आकिब घर वापस आते ही, दुआ के कमरे में जाता है तो देखता हैं, दुआ की आंखे अभी भी नम थी।
आकिब----- आपी, अब आपको रोने की ज़रूरत नही है, मैंने हम सबकी परेशानी को खत्म कर दिया है।
दुआ कुछ ना समझते हुए----- मतलब ???? तुम क्या कह रहे हो आकिब, तुमने कौन सी परेशानी को खत्म कर दिया है??
आकिब---- आपी, आपको रुलाने वाला, रुद्र रघुवंशी अब खुद जेल में बंद, बैठा रो रहा होगा, अब आपका नही उसका बुरा वक्त शुरू हो गया है।
यह सुनते ही, दुआ एक झटके से खड़ी हो जाती है।
दुआ हैरानी से----तुम यह क्या कह रहे हो??? .... रुद्र जेल में??? कब और कैसे????
दुआ ने परेशानी में, कई सवाल एक साथ कर दिए थे, जिसे देख आकिब हैरान था कि वो उसके लिए इतनी परेशान क्यों हो रहीं है।
दुआ----आकिब बताओ मुझे, रुद्र जेल कैसे पहुंचा, क्या किया है तुमने???
आकिब थोड़ा डरते हुए----- वो आपी, मैंने पुलिस कम्पलेन कर दी थी और पकड़वाने के लिए, मैंने उनको लाल किले के पिछे बुलाया था।
यह सुनते ही, दुआ गुस्से में आकिब के थप्पड़ मार देती है।
दुआ----- तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है, यह क्या किया तुमने???? यह सब करने को कहा, किसने था तुमसे, अभी तुम बहुत छोटे हो, इस सबके लिए।
आकिब आंखों में आसूं लिए-------- मैं छोटा नही हूं, मैंने जो किया, सही किया, उसने बाबा को धमकाया था, उसकी वजह से आप रोई हो, और उसने हम सबको धोखा दिया है, उसकी वजह से बाबा आपसे बात नहीं कर रहे।
दुआ अपने आंसू साफ करते हुए------ आकिब, मुझे पता है तू मुझसे बहुत प्यार करता है, तुझे मेरी फ़िक्र है मगर यह तो सही तरीका नही है ना।
आकिब ------ मगर आपी!!!
दुआ----- प्लीज़ आकिब, तुझे मेरी कसम, सच-सच बता, यह सब तू ने कैसे किया, तू तो बहुत छोटा है, तेरी कम्पलेन पर वो कैसे उसे गिरफ्तार कर सकते हैं।
आकिब, थोड़ा झिझकते हुए----- आपी, कम्पलेन मैंने आपके नाम से की है।
दुआ हैरानी से----- मेरे नाम से???
आकिब---- हां, मैंने आपके साइन काॅपी कर, एक लेटर लिख उसके खिलाफ कम्पलेन कर दी, यह कह कर की आप थाने तक नही आ सकती।
यह सुनकर, दुआ को लग रहा था, जैसे आसमान फट गया हो, उसके सिर पर......यह आकिब ने क्या कर दिया था मगर अभी उसके पास तो, यह सब सोचने का भी वक्त नही था, बहुत मुश्किल से, उसने खुद को संभालते हुए पूछा.....
दुआ------ क्या लिखा है तुमने उस पेपर पर!
आकिब------ यही की उसने बाबा को धमकाया है, हम सबको मारने की कोशिश की है और आपके साथ.....
दुआ, आकिब की काॅलर पकड़ते हुए----- मेरे साथ क्या आकिब???? बोलो आगे!!
आकिब आंखें बंद करते हुए----- आपके साथ उसने ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी।
यह सुनकर दुआ का दिल चाहता है, वो 4-5 थप्पड़ लगा दे आकिब के मगर वो एक झटके से उसे छोड़, ज़मीन पर गिरने के अंदाज़ में बैठ जाती है।
मगर तभी उसे वक्त का एहसास होता है और वो फौरन आकिब का हाथ पकड़ घर से बाहर निकल जाती है।
आकिब कुछ ना समझते हुए----- आपी, हम कहा जा रहे हैं???
दुआ जल्दी-जल्दी क़दम बढ़ाते हुए----- थाने, रुद्र को छुड़वाने, हम अभी वो कम्पलेन वापस लेकर, सबकुछ ठीक कर देंगे।
आकिब---- आपी अगर हम कम्पलेन वापस ले भी लेंगे तो भी शायद पुलिसवाले उसको जल्दी से नहीं छोड़ेंगे!!
यह सुनकर दुआ के क़दम वहीं रुक जाते हैं।
दुआ---- मतलब, क्यों नहीं छोड़ेंगे वो उसे????
आकिब---- क्योंकि उसने गुस्से में पुलिसवाले के थप्पड़ मार दिया था तो वो लोग कह रहे थे कि अब वो उसे आसानी से नहीं छोड़ेंगे।
दुआ खुद से बड़बड़ाते हुए------ या मेरे अल्लाह, यह क्या हो रहा है, क्यों मुश्किलों पर मुश्किल बड़ा रहे हो आप, अब मैं क्या करूं???
अचानक ही दुआ को कुछ याद आता है, और वो अपने पर्स से फोन निकाल नम्बर डायल करती है, दुसरी तरफ छाया होती है।
दुआ, छाया के फोन रिसीव करते ही---- छाया, मुझे तेरी मदद की सख्त ज़रूरत है।
छाया परेशान होते हुए------ हां, बोल दुआ, क्या हुआ, इतनी परेशान क्यों हैं???
दुआ----- यार रुद्र के खिलाफ आकिब ने कम्पलेन कर दी है मेरे नाम से, और गुस्से में रुद्र ने पुलिसवालों पर हाथ भी उठा दिया है तो बात ज़्यादा बढ़ गई है, वैसे सारी डिटेल मैंने तुझे मेसेज कर दी है।
छाया कुछ ना समझते हुए-------- हां, मगर दुआ, मैं क्या मदद कर सकती हूं, मुझे समझ नही आ रहा।
दुआ------ छाया तू किसी भी तरह, रघुवंशी इंडस्ट्री पहुंच जा, वहां पर अजय को ढूंढ कर उसे यह सब बता दें, वो कुछ ना कुछ ज़रूर कर लेगा, वो रुद्र का दोस्त है, तुझे याद है ना युनिवर्सिटी के बाहर, जो रुद्र के साथ, इंतेज़ार करता था।
छाया परेशानी से----- दुआ वो तो मुझे याद है, मगर शाम होने वाली है, इस वक्त मैं घर से बाहर क्या कह कर निकलूं, पापा भी ऑफिस से आते ही होंगे!
दुआ रिक्वेस्ट करते हुए------ प्लीज़ छाया, तुझे हमारी दोस्ती का वास्ता, प्लीज़ किसी तरह अजय तक यह बात पहुंचा दें, वैसे भी रघुवंशी इंडस्ट्री तेरे घर से ज़्यादा दूर नहीं है।
छाया परेशानी से ------ मगर दुआ मैं घर से बाहर क्या कह कर जाऊं ???
छाया यही कह रही थी कि उसके पापा ने पिछे से आवाज़ दी, तो उसने हड़बड़ाहट में फौरन दुआ का फोन काट दिया......
फोन कटते ही, दुआ की छोटी सी उम्मीद भी टूट गई थी, अब जो भी करना था उसे ही करना था।
तकरीबन आधे घंटे में ही दुआ, आकिब के साथ, पुलिस स्टेशन पहुंच गई थी।
दुआ हवलदार से------ सर, मैं दुआ सिद्दीकी हूं, मेरे नाम से एक कम्पलेन दर्ज की गई है, जिसकी वजह से आप रुद्र नाम के लड़के को यहां लेकर आ गए हैं।
हवलदार ऐंठ कर------ हां, तो अब क्या चाहती हो???
दुआ------ सर, मैं वो कम्पलेन वापस लेना चाहती हूं!
हवलदार ------- ऐसा है मेडम जी, यह कानून हैं, मज़ाक नही, की जब चाहे कम्पलेन कर दी, जब चाहे वापस ले ली।
दुआ----- सर, एम् सोरी, आगे से ऐसा नही होगा, आप प्लीज़ उसे छोड़ दें, मैं हर्जाना भरने के लिए तैयार हूं।
हवलदार------- ऐसा है, तुमको जो भी कहना है वो सर जी से कहना, और वो अभी तो यहां है नहीं, इसलिए घर जाओ, आराम करो, कल आना।
दुआ----- कोई बात नही सर,मैं यहीं उनका इंतेज़ार कर लेती हूं।
दुआ यह कह कर, आकिब का हाथ पकड़ वहीं पड़ी एक बेंच पर बैठ जाती है।
थाने में सभी लोग उसे देख कर, एक-दूसरे के कानों में कुछ-कुछ कह रहे थे, उसने अब तक सिर्फ फिल्मों में ही थाना देखा था, ज़िन्दगी में यह पहली बार था जब वो एक असली थाने को देख रही थी और यहां बैठकर इंतेज़ार करना तो, उसे अज़ाब सा लग रहा था मगर और कोई रास्ता भी नहीं था।
तभी सामने बैठा हवलदार, वहां से उठ कर, किसी को फोन मिलाते हुए बाहर की तरफ चला जाता है।
हवलदार, सिनियर ऑफिसर (राघव सिंघ) को फोन करते हुए------- सर वो लड़की आई है!!
राघव सिंघ---- कौन लड़की??
हवलदार----सर दुआ सिद्दीकी, वहीं जिसकी कम्पलेन पर हम उस अमीर बाप के बेटे को उठा कर लाएं थे।
राघव सिंघ----तो अब क्या चाहिए उसे???
हवलदार------सर वो अपनी कम्पलेन वापस लेकर उसे छुड़वाना चाहती है।
राघव सिंघ---- अच्छा!! मतलब इश्क का चक्कर है!
हवलदार----- हां, सर मुझे भी यही लग रहा है, तो अब क्या करें???
राघव सिंघ---- करना क्या है, उसे कहो इंतेज़ार करें, थोड़ी देर में थक कर खुद ही वापस चली जाएंगी।
और अगर नही गई तो 2 घंटों में कोर्ट वैसे भी बंद हो जाएगा, मैं भी देखता हूं इतनी आसानी से वो कैसे आज़ाद होता है, सड़ने दे उसे।
थाने में आत-जाते, सभी लोग दुआ को अजीब नज़रों से देख रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे वो खुद कोई मुजरिम हों.....
मगर उन सबकी नज़रें और बातों को बर्दाश्त कर वो वहीं बैठ कर राघव सिंघ का इंतेज़ार करती रही, लगभग एक घंटा गुज़र गया था मगर अब तक वो राघव नहीं आया था, अब दुआ को लगने लगा था कि शायद आज तो वो रुद्र को नहीं छुड़वा सकेगी......
वो यही सोच रही थी कि तभी राघव सिंघ आ गया जिसका उसे इंतेज़ार था, उसे देखते ही सब उठ कर उसे सलाम करने लगे।
दुआ फौरन उसके पास जाकर------- सर मैं दुआ सिद्दीकी, मेरे नाम से जो कम्पलेन की गई है, मैं वो वापस लेना चाहती हूं, आप प्लीज़ रुद्र को छोड़ दें।
राघव सिंघ---- ओह मेडम!! कानून को मज़ाक समझ रखा है क्या, ऐसा है, घर जाओ आराम करो, वैसे भी वो लड़का लम्बा अंदर जाएगा.......चलते रोड पर, पुलिसवाले पर हाथ उठाया है, इतनी आसानी से तो वो बाहर नही आएगा।
दुआ हाथ जोड़ते हुए----- प्लीज़ सर ऐसा नही कहें, मैं अपनी कम्पलेन वापस ले रही हूं ना!!!
राघव सिंघ--- मेडम, यह कानून हैं, बच्चों का खेल नहीं, कोर्ट जाओ, अपने वकील को लेकर आओ.......ओ-हो कोर्ट कैसे जाओगी, अब तो कोर्ट भी बंद होने वाला होगा और अगले दो दिन तो पब्लिक हाॅलीडे है, मतलब अब आप आना तीन दिन बाद......ऐ शर्मा, मेडम को बाहर का रास्ता दिखा ज़रा, पता नहीं कहां-कहा से उठ कर आ जाते हैं!
दुआ---- मगर सर मेरी बात तो सुनिए!!
हवलदार----- मेडम जी, सुना नही, सर ने कह दिया ना, अब कुछ नहीं हो सकता, तीन दिन बाद आना।
यह कह कर हवलदार दुआ को ज़बरदस्ती बाहर निकाल देता हैं...... दुआ बहुत कोशिशों के बाद भी हार जाती है, वो मरे क़दमों से जैसे ही जाने के लिए मुड़ती है उसे सामने से अजय आता दिखता है, वो दुआ को थाने में देख थोड़ा हैरान हो जाता है।
दुआ की आंखे नम होती है, तो अजय उसके कुछ कहें बगैर ही सब समझ जाता है कि अंदर क्या हुआ होगा।
अजय----दुआ मेरे साथ अंदर चलों।
दुआ ---- वो इन लोगों ने मुझे, बाहर निकाल दिया, वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है।
अजय, दुआ का हाथ पकड़ते हुए----- मैं, तुम्हारे भाई जैसा हूं, यक़ीन रखो, किसी को तुमसे ऊंची आवाज़ में भी बात नहीं करने दूंगा।
दुआ, यह सुनकर चुपचाप अजय के साथ अंदर चली जाती है।
हवलदार, दुआ को फिर से अंदर आता देख चिखते हुए ------ सुनाई नही आता क्या मेडम जी, कह दिया ना जाओ, धक्के मार कर बाहर निकालू क्या???
तभी दुआ के पिछे से अजय अंदर आता है।
अजय उससे दुगुनी तेज़ आवाज़ में----- ओहहह हवलदार, अगर औकात ना हो, तो आवाज़ धीमी रखनी चाहिए, वरना कीमत चुकाने के लिए, जान भी गंवानी पड़ सकती है।
हवलदार, अजय की बात सुनकर थोड़ा घबरा जाता है।
अजय हवलदार को धमकाते हुए----- बेटा जल्दी से साॅरी बोल और निकल यहा से, इससे पहले कि तेरा तबादला ऐसी जगह करवा दूं, कि इस नौकरी से ही नही, ज़िंदगी से नफरत हो जाए तुझे.... वैसे भी हम जो तबादला करवाते हैं, वो इतना आसान नही होता, बीवी-बच्चे है घर पर या बुढ़ी मां इंतेज़ार कर रही है???
अजय की बात सुनकर, हवलदार के माथे पर पसीना आ जाता है, वो उसकी बात सुनकर इतना तो समझ जाता है कि वो कोई बड़ा आदमी है।
हवलदार फौरन ही, दुआ के पास आकर------ साॅरी मैडम, माफ़ कर दीजिए, ग़लती से ज़ुबान फिसल गई।
इससे पहले दुआ कुछ कहती, राघव सिंघ अपने केबिन से बाहर आ जाता है, हवलदार उसको आता देख, फौरन खिसक लेता है।
राघव सिंघ----- ओह हिरो, हैं कौन तू, थाने में खड़े होकर, पुलिसवाले को धमकी दे रहा है..... जानता है इसकी क्या सज़ा है????
अजय---- धमकी नही दे रहा, इज़्ज़त करना सिखा रहा हूं, फिलहाल मेरे पास ज़्यादा वक़्त नहीं है, मिश्रा जी पेपर्स लाएं।
मिश्रा जी पेपर्स डेस्क पर रख देते हैं।
राघव सिंघ, मिश्रा जी को देखते ही हैरानी से----- सर आप यहां???
अजय गुस्से में राघव सिंघ से----- जानता है, वो कौन है??? जिसे उठा कर लाएं हो अगर नहीं जानता तो फोन उठा लें, शायद कमिश्नर बताएगा तो ज़्यादा अच्छे से समझ आएगा।
राघव सिंघ कमिश्नर का नम्बर देख घबरा जाता है, ना चाहते हुए भी उसे फोन उठाना पड़ता है, फोन सुनने के बाद, उसके बात करने का तरीक़ा, एकदम ही बदल जाता है।
राघव----- अरे अजय सर, बैठिए ना, खड़े क्यूं है, मैडम प्लीज़, आप भी बैठिए, शर्मा चार चाय बोल ज़रा।
अजय गुस्से में----- हम यहां बैठने नहीं, रुद्र को लेने आए हैं।
राघव----- हां-हा सर ज़रुर, मैडम जी, आप इन पेपर्स पर साइन कर दीजिए, शर्मा जाओ जल्दी से रुद्र सर को बाहर लाओ।
शर्मा, रुद्र को बाहर लाता है तो रुद्र की हालत देख, दुआ और अजय दोनों ही कुर्सी से फौरन खड़े हो जाते हैं।
रुद्र के मुंह से खून निकल रहा था, पैर में भी शायद चोट लगी थी जिसकी वजह से वो लंगड़ा कर चल रहा था, देख कर लग रहा था कि पिछले तीन घंटों में पुलिसवालों ने उससे ठीक से बदला ले लिया था।
अजय इससे पहले कुछ कहता......रुद्र, दुआ को वहां देख कर गुस्से से----- अजय, तू ने दुआ को यहां क्यों बुलाया है??? यह जगह दुआ के लिए ठीक नहीं है।
अजय----मैने दुआ को नही बुलाया, वो पहले से ही यही थी।
रुद्र अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए-----दुआ तुमको यहां नहीं आना चाहिए था।
रुद्र की ऐसी हालत देख उसकी आंखें भरने लगती है, मगर इससे पहले उसके आंसू छलकते, दुआ कुछ कहें बगैर ही वापस जाने के लिए मूड़ जाती है.......तभी रुद्र उसके सामने आकर उसका रास्ता रोक लेता है।
रुद्र मुस्कुराते हुए----- प्लीज़ दुआ, अब तो मान जाओ कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो, देखो आज तो तुम्हारी आंखें भी सबूत दे रही है, तुम मेरे लिए यहां तक आ गई, अब तो हां कह दो, कब तक खुद से झूठ बोलोगी???
दुआ का दिल चाह रहा था कि वो उसके गले लग कर खूब रोएं, उससे लड़ें, उससे सवाल करें कि क्यूं वो खुद को इतनी तकलीफ़ दे रहा है???
क्यूं वो उसके लिए सबसे लड़ने को तैयार हैं??? क्यों इतनी तकलीफ़ के बाद भी वो उसके लिए, मुस्कुरा रहा है?? क्यों वो इतनी छोटी सी बात नहीं समझता कि यह दुआ इस जन्म में रुद्र की नही हो सकती।
रुद्र---- बोलो दुआ, क्या सोच रही हो??? कह दो कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो।
दुआ अपनी फीलिंग्स कन्ट्रोल करते हुए मुश्किल से कहती हैं---- कल शाम मिलने आ जाना, एड्रेस सेंड कर दूंगी......यह कह कर वो वहां से चली जाती है।
रुद्र अपनी तकलीफ भुल ख़ुशी से------अजय तू ने सुना, उसने मुझे मिलने बुलाया है।
अजय---- हम्मम!! सुना मैंने।
रुद्र मुस्कुराते हुए------काश मुझे पता होता, दुआ मुझे थाने में देख अपनी फीलिंग्स समझ जाएंगी, तो पहले ही 2-4 पुलिसवालों को पीट कर बंद हो जाता।
अजय हैरानी से------ रुद्र तू पागल हो गया है, तुझे पता है, तेरी यह हालत देख घर पर क्या होगा???
रुद्र सोचते हुए----- चल, घर चलें, बाकी बातें रास्ते में करते हैं।
अजय------हा ठीक है।
रुद्र आगे बढ़ते हुए------अजय एक बात का ख्याल रखना, आज जो भी हुआ वो मिडिया तक ना पहुंचे।
अजय----- डोंट वरी, मैंने पहले ही सारा इंतेज़ाम कर दिया है।
रुद्र------ हां, मगर यह खबर दादू तक भी नही पहुंचनी चाहिए।
अजय हैरानी से------ रुद्र यह कैसे हो सकता है, मैंने कमिश्नर से फोन करवाया था, यह बात तो दादू तक ज़रुर पहुंचेगी।
रुद्र गुस्से में-------अजय मैंने कहा ना, दादू तक यह बात नहीं पहुंचनी चाहिए, क्योंकि अगर यह बात दादू तक पहुंच गई तो वो सिद्दीकी को इतनी आसानी से माफ़ नहीं करेंगे और मैं नहीं चाहता सिद्दीकी को कोई कुछ भी कहें.....यह मेरे और सिद्दीकी का मसला है, मुझे कोई तीसरा नहीं चाहिए।
अजय -------- ओके, बट अभी क्या करना है, तुझे इस हालत में देख, दादू को किसी से कुछ पुछने की ज़रूरत नही पड़ेगी, वो सब समझ जाएंगे।
रुद्र मुस्कुराते हुए------ इसलिए हम पहले तेरे घर जा रहे हैं, थोड़ा फ्रेश होकर, चेंज कर के घर जाउंगा।
अजय----- अच्छा, और सबसे क्या कहेगा कि मेरे कपड़े क्यों पहने हैं???
रुद्र लम्बी सांस लेते हुए------ कह दूंगा, तूं ने गलती से मेरे कपड़ों पर काॅफी गिरा दी थी इसलिए चेंज करना पड़ा।
अजय कार स्टार्ट करते हुए------ मतलब सब सोच कर बैठा है।
रुद्र मुस्कुराते हुए------ प्यार करने के लिए सिर्फ जज़्बात काफी नही होते, अक्लमंदी भी चाहिए होती है, उसको दुनिया की तकलीफों से बचाने के लिए, मैं भी बस दुआ को बेकार की परेशानियों से बचा रहा हूं।
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वर्तमान समय:-
अजय दादू के सामने हाथ जोड़ते हुए------ आज दुआ से मिलने के बाद जो भी रेस्टोरेंट में हुआ, वो रुद्र आप सबको पहले ही बता चुका है......
दादू यह सब सुनकर, आप इतना तो समझ गए होंगे कि दुआ के लिए रुद्र किसी भी हद तक जा सकता है, मैं रुद्र को बचपन से जानता हूं, उसने कभी ट्रेफिक रूल्स तक नही तोड़े, पुलिसवाले पर हाथ उठाना तो बहुत बड़ी बात है, वो तो सबका आइडियल है, बड़े-बुजुर्गों की इज़्ज़त उसने हमेशा की है मगर सिर्फ दुआ के लिए वो डाक्टर सिद्दीकी को धमका कर आया था.........
दादू उसकी ऐसी हालत में, अगर आपने दुआ के साथ या उसके घरवालों के साथ कुछ भी किया तो यक़ीनन वो होश में आने के बाद या तो अपनी जान ले लेगा या फिर बाकी सबकी।
मैं जानता हूं, आपको बहुत गुस्सा आ रहा है मगर प्लीज़ एक बार रुद्र के बारे में सोचें, उस लड़की के बारे में सोचें जो अपने बाबा की इज़्ज़त के लिए इसकी बेपनाह मोहब्बत को ठुकरा रही है......
दादू वो लड़की बुरी नही है, रुद्र का प्यार भी ग़लत नहीं है, ग़लत है तो सिर्फ हम लोगों के सोचने का तरीक़ा, इंसानियत को भुला धर्मों के नाम पर हज़ारों प्यार करने वालों को मरने पर मजबूर कर देना यह सोच ग़लत है------- अजय यही कह रहा था कि मुकेश रघुवंशी गुस्से में कमरे से बाहर निकल गए......
मुकेश रघुवंशी के पिछे अजय भी अपने घर जाने के लिए निकल गया था।
घर में सभी लोग परेशान थे, किसी को समझ नहीं आ रहा था आगे क्या होगा, पता नहीं दादू क्या फैसला लेंगे, दुसरी तरफ अजय को फ़िक्र थी तो दुआ और उसके परिवार की....... क्योंकि दादू उन लोगों को उठवा भी सकते थे और किसी के साथ, कुछ भी करवा सकते थे, जब तक रुद्र होश में नही आ जाता तब तक अजय को किसी भी तरह दादू को कुछ भी करने से रोकना था।
दुसरी तरफ दुआ भी अब तक बुखार में तप रही थी, वो बिस्तर पर बेसुध पड़ी थी, उसको देख फरहान सिद्दीकी का दिल चाह रहा था कि वो उसकी जान ही ले लें, आखिर उसने उनकी इज़्ज़त मिट्टी में मिला दी थी......
उनके अंदर एक आग सी जल रही थी जो शायद दुआ को जला कर ही शान्त होने वाली थी, उनके अंदर का बाप कमज़ोर पड़ गया था, ज़िन्दा थी तो बस दुनिया के तानों की फ़िक्र, जिसकी वजह से उनको दुआ के वजूद से भी नफरत हो रही थी...... वो यही सब सोचते हुए दुआ के पास आ जाते हैं, उनका हाथ उसकी गर्दन तक जाने ही वाला होता है कि पिछे से दुआ की नानी आ जाती है।
दुआ की नानी (साएरा बेगम) चिल्लाते हुए------ फरहान सिद्दीकी!!! यह क्या कर रहे हो????
डाक्टर सिद्दीकी गुस्से में---- मैं इसको जान से मार दूंगा, यह हम सबकी बरबादी की वजह है।
साएरा बेगम---- तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है, अपनी ही बेटी को गला दबा कर मारने चलें हों।
डाक्टर सिद्दीकी----- हां, अम्मा जी, ज़िल्लत की ज़िंदगी से बेहतर, इज़्ज़त की मौत होती है।
साएरा बेगम------ बस करो फरहान सिद्दीकी, बस करो, अपनी अना के लिए तुम अपनी जवान बच्ची को मारने चलें हों, हम सबकी बर्बादी की वजह यह नही तुम बन रहे हो, रुद्र की बातें याद है कि भुल गए, हां फरहान सिद्दीकी, उस दिन मैंने सब देखा और सुना था, उसकी बातों को मज़ाक नहीं समझना, अगर इसको खरोंच भी आई ना तो, वो अपनी कही बात सच कर दिखाएंगा।
डाक्टर सिद्दीकी------ आप मुझे डरा रही है???
साएरा बेगम मुस्कुराते हुए------- बेटा, तुमसे ज़्यादा लोगों की आंखें पढ़ी है, लोगों के फैसले कितने मज़बूत है और कितने कमज़ोर, यह आंखें फौरन बयां कर देती है......और उसकी आंखों में साफ़ दिखता है वो इसके लिए जान दे भी सकता है और ले भी सकता है.........इसलिए ग़लती से भी दुआ को हाथ नहीं लगाना।
फरहान सिद्दीकी-------- नफरत हो रही है मुझे इससे, शर्म आ रही है, इसको अपनी औलाद कहते हुए, यह मेरी बेटी है??? मुझे कितना यक़ीन था इस पर और इसने क्या किया????
साएरा बेगम------- इसकी ग़लती नही है फरहान, यह तो अल्लाह की मर्ज़ी है, अगर अल्लाह ने इसके नसीब में उसे ही लिखा है तो तुम क्या, दुनिया का कोई भी इंसान, कितनी भी कोशिश कर लें मगर इसकी मोहब्बत को नहीं बदल सकता, दूरियां ज़रूर पैदा कर सकते हो मगर आखिर में यह उसकी होकर रहेगी।
फरहान सिद्दीकी------ ऐसा होने से पहले मैं इसे दफना दूंगा।
साएरा बेगम------ ठीक है, तो अच्छे से सोच लो, क्योंकि इसके साथ, तुमको हम सबको भी दफ़न करना पड़ेगा, वो किसी को नही छोड़ेगा इतना याद रखना।
साएरा बेगम यह कह कर, गुस्से में वहां से चली जाती है।
**********
अहान मीटिंग से वापस आता है, तो अचानक ही उसे बुखार चढ़ने लगता है, जब तक वो ऑफिस पहुंचता है तब तक उसका बदन बुरी तरह बुखार से जलने लगता है, आंखें भी काफी लाल पड़ गई थी, अमित जी मिस्टर वर्मा की फाइल लेकर केबिन में आते हैं तो अहान की ऐसी हालत देख परेशान हो जाते हैं।
अमित जी------ सर आप ठीक है???
अहान---- हम्ममम! बस हल्का सा बुखार है।
अमित जी ------सर मैं डॉक्टर को फोन करता हूं।
नही, मैंने कहा ना, हल्का सा बुखार है बस, तुम मिस्टर वर्मा के साथ मीटिंग अरेंज करो, मैं यह प्रोजेक्ट जल्द से जल्द कम्प्लीट करना चाहता हूं-------- अहान यह कहते हुए, अमित जी से फाइल लेता है, कि तभी उसका हाथ, अमित जी के हाथ से टच हो जाता है मगर अमित जी ख़ामोशी से वहां से चले जाते हैं।
मुश्किल से 20 मिनट गुज़रे थे कि अमित जी डाक्टर के साथ, अहान के केबिन में आ जाते हैं।
अहान हैरानी से----- अमित जी, यह डॉक्टर साहब आपके साथ क्या कर रहे हैं ???
अमित जी थोड़ा डरते हुए----- सर, यह आपको चैक करने के लिए आए हैं।
अहान नाराज़ होते हुए------ मैंने कहा था ना, मैं ठीक हूं, फिर क्यूं बुलाया डाक्टर को??
अमित जी----- सर आपका बदन बुखार से तप रहा है, प्लीज़ अब यह आ ही गए हैं तो चैक करवा लीजिए।
अहान, अमित जी की बात सुन, हल्का सा मुस्कुराते हुए------ अमित जी, आप भी ज़िद्दी होते जा रहे हैं।
अमित जी थोड़ा झेंपते हुए------ आपसे ही सीख रहा हूं सर।
अहान लम्बी सांस लेते हुए-----आइए डाक्टर साहब, चैक करें मुझे और बताए इनको मैं बिल्कुल ठीक हूं।
डॉक्टर साहब मुस्कुराते हुए, अहान के पास आकर बुखार चैक करते हैं।
डाक्टर----- सर आपको तो सच में बहुत तेज़ बुखार है, खांसी भी है क्या??
अहान------ नही डाक्टर साहब, कुछ नही है, पता नहीं कैसे, अचानक ही बुखार चढ़ गया।
डॉक्टर साहब सोचते हुए----- अच्छा, कोई बात नहीं, मैं अभी आपको मेडीसन दे देता हूं, कल तक बुखार उतर जाएगा, हो सके तो मेडीसन लेने के बाद, आराम कर लीजिएगा।
डॉक्टर, अहान को मेडीसन दे कर चले जाते हैं।
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तीन घंटे गुज़र गए थे, इंजेक्शन का असर थोड़ा कम होने की वजह से रुद्र की आंख खुल गई थी मगर बुखार अभी भी तेज़ था, जिसकी वजह से वो चाह कर भी बिस्तर से नही उठ सका था लेकिन वो किसी से कोई बात नही करना चाहता था इसलिए उसने अपनी आंखें फिर से बंद कर ली थी, शायद रात के ग्यारह बज रहे थे, जब रुद्र किसी को अपने कमरे में ना पाकर, ज़बरदस्ती किसी तरह खुद को संभालते हुए बिस्तर से उठता है और घर छोड़ कर चला जाता है।
एक घंटे की ड्राइव के बाद किसी तरह वो अजय के घर पहुंच जाता है, दरवाज़ा खोलने पर अजय उसको अपने सामने देख हैरान रह जाता है।
अजय उसे सहारा देते हुए------ रुद्र तू इस वक्त यहां, तुझे अभी भी तेज़ बुखार है।
रुद्र कोई जवाब दिए बगैर, उसका हाथ झटकते हुए, सोफे पर बैठ जाता है, सामने टेबल पर ही शराब की एक बोतल और एक गिलास रखा था, शायद अजय ड्रिंक कर रहा था सोफे पर ही गिटार भी पड़ा था, अजय अक्सर ही गिटार बजाते हुए, ड्रिंक करता था।
अजय, रुद्र के सामने बैठते हुए....
अजय---- रुद्र क्या हुआ है, मैंने दादू को समझाया है ना, वो ज़रूर समझेंगे, तू बैठ मैं तेरे लिए चाय बना कर लाता हूं------
वो यह कह कर जाने के लिए उठता ही है कि रुद्र शराब की बोतल उठा लेता है।
अजय हैरानी से------- रुद्र प्लीज़ इसे रख दें, तेरी तबियत पहले ही खराब है।
रुद्र----- हां तो....
अजय----- रुद्र तू ने शराब पहले कभी छुई भी नही है, तू नही पी सकता।
रुद्र मुस्कुराते हुए------ प्यार भी तो पहली बार किया है ना, यह तक़लीफे भी पहली बार उठा रहा हूं, और पहली बार ही, अपने परिवार में गैर बन गया हूं, तो पहली बार शराब क्यों नहीं पी सकता-------
यह कहते हुए रूद्र शराब की बोतल मुंह से लगा लेता है, अजय उससे बोतल लेने की कोशिश करता है कि तभी अजय का फोन बजने लगता है।
अजय फोन रिसीव करता है, दुसरी तरफ जिया होती है।
अजय------ हैलो भाभी!!
जिया परेशान होते हुए---- अजय क्या तुमको पता है, रुद्र कहा है???....हम लोग उसको पूरे घर मे ढूंढ चुके हैं।
अजय----भाभी आप परेशान नही हो, रुद्र मेरे घर आ गया है।
जिया-----अच्छा, ज़रा रुद्र से मेरी बात करवा दो।
अजय परेशान होते हुए----- सोरी भाभी, अभी रुद्र आपसे बात नही कर पाएगा।
जिया ------ क्यों, रुद्र बात क्यूं नहीं कर सकता???
अजय ----- वो एक्चुअली भाभी, उसने शराब पी रखी है, इस वक्त वो होश में नही है, जैसे ही होश में आएगा, मैं उसकी बात आपसे करवा दूंगा।
जिया हैरानी से---- क्या??? अजय यह कैसे हो सकता है, रुद्र ने तो कभी शराब छुई तक नही है।
अजय---- भाभी फिलहाल रुद्र कुछ भी कर सकता है, मगर प्लीज़ आप यह दादू को नही पता चलने देना।
अजय फोन पर बात ही कर रहा होता है कि रुद्र गिटार बजाना शुरू कर देता है जिसकी वजह से अजय, जिया की बात नही सुन पाता और आखिर उसे फोन बंद करना पड़ता है।
रुद्र आंखें बंद कर गिटार बजाते हुए गाना शुरू कर देता हैं------
बेख्याली में भी तेरा, ही ख्याल आए,
क्यों बिछड़ना, है ज़रूरी, ये सवाल आए,
तेरी नज़दीकियों की खुशी बेहिसाब थी,
हिस्से में फासलें ... भी तेरे, बेमिसाल आए....
मैं, जो तुमसे दूर हूं... ...
क्यों दूर में रहूं,
तेरा ग़ुरूर हूं....
आ, तू फासला मिटा,
तू ख्वाब सा मिला,
क्यों ख्वाब तोड़ दूं....
बेख्याली में भी तेरा, ही ख्याल आए,
क्यों जुदाई दे गया, तू ये सवाल आए,
थोड़ा सा, मैं खफा हो गया, अपने आप से,
थोड़ा सा, तुझपे भी, बेवजह, ही मलाल आए,
यह लाइंस गाते हुए रुद्र की आंखें नम हो गई थी, ऐसा लग रहा था, जैसे वो खुद को ही समझा रहा था।
हे ये तड़पन, हे ये उलझन,
कैसे जी लूं, बिना तेरे,
मेरी अब सबसे है, अनबन,
बनते क्यों ये खुदा मेरे??
गाने की हर एक लाइन रुद्र का हाल बयां कर रही थी, रुद्र की आवाज़ में जो दर्द था, वो अजय भी महसूस कर पा रहा था जिससे उसकी आंखें भी नम हो गई थी, उसने कभी नही सोचा था कि रुद्र की ऐसी हालत भी हो सकती है।
ये जो लोग बाग है, जंगल की आग है,
क्यों आग में जलूं???
ये नाकाम प्यार में, ख़ुश हैं ये हार में,
इन जैसा क्यूं बनूं????
रातें देंगी बता, निंदो में तेरी ही बात है,
भूलूं, कैसे तुझे, तूं तो ख्यालों में साथ हैं
बेख्याली में भी तेरा, ही ख्याल आए,
क्यों बिछड़ना है ज़रूरी, ये सवाल आए,
तेरी नज़दीकियों की खुशी बेहिसाब थी,
हिस्से में फासले... भी तेरे, बेहिसाब आए....
नज़र के आगे हर एक मंज़र,
रेत की तरह बिखर रहा है,
दर्द तुम्हारा, बदन में मेरे,
ज़हर की तरह, उतर रहा है, ~2
वो गाना गा ही रहा था कि तभी दरवाज़ा खुला होने की वजह से, दादू, बाला, जिया, और कुन्ती देवी अंदर आ गए थे......
उन लोगों को देख अजय परेशान हो गया था मगर रुद्र को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा हो, बल्कि रुद्र अब उनकी तरफ देखते हुए, गाना गा रहा था।
आ ज़माने, आज़मा लें,
रूठता नहीं,
फासलों से, हौसला ये,
टुटता नही,
ना है, वो बेवफा और ना मैं हूं बेवफा,
वो मेरी, आदतों की तरह, छूटता नही।
मुकेश रघुवंशी गुस्से में----- रुद्र यह क्या तमाशा लगा रखा है??? बाला, इसे घर लेकर चलो।
बाला रुद्र की तरफ बढ़ता ही है कि रुद्र गुस्से में गिटार ज़मीन पर फेंक देता है।
रुद्र नशे में----- अजय कह दे सबसे, मैं यहां से कहीं नहीं जाउंगा, मैं वो घर छोड़ चुका हूं, मैंने अपना धर्म बदल लिया है।
मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए----- बंद करो यह बकवास, तुम्हारे ऐसे कहने से हकीक़त नही बदल जाएगी।
रुद्र हंसते हुए------ तो आपके चिल्लाने से हकीक़त बदल जाएगी क्या, आपका रुद्र मर चुका है, अब आपका सिर्फ एक ही पोता है।
मुकेश रघुवंशी गुस्से में----- रुद्र अगर तुम अभी घर नहीं चलें तो जिसकी वजह से तुम यह सब कर रहे हो ना, मैं उसके पूरे खानदान को मिट्टी में मिला दूंगा।
मुकेश रघुवंशी यही कहते हैं कि रुद्र टेबल पर रखी शराब की बोतल उठा अपने जले हुए हाथ पर डाल देता है, जिससे उसका ज़ख्म और भी जलने लगता है।
रुद्र अपने हाथ को देखते हुए----- अगर आपने उसको या उसके घरवालों को तकलीफ़ देने की सोची भी ना तो यक़ीन माने, मैं खुद, अपने इतने टुकड़े कर दूंगा कि आप गिन भी नही सकेंगे, दादू अगर इन धर्मों की लड़ाई में मुझे दुआ से दूर होना पड़ा तो यक़ीन मानें, आपको भी आपका पोता वापस नही मिलेगा......
आप बहुत प्यार करते थे ना, रुद्र रघुवंशी से, अब देखें, आपका घमंड आपके पोते को किस तरह निगलेगा......कहते हैं अगर कोई इंसान अपना ही दुश्मन बन जाए तो उसे भगवान भी नहीं बचा सकते।
मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ रुद्र, मैं उस लड़की का पता भी नही लगने दूंगा।
रुद्र----- दादू याद है, आप ही कहते थे, मैं शिव जी जैसा हूं, तो याद रखिए, मैं इस कलयुग का शिव हूं, अपनी सती के जलने से पहले, सबकुछ जला दूंगा, चाहे उसके लिए मुझे खुद को जलाना पड़े।
वहां पर खड़े सभी लोगों को रुद्र की यह हालत देख जितनी तकलीफ हो रही थी उतना ही डर भी लग रहा था, उसका ऐसा रूप भी हो सकता है, यह किसी ने नहीं सोचा था....... शराब डालने की वजह से उसके हाथ का ज़ख्म और भी गहरा हो रहा था, सभी उसको रोकना चाहते थे मगर किसी की हिम्मत ही नहीं हो रही थी।
तभी पिछे से बाला ने, रुद्र के मुंह पर रुमाल रख दिया, जिस पर बेहोशी की दवा पड़ी थी और रुद्र बेहोश हो गया।
अजय हैरानी से-----बाला जी, यह क्या किया???? रुद्र को बेहोश क्यूं किया???
मुकेश रघुवंशी----- जिया डाक्टर को बुलाओ और उससे कहना, निंद के इंजेक्शन साथ लाए, रुद्र को आराम की ज़रूरत है।
अजय हैरानी से----- दादू प्लीज़ ऐसा नही करें।
मुकेश रघुवंशी अजय की बात अनसुनी करते हुए----- अजय कल सुबह 8 बजे तक, वो सिद्दीकी मुझे मेरे सामने चाहिए।
अजय डरते हुए-------मगर दादू???
मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ अगर वो 8 बजे मेरे सामने नही हुआ तो 10 बजे तक कितना कुछ हो सकता है, पता है ना???
अजय---- नही दादू, आप फ़िक्र नहीं करें, मैं 8 बजे तक उनको घर ले आऊंगा।
बाकी अगले भाग में:-