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'अवनि और अम्बर'

4 अक्टूबर 2021

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                  "अवनि और अम्बर"


  "अम्बर ने पूछा अवनि से....
   यह मानव है कौन सी बला?
   ना जिसकी लालसा कभी खत्म होती;
   ना जिसे कभी संतुष्टि मिलती!
   जिसने तेरे रूप को विद्रूप कर दिया,
   जिसने तेरे रंग को बदरंग कर दिया,
   जिसके लोभ ने तेरा कलेवर बदल दिया,
   जिसके लालच ने तुझे बर्बाद कर दिया!

   बस बात तेरी ही नहीं......
   उसने मेरा भी जीना मुहाल किया,
   अनुसंधान के नाम पर होड़ का बाजार बना दिया,
   असम्भव को सम्भव करने को हर कोशिश अंजाम
   दिया!

  अवनि बोली......
  मानव को विधाता की सर्वोत्तम कृति कहा गया,
  लेकिन वह निकृष्ट से भी निकृष्ट निकल गया!
  यद्यपि वह मुझे माता मानता है,
  मेरे प्रति चिंतित भी रहता है,
  मेरी रक्षा को प्रयत्नशील भी दिखता है!
  फलस्वरूप मैं भी उसे प्रिय पुत्र मानती हूँ,
  उसकी सुविधा के लिए अपना सर्वस्व लुटाती हूँ,
  उसकी गलतियों को सहन कर जाती हूँ,
  लेकिन उसके लालच से सहम भी जाती हूँ,
  उसके अत्याचारों से कांप जाती हूँ!
  मेरे अन्य संतानों पर उसने कहर बरपाया,
  अपनी सुविधा के लिए उन्हें गुलाम बनाया,
  उसके लालच ने मेरा कलेवर बदल दिया,
  उसकी सोच ने मुझे बदहाल कर दिया!
  
  लेकिन फिर भी मुझे उसमें उम्मीद नजर आती है,
  उसके प्रयत्नों में एक किरण नजर आती है!

  विश्वास है....
  वह अपने साथ-साथ मेरे अस्तित्व को भी बचाएगा,
  मेरी धरा पर मौजूद हर चीज की रक्षा करेगा!!"🙏
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रचनाएँ
'मेरी प्रिय कविताएँ'
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बबुआ की सरकारी नौकरी लगी! यह खबर तेजी से चंहुओर फैली! फिर मान-सम्मान का दौर शुरू हुआ! इस बात से बबुआ का सीना 56 इंची हो गया। नौकरी मिलते ही, बबुआ बड़का विद्वान हो गए! अखबारों/कोचिंगो में बाइट्स दे-देकर निहाल हो गए! परिचित-अपरिचित उपहार लाने लगे! दुश्मन भी अब मेलजोल बढ़ाने लगे! फिर बबुआ के बिआह की बात शुरू हुई! इस बात से दहेज की मंडी में आवक बढ़ गयी! मंडी में बबुआ का भाव दिन-रात चढ़ने लगा! देखनहरू लोगों से बबुआ का दुआर पटने लगा! भाव सुन-सुनकर बबुआ के बापू का मन अकुलाने लगा! पल-भर में मालामाल होने का ख्वाब नजर आने लगा! फिर बबुआ के बापू ने घरवालों से राय-सलाह लिया! सबसे ऊंचा भाव देखकर बबुआ का बिआह तय किया! शुभ मुहूरत देखकर बबुआ का बिआह हो गया! गाँव-जवार में दहेज की चर्चा सरेआम हो गया! दहेज की रकम सुन सब अचरज में पड़ गए! कुछ बड़ाई तो कुछ बुराई करने में लग गए! कोई बबुआ के बापू तो कोई दहेज को दानव बताने लगा! सच जानते हुए भी, सच्चाई से मुँह चुराने लगा! दहेज लेना-देना दोनों अपराध है! यह सब जानते हैं, लेकिन कुछ विरले लोग ही इस बात को मानते हैं। जब दहेज की मंडी ही न सजे, तो कोई दहेज कैसे ले पाएगा?  इसलिए, सब लोगों को दहेज मंडी के खिलाफ आना पड़ेगा, दहेज दानव के समूल नाश के लिए प्रण लेना पड़ेगा!! 🙏💐

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