रुद्र दरवाज़ा खोल कर अंदर जाता है, तो दुआ नज़रें झुकाए उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं, इस पल उसे ऐसा लगता है, जैसे उसने दुनिया जीत ली है, उसके सामने, उसकी मोहब्बत, उसके हमसफ़र के रूप में बैठी थी, कल तक जो ख़्वाब नामुमकिन लग रहा था वो आज हकीक़त बन गया था, और रुद्र इस हक़ीक़त को जीना चाहता था, खुद को यक़ीन दिलाना चाहता था खुद की खुशकिस्मती पर......
रुद्र जब एक ही जगह खड़ा, काफी देर तक, दुआ को यूं ही देखता रहा तो आखिर दुआ को ही बोलना पड़ा.......
रुद्र देखो तुम जो भी सोच रहे हो, वो अभी नहीं हो सकता------- दुआ एक दम से बगैर सोचे-समझे बोल देती है और फिर एहसास होने पर कि उसने क्या बोल दिया, अपना होंठ काटते हुए, आंखें भींच लेती है......... जिसे देख, रुद्र खुद की हंसी नहीं रोक पाता।
रूद्र शरारत से, दुआ के क़रीब आते हुए------- तुम्हे कैसे पता मैं क्या सोच रहा हूं??? और जो मैं सोच रहा हूं, वो अभी क्यूं नहीं हो सकता??
रुद्र को खुद के इतने क़रीब पाकर, दुआ की धड़कनें तेज़ हो जाती है, उसका गला भी सूखने लगता है, वो चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रही थी, बस बच्चों की तरह आंखें भींचे हुए थी जिसे देख रुद्र को और मज़ा आ रहा था, दुआ को परेशान करने में......
काफी देर तक, वो उसको यूं ही देखता रहता है, जब वो कुछ नहीं बोला तो दुआ अपनी एक आंख खोल कर देखती है, तो रुद्र उसके पास बैठा, मुस्कुराते हुए उसे देखे जा रहा था.......... दुआ उसको खुद पर हंसता देख, फौरन सीधे होकर बैठ जाती है।
रुद्र मुस्कुराते हुए-------एक बात कहुं???
दुआ----- हम्ममम!!!
रुद्र----- इतनी तेज़ धड़कन तो तुम्हारी तब भी नहीं हुई थी, जब सिंगापुर में, मैंने ज़बरदस्ती तुमको कमरे में बंद कर लिया था और अब तो मैं तुम्हारा शौहर हूं, फिर यह डर कैसा???
दुआ हकलाते हुए------ वो.....मैं.... मेरा मतलब है,
रुद्र उसके होंठों पर उंगली रखते हुए------- शशशशश!! कुछ कहने की ज़रूरत नही है, मैं जानता हूं, तुम मुझसे प्यार करती हो, मगर अब तक मुझे अच्छे से जानती नहीं हो, इसलिए अपने जज़्बात बयां नहीं कर पा रही........ फ़िक्र नहीं करो, मैं ऐसा कुछ नहीं सोच रहा था, मैं तो तुमको बस, जी भरकर देख, अपनी खुशकिस्मती पर यक़ीन ला रहा था, फिलहाल तो, मुझे आज के लिए तुम से माफी मांगनी थी.....
रुद्र------मुझे पता है, तुम्हारे लिए, तुम्हारे बाबा की इज़्ज़त सबसे ज़्यादा इम्पोर्टेंट है, और आज दादू ने जो किया वो सही नहीं था, उनको तुम्हें यहां बुलाना ही नहीं चाहिए था......तरीके से हम लोगों को बारात लेकर जानी चाहिए थी, उसमें डाक्टर साहब की इज़्ज़त होती है और मंडप वाली बात पर तो मुझे अब तक यक़ीन नहीं आ रहा है.......वो तुम्हारा मज़ाक बना रहे थे और मुझे पता तक नहीं था....... मेरी ही ग़लती है जो मैंने भरोसा कर लिया था मगर तुम फ़िक्र नहीं करो, मैं सब ठीक कर दूंगा, कल सुबह ही हम सिद्दीकी हाउस चलेंगे और मैं डॉक्टर साहब से खुद माफी मांगूंगा।
यह सब कहते हुए रुद्र की आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था, दुआ को समझ नही आ रहा था, वो बात कहां से शुरू करें, वो चुपचाप बस उसकी सुन रही थी..... तभी रुद्र को उसकी खामोशी का एहसास होता है.......
रुद्र---- क्या बात है दुआ???? कुछ कहना है???
दुआ----- हम्ममम!!!!!
रुद्र फौरन अपना मुड ठीक कर, मुस्कुराते हुए------ हां तो कहें, मिसेज़ रहमत अली खान, क्या कहना है आपको???
रुद्र की बात सुन, उसे बात शुरू करने का तरीक़ा मिल जाता है।
दुआ नाराज़ होते हुए----- इतना बड़ा नाम कौन रखता है??? अच्छा ख़ासा, छोटा सा नाम था, फिर इतना बड़ा नाम रखने की क्या ज़रूरत थी?????
रुद्र मुस्कुराते हुए---- हम्ममम!! क्या करूं, तुमसे निकाह जो पढ़ना था, अब मौलवी ने नाम पुछा, तो वो हमारे निकाह में कोई मसला ना खड़ा कर दें, असली नाम सुनकर इसलिए तभी यह नाम रख लिया वैसे भी तुम्हारे लिए धर्म बदल चुका हूं तो नाम क्या चीज़ है........खैर अगर तुम मुझे इस नाम से नही बुलाना चाहती तो एक नाम है मेरे पास, बहुत ख़ास, बताऊं???
दुआ---- हम्मम! बताओ!
रुद्र हंसते हुए------ जान!! तुम मुझे जान कह सकती हों, और जान नहीं कहना तो जानूं, शोना-मोना जो दिल में आएं, वो कह सकती हों!!
दुआ मुंह बनाते हुए-----मुझे कुछ कहना ही नहीं!!
रुद्र उसको नाराज़ होते देख, अपना एक कान पकड़ते हुए------ अच्छा बाबा, साॅरी....... ऐसा करो तुम खुद सोच कर मेरा कोई अच्छा सा नाम रख दो, मुझे सब मंज़ूर है!!
दुआ सोचते हुए----- हम्ममम, ठीक है, तो फिर मैं तुम्हें रुद्र ही कहुंगी!!
रुद्र हैरान होते हुए----- मगर मेरा नाम, मुझे बदलना होगा, वरना कोई हमारा निकाह नहीं मानेंगा....
दुआ----- हां, पता है मुझे, डाक्यूमेंट्स में तो बदलना पड़ेगा मगर मेरे लिए तुम हमेशा रुद्र रहोगे, चाहे इस दुनिया के लिए तुम रहमत बनो या कुछ और मगर मेरे लिए सिर्फ रुद्र!!!
रुद्र, दुआ को घोर से देख मुस्कुराते हुए----- अच्छा ठीक है, जैसी आपकी मर्ज़ी, ख़ुश?? या और कुछ भी है जो बदलना है???
दुआ----- हम्ममम और भी है!
रुद्र----- तो बताएं, आपका शौहर, आपकी खिदमत में हाज़िर है!!
दुआ झिझकते हुए----- रुद्र आज तुमने मेरे लिए जो किया, उससे सच में, मुझे एहसास हुआ कि तुम मुझसे बेपनाह प्यार करते हो और उससे कहीं ज़्यादा इज़्ज़त......मगर तभी मुझे बुरा भी लगा, दादू के लिए.......हम दोनों की वजह से आज उनकी बहुत बेइज़्ज़ती हुई है!!!
रुद्र गुस्से में------ उनकी बेइज़्ज़ती हमारी नहीं, उनकी खुद की वजह से हुई है, सबकुछ जानते हुए भी, उन्होंने ऐसा किया।
दुआ, समझाते हुए------- रुद्र, अब मैं तुम्हारी इज़्ज़त हूं, इसलिए उस वक्त मैं कुछ नहीं बोल सकी, क्योंकि तुम्हारी बात ना मान कर, मैं तुम्हारा सिर नही झुकाना चाहती थी मगर रुद्र आज तुमने दादू से जैसे बात की वो ठीक नहीं था!!!
रुद्र, दुआ की बात का कोई जवाब दिए बगैर ही गुस्से में उठने लगता है कि तभी दुआ उसका हाथ पकड़ लेती है!!!
दुआ उसकी आंखों में देखते हुए---- इतना गुस्सा???? मेरी सही बात भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे!!
रुद्र वापस उसके पास बैठ, उसके हाथ पर हाथ रखते हुए----- दुआ, तुम मेरी ज़िन्दगी हों, अगर तुम पर आंच भी आईं तो मैं सब जला दूंगा।
दुआ------ इतना प्यार करते हो मुझसे, तो मेरी खुशी के लिए एक वादा कर सकते हो??
रुद्र----जान भी मांगोगी तो हंसते हुए दे दूंगा।
दुआ, लम्बी सांस लेते हुए----- रुद्र, मैं सब घर वालों को मनाना चाहती हूं, मैं सबकी दुआओं के साथ, हमारा रिश्ता आगे बढ़ाना चाहती हूं, तब तक हम अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे..... बोलो मंज़ूर है???
रुद्र गुस्से में------ दुआ, तुम्हे वक्त चाहिए, ठीक है मैं वादा करता हूं, तुम्हारी मर्ज़ी के बग़ैर, मैं तुम्हारा हाथ भी नहीं पकड़ूंगा, साल, दो-साल जब तक तुम कम्फ़र्टेबल ना हो मगर अगर तुम घर वालों को मनाना चाहती हो तो वो मुझे मंज़ूर नहीं है।
दुआ रिक्वेस्ट करते हुए----- रुद्र प्लीज़, अगर तुम मेरा साथ नही दोगे, तो मैं अकेले, कैसे इतना लम्बा सफ़र तय कर सकूंगी, मुझे तुम्हारे साथ की ज़रूरत है, प्लीज़ रुद्र!!!
रुद्र, दुआ की आंखों में देखता हैं, जिनमें अब नमी उतर आईं थी, और रुद्र की हां का इंतेज़ार कर रही थी।
रुद्र, उसके आंसु पोछते हुए------ तुम जीती, मैं हारा...... तुम्हारा हर हुक्म मंज़ूर है, वादा करता हूं, हम पहले सबको मनाएंगे फिर उनकी दुआओं के साथ अपने रिश्ते में आगे बढ़ेंगे मगर एक और वादा करता हूं, अगर किसी ने, कभी अपनी लिमिट क्रॉस कर दी, तो दुआ, मैं अपने गुस्से पर काबू नही रख पाऊंगा।
दुआ मुस्कुराते हुए------ मंज़ूर है, मैं कभी ऐसी नौबत नहीं आने दूंगी।
रुद्र----- अच्छा ठीक है, अब सो जाओ, वैसे भी तुम्हारी तबियत ठीक नहीं लग रही।
दुआ हां मैं सिर हिला कर, सोने लेट जाती है, रुद्र उसके बराबर में ही बैठा उसे देखता रहता है।
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कहते हैं, इम्तेहान की घड़ी बहुत लम्बी लगती है, ऐसा ही कुछ अब दुआ को भी लग रहा था, शादी को एक महीना गुज़र गया था मगर वो अब तक किसी के भी दिल में जगह नहीं बना सकी थी, वो दिन-रात कोशिश करती मगर सब बेकार.......
वो कुछ भी खाना पकाती, तो कोई भी उसके हाथ का खाना नहीं खाता, ना ही कोई उससे बात करता, रुद्र की मां और चाची, जब भी मौका देखती तो उसको कुछ ना कुछ सुना देती और उसकी बेइज़्ज़ती कर देती, मगर वो हर बात रुद्र से छुपा लेती, अगर वो उन लोगों की मदद करने के लिए किसी सामान को छू भी लेती तो वो सामान फेंक दिया जाता, जैसे वो अछूत हो......
हां रुद्र के सामने ज़रूर, वो लोग खामोश रहती......कई बार, सबका रवैया देख, जिया को भी गुस्सा आ जाता मगर दुआ, खुद को हमेशा शांत रखतीं इस इंतेज़ार में की कभी तो उसका सब्र काम आएगा..... मगर दिन-ब-दिन सबका रवैया उसके साथ बद से बद्तर हो रहा था.......
वो रुद्र के सामने तो हमेशा मुस्कुराते हुए, कहती कि बस थोड़ा वक्त और फिर सब ठीक हो जाएगा, मगर अंदर ही अंदर उसकी उम्मीद टूट रही थी क्योंकि मनाया उन्हें जाता है जो रूठ जाते हैं मगर अब तक उन लोगों ने तो दुआ को अपना समझा ही नहीं था....... यहां तो हिन्दू-मुस्लिम की दीवार खड़ी थी जो बहुत मज़बूत थी, जिसे वो हिला भी नहीं पा रही थी अब तो शायद रब को ही कोई चमत्कार करना था।
ऐसे ही एक दिन, दुआ अपने कमरे से निकल, नीचे जा रही थी कि सामने से चाची आती हुई दिखती है, वो चाची को देख, नज़रें झुका लेती है, यह सोच कि वो फिर से उसे अनदेखा कर चलीं जाएगी।
कुन्ती देवी, सीढ़ियां उतरना ही शुरू करती है कि उन्हें अचानक चक्कर आ जाता है, मगर इससे पहले वो सीढ़ियों से गिरती दुआ उन्हें सम्भाल लेती है और रुद्र को चीखते हुए आवाज़ देती है, जिसको सुन सभी घर वाले वहां पहुंच जाते हैं.....
रुद्र जल्दी से कुन्ती देवी को गोद में उठा, अपने कमरे में ले जाता है, जिया फौरन ही डाक्टर को फोन कर बुला लेती है......सभी लोग बहुत परेशान होते हैं, डॉक्टर कुन्ती देवी को चैक करता है फिर उनसे कुछ ज़रूरी सवाल पूछता है......
मुकेश रघुवंशी------ डॉक्टर क्या बात है, छोटी बहू को क्या हुआ है???
डॉक्टर मुस्कुराते हुए------ कुछ नही हुआ, रघुवंशी साहब, खुशखबरी है, आप एक बार फिर दादा बनने वाले हैं.......
जिया यह ख़बर सुनते ही, सबके लिए मिठाई लेने चली जाती है......
मुकेश रघुवंशी------- डॉक्टर, तुम सच कह रहें हों???? हमारी छोटी बहू, एक मेहमान लाने वाली है।
डॉक्टर मुस्कुराते हुए------ हां रघुवंशी साहब, बिल्कुल सच, बस आप समझ लें, आपकी नई बहू आप सबके लिए, बहुत भाग्यवान हैं, अभी उसे आए देर नहीं हुई और भगवान ने 27 सालों से सूनी गोद भर दी।
डॉक्टर यह कह कर बधाई देता हुआ चलें जाता है।
तभी जिया कमरे में मिठाई लेकर आ जाती है और चाची के मुंह में रख देती है......
फाइनली चाची, भगवान जी ने आपकी सुन ही ली...... चाची मुस्कुराते हुए, मिठाई का एक टुकड़ा उठा, दुआ की तरफ बढ़ती है........जिसे देख दुआ के साथ बाकी सब भी हैरान रह जाते हैं.....
कुन्ती देवी ------- दुआ आज तक मुझे लगता रहा तुम हम सबके लिए अभिशाप हो, जिसने हम सबसे रुद्र को छिन लिया मगर हक़ीक़त में डाक्टर ने अभी जो भी कहां, वो सच है......अब मैं यक़ीन करतीं हूं, तुम सच में बहुत भाग्यवान हो, तुम्हारे आने से मेरी बरसों की सुनीं गोद भरने वाली है....
यह कह कर कुन्ती देवी उसे अपने गले लगा लेती हैं, जिसे देख दुआ से ज़्यादा बाकि सब लोग हैरान रह जाते हैं......
यह पल उसके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थे, अभी कुछ देर पहले ही तो वो अपने अल्लाह से शिकायत कर रही थी और इतनी जल्दी उसके रब ने उसकी शिकायत दूर कर दी थी, मगर यह तो पहली सीढ़ी थी, मंज़िल अभी दूर थी, लेकिन कुन्ती देवी के साथ से उसके अंदर टूटती उम्मीदें फिर जुड़ गई थी......
वो दिन-रात जी-जान लगा कोशिश करने लगी थी कि जल्द से जल्द सबको मना लें और धीरे-धीरे उसकी कोशिशें कामयाब होती दिख रही थी, सभी लोगों के दिल में वो कहीं ना कहीं अपनी जगह बना रहीं थी और तकरीबन शादी के छः महीनों में ही उसने सबका दिल जीत लिया था, बचें थे तो सिर्फ दादू जो अब तक उससे बात भी नहीं करते थे, उनके अंदर की नफ़रत को खत्म करना दुआ को नामुमकिन सा लगने लगा था मगर फिर भी उसने कोशिश करना नहीं छोड़ी............
वो रोज़ रात को सोने से पहले उनके कमरे में गर्म दूध भिजवाती मगर वो नहीं पीते, सुबह तक दूध वैसा का वैसा ही रखा होता, रोज़ाना सुबह वो उनकी पूजा समाप्त करते ही, उनके लिए चाय बनाती जो रोज़ाना फैंकी जाती, वो उनकी हर ज़रुरत का ख़्याल रखने की कोशिश करती, उनकी दवाइयों का वक्त होते ही उनको दवाइयां देती...... तो वो उसके हाथ से दी गई, दवाईयां, उसके सामने ही फेंक देते और बाला को नई खुराक़ लाने को कहते यह देख दुआ को जितनी बेइज़्ज़ती महसूस होती उतना ही हौसला टूटता मगर फिर भी वो कोशिश करना नहीं छोड़ती.....
रोज़ाना मुकेश रघुवंशी जब शाम को चहलक़दमी के लिए निकलते तो वो भी साथ हो लेती........ छः महीनों तक एक बार भी मुकेश रघुवंशी ने उससे एक लफ्ज़ भी नही कहां, वो हर पल इसी इंतेज़ार में रहतीं कि आज तो वो उससे बात करेंगे......
मगर कहते हैं ना, सच्ची लगन से अगर कोशिश की जाए तो पत्थर भी पिघल जाता है, और आज वो दिन भी आ गया था जब मुकेश रघुवंशी के पत्थर दिल को पिघलना था.......
मुकेश रघुवंशी लाॅन में ठंडी घांस पर नंगे पैर चल रहे थे, उन्हीं के पिछे दुआ भी चल रही थी, तभी दुआ की निगाह ज़मीन पर पड़े, टूटे हुए, कांच के टुकड़ों पर पड़ती है, इससे पहले मुकेश रघुवंशी उन पर पैर रखते वो उनका हाथ पकड़ पिछे कर लेती है मगर बारिश का मौसम होने के कारण, मिट्टी काफी चिकनी होती है जिसकी वजह से उसका बैलेंस बिगड़ जाता है और वो खुद गिर जाती है........
दुआ की इस हरकत पर पहले मुकेश रघुवंशी को गुस्सा आता है मगर जैसे ही उनकी निगाह, दुआ के पैर से बहते ख़ून पर जाती है वो फौरन बैठकर उसके पैर से कांच का टुकड़ा निकाल, अपना रुमाल उसके पैर पर बांध देते हैं......
मुकेश रघुवंशी गुस्से में...... जब मदद करनी ही नहीं आती तो आगे बढ़ती ही क्यूं हो???? आवाज़ भी देकर बता सकतीं थीं ना??
मुकेश रघुवंशी की डांट सुनकर, दुआ की आंखे नम हो जाती हैं।
दुआ आहिस्ता से------- आप मुझसे बात नहीं करते इसलिए आवाज़ नहीं दी।
दुआ की बात सुन, मुकेश रघुवंशी एक नज़र दुआ के पैर की तरफ़ देखते हैं और फिर बग़ैर कुछ कहें जाने लगते हैं, कि तभी दुआ उनका हाथ पकड़ लेती है.......
आज पहली बार, उन्होंने दुआ से कुछ कहां था, क़िस्मत से उसे एक मौका मिला था जिसे वो नहीं गंवा सकतीं थीं...... यही सोच, दुआ ने हिम्मत कर मुकेश रघुवंशी को रोकने के लिए, उनका हाथ पकड़ लिया था।
दुआ --------- दादू प्लीज़ अपनी इस नफरत को ख़त्म कर दीजिए, प्लीज़ दादू रुद्र को माफ़ कर मुझे अपना लीजिए, दादू आपके आशीर्वाद के बिना हमारी ज़िन्दगी अधूरी है, प्लीज़ दादू रघुवंशी परिवार को फिर से एक कर दीजिए......
मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ क्या सच में मेरे आशिर्वाद के बग़ैर तुम्हारी ज़िन्दगी अधूरी है???
क्या सच में तुम रघुवंशी परिवार को एक देखना चाहती हो???
दुआ फौरन हां मे सिर हिलाते हुए------- हां दादू, मैं सच में, इस परिवार को फिर से जोड़ना चाहती हूं, जो दरार मेरी वजह से पड़ी है, उसको ख़त्म करना चाहती हूं....
मुकेश रघुवंशी उसको ध्यान से देखते हुए------- अच्छा, तो क्या कर सकतीं हो, इस परिवार को जोड़ने के लिए????
दुआ बेताबी से------- कुछ भी दादू, कुछ भी......
जो आप कहेंगे वो सब कर सकती हूं, आप कह कर तो देखिए, मैं आपको नाराज़ नही करुंगी......
मुकेश रघुवंशी गहरी निगाहों से, कुछ देर दुआ को देखने के बाद-------ठीक है ज़्यादा कुछ नहीं, सिर्फ दो काम है अगर तुमने कर दिए तो वादा करता हूं, मैं रुद्र को माफ़ कर दूंगा और यह परिवार फिर एक हो जाएगा......
दुआ मुस्कुराते हुए......... दादू आप हुक्म कीजिए, मैं आपकी बात ज़रूर मानूंगी......
मुकेश रघुवंशी-------- ठीक है तो इस्लाम को छोड़, हिन्दू बन जाओ, जैसे मेरे पोते ने सब छोड़ दिया तेरे लिए, वैसे ही, मैं चाहता हूं, तुम भी अपना धर्म छोड़ दो......
दुआ एक पल के लिए ख़ामोश हो गई फिर मुकेश रघुवंशी को देखते हुए------- दादू, मेरा परिवार तो मुझसे, अल्लाह ने उस दिन ही छीन लिया था, जिस दिन सबको यह पता चला था कि रूद्र मुझसे प्यार करता है......
दुआ नम आंखों से------मेरे से ज़्यादा बदनसीब बेटी कौन होगी, जो कुछ किए बिना ही, अपने बाप की मुजरिम बन गई, जो दो खानदानों की बर्बादी और बेइज़्ज़ती की वजह बन गई, दादू मुझसे तो बहुत पहले ही सबकुछ छिन चुका है-------
दुआ अपने आंसु साफ करते हुए........ खैर, अगर मेरे धर्म बदलने से सब ठीक हो जाएगा, तो मुझे मंज़ूर है....... बताएं दुसरी शर्त क्या है???
दुआ की बातें और उसकी आंखों के आंसु, मुकेश रघुवंशी का दिल झिंझोड़ रहें थे मगर फिर भी उन्होंने सख्त लहजे में अपनी दुसरी शर्त भी रख दी।
मुकेश रघुवंशी-------- दुसरी शर्त है कि तुम रुद्र को छोड़ दो, उससे कहीं दूर चली जाओ, तो मैं वादा करता हूं, सब ठीक हो जाएगा.....
मुकेश रघुवंशी की बात सुनते ही, दुआ के कान सुन हो गए, वो खाली आंखों से कुछ देर तक उन्हें देखती रहती है और सोचने पर मजबूर हो जाती है कि क्या सच में वो उससे इतनी नफ़रत करते हैं, उन्होंने इतनी बड़ी बात कितनी आसानी से कह दी थी, यह जानते हुए कि रुद्र के लिए ज़िन्दगी है वो........
मुकेश रघुवंशी-------- बोलो दुआ, चुप क्यूं हो, जवाब दो, कर सकती हों ऐसा रघुवंशी परिवार के लिए????? दुआ जिस दिन तुम उसे छोड़ कर चली जाओगी, उस दिन सब ठीक हो जाएगा...... रघुवंशी परिवार में फिर से खुशियां आ जाएगी।
दुआ नम आंखों से मुकेश रघुवंशी के सामने हाथ जोड़ते हुए-------- एम् सोरी दादू, यह नहीं हो सकता, आप मेरा जो इम्तेहान लेना चाहते हैं, ले लीजिए मगर रुद्र को छोड़ने का नहीं कहना, दादू वो पागल है, अगर मैं उससे दूर हुई तो सब कुछ ठीक होने के बाद भी, वो खुद को कभी सुकून से नहीं रहने देगा, और इस परिवार को मैं जोड़ना चाहती हूं तो सिर्फ रुद्र के लिए, क्योंकि वो कहें या ना कहें मगर उसका गुस्सा, उसकी आंखें, सब कह देती है....... वो अपने दादू को बहुत मिस करता है मगर रघुवंशी है, ग़लत के सामने कैसे झुक जाएगा......
दादू प्लीज़, मैं रुद्र की खुशी के लिए, अपनी जान दे सकती हूं मगर ज़िन्दा रहते हुए, उससे दूर नहीं हो सकती......
मुकेश रघुवंशी कांच का एक टुकड़ा, दुआ की तरफ बढ़ाते हुए--------- दूर नहीं हो सकती, तो ठीक है, अपनी जान दे दो......
दुआ एक पल की देर किए बग़ैर, उनके हाथ से कांच का टुकड़ा लेकर, अपने हाथ की नस काट लेती है, मगर इससे पहले वो दूसरे हाथ की नस काटती, मुकेश रघुवंशी उससे कांच का टुकड़ा लेकर फेंक देते हैं।
मुकेश रघुवंशी, दुआ पर चिल्लाते हुए--------- दिमाग नहीं है क्या????? कहती हो, रुद्र से दूर नहीं जा सकती मगर इतना नहीं पता कि मरने के बाद लोग चाह कर भी लौट कर नहीं आते।
दुआ रोते हुए------ आपने ही तो कहा था कि मर जाओ तो सब ठीक हो जाएगा।
इस वक्त दुआ उनको नासमझ बच्चे से ज़्यादा कुछ नहीं लग रही थी जिसे देख उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी.......
मुकेश रघुवंशी, दुआ के सिर पर चपत लगाते हुए------- पागल लड़की, मैं आज़मा रहा था, कि जिसके लिए मेरे पोते ने मुझे छोड़ दिया वो लड़की उसके लिए किस हद तक जा सकती है????? मगर मुझे गर्व है कि मेरे पोते ने एक बहुत अच्छी, सुलझी, समझदार और वक्त आने पर, उसके लिए सबसे लड़ जाने वाली लड़की को चुना है।
दुआ हैरानी से--------- मतलब???? वो नफ़रत, मेरे हाथ से बनी हर चीज़ फेंक देना, दवाईयां ना लेना, वो सब झूठ था????
मुकेश रघुवंशी मुस्कुराते हुए------ झूठ नहीं था, बस शुरू में नाराज़गी थी और धीरे-धीरे वो तुम्हारा इम्तेहान बन गया....... घर का मुखिया हूं, सबकी ख़ुशी प्यारी है इसलिए फैसले सोच-समझ कर करने पड़ते हैं......
यह सुनते ही, दुआ खुशी से बगैर सोचे-समझे उनके गले लग जाती है, जिस पर वो थोड़े झिझक जातें हैं मगर अगले पल उसके सिर पर प्यार से हाथ रख देते हैं।
मुकेश रघुवंशी------ पता है, मैं हमेशा भगवान से पूछता था, कि क्यों उसने मुझे ना बेटी दी ना पोती........ मगर आज तुम्हारे गले लगने पर एहसास हुआ कि उसने मेरे घर बेटियों से ज़्यादा प्यारी बहू जो भेजनी थी, बेटियां तो कभी ना कभी दूसरों के घर की हो जाती है लेकिन बहूएं, मरते दम तक ख्याल रखती है........ रखोगी ना, अपने दादू का ख्याल????
दुआ मुस्कुराते हुए------ जी दादू, ज़रूर...... मैं नहीं जानती थी, आप सच में इतने अच्छे हैं, आज यक़ीन हो गया, रुद्र सच में आप पर गया है।
मुकेश रघुवंशी----- अच्छा, चलों अब जल्दी से उठो, खून बह रहा है, बातें करने के लिए ज़िन्दगी पड़ीं है......
यह कहते हुए, मुकेश रघुवंशी ने सहारा देकर दुआ को उठने में मदद की और चिल्लाते हुए बाला को बुलाया जिस पर बाला भागता हुआ उनके सामने आ गया और मुकेश रघुवंशी को दुआ हाथ पकड़ा देख हैरान रह गया।
मुकेश रघुवंशी गुस्से में-----दिख नही रहा बहू के खून बह रहा है, जल्दी से अंदर लेकर चलो, बूत बनकर, हमें देखने के लिए नहीं बुलाया है....
मुकेश रघुवंशी यह कह कर लीविंग रूम में चलें गए, सभी लोग वहीं बैठे अपने-अपने काम कर रहे थे, रुद्र भी वही अपना लेपटॉप लेकर बैठा था, मुकेश रघुवंशी को घबराया हुआ देख, सभी परेशान हो गए.....
मुकेश रघुवंशी, रुद्र से------- रुद्र, बेटा जल्दी से डॉक्टर को बुला, बहू का बहुत ख़ून बह गया है।
रुद्र, हैरानी से जिया को देखते हुए------ भाभी तो बिल्कुल ठीक है, मम्मा और चाची भी ठीक है, फिर किसलिए???
मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ दुआ के लिए, वो भी मेरी बहू है ना!!
मुकेश रघुवंशी के शब्द सुनकर किसी को भी अपने कानों पर यक़ीन नहीं हो रहा था तभी पिछे से बाला, दुआ को अंदर ले आता है....... दुआ के हाथ से खून बहता देख रुद्र भागते हुए, उसके पास आ जाता है और जिया उसकी हालत देख, एक पल गंवाए बगैर डाक्टर को फोन कर, जल्दी से आने का कहती हैं.....
रुद्र----- यह क्या है दुआ, यह सब कैसे हुआ??? बताओ यह इतना सारा खून!!
दुआ आहिस्ता से मुस्कुराते हुए------- रुद्र परेशान नही हो, लाॅन में कांच के टुकड़े थे, मुझे दिखे नहीं, और पैर ग़लती से, कांच पर पड़ गया....
जिया----- मगर दुआ तुम्हारा......
जिया ने यही कहा था कि दुआ ने उसे चुप रहने का इशारे किया......
दुआ मुंह बनाते हुए------- आप सब लोग, अगर यूं ही मुझसे सवाल करते रहे तो ज़रूर मुझे कुछ हो जाएगा....... मैं ठीक हूं, मुझे कुछ नहीं हुआ, बस थोड़ा दर्द हो रहा है, इसलिए प्लीज़ रुद्र, डॉक्टर को जल्दी से बुला लो.....
जिया------ डोंट वरी दुआ, मैंने डाक्टर को फोन कर दिया है, वो दस मिनट में, पहुंच जाएंगे....
रुद्र, दुआ को गोद में उठा, सोफे पर बैठा देता है।
रुद्र-----बाला जल्दी से शराब की बोतल लेकर आओ......
बाला फौरन ही भाग कर शराब की बोतल ले आता है, मुकेश रघुवंशी, दुआ के बराबर में बैठ जाते हैं और दुआ का हाथ पकड़ लेते हैं, मगर दुआ को समझ ही नहीं आता कि रुद्र ने शराब क्यूं मंगवाई???....... तभी रुद्र, शराब की बोतल खोल, दुआ के हाथ और पैर पर डाल देता है, जिसकी वजह से उसके ज़ख्म में जलन होने लगती है और दुआ रोते हुए छोटे बच्चों की तरह चिखने लगती है......
रुद्र-रुद्र बहुत जलन हो रही है, प्लीज़ कुछ करो, दादू-दादू प्लीज़ आप कुछ कहें ना......
मुकेश रघुवंशी----- दुआ बेटा-बेटी, शराब डालने से खून, रूक जाता है, इसलिए रुद्र ने ऐसा किया, तुम्हारा खून पहले ही बहुत बह चुका है.....
मुकेश रघुवंशी यही कह रहे थे कि डॉक्टर भागता हुआ आ जाता है, वो फौरन ही दुआ के हाथ और पैर पर पट्टी बांध देता है फिर पेन किलर देकर चले जाता है जिसको देख, सभी सुकुन की सांस लेते हैं मगर सब अभी भी हैरानी से दुआ और मुकेश रघुवंशी को देख रहे थे।
मुकेश रघुवंशी सबको हैरान देख, मुस्कुराते हुए------ अरे भई!!! सब इतने हैरान क्यूं है, यह तो जश्न मनाने का समय है, मुस्कुराओ, खुशियां मनाओ!!
जिया हकलाते हुए------- मगर दादू..... मेरा मतलब है.....आप....वो!!!
मुकेश रघुवंशी हंसते हुए-----अरे, अब यही कहती रहोगी या मन के अंदर उथल-पुथल मचा रहे, सवाल भी पूछोगी....... चलो तुम लोगों के सवालों से पहले, मैं ही बता देता हूं!
मुकेश रघुवंशी, दुआ को देखते हुए------ बेटा अपना हाथ दो...
दुआ हैरानी से मुकेश रघुवंशी को देखती है और अपना हाथ आगे बढ़ा देती है।
मुकेश रघुवंशी अपने हाथ से एक हिरे से जड़ी अंगुठी उतार उसकी उंगली में पहना देते हैं।
सभी लोग हैरानी से एक-दूसरे को देखने लगते हैं......
मुकेश रघुवंशी------- बेटा यह मेरे दादा की अंगूठी है, उन्होंने मुझे यह अपने आशिर्वाद के रूप में दी थी और आज मैं उनका आशीर्वाद तुम्हे देता हूं, तुमने कहां था ना मेरे आशिर्वाद के बग़ैर तुम्हारी खुशियां अधूरी है तो देखो, मैंने तुम्हारी ख्वाहिश पूरी कर दी......
दुआ मुस्कुराते हुए------ थैंक यू दादू!!!
मुकेश रघुवंशी------ अच्छा, अब सब सुन लो, कल हम दुआ के लिए और कुन्ती बहू के आने वाले बच्चे की खुशी में बहुत बड़ी पार्टी कर रहे हैं तो सब लोग अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दें, कल के जश्न में कोई कमी नहीं होनी चाहिए और दुआ बेटा, तुम जाकर आराम करो, कल तुम और कुन्ती बहू ही पार्टी की शान बनने वाले हो.......
मुकेश रघुवंशी----- रुद्र, बेटा दुआ को कमरे में ले जाओ, उसे आराम की ज़रूरत है।
रुद्र कुछ कहें बग़ैर, चुपचाप दुआ को गोद में उठा, कमरे में ले जाता है....... रुद्र, दुआ को बेड पर बैठा, कुछ कहें बग़ैर जाने लगता है तो दुआ, रुद्र का हाथ पकड़ लेती है।
दुआ -------- क्या बात है??? कुछ बुरा लगा है तुमको???
रुद्र हाथ छुड़ाते हुए------- नही, मुझे कुछ क्यूं बुरा लगेगा??? तुम आराम करो, तुम्हे आराम की ज़रूरत है, दुसरो को मनाने के लिए पहले ही, खुद को बहुत तकलीफ़ दे चुकी हो।
दुआ हैरानी से------ मतलब??? रुद्र मैंने बताया ना....
रुद्र गुस्से में आंखें बंद करते हुए------- दुआ मैंने कोई सवाल नही किया इसलिए प्लीज़ कोई सफाई भी नही दो...... आराम करो।
यह कह कर वो फिर जाने के लिए मुड़ता है तो दुआ उसको रोकने के लिए बिस्तर से उठने की कोशिश करती है कि तभी पैर में तकलीफ़ की वजह से उसकी चीख निकल जाती है, रुद्र फौरन ही सब भुल उसके पास आ जाता है.....
रुद्र उसे बिस्तर पर बैठाते हुए-------- इतनी ज़िद्दी क्यूं हो???? अपनी तक़लीफ की ज़रा परवाह नहीं है!!! खुद को क्या समझ रखा है????
दुआ मुस्कुराते हुए, रुद्र की नाक छूते हुए--------- एक बहुत ज़िद्दी इंसान की बीवी, जो फिलहाल मुझसे खफा हैं, जिसकी नाक पर हमेशा गुस्सा रहता है, बस छोटी सी ग़लती हो जाएं किसी से तो मेरा नकचड़ा शौहर उसका जीना हराम कर दें!
रुद्र, दुआ की कलाई पकड़ते हुए------ यह छोटी ग़लती है????
रुद्र के सवाल पर दुआ नज़रें झुका लेती हैं।
रुद्र, उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए------ बताओ मुझे, क्या यह छोटी ग़लती है???? दुआ, तुमको क्या लगता है, तुम झूठी कहानी सुनाओगी और मैं सबकी तरह यक़ीन कर लुंगा???
दुआ जो आंखों की बात समझते हैं, वो लफ़्ज़ों की गहराई पल भर में जान लेते हैं.....
अब दुआ की आंखे नम हो गई थी, यह सोचकर की उसने रुद्र को ना चाहते हुए भी तकलीफ़ पहुंचा दी........यह देख, रुद्र फौरन अपना गुस्सा कंट्रोल कर लेता है.....
रुद्र परेशानी से........ प्लीज़ दुआ, आंसु नहीं!! तुम जानती हो ना मुझे तुम्हारे आंसु पसंद नही है....... मुझे गुस्सा आया कि तुमने दादू को मनाने के लिए, इतना बड़ा क़दम उठा लिया, एक बार भी नही सोचा, खुद को तकलीफ़ देने से पहले, कि अगर उनका दिल नहीं पिघलता तो मेरा क्या होता, मैं तो मर जाता ना, दुआ क्यूं नहीं समझती तुम मेरी ज़िन्दगी हों, यूं ही अपनी जान दाओ पर नहीं लगा सकती तुम.
यह कहते हुए रूद्र की आंखें भी नम हो चुकी थी, यह देख दुआ रोते हुए उसके गले लग जाती है!
दुआ------ एम् सोरी रुद्र, एम् रिअली सोरी....... फिर कभी ऐसी ग़लती नहीं करुंगी, प्रोमिस..... मगर मैं क्या करती, आज पहली बार दादू से बात करने का मौक़ा मिला था वो नही खो सकती थी........ मैंने खुद से वादा किया था, तुमको तुम्हारा परिवार लौटा कर रहुंगी तो बस अपना वादा निभाने के लिए......
दुआ यही कह रही होती हैं कि रुद्र उसके होंठों पर उंगली रख देता है.....
रुद्र------- शशशशश!!! बस मुझे कुछ और नही सुनना, सिर्फ वादा चाहिए, कि फिर कभी, किसी के लिए भी, तुम मुझसे दूर होने का नहीं सोचोगी.... वरना मैं सबकुछ भुल, पहले उस इंसान को ही मार दूंगा जिसके लिए तुम खुद को चोट पहुंचाओगी.........
दुआ हां मैं सिर हिलाते हुए-------- पक्का वादा ....... फिर कभी ऐसा नहीं करुंगी।
रुद्र, अपना मूड ठीक कर, दुआ को हंसाने के लिए -------- चलों इसी बहाने सही, आज मेरी बीवी ने मुझे गले तो लगाया वैसे अब तो मैं दिल खोलकर रोमांस कर सकता हूं ना???
रुद्र की बात सुन, दुआ शर्मा जाती है, मगर फौरन ही बात बदल देती है।
दुआ, रुद्र को अनसुना करते हुए------ रुद्र तुमने देखा, दादू ने मुझे अपनी कितनी क़ीमती अंगूठी दी है।
रुद्र मुस्कुराते हुए दुआ के क़रीब आ------ देखा मैंने, कि कैसे सबका जीत लिया तुमने मगर मेरा क्या, मेरे बेचारे दिल का क्या कसूर है जो इसको इतना दूर रहने की सज़ा दी जा रही है???
दुआ मासुमियत से------- रुद्र अभी देखो, कितनी चोट लग गई मुझे, मैं क्या कह रही हूं.......
रुद्र---- एक-एक मिनट दुआ....
दुआ हैरानी से उसे देखती है वो फौरन ही बेड पर दुसरी तरफ, उसके बराबर में बैठ, उसका सिर अपने सिने पर रख लेता है।
रुद्र मुस्कुराते हुए------ हां, अब बोलो, अब मुझे बस तुम्हें सुनना है।
दुआ, इस वक्त समझ ही नहीं पाती कि क्या कहें और क्या नहीं इसलिए ख़ामोश हो जाती है......
रुद्र उसके सिर पर हाथ फेरते हुए----- बोलो ना दुआ, क्या कह रही थी...... मैं बस तुम्हें सुनना चाहता हूं।
दुआ अपना होंठ काटते हुए------- वो रुद्र, मैं कह रहीं थी, कोई अगर आ जाएगा तो क्या सोचेगा????
रुद्र हंसते हुए-------- मेरी प्यारी बीवी, लोग क्या सोचेंगे, अगर यह भी तुम सोचोगी तो वो क्या सोचेंगे...... कुछ तो छोड़ दो, दुसरो के लिए....
दुआ उससे दूर होते हुए, गुस्से में -------- मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो तुम????
रुद्र अपनी हंसी दबा हां मैं सिर हिलाते हुए-------- न-नही तो......
दुआ गुस्से में, रुद्र को घूरते हुए-------- त-तुम, जाओ मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी.....
रुद्र हंसते हुए, पिछे से दुआ के कन्धे पर अपना चेहरा रख------- मुझसे नाराज़ हो गई, मेरी बीवी???
दुआ, झटके से अपना कंधा हटाते हुए------- हां, बिल्कुल!!!
रुद्र उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए-------- अच्छा बाबा, मज़ाक कर रहा था, तुमको पता तो है, तुमको गुस्से में देख, मुझे तुम पर और ज़्यादा प्यार आता है, पता है क्यों????
दुआ मुंह बनाते हुए-------- क्यों????
रुद्र मुस्कुराते हुए------ क्योंकि हमारी हंसी सबके लिए होती है मगर गुस्सा सिर्फ उन लोगों के लिए जिन पर हम अपना हक़ समझते हैं, जो हमारे बहुत क़रीब होते हुए!
दुआ मुंह खोलते हुए-------- ओहहह!! इसी लिए, शादी से पहले, मैं जब भी गुस्सा करती थी तो तुम खुश हो जाते थे।
रुद्र मुस्कुराते हुए-------- हम्ममम!! अब सच-सच बताओ, हक़ समझती थी ना, यक़ीन था ना कि तुम कितना भी गुस्सा कर लो, मैं तुमको छोड़ूंगा नहीं!!
दुआ सोचते हुए आहिस्ता से--------- हां शायद, इसलिए ही जब सिंगापुर में तुम अकेले आ गए थे तो मुझे यक़ीन ही नहीं हो रहा था।
रुद्र छेड़ते हुए------- अच्छा...... तो मतलब मैडम जी को वहीं मुझसे मोहब्बत हो गई थी मगर उसके बाद भी, मुझे इतना परेशान किया, अब देखो, मैं तुमको कितना परेशान करता हूं!
यह कहते हुए रुद्र उसको गुदगुदी करने लगता है.
दुआ हंसते हुए.... रुद्र, प्लीज़- प्लीज़ नही करो, एम् सोरी.....
रुद्र हंसते हुए------- ऐसे-कैसे सोरी...... अब ग़लती की है तो सज़ा तो मिलेगी, बराबर मिलेगी!
दुआ हंसते हुए------- अच्छा-अच्छा, ठीक है तुम्हारी सारी सज़ा मंज़ूर है, मगर प्लीज़ गुदगुदी नहीं करो।
रुद्र रुकते हुए----- पक्का???
दुआ लम्बी सांस लेते हुए------ पक्का!!! मगर देखो, अभी चोट लगी है ना, आज माफ़ कर दो प्लीज़।
रुद्र, छोटे बच्चे की तरह दुआ के दोनों गाल खिंचते हुए------ ओके मेरा बेबी.....
दुआ मुंह बनाते हुए------ आउच, रुद्र ऐसे नहीं करते, मैं बच्ची थोड़ी नही हूं।
रुद्र दोबारा उसका सिर अपने सिने पर रखते हुए------- हम्ममम!!! मगर मैं तो ज़िन्दगी भर, तुमको छोटे बच्चे की तरह अपनी पलकों पर रखना चाहता हूं, बच्चों की तरह तुम्हारे नखरे उठाना चाहता हूं, तुम्हारी हर ज़िद्द, हर ख्वाहिश पूरी करना चाहता हूं, बच्चों की तरह लड़ना चाहता हूं और बहुत ज़्यादा परेशान भी करना चाहता हूं और हर रोज़ यूं ही तुम्हें अपनी बाहों में भर अपनी खुशकिस्मती पर यक़ीन करना चाहता हूं।
वो इसी तरह पता नहीं क्या-क्या कह रहा था मगर दुआ उसकी किसी बात का जवाब नहीं दे रही थी, थोड़ी देर बाद जब वो दुआ का चेहरा देखता है तो वो सो चुकी होती है, दुआ को सोता देख, रुद्र उसके सिर पर किस करते हुए------- आई लव यू, बस इसी तरह हमेशा, मेरे साथ रहना, कभी मुझसे दूर नही जाना, वरना रब से भी लड़ना पड़ा ना तो भी हार नही मानूंगा उस रब से भी छिन लाउंगा तुम्हें------- रुद्र की आवाज़ से, दुआ की निंद खराब होने लगती है तो वो मुस्कुराते हुए एक पल उसे देखता है फिर चुप हो जाता है और आंखें बंद कर खुद भी सोने लेट जाता है
बाकी अगले भाग में:-।