औरतें आज भी घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं। आज भी लोगों में इतना पिछड़ापन है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक बात तो एकदम तय है कि औरतें अपने हक के लिए सदियों से लड़ती आ रही हैं और न जाने कितनी पीढ़ीयों तक लड़ेंगी। आज भी कई ऐसी जगहे हैं जहां बात जब औरतों आती है तो लोग यही सोच लेते हैं कि औरत एक सामान है। बेशक इन लोगों की सोच को बदलना मुश्किल ही है।
राजस्थान में घरेलू हिंसा का एक रूह कंपा देने वाला मामला सामने आया है। घटना उदयपुर के गुड़ा गांव की है। 'झमकू गमेती' के पति और ससुर ने उसे तब तक बेरहमी से गरम चिमटे से जलाया, जब तक वो बेहोश नहीं हो गयी। उन्हें उसके चरित्र पर शक़ था, इसलिए उसके पूरे शरीर को चिमटे से जलाया गया। उसके चहरे, गर्दन, पेट, छाती, पांव ही नहीं, गुप्तांगों को भी जला दिया गया। अब उसकी हालत ये है कि वो अपने नन्हें बच्चे को दूध भी नहीं पिला पा रही है।
शर्म आनी चाहिए ऐसा शर्मनाक काम करने वालों को। पहली बात तो ये है कि हमारा चरित्र निर्णायक हम खुद ही हैं, दूसरा कोई नहीं। जिन लोगों को अपने चरित्र के बारे में एक अक्षर पता नहीं होता है, वही दूसरों के चरित्र के बारे में पीएचडी करके बैठे हैं। ख़ैर.. ये ऐसे लोग हैं जिन्हें न बोलकर समझाया जा सकता है न मार-पीट कर।
वो चीखती रही, बिलखती रही, लेकिन कोई मदद को आगे नहीं आया। सब मूर्ति बने बैठे रहे। 22 वर्षीय पीड़िता अपने मायके तो आ गई है, लेकिन उसकी हालत अभी भी दयनीय है, वो चलने में भी असमर्थ है। दरिंदगी का खौफ़नाक मंज़र अब भी उसकी आंखों में तैर रहा है...
परिजनों और ग्रामीणों ने उसकी हालत देखी, तो दहल उठे। लेकिन दूसरे ही दिन ससुराल वाले पंचो के साथ पीहर आ धमके और झमकू और उसके घरवालों को धमकाया। झमकू ने उस दिन एक अनजान नम्बर से आया फ़ोन उठा लिया था, बस इतना ही काफ़ी था उसके ससुरालवालों के लिए उसे चरित्रहीन घोषित कर, ये हैवानियत करने के लिए।
उन्होंने पूरे दो घंटे तक उसकी बेरहमी से डंडों से पिटाई की, इससे भी जी न भरा, तो चिमटा आग में गर्म कर उसके शरीर को जला डाला। बिलखते बच्चे को देख भी उन्हें दया नहीं आई और ये सब कर के वो गांव से भाग गए, हालांकि, अब पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है।
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