दोस्तों बड़े-बूढ़ों से आपने कई बार सुना होगा कि 'जो किस्मत में लिखा है वो तो होकर ही रहेगा', लेकिन क्या आप भी इस बात को मानते हैं? अगर ऐसा है तो आप गलत हैं क्योंकि इंसान ख़ुद संघर्ष करके अपनी किस्मत बनाता है. इसी बात को साबित करके दिखाया है, कुछ बॉलीवुड सितारों ने, जिन्होंने इस इंडस्ट्री में आने से पहले बहुत संघर्ष किया और बिना किसी गॉडफ़ादर के फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई है. इन सितारों ने सिर्फ़ परदे पर ही शॉट्स देने के लिए मेहनत नहीं की, बल्कि अपनी रियल लाइफ़ में भी बहुत संघर्ष किया है. आज हम आपको ऐसे ही कुछ बॉलीवुड सितारों से रू-ब-रू करायेंगे, जिनके संघर्ष की कहानी आपको प्रेरित करेगी.
1. मनीषा कोइराला
साल 1991 में सुभाष घई निर्देशित फ़िल्म 'सौदागर' से अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत करने वाली अदाकारा मनीषा कोइराला को कौन नहीं जानता? यह फ़िल्म उस साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई थी. पहली ही फ़िल्म ने कोइराला को रातों-रात हिंदी सिनेमा का सुपरस्टार बना दिया था. उसके बाद मनीषा ने 'अग्नि साक्षी', 'ख़ामोशी' जैसी फ़िल्मों में अभिनय करके सबको अपना दीवाना बना लिया था. जब मनीषा को Ovarian Cancer होने की खबर आई तो, उनके फैंस को बड़ा धक्का लगा. लेकिन मनीषा ने हार नहीं मानी और अमेरिका में अपना इलाज कराया. कैंसर को हराकर मनीषा ने लोगों के सामने एक उदाहरण पेश किया कि 'रील लाइफ़ हो या रियल लाइफ़ हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती.' आज वो एकदम स्वस्थ हैं और सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं.
2. दीपिका पादुकोण
बाजीराव की मस्तानी, दीपिका ने जब खुले तौर पर अपने डिप्रेशन की समस्या के बारे में बात की थी, तो ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. वैसे तो ये समस्या बहुत आम है, लेकिन दीपिका से जुड़ी होने के कारण ये बेहद ख़ास बन गई थी. तब दीपिका ने फैसला किया कि वो इसके बारे में लोगों को जागरूक करेंगी और उन्होंने ऐसा किया भी. उनके इस जज़्बे की हम सराहना करते हैं.
3. लीसा रे
2001 में 'कसूर' फ़िल्म के साथ बॉलीवुड में अपना पहला कदम रखने वाली लीसा रे भी कैंसर की शिकार थीं और उन्होंने बहुत साहस के साथ इस जानलेवा बीमारी का सामना किया. इस बीमारी के बाद भी उन्होंने कभी हिम्मत और आशा का साथ नहीं छोड़ा. उन्होंने दुनिया को बता दिया कि हर मुसीबत का सामना साहस और विश्वास के साथ करना चाहिए.
4. कल्कि कोचलिन
कल्कि कोचलिन के लिए यह कहना गलत नहीं होगा कि वो बिलकुल भी अपारंपरिक नहीं हैं, लेकिन वो साहस और हिम्मत का एक प्रतीक हैं. वो हर जगह महिलाओं को उनके साथ होने वाले यौन शोषण जैसे मुद्दों के खिलाफ़ आवाज़ उठाने की लिए प्रेरित कर रही हैं. इसके साथ ही उन्होंने बिना किसी डर और शर्म के इस बात का भी खुलासा किया कि जब वो 9 साल की थीं, तब वो भी यौन शोषण का शिकार हुईं थीं. इस बात से उन्होंने ये साबित कर दिया कि महिलाओं को हमेशा अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए, न कि घर में चुपचाप बैठ जाना चाहिए.
5. इरफ़ान खान
साधारण से दिखने वाले इरफ़ान खान ने अपने संजीदा अभिनय से आलोचकों की बोलती बंद कर दी थी. एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक़ रखने वाले इरफ़ान खान ने संघर्ष के दिनों में ऐसे रोल्स भी किये, जिन पर किसी का ध्यान भी नहीं गया. फ़िल्म 'सलाम बॉम्बे' में इरफ़ान ने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी. लेकिन इनके अभिनय की गहराई के कारण आज पूरी दुनिया इनको सलाम करती है.
6. नाना पाटेकर
नाना पाटेकर एक ऐसे कलाकार हैं, जिनको परदे पर देखकर ऐसा लगता है मानो ये अभिनय नहीं, बल्कि सच है. वो अपने किरदार में पूरी तरह रम जाते हैं. एक गरीब परिवार से होने के कारण अपने संघर्ष के दिनों में इन्होंने छोटी-मोटी नौकरी करके मुंबई में गुजारा किया. लेकिन आज सफ़लता हासिल करने के बाद वो गरीबों की खुले दिल से मदद करते हैं और लोगों को हिम्मत न हारने के लिए प्रेरित करते हैं.
7. कंगना रनौत
हिमाचल प्रदेश की एक कंज़र्वेटिव फ़ैमिली से ताल्लुक़ रखने वाली कंगना रनौत ने 16 साल की उम्र में अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर छोड़ दिया था. उनका सपना था, फिल्मों में अभिनय करके दुनिया में नाम और शोहरत कमाना और उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से इस सपने को पूरा भी किया. लीक से हटकर अगर कोई अपने सपने को पूरा कर दिखाता है, तो वो हमेशा लोगों के लिए प्रेरणादायक होता है. ऐसे लोगों में से ही एक हैं कंगना रनौत.
8. अनुराग बासु
Life in a Metro और बर्फी जैसी शानदार फ़िल्म का निर्देशन कर चुका ये काबिल डायरेक्टर बहुत बहादुर है, जिसने ज़िंदगी के मैदान में मौत को पटकनी दे दी. इन्हें 2004 में एक खास क़िस्म का ब्लड कैंसर हो गया था. डॉक्टर्स ने बताया कि उन्हें दो महीने हॉस्पिटल में ही बिताने होंगे. इस बात से भी अनुराग की उम्मीद नहीं टूटी और हॉस्पिटल के बेड पर लेटे हुए उन्होंने 'तुम सा नहीं देखा' फ़िल्म का निर्देशन किया. अच्छी इलाज के बाद अनुराग आज बॉलीवुड के चहेते डायरेक्टर्स में से एक हैं और अच्छी फ़िल्में बना रहे हैं.
9. मुमताज़
एक ज़माने में बॉलीवुड की जान रहीं मुमताज़ को भी कैंसर था. 54 साल की उम्र में इन्हें ब्रैस्ट कैंसर हो गया था. कीमो थेरेपी और कई सर्जरी के बाद भी इन्होंने जीने की आस नहीं छोड़ी. इतनी दवाओं के बावजूद भी इन्होंने अपना वज़न नियंत्रित रखा और लगातार स्विमिंग और जिम जाती रहीं. 2010 में मुमताज़ का ज़िक्र UniGlobe के उस वीडियो में था, जिन्होंने कैंसर को हरा कर जीवन को जीत लिया.