मौन हो रहे हैं रिश्ते इस दुनिया की भीड़ में।
आंखों में आसूं बहते हैं हर जन की नीड़ में।।
प्रेम दया करुणा रोती है छुप-छुपकर एक कोने में।
जननी रोती है वृद्धाश्रम जो रोना ना सहती बिछौने में।।
हर तरफ आंसू बहते हैं रिश्तों ने दम दिया।
विश्वास की नींव कमजोर हुई अपनों ने मुंह मोड लिया।।