वरिष्ठो के आक्रोश ने पार्टी में सोच पैदा की
एक साल से ददक रही चिंगारी अब आग का रूप लेने लगी
क्या आपस में लडकर पार्टी दो फाड होगी?
क्या देश से कांग्रेस का अस्तित्व मिटाने का सपना साकार होने वाला है?
“सोनिया जी, पार्टी को महज इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें: परिवार के मोह से ऊपर उठकर काम करें: पार्टी की लोकतांत्रिक परंपराओं को फिर से स्थापित करें: यूपी में पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है यह बात ओर किसी की नहीं बल्कि सोनिया गांधी की पार्टी के नेताओं की चिटठी का वह अंश है जो उन्होंने पिछले साल दल से निकालने के बाद एक चिटठी में उनको लिखी थी:”
बिहार चुनाव के बाद अब यही मुददा फिर बढचढकर बोल रहा है: सीनियर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने यह कहते हुए कि "बिहार के चुनावों और दूसरे राज्यों के उप-चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर अब तक टॉप लीडरशिप की राय तक सामने नहीं आई है शायद उन्हें सब ठीक लग रहा है और इसे सामान्य घटना माना जा रहा है, मेरे पास सिर्फ लीडरशिप के आस-पास के लोगों की आवाज पहुंचती है मुझे सिर्फ इतना ही पता होता है।"कपिल सिब्बल ने कांग्रेस को नींद से जगाने की कोशिश कर डाली है: विपक्ष ने कांग्रेस नेता के इस बयान को तुरंत हाथो हाथ लिया: नरेन्द्र मोदी के मंत्री रामदास अठावले ने बयान दिया कि गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल को भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए, कांग्रेस में उनका अपमान हो रहा: यहां यह बता दे कि इस साल चौबीस अगस्त कों कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी के रवैये पर नारजगी जताई थी तथा आजाद और सिब्बल समेत तेईस नेताओं ने कांग्रेस में बड़े बदलावों के लिए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी तब चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर राहुल गांधी ने भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाया था: अब इसी को लेकर तथा सिब्बल के ताजा बयान को लेकर अठावले ने यह बात कही है, अठावले नरेंद्र मोदी सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री है,उनके अनुसार "अगर आजाद और सिब्बल का कांग्रेस में अपमान हो रहा है, तो उन्हें फैसला लेना चाहिए, जिन लोगों ने कांग्रेस को खड़ा किया, उन पर आरोप लगाकर राहुल गांधी गलत कर रहे हैं:अठावले ने यह भी कहा कि एनडीए सरकार आगे भी सत्ता में रहेगी अगले आम चुनाव में तीन सौ पचास सीटें मिलने की उम्मीद है, भाजपा आम लोगों की पार्टी है: सभी जातियों, वर्गों और धर्मों के लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं।"आजाद और सिब्बल कांग्रेस के उन तेईस नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी में बड़े बदलावों की मांग करते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी: चौबीस अगस्त को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ था: बैठक के बीच खबर आई कि राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर भाजपा से साठगांठ करने के आरोप लगा दिए, आजाद और सिब्बल ने इस पर नाराजगी जताई, लेकिन बाद में दोनों ने कहा कि राहुल ने मिलीभगत जैसी कोई बात नहीं बोली जबकि आजाद ने वर्किंग कमेटी की बैठक के तीन दिन बाद यानी सत्ताईय अगस्त को फिर से पार्टी के प्रमुख पदों पर चुनाव करवाने पर जोर दिया। उन्होंने इस बैठक में कहा कि, "चुने हुए लोग लीड करेंगे तो पार्टी के लिए अच्छा होगा, नहीं तो कांग्रेस अगले पचास साल तक विपक्ष में बैठी रहेगी, हो सकता है कि नियुक्त किए जाने वाले अध्यक्ष को एक प्रतिशत लोगों का भी समर्थन नहीं हो।"पिछले साल पार्टी से निकाले गए नौ नेताओं ने भी सोनिया गांधी से यही कहा था कि परिवार मोह से ऊपर उठकर सोचें; इन नेताओं ने प्रियंका के कामकाज पर भी सवाल उठाए थे चिट्ठी लिखने वालों में दो प्रमुख नेता पूर्व सांसद संतोष सिंह और पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी शामिल हैं इन नेताओ ने सोनिया गांधी को सलाह दी थी कि "हम लगभग एक साल से आपसे मिलने के लिए अपॉइंटमेंट मांग रहे हैं, लेकिन मना कर दिया जाता है, हमने अपने निष्कासन के खिलाफ अपील की थी, केंद्रीय अनुशासन समिति को इस पर विचार करने का समय नहीं मिला: पार्टी के पदों पर उन लोगों का कब्जा है, जो वेतन के आधार पर काम कर रहे हैं, वे पार्टी के प्राथमिक सदस्य भी नहीं हैं: ये नेता पार्टी की विचारधारा से परिचित नहीं हैं, लेकिन उन्हें यूपी में पार्टी को दिशा देने का काम सौंपा गया है: ये लोग उन नेताओं के प्रदर्शन का आकलन कर रहे हैं, जो 1977-80 के संकट के दौरान कांग्रेस के साथ चट्टान की तरह खड़े थे।""लोकतांत्रिक मानदंडों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है: उन्हें अपमानित किया जा रहा है, वास्तव में, हमें मीडिया से हमारे निष्कासन के बारे में पता चला था, जो राज्य इकाई में नई कार्य संस्कृति की बात करता है, नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर मौजूदा मामलों से आंखें मूंद ली गईं तो कांग्रेस को उस यूपी में बड़ा नुकसान होगा, जो कभी पार्टी का गढ़ हुआ करता था: दिलचस्प तथ्य तो यह है कि पार्टी के वरिष्ट व पुराने नेताओं के आरोपों को कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व प्राय: अनदेखा ही करता रहा: अब बिहार चुनाव के बाद कपिल सिब्बल के बयान के बाद सारी बाते फिर ताजी हो गई है: बिहार में कांग्रेस राजद गठबंधन की हार पर यह कहकर सनसनी पैदा कर दी है कि “कांग्रेस ने शायद हर हार को नियति मान लिया, लीडरशिप को सब ठीक लग रहा है” सिब्बल का कहना है कि बिहार और उप-चुनावों के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि देश की जनता कांग्रेस को प्रभावी विकल्प नहीं मान रही है। गुजरात उपचुनाव में कांग्रेस को एक सीट नहीं मिली, लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था: उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को दो प्रतिशत से भी कम वोट मिले। गुजरात में कांग्रेस के तीन कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई: सिब्बल यहीं नहीं रूकते वे कहते है कि पार्टी ने छै सालों में आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे कर सकते हैं? हमें कमजोरियां पता हैं, यह भी जानते हैं संगठन के स्तर पर क्या समस्या है: शायद समाधान भी सबको पता है, लेकिन इसे अपनाना नहीं चाहते: अगर यही हाल रहा तो पार्टी को नुकसान होता रहेगा: कांग्रेस की दुर्दशा से सबको चिंता है:कांग्रेस वर्किंग कमेटी के मेंबर नॉमिनेटेड हैं, सीडब्लूसी को पार्टी के कॉन्स्टीट्यूशन के मुताबिक डेमोक्रेटिक बनाना होगा, आप नॉमिनेटेड सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर पार्टी हर चुनाव में कमजोर क्यों हो रही है? इधर कपिल सिब्बल को जवाब देने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कूद पडे उन्होंने कहृा "कपिल सिब्बल जी को हमारे अंदरूनी मसलों की मीडिया में चर्चा करने की ज़रूरत नहीं थी, इससे देश भर में हमारे कार्यकर्ताओं की भावनाएँ आहत हुई हैं." जबकि कांग्रेस के ही दूसरे वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद यह कह चुके हैं कि कांग्रेस में प्रमुख पदों पर चुनाव नहीं हुए तो पचास साल तक विपक्ष में ही बैठे रहेंगे: आजाद का बयान कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग के तीन दिन बाद आया था: सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में रिजॉल्यूशन पास कर सोनिया गांधी से अपील की थी कि जब तक ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का सेशन बुलाने की स्थितियां नहीं बनें, तब तक आप ही अंतरिम अध्यक्ष बनी रहें: सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में यह बात सामने आई कि चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर राहुल गांधी ने भाजपा से मिलीभगत के आरोप लगा दिए, इस पर आजाद ने कहा था कि आरोप साबित हुए तो पार्टी छोड़ देंगे हालांकि, बाद में सफाई दी कि राहुल ने मिलीभगत जैसी कोई बात नहीं कही थी:यूपी की लखीमपुर जिला कांग्रेस कमेटी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं के खिलाफ पांच प्रस्ताव पारित किए इनमें एक में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को पार्टी से निकालने की मांग की गई इसके विरोध में पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने उस समय कहा था ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी में कांग्रेस जितिन प्रसाद को आधिकारिक तौर पर निशाना बना रही है: पार्टी को अपने लोगों पर नहीं, बल्कि भाजपा पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की जरूरत है:’ कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी सिब्बल का पक्ष लिया तथा कहा- ‘भविष्यज्ञानी।’ तिवारी भी सोनिया को चिट्ठी लिखने वालों में से एक हैं:कांग्रेस पार्टी देश में एक लम्बे समय तक सत्ता में रही है वह यह भूल गई है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र्र मोदी कांग्रेस को पूरे देश से मिटा देने की बात कहकर सत्ता में आये थे: लगता है कांग्रेस के लोग ही अब मोदी के सपने को साकार करने में लग गये हैं: