एक दिन की बात है जब मै बाजार से सब्जी लेने गया था शाम का वक्त था रात होने को थी अधेंरा छा रहा था तभी अचानक बडी़ तेजी से बिजली चमकने की अावाज सुनायी दी और तेज बारिस होने लगी मै घबरा गया था और अधेंरा भी बढ रहा था मै डरा हुआ सहमा -सहमा घर आया मेरा सर बहुत चकरा रहा था उस रात मैने खाना भी नही खाया और सो गया सुबह जब मेरी नीद खुली और मै बिस्तर से उठा फ्रेस होकर नाश्ता किया और बाहर जाकर लोगो से बाते कर रहा था तभी मेरे दोस्त ने मुझे शब्दनगरी के बारे मे बताया और मै शब्दनगरी पर लग गया प्रतिदिन मै दो तीन लेख लिखता रहा लेकिन मेरी कोई भी रचना नवीन रचनाओ मे नही आया तब से लेकर आज तक मै शब्दनगरी से जुडा हूं लेकिन मेरी रचना पुरस्क्रत नही हूयी मै क्या करता उसी के पीछे लगा रहता हूं|