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'मेरी प्रिय कविताएँ'

Anjani Tiwari

2 अध्याय
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बबुआ की सरकारी नौकरी लगी! यह खबर तेजी से चंहुओर फैली! फिर मान-सम्मान का दौर शुरू हुआ! इस बात से बबुआ का सीना 56 इंची हो गया। नौकरी मिलते ही, बबुआ बड़का विद्वान हो गए! अखबारों/कोचिंगो में बाइट्स दे-देकर निहाल हो गए! परिचित-अपरिचित उपहार लाने लगे! दुश्मन भी अब मेलजोल बढ़ाने लगे! फिर बबुआ के बिआह की बात शुरू हुई! इस बात से दहेज की मंडी में आवक बढ़ गयी! मंडी में बबुआ का भाव दिन-रात चढ़ने लगा! देखनहरू लोगों से बबुआ का दुआर पटने लगा! भाव सुन-सुनकर बबुआ के बापू का मन अकुलाने लगा! पल-भर में मालामाल होने का ख्वाब नजर आने लगा! फिर बबुआ के बापू ने घरवालों से राय-सलाह लिया! सबसे ऊंचा भाव देखकर बबुआ का बिआह तय किया! शुभ मुहूरत देखकर बबुआ का बिआह हो गया! गाँव-जवार में दहेज की चर्चा सरेआम हो गया! दहेज की रकम सुन सब अचरज में पड़ गए! कुछ बड़ाई तो कुछ बुराई करने में लग गए! कोई बबुआ के बापू तो कोई दहेज को दानव बताने लगा! सच जानते हुए भी, सच्चाई से मुँह चुराने लगा! दहेज लेना-देना दोनों अपराध है! यह सब जानते हैं, लेकिन कुछ विरले लोग ही इस बात को मानते हैं। जब दहेज की मंडी ही न सजे, तो कोई दहेज कैसे ले पाएगा?  इसलिए, सब लोगों को दहेज मंडी के खिलाफ आना पड़ेगा, दहेज दानव के समूल नाश के लिए प्रण लेना पड़ेगा!! 🙏💐 

'meri priy kavitaen'

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