सरकार भले ही गांव को सड़कों से जोड़ने के बड़े-बड़े दावे कर रही हो लेकिन भरतपुर जिले का एक गांव ऐसा भी है जिसके आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है और शहर के करीब स्थित इस गांव के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.
गांव के लोग अनगिनत बार सरकार के नुमाइंदों से रास्ते की फरियाद कर चुके हैं और जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो गाव वालों ने अब ईटीवी से उक्त समस्या को सरकार तक पहुंचाने की गुहार लगाई है. गांव वालों ने ये चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार कोई हल नहीं निकालती है तो उन्हें आत्मदाह और पलायन को मजबूर होना पड़ेगा.
खेत में रास्ता बनाकर गांव तक पहुंचते हैं ग्रामीण
भरतपुर विधानसभा का गांव माना का नगला जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित है, लेकिन गांव की हालत ये है कि वहां के वाशिंदे एक रास्ते भर को तरस कर रह गए हैं. गांव तक आने के लिए खेतों में होकर आने की मजबूरी रोजाना की बन गई है और जब खेत का मालिक रास्ता बन्द कर देता है तो यही जुगाड़ लगाई जाती है कि किसके खेत में होकर घर तक पहुंच जाएं. खेतों में आने जाने को लेकर आए दिन झगड़े फसाद होना तो अब सामान्य सी बात बन गई है.
इलाज के अभाव में हो चुकी कई मौतें
गांव की दूरी सड़क से मात्र सवा किलोमीटर ही है, लेकिन गांव वालों को ये अब सैकड़ों किलोमीटर दूरी से कम नजर नहीं आती. कोई बीमार हो जाए तो उसे खटिया पर उठा कर अस्पताल ले जाना पड़ता है और कई प्रसूताओं और बीमारों की तो इलाज के अभाव में मौत भी हो चुकी है. सर्वाधिक परेशानी का सामना तो बरसात के दिनों में करना पड़ता है और खेतों में पानी भर जाने से पूरा गांव एक टापू में तब्दील हो जाता है. स्थिति इतनी भयाभय हो जाती है कि लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं.
नहीं हो रही युवाओं की शादी
गांव माना का नगला में रास्ते की समस्या से यूं तो गांव वाले कई तरह की परेशानियों से ग्रसित है, लेकिन अब सबसे बड़ी परेशानी ये सामने आ रही है कि गांव में कुंवारे युवक युवतियों की संख्या बढ़ती जा रही है. ग्रामीणों के अनुसार गांव में रास्ता नहीं होने से न तो कोई इस गांव की लड़की लेने को तैयार होता है और न ही कोई इस गांव में अपनी बेटी ब्याहने को राजी होता है. अगर किसी तरह कोई सम्बन्ध करने को राजी हो भी जाता है तो शादी का आयोजन गांव से दूर उसके बताए स्थान पर करना पड़ता है. उनका कहना है कि उनके रिश्तेदार अब कन्नी काटने लगे हैं. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और पूरा गांव जिंदगी की मुख्यधारा से कटकर रह गया है.
कई बार विधानसभा में उठाया जा चुका मुद्दा
हालांकि 8 साल पहले माना का नगला को राजस्व विलेज घोषित किया जा चुका है. सरकार के भरतपुर दौरे के दौरान भी ग्रामीणों को आश्वासन मिला था. स्थानीय विधायक विधानसभा में कई बार रास्ते का मुद्दा उठा चुके हैं. ग्रामीणों अनगिनत बार नेताओ और अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन बावजूद उसके ये गांव आज भी रास्ते का मोहताज है.
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