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बलि का बक़रा

20 मार्च 2015

358 बार देखा गया 358
featured imageएक बार देवर्षि नारद अपने शिष्य तुम्बुरु के साथ कही जा रहे थे। गर्मियों के दिन थे एक प्याऊ से उन्होंने पानी पिया और पीपल के पेड़ की छाया में बैठे ही थे कि अचानक एक कसाई वहां से 25-30 बकरों को लेकर गुजरा उसमे से एक बकरा एक दुकान पर चढ़कर घांस खाने के लिए दौड़ पड़ा। दुकान शहर के मशहूर सेठ शागाल्चंद सेठ की थी। दुकानदार का बकरे पर ध्यान जाते ही उसने बकरे के कान पकड़कर मारा। बकरा चिल्लाने लगा। दुकानदार ने बकरे को पकड़कर कसाई को सौंप दिया। और कहा कि जब बकरे को तू हलाल करेगा तो इसकी सिर मेरे को देना क्योकि यह मेरी घांस खा गया है देवर्षि नारद ने जरा सा ध्यान लगा कर देखा और जोर से हंस पड़े तुम्बुरु पूछने लगा गुरूजी ! आप क्यों हंसे? उस बकरे को जब मार पड़ रही थी तो आप दू:खी हो गए थे, किन्तु ध्यान करने के बाद आप रंस पड़े इससे क्या रहस्य है ?नारदजी ने कहा यह तो सब कर्मो का फल है इस दुकान पर जो नाम लिखा है 'शागाल्चंद सेठ' वह शागाल्चंद सेठ स्वयं यह बकरा होकर आया है। यह दुकानदार शागाल्चंद सेठ का ही पुत्र है सेठ मरकर बकरा हुआ है और इस दुकान से अपना पुराना सम्बन्ध समझकर घांस खाने गया। उसके बेटे ने ही उसको मारकर भगा दिया। मैंने देखा की 30 बकरों में से कोई दुकान पर नहीं गया। इस बकरे का पुराना संबंध था इसलिए यह गया। इसलिए ध्यान करके देखा तो पता चला की इसका पुराना सम्बन्ध था। जिस बेटे के लिए शागाल्चंद सेठ ने इतना कमाया था, वही बेटा घांस खाने नहीं देता और गलती से खा लिए तो सिर मांग रहा है पिता की यह कर्म गति और मनुष्य के मोह पर मुझे हंसी आ रही है। अपने-अपने कर्मो का फल तो प्रत्येक प्राणी को भोगना ही पड़ता और इस जन्म के रिश्ते-नाते मृत्यु के साथ ही मिट जाते है, कोई काम नहीं आता। इसलिए अच्छे कर्मों को करना चाहिए। Visit my Website for More Stories :- http://thoughtinhindi.blogspot.com/2015/03/blog-post_20.html
पंडित विजय पाठक -शास्त्री-जी महाराज

पंडित विजय पाठक -शास्त्री-जी महाराज

कथा अच्छी लगी |ऐसी ही आवर लिखो |

22 मार्च 2015

20 मार्च 2015

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ज्ञान का अभिमान

16 फरवरी 2015
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एक युवा ब्रह्यचारी ने दुनिया के कई देशों में जाकर अनेक कलाएं सीखीं। एक देश में उसने धनुष बाण बनाने और चलाने की कला सीखी और कुछ दिनों के बाद वह दूसरे देश की यात्रा पर गया। वहां उसने जहाज बनाने की कला सीखी क्योंकि वहां जहाज बनाए जाते थे। फिर वह किसी तीसरे देश में गया और कई ऐसे लोगों के संपर्क में

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आदि शंकराचार्य की उक्ति

18 फरवरी 2015
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1. संसार की वस्तुओं के त्याग का अभिमान यह स्पष्ट संकेत देता है कि त्यागने वाले के मन में उन वस्तुओं की साथर्कता बनी हुई है। निरर्थकता के इस बोध को ही 'हेय बुध्दि' कहते हैं। क्या कभी किसी ने मल त्याग का अभिमान किया है ? 2. ज्ञान की प्राप्ति केवल विचार एवं चिंतन से ही हो सकती है, अन्य किसी साधन से नह

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बुरा जो देखन मै चला

18 फरवरी 2015
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एक महात्मा बहुत ज्ञानी और अंतर्मुखी थे। अपनी साधना में ही लीन रहते थे। एक बार एक लड़का उनके पास आया और उसने कहा हे महात्मा आप मुझे अपना चेला बना लीजिए। बुढ़ापा आ रहा है यह सोचकर उन्होंने उसे चेला बना लिया। चेला बहुत चंचल प्रकृति का था। ध्यान में उसका मन नहीं लगता था। गुरु ने कई बार उसे समझाने की चे

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छोटी-मोटी लेकिन बड़ी बातें

20 फरवरी 2015
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1. जैसे एक सचेत व्यापारी अपने सारे पैसे एक जगह नहीं निवेश करता उसी तरह बुद्धिमत्ता भी शायद हमें यह चेतावनी है कि हम अपनी सारी खुशियां किसी एक जगह से पाने की अपेक्षा न करें। 2. जो आपने सीखा है उसे भूल जाने के बाद जो रह जाता है वो शिक्षा है। 3. जो छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं लेता है उस

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पानी न हो तो क्या होगा

21 फरवरी 2015
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संता- अगर धरती पर पानी न हो तो क्या होगा ? बंता- अगर पानी नहीं होगा तो लोगों को ज्यादा प्यास लगेगी और जब ज्यादा प्यास लगेगी तो लोग सारा पानी पी जायेंगे। संता- अरे, पानी होगा ही नहीं, तो क्या होगा ? बंता- अगर पानी नहीं होगा तो इंसान तैर नहीं पायेगा और जब तैर नहीं पायेगा तो डूब के मर जायेगा। संता-

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मौसेरा भाई हूं

22 फरवरी 2015
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कई वर्ष पहले धार में राजा भोज का शासन था। उस राज्य में एक गरीब विद्वान रहता था। आर्थिक तंगी से घबराकर एक दिन विद्वान की पत्नी ने उससे कहा-आप राजा भोज के पास क्यों नहीं जाते? वह विद्वानों का बड़ा आदर करते हैं। हो सकता है आपकी विद्वता से प्रभावित होकर वह आपको ढेर सारा धन दे दें। विद्वान राजा के दरबार

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एक लीटर आलू देना

23 फरवरी 2015
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पिता अपने बेटे को खरीदारी करना सिखा रहा था। पिता दुकानदार बना और बेटा खरीदार। बेटा- एक लीटर आलू देना। पिता- नहीं बेटा, आलू किलो में आता है। बेटा- अच्छा तो एक किलो कपड़ा दे दो। पिता- नहीं बेटा, कपड़ा किलो में नहीं मीटर में आता है। बेटा- अच्छा तो एक मीटर तेल ही दे दो। पिता- अरे बेटा, तुम रहने दो

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आपके गुरु कौन हैं

23 फरवरी 2015
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एक बार सुकरात से किसी ने पूछा, "आपके गुरु कौन हैं ?" सुकरात ने हंसते हुए उतर दिया, "तुम मेरे गुरु के संबंध में जानना चाहते ? समझ लो दुनिया भर के जितने मूर्ख हैं, सभी मेरे गुरु हैं ।" उस व्यक्ति को लगा कि सुकरात जरुर मजाक कर रहे हैं । उसने फिर प्रश्न दोहराया । सुकरात ने स्पष्ट किया, "मैं..--->>>>> ht

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अहंकारपूर्ण व्यवहार

25 फरवरी 2015
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एक बार की बात है मगध के व्यापारी को व्यापार में बहुत लाभ हुआ। इसके बाद से वह अपने अधीनस्थों से अहंकारपूर्ण व्यवहार करने लगा। व्यापारी का अहंकार इतना प्रबल था कि उसके देखते हुए उसके परिजन भी अहंकार के वशीभूत हो गए। जब सभी के अहंकार आपस में टकराने लगे तो घर का वातावरण नर्क की तरह हो गया। दुःखी होकर

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ज्ञान का भंडार

25 फरवरी 2015
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तक्षशिला में एक प्रतिष्ठित गुरुकुल था । एक विद्यार्थी ने वहाँ काफी दिनों तक शिक्षा प्राप्त की । अपना अध्ययन पूरा कर वह घर जाने लगा । जाने से पहले गुरु के पास पहुँचकर बोला, गुरुदेव, अब तो मेरी शिक्षा पूर्ण हो गई । क्या मैं घर जा सकता हूँ ? गुरु बोले, "जा सकते हो, लेकिन जाने से पहले आखिरी कार्य करो ।

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आचार्य चाणक्य

26 फरवरी 2015
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1. संकट प्रत्येक मनुष्य पर आते हैं, परन्तु बुध्दिमान व्यक्ति संकटों और आपत्तियों से डरता है। उसे तभी तक डरना चाहिए जब तक वह सिर पर आ ही नहीं पड़तीं। जब संकट और दुख आ ही जाएं तो व्यक्ति को अपनी पूरी शक्ति से उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। 2. मनुष्य को अत्यंत सरल और सीधे स्वभाव का भी नहीं होना

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सबसे सख्त सजा

26 फरवरी 2015
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बगदाद के खलीफा रशीद अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे । एक बार उनके बेटे से किसी दरबारी ने दुव्यर्वहार कर दिया । बेटे ने खलीफा से इसकी शिकायत की और उस दरबारी को कड़ी से कड़ी सजा देने को कहा । खलीफा ने शांत होकर अपने बेटे की बात सुनी और कहा कि इस बारे में कल कोई फैसला करेंगे । अगले दिन खलीफा ने सारी

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भगवान का साथ

27 फरवरी 2015
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किसी नगर में एक धर्मपरायण शख्स रहता था। वह सदैव ईश-भक्ति में लीन रहता और इस बात का हमेशा ख्याल रखता कि उसके द्वारा किसी का अहित न हो जाए। उसे इस बात का भी पूरा भरोसा था कि यदि वह दूसरों का अहित नहीं करेगा तो उसका भी अहित नहीं होगा। वह हमेशा भगवान से प्रार्थना करता कि उस पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें

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चोट कहाँ लगनी चाहिए

27 फरवरी 2015
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एक सेठ की बहुत बड़ी मिल थी । उससे बहुत से लोगों की जीविका चलती थी । लाखों की उनकी आमदनी थी । एक दिन अचानक वह मिल बंद हो गई । किसी मशीन में कोई खराबी हो गई । काम रुक गया । लोग इधर उधर भाग-दौड़ करने लगे । बहुतों ने अपने दिमाग लगाये, लेकिन मशीन चालू नहीं हुई । इतने में एक व्यक्ति आया । उसने मशीन को ध्यान

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अनमोल वचन

28 फरवरी 2015
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# डर बिना उम्मीद के नहीं हो सकता और उम्मीद बिना डर के। # डरपोक अपनी मृत्यु से पहले कई बार मरते हैं और बहादुर मौत का स्वाद और कभी नहीं बस एक बार चखते हैं। # तस्वीर एक मूक कविता है जिसके शब्द नहीं और कविता एक बोलती तस्वीर है जिसके चित्र नहीं। # तीन तरह के लोग होते हैं ; ज्ञान के प्रेमी, सम्मान के प

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नारी का सम्मान करें

28 फरवरी 2015
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एक विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद के समीप आकर बोली मैं आपस शादी करना चाहती हूं। विवेकानंद बोले क्यों? मुझसे क्यों ?क्या आप जानती नहीं कि मैं एक सन्यासी हूं?औरत बोली मैं आपके जैसा ही गौरवशाली, सुशील और तेजोमयी पुत्र चाहती हूं और वो वह तब ही संभव होगा। जब आप मुझसे विवाह करेंगे। विवेकानंद बोले हमारी शा

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संयम से मन की शांति

1 मार्च 2015
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महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के संग जंगल से गुजर रहे थे। दोपहर को एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने रुके। उन्होंने शिष्य से कहा, 'प्यास लग रही है, कहीं पानी मिले, तो लेकर आओ।' शिष्य एक पहाड़ी झरने से लगी झील से पानी लेने गया। झील से कुछ पशु दौड़कर निकले थे, जिससे उसका पानी गंदा हो गया था। उसमें कीचड़ ही

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अंतिम परीक्षा

7 मार्च 2015
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एक बार गुरुकुल में तीन शिष्यों की विदाई का अवसर आया तो आचार्य बहुश्रुत ने कहा की सुबह मेरी कुटिया में आना। तुम्हारी अंतिम परीक्षा होगी। आचार्य बहुश्रुत ने रात्रि में कुटिया के मार्ग पर कांटे बिखेर दिए। सुबह तीनों शिष्य अपने-अपने घर से गुरु के निवास की ओर चल पड़े। मार्ग पर कांटे थे। लेकिन शिष्य भी क

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अनमोल वचन-५

10 मार्च 2015
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हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम हैं। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता हैं, तो उसे कष्ट ही मिलता हैं। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता हैं, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोडती। -भगवान बुद्ध क्रोध से भ्रम पैदा होता हैं। भ

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क्रोध का कारण

14 मार्च 2015
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एक दिन जूलियस सीजर को ढेर सारे पत्रों का एक बंडल प्राप्त हुआ । ये पत्र उन्हें उन के शत्रु द्वारा लिखे गए थे। सीजर ने उन पत्रों को पढ़े बिना ही आग में झोक दिया। उसी समय उन के एक मित्र ने कक्ष में प्रवेश किया। यह सब देख उसने सीजर से पूछा, "आपने ये पत्र जला क्यों दिए ? इन्हें तो आपको शत्रु के विरुद्ध

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अनमोल वचन-6

16 मार्च 2015
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@ ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं| वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार हैं!-स्वामी विवेकानन्द @ यदि आप बार-बार शिकायत नहीं करते हैं तो आप किसी भी कठिनाई को दूर कर सकते हैं।-बर्नार्ड बारूक @ लोग अक्सर कहते हैं कि प्रेरक विचारों से कुछ

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अनमोल वचन-7

17 मार्च 2015
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# हास्य दिल खोल देता हैं और आत्मा को शांती देता हैं| किसी को भी ज़िन्दगी को इतनी संजीदगी से नहीं लेना चाहिए कि वे खुद पर हँसना भूल जाएं।-रॉबिन शर्मा # मैं सभी जीवित लोगों में सबसे बुद्धिमान हूँ, क्योंकि मैं ये जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता हूँ|-सुकरात # ये कहना कि आपके पास अपना विचार और

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अनमोल वचन-8

18 मार्च 2015
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$ बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंक नहीं देना चाहिए| जहां छोटी सी सुई काम आती हैं, वहां तलवार बेचारी क्या कर सकती हैं?-रहीम $ सही चीज करने के बाद, सबसे ज़रूरी चीज हैं लोगों का ये जानना कि आप सही चीज कर रहे हैं|-जॉन रॉकफेलर $ अगर कोई काली बिल्ली आपका रास्ता काटती हैं, तो इसका मतलब हैं

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अनमोल वचन-9

20 मार्च 2015
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1. शक करने वाले बोले, "आदमी उड़ नहीं सकता" काम करने वाले बोले "हो सकता हैं, लेकिन हम प्रयास करेंगे" और आखिरकार एक चमकती सुबह वे ऊपर उड़ गए, जबकि शक करने वाले नीचे से देखते रह गए।-ब्रूस ली 2. जितना एक मूर्ख व्यक्ति किसी बुद्धिमानी भरे उत्तर से नहीं सीख सकता उससे अधिक एक बुद्धिमान एक मूर्खतापूर्ण प

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बलि का बक़रा

20 मार्च 2015
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एक बार देवर्षि नारद अपने शिष्य तुम्बुरु के साथ कही जा रहे थे। गर्मियों के दिन थे एक प्याऊ से उन्होंने पानी पिया और पीपल के पेड़ की छाया में बैठे ही थे कि अचानक एक कसाई वहां से 25-30 बकरों को लेकर गुजरा उसमे से एक बकरा एक दुकान पर चढ़कर घांस खाने के लिए दौड़ पड़ा। दुकान शहर के मशहूर सेठ शागाल्चंद

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आचरण का प्रभाव

22 मार्च 2015
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एक बार एक स्त्री महाराष्ट्र के महान संत ज्ञानेश्वर महाराज के पास आई। वह अपने छोटे बच्चे को भी साथ लाई। उस स्त्री ने संत से कहा कि मेरे बेटे को अपच की बीमारी है। मैने इसका इलाज कई दवाईयों और औषधियों से किया पर यह ठीक नहीं हुआ। संत ज्ञानेश्वर ने कहा कि 'इसे आप कल लेकर आना। दूसरे दिन जब वह स्त्री लड़क

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आचार्य चाणक्य का महल

25 मार्च 2015
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पाटलिपुत्र के मंत्री आचार्य चाणक्य बहुत ही विद्वान और न्यायप्रिय व्यक्ति थे। वह एक सीधे आैर ईमानदार व्यकि् भी थे। वे इतने बडे साम्राज्य के महामंत्री होने के बावजूद छप्पर से ढकी कुटिया में रहते थे। एक आम आदमी की तरह उनका रहन-सहन था। एक बार यूनान का राजदूत उनसे मिलने राजदरबार पहुंचा। राजनीति और कूटनी

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कल की चिंता

1 अप्रैल 2015
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एक नगर में एक संपन्न सेठजी रहते थे। वह दिनभर खूब मेहनत से काम करते थे। एक दिन उन्हें न जाने क्या सूझा कि अपने मुनीम को बुलाकर कहा, 'पता करो हमारे पास कितना धन है और कब तक के लिए पर्याप्त है?' कुछ दिन बाद मुनीम हिसाब लेकर आया और सेठ जी से बोला, 'जिस हिसाब से आज खर्चा हो रहा है, उस तरह अगर आज से कोई

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सिंहनी का दूध

3 अप्रैल 2015
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समर्थ गुरु रामदास स्वामी अपने शिष्यों में सबसे अधिक स्‍नेह छत्रपति शिवाजी महाराज से करते थे। शिष्य सोचते थे कि उन्हें शिवाजी से उनके राजा होने के कारण ही अधिक प्रेम है। समर्थ ने शिष्यों का भ्रम दूर करने के बार में विचार किया। एक दिन वे शिवाजी सहित अपनी शिष्य मंडली के साथ जंगल से जा रहे थे। रात्रि ह

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तीन बातों का चमत्कार

10 अप्रैल 2015
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न्यायप्रिय राजा हरि सिंह बेहद बुद्धिमान था। वह प्रजा के हर सुख-दुख की चिंता अपने परिवार की तरह करता था। लेकिन कुछ दिनों से उसे स्वयं के कार्य से असंतुष्टि हो रही थी। उसने बहुत प्रयत्न किया कि वह अभिमान से दूर रहे पर वह इस समस्या का हल निकालने में असमर्थ था। एक दिन राजा जब राजगुरु प्रखरबुद्धि के पास

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खुदा का साथ

15 अप्रैल 2015
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एक बार सूफी संत खय्याम अपने शिष्य के साथ बीहड़ से जा रहे थे। उनके नमाज पढ़ने का समय हुआ तो, गुरु और शिष्य दोनों नमाज पढ़ने के लिए बैठे ही थे कि उन्हें सामने से एक शेर की गर्जना सुनाई दी। शिष्य बेहद परेशान हो गया और नजदीक के ही पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन खय्याम खामोशी से नमाज पढ़ते रहे। शेर वहां आया और

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अखरोट का पेड़

17 अप्रैल 2015
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फारस देश का बादशाह नौशेरवां न्यायप्रियता के लिए विख्यात था। एक दिन वह अपने मंत्रियों के साथ भ्रमण पर निकला। उसने देखा कि एक बगीचे में एक बुजुर्ग माली अखरोट का पौधा लगा रहा है। बादशाह, माली के पास गया और पूछा, 'तुम यहां नौकर हो या यह तुम्हारा बगीचा है? तब उस माली ने कहा कि,'मै यहां नौकरी नहीं करता।

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कीमती संदूक

22 अप्रैल 2015
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एक बार सिकंदर के पास एक सैनिक अधिकारी आया और उसने एक सुंदर स्वर्ण जड़ित संदूक पेश किया। सिकंदर के पूछने पर उसने बताया कि वह संदूक ईरान में लूट के दौरान मिला है जिसे वह भेंट स्वरूप देना चाहता है। सिकंदर उस संदूक पर की गई नक्काशी देख बहुत प्रभावित हुआ और उसने अपने दरबारियों से पूछा कि संदूक में कौन-क

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अनोखे मित्र

8 मई 2015
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एक बार दो मित्र साथ-साथ एक रेगिस्तान में चले जा रहे थे। रास्ते में दोनों में कुछ कहासुनी हो गई। बहसबाजी में बात इतनी बढ़ गई की उनमे से एक मित्र ने दूसरे के गाल पर जोर से तमाचा मार दिया। जिस मित्र को तमाचा पड़ा उसे दुःख तो बहुत हुआ किंतु उसने कुछ नहीं कहा वो बस झुका और उसने वहां पड़े बालू पर लिख दिय

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अनोखे मित्र

8 मई 2015
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एक बार दो मित्र साथ-साथ एक रेगिस्तान में चले जा रहे थे। रास्ते में दोनों में कुछ कहासुनी हो गई। बहसबाजी में बात इतनी बढ़ गई की उनमे से एक मित्र ने दूसरे के गाल पर जोर से तमाचा मार दिया। जिस मित्र को तमाचा पड़ा उसे दुःख तो बहुत हुआ किंतु उसने कुछ नहीं कहा वो बस झुका और उसने वहां पड़े बालू पर लिख दिय

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माँगनेवाला भिखारी

16 मई 2015
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सूफी फकीर फरीद से एक बार उनके गांव के व्यक्ति ने कहा कि गांव में मदरसे की जरूरत है। बादशाह तुम्हारी बात मानते हैं, इसलिए तुम उनसे कहो। फरीद ने कहा कि, ठीक में चला जाउंगा। फरीद सुबह के वक्त गए। उनके लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। उन्हें सीधे महल में ले जाया गया। उस समय बादशाह खुदा को याद कर रहा था। और दोन

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बापू का आत्मबल

23 मई 2015
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एक दिन सेवाग्राम में कुछ पहलवान आ पहुंचे और गांधीजी से अपने दो-चार खेल देख लेने का आग्रह करने लगे। गांधीजी ने कहा, 'एक तो मेरे पास समय नहीं है, दूसरे जो चीज देश के काम नहीं आती, उसे देखने में मेरा मन नहीं लगता। फिर तुम्हें इनाम चाहिए होगा, वह मैं कहां से दूंगा? मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं

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सुखदा मणि का राज

29 मई 2015
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बहुत पुरानी बात है। एक संत थे। धर्म में श्रद्धा के कारण वह हमेशा खुश रहते थे। उनके चेहरे से उल्लास टपकता था। एक बार कुछ चोरों ने समझा कि संत के पास कोई बड़ी दौलत है, अन्यथा हर घड़ी इतने प्रसन्न रहने का और क्या कारण हो सकता है? अवसर पाकर चोरों ने संत का अपहरण कर लिया, जंगल में ले गए और बोले, हमने सु

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बेईमान कौन ?

7 जून 2015
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किसी गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक भैंस थी, जो दूध से दही और मक्खन बना कर बेचने का काम करता था। एक दिन उसकी पत्नी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया। वह उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुआ। वे मक्खन गोल-गोल पेड़ों की शक्ल मे बने हुए थे और हर एक पेड़े का वजन एक किलो था। शहर में किसा

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शराब है ख़राब

12 जून 2015
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संत तिरुवल्लुवर एक बार अपने शिष्यों के साथ कहीं चले जा रहे थे। रास्ते में आने-जाने वाले लोग उनका अभिवादन कर रहे थे। तभी अचानक,एक शराबी झूमता हुआ उनके सामने आया और तनकर खड़ा हो गया। उसने संत तिरुवल्लुवर से कहा, 'आप लोगों से यह क्यों कहते हैं कि शराब घृणित चीज है, मत पिया करो। क्या अंगूर खराब होते है

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इंसान खो गया है !

23 जून 2015
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एक दार्शनिक थे। वह चिंतन में लीन रहते थे। बोलते थे, तो बड़ी गहरी बात कहते थे। इससे लोग उनका बहुत मान-सम्मान किया करते थे। लेकिन कभी-कभी उनकी बातें अजीब-सी होती थीं, और वो स्वयं अपनी ही बातों पर हंसी नहीं रोक पाते थे। एक दिन लोगों ने देखा कि दार्शनिक महोदय हाथ में जलती लालटेन लिए कहीं जा रहे थे। दोप

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