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अर्चना की रचना

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zindagi-ka-kayda-hindi-kavita  कुछ भी मामूली सा न मिले और ज़िन्दगी मुहाल हो जाये, हो दिल में सवाल गहरे , पूँछ लूँ , तो बवाल हो जाये |  हर रोज़ बे – सिर – पैर  सी नज़र आती है ज़िन्दगी, पता चले

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