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मेरा भारत महान

3 नवम्बर 2022

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बचपन से हम देखते आये थे कि जगह जगह पर "मेरा भारत महान" लिखा रहता था । क्या बस और क्या ट्रेन , जहां देखो वहीं पर यह वाक्य लिखा रहता था । तब हम समझ नहीं पाये थे कि इसका मतलब क्या होता है ? आज कुछ कुछ समझ में आने लगा है । 

हमें यह बताया गया था कि "दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल , साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल" । किताबों में यही पढाया गया है कि यह आजादी हमें अहिंसा से ही मिली थी । भगवान श्रीकृष्ण ने जिस तरह से रथ के पहिये को हथियार बनाकर "महाभारत" का युद्ध लड़ा था शायद उसी तरह महात्मा गांधी ने "चरखे" के पहिये को हथियार बनाया था और आजादी की लड़ाई लड़ी थी । "चरखे से ही तो आजादी आई थी" यह कहते हुए थकते नहीं हैं लोग । मगर इस आजादी की लड़ाई में मोपलाओं ने कितने "सनातनियों" का कत्लेआम किया , आज तक उसका कोई हिसाब नहीं है । "नोआखाली" में "सीधी कार्यवाही" के दौरान "सुहारावर्दी" की सरकार ने अंग्रेजों के साथ मिलकर कितने "हिन्दुओं" का सामूहिक नरसंहार किया था , उसकी सही सही संख्या कोई बताने में सक्षम नहीं है आज भी । भारत विभाजन के समय लाखों लोगों का नरसंहार हुआ था, अनगिनत बहन बेटियों की आबरू लूटी गई थी और लोगों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया गया था । जिन्होंने विभाजन नहीं चाहा था उन्हें सब कुछ गंवाना पड़ा और जिन्होंने विभाजन चाहा था वे उत्तरप्रदेश के मुसलमान पाकिस्तान गये भी नहीं और आज भी कुछ भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाये जाते हैं । इतनी कुरबानियों के बाद भी इसी देश में यह दंभ पाला गया है कि आजादी "अहिंसा" से ही प्राप्त हुई थी । शायद इसी दोगलेपन के लिए "मेरा भारत महान" जाना जाता है । 

या ये भी हो सकता है कि हमारे देश में कुछ ऐसे ऐसे नेता हुये जिनकी "रासलीलाओं" के चर्चे ब्रिटेन तक होते थे । काश्मीर की "ऐसी तैसी" करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी और तो और इसे "संयुक्त राष्ट्र" में ले जाकर इसे द्विपक्षीय से अंतरराष्ट्रीय विषय बना दिया था । उनकी "महानता" ने एक बहुत बड़ा भूभाग पाकिस्तान को हड़पने दिया था । ऐसे महान नेता ने एक देश में दो विधान बना दिये और एक समुदाय विशेष के सामने दूसरे समुदाय को "गुलाम" जैसा बना दिया । फिर भी ऐसे नेता को अपने ही "खैराती" लेखकों , कलाकारों से महिमामंडित करवाया गया और उनकी शान में "भटकती राख" जैसी कहानियां लिखवा कर उन्हें महानतम नेता बताने का भरपूर प्रयास किया गया था । मगर अफसोस तो इस बात का है कि ऐसे नेता को इस देश के भावी "कर्णधारों" पर बिल्कुल भी यकीन नहीं था । अगर होता तो खुद ही "भारत रत्न" पुरुस्कार नहीं लेते । शायद वे जानते थे कि उनके कर्म तो ऐसे हैं कि उन्हें सत्ता से कोसों दूर रखा जाता, मगर जब सत्ता खुद की जेब में हो तो जीते जी खुद ही "भारत रत्न" लेकर क्यों न महान बना जाये ? "हिंदी चीनी भाई भाई" का राग अलापते अलापते उन्होंने भारत को संयुक्त राष्ट्र की स्थाई सदस्यता के लिये मना कर दिया और उसे चीन को दिलवा दिया । इसे कहते हैं महान काम । "घर का पूत कुंवारा डोलें, पाड़ोसी का फेरा" वाली कहावत चरितार्थ कर दी थी उन महान नेता ने । और जब इससे भी पेट नहीं भरा तब भारत का हजारों किलोमीटर का क्षेत्रफल चीन को हड़पने दे दिया तो ऐसे नेता को तो "भारत रत्न" मिलना ही चाहिए था । इसीलिए तो मेरा देश महान कहलाता है । 

इतने बड़े देश में हम लोग ओलंपिक खेलों में एक एक मेडल को तरसते रहते हैं और फिर भी गर्व से कहते हैं "मेरा भारत महान" । सच में तब कितना गर्व होता है जब हमारा कोई खिलाड़ी एक कांस्य पदक भी जीत लेता है । सिर गर्व से तन जाता है कि चलो पदक तालिका में तो नाम आया हमारा । क्रिकेट के अलावा किसी दूसरे खेल के खिलाड़ियों के नाम तक नहीं जानते हैं हम , यह शायद इसी देश में हो सकता है अन्य किसी देश में नहीं । सारा काम धाम छोड़कर टीवी के सामने बैठकर खेल देखते रहते हैं और "भारत को महान" बनाते फिरते हैं हम लोग । खेल संघों के पदाधिकारी कोई  "खिलाड़ी" ना होकर नेता , अफसर या उद्योगपति होते हैं । यह बात केवल इसी देश में संभव हो सकती है ।  तभी तो उन्होंने अपने "कर्मों" (कुकर्मों) से इन खेलों को इस दयनीय स्थिति में पहुंचा दिया है । इसलिए धन्य है यह देश और धन्य हैं यहां के देशवासी । 

"मुफ्त" का ऐसा चस्का चढा हुआ है हम पर कि अगर कोई पाकिस्तानी नेता यहां आकर यह कह दे कि वह सब कुछ "मुफ्त" में दे देगा बस, उसे वोट देना है जिससे भारत को फिर से गुलाम बना लें । तो लोग मुफ्त के माल के चक्कर में उसको ही वोट देकर खुद ही "गुलामी" की जंजीरें पहन लेंगे । चीन को सिर पर बैठा लेंगे । देश को गिरवी रख देंगे पर चाहिए मुफ्त का माल । इसलिए महान कहलाते हैं हम लोग । मुफ्त के लिए सब कुछ सहने को तैयार हैं । ऐसे ऐसे भोजन भट्ट हैं यहां पर जो एक बार में 20 - 20 रोटियां खा जाते हैं , एक किलो मिठाई एक बार में ही खा जाते हैं, फिर भी भूखे रह जाते हैं । भुखमरी होने के बावजूद आधा खाना डस्टबिन में फेंक देते हैं । 

यहां के लोग इतने "साहूकार" हैं कि ट्रेन के शौचालयों में "धोने" वाला मग चैन बांधकर रखा जाता है जिससे कि कोई "साहूकार" उसे ले ना जाये । ये है हमारी महानता का लक्षण ।  बैंकों में पैन एक डोरी से बांधकर रखा जाता है । फिर भी बेचारा पैन डरा डरा सा सहमा सहमा सा बंधा पड़ा रहता है और भगवान से प्रार्थना करता रहता है कि कोई उसे "मुक्त" करके अपने साथ ले न जाये ? इतनी "साहूकारी" है हमारी । पोस्ट ऑफिस में चिपकाने के लिए "गोंद की शीशी" भी इसलिए नहीं रखते हैं कि लोग उसे भी ले जाते हैं । और तो और सड़कों पर लगने वाले "हाईलाइटर्स" को भी लोग छोड़ते नहीं हैं । जब ऐसे ऐसे "शूरवीर" होंगे तो ऐसा देश तो महान होगा ही ना । 

यही एक ऐसा देश है जहां "हिन्दी" भाषा जो यहां की मातृभाषा है, बोलने पर उसकी खिल्ली उड़ाई जाती है । अंग्रेजी दां लोगों की तो बात छोड़िये, हिन्दी का मजाक "हिन्दी" वाले ही अक्सर उड़ाते हैं । अधिकांश फिल्मों में ऐसा दिखाया जाता है और विद्यालयों तथा सरकारी कार्यालयों में अक्सर ऐसा होता है । "हिन्दी दिवस" "अंग्रेजी" पीकर मनाया जाता है । "अंग्रेजों" की गुलामी का असर इतना है कि "अंग्रेजी" भाषा मंजूर है मगर भारतीय भाषा मंजूर नहीं । सत्ता की खातिर नेतागण लोगों को जातियों, धर्मों , भाषा , क्षेत्रों में बांटते रहे और फिर भी "भारत रत्न" पाते रहे । आजादी के मुख्य नायकों यथा सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह को भुलाकर नकली नायकों को पूजते रहे । धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक धर्म विशेष का तुष्टीकरण करते रहे । यहां तक कि "भगवा आतंकवाद" की झूठी कहानी तक गढते रहे फिर भी "महान" कहलाते रहे । 

कितना बताऊं ? "हरि अनंत हरि कथा अनंता" की तरह यह सूची कभी ना समाप्त होने वाली है । बिना "वजन" रखे कोई फाइल आगे नहीं बढती है यहां पर । बिना "ऊपर" का खाये पेट नहीं भरता है किसी का । अजी खाने की क्या बात करते हो , हमने तो लोगों को "चारा चरते" हुए भी देखा है । कट्टर ईमानदारों को भ्रष्टाचार के आरोपों में "जेल" की सलाखों के पीछे देखा है और वे इतने कट्टर "शर्मदार" हैं कि "जेल" से ही कट्टर सरकार चला रहे हैं । "जेल" में रहकर भी कट्टर "जेल मंत्री" बने हुए हैं और महाठगों को भी "जेल" से ही "ठग" रहे हैं । जिनकी याददाश्त गायब हो गई है वे भी जेल में बैठकर "कट्टर स्वास्थ्य मंत्री" बने हुए हैं और वहीं से बैठे बैठे लोगों का स्वास्थ्य ठीक रख रहे हैं । जब ऐसे ऐसे "कट्टर" नेता होंगे तो यह देश महान नहीं होगा क्या ? 

एक और बात बताना बहुत जरूरी है । इस देश में एक ऐसा गृह मंत्री हुआ जिसने खूंखार आतंकवादियों को छुड़वाने के लिये अपनी ही बेटी का झूठा अपहरण का नाटक रचा और इस तरह उसने देश के साथ षड्यंत्र करके अनेक आतंकवादी छोड़ दिये । इसे कहते हैं "राजनीति" । जनता ने उन्हें इस षड्यंत्र का ईनाम भी दिया और उन्हें एक राज्य का मुख्यमंत्री भी बना दिया । उनकी बेटी घोषित रूप से आतंकवादियों का और पाकिस्तान का समर्थन करती आई है और भारत को अब तक धमकी देती आई है कि "तिरंगा" उठाने वाला कोई नहीं मिलेगा वहां पर । तो भैया जी, ऐसे लोग यहां भरे पड़े हैं , एक से बढ़कर एक हैं । रात में छुप छुपकर चीनी राजदूतों से मुलाकात करते हैं इसीलिए तो "मेरा भारत महान" कहलाता है । 

पर क्या केवल ये ही कारण हैं इस देश को महान बनाने के ?  शायद नहीं । ये तो सिक्के का केवल एक पक्ष है । एक दूसरा पक्ष भी है जिस पर हम अब चर्चा करेंगे । 

संसार की सबसे प्राचीन सभ्यता और समृद्ध संस्कृति अगर कोई है तो वह भारतीय सनातनी संस्कृति ही है । हजारों सालों से से यह संस्कृति विकसित रूप में संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करती आई है । यही वह देश है जहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अवतरित हुए और उन्होंने जन जन को आदर्श परिवार, समाज, राज्य व्यवस्था का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया था । यही वह देश है जहां "योगेश्वर श्रीकृष्ण" अवतरित हुए थे और उन्होंने "श्रीमद्भागवत गीता" के माध्यम से "ज्ञान योग", "कर्म योग" और "भक्ति योग" का पाठ पढाया था और "मोक्ष" का मार्ग भी प्रशस्त किया था । इनसे बनता है भारत महान । 

सर्वे भवन्तु सुखिन: , सर्वे सन्तु निरामया ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित दुख भाग्भवेत्  ।। 

"सब लोग सुखी हों" यह भावना केवल "सनातन धर्म और संस्कृति" में ही है जो इसी देश में है अन्यत्र कहीं भी नहीं है । जहां चेतन ही नहीं "जड़" पदार्थों में भी "भगवान" के दर्शन किये जाते हों , जल , पर्वत , वृक्ष सबकी पूजा की जाती हो । और तो और "नागपंचमी" के दिन नागों को भी दूध पिलाया जाता हो । जहां पहली रोटी गाय की और आखिरी रोटी कुत्ते की बनाई जाती हो । पक्षियों के लिए "चुग्गे और पानी" की व्यवस्था की जाती हो और चीटियों को भी आटा डाला जाता हो , यह मेरे भारत देश में ही होता है अन्य किसी देश में नहीं । इसीलिए मेरा देश भारत महान कहलाता है । 

शांति का उपासक रहा है यह देश । इसने कभी राज्य विस्तार के लिए युद्ध नहीं किया । किसी दूसरे देश को कभी लूटा नहीं । अगर कोई विजय कहीं की है तो वह केवल "धम्म विजय" की है । धर्म का प्रचार प्रसार के लिये जरूर अभियान चलाये गये थे न कि प्रभुत्व स्थापित करने के लिए । शांतिपूर्ण सह अस्तित्व में विश्वास रखते हैं हम । एक यही बात ही भारत को विश्व में सबसे महान बना देती है । "पहला आक्रमण हमारा नहीं होगा मगर आखिरी हमारा होगा" । क्या ऐसी सोच है और किसी राष्ट्र की ? इन बातों से बनता है भारत महान । 

शांति से हर समस्या का समाधान संभव है , यही सोचकर भगवान श्रीराम ने रावण के पास दूत के रूप में युवराज अंगद को भेजा था । अभिमानी दुर्योधन के पास युद्ध टालने के लिए शांतिदूत बनकर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण गये थे और युद्ध टालने के लिए केवल पांच गांव ही मांग लिये थे । शांति के प्रति इतना समर्पण है हमारा । संसद पर पाकिस्तानी आक्रमण होने के बाद हमारे प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तानी सीमा पर फौज तैनात कर दी थी मगर युद्ध प्रारंभ नहीं होने दिया था । इतना संयम हमारे देश को महान बनाने के लिए काफी है । 

इतनी विविधताओं के बावजूद हम लोग एक साथ रह रहे हैं क्या ये कम नहीं है ? विषम परिस्थितियों में रहने के बावजूद हमारे दिल में "भारत माता" का चित्र इस तरह बसा हुआ है कि बस, वही दिखाईदेता है अन्यकुछ नहीं । हम अपने देश के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने को हरदम तत्पर रहते हैं , यह भावना हमें महान बनाती है । "गलवान घाटी" में हमारे वीर जवानों ने जिस तरह चीन की "कब्र" खोद दी थी , बालाकोट में "एयर स्ट्राइक" ने जिस तरह पाकिस्तान में "गदर" मचा दिया था , यह भारत को महान बनाती है । 

कोरोना संकट में जब विश्व "त्राहि त्राहि" कर रहा था तब भारत ने न केवल अनाज और दवाई अन्य देशों को उपलब्ध करवाये अपितु "टीके" भी अनेक देशों को भेजे गये थे और लोगों की जान बचाई थी । यह "वसुधैव कुटुंबकम" की भावना भारत को महान बनाती है । 

जब पाकिस्तान ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान पर आक्रमण कर दिया था और पाकिस्तानी सेना वहां नरसंहार करने लगी थी, तब अनेक लोग अपनी जान बचाने भारत में जबरन घुस आये थे । मानवता के नाते उन्हें मदद देकर भारत ने अपनी महान विरासत का संरक्षण किया था । यह मानवीयता भारत को महान बनाती है । अभी हाल ही में अफगानिस्तान में फंसे लोगों को निकाल कर भारत ने जो सदाशयता की मिसाल प्रस्तुत की थी, यह भावना भारत को महान बनाती है । 

बहुत सारी विशेषताएं हैं मेरे भारत और भारतीयों की । बुद्धि और संयम का अद्भुत सम्मिश्रण है हम भारतीयों में । आज संपूर्ण विश्व में भारतीयों का डंका ऐसे ही नहीं बज रहा है । "कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी" । लाख कोशिशें हुई हमें मिटाने की, झुकाने की मगर हम पहले भी महाराणा प्रताप की तरह सीना तान कर चलते थे और आगे भी ऐसे ही चलते रहेंगे । किसी में दम है तो रोककर दिखाये ? 
एक बार जोर से बोलिये 
"मेरा भारत महान" 

श्री हरि 
4.11.22 




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