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बनारसी प्रेम

8 नवम्बर 2021

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मै इश्क कहुँ
तुम बनारस समझना
मै दोस्ती कहुँ
तुम प्यार का इजहार समझना..
मै कॉफी कहुँ
तुम चाय पर अडे रहना..
मै खामोश रहुँ
तुम मेरी आंखे पढना..
मै लॉन्ग ड्राइव कहुँ
तुम पैदल ही सुनी सडको पर
खामोशि से साथ चलना..
मै इश्क कहुँ
तुम बनारस समझना...
मै आलिंगन चाहुँ
तुम भीड मे मेरा हाथ थमना..
मै मुस्कुराती रहुँ
तुम मुस्कुराहट के पीछे छीपे दर्द को समझना..
मै लडती रहुँ
तुम मेरी ताकत बने रहना..
मै सजना सँवरना चाहुँ
तुम सादगी मे छिपी मेरी सुंदरता देखना..
मै इश्क कहुँ
तुम बनारस समझना...
मै साथ मे कुछ लम्हे चाहुँ
तुम जीवन के अंतिम क्षण तक मेरे साथ रहना..
मै सुकुन चाहुँ
तुम मुस्कुराते रहना..
मै मुलाकात चाहुँ
तुम ढलती हुई शाम मे
घाट पर मेरा इंतजार करना..
मै परेशान रहुँ
तुम घाट पर महाआरती मै
मुझे ले जाना..
मै खुश रहना चाहुँ
तुम बस मेरे साथ बनारस के होकर रह जाना..
मै इश्क कहुँ
तुम बनारस समझना...


ममता

ममता

अच्छी रचना

9 नवम्बर 2021

Preeti Rathore

Preeti Rathore

9 नवम्बर 2021

Shukriya

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