रात कब गुज़र जाती है, मुकेश रघुवंशी को पता ही नहीं चलता, रुद्र उनकी आंखों का तारा, उनके दिल की धड़कन आज उनसे इतना दूर हो गया था, वो अपनी जान का दुश्मन बन बैठा, उनकी आंखों के सामने उसने अपने ज़ख्म को और गहरा बना लिया और वो कुछ नहीं कर सके, यह कैसा इम्तेहान था उनका, एक तरफ उनके पोते की ज़िन्दगी थी और दूसरी तरफ दुनिया के सवाल, बेहिसाब ताने......फैसला बहुत ही मुश्किल था और वक्त बहुत कम........ दिल तो पोते की तकलीफ़ पर जैसे कट रहा था, दिल के हिसाब से रुद्र की कहीं हर बात सही थी मगर दिमाग उलझा था दुनिया के सवालों में, बरसों का कमाया नाम गंवाने के आसार दिख रहे थे........कभी गुस्सा तो कभी पोते की मोहब्बत ज़ोर पकड़ रही थी....
मुकेश रघुवंशी यही सब सोच रहे थे कि बाला आकर बताता है कि अजय के साथ डाक्टर सिद्दीकी आ गए हैं।
मुकेश रघुवंशी सोचते हुए------- हम्मम! ऐसा करो उनको यहां ले आओ, मगर अजय को बाहर ही रखना।
बाला "हां" कह कर चला जाता है.......
बाला-------- डॉक्टर सिद्दीकी, आप मेरे साथ अंदर आए और अजय तुम यहीं रुको------
बाला की बात सुन अजय की जान अटक सी जाती है, उसे समझ नही आता कि वो क्या करे, पता नहीं, दादू क्या सोच रहे हैं??? कहीं डाक्टर साहब के साथ कुछ हो ना जाएं???-----अब अजय को बुरे ख्याल आने लगे थे।
दुसरी तरफ डाक्टर सिद्दीकी कमरे के अंदर आते हैं तो बाला बाहर से दरवाज़ा बंद करके चला जाता है.......
डॉक्टर सिद्दीकी कमरे में इधर-उधर देखते हैं तो मुकेश रघुवंशी राॅकिंग चेयर पर बैठे खिड़की से बाहर देख रहे होते हैं..... इससे पहले मुकेश रघुवंशी कुछ कहते, डॉक्टर सिद्दीकी बोल पड़ते हैं।
डॉक्टर सिद्दीकी----- कहां है, वो धोखेबाज़ तुम्हारा पोता???? मैं उसे नही छोड़ूंगा!!
डॉक्टर सिद्दीकी के लफ़्ज़ सुनकर, मुकेश रघुवंशी का गुस्से से बुरा हाल हो जाता है, एक ही पल में उनकी सारी सोचें दम तोड़ देती है, अभी तक तो वो फैसला भी नही कर पाए थे और सिद्दीकी उनके घर में आकर उनके ही पोते को उनके सामने धोखेबाज़ कह रहा था।
मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ डॉक्टर सिद्दीकी अगर अपने परिवार से ज़रा भी प्यार है, तो मेरे परिवार के किसी सदस्य पर ऊंगली उठाने की कोशिश भी नहीं करना।
डॉक्टर सिद्दीकी गुस्से में----- जैसा दादा, वैसा पोता, धमकियां देने के अलावा कुछ आता है या नही???
डॉक्टर सिद्दीकी के शब्द सुनकर मुकेश रघुवंशी का दिल चाह रहा था वो उसे वही गाड़ दें,
मुकेश रघुवंशी गुस्से में डाक्टर सिद्दीकी के पास आते हुए------ सही कहा तू ने, जैसा दादा, वैसा पोता, आज तक मैं कभी नहीं हारा तो मेरा पोता कैसे हार जाएगा, अब तक तेरी बेटी तेरे घर थी क्योंकि मेरा पोता अकेला था मगर अब उसका दादा उसके साथ है।
डॉक्टर सिद्दीकी----- मुकेश रघुवंशी मैं अपनी बेटी को इस घर की बहू बनाने से पहले, खुद उसका गला दबा कर उसे मार दूंगा, दुआ कभी, रुद्र की नही होगी, वो उसके लिए तड़प-तड़प कर मर भी जाएगा ना तब भी मैं दुआ को उसका नहीं होने दूंगा।
यह सुनकर मुकेश रघुवंशी अपने गुस्से पर काबू नही रख पाते, पहली बार उनके सामने कोई इतना बोल रहा था, वो भी उनके उस पोते के बारे में, जो उन्हें जान से भी ज़्यादा प्यारा था.....चाहें वो अपने पोते से कितने भी नाराज़ सही, मगर कोई दुसरा उनके पोते के बारे में ग़लत बात करें यह वो बर्दाश्त नहीं कर सकते थे.......
जहां अब तक वो खुद रुद्र को दुआ से दूर करना चाहते थे वहीं डाक्टर सिद्दीकी की बातें सुन उन्होंने गुस्से में फैसला कर लिया था.......
मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए----- सिद्दीकी अपनी ज़ुबान पर काबू रख, ऐसा ना हो यह ज़ुबान यहीं छोड़ कर जानी पड़े, तू मेरे पोते को तड़पाना चाहता है???.....
अब ध्यान से सुन, वो मेरा पोता है, जिस लड़की पर हाथ रखेगा ना, वो उसकी होगी, ख़ुशी से या ज़बरदस्ती से, कल सुबह 10 बजे से पहले अगर तू अपनी बेटी को खुद यहां लेकर नहीं आया, अपने पूरे परिवार के साथ, तो कल 11 बजे तक अपनी बीवी और बच्चे को दफनाने के लिए गड्ढा खोद लियो.....
क्योंकि बारह बजे तक तेरी बेटी को छोड़, पूरे सिद्दीकी परिवार को दफ़ना दूंगा, बहुत बड़ी बात कही है तूं ने मेरे पोते के लिए......अब मेरे पोते की शादी तेरी ही बेटी से होगी और तू कुछ नही कर सकेगा.......अब घर जा और शादी की तैयारी कर....
मुकेश रघुवंशी की गुस्से से लाल आंखें और ज़ोरदार आवाज़ से डाक्टर सिद्दीकी की बोलती बंद हो गई थी....... डॉक्टर सिद्दीकी को समझ नही आ रहा था वो करें तो क्या करें।
तभी मुकेश रघुवंशी, बाला को आवाज़ देकर, सिद्दीकी को बाहर छोड़ कर आने का कहते हैं..... बाला, सिद्दीकी को बाहर ले जाता है, मुकेश रघुवंशी भी गुस्से में अपने कमरे से बाहर निकलते हैं तो घर के सभी लोग लीविंग रूम में बैठे, उनका इंतेज़ार कर रहे होते हैं।
मुकेश रघुवंशी, सबको देखते हुए-------- तुम लोग ऐसे क्यूं बैठे हो, जाओ जल्दी से जाकर शादी की तैयारीयां शुरू करो.
सभी लोग हैरानी से एक साथ-------- शादी??????
मुकेश रघुवंशी------- हां शादी, रुद्र मेरा पोता है, मुकेश रघुवंशी का, ऐसा कैसे हो सकता है कि वो कोई चीज़ पसंद करें और वो उसे ना मिले।
अजय हैरानी से------- मगर दादू, मिस्टर सिद्दीकी????
मुकेश रघुवंशी तन्ज़िया हंसी हंसते हुए------ वो सिद्दीकी, हम रघुवंशियों का मुकाबला नहीं कर सकते, तुम लोग तैयारी शुरू करो, कल रुद्र की शादी हैं।
अजय, को यह ख़बर सुनकर जितनी खुशी हुई थी, उतना ही डर सता रहा था, क्योंकि अचानक से ही दादू के तेवर बदल गए थे, इसके पीछे कोई न कोई तो बात थी।
********
फरहान सिद्दीकी पूरे रास्ते, सोचते रहते हैं कि क्या करें और क्या नहीं, उनको कोई तरीक़ा समझ नही आता, रघुवंशियों की ताक़त से वो अंजान नहीं थे, पुलिसवालों के लिए तो उनका नाम ही काफी था, अब सिर्फ एक ही रास्ता था इस मुसीबत से निकलने का, कि वो दिल्ली छोड़कर ही चलें जाए------
वो यही सब सोचते हुए जल्दी से घर पहुंचते हैं और सबको पैकिंग करने के लिए कह देते हैं, यूं अचानक पैकिंग के नाम पर सभी हैरान हो जाते हैं, कि वो तो अजय के साथ, रुद्र के घर गए थे, फिर अचानक यह पैकिंग क्यों, मगर इस वक्त, फरहान सिद्दीकी से कुछ भी पूछने का मतलब था, मुसीबत को दावत देना.....
सभी लोग जल्दी-जल्दी पैकिंग में लग जाते हैं, क्योंकि फरहान सिद्दीकी पहले ही हिदायत दे चुके थे कि सिर्फ बहुत ज़रूरी सामान ही पैक करना है, जैसे ज़रूरी कागज़ात, कुछ कपड़े और गहने तो बस सभी लोग मिलकर 2 घंटों में पूरी पैकिंग कर लेते हैं, मगर जैसे ही फरहान सिद्दीकी सबको लेकर घर से निकलने वाले होते हैं, तभी दरवाज़े पर घंटी बजती है......फरहान सिद्दीकी, आकिब को दरवाज़े पर देखने के लिए भेजते हैं कि कौन आया है------
आकिब जाकर दरवाज़ा खोल, सामने खड़े लोगों को देख कर पूछता है, मगर बाला के साथ 5-6 मर्द, आकिब की बात का कोई जवाब नहीं देते और घर के अंदर आ जाते हैं।
बाला सीधा लीविंग रूम में चला जाता है, बाला को देखते ही फरहान सिद्दीकी की सांस अटक जाती है।
फरहान सिद्दीकी----- त-तुम यहां???
बाला हाथ जोड़ते हुए----- नमस्कार डाक्टर साहब, दरअसल दादू को चिंता हो रही थी कि लड़की के बाप हो, अचानक शादी की इतनी सारी तैयारी कल तक कैसे करोगे, इसलिए उन्होंने हम लोगों को मदद के लिए भेजा है।
बाला एक लड़के की तरफ देखते हुए---- अमन, बहुरिया के लिए जो समान आया है गाड़ी से निकलव।
बाला की बात सुनते ही, सभी लोग हैरानी से फरहान सिद्दीकी को देखने लगते हैं और किसी को भी समझने में देर नहीं लगती कि माजरा क्या है???
बाला बंधे समान को देखते हुए------- अरे डॉक्टर साहब!!!! भागने का इरादा था, क्या ????? भुल गए क्या??? दादू आप से दो क़दम आगे है....
डॉक्टर सिद्दीकी थोड़ा झिझकते हुए----- न-नही तो!!
बाला------खैर यह लीजिए समान, दादू ने कहा है कल दुल्हन यही ज़ेवर और कपड़े पहन कर तैयार होनी चाहिए, रुद्र बेटा की दुल्हन है, ऐसे ही थोड़ी नही चली जाएगी।
देखते ही देखते उन लोगों ने समान से पूरा कमरा भर दिया था, फरहान सिद्दीकी इस वक्त खुद को बहुत ही कमज़ोर महसूस कर रहे थे, उन्होंने अगर ना कहने की कोशिश भी की तो यक़ीनन उनका परिवार उनके सामने मार दिया जाएगा और वो फिर भी, दुआ को रुद्र का होने से नहीं रोक सकेंगे......
साएरा बेगम, फरहान सिद्दीकी को सोच में गुम देखती है तो सिचुएशन संभालते हुए वो आगे बढ़कर बाला को बैठने के लिए कहती है।
साएरा बेगम मुस्कुराते हुए------- अरे बेटा, तुम फ़िक्र नहीं करो, कल दुआ यही सब पहन कर तैयार होगी, और यह समान तो हम लोगों ने दुआ की शादी के लिए ही इकट्ठा किया था तो बस वही देख रहे थे, इतनी जल्दी में, बच्ची को क्या दे सकते हैं क्या नहीं.....खैर तुम बैठो, चाय पी कर जाना, मैं जल्दी से बनाकर लाती हूं।
बाला मुस्कुराते हुए----- अम्मा जी, हम सब तो शादी के मेहमान है, अब हम लोग तो कल, बहुरिया को लेकर ही जाएंगे।
साएरा बेगम वैसे ही मुस्कुराते हुए------ यह तो बहुत अच्छी बात है, चलो फिर बैठे क्यों हो, मेरे साथ आओ, शादी की तैयारियां शुरू करते हैं, मैं बताती हूं, किस-किस को, क्या-क्या करना है।
साएरा बेगम का ऐसा रवैया देख सभी हैरान हो जाते हैं मगर बाला के कहने पर सभी लोग, साएरा बेगम की बात सुन, उनके हिसाब से अपने-अपने कामों में लग जाते हैं, बाला, आकिब को अपने पास बिठा कर रखता है, जिसको देख फरहान सिद्दीकी की जान सुख रही होती हैं, इस डर से की कहीं, बाला उसे कोई नुक्सान ना पहुंचा दें।
********
अमित जी परेशान होते हुए----- सर आप सिंगापुर यूं अचानक क्यों जाना चाह रहे हैं??? मेरा मतलब है आपने कहा था, पहले आपको लखनऊ का प्रोजेक्ट कम्प्लीट करना है और अभी आपकी तबियत भी ठीक नहीं है।
दवाई खाने के बाद भी अब तक आपका बुखार कम नहीं हुआ है, डॉक्टर भी कोई मुनासिब वजह नही बता रहा........सर, आप कहें तो मैं कोई और अच्छा डॉक्टर बुला लेता हूं।
अहान भारी आवाज़ में, मुस्कुराते हुए-----यह इश्क़ का रोग है, अमित जी जान लेकर जाता है, मुझे तो फिर भी बस बुखार हुआ है।
अमित जी परेशानी से----- सर आप कैसी बातें कर रहे हैं, प्लीज़ ऐसा नही कहें।
अहान रुंधी हुई आवाज़ में----- पता है, ऐसा लग रहा है, जैसे वो मुझसे दूर जा रही है अमित जी, जानते हो मुझे अब इस इंतेज़ार से डर लगने लगा है, कहीं मैं उसे खोना दूं???
अमित जी------सर आपने ही तो कहा था ना, आप अपनी दुआओं से अपनी किस्मत बदल देंगे, फिर आप कैसे हार मान सकते हैं, अल्लाह के घर देर है अंधेर नहीं, वो आपकी दुआएं, ज़रूर कुबूल करेंगा, बस आप यक़ीन रखें और वैसे भी जो आपको अब तक मिला ही नहीं, उसे खोने का डर कैसा????
अहान हल्का सा मुस्कुराते हुए----- अमित जी, यह मोहब्बत चीज़ ही ऐसी होती है, लाख दुरियों पर भी, उसे आपसे जोड़े रखती है और कभी नज़दीकियां होते हुए भी, दूर होने पर मजबूर कर देती है।
वो मुझसे दूर सही, मगर मैं उसे महसूस कर सकता हूं, उससे बहुत अजीब रिश्ता जोड़ दिया है अल्लाह ने...... ना जाने वो कहां है और क्या कर रही है, पता नहीं वो ठीक है भी या नहीं मगर आज मेरे अंदर एक उम्मीद टूट-सी रही है, एक अजनबी सा डर सता रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे मैं हार रहा हूं, पता नहीं क्यों, कैसे मैं खुद को उससे जुड़ा हुआ महसूस करता हूं।
अमित जी----- सर, मुझे लगता है, आप पर दवाईयों का असर हो रहा है, आप प्लीज़ ज़्यादा नहीं सोचें, थोड़ा आराम करें, सब ठीक हो जाएगा।
अमित जी यह कह कर उसे होटल के कमरे में अकेला छोड़ चले जाते है और अहान खुद से ही कुछ-कुछ बड़बड़ाता रहता है।
**********
रात के नौ बज रहे थे, जब रुद्र को होश आता है, उसे अपना सिर पत्थर-सा भारी लग रहा था, वो अपना हाथ देखता है, जिसको उसनेे शराब से जला लिया था, अब उस पर पट्टी बंधी हुई थी, तभी उसे बाला याद आता है जो उसे बेहोश कर घर वापस ले आया था, वो सब याद आते ही फौरन बिस्तर से उठ जाता है और अपने कमरें में चारों तरफ नज़र दौड़ाता है कि कहीं कोई उसके कमरे में है तो नहीं...... किसी को कमरे में ना पाकर, घर छोड़ने के इरादे से वो खुद को संभालता हुआ बिस्तर से उतरता है कि तभी कमरे में अजय आ जाता है।
अजय हैरानी से----- रुद्र तेरी तबियत ठीक नहीं है, लेट जा, आराम कर!!
रुद्र गुस्से में------ अजय, मैं इस घर में एक पल नहीं रहुगा, दादू क्या समझते हैं, मुझको यूं बेहोश रख कर वो मुझे रोक सकते हैं, इस घर में???
अजय------ अच्छा तो तूने पक्का फैसला कर लिया है कि तू यह घर छोड़ कर जा रहा है???
रुद्र------ तुझे क्या लगता है मैं मज़ाक कर रहा हूं???
अजय---- नही मैं तो इसलिए पूछ रहा था क्योंकि कल दुआ शादी कर रही है, अब आज तू चला जाएगा तो.....
रुद्र तकरीबन चिल्लाते हुए----- क्या????? डॉक्टर सिद्दीकी, ऐसा कैसे कर सकते हैं, मैंने उन्हें समझाया था मगर नहीं, शायद उनको प्यार की भाषा समझ नहीं आती, मुझे अभी सिद्दीकी हाउस जाना है!!
अजय अफसोस जताते हुए----- हम्मम यह तो है, चल कोई नही, अब तू घर छोड़ कर जा ही रहा है, तो क्या फ़र्क पड़ता है दुआ की शादी किससे हो रही है, कोई नहीं तू घर छोड़कर चले जा कल दुआ से शादी मैं कर लूंगा।
रुद्र गुस्से से घूरते हुए-----अजय यह क्या बकवास है???
अजय उसका गुस्सा देख फौरन ही कान पकड़ते हुए.....
अजय----- साॅरी-साॅरी, मज़ाक कर रहा था यार, दुआ तो मेरे लिए बहन जैसी है, दिल पर नहीं लें।
रुद्र घूरते हुए------ हट मेरे रास्ते से!!!
अजय----- भाई, ज़रा शांत, थोड़ा आराम कर कल सच में, शादी हैं तेरी!!!
रुद्र आंखें छोटी करते हुए------ क्या????? तू सच कह रहा है????
अजय ----- तेरी कसम, कल तेरी और दुआ की शादी है जो दादू खुद करवाने वाले है।
अब रुद्र हैरानी से------ मगर यह कैसे मुमकिन हो सकता है, मेरा मतलब है!!
अजय मुस्कुराते हुए------ बस समझ लें, शिव जी ने आख़री वक्त पर बाज़ी पलट दी, तू सही कहता था, शिव जी तेरे साथ है, तुझे हारने नहीं देंगे....
रुद्र खुशी से, अजय के गले लगते हुए------- थैंक यू सो मच, इतनी अच्छी ख़बर सुनाने के लिए, मुझे यक़ीन ही नहीं हो रहा, कल तक जो बिल्कुल नामुमकिन लग रहा था वो आज एक ख्वाब सा लग रहा है।
मैं अभी दादू से मिलकर आता हूं।
अजय, रुद्र का हाथ पकड़ते हुए------ अरे!! इतनी जल्दी क्या है, एक बार शादी हो जाएं, फिर सबको थैंक्स बोल दियो।
रुद्र------ मगर अभी दादू से बात करना तो बनता है ना, मुझे जानना है आखिर अचानक वो कैसे मान गए और उन्होंने डाक्टर सिद्दीकी को कैसे मनाया??
अजय, रुद्र को रोकते हुए------- क्या फ़र्क पड़ता है, जाने देना, तू आराम कर, अब ज़्यादा बातें नहीं कर, कल तेरी शादी हैं, वैसे भी कल सुबह जल्दी उठना है।
रुद्र ------- मगर अजय पता तो चलना चाहिए ना, आखिर यह लोग अचानक राज़ी कैसे हो गए????
अजय अपना सिर पकड़ते हुए------- अच्छा, ठीक है, जो पता करना है, कल कर लेना फिलहाल सो जा...... दादू भी बस अभी अपने कमरे में आराम करने गए हैं, बिचारे कब से तेरी शादी की तैयारियों में लगे थे और तू उन पर शक कर रहा है।
रुद्र------- नहीं तो, मेरा वो मतलब नहीं था ......चल ठीक है, कल सुबह ही दादू से बात कर लूंगा।
रात के नौ बज रहे थे और अब तक बाला के आदमियों ने सिद्दीकी हाउस को साएरा बेगम के कहने के मुताबिक पूरी तरह सजा दिया था, पूरा घर रौशनी में नहा रहा था मगर सभी के दिलों में घना अंधेरा छाया हुआ था, हर जगह फूलों की खुशबू महक रही थी मगर फिर भी सब के चेहरों पर ऐसे उदासी छाई थी जैसे सच में किसी का जनाज़ा उठने वाला हो, पूरे घर में अलग ही मातम छाया हुआ था।
साएरा बेगम दुआ के कमरे में जाती है तो देखती है वो इस वक्त पहले से भी ज़्यादा बीमार लग रही थी।
साएरा बेगम मुस्कुरा कर, दुआ के सिर पर हाथ फेरते हुए------ दुल्हनों को यह उदासी शोभा नहीं देती दुआ, कल तुम्हारी ज़िन्दगी का सबसे ख़ास दिन है, इस ख़ास दिन की खासियत कम नहीं करो, चलों अब मुस्कुराओ।
उनकी बातें सुन, दुआ की आंखे भर आती है------- कैसा ख़ास दिन नानू???? मैंने बाबा का सिर झुका दिया, उनकी इज़्ज़त को मिट्टी में मिला दिया, वो मुझसे नफरत करते हैं, तो कैसी खुशी, काश कल का दिन देखने से पहले मैं मर जाऊं, फिर ना मेरे बाबा का सिर झुकेगा ना दो परिवार टूटेंगे, सबकी इज़्ज़त रह जाएंगी।
साएरा बेगम, दुआ का चेहरा अपने हाथों में लेकर----- मेरी तरफ देखो ज़रा, आज के बाद मरने की बात कभी अपनी ज़ुबान पर नहीं लाना, तुम इस घर की एकलौती बेटी हो, तुम्हारे बाबा, अभी तुमसे ज़रूर गुस्सा है लेकिन जिस दिन उनको रुद्र की मोहब्बत समझ आ जाएगी, उस दिन वो रुद्र को अल्लाह की रहमत मानेंगे.....
पता है हर बेटी के मां-बाप चाहते हैं, अपनी बेटी के लिए ऐसा लड़का ढूंढें जो उनकी बेटी से उनसे भी ज़्यादा प्यार करें, जो उसके लिए पूरी दुनिया से लड़ सके, और मेरी बच्ची यह सारी खुबियां है रुद्र में, बेटा हमसफ़र के लिए एक अच्छा इंसान चुना जाता है जो आपको समझें, आपके लिए जीने-मरने के लिए तैयार हो फिर चाहे उसका धर्म कुछ भी हो......
मैं यह नहीं कह रहीं कि धर्म मायने नहीं रखता मगर उस धर्म का क्या फायदा जो अपने बच्चों को ज़िन्दगी भर तड़पने पर मजबूर कर दें, धर्म प्यार का गला नहीं घोटता अगर ऐसा होता तो सच्ची मोहब्बत करने वालों का साथ, अल्लाह कभी नहीं देता....
बेटा मोहब्बत एक पाक जज़्बात है और शादी एक फर्ज़ तो जब यह दोनों ही चीज़ सही है तो तुम खुद को क्यों गुनाहगार समझ रही हो???
दुआ रोते हुए----- मगर नानू...
साएरा बेगम------ अगर-मगर कुछ नही, तुम खुशनसीब हो, और एक बहुत अच्छी बेटी भी तुम्हारी मां और मैं बहुत खुश हैं तुम्हारे लिए, बस इस वक्त तुम्हारी मां यह ज़ाहिर नहीं कर सकती तुम्हारे बाबा की वजह से......
दुआ हैरानी से------- आप सच कह रही है नानू????
साएरा बेगम, दुआ के आंसु साफ करते हुए------ बिल्कुल सच मेरी बच्ची, इसलिए अब तुम अपने बाबा की फ़िक्र छोड़ अपनी आने वाली ज़िन्दगी के बारे में सोचों, आज नहीं तो कल तुम्हारे बाबा मान ही जाएंगे और तुम दोनों की शादी को भी क़ुबूल कर लेंगे.......
बस इसके चक्कर में तुम अपनी शादी को अनदेखा नहीं करो, समझ लो यह अल्लाह की मर्ज़ी है, जो सबके ना चाहते हुए भी अचानक यह शादी हो रही है और याद रखो अल्लाह की रज़ा में ख़ुश रहना ही एक सच्चे मुसलमान की पहचान है.....समझी????
दुआ हां मैं सिर हिलाते हुए------- हम्मम!!
साएरा बेगम--------- शाबाश मेरा बच्चा, अब जो मैं कहने जा रही हूं, उसे बहुत ध्यान से सुनना और हमेशा याद रखना....
दुआ-------- नानू मैं आपकी समझाई हर बात, मरते दम तक याद रखूंगी.....
साएरा बेगम-------------बेटा कल से तुम रुद्र की बीवी कह लाओगी, और एक बीवी बनना बेटी होने से कहीं ज़्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि एक बीवी के साथ तुम एक बहू भी होगी, तुम्हारा फर्ज़ सिर्फ रुद्र के बारे में सोचना नहीं होगा, तुमको उसकी ख़ुशी, उसके दुःख के साथ-साथ अपने ससुराल वालों का भी ख्याल रखना होगा.......यह कभी नही सोचना उनका धर्म क्या है, वो लोग क्या करतें हैं क्या नहीं बल्कि हमेशा इस बात का ख्याल रखना की अब वो तुम्हारा परिवार है.....
बेटा अल्लाह ने तुम्हारी मोहब्बत का जो फूल खिलाया है, उस एक फूल से तुम गुलिस्तां कैसे बनाती हो यह तुम्हारी ज़िम्मेदारी है, जिस तरह एक अच्छी बेटी बनी हो उसी तरह एक अच्छी बहू भी साबित होना......
मर्द अपनी ताक़त से दुनिया से लड़ कर अपनी बात मनवा सकता मगर औरत बहुत नाज़ुक होती है और उसी नज़ाकत के साथ उसे अपने रिश्तों को मजबूती से थामना होता है...... बेटा आज रघुवंशी परिवार में जो दरार आ रही है, उसे तुम अपने प्यार और सब्र से भर देना......
दुआ कुछ ना समझते हुए-------- मतलब???......यह शादी तो रुद्र के दादा की इजाज़त से हो रही है ना???? फिर कैसी दरार????
साएरा बेगम-------- दुआ, थोड़ी देर पहले अजय आया था, यह देखने की यहां सब ठीक है या नहीं, मगर बाला को देख वो बाहर से ही जा रहा था तभी वो मुझसे टकरा गया....
दुआ------- मगर नानू, अजय तो रुद्र का दोस्त है तो वो बाला से क्यूं छूप रहा था???
साएरा बेगम--------बेटा उसने मुझे सिर्फ इतना बताया है कि मुकेश रघुवंशी इस शादी से खुश नहीं हैं, मगर वो यह शादी क्यों करवा रहे हैं, यह बस वही जानते हैं, उसने अपना फोन नंबर दिया था यह कह कर की बाला या उसके लोग कुछ भी गड़बड़ करें तो हम उसको बता दें.....
दुआ हैरानी से------- मगर???
साएरा बेगम-------- बेटा रुद्र को इस बात का अंदाज़ा नही है कि तुम्हारी शादी ज़बरदस्ती हो रही है, वो यही समझता है कि तुम्हारे बाबा मान गए हैं बस थोड़े से नाराज़ हैं अगर उसको पता चला कि उसके दादा ज़बरदस्ती यह सब कर रहे हैं तो वो फिर से उनके खिलाफ हो जाएगा.......
दुआ परेशान होते हुए........ नानू इतनी बड़ी बात, रुद्र से कैसे छुपी रह सकती है???
साएरा बेगम-------- दुआ, बस तुम अपनी तरफ से ज़ाहिर नहीं करना, बाकी सब अल्लाह पर छोड़ दो, और खुद से यह वादा करो कि तुम रुद्र के रिश्ते उसे वापस दोगी एक अच्छी बीवी की तरह, इस शादी के पिछे, कोई भी मक़सद हो मुकेश रघुवंशी का तुम उसे पूरा नहीं होने दोगी, अपनी मोहब्बत से रघुवंशी और सिद्दीकी के बीच नफ़रत की दीवार गिरा दोगी।
दुआ------- नानू आप बिल्कुल परेशान नही हो, मैं सबकुछ ठीक कर दूंगी।
साएरा बेगम, दुआ के सिर पर हाथ फेरते हुए------- मुझे यक़ीन है तुम पर, बस अब से अपनी आंखों में नमी नहीं होंठों पर हंसी रखना, अपने शौहर के लिए, चलों अब जल्दी से अच्छे बच्चों की तरह लेट जाओ......
दुआ------ नानू अभी निंद नहीं आ रही....
साएरा बेगम, दुआ का सिर अपनी गोद में रखते हुए------- अच्छा कोई बात नही, आज तुम्हारी नानू तुमको, तुम्हारे बचपन की लोरी सुनाती है फिर देखती हूं, कैसे निंद नहीं आती......
यह कह कर साएरा बेगम, प्यार से दुआ का सिर सहलाते हुए लोरी गाना शुरू करती है और मुश्किल से 10 मिनट भी नहीं गुज़रते दुआ सो जाती है, उसको सुकून से सोता देख, उनकी आंखें भर आती है और दिल से ढेर सारी दुआएं निकलने लगती है।
*********
अगले दिन:-
आज सुबह से ही रघुवंशी परिवार में एक भाग-दौड़ सी मची हुई थी, सभी लोग अपनी-अपनी तैयारी में लगे थे......
अजय, रुद्र को शेरवानी दिखाते हुए------ देख रुद्र कितनी खूबसूरत शेरवानी है, तुझ पर बहुत अच्छी लगेगी।
रुद्र शेरवानी देखते हुए----- ओह मेरे भाई, मैं यह नहीं पहनने वाला, रंग देखा है इसका???
अजय शेरवानी देखते हुए-------- क्या खराबी है, अच्छा खासा रंग है....
रुद्र------ हां मगर मुझे मेहरून रंग नहीं पसंद, मैं यह नहीं पहनूंगा......
अभी वो लोग यही बहस कर रहे थे कि एक नौकर दुसरे नौकर से, अरे तुमने सुना, रुद्र बाबा की होने वाली पत्नी खुद यहां आ गई....
दुसरा नौकर मज़ाक उड़ाते हुए-----हा भाई, ज़माना ही खराब है, पता नहीं कैसा बाप है जो अपनी बेटी को खुद ससुराल लेकर आ गया, इज़्ज़त-शर्म नाम की तो चीज़ ही नहीं रह गई अब!!
यह सुनते ही रुद्र के कान खड़े हो जाते हैं......
रुद्र गुस्से में------ अजय यह लोग क्या कह रहे थे???? दुआ यहां पर, मगर क्यों???? उसे तो अपने घर होना चाहिए.....
अजय समझाते हुए----- अरे रुद्र, नौकर है, कुछ भी बोलते हैं, इनके मुंह क्यूं लगना, तूं परेशान नही हो, मैं तुझे बताता हूं, दरअसल दादू ने सोचा कि सिद्दीकी हाउस छोटा है, इसलिए वो लोग यहां आ जाएंगे तो ज़्यादा बेहतर होगा.....
रुद्र------ क्या बेहतर होगा, यह तो सीधा सिद्दीकी फेमिली की इंसल्ट है ना, बारात लड़के वाले लेकर जाते हैं, दुल्हन को इज़्ज़त से घर लाने के लिए मगर उन्होंने दुआ को ही बुला लिया, वो उनकी बेइज़्ज़ती करना चाहते हैं, मुझे अभी दादू से बात करनी है....
अजय, रुद्र का रास्ता रोकते हुए------- रुद्र क्यूं गुस्सा कर रहा है, तूं दादू को ग़लत समझ रहा है, वो तो बस डाक्टर सिद्दीकी की मदद कर रहे थे, कि एक दिन में वो कैसे इतना इंतेज़ाम करेंगे???
रुद्र गुस्से में------ अजय वो शहर के जाने-माने डॉक्टर है, हमारे जितने अमीर ना सही मगर इतने ग़रीब भी नही कि इंतेज़ाम नही कर सके और अगर दादू को उनकी मदद सच में करनी थी तो शादी किसी होटल में भी रख सकते थे।
अजय---- तू सही कह रहा है रुद्र, मगर जब डॉक्टर सिद्दीकी ही राज़ी हो गए तो अब क्या फायदा कुछ कहने का और देख अब दुआ आ गई है, अपना ना सही उसकी ख़ुशी का ख्याल कर, छोटी सी बात पर तमाशा नहीं बना......
रुद्र, अजय की बात सुन, गुस्से में वही पड़े, सोफे पर बैठ जाता है और सामने टेबल पर रखा सभी समान फेंक देता है.....
धीरे-धीरे सभी तैयारियां पूरी हो जाती है, दुआ को तैयार करने के लिए पार्लर से लड़कियों को बुलाया जाता है, जिया भी उन लड़कियों के साथ मिलकर दुआ को तैयार करने में मदद करती है, मगर अब तक उसे बात करने का मोका नहीं मिलता इसलिए दुआ को पता ही नहीं होता किस्से उसका क्या रिश्ता है, शादी में मुकेश रघुवंशी के कुछ ही ख़ास मेहमानों को बुलाया गया होता है......
देखते ही देखते सभी लोग इकठ्ठा हो जाते हैं, रुद्र, अजय के साथ तैयार होकर लाॅन में आ जाता है, जिसको शादी की रस्मों के लिए सजाया गया था मगर तभी रुद्र की नज़र दुआ पर पड़ती है जो मंडप में बैठी उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं....
दुआ को मंडप में बैठा देख, रुद्र को गुस्सा आ जाता है......
रुद्र गुस्से से तेज़ आवाज़ में------- अजय, यह क्या मज़ाक है???
उसकी आवाज़ सुन सभी लोग हैरान हो जाते हैं....
मुकेश रघुवंशी उसके सामने आते हुए......
मुकेश रघुवंशी------- रुद्र कौन सा मज़ाक????? आज तुम्हारी शादी हैं, जाकर मंडप में बैठो, पंडित जी इंतेज़ार कर रहे हैं......
रुद्र गुस्से में-------- दादू आप जानते हैं, दुआ मुसलमान है और मैं भी अपना धर्म बदल चुका हूं, आप इस तरह दुआ की बेइज़्ज़ती नहीं कर सकते........
यह कहते हुए, रूद्र दुआ के पास जाकर उसका हाथ पकड़ उसे मंडप से बाहर ले आता है, दुआ और वहां पर मौजूद सभी लोग रुद्र की बातें सुन हैरान रह जाते है......
रुद्र------ दादू शादी दुआ और मुझे करनी है, जिसको दुआ ही दिल से कुबूल ना कर सके उसके कोई मायने नहीं है मेरे लिए.......अजय मौलवी को बुलवा, निकाह पढ़ाया जाएगा हमारा.....
मुकेश रघुवंशी गुस्से में------ रुद्र शादी हमारी रस्मों के हिसाब से होगी....सभी मेहमान देख रहे हैं.... तमाशा नहीं बनाओ....
रुद्र, दुआ को देखते हुए------- दादू शादी मुझे दुआ से करनी है, आपके मेहमानों या रस्मों से नहीं, मैं यह शादी दुनिया को दिखाने के लिए नहीं कर रहा....... जिस शादी को मेरी बीवी ही ना माने, उस शादी को आप लोग मानें या न माने मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, इसलिए मुझे निकाह पढ़ना है, अब चाहे यह किसी को मंज़ूर हो या नही.......
मुकेश रघुवंशी, गुस्से में रुद्र को घूरते हुए मगर इससे पहले वो कुछ कहते, अजय, मौलवी को लेकर आ जाता है और देखते ही देखते मौलवी उन दोनों का निकाह पढ़वा देता है........
यह देख मुकेश रघुवंशी के अंदर आग सुलगने लगती है, कोई भी मेहमान उनके यहां का खाना नहीं खाता और सभी उनकी बेइज़्ज़ती कर चले जाते हैं......
रुद्र ऐसी हरकत भी कर सकता है, उन्होंने सोचा नहीं था, उनको लगा था कि दुनिया के दिखावे के लिए ही सही, वो उनकी बात मान लेगा......
उनसे यह सब बर्दाश्त नहीं होता और वो गुस्से में वहां से चले जाते हैं, एक-एक कर रघुवंशी परिवार के बाकि सदस्य भी चलें जाते हैं, सिद्दीकी की फेमिली भी चली जाती है, रह जाते हैं तो बस चार लोग दुआ, रुद्र, अजय और जिया......
दुआ को अब अपनी नानू की कहीं हर बात सच होती दिख रही थी, रुद्र के बारे में उन्होंने जो भी कहां था वो सब सही था और रुद्र के परिवार के बारे में भी वो ग़लत नहीं थी, यह सब देख दुआ को इतना तो समझ आ गया था कि उसको आगे बहुत मुश्किलों का सामना करना था......
दुआ को सोच में गुम देख अजय मुस्कुराते हुए दुआ से-------- फाइनली, अब मैं आपको भाभी कह सकता हूं, वैसे अगर मैं नहीं होता, तो इतनी आसानी से तुम्हारा निकाह नहीं हो पता......कम से कम एक बार तो तुम दोनों को मुझे थैंक्स कहना ही चाहिए.......
रुद्र हैरानी से--------तुझे थैंक्स क्यूं कहें हम, तूने क्या किया है ऐसा???
अजय ------ मैंने ही तो किया है सबकुछ, जब मुझे पता चला, दादू ने शादी के लिए पंडित जी को बुलाया है, तभी मुझे पता चल गया था कि ऐसा कुछ होने वाला है, इसलिए मैंने पहले ही मौलवी को बुला लिया था क्योंकि मुझे पता था, रुद्र कभी भी हमारी भाभी का दिल तो नहीं टूटने देगा...... क्यों भाभी सही कहा ना???
दुआ यह सुनकर हल्का सा मुस्कुरा देती है....
रुद्र------ ओह, ज़्यादा नंबर बढ़ाने की ज़रूरत नही है मेरी बीवी के सामने, अभी बताता हूं, तेरी बेवकूफियां.....दुआ को!!!
अजय ------ अरे!! तू तो दिल पर ले गया, यार मैं तो बस ऐसे ही भाभी से जान-पहचान बड़ा रहा था.....
रुद्र, अजय से------ बेटा ऐसा है, जान-पहचान बाद में बढ़ाना, अभी खाना खाओ और घर जाओ.....
अजय हैरानी से मुंह पर हाथ रखते हुए------ होअअअअअ देख रही है भाभी, कैसे मतलबी दोस्त होते हैं, अभी शादी हुए देर नहीं हुई और यह मुझे घर से भगा रहा है......
रुद्र, दुआ से------- दुआ इसकी बातों में बिल्कुल नहीं आना, बहुत बड़ा ड्रामेबाज़ है यह, अजय तू जाता है या बताऊं......
तभी जिया, दुआ के पास आते हुए......
देवर जी, इतनी जल्दी भी क्या है????? अब तो दुआ आपकी ही है, वैसे भी आप सारी रस्मों- रिवाज़ों से तो बच गए हो, ज़रा थोड़ी देर दुआ को मेरे साथ भी बैठने दो.......
रुद्र-------- मगर भाभी अभी दुआ थक गई होगी, उसकी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही, कल बात करते हैं ना आराम से.....
जिया छेड़ते हुए------- रुद्र ज़रा इंतेज़ार करो, इंतेज़ार का फल मीठा होता है....... दुआ आओ, मेरे साथ चलो......
दुआ एक पल के लिए सोच में डूब जाती है कि वो जाए या नहीं मगर अगले ही पल उसे अपनी नानू की बातें याद आती है तो वो रुद्र को एक नज़र देख, जिया के साथ चली जाती है......
दुआ को नही पता होता वो उसे कहा ले जा रही है, मगर फिर भी वो उसके पीछे चल रही होती हैं, दिल में थोड़ा डर ज़रूर होता है वो यही सब सोच रही होती हैं कि जिया एक कमरे के सामने रुक जाती है.......
जिया कमरे का दरवाज़ा खोलती है, और दुआ का हाथ पकड़ उसे अंदर ले आती है........
पूरा कमरा आर्किड के फूलों और मोमबत्तियों से सजाया गया होता है, कमरे की एक दीवार पर रुद्र के कई फोटो लगें होते हैं तो दुसरी दीवार पर कई सारी किताबें रखी होती है तभी जिया एक रिमोट से स्वीच ऑन करती है तो बेड के पिछे वाली दीवार पर दुआ का एक बहुत बड़ा फोटो लगा होता है जो छोटी-छोटी लाइट से जगमगा रहा होता है.....
दुआ हैरानी से------ यह तो मेरा पर्सनल फोटो है, रुद्र के पास कैसे????
जिया मुस्कुराते हुए----- रुद्र के पास नहीं अजय के पास, यह फोटो वो तुम्हारी नानी से लेकर आया था, मैं रुद्र और तुम्हारे लिए कुछ खास करना चाहती थी मगर टाइम कम होने की वजह से, बस थोड़ा बहुत ही कर सकी, इसके बारे में अभी तक रुद्र को भी नहीं पता.......
अच्छा बताओ, तुमको तुम्हारा कमरा कैसा लगा????
दुआ आहिस्ता से------ बहुत खुबसूरत!!
जिया उसका हाथ पकड़, बेड पर बैठाते हुए....... दुआ आज से तुम हम सबका हिस्सा हो, शुरू में हो सकता है तुमको सबकी नाराज़गी सहनी पड़े मगर कभी भी, तुम खुद को अकेला नहीं समझ ना, तुमको कोई परेशानी, कोई तकलीफ़ या किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझसे बगैर सोचे-समझे कह देना, मैं पहले तुम्हारी दोस्त हूं, बाद में जेठानी.......
हां क्योंकि यह मेरा भी ससुराल है तो हो सकता है, मैं सबके सामने तुमसे बात ना करूं मगर पिछे तुम अपने दिल की हर बात मुझसे कह सकती हों मैं हमेशा रुद्र और तुम्हारे साथ हूं....
यह सुनकर दुआ की आंखें नम हो जाती है------- थैंक यू भाभी, मुझे यक़ीन है आपको सबके सामने यह नाटक ज़्यादा वक़्त तक नही करना पड़ेगा, मैं बहुत जल्द सबको मना लूंगी.......
जिया उसकी आंखों में नमी देख, उसे गले लगा लेती है------- अच्छा छोड़ो यह बातें, अभी जल्दी से मुस्कुराओ, तुम्हारे शौहर ए अज़ीम की जान निकल रही होगी इंतेज़ार में....... तुम थोड़ा आराम करो, मैं रुद्र को भेजती हूं.....
जिया यह कह कर कमरे से बाहर निकलती ही है कि रुद्र सामने आ जाता है मगर तभी जिया रास्ता रोक लेती है.......
रुद्र----- भाभी, अब क्या हुआ??? प्लीज़ रास्ते से हट जाएं, मुझे अंदर जाना है.…...
जिया----- नहीं बिल्कुल भी नहीं, पहले मुझे मेरा नेक चाहिए, तभी अंदर जाने दूंगी....
रुद्र मुंह बनाते हुए-------- प्लीज़ भाभी जाने दो ना, बहुत रात हो गई है, सब सोने जा चुके हैं, आप भी सोने चली जाओ.....
जिया--------- नही-नही बिल्कुल भी नही......
रुद्र------ मतलब आप ऐसे नहीं मानेंगी???
जिया----- बिल्कुल भी नहीं!!
रुद्र हार मानते हुए----- अच्छा तो बताएं, क्या चाहिए आपको????
जिया सोचते हुए-------- हम्ममम!!! दुआ के लिए तुम सबसे लड़े, इतनी तकलीफ़ उठाई, घर तक छोड़ दिया और अब जाकर उससे मिलने का वक्त आया है तो कोई छोटी चीज़ से तो काम नही चलेगा.....
रुद्र--------मतलब???
जिया मुस्कुराते हुए------ मतलब कम से कम एक लाख रुपए तो नेक होना ही चाहिए!!
रुद्र हैरानी से------ क्या??? एक लाख रुपए??? नेक मांग रही हों या रिश्वत ले रही हों????
जिया मुस्कुराते हुए------ जो समझना है, समझो मगर एक लाख दोगे तभी अंदर जाने दूंगी, वरना आज की रात बाहर....
रुद्र सोचते हुए------ और अगर मैं आपको एक लाख से भी ज़्यादा क़ीमती चीज़ दूं तो???
जिया ना समझते हुए------ मतलब???
रुद्र उसके हाथ पर एक छोटा सा बाॅक्स रखते हुए------ मतलब यह!! खोलकर खुद देखें और बताए कैसा है???
जिया बाॅक्स खोलते हुए------ कान्हा जी?? रुद्र यह तुमने मेरे लिए बनवाया है????
रुद्र मुस्कुराते हुए------- जी हां, मैं अपनी एकलौती भाभी को कैसे भुल सकता हूं, मुझे पता है आपको कान्हा जी सबसे प्यारे हैं, इसलिए बस एक नज़र में ही आपके लिए यह पसंद आ गया था तो खरीद लिया!!!
जिया, रुद्र के गले लगते हुए------- थैंक यू सो मच, वीरु, अब तुमको पूरी इजाज़त है, जाओ जी लो अपनी ज़िंदगी......
रुद्र, जिया की बात सुन, शरमाते हुए अपना सिर हल्के से खुजाने लगता है....... जिया उसे शर्माता देख, मुस्कुराते हुए वहां से चली जाती है और रुद्र दरवाज़े को देखने लगता है
आगे अगले भाग में:-