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भाग 9

8 दिसम्बर 2021

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रात कब गुज़र जाती है, मुकेश रघुवंशी को पता ही नहीं चलता, रुद्र उनकी आंखों का तारा, उनके दिल की धड़कन आज उनसे इतना दूर हो गया था, वो अपनी जान का दुश्मन बन बैठा, उनकी आंखों के सामने उसने अपने ज़ख्म को और गहरा बना लिया और वो कुछ नहीं कर सके, यह कैसा इम्तेहान था उनका, एक तरफ उनके पोते की ज़िन्दगी थी और दूसरी तरफ दुनिया के सवाल, बेहिसाब ताने......फैसला बहुत ही मुश्किल था और वक्त बहुत कम........ दिल तो पोते की तकलीफ़ पर जैसे कट रहा था, दिल के हिसाब से रुद्र की कहीं हर बात सही थी मगर दिमाग उलझा था दुनिया के सवालों में, बरसों का कमाया नाम गंवाने के आसार दिख रहे थे........कभी गुस्सा तो कभी पोते की मोहब्बत ज़ोर पकड़ रही थी....

मुकेश रघुवंशी यही सब सोच रहे थे कि बाला आकर बताता है कि अजय के साथ डाक्टर सिद्दीकी आ गए हैं।

मुकेश रघुवंशी सोचते हुए------- हम्मम! ऐसा करो उनको यहां ले आओ, मगर अजय को बाहर ही रखना।

बाला "हां" कह कर चला जाता है.......

बाला-------- डॉक्टर सिद्दीकी, आप मेरे साथ अंदर आए और अजय तुम यहीं रुको------

बाला की बात सुन अजय की जान अटक सी जाती है, उसे समझ नही आता कि वो क्या करे, पता नहीं, दादू क्या सोच रहे हैं??? कहीं डाक्टर साहब के साथ कुछ हो ना जाएं???-----अब अजय को बुरे ख्याल आने लगे थे।

दुसरी तरफ डाक्टर सिद्दीकी कमरे के अंदर आते हैं तो बाला बाहर से दरवाज़ा बंद करके चला जाता है....... 

डॉक्टर सिद्दीकी कमरे में इधर-उधर देखते हैं तो मुकेश रघुवंशी राॅकिंग चेयर पर बैठे खिड़की से बाहर देख रहे होते हैं..... इससे पहले मुकेश रघुवंशी कुछ कहते, डॉक्टर सिद्दीकी बोल पड़ते हैं।

डॉक्टर सिद्दीकी----- कहां है, वो धोखेबाज़ तुम्हारा पोता????‌ मैं उसे नही छोड़ूंगा!!

डॉक्टर सिद्दीकी के लफ़्ज़ सुनकर, मुकेश रघुवंशी का गुस्से से बुरा हाल हो जाता है, एक ही पल में उनकी सारी सोचें दम तोड़ देती है, अभी तक तो वो फैसला भी नही कर पाए थे और सिद्दीकी उनके घर में आकर उनके ही पोते को उनके सामने धोखेबाज़ कह रहा था।

मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ डॉक्टर सिद्दीकी अगर ‌अपने परिवार से ज़रा भी प्यार है, तो मेरे परिवार के किसी सदस्य पर ऊंगली उठाने की कोशिश भी नहीं करना।

डॉक्टर सिद्दीकी गुस्से में----- जैसा दादा, वैसा पोता, धमकियां देने के अलावा कुछ आता है या नही???

डॉक्टर सिद्दीकी के शब्द सुनकर मुकेश रघुवंशी का दिल चाह रहा था वो उसे वही गाड़ दें, 

मुकेश रघुवंशी गुस्से में डाक्टर सिद्दीकी के पास आते हुए------ सही कहा तू ने, जैसा दादा, वैसा पोता, आज तक मैं कभी नहीं हारा तो मेरा पोता कैसे हार जाएगा, अब तक तेरी बेटी तेरे घर थी क्योंकि मेरा पोता अकेला था मगर अब उसका दादा उसके साथ है।

डॉक्टर सिद्दीकी----- मुकेश रघुवंशी मैं अपनी बेटी को इस घर की बहू बनाने से पहले, खुद उसका गला दबा कर उसे मार दूंगा, दुआ कभी, रुद्र की नही होगी, वो उसके लिए तड़प-तड़प कर मर भी जाएगा ना तब भी मैं दुआ को उसका नहीं होने दूंगा।

यह सुनकर मुकेश रघुवंशी अपने गुस्से पर काबू नही रख पाते, पहली बार उनके सामने कोई इतना बोल रहा था, वो भी उनके उस पोते के बारे में, जो उन्हें जान से भी ज़्यादा प्यारा था.....चाहें वो अपने पोते से कितने भी नाराज़ सही, मगर कोई दुसरा उनके पोते के बारे में ग़लत बात करें यह वो बर्दाश्त नहीं कर सकते थे.......

जहां अब तक वो खुद रुद्र को दुआ से दूर करना चाहते थे वहीं डाक्टर सिद्दीकी की बातें सुन उन्होंने गुस्से में फैसला कर लिया था.......

मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए----- सिद्दीकी अपनी ज़ुबान पर काबू रख, ऐसा ना हो यह ज़ुबान यहीं छोड़ कर जानी पड़े, तू मेरे पोते को तड़पाना चाहता है???..... 

अब ध्यान से सुन, वो मेरा पोता है, जिस लड़की पर हाथ रखेगा ना, वो उसकी होगी, ख़ुशी से या ज़बरदस्ती से, कल सुबह 10 बजे से पहले अगर तू अपनी बेटी को खुद यहां लेकर नहीं आया, अपने पूरे परिवार के साथ, तो कल 11 बजे तक अपनी बीवी और बच्चे को दफनाने के लिए गड्ढा खोद लियो.....

क्योंकि बारह बजे तक तेरी बेटी को छोड़, पूरे सिद्दीकी परिवार को दफ़ना दूंगा, बहुत बड़ी बात कही है तूं ने मेरे पोते के लिए......अब मेरे पोते की शादी तेरी ही बेटी से होगी और तू कुछ नही कर सकेगा.......अब घर जा और शादी की तैयारी कर....

मुकेश रघुवंशी की गुस्से से लाल आंखें और ज़ोरदार आवाज़ से डाक्टर सिद्दीकी की बोलती बंद हो गई थी....... डॉक्टर सिद्दीकी को समझ नही आ रहा था वो करें तो क्या करें।

तभी मुकेश रघुवंशी, बाला को आवाज़ देकर, सिद्दीकी को बाहर छोड़ कर आने का कहते हैं..... बाला, सिद्दीकी को बाहर ले जाता है, मुकेश रघुवंशी भी गुस्से में अपने कमरे से बाहर निकलते हैं तो घर के सभी लोग लीविंग रूम में बैठे, उनका इंतेज़ार कर रहे होते हैं।

मुकेश रघुवंशी, सबको देखते हुए-------- तुम लोग ऐसे क्यूं बैठे हो, जाओ जल्दी से जाकर शादी की तैयारीयां शुरू करो.

सभी लोग हैरानी से एक साथ-------- शादी??????

मुकेश रघुवंशी------- हां शादी, रुद्र मेरा पोता है, मुकेश रघुवंशी का, ऐसा कैसे हो सकता है कि वो कोई चीज़ पसंद करें और वो उसे ना मिले।

अजय हैरानी से------- मगर दादू, मिस्टर सिद्दीकी????

मुकेश रघुवंशी तन्ज़िया हंसी हंसते हुए------ वो सिद्दीकी, हम रघुवंशियों का मुकाबला नहीं कर सकते, तुम लोग तैयारी शुरू करो, कल रुद्र की शादी हैं।

अजय, को यह ख़बर सुनकर जितनी खुशी हुई थी, उतना ही डर सता रहा था, क्योंकि अचानक से ही दादू के तेवर बदल गए थे, इसके पीछे कोई न कोई तो बात थी।

********

फरहान सिद्दीकी पूरे रास्ते, सोचते रहते हैं कि क्या करें और क्या नहीं, उनको कोई तरीक़ा समझ नही आता, रघुवंशियों की ताक़त से वो अंजान नहीं थे, पुलिसवालों के लिए तो उनका नाम ही काफी था, अब सिर्फ एक ही रास्ता था इस मुसीबत से निकलने का, कि वो दिल्ली छोड़कर ही चलें जाए------

वो यही सब सोचते हुए जल्दी से घर पहुंचते हैं और सबको पैकिंग करने के लिए कह देते हैं, यूं अचानक पैकिंग के नाम पर सभी हैरान हो जाते हैं, कि वो तो अजय के साथ, रुद्र के घर गए थे, फिर अचानक यह पैकिंग क्यों, मगर इस वक्त, फरहान सिद्दीकी से कुछ भी पूछने का मतलब था, मुसीबत को दावत देना.....

सभी लोग जल्दी-जल्दी पैकिंग में लग जाते हैं, क्योंकि फरहान सिद्दीकी पहले ही हिदायत दे चुके थे कि सिर्फ बहुत ज़रूरी सामान ही पैक करना है, जैसे ज़रूरी कागज़ात, कुछ कपड़े और गहने तो बस सभी लोग मिलकर 2 घंटों में पूरी पैकिंग कर लेते हैं, मगर जैसे ही फरहान सिद्दीकी सबको लेकर घर से निकलने वाले होते हैं, तभी दरवाज़े पर घंटी बजती है......फरहान सिद्दीकी, आकिब को दरवाज़े पर देखने के लिए भेजते हैं कि कौन आया है------

आकिब जाकर दरवाज़ा खोल, सामने खड़े लोगों को देख कर पूछता है, मगर बाला के साथ 5-6 मर्द, आकिब की बात का कोई जवाब नहीं देते और घर के अंदर आ जाते हैं।

बाला सीधा लीविंग रूम में चला जाता है, बाला को देखते ही फरहान सिद्दीकी की सांस अटक जाती है।

फरहान सिद्दीकी----- त-तुम यहां???

बाला हाथ जोड़ते हुए----- नमस्कार डाक्टर साहब, दरअसल दादू को चिंता हो रही थी कि लड़की के बाप हो, अचानक शादी की इतनी सारी तैयारी कल तक कैसे करोगे, इसलिए उन्होंने हम लोगों को मदद के लिए भेजा है।

बाला एक लड़के की तरफ देखते हुए---- अमन, बहुरिया के लिए जो समान आया है गाड़ी से निकलव।

बाला की बात सुनते ही, सभी लोग हैरानी से फरहान सिद्दीकी को देखने लगते हैं और किसी को भी समझने में देर नहीं लगती कि माजरा क्या है???

बाला बंधे समान को देखते हुए------- अरे डॉक्टर साहब!!!! भागने का इरादा था, क्या ????? भुल गए क्या??? दादू आप से दो क़दम आगे है....

डॉक्टर सिद्दीकी थोड़ा झिझकते हुए----- न-नही तो!!

बाला------खैर यह लीजिए समान, दादू ने कहा है कल दुल्हन यही ज़ेवर और कपड़े पहन कर तैयार होनी चाहिए, रुद्र बेटा की दुल्हन है, ऐसे ही थोड़ी नही चली जाएगी।

देखते ही देखते उन लोगों ने समान से पूरा कमरा भर दिया था, फरहान सिद्दीकी इस वक्त खुद को बहुत ही कमज़ोर महसूस कर रहे थे, उन्होंने अगर ना कहने की कोशिश भी की तो यक़ीनन उनका परिवार उनके सामने मार दिया जाएगा और वो फिर भी, दुआ को रुद्र का होने से नहीं रोक सकेंगे......

साएरा बेगम, फरहान सिद्दीकी को सोच में गुम देखती है तो सिचुएशन संभालते हुए वो आगे बढ़कर बाला को बैठने के लिए कहती है।

साएरा बेगम मुस्कुराते हुए------- अरे बेटा, तुम फ़िक्र नहीं करो, कल दुआ यही सब पहन कर तैयार होगी, और यह समान तो हम लोगों ने दुआ की शादी के लिए ही इकट्ठा किया था तो बस वही देख रहे थे, इतनी जल्दी में, बच्ची को क्या दे सकते हैं क्या नहीं.....खैर तुम बैठो, चाय पी कर जाना, मैं जल्दी से बनाकर लाती हूं।

बाला मुस्कुराते हुए----- अम्मा जी, हम सब तो शादी के मेहमान है, अब हम लोग तो कल, बहुरिया को लेकर ही जाएंगे।

साएरा बेगम वैसे ही मुस्कुराते हुए------ यह तो बहुत अच्छी बात है, चलो फिर बैठे क्यों हो, मेरे साथ आओ, शादी की तैयारियां शुरू करते हैं, मैं बताती हूं, किस-किस को, क्या-क्या करना है।

साएरा बेगम का ऐसा रवैया देख सभी हैरान हो जाते हैं मगर बाला के कहने पर सभी लोग, साएरा बेगम की बात सुन, उनके हिसाब से अपने-अपने कामों में लग जाते हैं, बाला, आकिब को अपने पास बिठा कर रखता है, जिसको देख फरहान सिद्दीकी की जान सुख रही होती हैं, इस डर से की कहीं, बाला उसे कोई नुक्सान ना पहुंचा दें।

********

अमित जी परेशान होते हुए----- सर आप सिंगापुर यूं अचानक क्यों जाना चाह रहे हैं??? मेरा मतलब है आपने कहा था, पहले आपको लखनऊ का प्रोजेक्ट कम्प्लीट करना है और अभी आपकी तबियत भी ठीक नहीं है।

दवाई खाने के बाद भी अब तक आपका बुखार कम नहीं हुआ है, डॉक्टर भी कोई मुनासिब वजह नही बता रहा........सर, आप कहें तो मैं कोई और अच्छा डॉक्टर बुला लेता हूं।

अहान भारी आवाज़ में, मुस्कुराते हुए-----यह इश्क़ का रोग है, अमित जी जान लेकर जाता है, मुझे तो फिर भी बस बुखार हुआ है।

अमित जी परेशानी से----- सर आप कैसी बातें कर रहे हैं, प्लीज़ ऐसा नही कहें।

अहान रुंधी हुई आवाज़ में----- पता है, ऐसा लग रहा है, जैसे वो मुझसे दूर जा रही है अमित जी, जानते हो मुझे अब इस इंतेज़ार से डर लगने लगा है, कहीं मैं उसे खोना दूं???

अमित जी------सर आपने ही तो कहा था ना, आप अपनी दुआओं से अपनी किस्मत बदल देंगे, फिर आप कैसे हार मान सकते हैं, अल्लाह के घर देर है अंधेर नहीं, वो आपकी दुआएं, ज़रूर कुबूल करेंगा, बस आप यक़ीन रखें और वैसे भी जो आपको अब तक मिला ही नहीं, उसे खोने का डर कैसा????

अहान हल्का सा मुस्कुराते हुए----- अमित जी, यह मोहब्बत चीज़ ही ऐसी होती है, लाख दुरियों पर भी, उसे आपसे जोड़े रखती है और कभी नज़दीकियां होते हुए भी, दूर होने पर मजबूर कर देती है।

वो मुझसे दूर सही, मगर मैं उसे महसूस कर सकता हूं, उससे बहुत अजीब रिश्ता जोड़ दिया है अल्लाह ने...... ना जाने वो कहां है और क्या कर रही है, पता नहीं वो ठीक है भी या नहीं मगर आज मेरे अंदर एक उम्मीद टूट-सी रही है, एक अजनबी सा डर सता रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे मैं हार रहा हूं, पता नहीं क्यों, कैसे मैं खुद को उससे जुड़ा हुआ महसूस करता हूं।

अमित जी----- सर, मुझे लगता है, आप पर दवाईयों का असर हो रहा है, आप प्लीज़ ज़्यादा नहीं सोचें, थोड़ा आराम करें, सब ठीक हो जाएगा।

अमित जी यह कह कर उसे होटल के कमरे में अकेला छोड़ चले जाते है और अहान खुद से ही कुछ-कुछ बड़बड़ाता रहता है।

**********

रात के नौ बज रहे थे, जब रुद्र को होश आता है, उसे अपना सिर पत्थर-सा भारी लग रहा था, वो अपना हाथ देखता है, जिसको उसनेे शराब से जला लिया था, अब उस पर पट्टी बंधी हुई थी, तभी उसे बाला याद आता है जो उसे बेहोश कर घर वापस ले आया था, वो सब याद आते ही फौरन बिस्तर से उठ जाता है और अपने कमरें में चारों तरफ नज़र दौड़ाता है कि कहीं कोई उसके कमरे में है तो नहीं...... किसी को कमरे में ना पाकर, घर छोड़ने के इरादे से वो खुद को संभालता हुआ बिस्तर से उतरता है कि तभी कमरे में अजय आ जाता है।

अजय हैरानी से----- रुद्र तेरी तबियत ठीक नहीं है, लेट जा, आराम कर!!

रुद्र गुस्से में------ अजय, मैं इस घर में एक पल नहीं रहुगा, दादू क्या समझते हैं, मुझको यूं बेहोश रख कर वो मुझे रोक सकते हैं, इस घर में???

अजय------ अच्छा तो तूने पक्का फैसला कर लिया है कि तू यह घर छोड़ कर जा रहा है???

रुद्र------ तुझे क्या लगता है मैं मज़ाक कर रहा हूं???

अजय---- नही मैं तो इसलिए पूछ रहा था क्योंकि कल दुआ शादी कर रही है, अब आज तू चला जाएगा तो.....

रुद्र तकरीबन चिल्लाते हुए----- क्या????? डॉक्टर सिद्दीकी, ऐसा कैसे कर सकते हैं, मैंने उन्हें समझाया था मगर नहीं, शायद उनको प्यार की भाषा समझ नहीं आती, मुझे अभी सिद्दीकी हाउस जाना है!!

अजय अफसोस जताते हुए----- हम्मम यह तो है, चल कोई नही, अब तू घर छोड़ कर जा ही रहा है, तो क्या फ़र्क पड़ता है दुआ की शादी किससे हो रही है, कोई नहीं तू घर छोड़कर चले जा कल दुआ से शादी मैं कर लूंगा।

रुद्र गुस्से से घूरते हुए-----अजय यह क्या बकवास है???

अजय उसका गुस्सा देख फौरन ही कान पकड़ते हुए.....

अजय----- साॅरी-साॅरी, मज़ाक कर रहा था यार, दुआ तो मेरे लिए बहन जैसी है, दिल पर नहीं लें।

रुद्र घूरते हुए------ हट मेरे रास्ते से!!!

अजय----- भाई, ज़रा शांत, थोड़ा आराम कर कल सच में, शादी हैं तेरी!!!

रुद्र आंखें छोटी करते हुए------ क्या????? तू सच कह रहा है????

अजय ----- तेरी कसम, कल तेरी और दुआ की शादी है जो दादू खुद करवाने वाले है।

अब रुद्र हैरानी से------ मगर यह कैसे मुमकिन हो सकता है, मेरा मतलब है!!

अजय मुस्कुराते हुए------ बस समझ लें, शिव जी ने आख़री वक्त पर बाज़ी पलट दी, तू सही कहता था, शिव जी तेरे साथ है, तुझे हारने नहीं देंगे....

रुद्र खुशी से, अजय के गले लगते हुए------- थैंक यू सो मच, इतनी अच्छी ख़बर सुनाने के लिए, मुझे यक़ीन ही नहीं हो रहा, कल तक जो बिल्कुल नामुमकिन लग रहा था वो आज एक ख्वाब सा लग रहा है।

मैं अभी दादू से मिलकर आता हूं।

अजय, रुद्र का हाथ पकड़ते हुए------ अरे!! इतनी जल्दी क्या है, एक बार शादी हो जाएं, फिर सबको थैंक्स बोल दियो।

रुद्र------ मगर अभी दादू से बात करना तो बनता है ना, मुझे जानना है आखिर अचानक वो कैसे मान गए और उन्होंने डाक्टर सिद्दीकी को कैसे मनाया??

अजय, रुद्र को रोकते हुए------- क्या फ़र्क पड़ता है, जाने देना, तू आराम कर, अब ज़्यादा बातें नहीं कर, कल तेरी शादी हैं, वैसे भी कल सुबह जल्दी उठना है।

रुद्र ------- मगर अजय पता तो चलना चाहिए ना, आखिर यह लोग अचानक राज़ी कैसे हो गए????

अजय अपना सिर पकड़ते हुए------- अच्छा, ठीक है, जो पता करना है, कल कर लेना फिलहाल सो जा...... दादू भी बस अभी अपने कमरे में आराम करने गए हैं, बिचारे कब से तेरी शादी की तैयारियों में लगे थे और तू उन पर शक कर रहा है।

रुद्र------- नहीं तो, मेरा वो मतलब नहीं था ......चल ठीक है, कल सुबह ही दादू से बात कर लूंगा।

रात के नौ बज रहे थे और अब तक बाला के आदमियों ने सिद्दीकी हाउस को साएरा बेगम के कहने के मुताबिक पूरी तरह सजा दिया था, पूरा घर रौशनी में नहा रहा था मगर सभी के दिलों में घना अंधेरा छाया हुआ था, हर जगह फूलों की खुशबू महक रही थी मगर फिर भी सब के चेहरों पर ऐसे उदासी छाई थी जैसे सच में किसी का‌ जनाज़ा उठने वाला हो, पूरे घर में अलग ही मातम छाया हुआ था।

साएरा बेगम दुआ के कमरे में जाती है तो देखती है वो इस वक्त पहले से भी ज़्यादा बीमार लग रही थी।

साएरा बेगम मुस्कुरा कर, दुआ के सिर पर हाथ फेरते हुए------ दुल्हनों को यह उदासी शोभा नहीं देती दुआ, कल तुम्हारी ज़िन्दगी का सबसे ख़ास दिन है, इस ख़ास दिन की खासियत कम नहीं करो, चलों अब मुस्कुराओ।

उनकी बातें सुन, दुआ की आंखे भर आती है------- कैसा ख़ास दिन नानू???? मैंने बाबा का सिर झुका दिया, उनकी इज़्ज़त को मिट्टी में मिला दिया, वो मुझसे नफरत करते हैं, तो कैसी खुशी, काश कल का दिन देखने से पहले मैं मर जाऊं, फिर ना मेरे बाबा का सिर झुकेगा ना दो परिवार टूटेंगे, सबकी इज़्ज़त रह जाएंगी।

साएरा बेगम, दुआ का चेहरा अपने हाथों में लेकर----- मेरी तरफ देखो ज़रा, आज के बाद मरने की बात कभी अपनी ज़ुबान पर नहीं लाना, तुम इस घर की एकलौती बेटी हो, तुम्हारे बाबा, अभी तुमसे ज़रूर गुस्सा है लेकिन जिस दिन उनको रुद्र की मोहब्बत समझ आ जाएगी, उस दिन वो रुद्र को अल्लाह की रहमत मानेंगे.....

पता है हर बेटी के मां-बाप चाहते हैं, अपनी बेटी के लिए ऐसा लड़का ढूंढें जो उनकी बेटी से उनसे भी ज़्यादा प्यार करें, जो उसके लिए पूरी दुनिया से लड़ सके, और मेरी बच्ची यह सारी खुबियां है रुद्र में, बेटा हमसफ़र के लिए एक अच्छा इंसान चुना जाता है जो आपको समझें, आपके लिए जीने-मरने के लिए तैयार हो फिर चाहे उसका धर्म कुछ भी हो......

मैं यह नहीं कह रहीं कि धर्म मायने नहीं रखता मगर उस धर्म का क्या फायदा जो अपने बच्चों को ज़िन्दगी भर तड़पने पर मजबूर कर दें, धर्म प्यार का गला नहीं घोटता अगर ऐसा होता तो सच्ची मोहब्बत करने वालों का साथ, अल्लाह कभी नहीं देता....

बेटा मोहब्बत एक पाक जज़्बात है और शादी एक फर्ज़ तो जब यह दोनों ही चीज़ सही है तो तुम खुद को क्यों गुनाहगार समझ रही हो???

दुआ रोते हुए----- मगर नानू...

साएरा बेगम------ अगर-मगर कुछ नही, तुम खुशनसीब हो, और एक बहुत अच्छी बेटी भी तुम्हारी मां और मैं बहुत खुश हैं तुम्हारे लिए, बस इस वक्त तुम्हारी मां यह ज़ाहिर नहीं कर सकती तुम्हारे बाबा की वजह से......

दुआ हैरानी से------- आप सच कह रही है नानू????

साएरा बेगम, दुआ के आंसु साफ करते हुए------ बिल्कुल सच मेरी बच्ची, इसलिए अब तुम अपने बाबा की फ़िक्र छोड़ अपनी आने वाली ज़िन्दगी के बारे में सोचों, आज नहीं तो कल तुम्हारे बाबा मान ही जाएंगे और तुम दोनों की शादी को भी क़ुबूल कर लेंगे.......

बस इसके चक्कर में तुम अपनी शादी को अनदेखा नहीं करो, समझ लो यह अल्लाह की मर्ज़ी है, जो सबके ना चाहते हुए भी अचानक यह शादी हो रही है और याद रखो अल्लाह की रज़ा में ख़ुश रहना ही एक सच्चे मुसलमान की पहचान है.....समझी????

दुआ हां मैं सिर हिलाते हुए------- हम्मम!!

साएरा बेगम--------- शाबाश मेरा बच्चा, अब जो मैं कहने जा रही हूं, उसे बहुत ध्यान से सुनना और हमेशा याद रखना....

दुआ-------- नानू मैं आपकी समझाई हर बात, मरते दम तक याद रखूंगी.....

साएरा बेगम-------------बेटा कल से तुम रुद्र की बीवी कह लाओगी, और एक बीवी बनना बेटी होने से कहीं ज़्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि एक बीवी के साथ तुम एक बहू भी होगी, तुम्हारा फर्ज़ सिर्फ रुद्र के बारे में सोचना नहीं होगा, तुमको उसकी ख़ुशी, उसके दुःख के साथ-साथ अपने ससुराल वालों का भी ख्याल रखना होगा.......यह कभी नही सोचना उनका धर्म क्या है, वो लोग क्या करतें हैं क्या नहीं बल्कि हमेशा इस बात का ख्याल रखना की अब वो तुम्हारा परिवार है.....

बेटा अल्लाह ने तुम्हारी मोहब्बत का जो फूल खिलाया है, उस एक फूल से तुम गुलिस्तां कैसे बनाती हो यह तुम्हारी ज़िम्मेदारी है, जिस तरह एक अच्छी बेटी बनी हो उसी तरह एक अच्छी बहू भी साबित होना......

मर्द अपनी ताक़त से दुनिया से लड़ कर अपनी बात मनवा सकता मगर औरत बहुत नाज़ुक होती है और उसी नज़ाकत के साथ उसे अपने रिश्तों को मजबूती से थामना होता है...... बेटा आज रघुवंशी परिवार में जो दरार आ‌ रही है, उसे तुम अपने प्यार और सब्र से भर देना......

दुआ कुछ ना समझते हुए-------- मतलब???......यह शादी तो रुद्र के दादा की इजाज़त से हो रही है ना???? फिर कैसी दरार????

साएरा बेगम-------- दुआ, थोड़ी देर पहले अजय आया था, यह देखने की यहां सब ठीक है या नहीं, मगर बाला को देख वो बाहर से ही जा रहा था तभी वो मुझसे टकरा गया....

दुआ------- मगर नानू, अजय तो रुद्र का दोस्त है तो वो बाला से क्यूं छूप रहा था???

साएरा बेगम--------बेटा उसने मुझे सिर्फ इतना बताया है कि मुकेश रघुवंशी इस शादी से खुश नहीं हैं, मगर वो यह शादी क्यों करवा रहे हैं, यह बस वही जानते हैं, उसने अपना फोन नंबर दिया था यह कह कर की बाला या उसके लोग कुछ भी गड़बड़ करें तो हम उसको बता दें.....

दुआ हैरानी से------- मगर???

साएरा बेगम-------- बेटा रुद्र को इस बात का अंदाज़ा नही है कि तुम्हारी शादी ज़बरदस्ती हो रही है, वो यही समझता है कि तुम्हारे बाबा मान गए हैं बस थोड़े से नाराज़ हैं अगर उसको पता चला कि उसके दादा ज़बरदस्ती यह सब कर रहे हैं तो वो फिर से उनके खिलाफ हो जाएगा.......

दुआ परेशान होते हुए........ नानू इतनी बड़ी बात, रुद्र से कैसे छुपी रह सकती है???

साएरा बेगम-------- दुआ, बस तुम अपनी तरफ से ज़ाहिर नहीं करना, बाकी सब अल्लाह पर छोड़ दो, और खुद से यह वादा करो कि तुम रुद्र के रिश्ते उसे वापस दोगी एक अच्छी बीवी की तरह, इस शादी के पिछे, कोई भी मक़सद हो मुकेश रघुवंशी का तुम उसे पूरा नहीं होने दोगी, अपनी मोहब्बत से रघुवंशी और सिद्दीकी के बीच नफ़रत की दीवार गिरा दोगी।

दुआ------- नानू आप बिल्कुल परेशान नही हो, मैं सबकुछ ठीक कर दूंगी।

साएरा बेगम, दुआ के सिर पर हाथ फेरते हुए------- मुझे यक़ीन है तुम पर, बस अब से अपनी आंखों में नमी नहीं होंठों पर हंसी रखना, अपने शौहर के लिए, चलों अब जल्दी से अच्छे बच्चों की तरह लेट जाओ......

दुआ------ नानू अभी निंद नहीं आ रही....

साएरा बेगम, दुआ का सिर अपनी गोद में रखते हुए------- अच्छा कोई बात नही, आज तुम्हारी नानू तुमको, तुम्हारे बचपन की लोरी सुनाती है फिर देखती हूं, कैसे निंद नहीं आती......

यह कह कर साएरा बेगम, प्यार से दुआ का सिर सहलाते हुए लोरी गाना शुरू करती है और मुश्किल से 10 मिनट भी नहीं गुज़रते दुआ सो जाती है, उसको सुकून से सोता देख, उनकी आंखें भर आती है और दिल से ढेर सारी दुआएं निकलने लगती है।

*********

अगले दिन:- 

आज सुबह से ही रघुवंशी परिवार में एक भाग-दौड़ सी मची हुई थी, सभी लोग अपनी-अपनी तैयारी में लगे थे......

अजय, रुद्र को शेरवानी दिखाते हुए------ देख रुद्र कितनी खूबसूरत शेरवानी है, तुझ पर बहुत अच्छी लगेगी।

रुद्र शेरवानी देखते हुए----- ओह मेरे भाई, मैं यह नहीं पहनने वाला, रंग देखा है इसका???

अजय शेरवानी देखते हुए-------- क्या खराबी है, अच्छा खासा रंग है....

रुद्र------ हां मगर मुझे मेहरून रंग नहीं पसंद, मैं यह नहीं पहनूंगा......

अभी वो लोग यही बहस कर रहे थे कि एक नौकर दुसरे नौकर से, अरे तुमने सुना, रुद्र बाबा की होने वाली पत्नी खुद यहां आ गई....

दुसरा नौकर मज़ाक उड़ाते हुए-----हा भाई, ज़माना ही खराब है, पता नहीं कैसा बाप है जो अपनी बेटी को खुद ससुराल लेकर आ गया, इज़्ज़त-शर्म नाम की तो चीज़ ही नहीं रह गई अब!!

यह सुनते ही रुद्र के कान खड़े हो जाते हैं......

रुद्र गुस्से में------ अजय यह लोग क्या कह रहे थे???? दुआ यहां पर, मगर क्यों???? उसे तो अपने घर होना चाहिए.....

अजय समझाते हुए----- अरे रुद्र, नौकर है, कुछ भी बोलते हैं, इनके मुंह क्यूं लगना, तूं परेशान नही हो, मैं तुझे बताता हूं, दरअसल दादू ने सोचा कि सिद्दीकी हाउस छोटा है, इसलिए वो लोग यहां आ जाएंगे तो ज़्यादा बेहतर होगा.....

रुद्र------ क्या बेहतर होगा, यह तो सीधा सिद्दीकी फेमिली की इंसल्ट है ना, बारात लड़के वाले लेकर जाते हैं, दुल्हन को इज़्ज़त से घर लाने के लिए मगर उन्होंने दुआ ‌को ही बुला लिया, वो उनकी बेइज़्ज़ती करना चाहते हैं, मुझे अभी दादू से बात करनी है....

अजय, रुद्र का रास्ता रोकते हुए------- रुद्र क्यूं गुस्सा कर रहा है, तूं दादू को ग़लत समझ रहा है, वो तो बस डाक्टर सिद्दीकी की मदद कर रहे थे, कि एक दिन में वो कैसे इतना इंतेज़ाम करेंगे???

रुद्र गुस्से में------ अजय वो शहर के जाने-माने डॉक्टर है, हमारे जितने अमीर ना सही मगर इतने ग़रीब भी नही कि इंतेज़ाम नही कर सके और अगर दादू को उनकी मदद सच में करनी थी तो शादी किसी होटल में भी रख सकते थे।

अजय---- तू सही कह रहा है रुद्र, मगर जब डॉक्टर सिद्दीकी ही राज़ी हो गए तो अब क्या फायदा कुछ कहने का और देख अब दुआ आ गई है, अपना ना सही उसकी ख़ुशी का ख्याल कर, छोटी सी बात पर तमाशा नहीं बना......

रुद्र, अजय की बात सुन, गुस्से में वही पड़े, सोफे पर बैठ जाता है और सामने टेबल पर रखा सभी समान फेंक देता है.....

धीरे-धीरे सभी तैयारियां पूरी हो जाती है, दुआ को तैयार करने के लिए पार्लर से लड़कियों को बुलाया जाता है, जिया भी उन लड़कियों के साथ मिलकर दुआ को तैयार करने में मदद करती है, मगर अब तक उसे बात करने का मोका नहीं मिलता इसलिए दुआ को पता ही नहीं होता किस्से उसका क्या रिश्ता है, शादी में मुकेश रघुवंशी के कुछ ही ख़ास मेहमानों को बुलाया गया होता है......

देखते ही देखते सभी लोग इकठ्ठा हो जाते हैं, रुद्र, अजय के साथ तैयार होकर लाॅन में आ जाता है, जिसको शादी की रस्मों के लिए सजाया गया था मगर तभी रुद्र की नज़र दुआ पर पड़ती है जो मंडप में बैठी उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं....

दुआ को मंडप में बैठा देख, रुद्र को गुस्सा आ जाता है......

रुद्र गुस्से से तेज़ आवाज़ में------- अजय, यह क्या मज़ाक है???

उसकी आवाज़ सुन सभी लोग हैरान हो जाते हैं....

मुकेश रघुवंशी उसके सामने आते हुए......

मुकेश रघुवंशी------- रुद्र कौन सा मज़ाक????? आज तुम्हारी शादी हैं, जाकर मंडप में बैठो, पंडित जी इंतेज़ार कर रहे हैं......

रुद्र गुस्से में-------- दादू आप जानते हैं, दुआ मुसलमान है और मैं भी अपना धर्म बदल चुका हूं, आप इस तरह दुआ की बेइज़्ज़ती नहीं कर सकते........

यह कहते हुए, रूद्र दुआ के पास जाकर उसका हाथ पकड़ उसे मंडप से बाहर ले आता है, दुआ और वहां पर मौजूद सभी लोग रुद्र की बातें सुन हैरान रह जाते है......

रुद्र------ दादू शादी दुआ और मुझे करनी है, जिसको दुआ ही दिल से कुबूल ना कर सके उसके कोई मायने नहीं है मेरे लिए.......अजय मौलवी को बुलवा, निकाह पढ़ाया जाएगा हमारा.....

मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ रुद्र शादी हमारी रस्मों के हिसाब से होगी....सभी मेहमान देख रहे हैं.... तमाशा नहीं बनाओ.... 

रुद्र, दुआ को देखते हुए------- दादू शादी मुझे दुआ से करनी है, आपके मेहमानों या रस्मों से नहीं, मैं यह शादी दुनिया को दिखाने के लिए नहीं कर रहा....... जिस शादी को मेरी बीवी ही ना माने, उस शादी को आप लोग मानें या न माने मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, इसलिए मुझे निकाह पढ़ना है, अब चाहे यह किसी को मंज़ूर हो या नही.......

मुकेश रघुवंशी, गुस्से में रुद्र को घूरते हुए मगर इससे पहले वो कुछ कहते, अजय, मौलवी को लेकर आ जाता है और देखते ही देखते मौलवी उन दोनों का निकाह पढ़वा देता है........ 

यह देख मुकेश रघुवंशी के अंदर आग सुलगने लगती है, कोई भी मेहमान उनके यहां का खाना नहीं खाता और सभी उनकी बेइज़्ज़ती कर चले जाते हैं......

रुद्र ऐसी हरकत भी कर सकता है, उन्होंने सोचा नहीं था, उनको लगा था कि दुनिया के दिखावे के लिए ही सही, वो उनकी बात मान लेगा......

उनसे यह सब बर्दाश्त नहीं होता और वो गुस्से में वहां से चले जाते हैं, एक-एक कर रघुवंशी परिवार के बाकि सदस्य भी चलें जाते हैं, सिद्दीकी की फेमिली भी चली जाती है, रह जाते हैं तो बस चार लोग दुआ, रुद्र, अजय और जिया......

दुआ को अब अपनी नानू की कहीं हर बात सच होती दिख रही थी, रुद्र के बारे में उन्होंने जो भी कहां था वो सब सही था और रुद्र के परिवार के बारे में भी वो ग़लत नहीं थी, यह सब देख दुआ को इतना तो समझ आ गया था कि उसको आगे बहुत मुश्किलों का सामना करना था......

दुआ को सोच में गुम देख अजय मुस्कुराते हुए दुआ से-------- फाइनली, अब मैं आपको भाभी कह सकता हूं, वैसे अगर मैं नहीं होता, तो इतनी आसानी से तुम्हारा निकाह नहीं हो पता......कम से कम एक बार तो तुम दोनों को मुझे थैंक्स कहना ही चाहिए.......

रुद्र हैरानी से--------तुझे थैंक्स क्यूं कहें हम, तूने क्या किया है ऐसा???

अजय ------ मैंने ही तो किया है सबकुछ, जब मुझे पता चला, दादू ने शादी के लिए पंडित जी को बुलाया है, तभी मुझे पता चल गया था कि ऐसा कुछ होने वाला है, इसलिए मैंने पहले ही मौलवी को बुला लिया था क्योंकि मुझे पता था, रुद्र कभी भी हमारी भाभी का दिल तो नहीं टूटने देगा...... क्यों भाभी सही कहा ना???

दुआ यह सुनकर हल्का सा मुस्कुरा देती है....

रुद्र------ ओह, ज़्यादा नंबर बढ़ाने की ज़रूरत नही है मेरी बीवी के सामने, अभी बताता हूं, तेरी बेवकूफियां.....दुआ को!!!

अजय ------ अरे!! तू तो दिल पर ले गया, यार मैं तो बस ऐसे ही भाभी से जान-पहचान बड़ा रहा था.....

रुद्र, अजय से------ बेटा ऐसा है, जान-पहचान बाद में बढ़ाना, अभी खाना खाओ और घर जाओ.....

अजय हैरानी से मुंह पर हाथ रखते हुए------ होअअअअअ देख रही है भाभी, कैसे मतलबी दोस्त होते हैं, अभी शादी हुए देर नहीं हुई और यह मुझे घर से भगा रहा है......

रुद्र, दुआ से------- दुआ इसकी बातों में बिल्कुल नहीं आना, बहुत बड़ा ड्रामेबाज़ है यह, अजय तू जाता है या बताऊं......

तभी जिया, दुआ के पास आते हुए......

देवर जी, इतनी जल्दी भी क्या है????? अब तो दुआ आपकी ही है, वैसे भी आप सारी रस्मों- रिवाज़ों से तो बच गए हो, ज़रा थोड़ी देर दुआ को मेरे साथ भी बैठने दो.......

रुद्र-------- मगर भाभी अभी दुआ थक गई होगी, उसकी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही, कल बात करते हैं ना आराम से.....

जिया छेड़ते हुए------- रुद्र ज़रा इंतेज़ार करो, इंतेज़ार का फल मीठा होता है....... दुआ आओ, मेरे साथ चलो......

दुआ एक पल के लिए सोच में डूब जाती है कि वो जाए या नहीं मगर अगले ही पल उसे अपनी नानू की बातें याद आती है तो वो रुद्र को एक नज़र देख, जिया के साथ चली जाती है......


दुआ को नही पता होता वो उसे कहा ले जा रही है, मगर फिर भी वो उसके पीछे चल रही होती हैं, दिल में थोड़ा डर ज़रूर होता है वो यही सब सोच रही होती हैं कि जिया एक कमरे के सामने रुक जाती है.......

जिया कमरे का दरवाज़ा खोलती है, और दुआ का हाथ पकड़ उसे अंदर ले आती है........ 

पूरा कमरा आर्किड के फूलों और मोमबत्तियों से सजाया गया होता है, कमरे की एक दीवार पर रुद्र के कई फोटो लगें होते हैं तो दुसरी दीवार पर कई सारी किताबें रखी होती है तभी जिया एक रिमोट से स्वीच ऑन करती है तो बेड के पिछे वाली दीवार पर दुआ का एक बहुत बड़ा फोटो लगा होता है जो छोटी-छोटी लाइट से जगमगा रहा होता है.....

दुआ हैरानी से------ यह तो मेरा पर्सनल फोटो है, रुद्र के पास कैसे????

जिया मुस्कुराते हुए----- रुद्र के पास नहीं अजय के पास, यह फोटो वो तुम्हारी नानी से लेकर आया था, मैं रुद्र और तुम्हारे लिए कुछ खास करना चाहती थी मगर टाइम कम होने की वजह से, बस थोड़ा बहुत ही कर सकी, इसके बारे में अभी तक रुद्र को भी नहीं पता....... 

अच्छा बताओ, तुमको तुम्हारा कमरा कैसा लगा????

दुआ आहिस्ता से------ बहुत खुबसूरत!!

जिया उसका हाथ पकड़, बेड पर बैठाते हुए....... दुआ आज से तुम हम सबका हिस्सा हो, शुरू में हो सकता है तुमको सबकी नाराज़गी सहनी पड़े मगर कभी भी, तुम खुद को अकेला नहीं समझ ना, तुमको कोई परेशानी, कोई तकलीफ़ या किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझसे बगैर सोचे-समझे कह देना, मैं पहले तुम्हारी दोस्त हूं, बाद में जेठानी....... 

हां क्योंकि यह मेरा भी ससुराल है तो हो सकता है, मैं सबके सामने तुमसे बात ना करूं मगर पिछे तुम अपने दिल की हर बात मुझसे कह सकती हों मैं हमेशा रुद्र और तुम्हारे साथ हूं....

यह सुनकर दुआ की आंखें नम हो जाती है------- थैंक यू भाभी, मुझे यक़ीन है आपको सबके सामने यह नाटक ज़्यादा वक़्त तक नही करना पड़ेगा, मैं बहुत जल्द सबको मना लूंगी.......

जिया उसकी आंखों में नमी देख, उसे गले लगा लेती है------- अच्छा छोड़ो यह बातें, अभी जल्दी से मुस्कुराओ, तुम्हारे शौहर ए अज़ीम की जान निकल रही होगी इंतेज़ार में....... तुम थोड़ा आराम करो, मैं रुद्र को भेजती हूं.....

जिया यह कह कर कमरे से बाहर निकलती ही है कि रुद्र सामने आ जाता है मगर तभी जिया रास्ता रोक लेती है.......

रुद्र----- भाभी, अब क्या हुआ??? प्लीज़ रास्ते से हट जाएं, मुझे अंदर जाना है.…...

जिया----- नहीं बिल्कुल भी नहीं, पहले मुझे मेरा नेक चाहिए, तभी अंदर जाने दूंगी....

रुद्र मुंह बनाते हुए-------- प्लीज़ भाभी जाने दो ना, बहुत रात हो गई है, सब सोने जा चुके हैं, आप भी सोने चली जाओ.....

जिया--------- नही-नही बिल्कुल भी नही......

रुद्र------ मतलब आप ऐसे नहीं मानेंगी???

जिया----- बिल्कुल भी नहीं!!

रुद्र हार मानते हुए----- अच्छा तो बताएं, क्या चाहिए आपको????

जिया सोचते हुए-------- हम्ममम!!! दुआ के लिए तुम सबसे लड़े, इतनी तकलीफ़ उठाई, घर तक छोड़ दिया और अब जाकर उससे मिलने का वक्त आया है तो कोई छोटी चीज़ से तो काम नही चलेगा.....

रुद्र--------मतलब???

जिया मुस्कुराते हुए------ मतलब कम से कम एक लाख रुपए तो नेक होना ही चाहिए!!

रुद्र हैरानी से------ क्या??? एक लाख रुपए??? नेक मांग रही हों या रिश्वत ले रही हों????

जिया मुस्कुराते हुए------ जो समझना है, समझो मगर एक लाख दोगे तभी अंदर जाने दूंगी, वरना आज की रात बाहर....

रुद्र सोचते हुए------ और अगर मैं आपको एक लाख से भी ज़्यादा क़ीमती चीज़ दूं तो???

जिया ना समझते हुए------ मतलब???

रुद्र उसके हाथ पर एक छोटा सा बाॅक्स रखते हुए------‌ मतलब यह!! खोलकर खुद देखें और बताए कैसा है???

जिया बाॅक्स खोलते हुए------ कान्हा जी?? रुद्र यह तुमने मेरे लिए बनवाया है????

रुद्र मुस्कुराते हुए------- जी हां, मैं अपनी एकलौती भाभी को कैसे भुल सकता हूं, मुझे पता है आपको कान्हा जी सबसे प्यारे हैं, इसलिए बस एक नज़र में ही आपके लिए यह पसंद आ गया था तो खरीद लिया!!!

जिया, रुद्र के गले लगते हुए------- थैंक यू सो मच, वीरु, अब तुमको पूरी इजाज़त है, जाओ जी लो अपनी ज़िंदगी......

रुद्र, जिया की बात सुन, शरमाते हुए अपना सिर हल्के से खुजाने लगता है....... जिया उसे शर्माता देख, मुस्कुराते हुए वहां से चली जाती है और रुद्र दरवाज़े को देखने लगता है

आगे अगले भाग में:-
Jyoti

Jyoti

बहुत खूब

30 दिसम्बर 2021

Stranger

Stranger

30 दिसम्बर 2021

Thanks dear

Anita Singh

Anita Singh

इन्तिज़ार रहेगा अगले भाग के

30 दिसम्बर 2021

Stranger

Stranger

30 दिसम्बर 2021

Thank you

11
रचनाएँ
दिल ए नादान
5.0
यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसका मानना है कि आप अपने रब को "भगवान कह कर पुकारो, अल्लाह कहो या कुछ ओर" सुनने वाला एक ही है.........क्योंकि रब को अलग नाम दिए जा सकते हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे हम अपने चाहने वालों को कई नामों से पुकारते हैं मगर होता वो एक ही है इसी तरह फरियाद सुनने वाला भी एक ही है और पुकारने वाला दिल भी वही है, फ़र्क है तो नज़रिए का......उसके हिसाब से दुनिया का हर धर्म सबसे पहले इंसानियत सिखाता है.......एक-दूसरे से प्यार करना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना सिखाता है मगर क्या वो अकेला, धर्म पर होने वाली नफरत को मिटा सकेगा????? कहते है, किसी एक इंसान की सोच बदलना भी बहुत मुश्किल है फिर उसके सामने तो उसका पूरा परिवार था जो उसकी सोच के खिलाफ, उसकी मोहब्बत के खिलाफ था...... आइए चलें एक नए सफर पर इस दिवाने के साथ, देखें क्या होगा इसका अंजाम, क्या पिघल जाएंगेे लोगों के दिल उसकी मोहब्बत के सामने या होगा फिर वही, लाखों लोगों की तरह.....उसकी मोहब्बत भी तोड़ देगी दम धर्म के नाम पर पैदा हुई नफरत के सामने.      **************** 12-Dec-2018 आज रूद्र बहुत तेज़ कार चला रहा था, ज़्यादातर वह कायदे-कानून का पालन करता था, मगर आज शायद उससे इंतेज़ार नही हो रहा था, उसका दिल कह रहा था कि वो उड़ कर दुआ के सामने पहुंच जाएं, उसकी मोहब्बत, उसका जुनून, उसकी ज़िद्द सब कुछ उस एक नाम पर अटक गया था "दुआ"........ छः महीनों की लगातार कोशिशों के बाद, आखिर आज दुआ ने उसे मिलने बुला ही लिया था, वो नही जानता था कि आगे क्या होगा बस उसको तो इंतेज़ार था, उस पल का, जब दुआ उसके सामने हो और वो उसको बता सके, कि वो उससे कितनी मोहब्बत करता है, कितनी बातें थी उसके दिल में, आज वो सारी बातें कहने का मौका मिला था उसे इसलिए आज का दिन उसके लिए बहुत खास था .....यही सब सोचते-सोचते वो कब दुआ के बताए रेस्टोरेंट के सामने पहुंच गया उसको पता ही नही चला, वो जल्दी से गाड़ी से उतर अन्दर जाकर पुछता है, तो वेटर उसको दाएं हाथ की तरफ इशारा करते हुए रास्ता बता देता है..... कुछ क़दम चलने के बाद ही वो एक दरवाज़े से बाहर निकलता है तो सिर पर खुला आसमान, चारों तरफ हरियाली, तेज़ हवाएं, जगह ज़्यादा बड़ी नहीं थी मगर उसकी डेकोरेशन इतनी खूबसूरत थी कि बड़े-बड़े होटलों को फेल कर दे, थोड़ी ही दूर पर एक टेबल रखी थी और उसकी दाईं ओर कुछ लकड़ियों को जला रखा था, आज मौसम भी काफी सुहाना था जो रूद्र के मूड को ओर भी खुशगवार बना रहा था, वो टेबल के पास पहुंचा तो दुआ को देख कर एक पल के लिए जैसे सब कुछ भुल गया....... तेज़ हवाएं उसके लम्बे बालों से खेल रही थी, और वो खुद किसी गहरी सोच में गुम थी, उसकी आंखें टेबल पर गड़ी हुई थी जहां एक तरफ भगवान की छोटी सी मुर्ती रखी थी और उसके ही साथ एक छड़ी थी जिस पर अल्लाह लिखा हुआ था......दुआ अपनी सोच में इतना खो गई थी कि उसे रूद्र के आने का एहसास तक नही हुआ. रूद्र का दिल तो कह रहा था कि वो उसको यू ही ज़िन्दगी भर देखता रहे मगर अभी उसको इतना हक़ कहा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपना गला साफ करते हुए, दुआ से बैठने की इजाज़त मांगी और दुआ उसकी आवाज़ सुनते ही खुद को ठीक करते हुए एक दम सीधी बैठ गई। जानते हो रूद्र यह क्या है??----इससे पहले रूद्र कुछ कहता दुआ ने टेबल पर रखी मूर्ति और छड़ी की तरफ देखते हुए उससे पूछा। उसने कुछ ना समझते हुए दुआ को देखा। रूद्र यह हम दोनों है जो कभी एक नही हो सकते, आज मैंने, तुम्हे यहां सिर्फ यही कहने के लिए बुलाया है......भुल जाओ मुझे, अभी कुछ नही बिगड़ा है, तुम एक अच्छे बिजनेसमैन हो, अपने करियर पर ध्यान दो, तुम्हारे परिवार का बहुत नाम है, उनका मान नही तोड़ो, मैं नही चाहती मेरी वजह से किसी का परिवार टूट जाए, मैं नहीं चाहती, मैं किसी की बर्बादी की वजह बनूं, इसलिए आज के बाद फिर कभी तुम मेरे सामने नही आना---- दुआ उसे समझा रही थी और वो सिर्फ उसको देखें जा रहा था, कितनी आसानी से उसने कह दिया था भूल जाओ मुझे....... रूद्र तुम सुन भी रहे हो या नही----दुआ ने रूद्र को खामोश देखा तो थोड़ा झुंझलाते हुए पूछा। ना-नही हो सकता यह......यह मूर्ति, यह छड़ी इन बेजान चिज़ो को तुम मेरे दिल, मेरे जज़्बात से मिला रही हो.......रूद्र ने गुस्से में टेबल पर हाथ मारते हुए कहा, जिससे दोनों चिज़े जलती हुई आग में गिर गई और दुआ हैरानी से उसे देखती रह गई, पहली बार रूद्र ने उससे तेज़ आवाज़ में बात की थी, उसको इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नही था कि रूद्र को गुस्सा भी आ सकता हैं। क्या-क्या समझाना चाहती हो तुम मुझे, हां, बोलो, कहना क्या चाहती हो, यही ना कि मैं हिन्दू हूं और तुम मुसलमान.......तो यह मेरी गलती है क्या, बताओ मुझे......मैं खुद को क्यों रोकूं? क्यों मैं खुद को उस ग़लती की सज़ा दूं जो मैंने की ही नही....क्या रब ने मुझे पैदा करने से पहले मुझसे पूछा था, किस धर्म, किस जाति में पैदा होना चाहता हूं मैं......नही ना.....तो फिर मुझे सज़ा क्यों दें रही हों......... यक़ीन मानो मैंने तो कभी चाहा भी नही था कि मुझे कभी किसी लड़की से प्यार हो मगर हो गया ना, मैं मानता हूं यह आसान नही है मगर तुमको भूल जाना भी मेरे हाथ में नही है......... तुमसे प्यार करता हूं, खुद को भुला सकता हूं मगर तुमको नहीं भूल पाऊंगा------ यह कहते हुए रूद्र की आवाज़ रूंध गई थी और कब उसकी आंखों से आंसू बहने लगे यह शायद उसको भी पता नहीं चला वो बस बोले जा रहा था। रुद्र--------दुआ मैं नही जानता यह सही है या ग़लत, मगर मैं मानता हूं, मोहब्बत का कोई धर्म, कोई जाति नही होती, यह तो वो खास एहसास होता है जो बहुत कम लोगों के दिल में पैदा होता है, तुमको देखकर जो एहसास, जो सुकून मुझे मिलता है, वो मैं लफ़्ज़ों में नही बता सकता....... अगर तुम मुझे कोई ओर वजह देती ना, तुम से दूर जाने के लिए तो शायद मैं खुद की जान ले लेता लेकिन तुम्हारे सामने फिर कभी नही आता ......मगर तुम मुझे खुद को भूलने का कह रही हो, इस घटिया दुनिया के लिए, जो कभी किसी की नही हुई......आज मैं आत्महत्या कर लूं तो क्या इस दुनिया पर कोई फ़र्क पड़ेगा????.... नही!!! कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा किसी को!!! मगर-अगर मैं अपने प्यार के लिए लड़ूंगा ना तो इस दुनिया को ज़रूर फ़र्क पड़ेगा, तब ज़रूर यह दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी होगी...... रुद्र------दुआ यह दुनिया, धर्म और जाति के नाम पर एक-दूसरे को मारने के लिए पल भर में तैयार है मगर प्यार और इन्सानियत का क्या??? ........क्यों मैं ऐसे समाज के लिए अपनी मोहब्बत, अपनी खुशियों का त्याग करूं?? जो कभी किसी की हुई ही नहीं.... तुम मुझे अपना मानो या ना मानो मगर मेरे लिए तुम मेरी ज़िन्दगी बन गई हो, अब चाहे जो हो जाए, तुमको भुलना नामुमकिन है---रूद्र की आंखों में साफ दिख रहा था, कि कुछ भी हो जाएं, वो हार नही मानेगा, और मानता भी क्यों उसका कहा हर लफ्ज़ सही था..... दुआ ने तो यह सोचा ही नही था कि रूद्र आज उसकी एक नही सुनेगा, मगर दुआ भी उसके सामने हार नही सकती थी क्योंकि वो बहुत अच्छे से जानती थी, कि रुद्र की मोहब्बत की क़ीमत कितनी बड़ी हो सकती है उसे अच्छे से पता था इसलिए उसे किसी भी तरह आज यह किस्सा यही खत्म करना था, यही सोच दुआ गुस्से में कुर्सी से खड़ी हो गई। दुआ गुस्से में-----ठीक है, तुम्हे परवाह नही है, तो ना सही, मगर मुझे है..... मिस्टर रूद्र रघुवंशी हर इंसान तुम्हारी तरह नही सोचता, तुम एक मर्द हो, वो भी इस शहर के सबसे अमीर परिवार से, इसलिए शायद तुम ऐसा सोच सकते हों, मगर मैं एक लड़की हूं वो भी ऐसे परिवार से जहां मैं अपने बाबा का मान हूं उनकी इज़्ज़त हूं, मैं एक हिन्दू लड़के को कभी नही अपना सकती, अपने बाबा पर उंगली उठाने की वजह नही दे सकती मैं दुनिया को, क्या कहेंगे लोग मेरे बाबा से, कैसे जवाब देंगे मेरे बाबा, इस दुनिया के अनगिनत सवालों के, नहीं रुद्र, तुम्हारी मोहब्बत की क़ीमत मेरे बाबा चुकाएं ऐसा मैं नही होने दूंगी इसलिए अच्छा होगा आज के बाद तुम मेरे सामने कभी ना आओ----यह कह कर वो जाने के लिए आगे बड़ी ही थी कि रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया। रुद्र------यही प्रोब्लम है ना कि मेरा नाम रूद्र रघुवंशी है कोई रहमान या सलीम नही, तो ठीक है, मैं इस प्रोबलम को अभी यही खत्म कर देता हूं......आज तुमको, अपनी मोहब्बत को गवाह बना कर, मैं इस्लाम कुबूल करता हूं....... तुम एक लड़की होना, तुम कुछ नही कर सकती क्योंकि तुम मजबूर हो सकती हो मगर मैं नही, आज से मैं तुम्हारी ताकत बनूंगा और तुम्हारा मान, कभी नही टूटने दूंगा---उसने यह कहते हुए आग में पड़ी छड़ी, को उठाया जिस पर अल्लाह लिखा था और उसे अपने हाथ पर चिपका दिया, जिसे देख दुआ चीख पड़ी और उसने रूद्र के हाथ से छड़ी लेकर फेंक दी......मगर उस छड़ी के साथ-साथ रूद्र के हाथ की खाल भी उतर गई। रुद्र नम आंखों से, अपना जला हुआ हाथ देख, मुस्कुराते हुए----- दुआ अब मेरे मरने के बाद भी कोई तुम पर उंगली नही उठा सकेगा, कोई तुम्हारे बाबा से नही पूछेगा कि मैं हिन्दू हूं, अब मेरे हाथ पर लिखा यह अल्लाह कभी नही मिट सकेगा, अब तो तुम मेरी मोहब्बत को क़ुबूल करोगी ना.... दुआ मैं अपनी मोहब्बत के लिए खुद को कुर्बान कर दुंगा.....मगर अपनी मोहब्बत को कुर्बान नही होने दूंगा इस दुनिया के लिए--- रूद्र यही कह रहा था कि दुआ ने गुस्से में उसके थप्पड़ मार दिया. दुआ उसके जले हाथ को देखते हुए-------तुम पागल हो क्या, जानते भी हो, क्या किया है तुमने??? यह कोई छोटी बात नही है रुद्र, बच्चों का खेल नहीं है यह, ज़िन्दगी भर भी इस निशान को मिटाने की कोशिश करोगे, तब भी अब यह नहीं जाएगा...... क्या जवाब दोगे सबको, अपने घर वालों को, क्या बताओगे यह कैसे हुआ??? यहां कोई तुम्हारे जज़्बात नही समझेगा रुद्र, यह आज का हिन्दुस्तान है जहां हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लाखों मासूमों का खून बहा दिया जाता है यह देश पहले जैसा नही है, जहां सब एक साथ नहीं, एक-दूसरे के दिल में रहते थे, रहम करो मुझ पर और खुद पर.......प्लीज़ खुद को बर्बाद नही करो, छोड़ दो मेरा पीछा, चलें जाओ मेरी ज़िन्दगी से,  नही करती मैं तुमसे प्यार, मुझे मेरे बाबा की इज़्ज़त सबसे प्यारी है, प्लीज़ चलें जाओ - दुआ ने रूद्र के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा यह कहते हुए दुआ की आंखें भर आईं थी मगर उसने अपने आंसु बहने नही दिए, क्योंकि उसके आंसु जहां उसको कमज़ोर बनाते वहीं रूद्र की मोहब्बत को ओर हवा देते, इससे पहले वो कुछ बोलता दुआ वहां से चली गई. आज मौसम भी अपने तेवर दिखा रहा था, वह रेस्टोरेंट से बाहर निकली ही थी कि ज़ोर से बारिश शुरू हो गई, बारिश की बूंदों के साथ दुआ के आंसूओं ने भी अपनी सरहद तोड़ दी थी...... दुआ-----कोई किसी से इतनी मोहब्बत कैसे कर सकता है, एक पल में उसने अपना सब कुछ गंवा दिया, एक बार भी नही सोचा, उसका अंजाम किया होगा और मैं बेरहम लड़की, उसको इतनी तकलीफ़ में, अकेला छोड़ आई......काश मुझे थोड़ा भी अंदाज़ा होता उसकी हरकत का, तो मैं इतनी घटिया बात कहती ही नही उसको........मैंने तो सिर्फ इसलिए ऐसा कहा था कि शायद वो हार मान जाएं, शायद उसे मेरी बात चुभ जाए, शायद वो मुझसे नफरत करने लगे.....मगर मुझे क्या पता था वो मुझसे इतनी मोहब्बत करता है कि सबकुछ खोने को तैयार है, उसे अपनी किसी तकलीफ की परवाह नही और मैं इस दुनिया की फ़िक्र लिए बैठी हूं.....उसने सच ही तो कहा.....अगर उसे कुछ हो गया, तो इस दुनिया को क्या फर्क पड़ेगा.......लेकिन मुझे??? क्या मुझे, सच में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उसके चलें जाने से??? क्या अब, मैं रह सकूंगी उसके बगैर??? दुआ बारिश में पैदल चले जा रही थी और खुद से हज़ारों सवाल कर रही थी, ना उसको सिग्नल का ख्याल था और ना ही रफ्तार से चल रही गाड़ियों का डर......उसके सामने तो सिर्फ वो मंज़र था जब वह रुद्र के जलते हाथ को देखती रही, उसको रोक ना सकी, वो तो मिलने सिर्फ इसलिए गई थी कि आज किसी भी तरह उसको समझा देगी और फिर कभी नही आएगी उसके सामने, मगर उसको क्या खबर थी आज वो खुद ही हार जाएगी, और वहीं छोड़ आएगी खुद को...... आज रूद्र की मोहब्बत जीत गई थी और वो हार गई थी, रो-रो कर उसकी आंखें सुझ गई थी, उसको अपना-आपा बोझ-सा लग रहा था, जिसको घसीटते हुए वह घर ले जा रही थी, इस वक्त उसको किसी की फ़िक्र नहीं थी कि उसकी ऐसी हालत देख लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, कुछ नही, अब अगर फ़िक्र हो रही थी उसको तो सिर्फ रुद्र की, अब उसके दिल और दिमाग में सिर्फ एक ही नाम था....... दो घंटे तक वो बारिश में भीगते-भीगते पैदल चलते हुए कब घर आ गई उसको पता ही नही चला, उसने दरवाज़ा खोला ही था कि उसकी नानी उसे देखते ही जल्दी से तौलिया लेकर उसके पास आ गई. कितनी बार कहा है! बारिश में नही भीगते, हर बार बीमार होने के बाद भी नही सुनती यह लड़की-----उसकी नानी (साएरा बेगम) ने सिर पर तौलिया डालते हुए कहा और दुआ उनके गले लग कर रोने लगी. दुआ! मेरा बच्चा क्या हुआ----साएरा बेगम ने उसके सिर पर प्यार करते हुए घबरा कर पूछा। एम् सोरी नानू-एम् सोरी, मैं आपकी अच्छी नवासी नही बन सकी, इस घर की इज्ज़त का बोझ नही उठा सकी, मैं हार गई उसके सामने, नानू मैं हार गई. साएरा बेगम-----दुआ मेरी बच्ची हुआ क्या है, यह क्या कह रही हो......दुआ की ऐसी हालत देख उनकी आंखें भर आईं थी। दुआ-----नानू मैं सच कह रही हूं, हार गई मैं उसके सामने, मगर--मगर मैंने कोशिश की थी, पूरी कोशिश की थी......सच में .....लेकिन वो पागल हैं ना नानू, मर जाएगा, अपनी जान ले लेगा मगर मुझे नही भुला सकेगा------दुआ सिसकियां लेते हुए अटक-अटक कर उनको सब कुछ बता रही थी. आज मैंने उसकी आंखों में देखा है नानू उसकी मोहब्बत की कोई हद नही है, वो बहुत आगे निकल गया है, मैं उसको नही रोक सकी.....झुका दिया मैंने अपने बाबा का सिर, तोड़ दिया उनका ग़ुरूर ----- दुआ किसी बच्चे की तरह रो-रो कर बोले जा रही थी, आज से पहले उसकी ऐसी हालत कभी नही हुई थी, यहां तक उसको इतना भी ख्याल नही रहा था कि उसके बाबा, उसके पिछे ही खड़े थे, जिनके पैरों तले ज़मीन खींच ली थी उसकी बातों ने, अपनी जवान बच्ची की ऐसी हालत देख फरहान सिद्दीकी का गुस्से से लाल चेहरा आने वाले तूफान का एहसास दिला रहा था। ********** जिया (रुद्र की भाभी) ------मां रूद्र का नम्बर बन्द जा रहा है, आप परेशान नही हो, रोहित ने अभी अजय से बात की है, वो उसे ढूंढने गया है वैसे उसने कहा है रूद्र अब घर ही आ रहा होगा, उसको एक मीटिंग के लिए जाना था, शायद इसलिए फोन बंद रखा होगा..... आपको तो पता है वो काम को लेकर कितना सीरियस रहता है, उसे डिस्टर्बेंस नही पसंद- जिया ने अपनी सासु मां को तसल्ली देते हुए कहा। पार्वती जी (रुद्र की मां)----- मगर जिया उसको पता था हम सब लोग यहां तक बाबू जी भी उसका इंतेज़ार कर रहे हैं, हम सबको एक साथ जाना था ना मिस्टर सिंघानिया के यहां , वो ऐसे लापरवाह नही है तुमको तो पता है..... तीन घंटे होने को है और आज यह बारिश भी रूकने का नाम नही ले रही, जिया मेरा दिल तो बहुत घबरा रहा है, पता नही वो अब तक क्यों नही आया? कुन्ती देवी (रुद्र की चाची)-------भाभी आप परेशान नही हो, रूद्र अब बच्चा थोड़ी है......जिया सही कह रही है, वो ठीक होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा, हो सकता है बारिश की वजह से कहीं फंस गया हो और अजय गया है ना उसको ढूंढने, थोड़ी देर में देखना, दोनों साथ ही आ रहे होंगे ---कुन्ती ने अपनी जेठानी को परेशान होते हुए देखा तो वो भी तसल्ली देने लगी। घर में सभी लोग परेशान हो रहे थे रूद्र के लिए, उसने पहले कभी अपना फोन इतनी देर के लिए बंद नही किया था मगर जिया वो परेशान होने से ज़्यादा डरी हुई थी, कि ऐसा क्या हो गया जो रूद्र अब तक नही आया.....वो तो उसको बता कर गया था कि आज वो दुआ से हां सुनकर ही आएगा, तो फिर वो अब तक क्यों नही आया--- जिया अपनी सोचों में गुम थी कि तभी अपनी सासु मां के चीखने की आवाज़ से होश में आई, उसने दरवाज़े की तरफ देखा तो, एक पल के लिए उसके पैर भी वहीं जम गए. आज से पहले कभी किसी ने रूद्र को ऐसी हालत में नही देखा था......उसके होंठ नीले पड़ गए थे जिससे पता चल रहा था कि वो घंटों बारिश में भीगता रहा है, उसकी आसमानी रंग की शर्ट पर खून के धब्बों को साफ देखा जा सकता था, उसकी हथेली में कुछ कांच के टुकड़े गड़े हुए थे जिसकी वजह से हाथ से खून अभी भी रीस रहा था.......उसकी यह हालत देख सब एक साथ दरवाज़े की तरफ दौड़े और रूद्र वही दहलीज़ पर खड़ा रहा, उसकी हिम्मत ही नही हुई कि वो एक क़दम भी आगे बड़ा सकता। पार्वती जी-----यह क्या हाल बना रखा है रूद्र, जिया जाओ जल्दी से फर्स्ट-एड लेकर आओ---उसकी मां ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिससे खून रिस रहा था मगर फौरन ही एक झटके से उसका हाथ छोड़ दिया, उनकी हैरानी की हद ना रही जब उनकी नज़र रूद्र की जली हुई कलाई पर गई। यह-यह क्या है रूद्र- उन्होंने उसकी जली हुई कलाई की तरफ इशारा करते हुए पूछा....उसकी शर्ट का कपड़ा उसकी खाल में चिपक गया था, इतना बड़ा निशान उनके बेटे के हाथ पर, उन्होंने तो कभी उसको सूई भी नही चुभने दी थी फिर आज इतना बड़ा ज़ख्म, कैसे??? रोहित ( रुद्र का बड़ा भाई)-----यह कैसे हुआ रूद्र, किसने किया तुम्हारे साथ यह सब- उसके भाई ने आगे बढ़ते हुए पुछा। रुद्र अपने हाथ को देखते हुए------भाई यह सब मेरे नाम ने किया है, "रूद्र रघुवंशी" यही नाम है ना मेरा, यही सबसे बड़ा गुनाह है मेरा, तो क़ीमत तो अदा करनी थी- रूद्र ने थोड़ा चिल्लाते हुए कहा जिस पर सभी हैरान थे, इससे पहले उसने कभी भी तेज़ आवाज़ में बात तक नही की थी घर वालों के सामने और आज वो दादू के सामने इतनी तेज़ आवाज़ में चिल्ला रहा था, जिनके आगे वो नज़र भी नही उठाया करता था। जिया ने उसकी हालत देखते हुए, थोड़ा हिम्मत करके पूछा----रूद्र बताओ तो सही हुआ क्या है??? रुद्र, जिया को देखते हुए----भाभी आपने सही कहा था, आसान नही होता मोहब्बत का सफर, मगर अब यह सफ़र कितना भी मुश्किल हो, मैं इतनी जल्दी हार नही मानूंगा...... क्योंकि अगर मैंने हार मान ली तो इस दुनिया की घटिया सोच जीत जाएगी..... जिया कुछ ना समझते हुए----- मतलब??? रुद्र हल्का सा मुस्कुराते हुए----- मतलब भाभी, आखिर इस दुनिया की घटिया सोच, आज आ ही गई, मेरी मोहब्बत के बीच..... जानती है आप, उसने क्या कहा मुझसे.......वो कहती है उसे मुझसे मोहब्बत नही है, वो मुझे देखना भी पसंद नही करती, क्योंकि वो मजबूर हैं, दुनिया उस पर ऊंगली उठाएगी, उसके बाबा से सवाल करेगी, जानती है क्यों वो मुझे अपना नही सकती क्योंकि मैं हिन्दू और वो मुसलमान है- रूद्र ने आख़री शब्द चिखते हुए कहा. जिसे सुनकर, रघुवंशी परिवार के पैरों तले ज़मीन निकल गई थी......किसी ने नही सोचा था कि रूद्र को कभी कोई लड़की पसंद भी आ सकती है, वो भी एक मुसलमान लड़की, यह कैसे हो सकता है। पार्वती जी ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए पुछा-----रूद्र यह क्या कह रहे हो तुम?? रुद्र-----एम् सोरी मोम, एम् सोरी मगर आपके बेटे को एक मुसलमान लड़की से प्यार हो गया है--- रूद्र ने यही कहा था कि मुकेश रघुवंशी ने उसके सामने आते ही उसके ज़ोर का थप्पड़ जड़ दिया। मुकेश रघुवंशी गुस्से में------तुमको पता है, तुम क्या कह रहे हों, एक मुसलमान लड़की, तुम्हारा दिमाग ठीक है---- उन्होंने उसे घूरते हुए पूछा। रुद्र-----हम्मम!! जानता हूं.......उसने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा मगर उसकी आंखों में नमी थी। दादू! मैं जानता हूं, मैंने आज आपका मान तोड़ दिया, आपको ठेस पहुंचाई है, बहुत बुरा हूं, आपका पोता कहलाने के लायक भी नहीं इसलिए इस घर को छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहा हूं। रुद्र-----मैं कभी आप लोगों से अलग नही होना चाहता था, मगर जानता हूं, आप कभी भी उसको नही अपनाएंगे.......क्योंकि यह हिन्दुस्तान है, यहां इज़्ज़त और धर्म के नाम पर बच्चों को कुर्बान कर देना ज़्यादा अच्छा समझा जाता हैं, मगर उनकी खुशियों के लिए, उनके साथ मिलकर दुनिया से लड़ना, यह तो यहा सिखाया ही नही जाता. पार्वती जी, रूद्र का हाथ पकड़ते हुए-------रूद्र होश में आओ, क्या कह रहे हो, तुमको पता भी है, देखो अपना हाल, खून बह रहा है, जिया जल्दी से डॉक्टर को फोन करो--- रुद्र------भाभी रहने दीजिए, अब मेरा इस घर पर कोई हक़ नही रहा, मुझे जाना है मगर उससे पहले दादू से कुछ सवाल करने है...... दादू, मैंने बचपन से आपको देखा है, आप किसी मुसलमान के हाथ से पानी लेना भी पाप समझते हैं, आप उनके साथ बैठना भी पसंद नहीं करते, आखिर इतनी नफ़रत क्यों है आपके दिल में, क्या वजह है इस भेदभाव की......क्या वो लोग इंसान नही दादू??? मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए-----बंद करो अपनी बकवास, लगता है भूल गए हो, कि तुम अपने दादू के सामने खड़े हो---- रुद्र-----ठीक है दादू! हो जाउंगा चुप, मगर आप मुझे बताएं, आप तो हिन्दू है ना, वो मुसलमान है फिर क्यों आप दोनों की सोच अलग नही है, फिर क्यों उसने भी यही कहा, क्यों उसने भी मुझे थप्पड़ मारा, क्यों उसको भी समाज की परवाह ज़्यादा है। दादू आप जानते है! हिन्दुस्तान में हर साल रावण को जलाया जाता है, बुराई का प्रतीक समझ कर मगर वहीं श्रीलंका में उसकी पूजा की जाती है, भगवान समझ कर, क्या इसका मतलब यह है कि वो लोग अच्छे नही या वह नफरत के काबिल है क्योंकि वो रावण को भगवान मानते हैं......बताए मुझे- रूद्र ने मुकेश रघुवंशी के गुस्से की परवाह ना करते हुए उनकी तरफ देखते हुए पूछा और जवाब ना मिलने पर उसने बोलना फिर शुरू कर दिया। नही ना दादू!! इसका मतलब सिर्फ इतना है कि जो इंसान जहां पैदा होता है वहां की रीति-रिवाज़ अपना लेता है, अपना नज़रिया वैसे ही बना लेता है, लेकिन अपने नज़रिए की वजह से करोड़ों लोगों से नफ़रत करना, उनका खून बहा देना, हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर अनगिनत बच्चों को अनाथ कर देना, लाखों औरतों की इज्ज़त लूट लेना यह हक़ किस धर्म ने दिया है??? कौन सा धर्म नफरत सिखाता है दादू??? क्या ईसा-अलैहिस्सलाम ने, हुज़ूर ने या राम जी ने, कृष्ण जी ने, शिव जी ने, या किसी ओर भगवान ने किसी औरत की इज्ज़त को रौंदा था पैरों तले अपने धर्म का बदला लेने के लिए??? क्या उनमें से किसी ने भी मासूमों का खून बहाया था??? गीता और क़ुरान में क्या कहीं भी लिखा है कि बेगुनाहों का कत्ल कर दो, सिर्फ इसलिए कि वो अपने रब को आपके हिसाब से नही पुकारते, उनके रब का नाम वो नही जो आप लेते हैं। दादू धर्म तो प्यार की नींव रखता है, धर्म तो धैर्य, संयम और निष्ठा सिखाता है, हर धर्म का पहला पाठ इंसानियत है....... फिर सब यही पाठ छोड़ कर आगे कैसे बढ़ जाते हैं??? सिर्फ गीता या क़ुरान को पड़ लेना तो धार्मिक होना नही है.....उसकी गहराई को समझना और अमल करना धार्मिक बनाता है इंसान को....... लेकिन आज के दौर में हर इंसान खुद को धर्म का ठेकेदार कह कर अपने को अल्लाह और भगवान समझ लेता है, लाखों लोगों का खून बहा देता है, यह सोचे बगैर कि जब वह इंसानियत ही भुल गया तो वो धार्मिक कहा से रहा----- रूद्र आज वो सब बोल रहा था जो हमेशा वो अपने दादू को समझाना चाहता था मगर कभी हिम्मत नही कर सका था। रुद्र------दादू! मैं आप सबसे बहुत प्यार करता हूं मगर उस लड़की को नही छोड़ सकता, वो भी सिर्फ इस वजह से कि उसका नाम दुआ सिद्दीकी है क्योंकि वो एक मुसलमान के घर पैदा हुई........दादू मैं अपनी मोहब्बत की कुर्बानी नही दूंगा किसी धर्म के नाम पर चाहे जो हो जाए मगर आपका पोता हार नही मानेगा। रुद्र, कुन्ती देवी की तरफ बढ़ते हुए------चाची आप मुझे बताइएं, क्या भगवान जी ने आपको पैदा करने से पहले पूछा था कि आप हिन्दू के घर पैदा होना चाहती है या मुसलमान के घर??? रूद्र के सवाल पर सभी ख़ामोश थे तब ही पिछे से अजय भी उसे ढूंढता हुआ आ गया मगर रूद्र का सवाल सुनकर उसके क़दम भी जहां थे वहीं रुक गए। रुद्र----नही ना चाची!!! पता है क्यों?? क्योंकि उसने तो हम सबको सिर्फ इंसान बनाया था, हिन्दू-मुस्लिम तो इस दुनिया ने बनाया है हमको...... रुद्र-----हम में से किसी से भी भगवान ने नही पूछा था.....ना आप से, ना मुझसे, ना उससे.......फिर उसको मुझसे अलग रहने को मजबूर क्यों किया जा रहा है......क्यों सबकी नज़रों में मैं ग़लत बन गया हूं??? क्यों मेरी मोहब्बत को सब गुनाह समझ रहे हैं??? आप सब ही चाहते थे ना कि मैं शादी कर लूं, आज जब मुझे किसी से प्यार हो गया तो आप लोग चाहते हैं मैं उसे भुल जाऊं क्योंकि वो मुसलमान है। 27 साल तक आप लोगों ने मुझे पाला-पोसा, बेइंतेहा प्यार किया, मैं आप सबकी आंखों का तारा इस घर का सबसे ज़्यादा लाडला बेटा....... "एक मिनट में" सिर्फ एक मिनट में दादू!!!! मैं आप सबका दुश्मन बन गया, वो प्यार, वो फ़िक्र, वो ममता सब कुछ खत्म हो गया सिर्फ एक मिनट में!!! क्या यही सब सिखाता है धर्म, मुझे तो मेरे धर्म ने नफरत करना नही सिखाया दादू, मुझे ऐसे संस्कार ही नही दिए आपने---- रूद्र ने रोते हुए अपने दादू से कहा जो उसको बस सुन रहे थे, उनकी गुस्से से लाल आंखें अब ज़मीन पर टिकी थी। दादू जिससे आप प्यार करते हो उनके लिए लड़ना मैंने आपसे सिखा है, अपने शिव जी से सीखा है, अपने प्रेम के लिए अगर वो भैरों बन सकते हैं तो मैं क्यों इस दुनिया की बेबुनियाद नफरत से नही लड़ सकता। आपने मुझे सिखाया था अगर सवाल प्रेम का हो तो शिव जी का भैरों अवतार बन जाना..... सबकुछ त्याग देना प्रेम के लिए......मगर प्रेम को नही त्याग ना दुनिया के लिए। आज मैं आपके सामने हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि क्या आप धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव को खत्म नही कर सकते, क्या आप अपने गुरूर का त्याग नही सकते, अपने पोते के प्यार में। या आप भी बाकी सब की तरह इस दुनिया के बने बैठे, धर्म के ठेकेदारों के सवालों से डर कर, अपने पोते का त्याग करना ज़्यादा अच्छा समझते हैं। रुद्र-----दादू मैं उसके बगैर ज़िन्दा नही रह सकूंगा, मगर आप लोगों के बगैर सुकून से भी नही रह सकता, प्लीज़ मुझे खुद से अलग नही करना दादू मुझे इस दुनिया के रीति-रिवाजों की भैंट ना चढ़ाना--- रूद्र ने छोटे बच्चे की तरह रोते हुए अपने दादू से प्रार्थना की थी, वहां खड़े हर इंसान की आंखों में आसूं थे, उसका कहा हर लफ्ज़ सही और सच था मगर दुनिया की रीति-रिवाजों के बांध तोड़ कर सच और सही का साथ देना आसान नही होता बहुत मुश्किल होता है दुनिया के खिलाफ जाना, लाखों लोगों के सवालो का सामना करना इसी कशमकश में उसके दादू भी थे, जिनका दिल फट रहा था अपने जान से प्यारे पोते की आंखों में आंसु देख कर, उनके दिमाग में रूद्र का कहा हर शब्द गूंज रहा था...... क्या सच में उनका धर्म प्रेम करना, त्याग करना, दुसरो का मान रखना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना और इंसानियत नही सिखाता। यही सब तो उन्होंने हमेशा पड़ा था मगर कभी इतनी गहराई से धर्म को समझा ही नही जितना उनका पोता समझ चुका था। आज उनको इंसानियत और धर्म का अस्तित्व समझ आ रहा था, क्यों धर्म बनाए गए, क्यों गीता और क़ुरान पढ़ाए जाते हैं मगर अक्सर लोग सिर्फ पड़ते हैं, समझते नही...... धर्म को समझना आसान नही, लोगों की ज़िन्दगी गुज़र जाती है, मासूमों का खून बहा दिया जाता है और फिर भी खाली हाथ रह जाते हैं। आज भगवान ने उनके सामने भी इम्तेहान की घड़ी रख दी थी कि वो दुनिया के दिखाएं रास्ते पर धर्म के नाम पर नफरत को जन्म देंगे या भगवान का रूप धारण कर प्रेम के लिए, अपना घमंड, अपना क्रोध त्याग देंगे। वो धर्म कहा जो तोड़ दे रिश्ते, धर्म तो जोड़ता है अपनों को परायो को----वो यही सब सोच रहे थे कि रूद्र खड़े-खड़े गिर गया, उसके ज़मीन पर गिरते ही रघुवंशी परिवार में डर की लहर दौड़ गई, उसका जिस्म आग-सा तप रहा था, रोहित और अजय मिलकर फौरन रूद्र को ज़मीन से उठा, उसके कमरे में ले गए, जल्द ही जिया ने डाक्टर को भी बुला लिया था। डॉक्टर ने उसको चैक किया फिर जल्दी से उसको 2 इंजेक्शन लगाए, उसकी हर्टबीट बहुत धीमी हो गई थी, बुखार से जिस्म तप रहा था, हाथ से बहता खून तो रूक गया था मगर उसकी जली हुई कलाई पर ज़ख्म बहुत ज़्यादा गहरा था। डॉक्टर ने सबको बताया कि फिलहाल उससे कोई ऐसी बात ना करें, जिससे उसको टेंशन हो, क्योंकि वो अभी सदमे की हालत में है, इसलिए उसके होश में आने के बाद, इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाए, नही तो वो अपना दिमागी संतुलन खो सकता है, वैसे आने वाले 24 घंटों में अगर उसका बुखार कम नही हुआ तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता है-----यह कह कर डाक्टर साहब वहां से चले गए। डॉक्टर के जाते ही मुकेश रघुवंशी ने गुस्से में बाला को आवाज़ दी, जो उनका खास आदमी था। बाला अगले एक घंटे में किसी भी तरह मुझे वो लड़की और उसका बाप यहां मेरी आंखों के सामने चाहिए। यह सुनते ही अजय फौरन हाथ जोड़कर मुकेश रघुवंशी के सामने खड़ा हो गया। दादा जी, मुझे पता है, आप इस वक्त बहुत गुस्से में है मगर बस एक बार मेरी बात सुन लीजिए, कोई भी फैसला लेने से पहले पूरी कहानी सुन लेनी चाहिए, गुस्से में किए फैसले हमेशा सिर्फ तकलीफ देते हैं-----यह कह कर अजय ने हिम्मत करके सबकुछ बताना शुरू किया। बाकी अगले भाग में:- नोट:- आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में ज़रुर बताएं।
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भाग 2

10 अक्टूबर 2021
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छः महीने पहले :-<div><br></div><div>रूद्र कहा हों - जिया ने कमरे में क़दम रखते हुए कहा.....देखा तो व

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भाग 3

14 अक्टूबर 2021
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सुबह के 10 बज रहे थे और रूद्र अपनी आंखें बंद किए, सोफे पर सिर टिकाए उसी लड़की के बारे में सोच रहा था

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भाग 4

31 अक्टूबर 2021
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अच्छा, ठीक है-ठीक है, गुस्सा नही हो, मैं तो बस यह कह रहा था एक बार उससे बात तो कर लेना, ताकि उसके दि

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भाग 5

25 नवम्बर 2021
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अमित जी------सर मैंने पूरी कोशिश की थी मगर इस युनिवर्सिटी की प्रिंसिपल बहुत सख्त है, मैंने रिश्वत दे

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भाग 6

7 दिसम्बर 2021
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मलिक हाउस:-<div><br></div><div>यह है दुआ के मामा का घर, बहुत ही बड़ा और आलीशान, रात के अंधेरे में चा

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भाग 7

7 दिसम्बर 2021
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अमित जी ने अभी यू-टर्न लिया ही था कि उस लड़की के सामने, नीले रंग की बड़ी सी गाड़ी रुक जाती है, जिसक

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भाग 8

8 दिसम्बर 2021
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आकिब घर वापस आते ही, दुआ के कमरे में जाता है तो देखता हैं, दुआ की आंखे अभी भी नम थी।<div><br></div><

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भाग 9

8 दिसम्बर 2021
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रात कब गुज़र जाती है, मुकेश रघुवंशी को पता ही नहीं चलता, रुद्र उनकी आंखों का तारा, उनके दिल की धड़कन

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भाग 10

30 दिसम्बर 2021
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रुद्र दरवाज़ा खोल कर अंदर जाता है, तो दुआ नज़रें झुकाए उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं, इस पल उसे ऐसा

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भाग 11

5 जनवरी 2022
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अगले दिन सभी लोग फंक्शन की तैयारी में जुटे थे, धीरे-धीरे मेहमान भी आना शुरू हो गए थे, रुद्र भी बाकी सबके साथ फंक्शन की तैयारी में लगा था, दादू के हुक्म पर दुआ कमरे में ही आराम कर रही थी और जिया के कहन

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भाग 12

5 जनवरी 2022
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20-25 दिन गुज़र जाते हैं मगर अब तक दुआ का दिमाग़ वहीं फरहान सिद्दीकी की बातों में अटका होता है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है, उसके दिल में एक अजीब सा डर घर करने लगता है, सब लोग उस

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