बड़ा बेशर्म है । मरता ही नहीं कभी । कितनी भी कोशिशें कर लो , हरदम मुंह बांयें खड़ा नजर आता है । निर्लज्ज कहीं का ! किसी का भी लिहाज नहीं है तुझे ? अरे हां, याद आया । अगर लिहाज ही होता तो तू इस तरह चोरों की भांति एक पराई स्त्री को हर कर ला सकता था क्या ? ये काम कोई शर्म वाला इंसान करता है क्या ? बेशर्म इंसानों से ही ऐसी उम्मीद की जा सकती है । और तू तो सबसे बड़ा घोषित रूप से बेशर्म इंसान है । वैसे इंसानों वाले तो कोई गुण है नहीं तुझमें । फिर तुझे इंसान क्यों कहें ? सच में, तू तो राक्षस है राक्षस । लोग तुझे ऐसे ही तो रावण नहीं कहते हैं ना ?
रावण जोर जोर से हंस रहा था । अट्टहास कर रहा था । ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उपहास उड़ा रहा था । पर किसका ? प्रभु श्रीराम का ? आयोजकों का ? अतिथियों का ? या जनता का ? शायद सिस्टम का ?
मैं बड़ा कन्फ्यूज हुआ । आखिर रावण में इतनी ताकत आती कहां से है ? रावण हर बार थोड़ा थोड़ा बड़ा कैसे हो रहा है ? पहले 100 फुट का होता था अब 150 फुट का होने लगा है । बड़ी तेजी से बढ रहा है रावण । और बेचारे राम ! पहले भी पोने छ फुट के थे और आज भी उतने के उतने ही हैं । कोई बढोतरी नहीं हुई उनकी साइज में । अब आप ही बताइये कि रावण मरे कैसे ? सिस्टम रावण की लंबाई बढा रहा है न कि राम की । बल्कि रावण की लंबाई, चौड़ाई बढाने के लिए आंदोलन होता है , जुलूस निकाले जाते हैं । धरना प्रदर्शन सब होता है । इतना होने पर तो लंबाई बढाना वाजिब हो जाता है न ? कभी राम की लंबाई चौड़ाई बढाने के लिए कोई धरना प्रदर्शन वगैरह देखे हैं क्या किसी ने ?
लोग रावण को देखने आते हैं राम को नहीं । जनता में रावण का क्रेज है राम का नहीं । एक बाप अपने बच्चे को कंधे पर बैठाकर कहता है "देख बेटा, वह रहा रावण । दिख रहा है ना ? और बेटा हां कहता है तब जाकर बाप को संतोष होता है । जैसे कि उसने गढ जीत लिया हो । श्रीराम को दिखाना उसकी प्राथमिकता नहीं है । धीरे धीरे बच्चा भी समझ जाता है कि महत्वपूर्ण तो रावण है राम नहीं । और वह फिर राम के बजाय रावण का प्रशंसक बनने लगता है । इस प्रकार से रावण जनता के दिल में प्रवेश कर जाता है और वहां पर वह धीरे धीरे बढने लगता है । उसे पता है कि उसकी डिमांड मार्केट में बहुत ज्यादा है इसलिए वह इसे कैश करने में पीछे नहीं रहता है । वह सिस्टम, जनता , नेता, अतिथि सबसे खाद पानी लेता रहता है इसलिए उसकी जड़ें बहुत गहरे पैंठ बना चुकी हैं । अब उसे मारना तो दूर छूना भी मुहाल हो गया है ।
रावण के चारों ओर लगभग 100 फुट क्षेत्र में बैरिकेडिंग कर दी जाती है और रावण की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात की जाती है । मैंने प्रभु श्रीराम की सुरक्षा में तैनात कभी कोई पुलिस नहीं देखी । राम जी पहले भी अकेले ही थे , आज भी अकेले ही हैं । मगर रावण के साथ न केवल उसका परिवार है अपितु सिस्टम, पुलिस और यहां तक कि जनता भी है । जब सब लोग रावण के साथ हों तब भला रावण क्यों मरेगा ? शायद इसीलिए वह जोर जोर से अट्टहास करता है । मेरे जैसे कुबुद्धि पर शायद इसीलिए हंसता है और कहता है कि ऐ बरखुरदार, तुझे इतना सा भी नहीं पता है कि लोग रावण देखने आते हैं, मारने नहीं । मारने का तो दिखावा करते हैं । और मरवाते किस से हैं ? एक ऐसे आदमी से जिसने आज ही भगवा वस्त्र पहने हैं , वो भी दो चार घंटे के लिए ! शायद ये वस्त्र वह किराये पर लाया हो ? किराये के वस्त्रों वाला एक अदना सा आदमी 150 फीट ऊंचे रावण को कैसे मार सकता है ?
अच्छा, आपका कहना है नैतिक बल से ? राम के वेशधारी व्यक्ति का जीवन कैसा है कौन जानता है ? क्या पता वह शराब ,सिगरेट या अन्य किसी नशे के पदार्थ का सेवन करता हो ? जब लोग रावण बनवाने , उसे लगवाने और जलवाने तक में भ्रष्टाचार कर लेते हैं तो वे किस मुंह से रावण को मारेंगे ? जिनके अंदर खुद रावण बैठा है वे भला रावण को कैसे मार सकते हैं ? वे तो रावण का पक्ष ही लेंगे ना ?
रावण कहता है कि लोग उसे राम से भी ज्यादा सम्मान देते हैं । अरे, इस देश में लोग जब आतंकवादियों के पक्ष में खड़े होकर उन्हें मासूम , भोला भाला , डॉक्टर, मास्टर का बेटा आदि आदि विशेषणों से विभूषित करते रहते हैं तो भला वह क्यों मरेगा ? क्या कभी निर्दोष व्यक्ति के पक्ष में इतने वकील , नेता , पूर्व अधिकारी, जज , बुद्धिजीवी, कलाकार , पत्रकार , उद्योगपति खड़े हुये हैं ? और क्या किसी निर्दोष व्यक्ति के लिए आज तक कभी सुप्रीम कोर्ट रात के बारह बजे खुला है ? रावणों के पक्ष में ही लोग खड़े होते हैं और रावणों की ही पैरवी करते हैं । सुप्रीम कोर्ट भी उनके लिए ही खुलता है रात में । आज भी PFI के पक्ष में कौन कौन खड़ा है , सब जानते हैं । रावण इसी समाज और सिस्टम से ही तो अमृत लेता है और उसी के बल पर वह जिंदा रहता है ।
राम में अब वह नैतिक बल कहां रहा है जो उस समय प्रभु श्रीराम में था धर्म पर कायम रहने का बल । उसी बल का प्रताप था कि रावण अपने संगी साथियों सहित मारा गया । भगवा वस्त्र धारण करने से कोई राम नहीं बन जाता है । राम बनने के लिए तपस्या करनी पड़ती है । खुद को कर्म रूपी अग्नि में तपा कर खरा सोना बनना पड़ता है । रावण को मिलने वाले "अमृत" की आपूर्ति बंद करनी पड़ती है । धर्मानुकूल आचरण करना पड़ता है । हर व्यक्ति को राम बनना पड़ेगा तब जाकर यह "अभिमानी, बेशर्म रावण" मर सकेगा । पहले अपने अंदर का रावण तो मार लो ! फिर पुतला जलाना" ।
और भड़भड़ाकर मेरी आंखें खुल गईं । चारों ओर देखा कोई नहीं था । सामने श्रीमती जी अवश्य खड़ी थीं मेरे चेहरे के भाव पढते हुए । मैं मुस्कुराकर रह गया ।
श्री हरि
5.10.22