shabd-logo

भाग - 3

23 अप्रैल 2022

48 बार देखा गया 48
इडियट्स भाग - 3
⚫⚫

समय   लगभग सुबह का दस बजकर तीस मिनट होने वाला होगा । विद्यालय के आॅफिस का ठीक बगल में एक काउंटर खिड़की है, और उस खिड़की के पास ही स्कूल का नोटिशबोर्ड लगा हुआ है, जिस पर  रामू काका इत्मीनान से एक नोटिस चिपका रहें हैं। नोटिस नामांकन के संदर्भ में दिया गया है। नोटिस को दीवार पर  चिपकते   ही, पंद्रह-बीस लोगो का समूह जो विद्यालय के प्रांगण में बैठे या खड़े थें, तेजी से चलते हुए नोटिसबोर्ड  तक पहुंचते हैं, और आपाधापी मचाते हुए नोटिस को देखने लगतें हैं। 

नोटिस में उन बच्चों का नाम है, जिसे सरकार के द्वारा स्कूल को रकम दिया जाता है पढ़ने के एवज में । ऐसे बच्चो की सीटें आरक्षित होती है। हर साल आरक्षित सीटों पर नामांकन होना जरूरी है, क्योंकि इससे विद्यालय की मोटी आमदनी हो जाती है। 

रामू काका नोटिस चिपकाने के उपरांत तेजी से उस दिशा की ओर बढ़ चलतें हैं, जिधर पुस्तकालय है। 

सभी वर्ग में पढ़ाई चल रही है। लेकिन ये लड़की इधर क्या कर रही है? रामू काका ने सुभांगी को देखते ही सोचने लगे। सुभांगी दाशवीं से ग्यारहवीं में गयी है। विद्यालय के पुराने विद्यार्थियों में इसकी गिनती होती है। 

"इधर क्या करती हो? " 
-रामू काका सुभांगी को देखते ही सवाल कर बैठे। 

"ऐसे ही अंकल कुछ काम से आयीं हूँ ।" -इतना बोलकर सुंभागी शौचालय की ओर बढ़ जाती है , लेकिन रामू काका का मन कहाँ सुभांगी को बख्शने वाला था। वो भुनभुनाते हुए सुभांगी को देखतें हुए सोचने लगते हैं, ये लड़की कभी नहीं सुधरनेवाली। एकबार तो ये तमाशा लगा चूकी है विद्यालय में। पता नहीं अब कौन सी गुल खिलानेवाली है यह । 

तभी रामू काका की नजर विद्यालय के मुख्य द्वार की ओर चला जाता है। मुख्य द्वार पर एक सत्रह - अट्ठारह साल का एक लड़का, साधारण वेश-भूषा में अंदर की ओर झॉकते हुए दिखाई दिया। वह बाहर सड़क की तरफ से अंदर की ओर बार - बार देखे जा  रहा था, परंतु वो विद्यालय के अंदर प्रवेश नहीं कर पा रहा था। सच पूछा जाय तो वह कभी मुख्य द्वार पर आ रहा था, और फिर मुख्य द्वार पर से आकर, वापस सड़क की तरफ ही लौट जा रहा था। 

"क्या नाम है जी, किस काम से आये हो? " - तभी सभी के नजरों से छूपाकर खैनी ठोकते हुए गार्ड ने उस लड़का की ओर तेजी से बढ़ते हुए बोल पड़ा। 

"जी - जी सरजी, मेरा नाम,  नवीन, नवीन पट पटनायक है ।" नवीन पटनायक ने हकलाते हुए गार्ड से बोल पड़ा। 

"तो इ हकला क्यो रहे हो, क्या एकदम इडियट् ही हो...? " 
"न - न - नहीं सरजी ऐसी ऐसी बात नहीं है ।" 
"तो?" - गार्ड ने सवालिया नजरों से देखते हुए नवीन से बोला । 
" म - मैं अंदर जाना चाहता हूँ, ले- लेकिन, गे - गेट बंद है।" 
"काहे को अंदर आना है तेरे को... ये स्कूल है कोई पागल खाना नहीं चलो यहाँ से । "

नवीन पटनायक कुछ ऐसा ही लग रहा था उस समय गार्ड की नजरों में। पैर में एक पुरानी हवाई चप्पल, चेहरे पर अस्तव्यस्त बाल, धूल से भरा हुआ कपड़ा देखकर कोई भी व्यक्ति उसको मुर्ख की उपाधी से सम्मानित आराम से कर सकता था। लेकिन नवीन कोई पागल नहीं था। 

" ए - ए ऐडमिशन करवाने हैं सरजी मुझको अंदर आने दीजिए। "-नवीन पटनायक हकलाते हुए गार्ड से बोल पड़ा था।
नवीन पटनायक को इतना बोलते ही गार्ड ने मुँह बनाते हुए नवीन को ऊपर से लेकर नीचे तक  देखना शुरू किया।
कुछ देर तक अपनी नजरों से नवीन को स्कैन करने के बाद गार्ड  बोल पड़ा, - "ठीक है अंदर आओ  ।"

नवीन ने जैसे ही विद्यालय का मुख्य द्वार से चलते हुए अंदर कदम रखा, वैसे ही गार्ड ने विद्यालय का मुख्य द्वार फिर से बंद करते हुए नवीन को जाते हुए गौर से देखने लगा, और देखते हुए वह सोचने लगा, - यह लड़का है या पजामा है, यहाँ तो बड़े-बड़े घरो के बच्चे पढ़तें हैं, या नहीं तो उन घरो को बच्चे आते हैं जिनको सरकार से मदद मिलता है। और ये लड़का तो दोनों में से नहीं है  , खैर जानो दो, मेरा क्या जाता है ।

गार्ड मुस्कुराहट भरे अंदाज में सोचते हुए नवीन को देखे  जा रहा था।

कुछ ही मिनटों के अंदर नवीन नोटिसबोर्ड तक पहुंच गया था। उसने नोटिसबोर्ड तक पहुंचते हीं किसी से प्रिसिंपल का बैठने का स्थान पुछा, तो वह  व्यक्ति ने दायें तरफ अपना हाथ की अंगुली से इशारा कर दिया।

नवीन तेज कदमों से  चलते हुए उस दिशा में आगे बढ़ने लगा जिधर प्रिसिंपल का आॅफिस था। परंतु जैसे हीं वह आॅफिस के सामने आया तो देखा, आॅफिस का गेट पर  ताला लगा हुआ था।

वह पलटा, 
और इधर-उधर देखने लगा। स्कूल बहुत ही अच्छा था। तीन मंजिला बिल्डिंग वाला स्कूल में कई बड़े - बड़े कमरे थें, जिसमें कुछ कमरा खाली, तो कुछ में छात्रगण शिक्षक को लेक्चर सुन रहें थें। जिस कमरा में  किसी कारण से शिक्षक नहीं थें, उस कमरा से शोरगुल की आवाज़ें आ रही थी।

"क्या काम है... ?"

नवीन पटनायक इधर-उधर आश्चर्य भरे नजरों से देख ही रहा था प्रिंसिपल आॅफिस के सामने खड़ा होकर, तभी पीछे से एक स्त्री की खनकती हुई आवाज उसके कानो से टक्कराई । वह हड़बड़ाहट में पीछे की ओर पलटा, तो देखा - एक स्त्री तेज - तेज कदमों से नवीन की ओर ही आ रही थी।

"क्या काम है?"
-वह स्त्री ने दूबारा सवाल की।

"ऐडमिशन हो रहा है मैंम?"
-इसबार नवीन ने बोलते हुए हकलाया नहीं था।

"हाँ हो रहा  हैं।"
"म म मुझको भी करवाने हैं।"
-नवीन को इतना बोलते ही स्त्री मुस्कुराती हुई नवीन को देखने लगी। और कुछ सेकेंड बाद बोली, - "पैरेंट्स को साथ में लाये हो?"

"न न नहीं मैंम।"
"हकलाते हुए क्यों बोलता है? "
" प - प पता नहीं।"
"तो बीना पैरेंट्स को ऐडमिशन नहीं होगा, पैरेंट्स को आना जरूरी है। "
" क क क्यों मैंम?"
-नवीन ने सवाल खड़ा किया।
"क्योंकि तुमको एक टेस्ट से गुजरना होगा और साथ में तुम्हारे पैरेंट्स को भी इंटरव्यू होगा। दोनों को क्वालिफाइड होना जरुरी है, तब यहाँ ऐडमिशन मिलेगा नहीं तो ऐडमिशन संभव नहीं है। "
इस बात पर नवीन बगले देखने लगा। उसको यह समझ में नहीं आ रहा था कि पढ़ाई मुझको करना है या मेरे पैरेंट्स को..... ।


क्रमशः जारी। 

निरंजन कुमार (मुंना) की अन्य किताबें

11
रचनाएँ
इडियट्
0.0
इडियट् निरंजन कुमार 'मुंना' द्वारा रचित एक धारावाहिक उपन्यास है । इस उपन्यास के माध्यम से लेखक आधुनिक परिवेश में जिन्दगी जीते हुए कम उम्र, और पुराने ख्यालतों का समर्थक विक्रम बाबू की कहानी है। इसमें युवाओं की सोच, पश्चिम सस्कृति के असर, भ्रष्ट होता शिक्षा व्यवस्था से लेकर, मित्रों और आधुनिक परिवेश से उपजा वैसी सोच का लेखक ने चित्रण करने की कोशिश किया है, जो आगे चलकर भारतीय युवाओं के लिए परेशानी का कारण बनता है।
1

भाग - 1

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट्स -१भाग - १⚫⚫बदलते हुए परिवेश में हमारी शिक्षा भी बदल रही है, और सोच भी बदल रहा है। ऐसे भी हम अच्छी तरह से जानतें हैं कि परिवर्तन ही

2

भाग - 2

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट् भाग-2⚫⚫साइकिल के पीछे अखबार का पुलिंदा लादे, सुबह - सुबह अखबारवाला बड़ा ही अजब स्टाइल से घर के आगे, अखबार डालकर, साइकिल की घंटी बजतें हुए आगे बढ़ जाता है ।उसके ठीक बाद, कुछ ही मिनटों में, अखबार

3

भाग - 2 जारी

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट्स भाग-2 जारीउनको पता है जिन्दगी में आगे बढ़ने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़तें हैं। कितना चिरौरी लोगों के बीच में जाकर करना पड़ता है। कितना झूठ का चासनी लगाना पड़ता है।यह सब सोचते हुए जनार्दन बाब

4

भाग - 3

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट्स भाग - 3⚫⚫समय लगभग सुबह का दस बजकर तीस मिनट होने वाला होगा । विद्यालय के आॅफिस का ठीक बगल में एक काउंटर खिड़की है, और उस खिड़की के पास ही स्कूल का नोटिशबोर्ड लगा हुआ है, जिस पर&nbsp

5

भाग - 3 जारी

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट्स भाग तीन जारीनवीन पटनायक को सोचते हुए देखकर वह स्त्री बोल पड़ी, - "क्या सोच रहे हो...? ""आपका नाम, आपका नाम क्या है मैंम? ""मेरे नाम के संदर्भ में सोच रहा था? मेरा नाम है शांति देवी और मै

6

भाग - 4

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट्स भाग - 4⚫⚫रात को करीब आठ बजने ही वाला होगा। विक्रम बाबू टेलीविजन पर न्यूज देख रहें थें। देश में बढ़ती हुई महंगाई और कोविड-19 से उपजी समस्या पर डिवेड चल रहा था। न्यूज़ चैनल पर गला फाड़ - फाड़कर

7

भाग - 4 जारी

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट्स भाग - 4 जारी।विक्रम बाबू को इतना बोलना था कि नायडू सामने से आती हुई बोली, - "हाँ - हाँ और क्या कीजिएगा, आप जैसे लोग जहाँ रहेंगे न, वहाँ का भट्ठा ऐसे ही बैठ जायेगा।"."अरे भाई तुमको रह - रहकर हो

8

भाग - 5

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट् भाग - 5⚫⚫जिस समय दुकानदार ने यह उड़ती हुई खबर विक्रम बाबू को सुनाया, उस समय लगभग रात्रि का नौ से ऊपर हो रहा होगा। विक्रम बाबू को उस समय खबर सुनकर दिल में कुछ खड़का सा लगा था ,

9

भाग - 5 जारी

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट् भाग - 5 जारीदिवानगी का वह चरम सीमा पर खड़ा था, लेकिन उसको यह पता नहीं था कि जिसको लिए मैं अपना सारा काम धाम - छोड़कर मरे जा रहां हूँ , उसको अंदर कई राज छूपे हैं।ऋतुराज को विक्रम बाबू नेहा से पह

10

भाग - 6

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट् भाग - 6⚫⚫"मैं, मैं भला क्यों नराज रहूंगा, वह भी तुमपर..!"विक्रम बाबू भी कम नहीं थें, यह बात को वो अच्छी तरह से जानतें थें, कि ऐसे कम उम्र वाले आशीक टाइप के लोगों से मुझको कैसे निपटने हैं।

11

भाग - 6 जारी

23 अप्रैल 2022
0
0
0

इडियट् भाग - 6⚫⚫"मैं, मैं भला क्यों नराज रहूंगा, वह भी तुमपर..!"विक्रम बाबू भी कम नहीं थें, यह बात को वो अच्छी तरह से जानतें थें, कि ऐसे कम उम्र वाले आशीक टाइप के लोगों से मुझको कैसे निपटने हैं।

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए