shabd-logo

बलात्कारी भाग 1

24 अक्टूबर 2021

16 बार देखा गया 16
बलात्कारी भाग 1 लेखक,असिम शिवाय शिव। इंसाफ ,जब किसी को इंसाफ नहीं मिले तो वो मजबूरन इंसाफ पाने के लिए किस हद तक जा सकता है। मैंने इस कहानी में बताने की कोशिश की है। इस कहानी में एक लड़की अपने हक के लिए समाज से लड़ते हुए दिखाई गई है। कहानी पुरी सस्पेंस से भरी हुई है। और मोहब्बत भी इस कहानी में शामिल की गई है। क्योंकि कहानी में मोहब्बत ना हो तो कहानी अधूरी अधूरी सी लगेगी ।मोहब्बत, सस्पेंस, एक्शन और इमोशन ये सब इस कहानी में आपको पढ़ने को मिलेगा ।
कहानी की शुरुआत।
शाम का वक्त है।
सामने एक स्टेशन की बड़ी सी बिल्डिंग है। स्टेशन के बाहर सड़क के दोनों किनारे कुछ छोटी-छोटी दुकान और कुछ बाइक्स खड़ी हैं। स्टेशन में कुछ लोग बहुत जल्दी में तो कुछ लोग आराम से आ जा रहे है।और यही सिलसिला लगातार चालू है। सभी लोगों की भीड़ में से 4 नौजवान लड़के स्टेशन से बाहर निकलते दिखाई पड़ते हैं। चारों की उम्र 22से25 के बीच होगा। उनमें से एक का नाम आर्य ,दूसरे का सैफ तीसरे का मार्टीन ,और चौथे का नाम निखिल है ।
चारों ने ग्रेजुवेशन कंप्लीट करने की खुशी में निखिल के गांव घूमने जाने की प्लानिंग की थी ।और चारों अभी निखिल के गांव से ही लौट के आ रहे थे ।
मार्टिन, यार निखिल तेरा गांव तो बहुत ही खूबसूरत है ।सच में मजा ही आ गया।
सैफ,हां यार यह तो सच है मैं तो कुछ दिन और रुकना चाह रहा था।
निखिल, हां यार रुकना तो मुझे भी था लेकिन पता नहीं इस आर्य को इतनी जल्दी क्या थी।
मार्टिन, शायद गर्लफ्रेंड से मिलने की जल्दी होगी इसे।
सैफ,पर इसने गर्लफ्रेंड बनाई हीं कहां है? 
इतना कहकर मार्टिन, निखिल और सैफ तीनों हंसने लगते हैं।
निखिल, शायद आर्य को मेरा गांव अच्छा नहीं लगा।
आर्य ,नहीं यार ऐसी बात नहीं है। गांव बहुत ही खूबसूरत था बहुत मजा आया लेकिन गांव में नेटवर्क नहीं थी। मां ने पहले ही कहा था कि गांव पहुंचते ही फोन करना और आज 10 दिन से ऊपर हो गए हैं मां से बात नहीं हूई है। तो गांव में खूबसूरत दिन तो बीत गए लेकिन अब घर जाकर मुझ पर जो बीतेगी बस उसी के बारे में सोच रहा था।
सैफ,अरे यार हां आंटी तो सच में बहुत ही खतरनाक है इसे तो मेरे सामने कई बार पीटा है। और झाड़ू तो उनका फेमस है ।एक बार वह स्टार्ट हो गए तो फिर अल्लाह बचाए।
तीनों फिर से हल्के से हंस देते हैं।
निखिल,ओके ओके गाइस मस्ती बहुत हो गई अब मैं घर चला बाय।
 मार्टिन ,हां तो निकल मैं और सैफ एक साथ चले जाएंगे। हम लोग दोनों तो एक ही इलाके में रहते हैं और आर्य तो यही पास में रहता है पैदल ही 10 मिनट में पहुंच जाएगा 10 ओके बाय बाय।
चारों दोस्त एक दूसरे को बाय करते हैं और अपने अपने घर की तरफ निकल जाते हैं।
यह दोस्ती भी बड़ी अनोखी चीज होती है वक्त के साथ जैसे जैसे हम बड़े होते जाते हैं दोस्त हर मोड़ पर बदलते रहते हैं ।कोई जिंदगी भर साथ निभाता है तो कोई बस यादों में ही रह जाता है।
आर्य अपना बैग उठाकर अपने घर की ओर चला जा रहा है।और कुछ देर जाने के बाद जहां उसका घर है उस गली तक पहुंच जाता है। 
तभी सामने के मंदिर से घंटी की आवाज आती है । आर्य अपने मन में सोचता है।भगवान आज मुझे बचा लेना झाड़ू और बेलन की मार से अगली बार से ऐसी गलती कभी नहीं होगी भगवान आज कृपा कर।
तभी सामने से एक मासूम सी लड़की आती है।और आवाज देती हैं। यह लड़की कोई और नहीं बल्कि आर्य की बहन है। इसका नाम इशिका है इशिका बहुत ही प्यारी और खूबसूरत लड़की है और वह अभी 12वीं कक्षा में पढ़ती है।
क्या हुआ भाई प्रार्थना कर रहे है तो सुन लो कोई फायदा नहीं आज तो आप गए काम से।
 माफी की कोई गुंजाइश नहीं है । आज तो खूब पिटाई होगी । अफसोस ये सिन मैं मिस कर दूंगी।
आर्य नाक फुलाते हुऐ कहता है चुपचाप रह और ये बता कहां जा रही है?
इशिका ,आपके लिए आईसीयू बुक करने
इतना कहकर हंसते हुए वहां से चली जाती है।
आर्य मन में सोचता है मां की चमची कहीं की सारी आग तो इसी की लगाई हुई होगी चल बेटा आर्य तैयार हो जा शहीद होने के लिए।
इशिका कुछ दूर से चिल्लाते हुए कहती हैं भैया खिड़की मैंने खुली छोड़ी है वहां से ऐंटर करना और मां के पैरों को पकड़कर माफी मांग लेना फिर बचने की कोई गुंजाइश है ।अगर दरवाजे पर उन्होंने देख लिया तो फिर आपका बचना नामुमकिन है।
आर्य ,इशिका से कुछ नहीं कहता और बुझे कदमों से आगे बढ़ जाता है।
आर्य घर के पास पहुंच कर देखता है तो सच में खिड़की खुली हुई होती है। और सोचता है कि चुपचाप घर के अंदर जाकर मां के पैर पकड़ के मांफी मांग लेना ही सही रहेगा। 
इतना सोच कर वह खिड़की से घर के अंदर चला जाता है।
आजू बाजू नजर घुमाता है। तो वहां कोई नहीं होता तो उसे लगता है कि मां शायद किचन में होगी । वो अपना समान साइड में रख कर जैसे ही कदम आगे बढ़ाता है वैसे ही पीछे से कोई लड़की चोर चोर चिल्लाते हुए हाथ में डंडा लिए उसकी और तेजी से बढ़ती है ‌‌ आर्य के कुछ समझ में आने से पहले ही उसकी पिटाई शुरू हो जाती है ।तभी उसकी मां भी वहां आ जाती है। आर्य की मां आर्य को देखकर तुरंत कोने में पड़ा झाड़ू उठाकर उसे मारने लगती है।
आर्य सोचता है यार यह झाड़ू वाला तो पता था लेकिन यह डंडेवाली कौन है ? और कहां से आ गई? 
आर्य अरे मां सुनो तो लग जाएगी ऐसा चिल्लाते हुए इधर-उधर भागने लगता है‌।
आर्य की मम्मी का नाम गायत्री है।
आर्य की मम्मी कहती है नालायक कहीं का इतनी जल्दी मां को भूल गया। ना फोन ना कुछ मैसेज किया और में यहां हर रोज तुझे याद करती थी ।और तू वहां मजे कर रहा था ।मां को एक फोन करना भी तुझे याद नहीं रहा? उसकी मम्मी की बातें सुनकर वह जो लड़की थी वह आर्य को डंडे से मारना बंद कर देती है ।और चुपचाप खड़ी हो जाती है।
कुछ देर इसी तरह भागदौड़ लगी रहती है ।जब तक आर्य की मम्मी आर्य को मार मार कर थक नहीं जाती ।तब तक वह शांत नहीं होती कुछ देर के बाद आर्य कहता है मम्मी सच में वहां पर नेटवर्क नहीं था ‌।इसलिए मैं आपको चाह कर भी फोन नहीं कर पाया‌ मुझे माफ कर दीजिए।
गायत्री जी कहती हैं सिर्फ मां से बात करने के लिए नेटवर्क नहीं था?
आर्य मां मैं सच्ची बोल रहा हूं। हम वहां कुछ दिन और रुकना चाहते थे लेकिन मुझे आपकी बहुत याद आ रही थी ।इसलिए मैंने जल्दी आने ‌की जिद की और सब मेरी वजह से जल्दी आ गये।
गायत्री जी कहती हैं झूठे झूठ बोलने लगा चुपचाप अभी घर से बाहर निकल पूरी रात तु घर के बाहर ही रुकेगा। जब तक मैं ना कहूं घर के अंदर मत आना ।
आर्य, मां सच्ची कह रहा हूं‌। मुझे माफ कर दे बहुत जोर की भूख लगी है। सच में कह रहा हूं मां अगली बार ऐसा नहीं होगा।
आर्य वही खड़े-खड़े अपनी मां से विनती करने लगता है ।
गायत्री जी अपनी साड़ी का पल्लू कमर में खोंसते हुए कहती है ऐसे तु बाहर नहीं जाएगा रुक अभी बताती हूं। आर्य फौरन वहां से उठकर निकल ले बेटा केहते हुए चला जाता है।
 घर के बाहर बनी बेंच पर आर्य बैठ जाता है ।और अपने घर के दरवाजे की तरफ देख कर सोचने लगता है।
इशीका की बच्ची इसके चक्कर में हमेशा मैं फंसता हूं। अगर दरवाजे से जता तो सिर्फ झाड़ू पड़ती खिड़की से गया तो डंडे भी मूफ्त की खाने पड़ गई ।और ये डंडे वाली मैडम है कौन मेरे घर में क्या कर रही थी ?तभी वहां इशिका आती है अपने भाई को बाहर देख कर कहती है क्या भाई आपसे एक काम भी अच्छे से नहीं हुआ मैंने कहा था ना खिड़की से अंदर जाकर माफी मांग लीजिएगा।
इशिका आर्या की हालत पर हंसने लगती है।
आर्य ,इशिका की बच्ची कही कि तेरे ही आईडिया की वजह से ऐसा हुआ है झाड़ू तो खाना आदत हो गई थी। पर तेरे आईडिये की वजह से डंडे भी खाने पड़े यह डंडे वाली मैडम आई मीन वो लड़की कौन है हमारे घर में?
 इशिका, आपको उसने डंडे से मारा लेकिन क्यों? 
आर्य, तेरे घटिया आईडिया की वजह से उसने मुझे चोर समझा और पहले डंडे से पिटाई की फिर मां ने जो किया सो किया।
इशिका, तो आपकी किस्मत ही खराब थी वह लड़की हमारी नई किराएदार है ।इतना कहते हुए इशिका जोर से हंसते हुए घर के अंदर चली जाती है।
आर्य मन सोचता है। हे भगवान तुने मेरी जिंदगी में सारी खतरनाक महिला ही लिखी है क्या ?बहन तो अच्छी है। मगर दल बदलू कब कहां अपना दल बदल ले कोई भरोसा नहीं ।मां इतनी खतरनाक कि पूछो मत और ऊपर से खूबसूरत किराएदार भी दिया तो वो भी डंडेवाली भगवान मेरी किस्मत लिखते हुए तुझे बिल्कुल भी दया नहीं आई।
कुछ देर ऐसे ही आर्य बाहर बैठे रहता है उसके बाद इशिका घर से बाहर आती है और आर्य से कहती है भाई चल घर के अंदर चल।
आर्य, नहीं मैं नहीं जाऊंगा। तु मुझे फिर से मार खिलाएगी जब तक मां नहीं बोलेगी मैं घर के अंदर नहीं जाऊंगा।
इशिका,अरे मां ने ही आपको अंदर बुलाया है।
काश मैं आपको दोबारा पीटते हुए देख पाती लेकिन हमारे भाग्य उतने अच्छे कहां।
आर्य ,अरे तू कैसी बहन है तुझे मुझे बजाना चाहिए और मार खिलाती है।
इशिका हां तो आप ऐसा करते हो तभी ना पिछले 10 दिन से फोन कर करके मैं परेशान हो चुकी हूं तो इसकी सजा तो आपको मिलेगी न।
आर्य, लेकिन मां इतनी जल्दी मान गई ऐसा कैसे हो सकता है? 
 ईशीका ,मां इसलिए मानी है क्योंकि उन्हें आपकी डंडेवाली ने मनाया हैं। तो मौके का फायदा उठाओ और जल्दी से घर के अंदर आ।
आर्य तुरंत घर के अंदर आता है और अपनी मां से माफी मांगता है।
गायत्री जी हां हो गया अभी जा कपड़े वगैरह बदल और फ्रेश हो जा मैं तब तक खाना लगा देती हूं।
आर्य बाजू में खड़ी किराएदार यानी उस लड़की की ओर देखता है जिसने उसे डंडे मारे थे ।और पूछता है आपका नाम क्या है? वह लड़की अपना नाम प्रीत बताती है।
आर्य थोड़ा नजदीक जाकर धीरे से केहता है ‌डंडा बहुत जोर का चलाते हो आप। इतना कहकर आर्य अपने कमरे में चला जाता है।
आर्य रूम में आकर सोचता है प्रीत यानी प्यार मोहब्बत बिल्कुल सही है खूबसूरत भी है देखना अब ये है स्वभाव में कैसी है‌ ।
आर्य कुछ देर में फ्रेश होकर बाहर निकलता है ।वहां उसका खाना लगा हुआ होता है । आर्य उसकी बहन इशिका और उसकी मम्मी गायत्री तीनो खाना खाकर अपने अपने कमरे में जाते हैं। क्योंकि आर्य सफर से आने की वजह से बहुत ही थक गया था तो उसे ज्यादा परेशान ना करते हुए उसकी मम्मी कहती है कि अभी तुम लोग जाओ आराम करो सुबह बातें कर लेना।
प्रीत तब तक अपने रूम में जा चुकी थी। आर्य का घर दो मंजिला है तो नीचे के हिस्से में आर्य और उसकी फैमिली रहते हैं ।और ऊपर का हिस्सा हमेशा किराए पर वह लगाते हैं ।तो पिछला किराएदार रूम खाली कर के चला गया था ।और शायद आर्य गांव गया तो यह नया किराएदार उसके घर में रहने को आई थी।
आर्य अपने कमरे में पहुंचकर अपना फोन चालु करता है‌। फोन में बहुत लोगों के मैसेज आए थे जिनमें से एक सैफ का भी था।
सैफ ,क्यों भाई झाड़ू ज्यादा तो नहीं पड़ी ना।
आर्य बड़बड़ते हुए बोलता है 
इसकि तो सुबह देखता हूं ईसको।फोन को बिस्तर के दुसरे कोने पर पटक कर आर्य सोने के लिए बिस्तर पर लेट जाता है। थके होने के कारण से जल्दी नींद आ जाती है। घर के बाहर आवाज होने के कारण
लगभग आधी रात को आर्य की नींद टूट जाती है।तो उसे अपने घर के बाहर गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज सुनाई पड़ती है। आर्य अपने रूम की खिड़की खुली छोड़कर ही सोता है क्योंकि खिड़की से हवा अच्छी आती है ।तो आर्य खिड़की के पास जाता है ।और देखने की कोशिश करता है तो वहां उसे एक लड़का दिखाई देता है ‌जो प्रीत के हाथ में कुछ दे रहा था ।आर्य मन‌ सोचता है । अरे ये लड़की क्या नाम था इसका। हां प्रित ये घर के बाहर क्या कर रही है।और यह लड़का कौन है और उसे क्या दे रहा है। वह लड़का जो प्रित के हाथ में कुछ सामान दे रहा था वह अचानक हाथ से निचे गिर जाता है। आर्य जब गौर से देखता है तो उसे समझ आता है कि वह चीज कुछ और नहीं गन है। फिर दोनों कार पर बैठ कर वहां से जाने लगते हैं।
आर्य को कुछ समझ नहीं आता वह सोचता है कि ये लड़का कौन है?और प्रीत के हाथ में उसने गन क्यों दी ? और ये कहां जा रहे हैं ?इसी चीज को जानने के लिए वो कपाट से बाईक कि चाबी लेता है ‌।और खिड़की से ही घर के बाहर निकल कर बाहर से अपने घर की खिड़की बंद कर देता है ।साइड में खड़ी अपनी बाइक ले कर। कुछ दूर आगे जाने के बाद आर्य बाईक स्टार्ट करके उन दोनों का पीछा करने लगता है। 
शेष अगले भाग में। इंसाफ इंसाफ
Tafizul Hussain

Tafizul Hussain

बेहतरीन उम्दा है आप का रचना

28 अक्टूबर 2021

वणिका दुबे "जिज्जी"

वणिका दुबे "जिज्जी"

बेहतरीन भाग मैं भी स्त्रियों के ज्वलन्त मुद्दों पर लिखती हूं कृपया मेरी पुस्तक पर नज़र डालें

26 अक्टूबर 2021

1
रचनाएँ
बलात्कारी
0.0
इस किताब में मैंने ये बताने की कोशिश की है कि जिंदगी कभी भी बदल सकती है। हम जो सोचते हैं वैसा होता नहीं। हमें अपने ख्वाबों को छोड़कर अपनो के खातिर इंसाफ पाने के खातिर खुद को पूरी तरह से भूल कर कुछ और ही बन जाना पड़ता है। मैंने अपनी इस पुस्तक की कहानी में एक लड़की के जीवन के बारे में बताने की कोशिश की है वो इस समाज से निराश होकर इंसाफ पाने के लिए किस तरह समाज से लड़ती है यहां आपको इमोशन सस्पेंस देखने को मिलेगा।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए