इस लेख में हम
आपको देंगे दुनिया की 300 hindi story books में से सबसे अच्छी प्रेरणादायक कहानियों का सबसे अच्छा
संग्रह। हमारे पास कुछ ऐसी कहानियां हैं जो मनोरंजन के साथ-साथ आपको बड़ी प्रेरणा
देने का भी काम करती हैं। मैं उम्मीद करता हुं कि ये कहानियां आपके जीवन में
सकारात्मक बदलाव लाएंगी।
कहानी का शीर्षक- “लकड़ी का कटोरा”
एक बुजुर्ग गांव
से शहर अपने बहु और बेटे के यहाँ रहने गया। उम्र के हिसाब से वह बहुत कमजोर हो
चुका था और उस बुजुर्ग के हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम ही देता था। सभी एक छोटे
घर में रहते थे। पूरा परिवार और बुजुर्ग का एक चार वर्षीय पोता सभी साथ में टेबल
पर डिनर करते थे। बुजुर्ग होने के कारण उस व्यक्ति को खाना खाने में बड़ी परेशानी
होती थी। कभी मटर के दाने चम्मच से निकल कर फर्श पे गिर जाते तो कभी हाथ से दूध
मेजपोस पर गिरता। बहु और बेटा कुछ दिन यह सब सहन करते रहे पर फिर उन्हें बुजुर्ग
पिता की इस रोजाना काम से चिढ सी होने लगी। लड़के ने कहा पत्नि से कहा कि हमें कुछ
करना पड़ेगा।
पत्नि ने हाँ में
हाँ मिलाई और कहा कि आखिर कब तक हम इनकी वजह से अपने खाने का मजा खराब करते रहेंगे
और हम चीजों का नुकसान होते हुए भी तो नहीं देख सकते ना। अगले दिन जब सभी रात को
खाना खाने बैठे तो बेटे ने घर में पड़ूी एक पुरानी मेज को कमरे के एक कोने में लगा
दिया और अब बूढ़े पिता को उसी टेबल पर अपना भोजन करना था। यहाँ तक कि बुजुर्ग
व्यक्ति को खाने के बर्तनों की जगह एक लकड़ी का कटोरा दे दिया ताकि अब और बर्तन ना
टूटे। बाकी लोग पहले की तरह आराम से बैठ कर खाना खाते और जब बुजुर्ग की तरफ देखते
तो उनकी आँखों में आंसू दिखाई देते। यह देखकर भी बहु-बेटे का मन कभी नहीं पिघलता
बल्कि बूढ़े व्यक्ति की छोटी से छोटी गलती पर बातें सुना देते थे। पोता भी यह सब
बड़े ध्यान से देखता और अपनी धुन में मस्त रहता था।
एक रात डिनर करने
से पहले बेटे को उसके माता -पिता ने जमीन पर बैठ काम करते कुछ देखा और पूछा कि
बेटा तुम क्या बना रहे हो? और बच्चे ने साधारण तरीके से जवाब दिया कि, अरे मैं तो आप लोगों के लिए ही एक लकड़ी का कटोरा बना रहा हूँ, ताकि जब आप लोग बड़े हो जायें तो मैं आप लोगों को इसमें खाना दे सकूं। इतना
कहकर वह पुनः अपने काम में लग गया। इस बात का उसके माता -पिता पर बहुत प्रभाव पड़ा
और उस वक्त उनके मुंह से एक शब्द न निकला और आँखों में आंसू आ गये। दोनों बिना कुछ
कहे ही समझ गये कि उन्हें अब करना क्या है। उसी रात दोनों अपने बूढ़े पिता को वापस
उसी डिनर टेबल पर ले आये और कभी उनके साथ गलत व्यवहार नहीं किया।
निष्कर्ष- हम और
आप अक्सर अपने बच्चों को moral
values देने की बात करते हैं पर
यह भूल जाते हैं की असली शिक्षा शब्दों में नहीं बल्कि कर्मों में होती है। अगर आप
अपने बच्चों को बस ये उपदेश देते रहें कि बड़ों का आदर करो, सबका सम्मान करो, लेकिन खुद इसके विपरीत व्यवहार करें तो बच्चा जो
देखता है वही सीखता है। इसलिए कभी भी अपने बुजुर्ग या माता-पिता के साथ गलत
व्यवहार ना करें नहीं तो कल को आपका बेटा भी आपके लिए लकड़ी का कटोरा तैयार करने
लगेगा।
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