पीएम मोदी PoK में भारत के हमले के बाद पहली बार किसी प्रोग्राम में दिखे. वि ज्ञान भवन पहुंचे. और भारत स्वच्छता सम्मेलन INDOSAN की शुरुआत की.
साभार - thelallantop.com
पहले पीएम मोदी ने भारत स्वच्छता मिशन पर प्रदर्शनी देखी. और फिर सफाई पर अपनी जिंदगी के कुछ किस्से सुनाये. उनमें से एक बात सुनकर आपका मन मिचला सकता है. और हंसी भी छूट सकती है. तो क्या कहा मोदी ने पढ़ लो.
हमारी आदतें बड़ी कमाल की हैं. हम ऐसे लोग हैं जब घर में मेहमान आते हैं तो सफाई करते हैं. साफ चादर बिछाते हैं, लेकिन वही लोग गांव या शहर में जहां खुला मैदान होता है, वहां कूड़े का ढेर लगा देते हैं. उन्हें ऐसा करने में मज़ा आता है. और घर में सफाई में मज़ा आता है. अगर आप बाहर से थक कर आए हो और घर साफ़ है तो अच्छा फील होता है अगर गंदगी होती है तो और थकावट महसूस होती है.
हमारा स्वभाव है. चाहे कितने बड़े बाबू क्यों न हो अपने स्कूटर को खूब रगड़ के साफ़ करते हैं लेकिन जब बस में जाते हैं और साथ में कोई बात करने वाला नहीं हैं. बैठे हैं. तो धीरे से हाथ सीट के नीचे जाता है. अंगुली से धीरे-धीरे… उस सीट में छेद कर देते हैं और जैसे संकल्प लिए बैठे होते हैं कि स्टॉप पर उतरने से पहले तीन इंच के छेद को तीन गुना कर दूंगा.
पीएम मोदी ने हंसी का ठहाका लगाते हुए वहां बैठे लोगों से कहा कि यहां कोई ऐसा नहीं होगा जिसने ये काम नहीं किया हो. क्यों, वो इसलिए क्योंकि वो स्कूटर तो हमारा है और बस सरकार की है, लेकिन ये नहीं सोचते की सरकार भी हमारी है.
उन्होंने आगे कहा – जब सार्वजानिक संपत्ति को अपना मानेंगे तो बदलाव होगा. ऐसे ही चलता रहा तो अगर सारा बजट भी सफाई में लगा दें तो सफाई नहीं होगी. अगर ये तय कर लें कि हम गंदगी नहीं करेंगे तो बजट की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
मुझे एक बार आंगनबाड़ी केंद्र में जाने का मौका मिला.वहां गरीब बच्चे आते हैं. हमारे यहां चाहे कितने पैसे हो, लेकिन जब साड़ी पुरानी हो जाती है तो उस साड़ी को रखे रहते हैं कि उससे बर्तन बदल लेंगे. लेकिन उस आंगनबाड़ी में महिला ने अपनी पुरानी साड़ी के छोटे छोटे टुकड़े करके रुमाल बना रखे थे और बच्चों की कमीज पर सेफ्टी पिन से लगा रखे थे कि अगर नाक आए तो इससे साफ़ करें. तो लगा कुछ बजट.
हम अच्छी से अच्छी जमीन लैंडफिल साइट में बेकार कर देते हैं. अगर रिसाइकल और रेवेन्यू मॉडल बनाए तो कुछ हो सकता है. हमारे यहां तो ये रिसाइकल ब्लड में था. दादी मां बड़ों के कपड़ों को छोटे के लिए बना दिया करती थीं या उससे रजाई या फिर सफाई के लिए पोंछा बना देती थीं. तो फिर तो रियूज़ या रिसाइकल हमारे यहां पहले से था उसे सिखाने की जरूरत नहीं है.
पीएम ने कहा कि जैसे सत्याग्रही देश को गुलामी से आजाद कराता है, वैसे ही स्वच्छाग्रही देश को गंदगी से आजाद कराता है. इसलिए देश के नागरिक होने के नाते हम संकल्प लें कि हम हमारे आस-पास गंदगी नहीं फैलाएंगे.
मुझे किसी ने लिखा कि मोदी जी बड़ी स्वच्छता की बात करते हो लेकिन रेल में कूड़ा डालने के लिए कोई जगह नहीं है, मैंने रेल मंत्रालय को लिखा और इस बारे में इंतजाम करने को कहा. और हुआ भी. इस बारे में तो किसी ने सोचा ही नहीं था.
जब हम स्कूल में पढ़ते थे तो श्रमदान होता था. और इन दिनों स्कूल वाले बच्चों से सफाई कराते हैं. तो कहा जाता है कि स्कूल वाले पैसे बचाने के लिए बच्चों से सफाई करा रहे हैं. बात कहां से कहां चली जाती है और जहां संस्कार सीखने थे. वो बात ही ख़त्म हो जाती है. गंदगी के प्रति नफरत का माहौल हो. गंदगी नजर आए तो मन अस्वस्थ हो जाना चाहिए. मोदी ने कहा, ‘लोग मेरे पास आते हैं. कहते हैं कि हमें आपका ऑटोग्राफ चाहिए. मेरे घर में पोता है वो सफाई को लेकर सबको घर में बोलता रहता है कि गंदगी क्यों फैला रहे हो. तो मैं कहूंगा बच्चों को इसी तरह सफाई के लिए जागरूक होना चाहिए.
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