तुम अद्वितीय हो,अपना अस्तित्व बनाये रखना,तुम जो हो वही रहना,किसी और कि तरह बनने की कोशिश न करना।दरिया समुद्र में मिलने को,बहुत मचलता है,मगर समुद्र में मिलते ही,अपना स्वरूप खो देता है।कल तक जो था मीठा,
आसमां से धरती तक पदयात्रा करती हरित पर्ण पर मोती सी चमकती बूंद बूंद घट भरे बहती बूंदे सरिता बने काली ने संहार कर एक एक रक्त बूंद चूसा बापू ने रक्त बूंद बहाये बिना नयी क्रांति का आह्वान किया बरसती अमृत बूंदें टेसू पूनम की रोगी काया को निरोगी करे मन को लुभाती ओस की बूंदें क्षणभंगुर सम अस्तित्व का ज