
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेटवर्क 18 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में यूपी चुनाव, दलितों पर अत्याचार का मुद्दा, अर्थव्यवस्था के सवाल, कश्मीर का बवाल से लेकर हर मसले पर बड़ी ही बेबाकी से अपनी राय रखी.
नेटवर्क 18 के ग्रुप एडिटर राहुल जोशी के साथ खास बातचीत में पीएम मोदी ने अपनी जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं को भी बांटा. उन्होंने बताया कि वो किससे प्रेरणा लेते हैं और उन्हें इतना काम करने की ऊर्जा कहां से मिलती है? जब प्रधानमंत्री से ये पूछा गया कि दो सालों में आप बहुत बार भावुक भी हो गए...2-3 बार तो रोने भी लगे...तो उन्होंने दिलचस्प तरीके से इसका जवाब दिया.
पीएम ने कहा, 'अगर आप किसी फौजी को सीमा पर देखोगे...वो जी-जान से खप जाता है, मरने-मारने पर तुल जाता है क्योंकि वो उसकी ड्यूटी है...लेकिन वही जवान जब अपने बेटे के साथ खेल ता. है, उस समय आप चाहोगे कि वहां भी बंदूक दिखाकर, आंख तानकर खड़ा रहे... और उसका मतलब ये नहीं कि उसके दो रूप हैं...एक ही रूप है... आपका प्रधानमंत्री, आपका प्रधान सेवक या आपका नरेंद्र मोदी...'
'विकास और विश्वास से ही कश्मीर समस्या का हल संभव'
उन्होंने बताया, 'कहीं पर भी हो, कुछ भी हो...लेकिन आखिर इंसान तो है...मेरे भीतर भी तो इंसान है. और मुझे क्यों अपने भीतर के इंसान को दबा देना चाहिए. छुपा देना चाहिए. जैसा हूं वैसा... जिस हालत में हूं, लोग देखते हैं देखना चाहिए, उसमें क्या है...जहां तक कर्तव्य का सवाल है, जिम्मेवारियों का सवाल है...ये मेरा दायित्व है उसको मुझे पूरी तरह निभाना चाहिए. अगर देशहित में कठोर निर्णय करने पड़ते हैं तो करने चाहिए.'
पीएम ने कहा, 'अपने दायित्व को निभाने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है तो करना चाहिए. जहां झुकने की जरूरत है वहां झुकना भी चाहिए. जहां तेज चलने की जरूरत है वहां तेज चलना भी चाहिए. लेकिन वो व्यक्तित्व के पहलू नहीं हैं, जिम्मेवारियों का हिस्सा है. और उसको पूरी तरह निभाना चाहिए. लेकिन असली मोदी क्या है, नकली मोदी क्या है...ऐसा कुछ नहीं होता है, इनसान इनसान होता है.'
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प्रधानमंत्री ने बताया, 'अगर आप राजनीति क चश्मों को निकाल करके मोदी को देखोगे तो आपको मोदी जैसा है वैसा नजर आएगा. लेकिन जब तक आप अपने पूर्वाग्रहों के आधार पर, अपने राजनीतिक चश्मों के आधार पर, अपनी बनी बनाई मान्यताओं के आधार पर...सिर्फ मोदी का नहीं किसी का भी मूल्यांकन करोगे तो गड़बड़ी में जाएगी.'