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भाग 4

31 अक्टूबर 2021

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अच्छा, ठीक है-ठीक है, गुस्सा नही हो, मैं तो बस यह कह रहा था एक बार उससे बात तो कर लेना, ताकि उसके दिल में क्या है यह पता चल सके, देख वो आ रही है------अजय ने युनिवर्सिटी के दरवाज़े की तरफ इशारा करते हुए कहा रूद्र ने मुड़ कर देखा तो वो अपनी दोस्त से गुस्से में कुछ कह रही थी।

दुआ तू सच में उन दोनों से बात करने वाली है-----छाया ने परेशान होते हुए पूछा।

हां छाया, क्योंकि अगर आज मैंने इनसे बात नही की ना तो कल मैं किसी से बात करने के लायक नही रहुंगी, पूरी युनिवर्सिटी में बदनाम हो जाऊंगी इन आवारा लड़कों की वजह से....

मैं अपने बाबा की इज्ज़त यूं ही मिट्टी में नही मिलने दे सकती-----दुआ ने गुस्से में छाया से कहा और तेज़ क़दमों से रूद्र के सामने आकर खड़ी हो गई, अजय और रूद्र दोनों ही उसको अपने सामने देख हैरान थे।

प्रोब्लम क्या है तुम दोनों की.......मेरे पिछे क्यों पड़े हो, एक हफ्ते से ज़्यादा हो गया है तुम लोगों को बर्दाश्त करते हुए, मगर अब बस बहुत बर्दाश्त कर लिया मैंने, आज तुमको समझा रही हूं, कल से नज़र नही आना वरना पुलिस कम्पलेन कर दूंगी---------दुआ ने रूद्र को घूरते हुए कहा।

ठीक है कर दो, मगर कोई पूलिस, कोई मिनिस्टर कोई भी मुझे तुमसे मिलने से नही रोक सकता----- रूद्र ने उसके गुस्से से लाल चेहरे को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा।

तुम समझते क्या हो खुद को, हो कौन तुम और मुझसे चाहते क्या हो----- दुआ ने गुस्से में कई सारे सवाल एक साथ कर दिए थे।

शादी करना चाहता हूं......प्यार करता हूं तुमसे इसलिए अब जिऊंगा तो तुम्हारे साथ ही क्योंकि मरने का कोई इरादा नही है------ रूद्र ने फिर से शरारती अंदाज़ में कहा जिस पर दुआ और सुलग गई।

बकवास बंद करो अपनी, बहुत देखे हैं तुम जैसे, 2-4 दिन में खुद हार जाओगे-------

बस करो तुम, चलो यहां से, इन लड़कों के मुंह लगने का कोई फायदा नही------छाया ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

नही छाया, आज मुझे बात करने दो......

प्लीज़ अभी चलो यहां से -------छाया यह कहते हुए, ज़बरदस्ती उसे वहां से ले गई।

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दो दिन गुज़र गए थे मगर उस दिन के बाद से रूद्र को वो लड़की दिखाई नही दी थी, जिसका वो दिवाना था, हां, छाया को ज़रूर देखा था।

रूद्र, कही वो डर तो नही गई-----अजय ने सोचते हुए कहा.

नही, वो डरने वालो में से नही है, ज़रूर कुछ हुआ है, मुझे पता करना होगा------ रूद्र ने परेशान होते हुए कहा।

मगर कैसे, अब तक तो हमको उसका नाम भी नही पता, उसके घर का पता तो दूर की बात है।

उसका ना सही मगर उसकी दोस्त का तो पता है ना----- युनिवर्सिटी से निकलती छाया को देख, रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा।

छाया रूको-------छाया युनिवर्सिटी से अभी थोड़ी दूर ही थी कि रूद्र ने उसको आवाज़ देते हुए रोका।

उसकी आवाज़ सुनकर वो काफी डर गई थी जो रूद्र ने भी महसूस कर लिया था।

एम् सोरी छाया, मैं तुमको ऐसे रोकना नही चाहता था मगर तुम्हारी दोस्त दो दिन से नही आई कहीं वो------ रूद्र ने इतना ही कहा था कि छाया बोल पड़ी।

यह नही सोचना वो तुमसे डर गई----छाया ने यही कहा था कि रूद्र मुस्कुराने लगा।

मुझे पता है छाया, वो किसी से नही डरती, यह तो मुझे पहली मुलाक़ात में ही पता चल गया था और तुमको भी मुझसे डरने की कोई ज़रूरत नही है, तुम मेरे लिए बहन जैसी हो.......मैं उससे बहुत प्यार करता हूं इसलिए उसके लिए परेशान था कि कहीं वो बीमार तो नही वरना ऐसे बीच रास्ते में तुमको कभी नही रोकता-------रूद्र ने थोड़ा शर्मिन्दा होते हुए कहा।

अगर तुम दुआ से सच में प्यार करते हो, तो भगवान के लिए युनिवर्सिटी के चक्कर लगाना बंद करो, तुम्हारी वजह से लोग उसके बारे में पता नही क्या-क्या बात कर रहे हैं------ छाया ने अब थोड़ी हिम्मत करके कहा।

"दुआ" उसका नाम दुआ है??? रूद्र ने हैरानी से पूछा।

तुमको अब तक उसका नाम भी नही पता था और मोहब्बत के दावे करते हो-------छाया ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

छाया मोहब्बत दिल से की जाती है, नाम से नही, खैर, मैं वादा करता हूं आज के बाद, मैं युनिवर्सिटी नही आऊंगा मगर बस में दुआ के डैड का नाम जानना चाहता हूं???

डॉक्टर फरहान सिद्दीकी!!!------छाया ने फौरन जवाब दिया और वहां से चली गई।

क्या हुआ रूद्र??? कुछ बताया छाया ने---- अजय ने रूद्र के कार में बैठते ही सवाल किया क्योंकि वो फोन पर बात कर रहा था तो उन दोनों की बातें नही सुन सका था।

हां उसका नाम--- रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा।

अच्छा, क्या नाम है उसका, मुझे भी तो पता चले, मेरी होने वाली भाभी का नाम---- अजय ने उत्सुकता से पूछा।

दुआ सिद्दीकी, शहर के जाने-माने डॉक्टर फरहान सिद्दीकी की बेटी!

क्या?????? अजय ने हैरानी से आंखें चौड़ाते हुए पुछा।

हां, हैं ना बहुत खुबसूरत नाम----- रूद्र ने मुस्कुराते हुए पूछा।

रूद्र तू पागल हो गया है, दुआ सिद्दीकी, मतलब वो मुसलमान है और तू हिन्दू, भूल जा उसे......

अजय ऐसा नही हो सकता.

रूद्र, मेरे भाई यह हिन्दुस्तान है, ठीक है ना, यहां लाखों मासूमों का खून बहा दिया जाता है, हिन्दू मुस्लिम के नाम पर......और तू मोहब्बत करने चला है वो भी अपने दादू को जानते हुए, वो मर जाएंगे मगर तुझे उससे शादी नही करने देंगे।

अजय तू मेरे दादू को जानता है तो मुझे भी समझता है ना, अब मैं मर जाऊंगा मगर अपना फैसला नही बदलूंगा।

उनका ही पोता हूं अगर मैंने उनके दिल की नफरत नही खत्म कर दी मुसलमानों के लिए, अगर मैंने सबको नही मना लिया अपनी शादी के लिए तो मेरा नाम भी रूद्र रघुवंशी नही-----यह कहते हुए रूद्र ने कार स्टार्ट कर दी।

अमित जी, अब तक कुछ पता उस लड़की का या नही------अहान ने गुस्से में पूछा।

सर मैंने पूरी कोशिश की थी, यहां तक आपके कहने के मुताबिक होटल के आसपास जहां कहीं किसी दुकान वगैरह पर सी.सी.टी.वी लगे हैं, उन सबकी रिकॉर्डिंग खुद देखी है मगर कहीं एक जगह भी उसका चेहरा नही दिख रहा।

कोई तो तरीका होगा उसे ढूंढने का------ अहान ने गुस्से में कांच की टेबल पर हाथ मारते हुए कहा जिससे अमित जी घबरा गए, उसके हाथ से खून बहने लगा था।

सर एक रास्ता है----अमित ने डरते हुए कहा।

क्या?? जल्दी बताओ अमित----अहान ने बेताबी से पूछा।

यही कि उस दिन होटल की जितनी भी बुकिंग हुई थी वो जिस-जिस शहर से हुई थी वहां जाकर ढूंढना जाए तो शायद वो हमको मिल जाए।

ठीक है, तुम जाकर रिकॉर्ड्स चैक करो और मुझे बताओं, हम कल ही निकलेंगे फिर-----अभी अहान यही कह रहा था कि उसकी मां का फोन आ गया।

हैलो! अस्सलामु-अलेकुम अम्मी.....क्या हुआ, सब ठीक है, आपको कुछ चाहिए तो बता दें,प मैं घर आते हुए ले आऊंगा।

नही बेटा। मुझे कुछ नही चाहिए, मैंने तो फोन इसलिए किया था कि तुम्हारी खाला का फोन आया था वो रात के खाने पर हम दोनों को बुला रही है फिर इस बहाने तुम राबिया से भी मिल लेना।

अम्मी मैं आज जल्दी नही आ सकता, आप ड्राइवर के साथ चली जाएं और हां प्लीज़ खाला को राबिया और मेरे रिश्ते के लिए मना भी कर दीजियेगा।

क्या??? अहान यह क्या कह रहे हो, अचानक क्या हो गया तुमको......अभी दो महीनों पहले तुमने खुद ही तो हां कहीं थी ना।

हां अम्मी कहीं थी, मगर सिर्फ आपकी खुशी के लिए क्योंकि तब मैं किसी से भी शादी करता मुझे फर्क नहीं पड़ता, मगर अब मेरे दिल में कोई रहता है अम्मी, एक चेहरा है जिसे मैं ढूंढना चाहता हूं, एक वजूद है जिसको अपना बनाना चाहता हूं..... बहुत दिनों से यह सब कहने की हिम्मत कर रहा था, मगर आपके सामने कह नहीं पा रहा था, इसलिए अभी फोन पर बता रहा हूं।

मगर बेटा राबिया तुमको बचपन से चाहती है तुम ऐसा कैसे कर सकते हों।

अम्मी प्यार वही कामयाब होता है जो दो तरफा हो, मैं उससे प्यार नही करता, उसको ज़िन्दगी भर रूलाने से बेहतर है, उसकी आंखों में आज कुछ आंसु दे दूं------- अहान ने यह कहते हुए फोन काट दिया और कुर्सी से सिर टिका लिया।

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क्या बात है दुआ, आज कुछ खास है, बहुत खुश लग रही हो----- छाया ने युनिवर्सिटी से निकलते हुए पुछा।

अरे!! खुश होने वाली तो बात है, तुमने देखा नही, आखिर उन दोनों आवारा लड़कों ने हार मान ही ली, ना आज सुबह नज़र आए और ना अब.......अगर मुझे पता होता मेरे दो दिन युनिवर्सिटी ना आने से वो मेरा पीछा छोड़ देंगे तो पहले ही ऐसा कर देती---- दुआ ने मुस्कुराते हुए कहा।

दुआ तुम ग़लत समझ रही हो, दरअसल कल मैंने उन लोगों से बात की थी।

क्या----दुआ ने हैरानी से कहा।

हां दुआ, मैं तुमको शुरू से बताती हूं और फिर छाया ने सबकुछ दुआ को बता दिया।

उन लोगों की इतनी हिम्मत, तुझे बीच रास्ते में रोक लिया, तुझे कम्पलेन कर देनी चाहिए थी-----दुआ ने गुस्से में कहा।

अरे!! बात को क्यों बढ़ाना, उसने अपना वादा निभाया ना और मुझसे तभी माफी भी मांग ली थी, तो बात खत्म......वैसे दुआ, मुझे लगता है, वो तुझसे सच में प्यार करता है, मेरा मतलब है कल वो तेरे लिए सच में परेशान था----छाया ने हिचकिचाते हुए कहा।

छाया बस कर, ठीक है ना, मुझे कुछ नही सुनना, उसके बारे में.....मेरा मूड नही खराब कर------दुआ ने मुंह बनाते हुए कहा।

अच्छा ठीक है, कल बात करते हैं, बाय-------यह कहते हुए छाया, वहां से चली गई।

छाया तो चली गई थी मगर जाते-जाते उसका‌ अच्छा खासा मूड खराब कर गई थी, पूरे रास्ते वो कुछ-कुछ बड़बड़ाते हुए घर पहुंची थी।

उसने घर में दाखिल होते हुए, ज़ोर से सलाम किया और ड्राइंग रूम की तरफ आ गई।

अम्मी, नानू, मैं आ गई, भूख लग रही है प्लीज़ चाय बना दें----वो यह कहते हुए अंदर आई ही थी कि सोफे पर बैठे शख्स को देख वही रूक गई।

तुम!!!! दुआ ने हैरानी से कहा।

दुआ बेटा, तुम जानती हो रूद्र को------ फरहान सिद्दीकी ने अपनी बेटी की तरफ देखते हुए पुछा।

हां अंकल, हम लोग पहली बार कश्मीर में मिले थे, इनका पैर पहाड़ से फिसल गया था तब मैंने ही बचाया था------- रूद्र ने दुआ का गुस्से से लाल चेहरा देख मुस्कुराते हुए कहा।

अरे!!! तब तो तुम हमारे लिए फ़रिश्ते जैसे हो, पहले मेरी जान से ज़्यादा अज़ीज़ बेटी को बचाया और आज मुझे.....अगर आज तुम सही वक्त पर मुझे धक्का नही देते तो पता नही क्या होता------ सिद्दीकी साहब ने सोचते हुए कहा।

अरे!!! यह तो मेरा फर्ज़ था अंकल----- रूद्र ने दुआ को देखते हुए कहा जो अभी भी उसे घूर रही थी।

बेटा तुम्हारा एक्सीडेंट मुझे बचाने के चक्कर में हुआ है, टांग में फ्रेक्चर हो गया है, अब जब तक तुम ठीक नही हो जाते मुझे कैसे सुकून मिलेगा------- फरहान सिद्दीकी ने अफसोस से उसके पैर को देखते हुए कहा।

अंकल आप मुझे, अपने घर ले आएं, मेरे प्लास्टर भी कर दिया और सबसे बड़ी बात मुझे इतना प्यार दिया यह सब बहुत है मेरे लिए, आप परेशान नही हो, मैं जल्द ही ठीक हो जाउंगा, फिलहाल मुझे जाने की इजाज़त चाहिए----- उसने उठने की कोशिश करते हुए कहा।

अरे!!!! ऐसे कैसे, मैं देखता हूं तुम्हारी आंटी को, तुम्हारे लिए पकोड़े बनाने गई थी अब तक नही आई------- यह कहते हुए फरहान सिद्दीकी किचन की तरफ चलें गए और दुआ गुस्से में उसके पास आ गई।

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर तक आने की------उसने फौरन ही रूद्र से सवाल किया।

अरे!!!! तुमने अभी सुना नही, तुम्हारे डैड को बचाया है मैंने------- रूद्र ने मासूम चेहरा बनाते हुए कहा।

ओह मिस्टर!!! यह एक्टिंग ना किसी ओर के सामने करना, अच्छे से समझती हूं तुम जैसे आवारा लड़कों की हरकतें----- दुआ ने दांत पिसते हुए कहा जिसे देख रूद्र मुस्कुरा दिया।

चलों मान लेते हैं, यह एक्सीडेंट सोचा-समझा था, जान कर खुशी हुई कि तुम बेवकूफ नही हो मगर यह तो तुम को भी मानना पड़ेगा कि मेरा प्यार सच्चा है, वरना अपनी टांग यूं ही तो नही तुड़वा लेता कोई----- रूद्र ने उसके गुस्से से लाल चेहरे को देखते हुए शरारत से कहा।

मैं अभी बाबा को तुम्हारी हकीक़त बता दूंगी, फिर देखते हैं कितना सच्चा प्यार है।

ठीक है, बता दो, मगर कहोगी क्या, मैं बैचारा, फ़रिश्ते जैसा इंसान, मुझ पर इतना बड़ा इल्ज़ाम लगाने से पहले एक सबूत तो होना चाहिए ना तुम्हारे पास----- रूद्र ने आहिस्ता से मुस्कुराते हुए कहा और दुआ के बढ़ते कदम वहीं रुक गए।

तुम!!! दुआ ने यही कहा था कि रूद्र ने उसकी बात काटते हुए कहा।

यह तो मेरी मोहब्बत की शुरुआत है, आगे-आगे देखो होता है क्या----- रूद्र यही कह रहा था कि आकिब कमरे में भागता हुआ आ गया।

आपी आप आ गई, यह देखे, रूद्र भईया ने मेरे मैथ्स की सारी एक्सरसाइज सोल्व करवा दी, आपको पता है, इनकी मैथ्स और हिस्ट्री दोनों बहुत अच्छी है, बहुत अच्छे से समझाते हैं यह----- आकिब ने अपनी नोटबुक उसको दिखाते हुए कहा।

आकिब यह सिर्फ कुछ देर के मेहमान है, इनकी मैथ्स अच्छी हो या हिस्ट्री इससे कोई फर्क नही पड़ता, तुम अंदर चलो, मैं तुमको पढ़ाती हूं-----दुआ ने अपने छोटे भाई का हाथ पकड़ते हुए कहा।

आपी ऐसा नही है, इन्होंने मुझसे वादा किया है कि यह अपने आफिस से वक्त निकाल कर हफ्ते में 2-3 बार मुझे पढ़ाने आएंगे, क्योंकि इस साल मेरे बोर्ड के इम्तेहान है ना.... क्यों रूद्र भईया आप आओगे ना------ आकिब ने रूद्र की तरफ देखते हुए पुछा।

आकिब अब तुम्हारी आपी नही चाहती तो मैं कैसे आऊंगा------ रूद्र ने मासुमियत से कहा।

भईया, आप अपना वादा तोड़ दोगे???? आपने तो डैड से भी बात कर ली ना जब आपके आने से डैड को कोई प्रोब्लम नही है तो आपी आपको क्यों कुछ कहेंगी------ आकिब ने मुंह बनाते हुए पूछा।

अच्छा ठीक है, ठीक है नाराज़ नही हो, मैं ज़रूर आऊंगा, अब वादा किया है तो निभाना पड़ेगा------ रूद्र ने दुआ को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा, जिसको देख दुआ गुस्से में आकिब को वहीं छोड़कर चली गई।

अमित जी, होटल बुकिंग के हिसाब से और कितने शहर है----- अहान ने चाय पीते हुए पुछा।

सर लखनऊ तो तकरीबन हमने पूरा छान लिया है, मगर उस लड़की का कोई पता नही, पांच शहर और है, मेरा ख्याल है, हमको अब मुम्बई में ढूंढना चाहिए----- अमित जी ने सोचते हुए कहा।

हम्मम! ठीक है, तो कल निकलते हैं----- अहान ने लम्बी सांस लेते हुए कहा।

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मोम, भाभी, चाची आप सब लोग प्लीज़ जाइए, मैं ठीक हूं, मुझे कुछ नही हुआ, हल्का-सा फ्रेक्चर है, थोड़े दिन में ठीक हो जाएगा----- रूद्र ने उन लोगों को अपने पास खड़े देखा तो थोड़ा उलझते हुए कहा।

मगर रूद्र तुमको इतनी चोट लगी है, अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हुई तो क्या करोगे, कोई तो होना चाहिए ना तुम्हारे पास------ जिया ने उसकी टांग पर बंधे प्लास्टर को देखते हुए कहा।

भाभी फोन है मेरे पास, कुछ चाहिए होगा तो फोन कर दूंगा मगर आप लोग अगर यूं ही खड़े रहे तो मैं आराम कैसे करूंगा------ उसने बुरा-सा मुंह बनाते हुए अपनी चाची को देखते हुए कहा।

हां जिया, ठीक तो कह रहा है रूद्र, इसको आराम की ज़रूरत है, चलो हम सब नीचे चलते हैं इसको आराम करने देते हैं----यह कहते हुए उसकी चाची, जिया और उसकी मोम को कमरे से बाहर ले गई कि तभी अजय कमरें मे आ गया।

अजय के बच्चे, आज मैं तुझे छोड़ूंगा नही-----उसको देखते ही, रूद्र ने यह कहते हुए उसकी तरफ एक तकिया फेंक कर मारा।

एम् सोरी, एम् सोरी रूद्र, यार माफ़ कर दें...... तूने ही तो कहा था ना एक्सीडेंट असली लगना चाहिए----- अजय ने आहिस्ता से कहा।

हां मैंने कहा था, मगर यह तो नही कहा था कि मेरी टांग तोड़ देना और सोच, अगर मैं ज़रा-सा चूक जाता तो बेचारे सिद्दीकी साहब का क्या होता----- रूद्र ने उसके एक ओर तकिया मारते हुए कहा।

अरे ग़लती हो गई!!! अब क्या जान लेगा---- अजय ने उसके पास बैठते हुए कहा।

अब मुझे एक्सपिरियंस थोड़ी नही है, लोगों का एक्सीडेंट करने का, वैसे यह बता कुछ बात बनी.....होने वाले ससुर जी इंप्रेस हुए की नही------अजय ने उत्सुकता से पूछा मगर इससे पहले रूद्र कुछ भी कहता उसकी निगाह दरवाज़े पर खड़ी भाभी पर पड़ी जो उन दोनों को बहुत हैरानी से देख रही थी।

भाभी आप---- रूद्र ने अपना होंठ काटते हुए आहिस्ता से कहा।

हां मैं रूद्र, तुमने इतनी बड़ी बात मुझे नही बताई---- जिया ने उन दोनों के पास आते हुए नाराज़गी से कहा।

भाभी मैं सब बताता हूं, अजय कमरे का दरवाज़ा बंद कर----- रूद्र ने अजय से कहा और फिर शुरू से आखिर तक, सब कुछ जिया को बता दिया।

रूद्र तुम्हारा दिमाग ठीक है, तुम सोच भी कैसे सकते हो, दादू को जानते होना, वो एक मुसलमान लड़की को कभी इस घर की बहू नही बनने देंगे....... 

भाभी आप भी बाकी सबकी तरह शुरू हो गई, मैं उससे प्यार करता हूं, मज़ाक नही है यह, आपने हमेशा मुझे अपना छोटा भाई माना है ना तो क्या आप मेरे सबसे बड़े इम्तेहान में मेरा साथ नही देंगी।

रूद्र, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं मगर याद रखना रूद्र, मोहब्बत का सफर आसान नही होता और जब मोहब्बत धर्मों की आग में जलती है ना तो बहुत कम लोग ही, इस आग के दरिया को पार कर पाते है।

भाभी मैं जानता हूं, आप फ़िक्र नही करो मैं सब सम्भाल लूंगा, आप देख लेना बहुत जल्द दुआ को सब अपना लेंगे मगर सबसे पहले मुझे दादू की आंखों से नफरत की पट्टी उतार इंसानियत दिखानी होगी, तभी यह हिंदू-मुस्लिम का भेद भाव रघुवंशी परिवार से खत्म होगा।

मगर कैसे रूद्र----- अजय और जिया दोनों ने एक साथ सवाल किया।

वो सब मैंने सोच लिया है, सबसे पहले मुझे दुआ और दादू को मिलवाना होगा और फिर रूद्र ने अपना पूरा प्लान उन दोनों को बता दिया।

रूद्र, ठीक है तुम जैसा कहोगे वैसा ही होगा------ जिया ने मुस्कुराते हुए कहा।

थैंक यू भाभी, मुझे पता था आप मेरा साथ ज़रूर दोगी।

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दादू आप कुछ कर रहे हैं----रूद्र ने उनके कमरे में आते हुए पुछा।

रूद्र, सम्भल कर, गिर जाओगे, टांग में फ्रेक्चर है ना कमरे से बाहर क्यों आए----- मुकेश रघुवंशी ने डांटते हुए पूछा।

दादू मैं थक गया हूं कमरे में बैठे-बैठे, 4-5 दिन हो गए, आपने मुझे आफिस भी नही जाने दिया, चलें ना कहीं चलते हैं------- रूद्र ने उनके पास बैठते हुए कहा।

रूद्र डाक्टर ने आराम करने के लिए कहा है...... बाला, जाओ रूद्र को उसके कमरे तक छोड़ कर आओ------ मुकेश रघुवंशी ने दरवाज़े के पास खड़े बाला को हुक्म दिया।

दादू मुझे नही जाना कमरे में, चलिए ना, आज हम दोनों अक्षरधाम मंदिर चलते हैं, बहुत दिन हो गए वहां गए हुए----- रूद्र ने बच्चों की तरह ज़िद्द करते हुए कहा।

अच्छा ठीक है, चलो चलते हैं---- मुकेश रघुवंशी ने उसकी ज़िद्द के सामने हारते हुए मुस्कुरा कर कहा।

दादू, क्या आज हम दोनों अकेले जा सकते हैं, मेरा मतलब है अगर आज आपके साथ बाला जी वगैरह ना जाए तो...... आज मैं बस आपके साथ टाइम स्पेंड करना चाहता हूं, बचपन की तरह----- रूद्र ने छोटे बच्चे की तरह मुंह बनाते हुए कहा।

अच्छा ठीक है, बाला जाओ इसके लिए पहले वील चेयर लेकर आओ तभी जाएंगे वरना कोई कहीं नहीं जा रहा------- मुकेश रघुवंशी ने सख्त अंदाज़ में कहा तो रूद्र खामोशी से मान गया, मुश्किल से डेढ़ घंटा लगा था और वो दोनों अक्षरधाम मंदिर पहुंच गए थे, रूद्र ने प्लान के हिसाब से अजय को भी फोन करके बुला लिया था।

दादू मुझे लगता है, यह चाट खाने की वजह से आपको खांसी हो गई, आप यहां बैठो मैं आपके लिए पानी लाता हूं------ रूद्र ने मुकेश रघुवंशी को एक जगह बिठाते हुए कहा इससे पहले वो उसे रोकते या कुछ कह पाते, रूद्र वील चेयर पर बैठा तेज़ी से वहां से चले गया और सीधा अजय से जाकर मिला।

यार रूद्र, तूने दादू को ऐसा क्या खिला दिया जो उनको इतनी खांसी हो रही है, कुछ नही अजय बस चाट में मसाला थोड़ा ज़्यादा डाल दिया, खैर प्लान के मुताबिक सब तैयार है ना????

हां, मगर तुझे पक्का यकीन है ना कि आज दुआ यहां आएंगी----- अजय ने सोचते हुए पूछा।

अजय आकिब ने मेरी तबियत पूछने के लिए फोन किया था तभी उसने बातों-बातों में बताया था कि आज वो लोग घूमने जाने वाले हैं......वैसे तो उनको अब तक आ जाना चाहिए था बाकी अगर उनका प्लान बदल गया हो तो, वो मुझे पता नही।

यार रूद्र------इससे आगे अजय कुछ कहता, उसकी निगाह दुआ पर पड़ गई।

लगता है आज भगवान जी भी तेरे साथ है----अजय ने मुस्कुराते हुए कहा।

मतलब---- रूद्र ने कुछ ना समझते हुए पुछा।

जनाब अपनी दाईं तरफ देखे, दुआ आ रही है और सीधा दादू की तरफ ही जा रहे हैं वो लोग...

रूद्र- रूद्र कहां हो बेटा-----मुकेश रघुवंशी का खांस-खांस बुरा हाल हो गया था वो आहिस्ता - आहिस्ता चलते हुए, इधर-उधर नज़र दौड़ा कर रूद्र को आवाज़ दे रहे थे मुश्किल से वो 10-15 क़दम ही चले थे कि उनके पैर के नीचे केले का छिलका आ गया वो ज़मीन पर गिरते इससे पहले ही एक लड़की ने उनका हाथ पकड़ लिया।

अंकल सम्भल कर, धन्यवाद बेटा------मुकेश रघुवंशी ने यह कहते हुए उस लड़की की तरफ देखा तो उन्होंने फौरन अपना हाथ छुड़ा लिया, वो लड़की कोई ओर नही दुआ ही थी.......सबकुछ वैसा ही हो रहा था जैसा रूद्र ने सोचा था मगर वो भुल गया था कि दुआ अक्सर एक लाॅकेट पहनती हैं जिस पर अल्लाह लिखा था......यह शायद भगवान का खेल ही था कि सबकुछ रूद्र के प्लान के मुताबिक होने के बावजूद सिचुएशन बदल गई थी...... उसका प्लान यह नही था कि दादू को पहली मुलाकात में यह पता चल जाए कि वो लड़की मुसलमान है लेकिन होनी को कौन टाल सकता है।

मगर जैसे ही मुकेश रघुवंशी ने हाथ छुड़ा कर आगे चलने के लिए क़दम बढ़ाया तो उनके मुंह से आह निकल गई और उनके पैर लड़खड़ा गए तभी दुआ ने आगे बढ़कर उनका हाथ फिर पकड़ लिया, उनके गुस्से की परवाह किए बगैर......

अंकल आप यहां बैठे, मुझे पता है, आपको मेरी मदद लेना अच्छा नही लग रहा, शायद इसलिए कि मैं मुसलमान हूं----- उसने अपने गले में पड़े लाॅकेट को देखते हुए कहा।

अंकल मेरी नानू कहती, बढ़ती उम्र के साथ लोगों का मिजाज़ बच्चों जैसा बन जाता है इसलिए उनका ख्याल भी बच्चों की तरह रखना पड़ता है......देखें अभी आपके पैर में मोच आ गई है ना मगर आप परेशान नहीं हो, मेरे बाबा डाक्टर है, इतना तो मुझे आता है----दुआ ने उनके सामने बैठते हुए उनका पैर देखते हुए कहा।

मुकेश रघुवंशी का दिल तो नही मान रहा था मगर उनके पैर की तकलीफ और लगातार होने वाली खांसी की वजह से वो मना नही कर सकें।

लीजिए अंकल, हो गया आपका पैर ठीक.....अब आप चल सकते हैं----यह कहते हुए दुआ खड़ी हो गई।

वैसे अंकल एक बात पूछूं......अगर मेरे गले में यह लाॅकेट नही होता तो आपको कैसे पता चलता, मैं मुसलमान हूं या हिन्दू.......... तब शायद आपको मुझसे मदद लेना बुरा भी नही लगता, अंकल कोई धर्म अच्छा या बुरा नही होता, लोगों की सोच और परवरिश अच्छी, बुरी होती है.......हो सके तो अगली बार लोगों का धर्म नही उनकी अच्छाई को देखने की कोशिश कीजिएगा।

कहते हैं सबकुछ रब की मर्ज़ी से होता है, तो आप भी यही सोच लीजिएगा की आज आपकी मदद के लिए, उस रब ने मुझे भेजा है, और जब उसने हिन्दू मुस्लिम का फर्क नही किया तो आप भी अपने दिल से यह भेदभाव निकाल दें।

आपको बहुत खांसी हो रही है, अगर आपको सही लगें तो पानी पी लीजिएगा------- दुआ यह कह कर मुकेश रघुवंशी के बराबर में पानी की बोतल रखते हुए चली गई।

यार रूद्र, यह क्या था, तू ने भी वही सुना जो मैंने सुना-----अजय ने हैरानी से पूछा!

मतलब पहली बार, दादू ने किसी की इतनी बातें सुन ली और कुछ नही कहा, यहा तक, यह पता चलने के बाद भी कि वो मुसलमान है...... उन्होंने उसकी मदद लें ली......यह तो सच में चमत्कार हो गया, लगता है भगवान जी भी तुम दोनों को मिलवाना चाहते हैं---- अजय ने मुस्कुराते हुए कहा।

हम्मम, एक पल के लिए तो मुझे लगा कि सबकुछ बिगड़ गया मगर मुझे नही पता था वो जितनी खूबसूरत है उतनी समझदार भी और सबसे बड़ी बात हम दोनों की सोच एक हैं......मुझे गर्व हो रहा है कि मैंने एक बहुत अच्छी लड़की को चुना है----- रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा।

ओह मेरे भाई! गर्व बाद में करना, पहले जाकर दादू को देख, वो अब तक उस पानी की बोतल को घूर रहे हैं----- अजय ने मुकेश रघुवंशी की तरफ इशारा करते हुए कहा।

ओह हां!! चल अब कल मिलते हैं, बाय------ यह कहते हुए रूद्र अपने दादू की तरफ चले गया।

सर!! आपने जो उस लड़की का स्केच बनवाया था, वो भी किसी काम नही आया, उसकी वजह से कितने लोगों ने हमको ग़लत पता बता कर, कहां-कहां भेज दिया------ अमित जी ने अहान के हाथ में एक फाइल पकड़ाते हुए कहा।

हम्मम!! अमित जी, मुझे पता है यह आसान नही है मगर जो आसानी से मिट जाए मोहब्बत वो जज़्बात भी नही है........अब जब मुश्किल काम करना ही है........तो मेरे ख्याल से उसे भूलने से बेहतर है उसे ढूंढ लेना------ अहान ने स्केच को देखते हुए कहा।

जी सर, आपने सही कहा-------- अमित जी ने मुस्कुराते हुए कहा।

सर, अगले हफ्ते आपको सिंगापुर मीटिंग के लिए जाना है, टिकिट भी कन्फर्म हो गई है-------अमित जी ने फोन पर ईमेल चेक करते हुए कहा।

अमित जी, अभी कैंसिल कर दें, बाद में देखते हैं मीटिंग्स, पहले आप दिल्ली चलने की तैयारी करें, याद है, आपने कहा था, उस होटल में कुछ लड़कियां दिल्ली यूनिवर्सिटी से पिकनिक पर आई हुई थी, मुझे लगता है मेरी मंज़िल वहीं है.......मेरे लिए उसे ढूंढना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।

ठीक है सर, जैसा आप कहें-------अमित जी यह कह कर चले गए और अहान एक बार फिर उस पल में खो गया, जब पहली बार उसने उस लड़की को देखा था जो अब उसकी मंज़िल बन गई थी।

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रूद्र भईया, यह देखो, यह सवाल मैंने इतनी बार हल करने की कोशिश की है मगर हल हो ही नही रहा------- आकिब ने उसके सामने नोटबुक रखते हुए कहा।

अच्छा, ज़रा दिखाओ, वैसे तुम्हारी आपी ने नही समझाया तुम्हे------ रूद्र ने मुस्कुराते हुए पूछा।

अरे, भईया!!! यह सवाल उन्होंने ही तो दिया है------ आकिब ने अपने सिर पर हाथ मारते हुए बताया।

अच्छा, तब तो इस सवाल को, हल करना ही पड़ेगा------ रूद्र ने नोटबुक उठाते हुए मुस्कुरा कर कहा।

रूद्र!!! बेटा लो, पहले यह लस्सी पियो, इसके सवाल तो इतनी जल्दी खत्म नही होने वाले मगर यह लस्सी ज़रूर गर्म हो जाएगी------- आकिब की नानी ने लस्सी टेबल पर रखते हुए कहा।

अरे नानी!!!! आप क्यों तकल्लुफ कर रही है, मैं भी आकिब की ही जगह हूं, आप यहां आराम से बैठे----- रूद्र ने खड़े होकर उनका हाथ पकड़ कर, सोफे पर बैठाते हुए कहा।

यह लीजिए, थोड़ा पानी पीजिए, देखे आपको कितना पसीना आ रहा है----- उसने उनका चेहरा देखते हुए कहा।

बेटा, उम्र का तकाज़ा है.......अब थोड़ी देर भी किचन में खड़े हो जाओ तो इतनी थकन हो जाती है कि फिर पूरे दिन उठने की हिम्मत नही होती------ उन्होंने लम्बी सी सांस लेते हुए कहा।

हां तो आपको मेरे लिए खुद को तकलीफ देने की कोई ज़रूरत नही---- मगर बेटा अच्छा नही लगता ना, तुम इतनी दूर से सिर्फ आकिब के लिए अपना कीमती वक्त निकाल कर आते हो, अब तुम्हारे लिए इतना तो कर सकती है ना यह बुढ़ी नानी------- उन्होंने मोहब्बत से रूद्र के सिर पर हाथ रखते हुए पूछा।

नानी आप बिल्कुल मेरे दादू जैसी है, ज़िद्दी, अगर ऐसी ही बात है तो घर में नौकर है ना, आप खुद को क्यों परेशान करती है....... वैसे मुझे एक आइडिया आया है, ऐसा करते हैं अगली बार से, जब मैं आऊंगा तो बाहर से ही कुछ ना कुछ लेते आऊंगा फिर आपको थकन भी नही होगी और यह शिकवा भी नही रहेगा कि मैं यूं ही चले गया, क्यों आकिब सही है ना----- रूद्र ने उनको लस्सी का गिलास देते हुए, आकिब से पूछा।

हां, रूद्र भईया, यह ठीक रहेगा, अरे आपी!! अन्दर आइए ना, देखे रूद्र भईया ने आपके दिए सभी सवाल हल कर दिए हैं------ आकिब ने दुआ को दरवाज़े पर खड़ा देख फौरन अपनी नोटबुक दिखाते हुए कहा।

रूद्र ने उसको देखा तो जैसे बाकि सब भुल गया......उसके सामने वो कैसे इतना बेखबर,बेबस हो जाता था कि चाह कर भी उस पर से अपनी नज़र नही हटा पाता था, कैसे वो उसके सामने इतना कमज़ोर पड़ जाता था, कैसे उसको उन गुस्से से भरी आंखों पर हमेशा प्यार आता था, कैसे हर बार उसकी दिवानगी पहले से ज़्यादा बड़ जाती थी-------रूद्र उसको देख अपनी ही सोचों में गुम था जब नानी के खांसने से उसका ध्यान नानी की तरफ गया और उनको देख वो फौरन उनके पास आ गया.......अचानक ही वो लम्बी-लम्बी सांसे लेने लगी थी यह देख दुआ भी भागते हुए उनके पास आ गई।

नानू-नानू क्या हुआ है आपको, नानू मैं अभी एम्बुलेंस बुलाती हूं, आप परेशान नही हो------ दुआ ने रोते हुए अपना फोन इधर-उधर ढूंढते हुए कहा।

मगर अगले ही पल रूद्र ने नानू को गोद में उठा लिया था....... 

दुआ एम्बुलेंस के आने का इंतेज़ार नही कर सकते, उनको आने में वक्त लग सकता है...... हमें नानी को फौरन डॉक्टर के पास ले जाना होगा, वो सांस नही ले पा रही है।

आकिब तुम अम्मी के साथ आओ, मैं नानू के साथ जाती हूं.....बाबा को तुम फोन करके बता देना------ यह कहते हुए दुआ भागते हुए रूद्र के पिछे चली गई।

रूद्र अस्पताल जल्दी पहुंचने के लिए जितने शोर्ट कट ले सकता था, उसने लिए और तकरीबन 20 से 30 मिनट में वो लोग अस्पताल पहुंच गए थे।

डॉक्टर साहब, मेरी नानू को क्या हुआ है, वो कैसी है, हम उनको कब तक ले जा सकते हैं----- डाक्टर के बाहर आते ही दुआ ने कई सवाल एक साथ पूछ लिए।

मिस सिद्दीकी, शुक्र करें कि आप लोग उनको सही वक्त पर अस्पताल ले आएं अगर पांच मिनट की भी देर हो जाती तो सिचुएशन बहुत खराब हो सकती थी, मगर अब घबराने वाली कोई बात नही, मैंने उनको इंजेक्शन दिया है 2-3 घंटे में उनको होश आ जाएगा तब आप उनसे मिल सकती है----- डॉक्टर यह कह कर वहां से चले गया तभी फरहान सिद्दीकी, उसकी मां और आकिब भी वहां आ गए, उन लोगों ने भी डाक्टर की बात सुन ली थी.....

दुआ ने जैसे ही अपनी मां को देखा वो फौरन उनके गले लग गई......वो अभी भी रो रही थी और रूद्र उसको बेबसी से देख रहा था..... वो आंखें जिसमें उसने अब तक सिर्फ गुस्सा देखा था पहली बार उसमें आंसु थे, उसका दिल चाह रहा था कि वो कुछ भी कर के दुआ के आंसु साफ कर दें, उसको ऐसा लग रहा था जैसे उसका दिल फट रहा है उसको रोता देख मगर वो बिल्कुल बेबस था.....

रूद्र बेटा, थैंक यू सो मच, आज अगर तुम वक्त पर अम्मी को अस्पताल ना लाते तो पता नहीं क्या होता, आज तुम ने हम सब पर बहुत बड़ा एहसान किया है, हम तुम्हारे एहसानमंद है बेटा------ फरहान सिद्दीकी ने उसके सामने हाथ जोड़ते हुए कहा।


अरे अंकल!!!! यह आप क्या कह रहे हैं---- रूद्र ने उनके हाथ पकड़ते हुए कहा।

प्लीज़ ऐसा ना कहें यह तो मेरा फर्ज़ था...... आप बस अब नानी का ख्याल रखें..... मैं चलता हूं, घर से काफी फोन आ गए हैं------ रूद्र ने बहाना बनाते हुए जाने की इजाज़त मांगी क्योंकि वो दुआ को रोता हुआ नहीं देख पा रहा था।

ठीक है बेटा, तुम जाओ, मैं यहां सब सम्भाल लूंगा।

रूद्र कार में आकर बैठा ही था कि उसको दुआ का रोता हुआ चेहरा याद आ गया और पता नही कब उसकी आंखों से भी आंसु बहने लगे..... उसको दुआ से इस हद तक मोहब्बत हो गई है, इस बात का उसे अंदाज़ा ही नहीं था।

आगे अगले भाग में:-
Jyoti

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30 दिसम्बर 2021

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30 दिसम्बर 2021

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Anita Singh

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सुन्दर भाग

30 दिसम्बर 2021

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30 दिसम्बर 2021

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11
रचनाएँ
दिल ए नादान
5.0
यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसका मानना है कि आप अपने रब को "भगवान कह कर पुकारो, अल्लाह कहो या कुछ ओर" सुनने वाला एक ही है.........क्योंकि रब को अलग नाम दिए जा सकते हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे हम अपने चाहने वालों को कई नामों से पुकारते हैं मगर होता वो एक ही है इसी तरह फरियाद सुनने वाला भी एक ही है और पुकारने वाला दिल भी वही है, फ़र्क है तो नज़रिए का......उसके हिसाब से दुनिया का हर धर्म सबसे पहले इंसानियत सिखाता है.......एक-दूसरे से प्यार करना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना सिखाता है मगर क्या वो अकेला, धर्म पर होने वाली नफरत को मिटा सकेगा????? कहते है, किसी एक इंसान की सोच बदलना भी बहुत मुश्किल है फिर उसके सामने तो उसका पूरा परिवार था जो उसकी सोच के खिलाफ, उसकी मोहब्बत के खिलाफ था...... आइए चलें एक नए सफर पर इस दिवाने के साथ, देखें क्या होगा इसका अंजाम, क्या पिघल जाएंगेे लोगों के दिल उसकी मोहब्बत के सामने या होगा फिर वही, लाखों लोगों की तरह.....उसकी मोहब्बत भी तोड़ देगी दम धर्म के नाम पर पैदा हुई नफरत के सामने.      **************** 12-Dec-2018 आज रूद्र बहुत तेज़ कार चला रहा था, ज़्यादातर वह कायदे-कानून का पालन करता था, मगर आज शायद उससे इंतेज़ार नही हो रहा था, उसका दिल कह रहा था कि वो उड़ कर दुआ के सामने पहुंच जाएं, उसकी मोहब्बत, उसका जुनून, उसकी ज़िद्द सब कुछ उस एक नाम पर अटक गया था "दुआ"........ छः महीनों की लगातार कोशिशों के बाद, आखिर आज दुआ ने उसे मिलने बुला ही लिया था, वो नही जानता था कि आगे क्या होगा बस उसको तो इंतेज़ार था, उस पल का, जब दुआ उसके सामने हो और वो उसको बता सके, कि वो उससे कितनी मोहब्बत करता है, कितनी बातें थी उसके दिल में, आज वो सारी बातें कहने का मौका मिला था उसे इसलिए आज का दिन उसके लिए बहुत खास था .....यही सब सोचते-सोचते वो कब दुआ के बताए रेस्टोरेंट के सामने पहुंच गया उसको पता ही नही चला, वो जल्दी से गाड़ी से उतर अन्दर जाकर पुछता है, तो वेटर उसको दाएं हाथ की तरफ इशारा करते हुए रास्ता बता देता है..... कुछ क़दम चलने के बाद ही वो एक दरवाज़े से बाहर निकलता है तो सिर पर खुला आसमान, चारों तरफ हरियाली, तेज़ हवाएं, जगह ज़्यादा बड़ी नहीं थी मगर उसकी डेकोरेशन इतनी खूबसूरत थी कि बड़े-बड़े होटलों को फेल कर दे, थोड़ी ही दूर पर एक टेबल रखी थी और उसकी दाईं ओर कुछ लकड़ियों को जला रखा था, आज मौसम भी काफी सुहाना था जो रूद्र के मूड को ओर भी खुशगवार बना रहा था, वो टेबल के पास पहुंचा तो दुआ को देख कर एक पल के लिए जैसे सब कुछ भुल गया....... तेज़ हवाएं उसके लम्बे बालों से खेल रही थी, और वो खुद किसी गहरी सोच में गुम थी, उसकी आंखें टेबल पर गड़ी हुई थी जहां एक तरफ भगवान की छोटी सी मुर्ती रखी थी और उसके ही साथ एक छड़ी थी जिस पर अल्लाह लिखा हुआ था......दुआ अपनी सोच में इतना खो गई थी कि उसे रूद्र के आने का एहसास तक नही हुआ. रूद्र का दिल तो कह रहा था कि वो उसको यू ही ज़िन्दगी भर देखता रहे मगर अभी उसको इतना हक़ कहा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपना गला साफ करते हुए, दुआ से बैठने की इजाज़त मांगी और दुआ उसकी आवाज़ सुनते ही खुद को ठीक करते हुए एक दम सीधी बैठ गई। जानते हो रूद्र यह क्या है??----इससे पहले रूद्र कुछ कहता दुआ ने टेबल पर रखी मूर्ति और छड़ी की तरफ देखते हुए उससे पूछा। उसने कुछ ना समझते हुए दुआ को देखा। रूद्र यह हम दोनों है जो कभी एक नही हो सकते, आज मैंने, तुम्हे यहां सिर्फ यही कहने के लिए बुलाया है......भुल जाओ मुझे, अभी कुछ नही बिगड़ा है, तुम एक अच्छे बिजनेसमैन हो, अपने करियर पर ध्यान दो, तुम्हारे परिवार का बहुत नाम है, उनका मान नही तोड़ो, मैं नही चाहती मेरी वजह से किसी का परिवार टूट जाए, मैं नहीं चाहती, मैं किसी की बर्बादी की वजह बनूं, इसलिए आज के बाद फिर कभी तुम मेरे सामने नही आना---- दुआ उसे समझा रही थी और वो सिर्फ उसको देखें जा रहा था, कितनी आसानी से उसने कह दिया था भूल जाओ मुझे....... रूद्र तुम सुन भी रहे हो या नही----दुआ ने रूद्र को खामोश देखा तो थोड़ा झुंझलाते हुए पूछा। ना-नही हो सकता यह......यह मूर्ति, यह छड़ी इन बेजान चिज़ो को तुम मेरे दिल, मेरे जज़्बात से मिला रही हो.......रूद्र ने गुस्से में टेबल पर हाथ मारते हुए कहा, जिससे दोनों चिज़े जलती हुई आग में गिर गई और दुआ हैरानी से उसे देखती रह गई, पहली बार रूद्र ने उससे तेज़ आवाज़ में बात की थी, उसको इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नही था कि रूद्र को गुस्सा भी आ सकता हैं। क्या-क्या समझाना चाहती हो तुम मुझे, हां, बोलो, कहना क्या चाहती हो, यही ना कि मैं हिन्दू हूं और तुम मुसलमान.......तो यह मेरी गलती है क्या, बताओ मुझे......मैं खुद को क्यों रोकूं? क्यों मैं खुद को उस ग़लती की सज़ा दूं जो मैंने की ही नही....क्या रब ने मुझे पैदा करने से पहले मुझसे पूछा था, किस धर्म, किस जाति में पैदा होना चाहता हूं मैं......नही ना.....तो फिर मुझे सज़ा क्यों दें रही हों......... यक़ीन मानो मैंने तो कभी चाहा भी नही था कि मुझे कभी किसी लड़की से प्यार हो मगर हो गया ना, मैं मानता हूं यह आसान नही है मगर तुमको भूल जाना भी मेरे हाथ में नही है......... तुमसे प्यार करता हूं, खुद को भुला सकता हूं मगर तुमको नहीं भूल पाऊंगा------ यह कहते हुए रूद्र की आवाज़ रूंध गई थी और कब उसकी आंखों से आंसू बहने लगे यह शायद उसको भी पता नहीं चला वो बस बोले जा रहा था। रुद्र--------दुआ मैं नही जानता यह सही है या ग़लत, मगर मैं मानता हूं, मोहब्बत का कोई धर्म, कोई जाति नही होती, यह तो वो खास एहसास होता है जो बहुत कम लोगों के दिल में पैदा होता है, तुमको देखकर जो एहसास, जो सुकून मुझे मिलता है, वो मैं लफ़्ज़ों में नही बता सकता....... अगर तुम मुझे कोई ओर वजह देती ना, तुम से दूर जाने के लिए तो शायद मैं खुद की जान ले लेता लेकिन तुम्हारे सामने फिर कभी नही आता ......मगर तुम मुझे खुद को भूलने का कह रही हो, इस घटिया दुनिया के लिए, जो कभी किसी की नही हुई......आज मैं आत्महत्या कर लूं तो क्या इस दुनिया पर कोई फ़र्क पड़ेगा????.... नही!!! कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा किसी को!!! मगर-अगर मैं अपने प्यार के लिए लड़ूंगा ना तो इस दुनिया को ज़रूर फ़र्क पड़ेगा, तब ज़रूर यह दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी होगी...... रुद्र------दुआ यह दुनिया, धर्म और जाति के नाम पर एक-दूसरे को मारने के लिए पल भर में तैयार है मगर प्यार और इन्सानियत का क्या??? ........क्यों मैं ऐसे समाज के लिए अपनी मोहब्बत, अपनी खुशियों का त्याग करूं?? जो कभी किसी की हुई ही नहीं.... तुम मुझे अपना मानो या ना मानो मगर मेरे लिए तुम मेरी ज़िन्दगी बन गई हो, अब चाहे जो हो जाए, तुमको भुलना नामुमकिन है---रूद्र की आंखों में साफ दिख रहा था, कि कुछ भी हो जाएं, वो हार नही मानेगा, और मानता भी क्यों उसका कहा हर लफ्ज़ सही था..... दुआ ने तो यह सोचा ही नही था कि रूद्र आज उसकी एक नही सुनेगा, मगर दुआ भी उसके सामने हार नही सकती थी क्योंकि वो बहुत अच्छे से जानती थी, कि रुद्र की मोहब्बत की क़ीमत कितनी बड़ी हो सकती है उसे अच्छे से पता था इसलिए उसे किसी भी तरह आज यह किस्सा यही खत्म करना था, यही सोच दुआ गुस्से में कुर्सी से खड़ी हो गई। दुआ गुस्से में-----ठीक है, तुम्हे परवाह नही है, तो ना सही, मगर मुझे है..... मिस्टर रूद्र रघुवंशी हर इंसान तुम्हारी तरह नही सोचता, तुम एक मर्द हो, वो भी इस शहर के सबसे अमीर परिवार से, इसलिए शायद तुम ऐसा सोच सकते हों, मगर मैं एक लड़की हूं वो भी ऐसे परिवार से जहां मैं अपने बाबा का मान हूं उनकी इज़्ज़त हूं, मैं एक हिन्दू लड़के को कभी नही अपना सकती, अपने बाबा पर उंगली उठाने की वजह नही दे सकती मैं दुनिया को, क्या कहेंगे लोग मेरे बाबा से, कैसे जवाब देंगे मेरे बाबा, इस दुनिया के अनगिनत सवालों के, नहीं रुद्र, तुम्हारी मोहब्बत की क़ीमत मेरे बाबा चुकाएं ऐसा मैं नही होने दूंगी इसलिए अच्छा होगा आज के बाद तुम मेरे सामने कभी ना आओ----यह कह कर वो जाने के लिए आगे बड़ी ही थी कि रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया। रुद्र------यही प्रोब्लम है ना कि मेरा नाम रूद्र रघुवंशी है कोई रहमान या सलीम नही, तो ठीक है, मैं इस प्रोबलम को अभी यही खत्म कर देता हूं......आज तुमको, अपनी मोहब्बत को गवाह बना कर, मैं इस्लाम कुबूल करता हूं....... तुम एक लड़की होना, तुम कुछ नही कर सकती क्योंकि तुम मजबूर हो सकती हो मगर मैं नही, आज से मैं तुम्हारी ताकत बनूंगा और तुम्हारा मान, कभी नही टूटने दूंगा---उसने यह कहते हुए आग में पड़ी छड़ी, को उठाया जिस पर अल्लाह लिखा था और उसे अपने हाथ पर चिपका दिया, जिसे देख दुआ चीख पड़ी और उसने रूद्र के हाथ से छड़ी लेकर फेंक दी......मगर उस छड़ी के साथ-साथ रूद्र के हाथ की खाल भी उतर गई। रुद्र नम आंखों से, अपना जला हुआ हाथ देख, मुस्कुराते हुए----- दुआ अब मेरे मरने के बाद भी कोई तुम पर उंगली नही उठा सकेगा, कोई तुम्हारे बाबा से नही पूछेगा कि मैं हिन्दू हूं, अब मेरे हाथ पर लिखा यह अल्लाह कभी नही मिट सकेगा, अब तो तुम मेरी मोहब्बत को क़ुबूल करोगी ना.... दुआ मैं अपनी मोहब्बत के लिए खुद को कुर्बान कर दुंगा.....मगर अपनी मोहब्बत को कुर्बान नही होने दूंगा इस दुनिया के लिए--- रूद्र यही कह रहा था कि दुआ ने गुस्से में उसके थप्पड़ मार दिया. दुआ उसके जले हाथ को देखते हुए-------तुम पागल हो क्या, जानते भी हो, क्या किया है तुमने??? यह कोई छोटी बात नही है रुद्र, बच्चों का खेल नहीं है यह, ज़िन्दगी भर भी इस निशान को मिटाने की कोशिश करोगे, तब भी अब यह नहीं जाएगा...... क्या जवाब दोगे सबको, अपने घर वालों को, क्या बताओगे यह कैसे हुआ??? यहां कोई तुम्हारे जज़्बात नही समझेगा रुद्र, यह आज का हिन्दुस्तान है जहां हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लाखों मासूमों का खून बहा दिया जाता है यह देश पहले जैसा नही है, जहां सब एक साथ नहीं, एक-दूसरे के दिल में रहते थे, रहम करो मुझ पर और खुद पर.......प्लीज़ खुद को बर्बाद नही करो, छोड़ दो मेरा पीछा, चलें जाओ मेरी ज़िन्दगी से,  नही करती मैं तुमसे प्यार, मुझे मेरे बाबा की इज़्ज़त सबसे प्यारी है, प्लीज़ चलें जाओ - दुआ ने रूद्र के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा यह कहते हुए दुआ की आंखें भर आईं थी मगर उसने अपने आंसु बहने नही दिए, क्योंकि उसके आंसु जहां उसको कमज़ोर बनाते वहीं रूद्र की मोहब्बत को ओर हवा देते, इससे पहले वो कुछ बोलता दुआ वहां से चली गई. आज मौसम भी अपने तेवर दिखा रहा था, वह रेस्टोरेंट से बाहर निकली ही थी कि ज़ोर से बारिश शुरू हो गई, बारिश की बूंदों के साथ दुआ के आंसूओं ने भी अपनी सरहद तोड़ दी थी...... दुआ-----कोई किसी से इतनी मोहब्बत कैसे कर सकता है, एक पल में उसने अपना सब कुछ गंवा दिया, एक बार भी नही सोचा, उसका अंजाम किया होगा और मैं बेरहम लड़की, उसको इतनी तकलीफ़ में, अकेला छोड़ आई......काश मुझे थोड़ा भी अंदाज़ा होता उसकी हरकत का, तो मैं इतनी घटिया बात कहती ही नही उसको........मैंने तो सिर्फ इसलिए ऐसा कहा था कि शायद वो हार मान जाएं, शायद उसे मेरी बात चुभ जाए, शायद वो मुझसे नफरत करने लगे.....मगर मुझे क्या पता था वो मुझसे इतनी मोहब्बत करता है कि सबकुछ खोने को तैयार है, उसे अपनी किसी तकलीफ की परवाह नही और मैं इस दुनिया की फ़िक्र लिए बैठी हूं.....उसने सच ही तो कहा.....अगर उसे कुछ हो गया, तो इस दुनिया को क्या फर्क पड़ेगा.......लेकिन मुझे??? क्या मुझे, सच में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उसके चलें जाने से??? क्या अब, मैं रह सकूंगी उसके बगैर??? दुआ बारिश में पैदल चले जा रही थी और खुद से हज़ारों सवाल कर रही थी, ना उसको सिग्नल का ख्याल था और ना ही रफ्तार से चल रही गाड़ियों का डर......उसके सामने तो सिर्फ वो मंज़र था जब वह रुद्र के जलते हाथ को देखती रही, उसको रोक ना सकी, वो तो मिलने सिर्फ इसलिए गई थी कि आज किसी भी तरह उसको समझा देगी और फिर कभी नही आएगी उसके सामने, मगर उसको क्या खबर थी आज वो खुद ही हार जाएगी, और वहीं छोड़ आएगी खुद को...... आज रूद्र की मोहब्बत जीत गई थी और वो हार गई थी, रो-रो कर उसकी आंखें सुझ गई थी, उसको अपना-आपा बोझ-सा लग रहा था, जिसको घसीटते हुए वह घर ले जा रही थी, इस वक्त उसको किसी की फ़िक्र नहीं थी कि उसकी ऐसी हालत देख लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, कुछ नही, अब अगर फ़िक्र हो रही थी उसको तो सिर्फ रुद्र की, अब उसके दिल और दिमाग में सिर्फ एक ही नाम था....... दो घंटे तक वो बारिश में भीगते-भीगते पैदल चलते हुए कब घर आ गई उसको पता ही नही चला, उसने दरवाज़ा खोला ही था कि उसकी नानी उसे देखते ही जल्दी से तौलिया लेकर उसके पास आ गई. कितनी बार कहा है! बारिश में नही भीगते, हर बार बीमार होने के बाद भी नही सुनती यह लड़की-----उसकी नानी (साएरा बेगम) ने सिर पर तौलिया डालते हुए कहा और दुआ उनके गले लग कर रोने लगी. दुआ! मेरा बच्चा क्या हुआ----साएरा बेगम ने उसके सिर पर प्यार करते हुए घबरा कर पूछा। एम् सोरी नानू-एम् सोरी, मैं आपकी अच्छी नवासी नही बन सकी, इस घर की इज्ज़त का बोझ नही उठा सकी, मैं हार गई उसके सामने, नानू मैं हार गई. साएरा बेगम-----दुआ मेरी बच्ची हुआ क्या है, यह क्या कह रही हो......दुआ की ऐसी हालत देख उनकी आंखें भर आईं थी। दुआ-----नानू मैं सच कह रही हूं, हार गई मैं उसके सामने, मगर--मगर मैंने कोशिश की थी, पूरी कोशिश की थी......सच में .....लेकिन वो पागल हैं ना नानू, मर जाएगा, अपनी जान ले लेगा मगर मुझे नही भुला सकेगा------दुआ सिसकियां लेते हुए अटक-अटक कर उनको सब कुछ बता रही थी. आज मैंने उसकी आंखों में देखा है नानू उसकी मोहब्बत की कोई हद नही है, वो बहुत आगे निकल गया है, मैं उसको नही रोक सकी.....झुका दिया मैंने अपने बाबा का सिर, तोड़ दिया उनका ग़ुरूर ----- दुआ किसी बच्चे की तरह रो-रो कर बोले जा रही थी, आज से पहले उसकी ऐसी हालत कभी नही हुई थी, यहां तक उसको इतना भी ख्याल नही रहा था कि उसके बाबा, उसके पिछे ही खड़े थे, जिनके पैरों तले ज़मीन खींच ली थी उसकी बातों ने, अपनी जवान बच्ची की ऐसी हालत देख फरहान सिद्दीकी का गुस्से से लाल चेहरा आने वाले तूफान का एहसास दिला रहा था। ********** जिया (रुद्र की भाभी) ------मां रूद्र का नम्बर बन्द जा रहा है, आप परेशान नही हो, रोहित ने अभी अजय से बात की है, वो उसे ढूंढने गया है वैसे उसने कहा है रूद्र अब घर ही आ रहा होगा, उसको एक मीटिंग के लिए जाना था, शायद इसलिए फोन बंद रखा होगा..... आपको तो पता है वो काम को लेकर कितना सीरियस रहता है, उसे डिस्टर्बेंस नही पसंद- जिया ने अपनी सासु मां को तसल्ली देते हुए कहा। पार्वती जी (रुद्र की मां)----- मगर जिया उसको पता था हम सब लोग यहां तक बाबू जी भी उसका इंतेज़ार कर रहे हैं, हम सबको एक साथ जाना था ना मिस्टर सिंघानिया के यहां , वो ऐसे लापरवाह नही है तुमको तो पता है..... तीन घंटे होने को है और आज यह बारिश भी रूकने का नाम नही ले रही, जिया मेरा दिल तो बहुत घबरा रहा है, पता नही वो अब तक क्यों नही आया? कुन्ती देवी (रुद्र की चाची)-------भाभी आप परेशान नही हो, रूद्र अब बच्चा थोड़ी है......जिया सही कह रही है, वो ठीक होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा, हो सकता है बारिश की वजह से कहीं फंस गया हो और अजय गया है ना उसको ढूंढने, थोड़ी देर में देखना, दोनों साथ ही आ रहे होंगे ---कुन्ती ने अपनी जेठानी को परेशान होते हुए देखा तो वो भी तसल्ली देने लगी। घर में सभी लोग परेशान हो रहे थे रूद्र के लिए, उसने पहले कभी अपना फोन इतनी देर के लिए बंद नही किया था मगर जिया वो परेशान होने से ज़्यादा डरी हुई थी, कि ऐसा क्या हो गया जो रूद्र अब तक नही आया.....वो तो उसको बता कर गया था कि आज वो दुआ से हां सुनकर ही आएगा, तो फिर वो अब तक क्यों नही आया--- जिया अपनी सोचों में गुम थी कि तभी अपनी सासु मां के चीखने की आवाज़ से होश में आई, उसने दरवाज़े की तरफ देखा तो, एक पल के लिए उसके पैर भी वहीं जम गए. आज से पहले कभी किसी ने रूद्र को ऐसी हालत में नही देखा था......उसके होंठ नीले पड़ गए थे जिससे पता चल रहा था कि वो घंटों बारिश में भीगता रहा है, उसकी आसमानी रंग की शर्ट पर खून के धब्बों को साफ देखा जा सकता था, उसकी हथेली में कुछ कांच के टुकड़े गड़े हुए थे जिसकी वजह से हाथ से खून अभी भी रीस रहा था.......उसकी यह हालत देख सब एक साथ दरवाज़े की तरफ दौड़े और रूद्र वही दहलीज़ पर खड़ा रहा, उसकी हिम्मत ही नही हुई कि वो एक क़दम भी आगे बड़ा सकता। पार्वती जी-----यह क्या हाल बना रखा है रूद्र, जिया जाओ जल्दी से फर्स्ट-एड लेकर आओ---उसकी मां ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिससे खून रिस रहा था मगर फौरन ही एक झटके से उसका हाथ छोड़ दिया, उनकी हैरानी की हद ना रही जब उनकी नज़र रूद्र की जली हुई कलाई पर गई। यह-यह क्या है रूद्र- उन्होंने उसकी जली हुई कलाई की तरफ इशारा करते हुए पूछा....उसकी शर्ट का कपड़ा उसकी खाल में चिपक गया था, इतना बड़ा निशान उनके बेटे के हाथ पर, उन्होंने तो कभी उसको सूई भी नही चुभने दी थी फिर आज इतना बड़ा ज़ख्म, कैसे??? रोहित ( रुद्र का बड़ा भाई)-----यह कैसे हुआ रूद्र, किसने किया तुम्हारे साथ यह सब- उसके भाई ने आगे बढ़ते हुए पुछा। रुद्र अपने हाथ को देखते हुए------भाई यह सब मेरे नाम ने किया है, "रूद्र रघुवंशी" यही नाम है ना मेरा, यही सबसे बड़ा गुनाह है मेरा, तो क़ीमत तो अदा करनी थी- रूद्र ने थोड़ा चिल्लाते हुए कहा जिस पर सभी हैरान थे, इससे पहले उसने कभी भी तेज़ आवाज़ में बात तक नही की थी घर वालों के सामने और आज वो दादू के सामने इतनी तेज़ आवाज़ में चिल्ला रहा था, जिनके आगे वो नज़र भी नही उठाया करता था। जिया ने उसकी हालत देखते हुए, थोड़ा हिम्मत करके पूछा----रूद्र बताओ तो सही हुआ क्या है??? रुद्र, जिया को देखते हुए----भाभी आपने सही कहा था, आसान नही होता मोहब्बत का सफर, मगर अब यह सफ़र कितना भी मुश्किल हो, मैं इतनी जल्दी हार नही मानूंगा...... क्योंकि अगर मैंने हार मान ली तो इस दुनिया की घटिया सोच जीत जाएगी..... जिया कुछ ना समझते हुए----- मतलब??? रुद्र हल्का सा मुस्कुराते हुए----- मतलब भाभी, आखिर इस दुनिया की घटिया सोच, आज आ ही गई, मेरी मोहब्बत के बीच..... जानती है आप, उसने क्या कहा मुझसे.......वो कहती है उसे मुझसे मोहब्बत नही है, वो मुझे देखना भी पसंद नही करती, क्योंकि वो मजबूर हैं, दुनिया उस पर ऊंगली उठाएगी, उसके बाबा से सवाल करेगी, जानती है क्यों वो मुझे अपना नही सकती क्योंकि मैं हिन्दू और वो मुसलमान है- रूद्र ने आख़री शब्द चिखते हुए कहा. जिसे सुनकर, रघुवंशी परिवार के पैरों तले ज़मीन निकल गई थी......किसी ने नही सोचा था कि रूद्र को कभी कोई लड़की पसंद भी आ सकती है, वो भी एक मुसलमान लड़की, यह कैसे हो सकता है। पार्वती जी ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए पुछा-----रूद्र यह क्या कह रहे हो तुम?? रुद्र-----एम् सोरी मोम, एम् सोरी मगर आपके बेटे को एक मुसलमान लड़की से प्यार हो गया है--- रूद्र ने यही कहा था कि मुकेश रघुवंशी ने उसके सामने आते ही उसके ज़ोर का थप्पड़ जड़ दिया। मुकेश रघुवंशी गुस्से में------तुमको पता है, तुम क्या कह रहे हों, एक मुसलमान लड़की, तुम्हारा दिमाग ठीक है---- उन्होंने उसे घूरते हुए पूछा। रुद्र-----हम्मम!! जानता हूं.......उसने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा मगर उसकी आंखों में नमी थी। दादू! मैं जानता हूं, मैंने आज आपका मान तोड़ दिया, आपको ठेस पहुंचाई है, बहुत बुरा हूं, आपका पोता कहलाने के लायक भी नहीं इसलिए इस घर को छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहा हूं। रुद्र-----मैं कभी आप लोगों से अलग नही होना चाहता था, मगर जानता हूं, आप कभी भी उसको नही अपनाएंगे.......क्योंकि यह हिन्दुस्तान है, यहां इज़्ज़त और धर्म के नाम पर बच्चों को कुर्बान कर देना ज़्यादा अच्छा समझा जाता हैं, मगर उनकी खुशियों के लिए, उनके साथ मिलकर दुनिया से लड़ना, यह तो यहा सिखाया ही नही जाता. पार्वती जी, रूद्र का हाथ पकड़ते हुए-------रूद्र होश में आओ, क्या कह रहे हो, तुमको पता भी है, देखो अपना हाल, खून बह रहा है, जिया जल्दी से डॉक्टर को फोन करो--- रुद्र------भाभी रहने दीजिए, अब मेरा इस घर पर कोई हक़ नही रहा, मुझे जाना है मगर उससे पहले दादू से कुछ सवाल करने है...... दादू, मैंने बचपन से आपको देखा है, आप किसी मुसलमान के हाथ से पानी लेना भी पाप समझते हैं, आप उनके साथ बैठना भी पसंद नहीं करते, आखिर इतनी नफ़रत क्यों है आपके दिल में, क्या वजह है इस भेदभाव की......क्या वो लोग इंसान नही दादू??? मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए-----बंद करो अपनी बकवास, लगता है भूल गए हो, कि तुम अपने दादू के सामने खड़े हो---- रुद्र-----ठीक है दादू! हो जाउंगा चुप, मगर आप मुझे बताएं, आप तो हिन्दू है ना, वो मुसलमान है फिर क्यों आप दोनों की सोच अलग नही है, फिर क्यों उसने भी यही कहा, क्यों उसने भी मुझे थप्पड़ मारा, क्यों उसको भी समाज की परवाह ज़्यादा है। दादू आप जानते है! हिन्दुस्तान में हर साल रावण को जलाया जाता है, बुराई का प्रतीक समझ कर मगर वहीं श्रीलंका में उसकी पूजा की जाती है, भगवान समझ कर, क्या इसका मतलब यह है कि वो लोग अच्छे नही या वह नफरत के काबिल है क्योंकि वो रावण को भगवान मानते हैं......बताए मुझे- रूद्र ने मुकेश रघुवंशी के गुस्से की परवाह ना करते हुए उनकी तरफ देखते हुए पूछा और जवाब ना मिलने पर उसने बोलना फिर शुरू कर दिया। नही ना दादू!! इसका मतलब सिर्फ इतना है कि जो इंसान जहां पैदा होता है वहां की रीति-रिवाज़ अपना लेता है, अपना नज़रिया वैसे ही बना लेता है, लेकिन अपने नज़रिए की वजह से करोड़ों लोगों से नफ़रत करना, उनका खून बहा देना, हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर अनगिनत बच्चों को अनाथ कर देना, लाखों औरतों की इज्ज़त लूट लेना यह हक़ किस धर्म ने दिया है??? कौन सा धर्म नफरत सिखाता है दादू??? क्या ईसा-अलैहिस्सलाम ने, हुज़ूर ने या राम जी ने, कृष्ण जी ने, शिव जी ने, या किसी ओर भगवान ने किसी औरत की इज्ज़त को रौंदा था पैरों तले अपने धर्म का बदला लेने के लिए??? क्या उनमें से किसी ने भी मासूमों का खून बहाया था??? गीता और क़ुरान में क्या कहीं भी लिखा है कि बेगुनाहों का कत्ल कर दो, सिर्फ इसलिए कि वो अपने रब को आपके हिसाब से नही पुकारते, उनके रब का नाम वो नही जो आप लेते हैं। दादू धर्म तो प्यार की नींव रखता है, धर्म तो धैर्य, संयम और निष्ठा सिखाता है, हर धर्म का पहला पाठ इंसानियत है....... फिर सब यही पाठ छोड़ कर आगे कैसे बढ़ जाते हैं??? सिर्फ गीता या क़ुरान को पड़ लेना तो धार्मिक होना नही है.....उसकी गहराई को समझना और अमल करना धार्मिक बनाता है इंसान को....... लेकिन आज के दौर में हर इंसान खुद को धर्म का ठेकेदार कह कर अपने को अल्लाह और भगवान समझ लेता है, लाखों लोगों का खून बहा देता है, यह सोचे बगैर कि जब वह इंसानियत ही भुल गया तो वो धार्मिक कहा से रहा----- रूद्र आज वो सब बोल रहा था जो हमेशा वो अपने दादू को समझाना चाहता था मगर कभी हिम्मत नही कर सका था। रुद्र------दादू! मैं आप सबसे बहुत प्यार करता हूं मगर उस लड़की को नही छोड़ सकता, वो भी सिर्फ इस वजह से कि उसका नाम दुआ सिद्दीकी है क्योंकि वो एक मुसलमान के घर पैदा हुई........दादू मैं अपनी मोहब्बत की कुर्बानी नही दूंगा किसी धर्म के नाम पर चाहे जो हो जाए मगर आपका पोता हार नही मानेगा। रुद्र, कुन्ती देवी की तरफ बढ़ते हुए------चाची आप मुझे बताइएं, क्या भगवान जी ने आपको पैदा करने से पहले पूछा था कि आप हिन्दू के घर पैदा होना चाहती है या मुसलमान के घर??? रूद्र के सवाल पर सभी ख़ामोश थे तब ही पिछे से अजय भी उसे ढूंढता हुआ आ गया मगर रूद्र का सवाल सुनकर उसके क़दम भी जहां थे वहीं रुक गए। रुद्र----नही ना चाची!!! पता है क्यों?? क्योंकि उसने तो हम सबको सिर्फ इंसान बनाया था, हिन्दू-मुस्लिम तो इस दुनिया ने बनाया है हमको...... रुद्र-----हम में से किसी से भी भगवान ने नही पूछा था.....ना आप से, ना मुझसे, ना उससे.......फिर उसको मुझसे अलग रहने को मजबूर क्यों किया जा रहा है......क्यों सबकी नज़रों में मैं ग़लत बन गया हूं??? क्यों मेरी मोहब्बत को सब गुनाह समझ रहे हैं??? आप सब ही चाहते थे ना कि मैं शादी कर लूं, आज जब मुझे किसी से प्यार हो गया तो आप लोग चाहते हैं मैं उसे भुल जाऊं क्योंकि वो मुसलमान है। 27 साल तक आप लोगों ने मुझे पाला-पोसा, बेइंतेहा प्यार किया, मैं आप सबकी आंखों का तारा इस घर का सबसे ज़्यादा लाडला बेटा....... "एक मिनट में" सिर्फ एक मिनट में दादू!!!! मैं आप सबका दुश्मन बन गया, वो प्यार, वो फ़िक्र, वो ममता सब कुछ खत्म हो गया सिर्फ एक मिनट में!!! क्या यही सब सिखाता है धर्म, मुझे तो मेरे धर्म ने नफरत करना नही सिखाया दादू, मुझे ऐसे संस्कार ही नही दिए आपने---- रूद्र ने रोते हुए अपने दादू से कहा जो उसको बस सुन रहे थे, उनकी गुस्से से लाल आंखें अब ज़मीन पर टिकी थी। दादू जिससे आप प्यार करते हो उनके लिए लड़ना मैंने आपसे सिखा है, अपने शिव जी से सीखा है, अपने प्रेम के लिए अगर वो भैरों बन सकते हैं तो मैं क्यों इस दुनिया की बेबुनियाद नफरत से नही लड़ सकता। आपने मुझे सिखाया था अगर सवाल प्रेम का हो तो शिव जी का भैरों अवतार बन जाना..... सबकुछ त्याग देना प्रेम के लिए......मगर प्रेम को नही त्याग ना दुनिया के लिए। आज मैं आपके सामने हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि क्या आप धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव को खत्म नही कर सकते, क्या आप अपने गुरूर का त्याग नही सकते, अपने पोते के प्यार में। या आप भी बाकी सब की तरह इस दुनिया के बने बैठे, धर्म के ठेकेदारों के सवालों से डर कर, अपने पोते का त्याग करना ज़्यादा अच्छा समझते हैं। रुद्र-----दादू मैं उसके बगैर ज़िन्दा नही रह सकूंगा, मगर आप लोगों के बगैर सुकून से भी नही रह सकता, प्लीज़ मुझे खुद से अलग नही करना दादू मुझे इस दुनिया के रीति-रिवाजों की भैंट ना चढ़ाना--- रूद्र ने छोटे बच्चे की तरह रोते हुए अपने दादू से प्रार्थना की थी, वहां खड़े हर इंसान की आंखों में आसूं थे, उसका कहा हर लफ्ज़ सही और सच था मगर दुनिया की रीति-रिवाजों के बांध तोड़ कर सच और सही का साथ देना आसान नही होता बहुत मुश्किल होता है दुनिया के खिलाफ जाना, लाखों लोगों के सवालो का सामना करना इसी कशमकश में उसके दादू भी थे, जिनका दिल फट रहा था अपने जान से प्यारे पोते की आंखों में आंसु देख कर, उनके दिमाग में रूद्र का कहा हर शब्द गूंज रहा था...... क्या सच में उनका धर्म प्रेम करना, त्याग करना, दुसरो का मान रखना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना और इंसानियत नही सिखाता। यही सब तो उन्होंने हमेशा पड़ा था मगर कभी इतनी गहराई से धर्म को समझा ही नही जितना उनका पोता समझ चुका था। आज उनको इंसानियत और धर्म का अस्तित्व समझ आ रहा था, क्यों धर्म बनाए गए, क्यों गीता और क़ुरान पढ़ाए जाते हैं मगर अक्सर लोग सिर्फ पड़ते हैं, समझते नही...... धर्म को समझना आसान नही, लोगों की ज़िन्दगी गुज़र जाती है, मासूमों का खून बहा दिया जाता है और फिर भी खाली हाथ रह जाते हैं। आज भगवान ने उनके सामने भी इम्तेहान की घड़ी रख दी थी कि वो दुनिया के दिखाएं रास्ते पर धर्म के नाम पर नफरत को जन्म देंगे या भगवान का रूप धारण कर प्रेम के लिए, अपना घमंड, अपना क्रोध त्याग देंगे। वो धर्म कहा जो तोड़ दे रिश्ते, धर्म तो जोड़ता है अपनों को परायो को----वो यही सब सोच रहे थे कि रूद्र खड़े-खड़े गिर गया, उसके ज़मीन पर गिरते ही रघुवंशी परिवार में डर की लहर दौड़ गई, उसका जिस्म आग-सा तप रहा था, रोहित और अजय मिलकर फौरन रूद्र को ज़मीन से उठा, उसके कमरे में ले गए, जल्द ही जिया ने डाक्टर को भी बुला लिया था। डॉक्टर ने उसको चैक किया फिर जल्दी से उसको 2 इंजेक्शन लगाए, उसकी हर्टबीट बहुत धीमी हो गई थी, बुखार से जिस्म तप रहा था, हाथ से बहता खून तो रूक गया था मगर उसकी जली हुई कलाई पर ज़ख्म बहुत ज़्यादा गहरा था। डॉक्टर ने सबको बताया कि फिलहाल उससे कोई ऐसी बात ना करें, जिससे उसको टेंशन हो, क्योंकि वो अभी सदमे की हालत में है, इसलिए उसके होश में आने के बाद, इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाए, नही तो वो अपना दिमागी संतुलन खो सकता है, वैसे आने वाले 24 घंटों में अगर उसका बुखार कम नही हुआ तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता है-----यह कह कर डाक्टर साहब वहां से चले गए। डॉक्टर के जाते ही मुकेश रघुवंशी ने गुस्से में बाला को आवाज़ दी, जो उनका खास आदमी था। बाला अगले एक घंटे में किसी भी तरह मुझे वो लड़की और उसका बाप यहां मेरी आंखों के सामने चाहिए। यह सुनते ही अजय फौरन हाथ जोड़कर मुकेश रघुवंशी के सामने खड़ा हो गया। दादा जी, मुझे पता है, आप इस वक्त बहुत गुस्से में है मगर बस एक बार मेरी बात सुन लीजिए, कोई भी फैसला लेने से पहले पूरी कहानी सुन लेनी चाहिए, गुस्से में किए फैसले हमेशा सिर्फ तकलीफ देते हैं-----यह कह कर अजय ने हिम्मत करके सबकुछ बताना शुरू किया। बाकी अगले भाग में:- नोट:- आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में ज़रुर बताएं।
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भाग 2

10 अक्टूबर 2021
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छः महीने पहले :-<div><br></div><div>रूद्र कहा हों - जिया ने कमरे में क़दम रखते हुए कहा.....देखा तो व

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भाग 3

14 अक्टूबर 2021
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सुबह के 10 बज रहे थे और रूद्र अपनी आंखें बंद किए, सोफे पर सिर टिकाए उसी लड़की के बारे में सोच रहा था

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भाग 4

31 अक्टूबर 2021
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अच्छा, ठीक है-ठीक है, गुस्सा नही हो, मैं तो बस यह कह रहा था एक बार उससे बात तो कर लेना, ताकि उसके दि

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भाग 5

25 नवम्बर 2021
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अमित जी------सर मैंने पूरी कोशिश की थी मगर इस युनिवर्सिटी की प्रिंसिपल बहुत सख्त है, मैंने रिश्वत दे

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भाग 6

7 दिसम्बर 2021
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मलिक हाउस:-<div><br></div><div>यह है दुआ के मामा का घर, बहुत ही बड़ा और आलीशान, रात के अंधेरे में चा

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भाग 7

7 दिसम्बर 2021
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अमित जी ने अभी यू-टर्न लिया ही था कि उस लड़की के सामने, नीले रंग की बड़ी सी गाड़ी रुक जाती है, जिसक

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भाग 8

8 दिसम्बर 2021
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आकिब घर वापस आते ही, दुआ के कमरे में जाता है तो देखता हैं, दुआ की आंखे अभी भी नम थी।<div><br></div><

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भाग 9

8 दिसम्बर 2021
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रात कब गुज़र जाती है, मुकेश रघुवंशी को पता ही नहीं चलता, रुद्र उनकी आंखों का तारा, उनके दिल की धड़कन

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भाग 10

30 दिसम्बर 2021
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रुद्र दरवाज़ा खोल कर अंदर जाता है, तो दुआ नज़रें झुकाए उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं, इस पल उसे ऐसा

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भाग 11

5 जनवरी 2022
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अगले दिन सभी लोग फंक्शन की तैयारी में जुटे थे, धीरे-धीरे मेहमान भी आना शुरू हो गए थे, रुद्र भी बाकी सबके साथ फंक्शन की तैयारी में लगा था, दादू के हुक्म पर दुआ कमरे में ही आराम कर रही थी और जिया के कहन

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भाग 12

5 जनवरी 2022
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20-25 दिन गुज़र जाते हैं मगर अब तक दुआ का दिमाग़ वहीं फरहान सिद्दीकी की बातों में अटका होता है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है, उसके दिल में एक अजीब सा डर घर करने लगता है, सब लोग उस

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