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भाग 10

30 दिसम्बर 2021

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रुद्र दरवाज़ा खोल कर अंदर जाता है, तो दुआ नज़रें झुकाए उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं, इस पल उसे ऐसा लगता है, जैसे उसने दुनिया जीत ली है, उसके सामने, उसकी मोहब्बत, उसके हमसफ़र के रूप में बैठी थी, कल तक जो ख़्वाब नामुमकिन लग रहा था वो आज हकीक़त बन गया था, और रुद्र इस हक़ीक़त को जीना चाहता था, खुद को यक़ीन दिलाना चाहता था खुद की खुशकिस्मती पर......

रुद्र जब एक ही जगह खड़ा, काफी देर तक, दुआ को यूं ही देखता रहा तो आखिर दुआ को ही बोलना पड़ा.......

रुद्र देखो तुम जो भी सोच रहे हो, वो अभी नहीं हो सकता------- दुआ एक दम से बगैर सोचे-समझे बोल देती है और फिर एहसास होने पर कि उसने क्या बोल दिया, अपना होंठ काटते हुए, आंखें भींच लेती है......... जिसे देख, रुद्र खुद की हंसी नहीं रोक पाता।

रूद्र शरारत से, दुआ के क़रीब आते हुए------- तुम्हे कैसे पता मैं क्या सोच रहा हूं??? और जो मैं सोच रहा हूं, वो अभी क्यूं नहीं हो सकता??

रुद्र को खुद के इतने क़रीब पाकर, दुआ की धड़कनें तेज़ हो जाती है, उसका गला भी सूखने लगता है, वो चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रही थी, बस बच्चों की तरह आंखें भींचे हुए थी जिसे देख रुद्र को और मज़ा आ रहा था, दुआ को परेशान करने में...... 

काफी देर तक, वो उसको यूं ही देखता रहता है, जब वो कुछ नहीं बोला तो दुआ अपनी एक आंख खोल कर देखती है, तो रुद्र उसके पास बैठा, मुस्कुराते हुए उसे देखे जा रहा था.......... दुआ उसको खुद पर हंसता देख, फौरन सीधे होकर बैठ जाती है।

रुद्र मुस्कुराते हुए-------एक बात कहुं???

दुआ----- हम्ममम!!!

रुद्र----- इतनी तेज़ धड़कन तो तुम्हारी तब भी नहीं हुई थी, जब सिंगापुर में, मैंने ज़बरदस्ती तुमको कमरे में बंद कर लिया था और अब तो मैं तुम्हारा शौहर हूं, फिर यह डर कैसा???

दुआ हकलाते हुए------ वो.....मैं.... मेरा मतलब है, 

रुद्र उसके होंठों पर उंगली रखते हुए------- शशशशश!! कुछ कहने की ज़रूरत नही है, मैं जानता हूं, तुम मुझसे प्यार करती हो, मगर अब तक मुझे अच्छे से जानती नहीं हो, इसलिए अपने जज़्बात बयां नहीं कर पा रही........ फ़िक्र नहीं करो, मैं ऐसा कुछ नहीं सोच रहा था, मैं तो तुमको बस, जी भरकर देख, अपनी खुशकिस्मती पर यक़ीन ला रहा था, फिलहाल तो, मुझे आज के लिए तुम से माफी मांगनी थी.....

रुद्र------मुझे पता है, तुम्हारे लिए, तुम्हारे बाबा की इज़्ज़त सबसे ज़्यादा इम्पोर्टेंट है, और आज दादू ने जो किया वो सही नहीं था, उनको तुम्हें यहां बुलाना ही नहीं चाहिए था......तरीके से हम लोगों को बारात लेकर जानी चाहिए थी, उसमें डाक्टर साहब की इज़्ज़त होती है और मंडप वाली बात पर तो मुझे अब तक यक़ीन नहीं आ रहा है.......वो तुम्हारा मज़ाक बना रहे थे और मुझे पता तक नहीं था....... मेरी ही ग़लती है जो मैंने भरोसा कर लिया था मगर तुम फ़िक्र नहीं करो, मैं सब ठीक कर दूंगा, कल सुबह ही हम सिद्दीकी हाउस चलेंगे और मैं डॉक्टर साहब से खुद माफी मांगूंगा।

यह सब कहते हुए रुद्र की आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था, दुआ को समझ नही आ रहा था, वो बात कहां से शुरू करें, वो चुपचाप बस उसकी सुन रही थी..... तभी रुद्र को उसकी खामोशी का एहसास होता है.......

रुद्र---- क्या बात है दुआ???? कुछ कहना है???

दुआ----- हम्ममम!!!!!

रुद्र फौरन अपना मुड ठीक कर, मुस्कुराते हुए------ हां तो कहें, मिसेज़ रहमत अली खान, क्या कहना है आपको???

रुद्र की बात सुन, उसे बात शुरू करने का तरीक़ा मिल जाता है।

दुआ नाराज़ होते हुए----- इतना बड़ा नाम कौन रखता है??? अच्छा ख़ासा, छोटा सा नाम था, फिर इतना बड़ा नाम रखने की क्या ज़रूरत थी?????

रुद्र मुस्कुराते हुए---- हम्ममम!! क्या करूं, तुमसे निकाह जो पढ़ना था, अब मौलवी ने नाम पुछा, तो वो हमारे निकाह में कोई मसला ना खड़ा कर दें, असली नाम सुनकर इसलिए तभी यह नाम रख लिया वैसे भी तुम्हारे लिए धर्म बदल चुका हूं तो नाम क्या चीज़ है........खैर अगर तुम मुझे इस नाम से नही बुलाना चाहती तो एक नाम है मेरे पास, बहुत ख़ास, बताऊं???

दुआ---- हम्मम! बताओ!

रुद्र हंसते हुए------ जान!! तुम मुझे जान कह सकती हों, और जान नहीं कहना तो जानूं, शोना-मोना जो दिल में आएं, वो कह सकती हों!!

दुआ मुंह बनाते हुए-----मुझे कुछ कहना ही नहीं!!

रुद्र उसको नाराज़ होते देख, अपना एक कान पकड़ते हुए------ अच्छा बाबा, साॅरी....... ऐसा करो तुम खुद सोच कर मेरा कोई अच्छा सा नाम रख दो, मुझे सब मंज़ूर है!!

दुआ सोचते हुए----- हम्ममम, ठीक है, तो फिर मैं तुम्हें रुद्र ही कहुंगी!!

रुद्र हैरान होते हुए----- मगर मेरा नाम, मुझे बदलना होगा, वरना कोई हमारा निकाह नहीं मानेंगा....

दुआ----- हां, पता है मुझे, डाक्यूमेंट्स में तो बदलना पड़ेगा मगर मेरे लिए तुम हमेशा रुद्र रहोगे, चाहे इस दुनिया के लिए तुम रहमत बनो या कुछ और मगर मेरे लिए सिर्फ रुद्र!!!

रुद्र, दुआ को घोर से देख मुस्कुराते हुए----- अच्छा ठीक है, जैसी आपकी मर्ज़ी, ख़ुश?? या और कुछ भी है जो बदलना है???

दुआ----- हम्ममम और भी है!

रुद्र----- तो बताएं, आपका शौहर, आपकी खिदमत में हाज़िर है!!

दुआ झिझकते हुए----- रुद्र आज तुमने मेरे लिए जो किया, उससे सच में, मुझे एहसास हुआ कि तुम मुझसे बेपनाह प्यार करते हो और उससे कहीं ज़्यादा इज़्ज़त......मगर तभी मुझे बुरा भी लगा, दादू के लिए.......हम दोनों की वजह से आज उनकी बहुत बेइज़्ज़ती हुई है!!!

रुद्र गुस्से में------ उनकी बेइज़्ज़ती हमारी नहीं, उनकी खुद की वजह से हुई है, सबकुछ जानते हुए भी, उन्होंने ऐसा किया।

दुआ, समझाते हुए------- रुद्र, अब मैं तुम्हारी इज़्ज़त हूं, इसलिए उस वक्त मैं कुछ नहीं बोल सकी, क्योंकि तुम्हारी बात ना मान कर, मैं तुम्हारा सिर नही झुकाना चाहती थी मगर रुद्र आज तुमने दादू से जैसे बात की वो ठीक नहीं था!!!

रुद्र, दुआ की बात का कोई जवाब दिए बगैर ही गुस्से में उठने लगता है कि तभी दुआ उसका हाथ पकड़ लेती है!!!

दुआ उसकी आंखों में देखते हुए---- इतना गुस्सा???? मेरी सही बात भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे!!

रुद्र वापस उसके पास बैठ, उसके हाथ पर हाथ रखते हुए----- दुआ, तुम मेरी ज़िन्दगी हों, अगर तुम पर आंच भी आईं तो मैं सब जला दूंगा।

दुआ------ इतना प्यार करते हो मुझसे, तो मेरी खुशी के लिए एक वादा कर सकते हो??

रुद्र----जान भी मांगोगी तो हंसते हुए दे दूंगा।

दुआ, लम्बी सांस लेते हुए----- रुद्र, मैं सब घर वालों को मनाना चाहती हूं, मैं सबकी दुआओं के साथ, हमारा रिश्ता आगे बढ़ाना चाहती हूं, तब तक हम अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे..... बोलो मंज़ूर है???

रुद्र गुस्से में------ दुआ, तुम्हे वक्त चाहिए, ठीक है मैं वादा करता हूं, तुम्हारी मर्ज़ी के बग़ैर, मैं तुम्हारा हाथ भी नहीं पकड़ूंगा, साल, दो-साल जब तक तुम कम्फ़र्टेबल ना हो मगर अगर तुम घर वालों को मनाना चाहती हो तो वो मुझे मंज़ूर नहीं है।

दुआ रिक्वेस्ट करते हुए----- रुद्र प्लीज़, अगर तुम मेरा साथ नही दोगे, तो मैं अकेले, कैसे इतना लम्बा सफ़र तय कर सकूंगी, मुझे तुम्हारे साथ की ज़रूरत है, प्लीज़ रुद्र!!!

रुद्र, दुआ की आंखों में देखता हैं, जिनमें अब नमी उतर आईं थी, और रुद्र की हां का इंतेज़ार कर रही थी।

रुद्र, उसके आंसु पोछते हुए------ तुम जीती, मैं हारा...... तुम्हारा हर हुक्म मंज़ूर है, वादा करता हूं, हम पहले सबको मनाएंगे फिर उनकी दुआओं के साथ अपने रिश्ते में आगे बढ़ेंगे मगर एक और वादा करता हूं, अगर किसी ने, कभी अपनी लिमिट क्रॉस कर दी, तो दुआ, मैं अपने गुस्से पर काबू नही रख पाऊंगा।

दुआ मुस्कुराते हुए------ मंज़ूर है, मैं कभी ऐसी नौबत नहीं आने दूंगी।

रुद्र----- अच्छा ठीक है, अब सो जाओ, वैसे भी तुम्हारी तबियत ठीक नहीं लग रही।

दुआ हां मैं सिर हिला कर, सोने लेट जाती है, रुद्र उसके बराबर में ही बैठा उसे देखता रहता है।

********

कहते हैं, इम्तेहान की घड़ी बहुत लम्बी लगती है, ऐसा ही कुछ अब दुआ को भी लग रहा था, शादी को एक महीना गुज़र गया था मगर वो अब तक किसी के भी दिल में जगह नहीं बना सकी थी, वो दिन-रात कोशिश करती मगर सब बेकार.......

वो कुछ भी खाना पकाती, तो कोई भी उसके हाथ का खाना नहीं खाता, ना ही कोई उससे बात करता, रुद्र की मां और चाची, जब भी मौका देखती तो उसको कुछ ना कुछ सुना देती और उसकी बेइज़्ज़ती कर देती, मगर वो हर बात रुद्र से छुपा लेती, अगर वो उन लोगों की मदद करने के लिए किसी सामान को छू भी लेती तो वो सामान फेंक दिया जाता, जैसे वो अछूत हो......

हां रुद्र के सामने ज़रूर, वो लोग खामोश रहती......कई बार, सबका रवैया देख, जिया को भी गुस्सा आ जाता मगर दुआ, खुद को हमेशा शांत रखतीं इस इंतेज़ार में की कभी तो उसका सब्र काम आएगा..... मगर दिन-ब-दिन सबका रवैया उसके साथ बद से बद्तर हो रहा था....... 

वो रुद्र के सामने तो हमेशा मुस्कुराते हुए, कहती कि बस थोड़ा वक्त और फिर सब ठीक हो जाएगा, मगर अंदर ही अंदर उसकी उम्मीद टूट रही थी क्योंकि मनाया उन्हें जाता है जो रूठ जाते हैं मगर अब तक उन लोगों ने तो दुआ को अपना समझा ही नहीं था....... यहां तो हिन्दू-मुस्लिम की दीवार खड़ी थी जो बहुत मज़बूत थी, जिसे वो हिला भी नहीं पा रही थी अब तो शायद रब को ही कोई चमत्कार करना था।

ऐसे ही एक दिन, दुआ अपने कमरे से निकल, नीचे जा रही थी कि सामने से चाची आती हुई दिखती है, वो चाची को देख, नज़रें झुका लेती है, यह सोच कि वो फिर से उसे अनदेखा कर चलीं जाएगी।

कुन्ती देवी, सीढ़ियां उतरना ही शुरू करती है कि उन्हें अचानक चक्कर आ जाता है, मगर इससे पहले वो सीढ़ियों से गिरती दुआ उन्हें सम्भाल लेती है और रुद्र को चीखते हुए आवाज़ देती है, जिसको सुन सभी घर वाले वहां पहुंच जाते हैं.....

रुद्र जल्दी से कुन्ती देवी को गोद में उठा, अपने कमरे में ले जाता है, जिया फौरन ही डाक्टर को फोन कर बुला लेती है......सभी लोग बहुत परेशान होते हैं, डॉक्टर कुन्ती देवी को चैक करता है फिर उनसे कुछ ज़रूरी सवाल पूछता है......

मुकेश रघुवंशी------ डॉक्टर क्या बात है, छोटी बहू को क्या हुआ है???

डॉक्टर मुस्कुराते हुए------ कुछ नही हुआ, रघुवंशी साहब, खुशखबरी है, आप एक बार फिर दादा बनने वाले हैं.......

जिया यह ख़बर सुनते ही, सबके लिए मिठाई लेने चली जाती है......

मुकेश रघुवंशी------- डॉक्टर, तुम सच कह रहें हों???? हमारी छोटी बहू, एक मेहमान लाने वाली है।

डॉक्टर मुस्कुराते हुए------ हां रघुवंशी साहब, बिल्कुल सच, बस आप समझ लें, आपकी नई बहू आप सबके लिए, बहुत भाग्यवान हैं, अभी उसे आए देर नहीं हुई और भगवान ने 27 सालों से सूनी गोद भर दी।

डॉक्टर यह कह कर बधाई देता हुआ चलें जाता है।

तभी जिया कमरे में मिठाई लेकर आ जाती है और चाची के मुंह में रख देती है...... 

फाइनली चाची, भगवान जी ने आपकी सुन ही ली...... चाची मुस्कुराते हुए, मिठाई का एक टुकड़ा उठा, दुआ की तरफ बढ़ती है........जिसे देख दुआ के साथ बाकी सब भी हैरान रह जाते हैं.....

कुन्ती देवी ------- दुआ आज तक मुझे लगता रहा तुम हम सबके लिए अभिशाप हो, जिसने हम सबसे रुद्र को छिन लिया मगर हक़ीक़त में डाक्टर ने अभी जो भी कहां, वो सच है......अब मैं यक़ीन करतीं हूं, तुम सच में बहुत भाग्यवान हो, तुम्हारे आने से मेरी बरसों की सुनीं गोद भरने वाली है....

यह कह कर कुन्ती देवी उसे अपने गले लगा लेती हैं, जिसे देख दुआ से ज़्यादा बाकि सब लोग हैरान रह जाते हैं......

यह पल उसके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थे, अभी कुछ देर पहले ही तो वो अपने अल्लाह से शिकायत कर रही थी और इतनी जल्दी उसके रब ने उसकी शिकायत दूर कर दी थी, मगर यह तो पहली सीढ़ी थी, मंज़िल अभी दूर थी, लेकिन कुन्ती देवी के साथ से उसके अंदर टूटती उम्मीदें फिर जुड़ गई थी...... 

वो दिन-रात जी-जान लगा कोशिश करने लगी थी कि जल्द से जल्द सबको मना लें और धीरे-धीरे उसकी कोशिशें कामयाब होती दिख रही थी, सभी लोगों के दिल में वो कहीं ना कहीं अपनी जगह बना रहीं थी और तकरीबन शादी के छः महीनों में ही उसने सबका दिल जीत लिया था, बचें थे तो सिर्फ दादू जो अब तक उससे बात भी नहीं करते थे, उनके अंदर की नफ़रत को खत्म करना दुआ को नामुमकिन सा लगने लगा था मगर फिर भी उसने कोशिश करना नहीं छोड़ी............

वो रोज़ रात को सोने से पहले उनके कमरे में गर्म दूध भिजवाती मगर वो नहीं पीते, सुबह तक दूध वैसा का वैसा ही रखा होता, रोज़ाना सुबह वो उनकी पूजा समाप्त करते ही, उनके लिए चाय बनाती जो रोज़ाना फैंकी जाती, वो उनकी हर ज़रुरत का ख़्याल रखने की कोशिश करती, उनकी दवाइयों का वक्त होते ही उनको दवाइयां देती...... तो वो उसके हाथ से दी गई, दवाईयां, उसके सामने ही फेंक देते और बाला को नई खुराक़ लाने को कहते यह देख दुआ को जितनी बेइज़्ज़ती महसूस होती उतना ही हौसला टूटता मगर फिर भी वो कोशिश करना नहीं छोड़ती.....

रोज़ाना मुकेश रघुवंशी जब शाम को चहलक़दमी के लिए निकलते तो वो भी साथ हो लेती........ छः महीनों तक एक बार भी मुकेश रघुवंशी ने उससे एक लफ्ज़ भी नही कहां, वो हर पल इसी इंतेज़ार में रहतीं कि आज तो वो उससे बात करेंगे......

मगर कहते हैं ना, सच्ची लगन से अगर कोशिश की जाए तो पत्थर भी पिघल जाता है, और आज वो दिन भी आ गया था जब मुकेश रघुवंशी के पत्थर दिल को पिघलना था.......

मुकेश रघुवंशी लाॅन में ठंडी घांस पर नंगे पैर चल रहे थे, उन्हीं के पिछे दुआ भी चल रही थी, तभी दुआ की निगाह ज़मीन पर पड़े, टूटे हुए, कांच के टुकड़ों पर पड़ती है, इससे पहले मुकेश रघुवंशी उन पर पैर रखते वो उनका हाथ पकड़ पिछे कर लेती है मगर बारिश का मौसम होने के कारण, मिट्टी काफी चिकनी होती है जिसकी वजह से उसका बैलेंस बिगड़ जाता है और वो खुद गिर जाती है........

दुआ की इस हरकत पर पहले मुकेश रघुवंशी को गुस्सा आता है मगर जैसे ही उनकी निगाह, दुआ के पैर से बहते ख़ून पर जाती है वो फौरन बैठकर उसके पैर से कांच का टुकड़ा निकाल, अपना रुमाल उसके पैर पर बांध देते हैं......

मुकेश रघुवंशी गुस्से में...... जब मदद करनी ही नहीं आती तो आगे बढ़ती ही क्यूं हो???? आवाज़ भी देकर बता सकतीं थीं ना??

मुकेश रघुवंशी की डांट सुनकर, दुआ की आंखे नम हो जाती हैं।

दुआ आहिस्ता से------- आप मुझसे बात नहीं करते इसलिए आवाज़ नहीं दी।

दुआ की बात सुन, मुकेश रघुवंशी एक नज़र दुआ के पैर की तरफ़ देखते हैं और फिर बग़ैर कुछ कहें जाने लगते हैं, कि तभी दुआ उनका हाथ पकड़ लेती है.......

आज पहली बार, उन्होंने दुआ से कुछ कहां था, क़िस्मत से उसे एक मौका मिला था जिसे वो नहीं गंवा सकतीं थीं...... यही सोच, दुआ ने हिम्मत कर मुकेश रघुवंशी को रोकने के लिए, उनका हाथ पकड़ लिया था।

दुआ --------- दादू प्लीज़ अपनी इस नफरत को ख़त्म कर दीजिए, प्लीज़ दादू रुद्र को माफ़ कर मुझे अपना लीजिए, दादू आपके आशीर्वाद के बिना हमारी ज़िन्दगी अधूरी है, प्लीज़ दादू रघुवंशी परिवार को फिर से एक कर दीजिए......

मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ क्या सच में मेरे आशिर्वाद के बग़ैर तुम्हारी ज़िन्दगी अधूरी है???
क्या सच में तुम रघुवंशी परिवार को एक देखना चाहती हो???

दुआ फौरन हां मे सिर हिलाते हुए------- हां दादू, मैं सच में, इस परिवार को फिर से जोड़ना चाहती हूं, जो दरार मेरी वजह से पड़ी है, उसको ख़त्म करना चाहती हूं....

मुकेश रघुवंशी उसको ध्यान से देखते हुए------- अच्छा, तो क्या कर सकतीं हो, इस परिवार को जोड़ने के लिए????

दुआ बेताबी से------- कुछ भी दादू, कुछ भी......
जो आप कहेंगे वो सब कर सकती हूं, आप कह कर तो देखिए, मैं आपको नाराज़ नही करुंगी......

मुकेश रघुवंशी गहरी निगाहों से, कुछ देर दुआ को देखने के बाद-------ठीक है ज़्यादा कुछ नहीं, सिर्फ दो काम है अगर तुमने कर दिए तो वादा करता हूं, मैं रुद्र को माफ़ कर दूंगा और यह परिवार फिर एक हो जाएगा......

दुआ मुस्कुराते हुए......... दादू आप हुक्म कीजिए, मैं आपकी बात ज़रूर मानूंगी......

मुकेश रघुवंशी-------- ठीक है तो इस्लाम को छोड़, हिन्दू बन जाओ, जैसे मेरे पोते ने सब छोड़ दिया तेरे लिए, वैसे ही, मैं चाहता हूं, तुम भी अपना धर्म छोड़ दो......

दुआ एक पल के लिए ख़ामोश हो गई फिर मुकेश रघुवंशी को देखते हुए------- दादू, मेरा परिवार तो मुझसे, अल्लाह ने उस दिन ही छीन लिया था, जिस दिन सबको यह पता चला था कि रूद्र मुझसे प्यार करता है......

दुआ नम आंखों से------मेरे से ज़्यादा बदनसीब बेटी कौन होगी, जो कुछ किए बिना ही, अपने बाप की मुजरिम बन गई, जो दो खानदानों की बर्बादी और बेइज़्ज़ती की वजह बन गई, दादू मुझसे तो बहुत पहले ही सबकुछ छिन चुका है------- 

दुआ अपने आंसु साफ करते हुए........ खैर, अगर मेरे धर्म बदलने से सब ठीक हो जाएगा, तो मुझे मंज़ूर है....... बताएं दुसरी शर्त क्या है???

दुआ की बातें और उसकी आंखों के आंसु, मुकेश रघुवंशी का दिल झिंझोड़ रहें थे मगर फिर भी उन्होंने सख्त लहजे में अपनी दुसरी शर्त भी रख दी।

मुकेश रघुवंशी-------- दुसरी शर्त है कि तुम रुद्र को छोड़ दो, उससे कहीं दूर चली जाओ, तो मैं वादा करता हूं, सब ठीक हो जाएगा.....

मुकेश रघुवंशी की बात सुनते ही, दुआ के कान सुन हो गए, वो खाली आंखों से कुछ देर तक उन्हें देखती रहती है और सोचने पर मजबूर हो जाती है कि क्या सच में वो उससे इतनी नफ़रत करते हैं, उन्होंने इतनी बड़ी बात कितनी आसानी से कह दी थी, यह जानते हुए कि रुद्र के लिए ज़िन्दगी है वो........

मुकेश रघुवंशी-------- बोलो दुआ, चुप क्यूं हो, जवाब दो, कर सकती हों ऐसा रघुवंशी परिवार के लिए????? दुआ जिस दिन तुम उसे छोड़ कर चली जाओगी, उस दिन सब ठीक हो जाएगा...... रघुवंशी परिवार में फिर से खुशियां आ जाएगी।

दुआ नम आंखों से मुकेश रघुवंशी के सामने हाथ जोड़ते हुए-------- एम् सोरी दादू, यह नहीं हो सकता, आप मेरा जो इम्तेहान लेना चाहते हैं, ले लीजिए मगर रुद्र को छोड़ने का नहीं कहना, दादू वो पागल है, अगर मैं उससे दूर हुई तो सब कुछ ठीक होने के बाद भी, वो खुद को कभी सुकून से नहीं रहने देगा, और इस परिवार को मैं जोड़ना चाहती हूं तो सिर्फ रुद्र के लिए, क्योंकि वो कहें या ना कहें मगर उसका गुस्सा, उसकी आंखें, सब कह देती है....... वो अपने दादू को बहुत मिस करता है मगर रघुवंशी है, ग़लत के सामने कैसे झुक जाएगा...... 

दादू प्लीज़, मैं रुद्र की खुशी के लिए, अपनी जान दे सकती हूं मगर ज़िन्दा रहते हुए, उससे दूर नहीं हो सकती......

मुकेश रघुवंशी कांच का एक टुकड़ा, दुआ की तरफ बढ़ाते हुए--------- दूर नहीं हो सकती, तो ठीक है, अपनी जान दे दो......

दुआ एक पल की देर किए बग़ैर, उनके हाथ से कांच का टुकड़ा लेकर, अपने हाथ की नस काट लेती है, मगर इससे पहले वो दूसरे हाथ की नस काटती, मुकेश रघुवंशी उससे कांच का टुकड़ा लेकर फेंक देते हैं।

मुकेश रघुवंशी, दुआ पर चिल्लाते हुए--------- दिमाग नहीं है क्या????? कहती हो, रुद्र से दूर नहीं जा सकती मगर इतना नहीं पता कि मरने के बाद लोग चाह कर भी लौट कर नहीं आते।

दुआ रोते हुए------ आपने ही तो कहा था कि मर जाओ तो सब ठीक हो जाएगा।

इस वक्त दुआ उनको नासमझ बच्चे से ज़्यादा कुछ नहीं लग रही थी जिसे देख उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी.......

मुकेश रघुवंशी, दुआ के सिर पर चपत लगाते हुए------- पागल लड़की, मैं आज़मा रहा था, कि जिसके लिए मेरे पोते ने मुझे छोड़ दिया वो लड़की उसके लिए किस हद तक जा सकती है????? मगर मुझे गर्व है कि मेरे पोते ने एक बहुत अच्छी, सुलझी, समझदार और वक्त आने पर, उसके लिए सबसे लड़ जाने वाली लड़की को चुना है।

दुआ हैरानी से--------- मतलब???? वो नफ़रत, मेरे हाथ से बनी हर चीज़ फेंक देना, दवाईयां ना लेना, वो सब झूठ था????

मुकेश रघुवंशी मुस्कुराते हुए------ झूठ नहीं था, बस शुरू में नाराज़गी थी और धीरे-धीरे वो तुम्हारा इम्तेहान बन गया....... घर का मुखिया हूं, सबकी ख़ुशी प्यारी है इसलिए फैसले सोच-समझ कर करने पड़ते हैं......

यह सुनते ही, दुआ खुशी से बगैर सोचे-समझे उनके गले लग जाती है, जिस पर वो थोड़े झिझक जातें हैं मगर अगले पल उसके सिर पर प्यार से हाथ रख देते हैं।

मुकेश रघुवंशी------ पता है, मैं हमेशा भगवान से पूछता था, कि क्यों उसने मुझे ना बेटी दी ना पोती........ मगर आज तुम्हारे गले लगने पर एहसास हुआ कि उसने मेरे घर बेटियों से ज़्यादा प्यारी बहू जो भेजनी थी, बेटियां तो कभी ना कभी दूसरों के घर की हो जाती है लेकिन बहूएं, मरते दम तक ख्याल रखती है........ रखोगी ना, अपने दादू का ख्याल????

दुआ मुस्कुराते हुए------ जी दादू, ज़रूर...... मैं नहीं जानती थी, आप सच में इतने अच्छे हैं, आज यक़ीन हो गया, रुद्र सच में आप पर गया है।

मुकेश रघुवंशी----- अच्छा, चलों अब जल्दी से उठो, खून बह रहा है, बातें करने के लिए ज़िन्दगी पड़ीं है......

यह कहते हुए, मुकेश रघुवंशी ने सहारा देकर दुआ को उठने में मदद की और चिल्लाते हुए बाला को बुलाया जिस पर बाला भागता हुआ उनके सामने आ गया और मुकेश रघुवंशी को दुआ हाथ पकड़ा देख हैरान रह गया।

मुकेश रघुवंशी गुस्से में-----दिख नही रहा बहू के खून बह रहा है, जल्दी से अंदर लेकर चलो, बूत बनकर, हमें देखने के लिए नहीं बुलाया है....

मुकेश रघुवंशी यह कह कर लीविंग रूम में चलें गए, सभी लोग वहीं बैठे अपने-अपने काम कर रहे थे, रुद्र भी वही अपना लेपटॉप लेकर बैठा था, मुकेश रघुवंशी को घबराया हुआ देख, सभी परेशान हो गए.....

मुकेश रघुवंशी, रुद्र से------- रुद्र, बेटा जल्दी से डॉक्टर को बुला, बहू का बहुत ख़ून बह गया है।

रुद्र, हैरानी से जिया को देखते हुए------ भाभी तो बिल्कुल ठीक है, मम्मा और चाची भी ठीक है, फिर किसलिए???

मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ दुआ के लिए, वो भी मेरी बहू है ना!!

मुकेश रघुवंशी के शब्द सुनकर किसी को भी अपने कानों पर यक़ीन नहीं हो रहा था तभी पिछे से बाला, दुआ को अंदर ले आता है....... दुआ के हाथ से खून बहता देख रुद्र भागते हुए, उसके पास आ जाता है और जिया उसकी हालत देख, एक पल गंवाए बगैर डाक्टर को फोन कर, जल्दी से आने का कहती हैं.....

रुद्र----- यह क्या है दुआ, यह सब कैसे हुआ??? बताओ यह इतना सारा खून!!

दुआ आहिस्ता से मुस्कुराते हुए------- रुद्र परेशान नही हो, लाॅन में कांच के टुकड़े थे, मुझे दिखे नहीं, और पैर ग़लती से, कांच पर पड़ गया....

जिया----- मगर दुआ तुम्हारा......

जिया ने यही कहा था कि दुआ ने उसे चुप रहने का इशारे किया......

दुआ मुंह बनाते हुए------- आप सब लोग, अगर यूं ही मुझसे सवाल करते रहे तो ज़रूर मुझे कुछ हो जाएगा....... मैं ठीक हूं, मुझे कुछ नहीं हुआ, बस थोड़ा दर्द हो रहा है, इसलिए प्लीज़ रुद्र, डॉक्टर को जल्दी से बुला लो.....

जिया------ डोंट वरी दुआ, मैंने डाक्टर को फोन कर दिया है, वो दस मिनट में, पहुंच जाएंगे....

रुद्र, दुआ को गोद में उठा, सोफे पर बैठा देता है।

रुद्र-----बाला जल्दी से शराब की बोतल लेकर आओ...... 

बाला फौरन ही भाग कर शराब की बोतल ले आता है, मुकेश रघुवंशी, दुआ के बराबर में बैठ जाते हैं और दुआ का हाथ पकड़ लेते हैं, मगर दुआ को समझ ही नहीं आता कि रुद्र ने शराब क्यूं मंगवाई???....... तभी रुद्र, शराब की बोतल खोल, दुआ के हाथ और पैर पर डाल देता है, जिसकी वजह से उसके ज़ख्म में जलन होने लगती है और दुआ रोते हुए छोटे बच्चों की तरह चिखने लगती है......

रुद्र-रुद्र बहुत जलन हो रही है, प्लीज़ कुछ करो, दादू-दादू प्लीज़ आप कुछ कहें ना......

मुकेश रघुवंशी----- दुआ बेटा-बेटी, शराब डालने से खून, रूक जाता है, इसलिए रुद्र ने ऐसा किया, तुम्हारा खून पहले ही बहुत बह चुका है.....

मुकेश रघुवंशी यही कह रहे थे कि डॉक्टर भागता हुआ आ जाता है, वो फौरन ही दुआ के हाथ और पैर पर पट्टी बांध देता है फिर पेन किलर देकर चले जाता है जिसको देख, सभी सुकुन की सांस लेते हैं मगर सब अभी भी हैरानी से दुआ और मुकेश रघुवंशी को देख रहे थे।

मुकेश रघुवंशी सबको हैरान देख, मुस्कुराते हुए------ अरे भई!!! सब इतने हैरान क्यूं है, यह तो जश्न मनाने का समय है, मुस्कुराओ, खुशियां मनाओ!!

जिया हकलाते हुए------- मगर दादू..... मेरा मतलब है.....आप....वो!!!

मुकेश रघुवंशी हंसते हुए-----अरे, अब यही कहती रहोगी या मन के अंदर उथल-पुथल मचा रहे, सवाल भी पूछोगी....... चलो तुम लोगों के सवालों से पहले, मैं ही बता देता हूं!

मुकेश रघुवंशी, दुआ को देखते हुए------ बेटा अपना हाथ दो...

दुआ हैरानी से मुकेश रघुवंशी को देखती है और अपना हाथ आगे बढ़ा देती है।

मुकेश रघुवंशी अपने हाथ से एक हिरे से जड़ी अंगुठी उतार उसकी उंगली में पहना देते हैं।

सभी लोग हैरानी से एक-दूसरे को देखने लगते हैं...... 

मुकेश रघुवंशी------- बेटा यह मेरे दादा की अंगूठी है, उन्होंने मुझे यह अपने आशिर्वाद के रूप में दी थी और आज मैं उनका आशीर्वाद तुम्हे देता हूं, तुमने कहां था ना मेरे आशिर्वाद के बग़ैर तुम्हारी खुशियां अधूरी है तो देखो, मैंने तुम्हारी ख्वाहिश पूरी कर दी...... 

दुआ मुस्कुराते हुए------ थैंक यू दादू!!!

मुकेश रघुवंशी------ अच्छा, अब सब सुन लो, कल हम दुआ के लिए और कुन्ती बहू के आने वाले बच्चे की खुशी में बहुत बड़ी पार्टी कर रहे हैं तो सब लोग अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दें, कल के जश्न में कोई कमी नहीं होनी चाहिए और दुआ बेटा, तुम जाकर आराम करो, कल तुम और कुन्ती बहू ही पार्टी की शान बनने वाले हो.......

मुकेश रघुवंशी----- रुद्र, बेटा दुआ को कमरे में ले जाओ, उसे आराम की ज़रूरत है।

रुद्र कुछ कहें बग़ैर, चुपचाप दुआ को गोद में उठा, कमरे में ले जाता है....... रुद्र, दुआ को बेड पर बैठा, कुछ कहें बग़ैर जाने लगता है तो दुआ, रुद्र का हाथ पकड़ लेती है।

दुआ -------- क्या बात है??? कुछ बुरा लगा है तुमको???

रुद्र हाथ छुड़ाते हुए------- नही, मुझे कुछ क्यूं बुरा लगेगा??? तुम आराम करो, तुम्हे आराम की ज़रूरत है, दुसरो को मनाने के लिए पहले ही, खुद को बहुत तकलीफ़ दे चुकी हो।

दुआ हैरानी से------ मतलब??? रुद्र मैंने बताया ना....

रुद्र गुस्से में आंखें बंद करते हुए------- दुआ मैंने कोई सवाल नही किया इसलिए प्लीज़ कोई सफाई भी नही दो...... आराम करो।

यह कह कर वो फिर जाने के लिए मुड़ता है तो दुआ उसको रोकने के लिए बिस्तर से उठने की कोशिश करती है कि तभी पैर में तकलीफ़ की वजह से उसकी चीख निकल जाती है, रुद्र फौरन ही सब भुल उसके पास आ जाता है.....

रुद्र उसे बिस्तर पर बैठाते हुए-------- इतनी ज़िद्दी क्यूं हो???? अपनी तक़लीफ की ज़रा परवाह नहीं है!!! खुद को क्या समझ रखा है????

दुआ मुस्कुराते हुए, रुद्र की नाक छूते हुए--------- एक बहुत ज़िद्दी इंसान की बीवी, जो फिलहाल मुझसे खफा हैं, जिसकी नाक पर हमेशा गुस्सा रहता है, बस छोटी सी ग़लती हो जाएं किसी से तो मेरा नकचड़ा शौहर उसका जीना हराम कर दें!

रुद्र, दुआ की कलाई पकड़ते हुए------ यह छोटी ग़लती है????

रुद्र के सवाल पर दुआ नज़रें झुका लेती हैं।

रुद्र, उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए------ बताओ मुझे, क्या यह छोटी ग़लती है???? दुआ, तुमको क्या लगता है, तुम झूठी कहानी सुनाओगी और मैं सबकी तरह यक़ीन कर लुंगा???
दुआ जो आंखों की बात समझते हैं, वो लफ़्ज़ों की गहराई पल भर में जान लेते हैं.....

अब दुआ की आंखे नम हो गई थी, यह सोचकर की उसने रुद्र को ना चाहते हुए भी तकलीफ़ पहुंचा दी........यह देख, रुद्र फौरन अपना गुस्सा कंट्रोल कर लेता है.....

रुद्र परेशानी से........ प्लीज़ दुआ, आंसु नहीं!! तुम जानती हो ना मुझे तुम्हारे आंसु पसंद नही है....... मुझे गुस्सा आया कि तुमने दादू को मनाने के लिए, इतना बड़ा क़दम उठा लिया, एक बार भी नही सोचा, खुद को तकलीफ़ देने से पहले, कि अगर उनका दिल नहीं पिघलता तो मेरा क्या होता, मैं तो मर जाता ना, दुआ क्यूं नहीं समझती तुम मेरी ज़िन्दगी हों, यूं ही अपनी जान दाओ पर नहीं लगा सकती तुम.

यह कहते हुए रूद्र की आंखें भी नम हो चुकी थी, यह देख दुआ रोते हुए उसके गले लग जाती है!

दुआ------ एम् सोरी रुद्र, एम् रिअली सोरी....... फिर कभी ऐसी ग़लती नहीं करुंगी, प्रोमिस..... मगर मैं क्या करती, आज पहली बार दादू से बात करने का मौक़ा मिला था वो नही खो सकती थी........ मैंने खुद से वादा किया था, तुमको तुम्हारा परिवार लौटा कर रहुंगी तो बस अपना वादा निभाने के लिए......

दुआ यही कह रही होती हैं कि रुद्र उसके होंठों पर उंगली रख देता है.....

रुद्र------- शशशशश!!! बस मुझे कुछ और नही सुनना, सिर्फ वादा चाहिए, कि फिर कभी, किसी के लिए भी, तुम मुझसे दूर होने का नहीं सोचोगी.... वरना मैं सबकुछ भुल, पहले उस इंसान को ही मार दूंगा जिसके लिए तुम खुद को चोट पहुंचाओगी.........

दुआ हां मैं सिर हिलाते हुए-------- पक्का वादा ....... फिर कभी ऐसा नहीं करुंगी।

रुद्र, अपना मूड ठीक कर, दुआ को हंसाने के लिए -------- चलों इसी बहाने सही, आज मेरी बीवी ने मुझे गले तो लगाया वैसे अब तो मैं दिल खोलकर रोमांस कर सकता हूं ना???

रुद्र की बात सुन, दुआ शर्मा जाती है, मगर फौरन ही बात बदल देती है।

दुआ, रुद्र को अनसुना करते हुए------ रुद्र तुमने देखा, दादू ने मुझे अपनी कितनी क़ीमती अंगूठी दी है।

रुद्र मुस्कुराते हुए दुआ के क़रीब आ------ देखा मैंने, कि कैसे सबका जीत लिया तुमने मगर मेरा क्या, मेरे बेचारे दिल का क्या कसूर है जो इसको इतना दूर रहने की सज़ा दी जा रही है???

दुआ मासुमियत से------- रुद्र अभी देखो, कितनी चोट लग गई मुझे, मैं क्या कह रही हूं.......

रुद्र---- एक-एक मिनट दुआ....

दुआ हैरानी से उसे देखती है वो फौरन ही बेड पर दुसरी तरफ, उसके बराबर में बैठ, उसका सिर अपने सिने पर रख लेता है।

रुद्र मुस्कुराते हुए------ हां, अब बोलो, अब मुझे बस तुम्हें सुनना है।

दुआ, इस वक्त समझ ही नहीं पाती कि क्या कहें और क्या नहीं इसलिए ख़ामोश हो जाती है......

रुद्र उसके सिर पर हाथ फेरते हुए----- बोलो ना दुआ, क्या कह रही थी...... मैं बस तुम्हें सुनना चाहता हूं।

दुआ अपना होंठ काटते हुए------- वो रुद्र, मैं कह रहीं थी, कोई अगर आ जाएगा तो क्या सोचेगा????

रुद्र हंसते हुए-------- मेरी प्यारी बीवी, लोग क्या सोचेंगे, अगर यह भी तुम सोचोगी तो वो क्या सोचेंगे...... कुछ तो छोड़ दो, दुसरो के लिए....

दुआ उससे दूर होते हुए, गुस्से में -------- मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो तुम????

रुद्र अपनी हंसी दबा हां मैं सिर हिलाते हुए-------- न-नही तो......

दुआ गुस्से में, रुद्र को घूरते हुए-------- त-तुम, जाओ मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी.....

रुद्र हंसते हुए, पिछे से दुआ के कन्धे पर अपना चेहरा रख------- मुझसे नाराज़ हो गई, मेरी बीवी???

दुआ, झटके से अपना कंधा हटाते हुए------- हां, बिल्कुल!!!

रुद्र उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए-------- अच्छा बाबा, मज़ाक कर रहा था, तुमको पता तो है, तुमको गुस्से में देख, मुझे तुम पर और ज़्यादा प्यार आता है, पता है क्यों????

दुआ मुंह बनाते हुए-------- क्यों????

रुद्र मुस्कुराते हुए------ क्योंकि हमारी हंसी सबके लिए होती है मगर गुस्सा सिर्फ उन लोगों के लिए जिन पर हम अपना हक़ समझते हैं, जो हमारे बहुत क़रीब होते हुए!

दुआ मुंह खोलते हुए-------- ओहहह!! इसी लिए, शादी से पहले, मैं जब भी गुस्सा करती थी तो तुम खुश हो जाते थे।

रुद्र मुस्कुराते हुए-------- हम्ममम!! अब सच-सच बताओ, हक़ समझती थी ना, यक़ीन था ना कि तुम कितना भी गुस्सा कर लो, मैं तुमको छोड़ूंगा नहीं!!

दुआ सोचते हुए आहिस्ता से--------- हां शायद, इसलिए ही जब सिंगापुर में तुम अकेले आ गए थे तो मुझे यक़ीन ही नहीं हो रहा था।

रुद्र छेड़ते हुए------- अच्छा...... तो मतलब मैडम जी को वहीं मुझसे मोहब्बत हो गई थी मगर उसके बाद भी, मुझे इतना परेशान किया, अब देखो, मैं तुमको कितना परेशान करता हूं!

यह कहते हुए रुद्र उसको गुदगुदी करने लगता है.

दुआ हंसते हुए.... रुद्र, प्लीज़- प्लीज़ नही करो, एम् सोरी.....

रुद्र हंसते हुए------- ऐसे-कैसे सोरी...... अब ग़लती की है तो सज़ा तो मिलेगी, बराबर मिलेगी!

दुआ हंसते हुए------- अच्छा-अच्छा, ठीक है तुम्हारी सारी सज़ा मंज़ूर है, मगर प्लीज़ गुदगुदी नहीं करो।

रुद्र रुकते हुए----- पक्का???

दुआ लम्बी सांस लेते हुए------ पक्का!!! मगर देखो, अभी चोट लगी है ना, आज माफ़ कर दो प्लीज़।

रुद्र, छोटे बच्चे की तरह दुआ के दोनों गाल खिंचते हुए------ ओके मेरा बेबी.....

दुआ मुंह बनाते हुए------ आउच, रुद्र ऐसे नहीं करते, मैं बच्ची थोड़ी नही हूं।

रुद्र दोबारा उसका सिर अपने सिने पर रखते हुए------- हम्ममम!!! मगर मैं तो ज़िन्दगी भर, तुमको छोटे बच्चे की तरह अपनी पलकों पर रखना चाहता हूं, बच्चों की तरह तुम्हारे नखरे उठाना चाहता हूं, तुम्हारी हर ज़िद्द, हर ख्वाहिश पूरी करना चाहता हूं, बच्चों की तरह लड़ना चाहता हूं और बहुत ज़्यादा परेशान भी करना चाहता हूं और हर रोज़ यूं ही तुम्हें अपनी बाहों में भर अपनी खुशकिस्मती पर यक़ीन करना चाहता हूं।

वो इसी तरह पता नहीं क्या-क्या कह रहा था मगर दुआ उसकी किसी बात का जवाब नहीं दे रही थी, थोड़ी देर बाद जब वो दुआ का चेहरा देखता है तो वो सो चुकी होती है, दुआ को सोता देख, रुद्र उसके सिर पर किस करते हुए------- आई लव यू, बस इसी तरह हमेशा, मेरे साथ रहना, कभी मुझसे दूर नही जाना, वरना रब से भी लड़ना पड़ा ना तो भी हार नही मानूंगा उस रब से भी छिन लाउंगा तुम्हें------- रुद्र की आवाज़ से, दुआ की निंद खराब होने लगती है तो वो मुस्कुराते हुए एक पल उसे देखता है फिर चुप हो जाता है और आंखें बंद कर खुद भी सोने लेट जाता है

बाकी अगले भाग में:-।

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut hi shandaar Likha aapne

31 दिसम्बर 2021

Stranger

Stranger

31 दिसम्बर 2021

Thank you dear

11
रचनाएँ
दिल ए नादान
5.0
यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसका मानना है कि आप अपने रब को "भगवान कह कर पुकारो, अल्लाह कहो या कुछ ओर" सुनने वाला एक ही है.........क्योंकि रब को अलग नाम दिए जा सकते हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे हम अपने चाहने वालों को कई नामों से पुकारते हैं मगर होता वो एक ही है इसी तरह फरियाद सुनने वाला भी एक ही है और पुकारने वाला दिल भी वही है, फ़र्क है तो नज़रिए का......उसके हिसाब से दुनिया का हर धर्म सबसे पहले इंसानियत सिखाता है.......एक-दूसरे से प्यार करना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना सिखाता है मगर क्या वो अकेला, धर्म पर होने वाली नफरत को मिटा सकेगा????? कहते है, किसी एक इंसान की सोच बदलना भी बहुत मुश्किल है फिर उसके सामने तो उसका पूरा परिवार था जो उसकी सोच के खिलाफ, उसकी मोहब्बत के खिलाफ था...... आइए चलें एक नए सफर पर इस दिवाने के साथ, देखें क्या होगा इसका अंजाम, क्या पिघल जाएंगेे लोगों के दिल उसकी मोहब्बत के सामने या होगा फिर वही, लाखों लोगों की तरह.....उसकी मोहब्बत भी तोड़ देगी दम धर्म के नाम पर पैदा हुई नफरत के सामने.      **************** 12-Dec-2018 आज रूद्र बहुत तेज़ कार चला रहा था, ज़्यादातर वह कायदे-कानून का पालन करता था, मगर आज शायद उससे इंतेज़ार नही हो रहा था, उसका दिल कह रहा था कि वो उड़ कर दुआ के सामने पहुंच जाएं, उसकी मोहब्बत, उसका जुनून, उसकी ज़िद्द सब कुछ उस एक नाम पर अटक गया था "दुआ"........ छः महीनों की लगातार कोशिशों के बाद, आखिर आज दुआ ने उसे मिलने बुला ही लिया था, वो नही जानता था कि आगे क्या होगा बस उसको तो इंतेज़ार था, उस पल का, जब दुआ उसके सामने हो और वो उसको बता सके, कि वो उससे कितनी मोहब्बत करता है, कितनी बातें थी उसके दिल में, आज वो सारी बातें कहने का मौका मिला था उसे इसलिए आज का दिन उसके लिए बहुत खास था .....यही सब सोचते-सोचते वो कब दुआ के बताए रेस्टोरेंट के सामने पहुंच गया उसको पता ही नही चला, वो जल्दी से गाड़ी से उतर अन्दर जाकर पुछता है, तो वेटर उसको दाएं हाथ की तरफ इशारा करते हुए रास्ता बता देता है..... कुछ क़दम चलने के बाद ही वो एक दरवाज़े से बाहर निकलता है तो सिर पर खुला आसमान, चारों तरफ हरियाली, तेज़ हवाएं, जगह ज़्यादा बड़ी नहीं थी मगर उसकी डेकोरेशन इतनी खूबसूरत थी कि बड़े-बड़े होटलों को फेल कर दे, थोड़ी ही दूर पर एक टेबल रखी थी और उसकी दाईं ओर कुछ लकड़ियों को जला रखा था, आज मौसम भी काफी सुहाना था जो रूद्र के मूड को ओर भी खुशगवार बना रहा था, वो टेबल के पास पहुंचा तो दुआ को देख कर एक पल के लिए जैसे सब कुछ भुल गया....... तेज़ हवाएं उसके लम्बे बालों से खेल रही थी, और वो खुद किसी गहरी सोच में गुम थी, उसकी आंखें टेबल पर गड़ी हुई थी जहां एक तरफ भगवान की छोटी सी मुर्ती रखी थी और उसके ही साथ एक छड़ी थी जिस पर अल्लाह लिखा हुआ था......दुआ अपनी सोच में इतना खो गई थी कि उसे रूद्र के आने का एहसास तक नही हुआ. रूद्र का दिल तो कह रहा था कि वो उसको यू ही ज़िन्दगी भर देखता रहे मगर अभी उसको इतना हक़ कहा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपना गला साफ करते हुए, दुआ से बैठने की इजाज़त मांगी और दुआ उसकी आवाज़ सुनते ही खुद को ठीक करते हुए एक दम सीधी बैठ गई। जानते हो रूद्र यह क्या है??----इससे पहले रूद्र कुछ कहता दुआ ने टेबल पर रखी मूर्ति और छड़ी की तरफ देखते हुए उससे पूछा। उसने कुछ ना समझते हुए दुआ को देखा। रूद्र यह हम दोनों है जो कभी एक नही हो सकते, आज मैंने, तुम्हे यहां सिर्फ यही कहने के लिए बुलाया है......भुल जाओ मुझे, अभी कुछ नही बिगड़ा है, तुम एक अच्छे बिजनेसमैन हो, अपने करियर पर ध्यान दो, तुम्हारे परिवार का बहुत नाम है, उनका मान नही तोड़ो, मैं नही चाहती मेरी वजह से किसी का परिवार टूट जाए, मैं नहीं चाहती, मैं किसी की बर्बादी की वजह बनूं, इसलिए आज के बाद फिर कभी तुम मेरे सामने नही आना---- दुआ उसे समझा रही थी और वो सिर्फ उसको देखें जा रहा था, कितनी आसानी से उसने कह दिया था भूल जाओ मुझे....... रूद्र तुम सुन भी रहे हो या नही----दुआ ने रूद्र को खामोश देखा तो थोड़ा झुंझलाते हुए पूछा। ना-नही हो सकता यह......यह मूर्ति, यह छड़ी इन बेजान चिज़ो को तुम मेरे दिल, मेरे जज़्बात से मिला रही हो.......रूद्र ने गुस्से में टेबल पर हाथ मारते हुए कहा, जिससे दोनों चिज़े जलती हुई आग में गिर गई और दुआ हैरानी से उसे देखती रह गई, पहली बार रूद्र ने उससे तेज़ आवाज़ में बात की थी, उसको इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नही था कि रूद्र को गुस्सा भी आ सकता हैं। क्या-क्या समझाना चाहती हो तुम मुझे, हां, बोलो, कहना क्या चाहती हो, यही ना कि मैं हिन्दू हूं और तुम मुसलमान.......तो यह मेरी गलती है क्या, बताओ मुझे......मैं खुद को क्यों रोकूं? क्यों मैं खुद को उस ग़लती की सज़ा दूं जो मैंने की ही नही....क्या रब ने मुझे पैदा करने से पहले मुझसे पूछा था, किस धर्म, किस जाति में पैदा होना चाहता हूं मैं......नही ना.....तो फिर मुझे सज़ा क्यों दें रही हों......... यक़ीन मानो मैंने तो कभी चाहा भी नही था कि मुझे कभी किसी लड़की से प्यार हो मगर हो गया ना, मैं मानता हूं यह आसान नही है मगर तुमको भूल जाना भी मेरे हाथ में नही है......... तुमसे प्यार करता हूं, खुद को भुला सकता हूं मगर तुमको नहीं भूल पाऊंगा------ यह कहते हुए रूद्र की आवाज़ रूंध गई थी और कब उसकी आंखों से आंसू बहने लगे यह शायद उसको भी पता नहीं चला वो बस बोले जा रहा था। रुद्र--------दुआ मैं नही जानता यह सही है या ग़लत, मगर मैं मानता हूं, मोहब्बत का कोई धर्म, कोई जाति नही होती, यह तो वो खास एहसास होता है जो बहुत कम लोगों के दिल में पैदा होता है, तुमको देखकर जो एहसास, जो सुकून मुझे मिलता है, वो मैं लफ़्ज़ों में नही बता सकता....... अगर तुम मुझे कोई ओर वजह देती ना, तुम से दूर जाने के लिए तो शायद मैं खुद की जान ले लेता लेकिन तुम्हारे सामने फिर कभी नही आता ......मगर तुम मुझे खुद को भूलने का कह रही हो, इस घटिया दुनिया के लिए, जो कभी किसी की नही हुई......आज मैं आत्महत्या कर लूं तो क्या इस दुनिया पर कोई फ़र्क पड़ेगा????.... नही!!! कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा किसी को!!! मगर-अगर मैं अपने प्यार के लिए लड़ूंगा ना तो इस दुनिया को ज़रूर फ़र्क पड़ेगा, तब ज़रूर यह दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी होगी...... रुद्र------दुआ यह दुनिया, धर्म और जाति के नाम पर एक-दूसरे को मारने के लिए पल भर में तैयार है मगर प्यार और इन्सानियत का क्या??? ........क्यों मैं ऐसे समाज के लिए अपनी मोहब्बत, अपनी खुशियों का त्याग करूं?? जो कभी किसी की हुई ही नहीं.... तुम मुझे अपना मानो या ना मानो मगर मेरे लिए तुम मेरी ज़िन्दगी बन गई हो, अब चाहे जो हो जाए, तुमको भुलना नामुमकिन है---रूद्र की आंखों में साफ दिख रहा था, कि कुछ भी हो जाएं, वो हार नही मानेगा, और मानता भी क्यों उसका कहा हर लफ्ज़ सही था..... दुआ ने तो यह सोचा ही नही था कि रूद्र आज उसकी एक नही सुनेगा, मगर दुआ भी उसके सामने हार नही सकती थी क्योंकि वो बहुत अच्छे से जानती थी, कि रुद्र की मोहब्बत की क़ीमत कितनी बड़ी हो सकती है उसे अच्छे से पता था इसलिए उसे किसी भी तरह आज यह किस्सा यही खत्म करना था, यही सोच दुआ गुस्से में कुर्सी से खड़ी हो गई। दुआ गुस्से में-----ठीक है, तुम्हे परवाह नही है, तो ना सही, मगर मुझे है..... मिस्टर रूद्र रघुवंशी हर इंसान तुम्हारी तरह नही सोचता, तुम एक मर्द हो, वो भी इस शहर के सबसे अमीर परिवार से, इसलिए शायद तुम ऐसा सोच सकते हों, मगर मैं एक लड़की हूं वो भी ऐसे परिवार से जहां मैं अपने बाबा का मान हूं उनकी इज़्ज़त हूं, मैं एक हिन्दू लड़के को कभी नही अपना सकती, अपने बाबा पर उंगली उठाने की वजह नही दे सकती मैं दुनिया को, क्या कहेंगे लोग मेरे बाबा से, कैसे जवाब देंगे मेरे बाबा, इस दुनिया के अनगिनत सवालों के, नहीं रुद्र, तुम्हारी मोहब्बत की क़ीमत मेरे बाबा चुकाएं ऐसा मैं नही होने दूंगी इसलिए अच्छा होगा आज के बाद तुम मेरे सामने कभी ना आओ----यह कह कर वो जाने के लिए आगे बड़ी ही थी कि रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया। रुद्र------यही प्रोब्लम है ना कि मेरा नाम रूद्र रघुवंशी है कोई रहमान या सलीम नही, तो ठीक है, मैं इस प्रोबलम को अभी यही खत्म कर देता हूं......आज तुमको, अपनी मोहब्बत को गवाह बना कर, मैं इस्लाम कुबूल करता हूं....... तुम एक लड़की होना, तुम कुछ नही कर सकती क्योंकि तुम मजबूर हो सकती हो मगर मैं नही, आज से मैं तुम्हारी ताकत बनूंगा और तुम्हारा मान, कभी नही टूटने दूंगा---उसने यह कहते हुए आग में पड़ी छड़ी, को उठाया जिस पर अल्लाह लिखा था और उसे अपने हाथ पर चिपका दिया, जिसे देख दुआ चीख पड़ी और उसने रूद्र के हाथ से छड़ी लेकर फेंक दी......मगर उस छड़ी के साथ-साथ रूद्र के हाथ की खाल भी उतर गई। रुद्र नम आंखों से, अपना जला हुआ हाथ देख, मुस्कुराते हुए----- दुआ अब मेरे मरने के बाद भी कोई तुम पर उंगली नही उठा सकेगा, कोई तुम्हारे बाबा से नही पूछेगा कि मैं हिन्दू हूं, अब मेरे हाथ पर लिखा यह अल्लाह कभी नही मिट सकेगा, अब तो तुम मेरी मोहब्बत को क़ुबूल करोगी ना.... दुआ मैं अपनी मोहब्बत के लिए खुद को कुर्बान कर दुंगा.....मगर अपनी मोहब्बत को कुर्बान नही होने दूंगा इस दुनिया के लिए--- रूद्र यही कह रहा था कि दुआ ने गुस्से में उसके थप्पड़ मार दिया. दुआ उसके जले हाथ को देखते हुए-------तुम पागल हो क्या, जानते भी हो, क्या किया है तुमने??? यह कोई छोटी बात नही है रुद्र, बच्चों का खेल नहीं है यह, ज़िन्दगी भर भी इस निशान को मिटाने की कोशिश करोगे, तब भी अब यह नहीं जाएगा...... क्या जवाब दोगे सबको, अपने घर वालों को, क्या बताओगे यह कैसे हुआ??? यहां कोई तुम्हारे जज़्बात नही समझेगा रुद्र, यह आज का हिन्दुस्तान है जहां हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लाखों मासूमों का खून बहा दिया जाता है यह देश पहले जैसा नही है, जहां सब एक साथ नहीं, एक-दूसरे के दिल में रहते थे, रहम करो मुझ पर और खुद पर.......प्लीज़ खुद को बर्बाद नही करो, छोड़ दो मेरा पीछा, चलें जाओ मेरी ज़िन्दगी से,  नही करती मैं तुमसे प्यार, मुझे मेरे बाबा की इज़्ज़त सबसे प्यारी है, प्लीज़ चलें जाओ - दुआ ने रूद्र के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा यह कहते हुए दुआ की आंखें भर आईं थी मगर उसने अपने आंसु बहने नही दिए, क्योंकि उसके आंसु जहां उसको कमज़ोर बनाते वहीं रूद्र की मोहब्बत को ओर हवा देते, इससे पहले वो कुछ बोलता दुआ वहां से चली गई. आज मौसम भी अपने तेवर दिखा रहा था, वह रेस्टोरेंट से बाहर निकली ही थी कि ज़ोर से बारिश शुरू हो गई, बारिश की बूंदों के साथ दुआ के आंसूओं ने भी अपनी सरहद तोड़ दी थी...... दुआ-----कोई किसी से इतनी मोहब्बत कैसे कर सकता है, एक पल में उसने अपना सब कुछ गंवा दिया, एक बार भी नही सोचा, उसका अंजाम किया होगा और मैं बेरहम लड़की, उसको इतनी तकलीफ़ में, अकेला छोड़ आई......काश मुझे थोड़ा भी अंदाज़ा होता उसकी हरकत का, तो मैं इतनी घटिया बात कहती ही नही उसको........मैंने तो सिर्फ इसलिए ऐसा कहा था कि शायद वो हार मान जाएं, शायद उसे मेरी बात चुभ जाए, शायद वो मुझसे नफरत करने लगे.....मगर मुझे क्या पता था वो मुझसे इतनी मोहब्बत करता है कि सबकुछ खोने को तैयार है, उसे अपनी किसी तकलीफ की परवाह नही और मैं इस दुनिया की फ़िक्र लिए बैठी हूं.....उसने सच ही तो कहा.....अगर उसे कुछ हो गया, तो इस दुनिया को क्या फर्क पड़ेगा.......लेकिन मुझे??? क्या मुझे, सच में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उसके चलें जाने से??? क्या अब, मैं रह सकूंगी उसके बगैर??? दुआ बारिश में पैदल चले जा रही थी और खुद से हज़ारों सवाल कर रही थी, ना उसको सिग्नल का ख्याल था और ना ही रफ्तार से चल रही गाड़ियों का डर......उसके सामने तो सिर्फ वो मंज़र था जब वह रुद्र के जलते हाथ को देखती रही, उसको रोक ना सकी, वो तो मिलने सिर्फ इसलिए गई थी कि आज किसी भी तरह उसको समझा देगी और फिर कभी नही आएगी उसके सामने, मगर उसको क्या खबर थी आज वो खुद ही हार जाएगी, और वहीं छोड़ आएगी खुद को...... आज रूद्र की मोहब्बत जीत गई थी और वो हार गई थी, रो-रो कर उसकी आंखें सुझ गई थी, उसको अपना-आपा बोझ-सा लग रहा था, जिसको घसीटते हुए वह घर ले जा रही थी, इस वक्त उसको किसी की फ़िक्र नहीं थी कि उसकी ऐसी हालत देख लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, कुछ नही, अब अगर फ़िक्र हो रही थी उसको तो सिर्फ रुद्र की, अब उसके दिल और दिमाग में सिर्फ एक ही नाम था....... दो घंटे तक वो बारिश में भीगते-भीगते पैदल चलते हुए कब घर आ गई उसको पता ही नही चला, उसने दरवाज़ा खोला ही था कि उसकी नानी उसे देखते ही जल्दी से तौलिया लेकर उसके पास आ गई. कितनी बार कहा है! बारिश में नही भीगते, हर बार बीमार होने के बाद भी नही सुनती यह लड़की-----उसकी नानी (साएरा बेगम) ने सिर पर तौलिया डालते हुए कहा और दुआ उनके गले लग कर रोने लगी. दुआ! मेरा बच्चा क्या हुआ----साएरा बेगम ने उसके सिर पर प्यार करते हुए घबरा कर पूछा। एम् सोरी नानू-एम् सोरी, मैं आपकी अच्छी नवासी नही बन सकी, इस घर की इज्ज़त का बोझ नही उठा सकी, मैं हार गई उसके सामने, नानू मैं हार गई. साएरा बेगम-----दुआ मेरी बच्ची हुआ क्या है, यह क्या कह रही हो......दुआ की ऐसी हालत देख उनकी आंखें भर आईं थी। दुआ-----नानू मैं सच कह रही हूं, हार गई मैं उसके सामने, मगर--मगर मैंने कोशिश की थी, पूरी कोशिश की थी......सच में .....लेकिन वो पागल हैं ना नानू, मर जाएगा, अपनी जान ले लेगा मगर मुझे नही भुला सकेगा------दुआ सिसकियां लेते हुए अटक-अटक कर उनको सब कुछ बता रही थी. आज मैंने उसकी आंखों में देखा है नानू उसकी मोहब्बत की कोई हद नही है, वो बहुत आगे निकल गया है, मैं उसको नही रोक सकी.....झुका दिया मैंने अपने बाबा का सिर, तोड़ दिया उनका ग़ुरूर ----- दुआ किसी बच्चे की तरह रो-रो कर बोले जा रही थी, आज से पहले उसकी ऐसी हालत कभी नही हुई थी, यहां तक उसको इतना भी ख्याल नही रहा था कि उसके बाबा, उसके पिछे ही खड़े थे, जिनके पैरों तले ज़मीन खींच ली थी उसकी बातों ने, अपनी जवान बच्ची की ऐसी हालत देख फरहान सिद्दीकी का गुस्से से लाल चेहरा आने वाले तूफान का एहसास दिला रहा था। ********** जिया (रुद्र की भाभी) ------मां रूद्र का नम्बर बन्द जा रहा है, आप परेशान नही हो, रोहित ने अभी अजय से बात की है, वो उसे ढूंढने गया है वैसे उसने कहा है रूद्र अब घर ही आ रहा होगा, उसको एक मीटिंग के लिए जाना था, शायद इसलिए फोन बंद रखा होगा..... आपको तो पता है वो काम को लेकर कितना सीरियस रहता है, उसे डिस्टर्बेंस नही पसंद- जिया ने अपनी सासु मां को तसल्ली देते हुए कहा। पार्वती जी (रुद्र की मां)----- मगर जिया उसको पता था हम सब लोग यहां तक बाबू जी भी उसका इंतेज़ार कर रहे हैं, हम सबको एक साथ जाना था ना मिस्टर सिंघानिया के यहां , वो ऐसे लापरवाह नही है तुमको तो पता है..... तीन घंटे होने को है और आज यह बारिश भी रूकने का नाम नही ले रही, जिया मेरा दिल तो बहुत घबरा रहा है, पता नही वो अब तक क्यों नही आया? कुन्ती देवी (रुद्र की चाची)-------भाभी आप परेशान नही हो, रूद्र अब बच्चा थोड़ी है......जिया सही कह रही है, वो ठीक होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा, हो सकता है बारिश की वजह से कहीं फंस गया हो और अजय गया है ना उसको ढूंढने, थोड़ी देर में देखना, दोनों साथ ही आ रहे होंगे ---कुन्ती ने अपनी जेठानी को परेशान होते हुए देखा तो वो भी तसल्ली देने लगी। घर में सभी लोग परेशान हो रहे थे रूद्र के लिए, उसने पहले कभी अपना फोन इतनी देर के लिए बंद नही किया था मगर जिया वो परेशान होने से ज़्यादा डरी हुई थी, कि ऐसा क्या हो गया जो रूद्र अब तक नही आया.....वो तो उसको बता कर गया था कि आज वो दुआ से हां सुनकर ही आएगा, तो फिर वो अब तक क्यों नही आया--- जिया अपनी सोचों में गुम थी कि तभी अपनी सासु मां के चीखने की आवाज़ से होश में आई, उसने दरवाज़े की तरफ देखा तो, एक पल के लिए उसके पैर भी वहीं जम गए. आज से पहले कभी किसी ने रूद्र को ऐसी हालत में नही देखा था......उसके होंठ नीले पड़ गए थे जिससे पता चल रहा था कि वो घंटों बारिश में भीगता रहा है, उसकी आसमानी रंग की शर्ट पर खून के धब्बों को साफ देखा जा सकता था, उसकी हथेली में कुछ कांच के टुकड़े गड़े हुए थे जिसकी वजह से हाथ से खून अभी भी रीस रहा था.......उसकी यह हालत देख सब एक साथ दरवाज़े की तरफ दौड़े और रूद्र वही दहलीज़ पर खड़ा रहा, उसकी हिम्मत ही नही हुई कि वो एक क़दम भी आगे बड़ा सकता। पार्वती जी-----यह क्या हाल बना रखा है रूद्र, जिया जाओ जल्दी से फर्स्ट-एड लेकर आओ---उसकी मां ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिससे खून रिस रहा था मगर फौरन ही एक झटके से उसका हाथ छोड़ दिया, उनकी हैरानी की हद ना रही जब उनकी नज़र रूद्र की जली हुई कलाई पर गई। यह-यह क्या है रूद्र- उन्होंने उसकी जली हुई कलाई की तरफ इशारा करते हुए पूछा....उसकी शर्ट का कपड़ा उसकी खाल में चिपक गया था, इतना बड़ा निशान उनके बेटे के हाथ पर, उन्होंने तो कभी उसको सूई भी नही चुभने दी थी फिर आज इतना बड़ा ज़ख्म, कैसे??? रोहित ( रुद्र का बड़ा भाई)-----यह कैसे हुआ रूद्र, किसने किया तुम्हारे साथ यह सब- उसके भाई ने आगे बढ़ते हुए पुछा। रुद्र अपने हाथ को देखते हुए------भाई यह सब मेरे नाम ने किया है, "रूद्र रघुवंशी" यही नाम है ना मेरा, यही सबसे बड़ा गुनाह है मेरा, तो क़ीमत तो अदा करनी थी- रूद्र ने थोड़ा चिल्लाते हुए कहा जिस पर सभी हैरान थे, इससे पहले उसने कभी भी तेज़ आवाज़ में बात तक नही की थी घर वालों के सामने और आज वो दादू के सामने इतनी तेज़ आवाज़ में चिल्ला रहा था, जिनके आगे वो नज़र भी नही उठाया करता था। जिया ने उसकी हालत देखते हुए, थोड़ा हिम्मत करके पूछा----रूद्र बताओ तो सही हुआ क्या है??? रुद्र, जिया को देखते हुए----भाभी आपने सही कहा था, आसान नही होता मोहब्बत का सफर, मगर अब यह सफ़र कितना भी मुश्किल हो, मैं इतनी जल्दी हार नही मानूंगा...... क्योंकि अगर मैंने हार मान ली तो इस दुनिया की घटिया सोच जीत जाएगी..... जिया कुछ ना समझते हुए----- मतलब??? रुद्र हल्का सा मुस्कुराते हुए----- मतलब भाभी, आखिर इस दुनिया की घटिया सोच, आज आ ही गई, मेरी मोहब्बत के बीच..... जानती है आप, उसने क्या कहा मुझसे.......वो कहती है उसे मुझसे मोहब्बत नही है, वो मुझे देखना भी पसंद नही करती, क्योंकि वो मजबूर हैं, दुनिया उस पर ऊंगली उठाएगी, उसके बाबा से सवाल करेगी, जानती है क्यों वो मुझे अपना नही सकती क्योंकि मैं हिन्दू और वो मुसलमान है- रूद्र ने आख़री शब्द चिखते हुए कहा. जिसे सुनकर, रघुवंशी परिवार के पैरों तले ज़मीन निकल गई थी......किसी ने नही सोचा था कि रूद्र को कभी कोई लड़की पसंद भी आ सकती है, वो भी एक मुसलमान लड़की, यह कैसे हो सकता है। पार्वती जी ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए पुछा-----रूद्र यह क्या कह रहे हो तुम?? रुद्र-----एम् सोरी मोम, एम् सोरी मगर आपके बेटे को एक मुसलमान लड़की से प्यार हो गया है--- रूद्र ने यही कहा था कि मुकेश रघुवंशी ने उसके सामने आते ही उसके ज़ोर का थप्पड़ जड़ दिया। मुकेश रघुवंशी गुस्से में------तुमको पता है, तुम क्या कह रहे हों, एक मुसलमान लड़की, तुम्हारा दिमाग ठीक है---- उन्होंने उसे घूरते हुए पूछा। रुद्र-----हम्मम!! जानता हूं.......उसने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा मगर उसकी आंखों में नमी थी। दादू! मैं जानता हूं, मैंने आज आपका मान तोड़ दिया, आपको ठेस पहुंचाई है, बहुत बुरा हूं, आपका पोता कहलाने के लायक भी नहीं इसलिए इस घर को छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहा हूं। रुद्र-----मैं कभी आप लोगों से अलग नही होना चाहता था, मगर जानता हूं, आप कभी भी उसको नही अपनाएंगे.......क्योंकि यह हिन्दुस्तान है, यहां इज़्ज़त और धर्म के नाम पर बच्चों को कुर्बान कर देना ज़्यादा अच्छा समझा जाता हैं, मगर उनकी खुशियों के लिए, उनके साथ मिलकर दुनिया से लड़ना, यह तो यहा सिखाया ही नही जाता. पार्वती जी, रूद्र का हाथ पकड़ते हुए-------रूद्र होश में आओ, क्या कह रहे हो, तुमको पता भी है, देखो अपना हाल, खून बह रहा है, जिया जल्दी से डॉक्टर को फोन करो--- रुद्र------भाभी रहने दीजिए, अब मेरा इस घर पर कोई हक़ नही रहा, मुझे जाना है मगर उससे पहले दादू से कुछ सवाल करने है...... दादू, मैंने बचपन से आपको देखा है, आप किसी मुसलमान के हाथ से पानी लेना भी पाप समझते हैं, आप उनके साथ बैठना भी पसंद नहीं करते, आखिर इतनी नफ़रत क्यों है आपके दिल में, क्या वजह है इस भेदभाव की......क्या वो लोग इंसान नही दादू??? मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए-----बंद करो अपनी बकवास, लगता है भूल गए हो, कि तुम अपने दादू के सामने खड़े हो---- रुद्र-----ठीक है दादू! हो जाउंगा चुप, मगर आप मुझे बताएं, आप तो हिन्दू है ना, वो मुसलमान है फिर क्यों आप दोनों की सोच अलग नही है, फिर क्यों उसने भी यही कहा, क्यों उसने भी मुझे थप्पड़ मारा, क्यों उसको भी समाज की परवाह ज़्यादा है। दादू आप जानते है! हिन्दुस्तान में हर साल रावण को जलाया जाता है, बुराई का प्रतीक समझ कर मगर वहीं श्रीलंका में उसकी पूजा की जाती है, भगवान समझ कर, क्या इसका मतलब यह है कि वो लोग अच्छे नही या वह नफरत के काबिल है क्योंकि वो रावण को भगवान मानते हैं......बताए मुझे- रूद्र ने मुकेश रघुवंशी के गुस्से की परवाह ना करते हुए उनकी तरफ देखते हुए पूछा और जवाब ना मिलने पर उसने बोलना फिर शुरू कर दिया। नही ना दादू!! इसका मतलब सिर्फ इतना है कि जो इंसान जहां पैदा होता है वहां की रीति-रिवाज़ अपना लेता है, अपना नज़रिया वैसे ही बना लेता है, लेकिन अपने नज़रिए की वजह से करोड़ों लोगों से नफ़रत करना, उनका खून बहा देना, हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर अनगिनत बच्चों को अनाथ कर देना, लाखों औरतों की इज्ज़त लूट लेना यह हक़ किस धर्म ने दिया है??? कौन सा धर्म नफरत सिखाता है दादू??? क्या ईसा-अलैहिस्सलाम ने, हुज़ूर ने या राम जी ने, कृष्ण जी ने, शिव जी ने, या किसी ओर भगवान ने किसी औरत की इज्ज़त को रौंदा था पैरों तले अपने धर्म का बदला लेने के लिए??? क्या उनमें से किसी ने भी मासूमों का खून बहाया था??? गीता और क़ुरान में क्या कहीं भी लिखा है कि बेगुनाहों का कत्ल कर दो, सिर्फ इसलिए कि वो अपने रब को आपके हिसाब से नही पुकारते, उनके रब का नाम वो नही जो आप लेते हैं। दादू धर्म तो प्यार की नींव रखता है, धर्म तो धैर्य, संयम और निष्ठा सिखाता है, हर धर्म का पहला पाठ इंसानियत है....... फिर सब यही पाठ छोड़ कर आगे कैसे बढ़ जाते हैं??? सिर्फ गीता या क़ुरान को पड़ लेना तो धार्मिक होना नही है.....उसकी गहराई को समझना और अमल करना धार्मिक बनाता है इंसान को....... लेकिन आज के दौर में हर इंसान खुद को धर्म का ठेकेदार कह कर अपने को अल्लाह और भगवान समझ लेता है, लाखों लोगों का खून बहा देता है, यह सोचे बगैर कि जब वह इंसानियत ही भुल गया तो वो धार्मिक कहा से रहा----- रूद्र आज वो सब बोल रहा था जो हमेशा वो अपने दादू को समझाना चाहता था मगर कभी हिम्मत नही कर सका था। रुद्र------दादू! मैं आप सबसे बहुत प्यार करता हूं मगर उस लड़की को नही छोड़ सकता, वो भी सिर्फ इस वजह से कि उसका नाम दुआ सिद्दीकी है क्योंकि वो एक मुसलमान के घर पैदा हुई........दादू मैं अपनी मोहब्बत की कुर्बानी नही दूंगा किसी धर्म के नाम पर चाहे जो हो जाए मगर आपका पोता हार नही मानेगा। रुद्र, कुन्ती देवी की तरफ बढ़ते हुए------चाची आप मुझे बताइएं, क्या भगवान जी ने आपको पैदा करने से पहले पूछा था कि आप हिन्दू के घर पैदा होना चाहती है या मुसलमान के घर??? रूद्र के सवाल पर सभी ख़ामोश थे तब ही पिछे से अजय भी उसे ढूंढता हुआ आ गया मगर रूद्र का सवाल सुनकर उसके क़दम भी जहां थे वहीं रुक गए। रुद्र----नही ना चाची!!! पता है क्यों?? क्योंकि उसने तो हम सबको सिर्फ इंसान बनाया था, हिन्दू-मुस्लिम तो इस दुनिया ने बनाया है हमको...... रुद्र-----हम में से किसी से भी भगवान ने नही पूछा था.....ना आप से, ना मुझसे, ना उससे.......फिर उसको मुझसे अलग रहने को मजबूर क्यों किया जा रहा है......क्यों सबकी नज़रों में मैं ग़लत बन गया हूं??? क्यों मेरी मोहब्बत को सब गुनाह समझ रहे हैं??? आप सब ही चाहते थे ना कि मैं शादी कर लूं, आज जब मुझे किसी से प्यार हो गया तो आप लोग चाहते हैं मैं उसे भुल जाऊं क्योंकि वो मुसलमान है। 27 साल तक आप लोगों ने मुझे पाला-पोसा, बेइंतेहा प्यार किया, मैं आप सबकी आंखों का तारा इस घर का सबसे ज़्यादा लाडला बेटा....... "एक मिनट में" सिर्फ एक मिनट में दादू!!!! मैं आप सबका दुश्मन बन गया, वो प्यार, वो फ़िक्र, वो ममता सब कुछ खत्म हो गया सिर्फ एक मिनट में!!! क्या यही सब सिखाता है धर्म, मुझे तो मेरे धर्म ने नफरत करना नही सिखाया दादू, मुझे ऐसे संस्कार ही नही दिए आपने---- रूद्र ने रोते हुए अपने दादू से कहा जो उसको बस सुन रहे थे, उनकी गुस्से से लाल आंखें अब ज़मीन पर टिकी थी। दादू जिससे आप प्यार करते हो उनके लिए लड़ना मैंने आपसे सिखा है, अपने शिव जी से सीखा है, अपने प्रेम के लिए अगर वो भैरों बन सकते हैं तो मैं क्यों इस दुनिया की बेबुनियाद नफरत से नही लड़ सकता। आपने मुझे सिखाया था अगर सवाल प्रेम का हो तो शिव जी का भैरों अवतार बन जाना..... सबकुछ त्याग देना प्रेम के लिए......मगर प्रेम को नही त्याग ना दुनिया के लिए। आज मैं आपके सामने हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि क्या आप धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव को खत्म नही कर सकते, क्या आप अपने गुरूर का त्याग नही सकते, अपने पोते के प्यार में। या आप भी बाकी सब की तरह इस दुनिया के बने बैठे, धर्म के ठेकेदारों के सवालों से डर कर, अपने पोते का त्याग करना ज़्यादा अच्छा समझते हैं। रुद्र-----दादू मैं उसके बगैर ज़िन्दा नही रह सकूंगा, मगर आप लोगों के बगैर सुकून से भी नही रह सकता, प्लीज़ मुझे खुद से अलग नही करना दादू मुझे इस दुनिया के रीति-रिवाजों की भैंट ना चढ़ाना--- रूद्र ने छोटे बच्चे की तरह रोते हुए अपने दादू से प्रार्थना की थी, वहां खड़े हर इंसान की आंखों में आसूं थे, उसका कहा हर लफ्ज़ सही और सच था मगर दुनिया की रीति-रिवाजों के बांध तोड़ कर सच और सही का साथ देना आसान नही होता बहुत मुश्किल होता है दुनिया के खिलाफ जाना, लाखों लोगों के सवालो का सामना करना इसी कशमकश में उसके दादू भी थे, जिनका दिल फट रहा था अपने जान से प्यारे पोते की आंखों में आंसु देख कर, उनके दिमाग में रूद्र का कहा हर शब्द गूंज रहा था...... क्या सच में उनका धर्म प्रेम करना, त्याग करना, दुसरो का मान रखना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना और इंसानियत नही सिखाता। यही सब तो उन्होंने हमेशा पड़ा था मगर कभी इतनी गहराई से धर्म को समझा ही नही जितना उनका पोता समझ चुका था। आज उनको इंसानियत और धर्म का अस्तित्व समझ आ रहा था, क्यों धर्म बनाए गए, क्यों गीता और क़ुरान पढ़ाए जाते हैं मगर अक्सर लोग सिर्फ पड़ते हैं, समझते नही...... धर्म को समझना आसान नही, लोगों की ज़िन्दगी गुज़र जाती है, मासूमों का खून बहा दिया जाता है और फिर भी खाली हाथ रह जाते हैं। आज भगवान ने उनके सामने भी इम्तेहान की घड़ी रख दी थी कि वो दुनिया के दिखाएं रास्ते पर धर्म के नाम पर नफरत को जन्म देंगे या भगवान का रूप धारण कर प्रेम के लिए, अपना घमंड, अपना क्रोध त्याग देंगे। वो धर्म कहा जो तोड़ दे रिश्ते, धर्म तो जोड़ता है अपनों को परायो को----वो यही सब सोच रहे थे कि रूद्र खड़े-खड़े गिर गया, उसके ज़मीन पर गिरते ही रघुवंशी परिवार में डर की लहर दौड़ गई, उसका जिस्म आग-सा तप रहा था, रोहित और अजय मिलकर फौरन रूद्र को ज़मीन से उठा, उसके कमरे में ले गए, जल्द ही जिया ने डाक्टर को भी बुला लिया था। डॉक्टर ने उसको चैक किया फिर जल्दी से उसको 2 इंजेक्शन लगाए, उसकी हर्टबीट बहुत धीमी हो गई थी, बुखार से जिस्म तप रहा था, हाथ से बहता खून तो रूक गया था मगर उसकी जली हुई कलाई पर ज़ख्म बहुत ज़्यादा गहरा था। डॉक्टर ने सबको बताया कि फिलहाल उससे कोई ऐसी बात ना करें, जिससे उसको टेंशन हो, क्योंकि वो अभी सदमे की हालत में है, इसलिए उसके होश में आने के बाद, इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाए, नही तो वो अपना दिमागी संतुलन खो सकता है, वैसे आने वाले 24 घंटों में अगर उसका बुखार कम नही हुआ तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता है-----यह कह कर डाक्टर साहब वहां से चले गए। डॉक्टर के जाते ही मुकेश रघुवंशी ने गुस्से में बाला को आवाज़ दी, जो उनका खास आदमी था। बाला अगले एक घंटे में किसी भी तरह मुझे वो लड़की और उसका बाप यहां मेरी आंखों के सामने चाहिए। यह सुनते ही अजय फौरन हाथ जोड़कर मुकेश रघुवंशी के सामने खड़ा हो गया। दादा जी, मुझे पता है, आप इस वक्त बहुत गुस्से में है मगर बस एक बार मेरी बात सुन लीजिए, कोई भी फैसला लेने से पहले पूरी कहानी सुन लेनी चाहिए, गुस्से में किए फैसले हमेशा सिर्फ तकलीफ देते हैं-----यह कह कर अजय ने हिम्मत करके सबकुछ बताना शुरू किया। बाकी अगले भाग में:- नोट:- आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में ज़रुर बताएं।
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भाग 2

10 अक्टूबर 2021
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छः महीने पहले :-<div><br></div><div>रूद्र कहा हों - जिया ने कमरे में क़दम रखते हुए कहा.....देखा तो व

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भाग 3

14 अक्टूबर 2021
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सुबह के 10 बज रहे थे और रूद्र अपनी आंखें बंद किए, सोफे पर सिर टिकाए उसी लड़की के बारे में सोच रहा था

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भाग 4

31 अक्टूबर 2021
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अच्छा, ठीक है-ठीक है, गुस्सा नही हो, मैं तो बस यह कह रहा था एक बार उससे बात तो कर लेना, ताकि उसके दि

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भाग 5

25 नवम्बर 2021
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अमित जी------सर मैंने पूरी कोशिश की थी मगर इस युनिवर्सिटी की प्रिंसिपल बहुत सख्त है, मैंने रिश्वत दे

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भाग 6

7 दिसम्बर 2021
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मलिक हाउस:-<div><br></div><div>यह है दुआ के मामा का घर, बहुत ही बड़ा और आलीशान, रात के अंधेरे में चा

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भाग 7

7 दिसम्बर 2021
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अमित जी ने अभी यू-टर्न लिया ही था कि उस लड़की के सामने, नीले रंग की बड़ी सी गाड़ी रुक जाती है, जिसक

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भाग 8

8 दिसम्बर 2021
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आकिब घर वापस आते ही, दुआ के कमरे में जाता है तो देखता हैं, दुआ की आंखे अभी भी नम थी।<div><br></div><

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भाग 9

8 दिसम्बर 2021
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रात कब गुज़र जाती है, मुकेश रघुवंशी को पता ही नहीं चलता, रुद्र उनकी आंखों का तारा, उनके दिल की धड़कन

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भाग 10

30 दिसम्बर 2021
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रुद्र दरवाज़ा खोल कर अंदर जाता है, तो दुआ नज़रें झुकाए उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं, इस पल उसे ऐसा

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भाग 11

5 जनवरी 2022
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अगले दिन सभी लोग फंक्शन की तैयारी में जुटे थे, धीरे-धीरे मेहमान भी आना शुरू हो गए थे, रुद्र भी बाकी सबके साथ फंक्शन की तैयारी में लगा था, दादू के हुक्म पर दुआ कमरे में ही आराम कर रही थी और जिया के कहन

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भाग 12

5 जनवरी 2022
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20-25 दिन गुज़र जाते हैं मगर अब तक दुआ का दिमाग़ वहीं फरहान सिद्दीकी की बातों में अटका होता है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है, उसके दिल में एक अजीब सा डर घर करने लगता है, सब लोग उस

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