साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार हरिशंकर परसाई हिंदी के सबसे समर्थ व्यंगकार हैं. पैनी दृष्टि और चुटीली भाषा उनके अचूक औज़ार हैं. जीवन, समाज और राजनीति में व्याप्त सभी बिमारियों और बुराइयों की पहचान वे किसी कुशल 'सर्जन' की तरह हैं. 'अपनी अपनी बीमारी' की व्यंग्यपरक में कुछ ऐसी ही बीमारियों की चीरफाड की गई है, जो पाठकों को बेतरह झकझोरती है.
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