'बजरंगी की बकरी' की चर्चा जब 'लाल धारीदार' किनारे वाले कार्ड पर हुई तो ये बकरी आम से खास बन गई। जीते जी इस बकरी को उतनी तवज्जो न मिली जितनी 'स्वर्ग' में पधारने के बाद मिल रही है। गांव, शहर और मीडिया में बजरंगी की स्वर्गवासी बकरी की चर्चा हो रही है।
बकरी की वजह से 'महावीर सिंह' उर्फ 'बजरंगी' भी दुख की घड़ी में खासा स्टारडम पा रहे हैं। मैनपुरी के गांव 'तोलकपुर' की रहने वाले बजरंगी ने बकरी को अपनी बेटी की तरह पाला पोषा था। लेकिन 14 जुलाई को बकरी बजरंगी को अकेला छोड़ा स्वर्ग सिधार गई। चूंकि बकरी बड़े ही दुलार में पली थी इसलिए बजरंगी ने अपने प्यार की मिसाल देते हुए बकरी की आत्मा की शांति के लिए 24 जुलाई को भंडारा करवाया।
दिलवाले बकरिया ले जाएंगे
बकरी से जुड़ा ये पहला किस्सा नहीं है, मीडिया के अनुसार- फरवरी 2017 में ही उत्तराखंड में बकरियों का स्वंयवर हुआ था। इस स्वयंवर में तीन बकिरयों ने अपने जीवन साथी बकरों का चुनाव किया था। स्वयंवर का नाम था 'दिलवाले बकरिया ले जाएंगे'। बारातियों ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद भी दिया था। लेकिन बजरंगी ने अपनी बकरी के प्रति पशु प्रेम दिखाकर एक मिसाल पेश की है। बकरी की तेरहवीं के कार्ड छपवा कर गांव में बांटे गए। बकरी की आत्मा की शांति के लिए सैकड़ो लोगों की भीड़ उमड़ी।
इस तरह बजरंगी की बकरी स्वर्गावासी होकर, मीडिया में जगह पाकर और अपनी मौत का भंडारा करवाकर इतिहास के पन्नों में अमर हो गई। लोग जब तक रहेंगे बकरी के प्रति बजरंगी के प्रेम को याद करते रहेंगे।
http://www.firkee.in/lifestyle/mainpuri-man-gave-feast-after-death-of-his-goat?pageId=1