"कहते है ना, की हर किसी की शुरुआत बचपन से ही शुरू होती हैं।
तो यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है, यह कहानी शुरु होती हैं।"
"बचपन" से...
रचित और रचना की कहानी भी कुछ ऐसी शुरु होती हैं।
"रचित" बचपन से ही बहुत शरारती लड़का था, घर मैं सबका लाड़ला।
रचित का बचपन शुरू होता है, एक मिनी मुंबई के नाम से जाने वाला शहर इंदौर से।
रचित बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार था, उसे बचपन से ही हर चीज में बड़ा इंट्रेस्ट था। पढ़ाई से लेकर खेल कूद सब में।
उसका बस एक ही सपना था, उसे हर जगह टॉप करना है, फिर चाहे वो पढ़ाई हो या कुछ और...
वो हर जगह फर्स्ट आता चाहे वो पढ़ाई हो या खेलना। उसने अपनी पढ़ाई क्लास 1st से 10 th तक इंदौर में ही पूरी की थी। फिर उसके पापा को की एक सरकारी कर्मचारी थे, उनका ट्रांसफर होना ही था, और हुआ भी सोचो, सोचो कहा...
जी हां आपने सही समझा सपनो का शहर मुंबई।
रचित ने अपनी आगे की पढ़ाई यही से शुरू की, क्लास 11 th से 12 th तक।
अभी वो हर जगह तो टॉप करता ही था तो उसने वहा भी टॉप किया।
अभी वो 11 th में पहुंचा ही था, की...
उसकी क्लास में एक बहुत सुंदर सी लड़की ने भी एडमिशन लिया।
देखने में वो किसी हिरोइन से कम नहीं थी, 5"5 की हाईट सिल्म सी फिट, काली आखें, काले बाल, जुल्फों से लहराते हुए उसने पहली बार अपनी क्लास में एंट्री ली...
नाम था, "रचना"
अब दोस्तो आगे की कहानी आप भाग 2 में पढ़ेंगे।
मिलते है, भाग 2 में...