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स्वदेशी आंदोलन के विषय में बाबा रामदेव के साथ राजीव दीक्षित जी की क्या रही भूमिका?| Rajiv Dixit Books

26 जुलाई 2019

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बाबा रामदेव के साथ देश में आंदोलन-:


राजीव दीक्षित का जन्म उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ जिले में सन् 1967 में 30 नवंबर को हुआ था। राधेश्याम दीक्षित इनके पिता का नाम था और इनकी मां का नाम मिथिलेश कुमारी था। माता पिता के द्वारा ही इनका नाम राजीव रखा गया। अपने प्रारम्भिक शिक्षा की शुरुआत वैसे ही की जैसे कि उत्तरप्रदेश के मध्यम वर्ग के परिवार के बच्चों की होती थी। इलाहाबाद से B.tech करते समय ही राजीव दीक्षित ने अपना लक्ष्य तय कर लिया इलाहाबाद में हीअपने कुछ अध्यापक और कुछ सहपाठियों के साथ दीक्षित जी ने ‘आजादी बचाओ आंदोलन’ नामक एक अभियान चलाना शुरू किया। दीक्षित जी ने ठान ली थी कि भारत में सब कुछ स्वदेशी बनाना है। Indian Institute of Technology से M.Tech करने के बाद दीक्षित ने कुछ दिन CSIR में कार्यरत रहे। इतिहासकारों से पता चलता है कि राजीव दीक्षित ने डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के साथ मिलकर काम किया।

राजीव दीक्षित का मानना था कि पूरा भारत वर्ष Western Culture के पीछे चल रहा है और इसको बदलने की शख्त जरूरत है। अगर हम Education System in India की बात करें तो राजीव दीक्षित जी ने शिक्षा के लिए गुरूकुल को उत्तम समझा। Indian Judiciary System and Indian Legal System तो अंग्रेजों के कानून की नकल है और इसमें ऐसे कई कानून हैं जो की भारतीयों का अपमान करते हैं। Indian Economic System के संदर्भ में बात करें तो राजीव जी का मानना है था कि Taxation System को Decentralised कर देना चाहिए क्यों कि Corruption in India की यही मुख्य जड़ है।


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राजीव जी के द्वारा विदेशी कंपनियों के बहिष्कार का विचार-:


भारत में रामराज्य के स्थापना के लिए दृढ़ संकल्प को लेकर राजीव जी ने कहा कि भारत में अंग्रेजी मेडिकल सिस्टम की जगह आयुर्वेदिक औषधि केन्द्रों को स्थापित किया जाना चाहिए। इसके पीछे का मुख्य कारण था कि अंग्रेजी दवाओं से स्वास्थ्य की बहुत ही हानि होती है और यहि नहीं बल्कि भारत का पैसा विदेशों में जा रहा है। उनके विचार यह कहते थे कि भारत में विदेशी कंपनियों को बिजनेस करने के अधिकार को खत्म करना होगा क्यों कि इससे देश की आर्थिक व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। दूकरे देश की विदेशी कंपनियां कम टिकाउ माल अपने देश में भेज रही हैं। इन अधिकीारों को खतम करने के लिए राजीव दीक्षित ने भारतीय कंपनियों के नाम के पर्चे भी बंटवाए जिससे लोगों में जागरूकता उत्पन्न हो कि कौन सी कंपनी भारत की है और कौन सी विदेशी।


भारत निर्मित वस्तुओं का प्रचार प्रसार-:


राजीव जी का कहना था कि हम भारतीयों को गोबर गैस बनाने पर ध्यान देना होगा और इसके साथ ही गौरक्षा के उपर जरा विचार विमर्श करना होगा। इस प्रकार की विचार धाराओं को देखते हुए हम कह सकते हैं कि राजीव जी की विचार धारा आर एस एस (RSS) से काफी मिलती जुलती है। अपने विचारों को लेकर इतने कट्टरवादी थे कि M.Tech की पढ़ाई पूरी करने के बाद पूरे देश में घूमकर भारत में निर्मित वस्तुओं का प्रचार प्रसार किया। राजीव जी अपने आप को गांधी जी कि विचार धारा के मानते थे। इन्होंने करीब 13 हजार के आस पास व्याख्यान किया और करीब 6 लाख इनके समर्थक भी थे।

स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार- राजीव दीक्षित जी के लिए ऐसा कहा जाता है कि सन् 2009 में बाबा रामदेव के संपर्क में आये और इसी दौरान इन्होंने बाबा रामदेव को भारत की समस्याओं और आर्थिक व्यवस्था के बारे में उनको बताया। देश से जुड़ी इस समस्या का समाधान करने के लिए दोनों लोगों ने स्वदेशी चीजों का निर्माण करने के लिए एक साथ काम करने को तैयार हुए। राजीव जी का समर्थन करने वाले यह दावा करते हैं कि इन्होंने सन् 2009 में "भारत स्वाभिमान आंदोलन" की नींव रखी थी।

इस आंदोलन की शुरूआत के दौरान राजीव और रामदेव ने शपथ ली, जिसमें उन्होंने कहा कि हम लोगों को मतदान अवश्य करने के लिए प्रेरित करेंगे और विश्व की सबसे बड़ी ताकत भारत को बनाएंगे। भारतवर्ष में स्वदेशी कंपनियों का निर्माण करवाएंगे। देश के युवाओं की बुद्धिमत्ता व ताकत को देश की उन्नति में लगाएंगे। "भारत स्वाभिमान आंदोलन" के साथ राजीव और बाबा रामदेव ने एक योजना बनाई, जिस योजना में देश के एक-एक नागरिक को अपने विचारों के साथ जोड़ेंगे और इसके बाद सन् 2014 में एक नई पार्टी बनकर लोकसभा में चुनाव की तैयारी करेंगे।


राजीव दीक्षित का निधन ( Death of Rajiv Dixit)-:


सन् 2010 की बात है जब राजीव जी छत्तीसगढ़ के दौरे पर गये हुए थे और जब वे वापस लौट रहे थे तो उनको तबियत के खराब होने का एहसास हुआ। 30 नवंबर को जब वे भिलाई पहुंचे तो तब तक तबियत और भी खराब हो चुकी थी। इलाज के लिए इनको पास के सरकारी अस्पताल में ऐड्मिट किया गया जिसके बाद डॉक्टरों ने इन्हें मृत घोषित कर दिया।

ऐसा कहा जाता है कि उनका शरीर नीला हो गया था मानो जैसे किसी ने ज़हर दे दिया हो। समर्थकों ने जब पोस्टमार्टम की बात की तो उनहें साफ मना कर दिया गया। आज भी उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजीव की मृत्यु पर बात करना नहीं चाहता।


राजीव जी के द्वारा बांटी गयी कुछ मुख्य पुस्तकें (Rajiv Dixit books)-:


*पांच किताबें वागभट साहिता पर आधारित-

1.निरोगी रहने के नियम और गंभीर रोगों के घरेलू चिकित्सा।

2.वागभट साहिता पर आधारित दिनचर्या (स्वदेशी चिकित्सा)।

3.सोन्दर्य निखार।

4.रिफाइन तेल की कहानी।

5.गौ चिकित्सा।


*देश की वर्तमान स्थिति पर पुस्तकें

6.यूरोप की Pivate Life

7.हम कितने शाकाहारी हैं?

8.आज बी खारे हैं तालाब।

9.बहुराष्ट्रीय कम्पनियां और मौत का व्यापार।

10.बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का मकड़जाल।

11.आखिर मैंने यह संविधान क्यों लिखा।

12.पेप्सी कोला सपनों के सौदागर।

13.क्या है? WTO समझौता और भारतीय अर्थव्यवस्था को खत्म करने की साजिश।


राजीव दीक्षित जी ने आयुर्वेदिक औषधि व जड़ी-बूटियों के आधार पर कई किताबें लिखीं, जिसमें उन्होंने बेहद अच्छे तरीके से आयुर्वेदिक उपचार के बारे में लोगों को बताया है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के मशहूर इलाज के बारे में भी कई पुस्तकें लिखी है, जिसमें बताया गया है कि कैसे प्राकृतिक दवाओं के उपचार से कैंसर के अलग-अलग लेवल को कैसे हमेशा के लिए खतम किया जा सकता है।




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