19 जनवरी 2016
3 फ़ॉलोअर्स
D
लहरें कि, समुंदर से उमड़ –उमड़ आती, किस्मत टोकरी,संग उलझ–उलझ जाती, खुले आसमां में उतारूँ, भाग्य की पतंग, यों भी तो जीती जाती जीवन की जंग I सुन्दर ...अति सुन्दर.
20 जनवरी 2016
इतने छोटे बनिए किहर कोई आपके साथ बैठे
तन - मन दूषित करने वाले , नग्नता दृष्टि में भरने वाले , विज्ञापन पर तुम प्रतिबन्ध लगा सकते हो | बढ़ती जनसँख्या हमारे जीवन के हर पक्ष को प्रभावित करती है ! जय किसान ~जय जवान 0 उत्तर दीजिये 0 साझा कीजिये। ........................
युवाओं का आत्महत्या करने के पीछे कौन सी मज़बूरी और क्या कारण है ? हमने समझने की कभी कोशिश की ........
संगठन शक्ति, मन्त्र शक्ति, नारी शक्ति, यंत्र शक्ति, तंत्र शक्ति, रासायनिक शक्ति , आण्विक शक्ति, जैविक शक्ति, आध्यात्मिक शक्ति , श्रद्धा और विश्वास की शक्ति, सच्चाई और अच्छाई की शक्ति, परमात्मा की शक्ति, बालपन की अचूक शक्ति, शक्ति - साधनो की शक्ति , जमीन-जायजाद और धन - सम्पदा की शक्ति , पद -वर्दी
बचपन, प्रारंभिक अवस्था, शैशव, बाल्यावस्था, प्रथम अवस्था को बनाने और सँवारने का दायित्व सर्वप्रथम प्रकृति माता और परम पिता परमात्मा स्वयं निभाते है ततपश्चात माता-पिता, भाई-बहिन सगे संबंधी, गुरुजन बारी-बारी से अपनी-अपनी भूमिका अदा करते है ! बचपन कच्ची अवस्था होती उसको आप जैसा चाहो बना सकते ह
खाना बनाना और खाना बना कर खिलाना, विश्वास कीजिये, खाना बनाना किसी योगकर्म से कम नहीं एक बेहद सहज-सरल-सुगम मूर्त तत्व कर के देखिये ! खाना बनाना किसी यज्ञ से कम पावन व हितकारी नहीं है, इसे जरा समझिये और फिर स्वयं कर के देखिये।