प्रणाम!
कैसे हैं आप सब?
आशा करते हैं कि सब कुशल से होंगे,,।
आज नवरात्र का नवां और अन्तिम दिन हैं और इस दिन में माता दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती हैं। माता अपने भक्तों को अनेक सिद्धियां भी प्रदान करती हैं, जिससे सब जन सुख से अपना जीवन बिता सकें।
अब आप सोच रहे होंगे कि कौन से सिद्धियां, तो उसका जबाव हैं कि "यह ज्ञान मान और जीवन की जान"। यह सब चीजे हमारे जीवन में सिद्धियों का ही काम करती हैं, जो हमें जीवन की तपस्या करने के पश्चात मिलीं हैं।
आज नवरात्र के साथ-साथ रामनवमी जैसा पावन पर्व हैं। जब भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। आप सभी को इस पावन पर्व रामनवमी की अनेकों शुभकामनाएं। भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन मानव आदर्श पर आधारित हैं।
प्रभु ने हर परिस्थिति में अपने आप को और अपने मन को सदैव स्थिर बनाए रखा। जिस कारण वह जीवन रूपी हर समस्या से पार हो गई और मानव के लिए एक सत्य जीवन स्थापित किया।
आज शाम के समय पापा से बात करते हुए, मन काफी विचलित सा हो गया। क्योंकि उन्होंने अपने बचपन की बहुत सारी बातें हमसे साझा की। उन सब बातों का निष्कर्ष यह था कि अगर हम अपने बच्चों की इच्छा से, अपने मन की आशाओं को जोड़ते हैं, तो फिर उन्हें पूरी स्वतंत्रता भी देनी चाहिए, जो वो अपने जीवन में कुछ कर सकें और आसमान तक की ऊंचाई को छू सकें।
क्योंकि ये इनसान तो एक पंछी की भांति होता हैं। उसे जितना अपने मन की इच्छाओं के आसमान उड़ने दिया जाएं, वह उतना ही ऊंचाइयों को छूता जाता हैं।
आज के दिन की महत्वपूर्ण सीख यह हैं कि "इस जीवन में इन्सान एक परिंदे की तरह होता हैं, अगर उसे उड़ने दिया जाएं, तो हीं वह आसमान तक की ऊंचाई छू सकता हैं। दुनिया की बंदिशों ने अगर उसे हमेशा पिंजरे में ही बन रखा, तो उससे कोई ऊंचाई छूने की कभी उम्मीद न की जाएं"। आज़ के लिए बस इतना हीं फिर मिलते हैं कुछ और नयी बातों के साथ,,।
🌻वासुदेवाय नमः🌻
दिव्यांशी त्रिगुणा
लेखिका, शब्द इन
30/03/2023