यह घिनौना खेल आखिर कब तक! बच्चियां खतरे में!

7 अगस्त 2020
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यह घिनौना खेल आखिर कब तक! बच्चियां खतरे में!यह इंसान नहीं राक्षस है और इनकी हैवानियत यूं कब तक चलती रहेगी- यह अपने आप एक यक्ष प्रश्न है.सात साल तक कानूनी जंग लडऩे के बाद दिल्ली में निर्भया के माता पिता को न्याय मिला और अपराधियों को फांसी पर लटकाया गया लेकिन अपराधियो के हौसले में कोई कमी नहीं आई. नि

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छत्तीसगढ़ में काजू....है न आश्चर्य की बात!

7 अगस्त 2020
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छत्तीसगढ़ में काजू....है न आश्चर्य की बात!यह आश्चर्य और खुशी की बात है कि दक्षिण के राज्यों का एकाधिकार बने काजू का उत्पादन अब छत्तीसगढ़ में भी होने लगा है और सबसे खुशी की बात तो यह है कि इसका उत्पादन लक्ष्य से तीन गुना ज्यादा हुआ है. हमें इस बात पर गर्व करना चाहिये कि विश्व में सबसे ज्यादा पसंद करन

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थरूर की परेशानी ओर राजनीति मे जहर का घूट पीते वरिष्ठ

11 अगस्त 2020
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थरूर की परेशानी ओर राजनीति मे जहर का घूट पीते वरिष्ठकांग्रेस अंदर ही अंदर झुलसने लगी है: अब उसके बडे नेता नेत्रत्‍व कोलेकर खुल्‍लम खुल्‍ला बेबाक हैं:सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता शशि थरूर इस मामले में सबसे आगे हैं वे कोईभी बात खुल

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क्‍यों नहीं बन पाया रायपुर देश में अव्‍वल?

24 अगस्त 2020
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क्‍यों नहीं बन पाया रायपुर देश में अव्‍वल?कौन है इसके लिये जिम्‍मेदार!राजधानी को सुधारने के पहले क्‍या नई राजधानी जरूरी थी?एम:ए:जोसेफजब मध्‍यप्रदेश का एक बडा शहर इन्‍दौर और छत्‍तीसगढ में एक छोटा साशहर अंबिकापुर देश में स्‍वच्‍छता का सर्वश्रेष्‍ठ उदाहरण बन सकता है तो इस राज्‍यकी राजधानी रायपुर में क

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गो धन न्‍याय: पशुपालको के चेहरे खिले - अगस्त 24, 2020

25 अगस्त 2020
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गो धन न्‍याय: पशुपालको के चेहरे खिले- अगस्त 24, 2020 गो धन न्‍याय: पशुपालको के चेहरे खिले छत्‍तीसगढ में गाय भैस पालने वालो के लिये एक समस्‍या थी उनसे‍ निकलने वाले गो‍बर की: वे इसे या तो अपनी बाडी में ही फेक दिया करते थे या फिर कंडा या छेना बनाकर रख देते थे ताकि जरूरत के वक्‍त इसका उपयोग कर सके लेकिन

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‘समानांतर मुकदमा’ न चलाए मीडिया!

30 अगस्त 2020
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‘समानांतर मुकदमा’ न चलाए मीडिया!पिछले कुछ दिनों से लोग अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस पर अदालतो से अलगएक समानांतर मुकदमा देखते रहे: कइयों ने इसे देखकर न केवल आश्‍चर्य प्रकट कियाबल्कि इसे मीडिया का अनावश्यक दखल भी कहा: वास्‍तव में यह क्‍या था और क्‍यों कियागया यह सोचने का विषय है टीवी स्‍क्र

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छत्‍तीसगढ के स्‍कूलों में अब नहीं ली जा सकेगी मनमानी फीस !

1 सितम्बर 2020
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छत्‍तीसगढ के स्‍कूलों में अब नहीं लीजा सकेगी मनमानी फीस ! वैसे तो देशभर में स्‍कूलफीस अभिभावकों के लिये एक समस्‍य बनती आई है लेकिन अब कम से कम छत्‍तीसगढ सरकार नेतो इसपर संज्ञान लिया है: पालकों की समस्‍याओं को समझते हुए विधानसभा के मानसूनसत्र में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन विधेयक 2020 बहु

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एक रूपये नहीं तो जेल, झूठे आरोप की सजा

4 सितम्बर 2020
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एक रूपये नहीं तो जेल, झूठे आरोप की सजा ! एक गरीब व्यक्ति से लेकर एक बड़े से बड़े व्यक्ति तक उसकी इज्जत उसके लिए बहुत माईने रखती है. कहा भी गया की व्यक्ति को अपनी इज्जत बनाने में वर्षो लग जाते है और गवाने में एक मिनट ही काफी है. समाज में प्रत्येक व्यक्ति को ये अधिकार है की वो अपनी मान प्रतिष्‍ठा, इज्

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एक और हैवानियत….अंघेरी रात में पुलिस ने जलाई चिता?

1 अक्टूबर 2020
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एक और हैवानियत….अंघेरी रात में पुलिस ने जलाई चिता?हृाथरस में इंसानों के बीच मौजूद राक्षसो ने फिर अपना असली रूप दिखाया और हम एक बार फिर वही डायलाग दोहरा रहे हैं जो इससे पहले मानवता को शर्मसार करने की अन्‍य घटनाओं के समय हुआ: कडी सजा देगे

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कब तक मौन रहोगे विदुरों? जब सर ही कट जायेगा तो….!

2 अक्टूबर 2020
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कब तक मौन रहोगे विदुरों? जब सर ही कट जायेगा तो….!रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी डायरी में लिखा है कि मुझे एक शालीन कवि होने के नाते रक्त पीने जैसी बात शायद नहीं लिखनी चाहिए थी पर मैंने इसलिए लिख दी है ताकि आने वाले कल में इतिहास याद रखें कि जब सब सरकारी सरोकारी लोग मौन थे तो इस देश के एक कवि को इतना गुस

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गरीब और असहाय लोगो की डोर किसके हाथ में?

4 अक्टूबर 2020
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गरीब औरअसहाय लोगो की डोर किसके हाथ में?यूपी केहाथरस रेप कांड ने पिछले दो चार दिनो में देश के आम लोगो को अपने बोर में सोचने व समझने का मौका दिया कि वे‍ किस तरहकतिपय लोगों की कठपुती बने समाज में जी रहे हैं: यह भी लगभग साफ हो गया कि उनकेऊपर किन लोगों की मर्जी चलती है: मीडिया को भी यह समझने का मौका मिल

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अपराधों के बाद लोकप्रिय नारा... सीबीआई जांच!

13 अक्टूबर 2020
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अपराधों के बाद लोकप्रिय नारा... सीबीआई जांच!सीबीआई की जांच पहले अत्‍यन्‍त जरूरी होने पर ही की जाती थी, इसके परिणाम भी अच्‍छे निकलते थे लेकिन अब सीबीआई जांच की मांग प्राय: मामलों में होने लगी लेकिन इससे पहले सरकारों द्वारा पीडित परिवारों को भारी मुआवजा देने का प्चलन भ

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जंगली जानवरों पर करंट कनेक्‍शन !

15 अक्टूबर 2020
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जंगली जानवरों पर करंट कनेक्‍शन !छत्‍तीसगढ के जंगलों में अवैध शिकार, लकड़ी की कटाई और अवैध परिवहन अब एक समस्‍या बनती जा रही है: हालाकि सरकार की तरफ से इस पर लगाम लगाने सहित कई उपाय भी किये जा रहे हैं किन्‍तु लगता है यह पर्याप्‍त्‍ नहीं है:हाल के दिनों में जो घटनाएं सामने आई है वह यह निष्‍कर्ष निकालता

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अदृश्य लूट मेहनत कशों की जेब पर!

16 अक्टूबर 2020
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ठगी आनलाइनअदृश्य लूट मेहनत कशों की जेब पर! “ऑनलाइन शॉपिंग में 40% छूट का झांसा देकर बैंक मैनेजर से पौने दो लाख की ठगी”, इस खबर को पडने के बाद ऐसे कई लोगों के सीने में दर्द उठा होगा जो इस तरह की घटनाओं का शिकार हुए. मेहनत की कमाई को इस तरह से लूटने वालों का क्‍या किया जाये

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देश में हर पन्‍द्रह मिनट में एक लडकी की जिंदगी के साथ खिलवाड !

19 अक्टूबर 2020
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देश में हर पन्‍द्रह मिनट में एक लडकी की जिंदगी केसाथ खिलवाड !देश मे हर 15 मिनट के भीतर एक लडकी का जीवन बर्बाद होरहा है: उसके साथ रेप कर कहीं का नहीं रहने दिया जाता: यह बात हम नहीं कह रहे बल्किदेशभर में अपराधों को दर्ज़ करने वाली संस्था राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) का दावा है: देश मे हो

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कोरोना का देश निकाला फरवरी में संभव !

21 अक्टूबर 2020
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कोरोना का देश निकाला फरवरी में संभव ! कोरोना महामारी ने लोगो के रहन-सहन सेलेकर खानपान भी बदल दिया है: दहशत इतना ज्‍यादा है कि कार्यस्थल पर जाने में भीलोग सहमे हैं। शहर से लेकर गांव तक लोग भयांक्रात है: प्रध्‍ान मंत्री नरेन्‍द्र मोदी के इस आश्‍वासनके बाद कि करोना अब देश में कम हुआ है लेकिन इसका मतलब

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प्रकृति को समझने में चूक संकट की सबसे बडी वजह !

22 अक्टूबर 2020
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प्रकृति को समझने में चूक संकट की सबसे बडी वजह !अगर कोई यह दावा करें कि उसने प्रकृति को समझ लिया है तो इसपर आसानी से विश्‍वास नहीं किया जा सकता: वर्तमान समय में इस सत्‍यता को समझना काफी है कि जब यह कहा जाता है कि आज बारिश होगी या खबू गर्मी पडेगी तो उसका निष्‍कर्ष भी अक्‍सर उन भविष्‍यवाणियों की तरह हो

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पाक में इमरान की कुर्सी डगमगाई !

23 अक्टूबर 2020
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पाक में इमरान की कुर्सी डगमगाई !पडौसी पाकिस्‍तान में राजनीतिक हालात ठीक नहीं है: इमरान खान की कुर्सी हिल गई है:विपक्षी पार्टियां एक हो गई है तथा नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम ने इमरान पर ताबड तोड जबाबी हमले कर दिये है: जनता सेना के खिलाफ है वहीं उसके लिये एक बुरी खबर और है कि वह, वित्तीय कार्रवाई का

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कोरोना काल में हुआ नायाब सौंदर्यीकरण!

2 नवम्बर 2020
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सपनो का शहर रायपुर कोरोना काल में हुआ नायाब सौंदर्यीकरण! कई सपने अब भी पूरे होने बाकी, ट्रेफिक के जंजाल से कब मुक्ति मिलेगी?क्‍या सौंदर्यीकृत स्‍थलों के रखरखावपर भी उसी तरह ध्‍यान रहेगा जैसा इन्‍हे बनाया गया?छत्‍तीसगढ की राजधानी रायपुर कोनिखारने में छत्‍तीसगढ सरकार को अभूतपूर्व सफलता मिली है यह काम

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करोना ने महीनों सताया अब आर्थिक प्रहार !

3 नवम्बर 2020
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करोना ने महीनों सताया अब आर्थिक प्रहार !कभी तो ऐसा लगता है कि देश में करोना हम आम लोग ही लेकर आये हैं सरकारेसारे टेक्‍स और महंगाई हम पर ही लादे जा रही है: पहले पेट्रोल डीजलके भावों में बढौत्‍तरी की अब धीरे धीरे सिलेण्डर,रलवे किराया, बैंक में जमा निकासी पर शुल्‍क और अन्‍यउपभोक्‍ता वस्‍तुओं की कीमतो

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सब्‍जी का आधार मूल्‍य तय करने की होड !

5 नवम्बर 2020
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सब्‍जी का आधार मूल्य तय करने की होड !केरल में सब्‍जीउत्‍पादन बढकर चौदह दशमलव बहत्‍तर लाख टन हो गया है: यह वह राज्‍य है जहां प्राय: हरघर के आंगन में किसी न किसी सब्‍जीफल फूल की खेती होती हैं: मसालों की खेती भी वे घरों में करते हैं अब केरल के मुख्‍यमंत्रीपी विजयन ने इस

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पर्यावरण पर तो चर्चा हुई लेकिन काली धूल से कैसे निपटे ?

9 नवम्बर 2020
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पर्यावरण पर तो चर्चा हुई लेकिन काली धूल से कैसेनिपटे?राजधानी रायपुर के लिये शनिवार को यह खुशी कामौका था जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय से नवा रायपुर स्थितनंदनवन जंगलसफारी एवं जू में वन्य प्राणियों के लिए नवनिर्मित 7 बाड़ों का ई-लोकार्पणकिया: नंदनवन जंगल सफारी के नवनिर्मित सात बाड़ों

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इस त्‍यौहार दुआ करो बूढा सरोवर का सौंदर्य ऐसा ही बना रहे !

13 नवम्बर 2020
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इस त्‍यौहार दुआ करो बूढा सरोवर का सौंदर्य ऐसा ही बना रहे !धन्‍य है छत्‍तीसगढ की धरती::यहां की मिटटी, पानी ओर गोबर तीनों ने लागों को जीने का तरीका बता दिया: इसकी सच्‍चाईजानना है तो राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब में शाम थोडा सा समय निकालिये और यहां केरंगीन नजारों के साथ स्व-सहायता समूहों की महिलाओं द्व

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कांग्रेस में सब ठीक नहीं, क्या‍ सोनिया कांग्रेस को बचा पायेंगी?

18 नवम्बर 2020
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वरिष्‍ठो के आक्रोश ने पार्टी में सोच पैदा कीएक साल से ददक रही चिंगारी अब आग का रूप लेने लगीक्‍या आपस में लडकर पार्टी दो फाड होगी?क्‍या देश से कांग्रेस का अस्तित्‍व मिटाने का सपना साकार होने वाला है? “सोनिया जी, पार्टी को महज इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें: परिव

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व्‍यवस्‍था में नम्‍बर पावर गेम की एंट्री

23 नवम्बर 2020
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व्‍यवस्‍था में नम्‍बर पावर गेम की एंट्री नम्‍बरगेम और पावर गेम के चलते प्राय: देशों की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था पर अब सवाल उठनेलगे हैं:पढे लिखे च विद्वान ज्ञानी लोगो को किनारे कर अब सिर्फ नम्‍बर व पावर गेमपर ध्‍यान दिया जा रहा है:अगर संवैधानिक व्‍यवस्‍था में इसे सुधार किया जाये तोबहुत हद तक लोकतात्रिक

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वन नेशन वन इलेक्‍शन की लहर फिर चली

30 नवम्बर 2020
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वन नेशन वन इलेक्‍शनकी लहर फिर चलीइलेक्शन कमीशन केमुताबिक, देश में सन 1952 में जब पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे, तब 10.52 करोड़ रुपए खर्चहुए थे, उसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में सरकारका खर्च कम हुआ था: लेकिन 1967 के चुनाव से हर साल केंद्र सरकार काखर्च बढ़ता ही गया: फिलहाल 2014 के लोकसभा चुनाव तक के

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जंगल में जवानों की मौत का ताण्‍डव कब तक?

1 दिसम्बर 2020
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जंगल में जवानों की मौत का ताण्‍डव कबतक?सवाल यही है कि हमारे जंगलों में हमारेजवानों का खून बहने का सिलसिला आखिर कब खत्‍म होगा? नक्‍सली समस्‍या शुरू होने के बाद से जवानो और कई बडे नेताओं सहित कितनेही लोगों का खून बह चुका है कि यह अगर सूख नहीं जाता तो एक नदी का रूप ले सकता था:यह सब जानते हुए भी खून बहन

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“चाकूबाजी” का खूनी खेल,कौन जिम्‍मेदार?

7 दिसम्बर 2020
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“चाकूबाजी” का खूनी खेल,कौन जिम्‍मेदार?छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर मे चाकूबाजी की बढती घटनाएं चिंता काविषय है: एक के बाद एक हो रही चाकू मारकर हत्‍या की घटनाओं में एक बात यह भी सामनेआई कि इन घटनाओं के पीछे एक हथियारो के सौदागर का भी हाथ है: गुढियारी थाना पुलिसने हथियारों के उस सौदागर को गिरफ्तार किया ह

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अब हर व्‍यक्ति हाईफाय,चाय, पान की दुकान में भी वायफाई!

11 दिसम्बर 2020
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अब हर व्‍यक्ति हाईफाय,चाय, पान की दुकान में भी वायफाई! एकसमय था जब पब्लिक टेलीफोन बूथ का जमाना था: उस समय मोबाइल नहीं हुआ करते थे और लोगोंके यहां लैण्‍ड लाइन फोन भी बहुत कम हुआ करते थे ऐसे में पब्लिक टेलीफोन बूथ बहुत कारगरहुआ करते थे:सडकों पर दो चार कदम चलों तो वहां स

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देश में घरेलू हिंसा बढी,चिंताजनक स्थिति

16 दिसम्बर 2020
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देश में घरेलू हिंसा बढी,चिंताजनक स्थितिराष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्यसर्वेक्षण (एनएफएचएस) के मुताबिक, पांच राज्यों की 30 फीसदी से अधिक महिलाएं अपने पति द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा कीशिकार हुई हैं. सर्वे बताता है कि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे बुरा हाल कर्नाटक, असम, मिजोरम, तेलंगाना औ

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एक लीटर पानी से मंहगा तेल, कर के बोझ तले दबा इंसान

21 दिसम्बर 2020
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एक लीटर पानी से मंहगा तेल, कर के बोझ तलेदबा इंसानजीएसटी, सीएसटी को विशेषज्ञ चाहेकिसी भी तरह से लोगों को समझाये लेकिन आम लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्‍हेंसरकार ने जो एक देश एक टैक्‍स का वादा किया था वह कहां है? हम पैदा होते हैं तबसेलेकर मरते दम तक एक नहीं तरह तरह के टै

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साइबर क्राइम का बढता जाल, आम लोग आसानी से फंसने लगे

23 दिसम्बर 2020
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साइबर क्राइम काबढता जाल,आम लोग आसानी से फंसने लगेसाइबर क्राइम कीबढती वारदातो ने पुलिस के लिये सरदर्द पैदा कर दिया है वहीं आम लोग दिन प्रतिदिनइसकी चपेट में आते जा रहे हैं: अब लोगों को बर्थडे उपहार देना भी मंहगा पडने लगाहै चूंकि आनलाइन में ठग यहां भी सक्रिय हो गये है: हाल

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राजनीति में पैर रखने से पहले ही क्‍येां फिसले रजनीकांत?

6 जनवरी 2021
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राजनीति में पैररखने से पहले ही क्‍येां फिसले रजनीकांत?यह जरूरी नहीं किफिल्‍म जगत से राजनीति में प्रवेश करने वालों में से प्राय: सभी सफल रहे हैं अगरतामिलनाडू के राजनीति की बात करें तो यहां कुछ चुने हुए स्‍टार सफलता की मंजिल तकपहुंच पाये है लेकिन वालीवुड के कई सुपर स्‍टार जिसमें अमिताभ बच्‍चन, राजेश ख

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