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भाग 11

5 जनवरी 2022

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अगले दिन सभी लोग फंक्शन की तैयारी में जुटे थे, धीरे-धीरे मेहमान भी आना शुरू हो गए थे, रुद्र भी बाकी सबके साथ फंक्शन की तैयारी में लगा था, दादू के हुक्म पर दुआ कमरे में ही आराम कर रही थी और जिया के कहने पर वो तैयार होने चली गई थी, मगर अभी भी उसके हाथ में तकलीफ़ थी जिसकी वजह से तैयार होने में उसे परेशानी हो रही थी....

आज उसने पहली बार साड़ी पहननी होती है, जो जिया उसे यह कह कर देकर जाती है कि वो थोड़ी देर में उसकी मदद के लिए आ जाएगी मगर अब तक वो नहीं आ पाती तो दुआ थक कर ड्रेसिंग टेबल के सामने आंखें बंद कर बैठ जाती है, अभी दो मिनट ही गुज़रते है कि उसको अपने कानों के पास छूअन महसूस होती है तो वो फौरन आंखें खोल देती है......

रुद्र उसके करीब घुटनों पर बैठा उसके कानों में झुमके पहना रहा होता है....... 

दुआ उलझते हुए--------यह क्या कर रहे हो रुद्र????

रुद्र मुस्कुराते हुए-------- तुम्हारी मदद, आज मैं, तुमको तैयार करुंगा......

दुआ झुंझलाते हुए------- रुद्र तुमसे नहीं होगा, तुमको कुछ नहीं पता, पहले बाल बनाते हैं, तुम झुमके पहना रहे हो, और यह साड़ी सबसे बड़ी मुसीबत, भाभी ने कहा था वो मेरी मदद के लिए आएंगी, आज पार्टी में इतने सारे लोग आएंगे, दादू नाराज़ हो जाएंगे, बेकार में.......

रुद्र---------शशशशशशश! मेरी जान, बस इतना लोड नही लेते....... दरअसल भाभी आ रही थी तुम्हारी मदद के लिए मगर मैंने ही मना कर दिया, क्योंकि मेहमान आना शुरू हो गए हैं, अब उनको भी तो तैयार होने के लिए वक्त चाहिए ना और रहा सवाल तुम्हारे तैयार होने का तो आज तुम देखो, तुम्हारा शौहर कैसे तुमको सजाता है।

दुआ घूरते हुए------- और इस साड़ी का क्या करूं???

रुद्र मुस्कुराते हुए----- जनाब जब मल्टीटैलेंटेड इंसान आपके क़दमों में है तो इतनी फ़िक्र क्यूं????

दुआ हैरानी से आंखें चौड़ाते हुए------ अब यह नहीं कहना, तुमको साड़ी बांधना आती है।

रुद्र हंसते हुए------ चलों ठीक है, नही कहता, करके दिखा देता हूं.....

यह कह कर वो उसको खड़ा करता है और खुद घुटनों पर बैठते हुए, साड़ी की प्लेट्स बनाना शुरू कर देता है!!

दुआ हैरानी से देखते हुए------ रुद्र तुम तो लड़के हो, मेरा मतलब है तुम कैसे......

रुद्र मुस्कुरा कर, साड़ी बांधते हुए------- मेरी प्यारी सी बीवी,  मैं अपनी मां का प्यारा सा बेटा हूं, बहन नही थी कोई, और मैं था सबसे छोटा तो बस, मां अक्सर साड़ी की प्लेट्स बनाने के लिए मुझे बुला लेती तभी सीख लिया था, इसलिए मेरी छोटी सी जान, किसी भी चीज़ के लिए परेशान होने की ज़रूरत नही....... 

हां, मगर मैं तुमको कब परेशान कर दूं, इसकी कोई गारंटी नहीं------ यह कहते हुए, रुद्र ने अचानक दुआ के गुदगुदी करना शुरू कर दी, जिसकी वजह से साड़ी की सारी प्लेट्स फिर से खुल गई,  एक पल दोनों ही हैरानी से साड़ी को देखते रहे और फिर एक साथ हंस पड़े.......

दुआ नाराज़गी से------ रुद्र, इंसान को इतना शरारती भी नही होना चाहिए, देखो, अब फिर से मेहनत करनी पड़ेगी तुमको.......

रुद्र करीब आते हुए------ तुम्हारे लिए तो मैं, कुछ भी कर ने के लिए तैयार हूं...... फिर यह साड़ी तो बहुत छोटी चीज़ है।

दुआ शरमाते हुए धीरे से पिछे होते हुए-------- अअअ...... रुद्र, हमको देर हो रही है, सब इंतेज़ार कर रहे होंगे......

रुद्र उसके और करीब आते हुए------- करने दो!!

दुआ गला साफ करते हुए----- रुद्र, दादू को बुरा लग जाएगा!!!!

रुद्र उसके और ज़्यादा करीब आकर, मुस्कुराते हुए------लगने दो, जिसे बुरा लगता है, फिलहाल मेरा मूड बदल गया है, अब बस तुम और मैं!!

दुआ बड़ी-बड़ी आंखें हैरत से झपकाते हुए --------- रुद्र प्लीज़, मान जाओ......

रुद्र उसकी कमर पर हाथ रख, आहिस्ता से, उसके कान के पास आते हुए--------- ठीक है, मगर एक शर्त है......

दुआ आंखें बंद कर बगैर सोचे-समझे------- मंज़ूर है मंज़ूर...... तुम जो भी कहो, मैं करने के लिए तैयार हूं, बट प्लीज़ अभी छोड़ दो।

रुद्र उसके गाल पर किस करते हुए-------ठीक है, तो आज तुमको सबके सामने मेरे लिए कुछ ख़ास करना होगा!

दुआ फौरन आंखें खोलते हुए-------- मतलब ???? ख़ास मतलब???

रुद्र फिर से उसके करीब आते हुए-------फंक्शन में जाना है कि नहीं?????

दुआ मुंह बनाते हुए-------- ठीक है-ठीक है, बस प्लीज़ जल्दी से तैयार कर दो, सब नीचे इंतेज़ार कर रहे होंगे।

रुद्र, दुआ की बात सुन, मुस्कुराते हुए----- अब देखो तुम अपने हसबैंड का कमाल....

यह कह कर रुद्र फिर से साड़ी बांधना शुरू कर देता है और देखते ही देखते वो उसको पूरा तैयार कर देता है.......

एक हाथ में उसने  दुआ को चूड़ियां पहनाई होती है तो दुसरे हाथ में एक खुबसूरत वाॅच होती हैं, कानों में लम्बे-लम्बे झुमके, कमर पर कमरबंद और पैरों में पायल हर चीज़ रुद्र ने उसको अपने हाथों से पहनाई थी और वो खुद को इस वक्त उम्मीद से ज़्यादा खुबसूरत लग रही थी!

रुद्र शीशे में उसे देखते हुए----- तो मिसेज़ ख़ान क्या कहती है, अब आप, है ना आपका शौहर बेमिसाल??

दुआ आंखें चढ़ाते हुए------ इसमें कौन सी बड़ी बात है??? मैं हूं ही खुबसूरत!

रुद्र यह सुनकर आंखें छोटी कर उसे देखता है कि तभी जिया उसे लेने आ जाती है।

जिया, दुआ को देखते ही--------- वाओ, दुआ........ आज तो तुम बहुत खुबसूरत लग रही हो।

दुआ मुस्कुराते हुए...... थैंक यू सो मच भाभी....

जिया, रुद्र को देखते हुए------- रुद्र तुम अब तक यही खड़े हो, जल्दी जाकर तैयार हो, दादू बुला रहे हैं, मैं दुआ को लेकर जा रही हूं, तुम आते रहना.....

रुद्र----- मगर भाभी.....

जिया मुस्कुराते हुए------- मगर-वगर कुछ नही, जल्दी जाओ, तैयार होकर, नीचे आओ...... कहीं और नहीं लें जा रही तुम्हारी बीवी को, परेशान नही हो, घर में ही है..........

जिया, दुआ का हाथ पकड़ते हुए---------चलो दुआ चलते हैं.....

दुआ पिछे मुड़कर, रुद्र को मुंह चिढ़ा आगे बढ़ जाती है.......

रुद्र, आंखें छोटी करते हुए........ अच्छा बच्चु, मुझसे पंगा....... दुआ मैडम, अब देखो मैं तुमको कितना परेशान करने वाला हूं........ रुद्र खुद से कहते हुए, मुस्कुरा कर तैयार होने चले जाता है।

फंक्शन शुरू हो जाता है, सभी लोग अपनी - अपनी बातों में बिज़ी होते हैं, कुन्ती देवी को गोद भराई की रस्मों के लिए लाकर बैठा दिया जाता है, दुआ भी जिया से बात करने में मसरूफ थीं, जिया उसको अपनी शादी के वक्त, आएं मेहमानों के बारे में बता रही थी, जिसको सुन, दुआ कभी हंसती तो कभी हैरान होती कि अचानक चारों तरफ अंधेरा हो जाता है, सभी लोग एक-दूसरे से बत्ती का पूछते हैं कि तभी दुआ को अपनी क़मर के चारों तरफ एक मज़बूत पहरा महसूस होता है....... वो अंधेरे में भी उसकी छुअन से उसे पहचान लेती है और एक बड़ी सी मुस्कान उसके चेहरे पर फ़ैल जाती है......

तभी स्पाॅट लाइट दुआ पर पड़ती है और उसी के साथ डी.जे पर गाना बजना शुरू होता है......

दिल इबादत, कर रहा है, धड़कने मेरी सुन,
तुझको मैं, कर लूं हासिल लगी है, यही धुन,

रुद्र, दुआ की कमर दोनों हाथों से पकड़, उसे, उठा कर स्टेज पर ले जाता है और उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में कस कर पकड़ ज़बरदस्ती सेम स्टेप्स करवाता है।

ज़िन्दगी की, शाख़ से लूं, कुछ हंसी पल मैं चुन,
तुझको मैं, कर लूं हासिल लगी है, यही धुन~2

जो भी जितने पल जिऊं, उन्हें तेरे संग जिऊं,
जो भी कल हो अब मेरा, उसे तेरे संग जिऊं,
जो भी सांसें मैं भरू, उन्हें तेरे संग भरूं,
चाहे जो हो रास्ता उसे तेरे संग चलूं......

दिल इबादत कर रहा है, धड़कने मेरी सुन,
तुझको मैं, कर लूं हासिल लगी है, यही धुन........

मुझको दें तूं मिट जाने, 
अब खुद से दिल मिल जाने,
क्यों है ये इतना फासला,
लम्हें ये फिर ना आने, 
इनको तूं ना दे जाने,
तूं मुझपे खुद को, दें लुटा....

तुझे तुझसे तोड़ लूं,
कहीं खुद से जोड़ लूं,
मेरे जिस्मों जां में आ,
तेरी खुशबू ओढ़ लूं.......

दुआ खुद को छुड़ाने की कोशिश करती है मगर रुद्र ने पूरा डांस करते हुए, दुआ को ऐसे थामा था कि वो चाह कर भी स्टेज से नहीं उतर सकीं थी।

दुआ आहिस्ता से, ज़बरदस्ती डांस करते हुए------ रुद्र क्या कर रहे हो??? सब हमको देख रहें हैं!!

रुद्र मुस्कुराते हुए------ दुआ यह तो शुरुआत है, अगर तुम अपनी बात से मुकरने की कोशिश करोगी तो यक़ीन मानों, यह खुबसूरत फंक्शन हमारी खूबसूरत किस पर ख़त्म होगा!!

यह कहते हुए रूद्र उसका हाथ पकड़, उसे घुमा देता है.....

जो भी सांसें मैं भरू,
उन्हें तेरे संग भरूं,
चाहे जो हो रास्ता,
उसे तेरे संग चलूं,........

दिल इबादत कर रहा है, धड़कने मेरी सुन,
तुझको मैं, कर लूं हासिल लगी है, यही धुन.....

बाहों में, दे बस जाने,
सिने में, दे छुप जाने,
तुझ बिन मैं, जाऊं तो कहा.......

तुझसे है, मुझको पाने,
यादों के, वो नज़राने,
एक जिन पे, हक़ हों बस मेरा.....

तेरी यादों में रहूं,
तेरे ख्वाबों में जगु,
मुझे ढुंढे जब कोई, तेरी आंखों में मिलू......

जो भी सांसें मैं भरू,
उन्हें तेरे संग भरूं,
चाहे जो हो रास्ता,
उसे तेरे संग चलूं.....

दिल इबादत कर रहा है, धड़कने मेरी सुन,
तुझको मैं, कर लूं हासिल लगी है, यही धुन.....

रुद्र की बात सुनकर, दुआ परेशानी में पूरा डांस ठीक से कर देती है, जिस पर सभी लोग हैरान रह जाते हैं वो दोनों बेहद खूबसूरत डांस करते हैं, गाना ख़त्म होते ही, सभी लोग ज़ोरदार तालियों से, उनकी वाह-वाह करते हैं, तभी सभी जगह की लाईट भी ऑन हो जाती है.......

दुआ फौरन ही मौका देख, वहां से निकल जाती हैं क्योंकि उसे पता था, रुद्र अपनी बात का बहुत पक्का है, मगर उसने तो रुद्र को यह सोच कर, हां कर दी थी, कुछ ख़ास करने के लिए कि वो फंक्शन में बिज़ी होकर शाय़द भुल जाएगा मगर रुद्र तो पिछे पड़ गया था, अब अगर उसने कुछ नहीं किया तो सच में रुद्र सबके सामने उसे किस कर लेगा......

यह सोचकर ही, दुआ आंखें बंद कर लेती है और अपना होंठ काटते हुए------ सोचों दुआ सिद्दीकी, कुछ तो सोचना पड़ेगा, अपने शौहर को बहुत अच्छे से जानती हो ना, सोचों, जल्दी से कुछ सोचों.......

दुसरी तरफ कुन्ती देवी की गोद भराई की रस्में शुरू हो जाती है, रुद्र चारों तरफ दुआ को ढूंढता है मगर वो कहीं नहीं मिलती, फिर वो जिया को ढूंढता है मगर वो भी उसे नही मिलती तभी अजय उससे टकरा जाता है......

अजय------ रुद्र, भाभी कहां है???

रुद्र------- मैं भी कब से उसे ही ढूंढ रहा हूं!

अजय-------चल, जिया भाभी के पास चलते हैं, क्या पता उनको पता हो....

रुद्र----- बहुत देर से वो भी नहीं दिखाई दी है, और दुआ को तो देखें हुए एक घंटा हो गया, पता नहीं कहां है???

रुद्र यही कह रहा होता है कि सामने से आती जिया पर उन दोनों की नज़र पड़ती है, तो दोनों ही फौरन जिया के पास चले जाते हैं।

रुद्र----- भाभी आप कहां थी?? कब से ढूंढ रहा हूं???

जिया कोई जवाब देती इससे पहले रुद्र दुसरा सवाल कर देता है।

रुद्र इधर-उधर नज़र घुमाते हुए----- अच्छा भाभी, आपने दुआ को देखा है क्या??? पिछले एक घंटे से वो नज़र नहीं आई।

जिया मुस्कुराते हुए------ क्या बात है रुद्र, पल-पल का हिसाब रख रहे हों???

रुद्र----- भाभी बताओ ना, पता नहीं बग़ैर बताएं दुआ कहां चली गई????

जिया------ अच्छा ज़्यादा परेशान नही हो, वो अपने कमरे में थी इसलिए तुम लोगों को इतनी देर से नहीं दिखीं!!

रुद्र सोचते हुए--------ओह, तो मैडम जी ने यह तरीक़ा ढूंढ़ा है, मुझसे बचने का, मगर मैं भी, इतनी आसानी से यह मौक़ा हाथ से नहीं जाने दुंगा। 

जिया, रुद्र के सामने चुटकी बजाते हुए------- क्या सोचने लगें रुद्र????

रुद्र अपने ख्यालों से बाहर निकल------- क-कुछ नहीं भाभी, मैं दुआ को देख कर आता हूं------

यह कह कर वो जाने के लिए आगे बढ़ता ही है कि पिछे से म्यूज़िक बजना शुरू होता है और उसके क़दम अपने आप रूक जाते हैं.....

वो पिछे मुड़कर देखता है तो एक लड़की रोज़ गोल्ड रंग का लहंगा पहनें उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ी होती है, उसके लम्बे बाल आगे की तरफ़ होते हैं, जिससे उसकी बैकलेस ब्लाउज़ उसको और भी आकर्षक बना रहा होता हैं, सभी की निगाहें उस पर टिक जाती है, और गाना शुरू होता है:-

बोलें चूड़ियां....बोलें कंगना,
हाय, मैं हो गई.....तेरी साजना,
तेरे, बिन जिया नय्यो लगदा, मैं ते मर गई यां....

इसी के साथ, डांस करते हुए दुआ पलटती है तो रुद्र एक दम से लड़खड़ा जाता है, उसको यक़ीन ही नहीं हो पाता, दुआ की ड्रेस देख....

लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, सोड़ीए लेजा-लेजा

लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा....हो-हो 
लेजा-लेजा, सोड़ीए लेजा-लेजा.....आ-आ-आ-2

बोलें चूड़ियां, बोलें कंगना,
हाय, मैं हो गई, तेरी साजना~2
तेरे, बिन जिया नय्यो लगदा, मैं ते मर गई यां....

लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, सोड़ीए लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा

रुद्र उसके पास जाते हुए........

बोलें चूड़ियां....बोलें कंगना,
हाय, मैं हो गया..... तेरा साजना,
तेरे, बिन जिया नय्यो लगदा, मैं ते मर गई यां....

लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, सोड़ीए लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा,

दुआ, रुद्र को इशारा करते हुए......

हाय-हाय मैं, मर-जावां, मर-जावां तेरे बिन,
अब तो मेरी रातें कटती, तारें गिन-गिन,
बस तुझको पुकारा करें,
मेरी बिंदिया इशारा करें.....

रुद्र और अजय...........

लश्कारा-लश्कारा तेरी बिंदिया का लश्कारा,
ऐसे चमकें, जैसे चमकें, चांद के पास सितारा,

दुआ, रुद्र को मनाते हुए......

मेरी पायल बुलाएं तुझे,
जो रुठे, मनाएं तुझे,
ओ सजन जी, हां सजन जी,
कुछ सोचों, कुछ समझो मेरी बात को....

बोलें चूड़ियां....बोलें कंगना,
हाय, मैं हो गया.... तेरा साजना,
तेरे, बिन जिया नय्यो लगदा, मैं ते मर गई यां....

दुआ, जिया का हाथ पकड़, उसे भी स्टेज पर ले आती है.....

लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, सोड़ीए लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा......

जिया, रोहित (जिया का पति) के पास आते हुए..........अपनी मांग, सुहागिन हो,

दुआ, रुद्र के कन्धे पर हाथ रखते हुए कहती हैं.......

संग हमेशा साजन हो,
आके मेरी दुनिया में, वापस ना जाना,

तभी अजय, रुद्र और दुआ के बीच में आते हुए....

सेहरा बांध के माहीं, तूं मेरे घर आना.....

रुद्र, उसके सिर पर चपत लगा दुआ का हाथ पकड़ उसे अपनी तरफ खिंचते हुए....

ओये सोढ़ी कित्ती सोढ़ी, आज तू लगदी वे,
बस मेरे साथ ये जोड़ी तेरी सजदी है,
रुप ऐसा सुहाना तेरा, चांद भी है दिवाना तेरा....

दुआ और जिया एक साथ.....

जारें-जा, ओ झूठे, तेरी गल्ला हम ना मानें,
क्यूं तारीफें करता है तूं, हम तो सबकुछ जाने,

होअ-होअ-होअ......2

मुकेश रघुवंशी पिछे से आकर दुआ और रुद्र के सिर पर हाथ रखते हुए.......

मेरी दिल की दुआ ये कहें, 
तेरी जोड़ी सलामत रहे,

रुद्र के मां-पापा एक-दूसरे का हाथ पकड़ सबको एक साथ करते हुए....

ओ सजन जी, हां सजन जी,
यूं ही बीते, सारा जीवन साथ में.....

सभी एक साथ.....

बोलें चूड़ियां....बोलें कंगना,
हाय, मैं हो गई.....तेरा साजना,
तेरे, बिन जिया नय्यो लगदा, मैं ते मर गई यां....

लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, सोड़ीए लेजा-लेजा
लेजा-लेजा, दिल लेजा-लेजा,

इसी के साथ गाना बंद होता है, और सभी एक साथ शौर मचाते हुए एक-दूसरे के गले लग जाते हैं। इसी तरह कुछ देर बाद फंक्शन ख़त्म हो जाता है और सभी सोने के लिए अपने-अपने कमरों में चले जाते हैं।

रुद्र कमरे में आता है तो दुआ कपड़े चेंज कर अब अपने बाल बांधने की कोशिश कर रही थी, कि रुद्र पिछे से आकर उसकी गर्दन पर अपना चेहरा रख देता है.....

दुआ आहिस्ता से------- रुद्र क्या कर रहे हो???

रुद्र उसकी कमर पर हाथ रख उसे गोद में उठा, बेड पर बैठा देता है------ बस थोड़ा सा प्यार!!!

रुद्र, दुआ का सिर अपने सिने पर रख हल्के-हल्के से उसके बालों पर हाथ फेरते हुए------- दुआ, तुम मेरे साथ ख़ुश हो ना???

दुआ------- सच कहूं तो तुमसे शादी करते हुए मुझे लग रहा था कि तुम मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ग़लती हो, क्योंकि तुम्हारी वजह से मेरे बाबा की बेइज़्ज़ती हुई, तुम्हारे सारे रिश्ते टूट गए सब कुछ बिखरा सा लग रहा था मगर आज......

रुद्र------- मगर आज?????

दुआ, रुद्र का हाथ अपने हाथ में रखते हुए-------- मगर आज, मैं खुद को बहुत खुशनसीब समझती हूं, क्योंकि हमारी मोहब्बत ने इतने सारे लोगों के दिल से, धर्म के नाम पर पलने वाली नफरत को ख़त्म किया है, और यह सब सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी वजह से मुमकिन हो पाया है, अगर तुम सबसे लड़ कर मुझसे शादी नही करते या शादी की रात, किए वादे को नहीं निभाते, तो मैं अकेले, यह सब कभी नही कर पातीं........

दुआ सीधे होकर बैठते हुए, खुशी से-------- और तुमको पता है, आज के फंक्शन के बाद, मुझे एक अजीब अनजानी सी ख़ुशी महसूस हो रही है.......

रुद्र उसे ख़ुश देख मुस्कुराते हुए------ अच्छा, तो बताओ, आज फंक्शन में तुमको सबसे ज़्यादा अच्छा क्या लगा?????

दुआ चहकते हुए------- जब हमारे डांस के दौरान, दादू ने सबके सामने गाना गाते हुए हम दोनों के सिर पर हाथ रखा....... मतलब उस वक्त बिल्कुल परफेक्ट वाली फिलिंग्स आ रही थी...... ऐसा लग रहा था, अब सब कुछ ठीक होगा।

रुद्र, दुआ के क़रीब आकर, उसके चेहरे से बाल कान के पीछे करते हुए।

रूद्र आहिस्ता से दुआ के कान में---------- हम दोनों साथ होंगे तो अब कभी कुछ ग़लत नहीं होगा.....

यह कह कर वो आहिस्ता से उसके कान पर अपने होंठ रख देता है और दुआ आंखें बंद कर, खुद को उसके हवाले कर देती हैं.......इस पल रुद्र की बाहों में जो सुकून उसको मिला, उससे वो खुद को बहुत हल्का महसूस कर रही थी, खुद का मुकम्मल होना क्या होता हैं, आज उसे पहली बार‌ समझ आ रहा था, उसके अन्दर सुकून और ख़ुशी का एहसास गुज़रते पलों के साथ गहरा होता जा रहा था और उसका दिल यही दुआ कर रहा था रब से, कि अब कोई ओर इम्तेहान, कोई नाराज़गी नहीं बस अब सारी ज़िन्दगी, इसी तरह वो रुद्र की बाहों में खुद को महफूज़ महसूस करना चाहती थी, आज पहली बार उसे अपनी खुशकिस्मती पर यक़ीन नहीं आ रहा था, सबकुछ इतना परफेक्ट, इतना खूबसूरत था कि उसे खुद की ही नज़र लगने का डर सताने लगा था।

*********

सुबह के आठ बज रहे थे, जब दुआ की आंख खुली, शादी के बाद यह पहली सुबह थी जब वो इतनी देर तक सोती रही शायद इसलिए क्योंकि कल रुद्र की बाहों में वो बहुत सुकून की नींद सोई थी........ वो आंख खोल कर देखती है तो, रुद्र वहां नहीं होता, उसे लगता है शायद वो ऑफिस के लिए निकल गया.....यह सोच उसका मन उदास हो जाता हैं और वो फिर से आंखें बंद कर लेट जाती है......

मगर अभी पांच मिनट भी नहीं गुज़रते कि उसको अपने गालों पर रुद्र की उंगलियों का एहसास होता है और वो आंखें बंद किए ही मुस्कुराते हुए, उसके हाथ पर अपना चेहरा रख करवट बदल कर लेट जाती है तभी रुद्र मुस्कुराते हुए......उसको किस कर लेता है और वो हैरानी से आंखें खोल फौरन उठ कर बैठ जाती है......

दुआ अपना गला साफ़ करते हुए-------- वो.... त-तुम अब तक ऑफिस नहीं गए???

रुद्र मुस्कुराते हुए, उसके पास आकर--------- आ----हा, ऑफिस चले गया होता, तो अपनी बीवी का छोटू् सा, प्यार सा सपना कैसे पूरा करता????

दुआ अनजान बनते हुए-------- सपना???? कौन सा सपना????

रुद्र, दुआ के दोनों गाल खिंचते हुए------- यही की तुम आंख खोलो तो मैं तुम्हारे सामने हूं.....

दुआ अपने गाल छुड़ा, झूठा गुस्सा दिखाते हुए------ रुद्र, नहीं करा करो ना, मैं ऐसा कोई सपना नहीं देख रखी थी, वो बस मुझे लगा तुम ऑफिस चले गए हो इसलिए तुम्हारे आने पर मुझे लगा, शायद यह मेरा वहम है......

रुद्र हंसते हुए------- अच्छा जी, मान लेते हैं, आप हमको नहीं रणबीर कपूर को सपने में देखती है!

दुआ गुस्से में------ मैं क्यूं, रणबीर कपूर को देखूं अपने सपनों में????

रुद्र मुस्कुराते हुए, अपने सिर पर हाथ मार --------- ओके, मेरी क्यूटेस्ट बीवी तुम जिसे चाहो उसे अपने सपनों में देखना, फिलहाल जल्दी से तैयार हो जाओ.....

दुआ------ क्यों??? हम कहीं जा रहे हैं क्या???

रुद्र मुस्कुराते हुए-------हा, मेरी प्यारी सी बीवी के लिए एक छोटा सा सरप्राइज़ है।

दुआ------ सरप्राइज़???? कैसा सरप्राइज़?????

रुद्र-------- पहले जाओ तैयार तो हो!

दुआ------- रुद्र बताओं ना, वरना मैंने कहीं नहीं जाना और ना ही तैयार होना......

रुद्र------ अच्छा ठीक है, नाराज़ नही हो, आज हम दोनों सिद्दीकी हाउस जा रहें हैं, दरअसल पिछ्ले छः महीनों में सिद्दीकी हाउस से कोई भी तुमसे मिलने नहीं आया, यहां तक तुम ने भी फोन तक नही किया इसलिए मैंने सोचा आज तुम्हें सरप्राइज़ दे दूं.....

दुआ बहाना बनाते हुए------ एम् सोरी रुद्र हम फिर कभी चलेंगे, आज चाची के लिए पूजा रखी गई है, दादू को अच्छा नहीं लगेगा......

रुद्र------ परेशान नही हो, यह दादू का ही हुक्म है, उन्होंने ही मुझसे कहा कि तुम को, तुम्हारे घर वाले याद आ रहे होंगे.....

दुआ-------ठीक है, तो मैं दादू से ही जाकर मना कर देती हूं......यह कह कर वो जाने के लिए मुड़ी थी कि रुद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया.....

रुद्र मुस्कुराते हुए------- मेरी जान पहले चेंज तो कर लो, ऐसे जाओगी दादू के सामने.....

दुआ एक नज़र अपने कपड़े देखती है फिर चुपचाप नहाने चली जाती है......दुआ  जल्दी से तैयार होकर, सीधा दादू के कमरे में जाती है.....

मुकेश रघुवंशी मुस्कुराते हुए------ बेटा हो गई तैयार......

दुआ----- जी दादू!!

मुकेश रघुवंशी दुआ को देखते हुए------ कुछ कहना था दुआ???

दुआ सोचते हुए------- दादू घर में आज पूजा है, मैं बाहर कैसे जा सकती हूं, यहां मेरी ज़रूरत होगी, हम फिर कभी चलें जाएंगे.......

मुकेश रघुवंशी मुस्कुराते हुए------- इधर आओ, यहां बैठो......

दुआ खामोशी से मुकेश रघुवंशी के पास जाकर, बेड के किनारे पर बैठ जाती है, मुकेश रघुवंशी, दुआ के सिर पर हाथ रखते हुए......

मुकेश रघुवंशी-------- बेटा अपने घर जाने से कतराते नहीं है, मां-बाप कितने भी नाराज़ हो, मगर उनका दिल हर वक्त अपने बच्चों के लिए परेशान रहता है.......

मुकेश रघुवंशी का हाथ अपने सिर पर रखा देख और उनका इतने प्यार से समझाना दुआ की आंखे नम कर जाता है, चाह कर भी वो अपनी आंखों में छुपे आंसु को बहने से नहीं रोक पाती......... मुकेश रघुवंशी उसका चेहरा ऊपर करते हुए.........

मुकेश रघुवंशी--------- बेटा, तुम तो बहुत मज़बूत हो, जब तुम अपनी कोशिशों से दूसरों के दिलों में जगह बना सकतीं हो, दूसरों की सोच बदल सकतीं हो, तो अपने घरवालों की नाराज़गी के सामने कैसे हार मान सकतीं हो, वो तुम्हारे घरवाले है बेटा, आज नहीं तो कल ज़रूर मान जाएंगे!!!

दुआ रोते हुए------- मगर दादू........बाबा???

मुकेश रघुवंशी मुस्कुराते हुए-------- बेटा, कोई भी बाप अपनी बेटी से ज़्यादा वक़्त तक नाराज़ नही रह सकता, डॉक्टर सिद्दीकी भी मान जाएंगे और अगर वो तुमसे ना माने तो अपनी बच्ची की खुशी के लिए, मैं उनसे माफी मांग लूंगा.......तब तो मान जाएंगे ना वो?????

दुआ फौरन अपने आंसू साफ करते हुए------ नही दादू, कभी नही, आपको ऐसा कुछ करने की ज़रूरत नही है...... मैं आपका सिर, कभी नही झुकने दूंगी....अपने बाबा के सामने भी नहीं........आप फ़िक्र नहीं करें, आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगी......

मुकेश रघुवंशी, दुआ को गले लगाते हुए-------- मुझे पता है, मेरी बच्ची बहुत समझदार है, अब जल्दी से जाओ रुद्र बाहर तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा होगा और हां अपने बाबा से कहना, उनकी बेटी सिर्फ एक अच्छी बेटी ही नहीं बल्कि बहुत अच्छी बहू भी है।

दुआ हल्का सा मुस्कुराते हुए------ थैंक यू दादू!!!

मुकेश रघुवंशी-------- अच्छा अब जल्दी से जाओ और सुनो मैंने सबके लिए, कुछ तोहफे गाड़ी में रखवाएं है, मेरी तरफ़ से दें देना!

दुआ------- ठीक है दादू!!!

यह कह कर वो बाहर जाती है तो अजय और रुद्र किसी बात पर बहस कर रहे होते हैं, मगर दुआ को देख दोनों ही चुप हो जाते हैं।

दुआ------- अजय, तुम सुबह-सुबह यहां???

अजय------ हां भाभी, वो दादू ने मुझे कहा था, आज आप लोग सिद्दीकी हाउस जा रहें हैं तो मैं आप लोगों के साथ जाऊं......

दुआ, रुद्र को देखते हुए-------- मगर क्यों????

रुद्र, अजय को घूरते हुए------ मैं भी इतनी देर से इससे यही पूछ रहा हूं....

अजय----- भाभी, मैं भी सबसे मिल लूंगा ना और वैसे, छाया भी आपसे मिलने आ रही है तो उससे भी मुलाक़ात हो जाएगी......

दुआ और रुद्र हैरानी से अजय को देखते हुए-------- छाया को कैसे पता मैं सबसे मिलने घर जा रही हूं!!

अजय अपना कान खुजाते हुए------- वो मैंने ही उसे फोन करके बताया था!!

रुद्र घूरते हुए--------- और तेरे पास उसका नम्बर कहा से आया????

अजय-------यार इतने सारे सवाल???? अब तूं मुझ पर ऐसे शक मत कर, जब वो ऑफिस आई थी, तेरे बारे में बताने के लिए तभी उसने मुझे अपना नम्बर दिया था।

रुद्र अभी भी उसे घूर रहा था........

अजय, दुआ के पास जाते हुए------- भाभी, यह ना, मुझे हमेशा ग़लत समझता है, मुझे पता है छाया अच्छी लड़की है,  इसलिए बस कभी-कभी बात हो जाती है, जस्ट लाइक गुड फ्रेंड!!!

दुआ हंसते हुए------- अच्छा ठीक है, चलों!!

अजय खुशी से----- थैंक यू भाभी...... सब सही कहते हैं, आखिर मैं, भाभी ही काम आती है!!

रुद्र उसके सिर पर चपत लगाते हुए-------- दुआ इसकी बातों का बिल्कुल यक़ीन नहीं करो, युनिवर्सिटी में इसकी एक वक्त पर तीन-तीन गर्लफ्रेंड हुआ करती थी, तुम छाया से कहना इससे दूर ही रहे!!!

अजय गाड़ी में बैठते हुए अफसोस से------- भगवान तुझ जैसा, बेरहम दोस्त किसी को ना दें!!!

दुआ, अजय की बात सुनकर हंस देती है फिर इसी तरह पूरे रास्ते, अजय, रुद्र के बेरहम किस्से बताता रहता है कि कैसे-कैसे रुद्र की वजह से उसके ब्रेकअप हुए हैं और दुआ हंसती रहती है..........

रुद्र यह देख मन ही मन अजय को गालियां देता है क्योंकि वो शादी के बाद पहली बार दुआ के साथ बाहर आया था, पिछले छः महीनों से दुआ सिर्फ घर में थीं....... और आज जब मौका मिला तो अजय कबाब में हड्डी बन गया था......

पूरे रास्ते अजय बोलता रहा, बीच-बीच में रुद्र उसे चुप करने की कोशिश करता तो वो फौरन दुआ को ढाल बना लेता और फिर से बोलना शुरू कर देता, इसी तरह वो कब सिद्दीकी हाउस पहुंच जाते हैं, पता ही नहीं चलता......

वो लोग घर पहुंचते हैं तो सबसे पहले आकिब भागता हुआ आता है और दुआ के गले लग जाता है, दुआ भी उसको गले लगा कर भावुक हो जाती है फिर उसे खुद से अलग करते हुए..... रुद्र की तरफ़ इशारा करती है.......

आकिब, रुद्र के सामने सिर झुका---------- एम् सोरी, रुद्र भईया......उस दिन आपकी पुलिस कम्पलेन आपी ने नहीं, मैंने की थी, प्लीज़ आप आपी से नाराज़ नही होना।

रुद्र मुस्कुराते हुए------- छोटू उस्ताद, अपनी बहन के लिए लड़ना ग़लत बात नहीं होती, गर्व की बात होती है, तो तुम माफी के नहीं, ईनाम के हकदार हो और दुआ बहुत खुशनसीब है कि उसका छोटा सा भाई उसके लिए इतना फिक्रमंद रहता है मगर साले साहब, एक बात अच्छे से समझ लो कि तुम्हारी बहन से मैं चाह कर भी नाराज़ नही रह सकता इसलिए अब बेफिक्र रहो....... वैसे बस आप ही है घर में या कोई और भी है?????

तभी दुआ की अम्मी, नानी और छाया साथ में दरवाज़े पर आ जाते हैं, उनका स्वागत करने के लिए......

साएरा बेगम मुस्कुराते हुए-------- बेटा शादी के बाद पहली बार बेटी घर आ रही थी तो इंतेज़ाम करने में वक्त तो लगेगा ना......

दुआ और रुद्र दोनों सलाम करते हुए साएरा बेगम के गले लग जाते हैं.......

साएरा बेगम-------हमेशा खुश रहो, आबाद रहो और अल्लाह तुमको हमेशा हर मुसीबत से बचा रखें।

दुआ अपनी अम्मी के गले लगते हुए------- बाबा नज़र नही आ रहे, उनको नहीं बताया था???

साएरा बेगम फौरन दुआ के सवाल को अनसुना कर, रुद्र का हाथ पकड़ते हुए------ अरे बच्चों, तुम लोग यही खड़े-खड़े सारी बातें करोगे या अन्दर भी चलोगे..... तुम्हारी अम्मी और मैंने मिलकर इतने सारे पकवान बनाए है तुम लोगों के लिए सब ठंडा हो जाएगा पहले ही तुम लोग इतनी देर से आए हों।

रुद्र मुस्कुराते हुए-------- सोरी नानू, आज ट्रैफिक बहुत था, इसलिए देर हो गई मगर पहले हम दोनों एक गेम खेलेंगे फिर कुछ खाएंगे......आपके साथ लूडो खेलने में बहुत मज़ा आता है क्यों आकिब, बिछाएं लूडो?????

आकिब मुस्कुराते हुए-------- हां भईया, मैं अभी लेकर आता हूं।

यह कह कर आकिब भागकर लूडो ले आता है और वो लोग खेलने बैठ जाते हैं........दुआ, अपनी अम्मी और छाया के साथ बात करने में बिज़ी हो जाती है और इस सब में वक्त कब गुज़र जाता है पता ही नहीं चलता पांच बज रहे होते हैं, जब साएरा बेगम ज़बरदस्ती सबको खाने की टेबल पर बैठने को कहती हैं......

रुद्र, आकिब से एक गेम हार जाता है तो रुद्र को पेनेल्टी के नाम पर उसे बाहर ले जाना होता है इसलिए आकिब जल्दी-जल्दी खाना खा कर, बाहर जाने के लिए खड़ा हो जाता है, साएरा बेगम उसे डांट देती है कि वो कम से कम रुद्र को खाना तो ठीक से खाने दें तो आकिब मुंह बना कर बैठ जाता है.......

रुद्र यह देख मुस्कुराते हुए, खाना छोड़ खड़ा हो जाता है।

साएरा बेगम------- रुद्र बेटा, खाना तो ठीक से खाओ.....

रुद्र मुस्कुराते हुए------- नानू, सारा खाना बहुत लाजवाब बना है इसलिए एक बार में तो पेट भरेगा नही मेरा, आप बड़े से डब्बे में मेरे लिए पैक कर देना......इतने ज़रा में अपने एकलौते साले साहब को घुमा कर लाता हूं......यह कह कर वो दोनों चलें जाते हैं......

अभी उनको गए हुए 15-20 मिनट ही गुज़रते है कि फरहान सिद्दीकी आ जाते हैं जिनको देख सभी की जान सूख जाती है।

फरहान सिद्दीकी गुस्से में-------- तो मेरे पिछे, मेरे घर में दावतें की जा रही है और मुझे पता ही नहीं.......वाह बहुत खूब!!! 

दुआ हिम्मत कर उनके पास आते हुए-------- बाबा, आप अब तक नाराज़ हैं???

फरहान सिद्दीकी, तभी गुस्से में उसे एक ज़ोरदार थप्पड़ जड़ देते हैं जिस पर वहां खड़े सभी लोग हैरान रह जाते हैं, अजय आगे बढ़ने के लिए क़दम बढ़ाता है मगर छाया उसका हाथ पकड़ उसे आगे बढ़ने से रोक देती है....... दुआ का हाथ अभी भी उसके लाल गाल पर होता है जिस पर उनकी पांचों उंगलियां छप गई होती है।

फरहान सिद्दीकी-------- मेरी बेटी मेरे लिए उस दिन ही मर गई थी जिस दिन उसने अपने दिल में उस काफ़िर को जगह दी थी.........आज तुझे उसके घर में ख़ुश देखने से अच्छा होता, मैं तेरा जनाज़ा देख लेता.......मेरी बददुआ है कि उसने जैसे मेरा घर उजाड़ा है, वैसे ही उसका घर भी उजड़ जाए तब शायद मुझे सुकून मिलें.......

फरहान सिद्दीकी गुस्से में सबको घूरते हुए------- यह मेरा घर है अगर आधे घंटे में यह लड़की यहां से नहीं गई ना तो मैं खुद इसे अपने घर से धक्के मार कर बाहर निकाल दूंगा....... इस लड़की के लिए इस घर के दरवाज़े हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं, अब इससे हमारा कोई रिश्ता नहीं है।

यह कह कर फरहान सिद्दीकी गुस्से में वहां से चले जाते हैं और घर के मेन गेट पर रुद्र से टकरा जाते हैं मगर इससे पहले रूद्र उनको सलाम करता वो उसे घूरते हुए, अपनी कार में जा बैठते हैं......

रुद्र को आता देख, सभी नोर्मल होने की कोशिश करते हैं, दुआ खुद का चेहरा उससे छुपाने के लिए फौरन अपनी आंख में मिर्ची वाले हाथ लगा लेती है......

दुआ आंखें मसलते हुए-------- आहहह!!!! अम्मी, आंखों में मिर्ची चली गई है।

रुद्र परेशानी से उसके पास आते हुए----- दुआ क्या हुआ है??? दिखाओ मुझे???

दुआ अपना चेहरा दुसरी तरफ कर------ रुद्र तुम क्या करोगे, तुम बैठो, मैं मुंह धोकर आती हूं, आंखों में बहुत मिर्चें लग रही है.....

यह कह कर वो भागते हुए वाशरूम चली जाती है, जब पांच मिनट गुज़र जाते हैं और दुआ वाशरूम से वापस नहीं आती तो रुद्र परेशान होकर खड़ा हो जाता है।

रुद्र------मै दुआ को देख कर आता हूं, पता नहीं अब तक क्यूं नहीं आई???

छाया फौरन खड़े होते हुए------- अरे जीजू, पांच मिनट ही हुए हैं, थोड़ा तो सोचें, सब आपके बारे में क्या सोचेंगे, ससुराल आए है, उसको थोड़ा टाइम दें........ चलें आपकी तसल्ली के लिए, मैं चलीं जाती हूं......आप आराम से बैठ कर बात करें....

यह कह कर छाया वाशरूम में चलीं जाती है.... दुआ को जाकर देखती है, उसके गाल पर उंगलियों के निशान साफ़ चमक रहें थे और वो अभी भी वाशरूम में बैठी रो रही थी, छाया को देख वो उससे लिपट कर और रोने लगती है, उसकी हालत देख छाया की आंखें भी नम हो जाती हैं.....

छाया उसकी पीठ सहलाती हुई--------बस दुआ, बस खुद को सम्भाल.....

दुआ रोते हुए-------- छाया तूने देखा ना, बाबा ने मुझे पहली बार, थप्पड़ मारा, वो भी सबके सामने....... वो तो मुझसे बहुत प्यार करते थे छाया, फिर इतनी नफ़रत.......वो मुझसे इतने नाराज़ कैसे हो सकते हैं....... तूने सुना ना सब........ 

छाया उसकी पीठ सहलाते हुए------दुआ, प्लीज़ रोना बंद कर, रुद्र के बारे में सोच, उसके घरवालों के बारे में सोच, वो सब तुझसे कितना प्यार करते हैं, उन सबके लिए खुद को सम्भाल, प्लीज़.....

दुआ रोते हुए------छाया, काश अल्लाह सच में मेरी जान निकाल ले, काश मैं, सच में मर जाऊं, छाया मैं बाबा की इतनी नफ़रत नहीं सह सकती, अल्लाह प्लीज़ मुझे मौत दें दे और मेरे बाबा को सुकून मिल जाएं।

छाया गुस्से में-------- तू पागल हो गई है दुआ, यह क्या बकवास कर रही है, देख बाहर सब तेरा इंतेज़ार कर रहे हैं, रुद्र के बारे में सोच, अगर उसे अंदाज़ा भी हो गया ना तो तुझे पता है वो क्या-क्या कर सकता है इसलिए प्लीज़, खुद को संभाल और बाहर चल वरना वो अंदर आ जाएगा तुझे देखने.....

छाया किसी तरह उसे समझा कर, तैयार करके बाहर ले आती है......थप्पड़ का निशान छुपाने के लिए छाया ने उसका मेकअप कर दिया होता है और उसके बाल खोल आगे की तरफ़ डाल देती है जिससे उसका चेहरा आधा कवर हो जाता है।

रुद्र उसके पास आते हुए------ क्या बात है दुआ, तुम्हारी आंखें इतनी लाल क्यों हो रही है???

दुआ अपना गला साफ़ करते हुए सोच में पड़ जाती है कि तभी अजय बोल पड़ता है.....

अजय----- रुद्र तू भी कैसे सवाल करता है, भाभी ने बताया था ना, ग़लती से खाना खाते हुए, मिर्ची के हाथ आंख में लगा लिये थे........ अब आंख में मिर्च लगेगी तो आंखें ही लाल होंगी ना कान तो लाल होंगे नहीं....... क्यों भाभी, सही कहा ना???

दुआ हल्का सा मुस्कुराते हुए------- हम्ममम!!!

अजय------- अच्छा, अब हम सबको निकलना चाहिए, वरना ट्रेफिक में फंस गए तो बहुत टाइम लग जाएगा।

रुद्र------तुझे इतनी जल्दी क्या है, घर जाने की, दुआ छः महीने बाद मिल रही है सबसे, रात तक आराम से चलेंगे।

रुद्र की बात सुन सभी परेशान हो जाते हैं......

दुआ हिम्मत कर------- रुद्र, अजय ठीक कह रहा है, हमें निकलना चाहिए, मेरे सिर में भी दर्द हो रहा है, प्लीज़ घर चलें, वैसे भी अब तो आते-जाते रहेंगे ना तो अगली बार रूक जाउंगी और दिल खोलकर सबसे बात करुंगी मगर अभी चलते हैं ना...... और छाया को भी  देर हो रही है, रास्ते में उसे भी छोड़ देंगे।

रुद्र मुस्कुराते हुए----- अच्छा ठीक है, जैसा तुम कहो।

बाकी अगले भाग में:-
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रचनाएँ
दिल ए नादान
5.0
यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसका मानना है कि आप अपने रब को "भगवान कह कर पुकारो, अल्लाह कहो या कुछ ओर" सुनने वाला एक ही है.........क्योंकि रब को अलग नाम दिए जा सकते हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे हम अपने चाहने वालों को कई नामों से पुकारते हैं मगर होता वो एक ही है इसी तरह फरियाद सुनने वाला भी एक ही है और पुकारने वाला दिल भी वही है, फ़र्क है तो नज़रिए का......उसके हिसाब से दुनिया का हर धर्म सबसे पहले इंसानियत सिखाता है.......एक-दूसरे से प्यार करना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना सिखाता है मगर क्या वो अकेला, धर्म पर होने वाली नफरत को मिटा सकेगा????? कहते है, किसी एक इंसान की सोच बदलना भी बहुत मुश्किल है फिर उसके सामने तो उसका पूरा परिवार था जो उसकी सोच के खिलाफ, उसकी मोहब्बत के खिलाफ था...... आइए चलें एक नए सफर पर इस दिवाने के साथ, देखें क्या होगा इसका अंजाम, क्या पिघल जाएंगेे लोगों के दिल उसकी मोहब्बत के सामने या होगा फिर वही, लाखों लोगों की तरह.....उसकी मोहब्बत भी तोड़ देगी दम धर्म के नाम पर पैदा हुई नफरत के सामने.      **************** 12-Dec-2018 आज रूद्र बहुत तेज़ कार चला रहा था, ज़्यादातर वह कायदे-कानून का पालन करता था, मगर आज शायद उससे इंतेज़ार नही हो रहा था, उसका दिल कह रहा था कि वो उड़ कर दुआ के सामने पहुंच जाएं, उसकी मोहब्बत, उसका जुनून, उसकी ज़िद्द सब कुछ उस एक नाम पर अटक गया था "दुआ"........ छः महीनों की लगातार कोशिशों के बाद, आखिर आज दुआ ने उसे मिलने बुला ही लिया था, वो नही जानता था कि आगे क्या होगा बस उसको तो इंतेज़ार था, उस पल का, जब दुआ उसके सामने हो और वो उसको बता सके, कि वो उससे कितनी मोहब्बत करता है, कितनी बातें थी उसके दिल में, आज वो सारी बातें कहने का मौका मिला था उसे इसलिए आज का दिन उसके लिए बहुत खास था .....यही सब सोचते-सोचते वो कब दुआ के बताए रेस्टोरेंट के सामने पहुंच गया उसको पता ही नही चला, वो जल्दी से गाड़ी से उतर अन्दर जाकर पुछता है, तो वेटर उसको दाएं हाथ की तरफ इशारा करते हुए रास्ता बता देता है..... कुछ क़दम चलने के बाद ही वो एक दरवाज़े से बाहर निकलता है तो सिर पर खुला आसमान, चारों तरफ हरियाली, तेज़ हवाएं, जगह ज़्यादा बड़ी नहीं थी मगर उसकी डेकोरेशन इतनी खूबसूरत थी कि बड़े-बड़े होटलों को फेल कर दे, थोड़ी ही दूर पर एक टेबल रखी थी और उसकी दाईं ओर कुछ लकड़ियों को जला रखा था, आज मौसम भी काफी सुहाना था जो रूद्र के मूड को ओर भी खुशगवार बना रहा था, वो टेबल के पास पहुंचा तो दुआ को देख कर एक पल के लिए जैसे सब कुछ भुल गया....... तेज़ हवाएं उसके लम्बे बालों से खेल रही थी, और वो खुद किसी गहरी सोच में गुम थी, उसकी आंखें टेबल पर गड़ी हुई थी जहां एक तरफ भगवान की छोटी सी मुर्ती रखी थी और उसके ही साथ एक छड़ी थी जिस पर अल्लाह लिखा हुआ था......दुआ अपनी सोच में इतना खो गई थी कि उसे रूद्र के आने का एहसास तक नही हुआ. रूद्र का दिल तो कह रहा था कि वो उसको यू ही ज़िन्दगी भर देखता रहे मगर अभी उसको इतना हक़ कहा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपना गला साफ करते हुए, दुआ से बैठने की इजाज़त मांगी और दुआ उसकी आवाज़ सुनते ही खुद को ठीक करते हुए एक दम सीधी बैठ गई। जानते हो रूद्र यह क्या है??----इससे पहले रूद्र कुछ कहता दुआ ने टेबल पर रखी मूर्ति और छड़ी की तरफ देखते हुए उससे पूछा। उसने कुछ ना समझते हुए दुआ को देखा। रूद्र यह हम दोनों है जो कभी एक नही हो सकते, आज मैंने, तुम्हे यहां सिर्फ यही कहने के लिए बुलाया है......भुल जाओ मुझे, अभी कुछ नही बिगड़ा है, तुम एक अच्छे बिजनेसमैन हो, अपने करियर पर ध्यान दो, तुम्हारे परिवार का बहुत नाम है, उनका मान नही तोड़ो, मैं नही चाहती मेरी वजह से किसी का परिवार टूट जाए, मैं नहीं चाहती, मैं किसी की बर्बादी की वजह बनूं, इसलिए आज के बाद फिर कभी तुम मेरे सामने नही आना---- दुआ उसे समझा रही थी और वो सिर्फ उसको देखें जा रहा था, कितनी आसानी से उसने कह दिया था भूल जाओ मुझे....... रूद्र तुम सुन भी रहे हो या नही----दुआ ने रूद्र को खामोश देखा तो थोड़ा झुंझलाते हुए पूछा। ना-नही हो सकता यह......यह मूर्ति, यह छड़ी इन बेजान चिज़ो को तुम मेरे दिल, मेरे जज़्बात से मिला रही हो.......रूद्र ने गुस्से में टेबल पर हाथ मारते हुए कहा, जिससे दोनों चिज़े जलती हुई आग में गिर गई और दुआ हैरानी से उसे देखती रह गई, पहली बार रूद्र ने उससे तेज़ आवाज़ में बात की थी, उसको इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नही था कि रूद्र को गुस्सा भी आ सकता हैं। क्या-क्या समझाना चाहती हो तुम मुझे, हां, बोलो, कहना क्या चाहती हो, यही ना कि मैं हिन्दू हूं और तुम मुसलमान.......तो यह मेरी गलती है क्या, बताओ मुझे......मैं खुद को क्यों रोकूं? क्यों मैं खुद को उस ग़लती की सज़ा दूं जो मैंने की ही नही....क्या रब ने मुझे पैदा करने से पहले मुझसे पूछा था, किस धर्म, किस जाति में पैदा होना चाहता हूं मैं......नही ना.....तो फिर मुझे सज़ा क्यों दें रही हों......... यक़ीन मानो मैंने तो कभी चाहा भी नही था कि मुझे कभी किसी लड़की से प्यार हो मगर हो गया ना, मैं मानता हूं यह आसान नही है मगर तुमको भूल जाना भी मेरे हाथ में नही है......... तुमसे प्यार करता हूं, खुद को भुला सकता हूं मगर तुमको नहीं भूल पाऊंगा------ यह कहते हुए रूद्र की आवाज़ रूंध गई थी और कब उसकी आंखों से आंसू बहने लगे यह शायद उसको भी पता नहीं चला वो बस बोले जा रहा था। रुद्र--------दुआ मैं नही जानता यह सही है या ग़लत, मगर मैं मानता हूं, मोहब्बत का कोई धर्म, कोई जाति नही होती, यह तो वो खास एहसास होता है जो बहुत कम लोगों के दिल में पैदा होता है, तुमको देखकर जो एहसास, जो सुकून मुझे मिलता है, वो मैं लफ़्ज़ों में नही बता सकता....... अगर तुम मुझे कोई ओर वजह देती ना, तुम से दूर जाने के लिए तो शायद मैं खुद की जान ले लेता लेकिन तुम्हारे सामने फिर कभी नही आता ......मगर तुम मुझे खुद को भूलने का कह रही हो, इस घटिया दुनिया के लिए, जो कभी किसी की नही हुई......आज मैं आत्महत्या कर लूं तो क्या इस दुनिया पर कोई फ़र्क पड़ेगा????.... नही!!! कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा किसी को!!! मगर-अगर मैं अपने प्यार के लिए लड़ूंगा ना तो इस दुनिया को ज़रूर फ़र्क पड़ेगा, तब ज़रूर यह दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी होगी...... रुद्र------दुआ यह दुनिया, धर्म और जाति के नाम पर एक-दूसरे को मारने के लिए पल भर में तैयार है मगर प्यार और इन्सानियत का क्या??? ........क्यों मैं ऐसे समाज के लिए अपनी मोहब्बत, अपनी खुशियों का त्याग करूं?? जो कभी किसी की हुई ही नहीं.... तुम मुझे अपना मानो या ना मानो मगर मेरे लिए तुम मेरी ज़िन्दगी बन गई हो, अब चाहे जो हो जाए, तुमको भुलना नामुमकिन है---रूद्र की आंखों में साफ दिख रहा था, कि कुछ भी हो जाएं, वो हार नही मानेगा, और मानता भी क्यों उसका कहा हर लफ्ज़ सही था..... दुआ ने तो यह सोचा ही नही था कि रूद्र आज उसकी एक नही सुनेगा, मगर दुआ भी उसके सामने हार नही सकती थी क्योंकि वो बहुत अच्छे से जानती थी, कि रुद्र की मोहब्बत की क़ीमत कितनी बड़ी हो सकती है उसे अच्छे से पता था इसलिए उसे किसी भी तरह आज यह किस्सा यही खत्म करना था, यही सोच दुआ गुस्से में कुर्सी से खड़ी हो गई। दुआ गुस्से में-----ठीक है, तुम्हे परवाह नही है, तो ना सही, मगर मुझे है..... मिस्टर रूद्र रघुवंशी हर इंसान तुम्हारी तरह नही सोचता, तुम एक मर्द हो, वो भी इस शहर के सबसे अमीर परिवार से, इसलिए शायद तुम ऐसा सोच सकते हों, मगर मैं एक लड़की हूं वो भी ऐसे परिवार से जहां मैं अपने बाबा का मान हूं उनकी इज़्ज़त हूं, मैं एक हिन्दू लड़के को कभी नही अपना सकती, अपने बाबा पर उंगली उठाने की वजह नही दे सकती मैं दुनिया को, क्या कहेंगे लोग मेरे बाबा से, कैसे जवाब देंगे मेरे बाबा, इस दुनिया के अनगिनत सवालों के, नहीं रुद्र, तुम्हारी मोहब्बत की क़ीमत मेरे बाबा चुकाएं ऐसा मैं नही होने दूंगी इसलिए अच्छा होगा आज के बाद तुम मेरे सामने कभी ना आओ----यह कह कर वो जाने के लिए आगे बड़ी ही थी कि रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया। रुद्र------यही प्रोब्लम है ना कि मेरा नाम रूद्र रघुवंशी है कोई रहमान या सलीम नही, तो ठीक है, मैं इस प्रोबलम को अभी यही खत्म कर देता हूं......आज तुमको, अपनी मोहब्बत को गवाह बना कर, मैं इस्लाम कुबूल करता हूं....... तुम एक लड़की होना, तुम कुछ नही कर सकती क्योंकि तुम मजबूर हो सकती हो मगर मैं नही, आज से मैं तुम्हारी ताकत बनूंगा और तुम्हारा मान, कभी नही टूटने दूंगा---उसने यह कहते हुए आग में पड़ी छड़ी, को उठाया जिस पर अल्लाह लिखा था और उसे अपने हाथ पर चिपका दिया, जिसे देख दुआ चीख पड़ी और उसने रूद्र के हाथ से छड़ी लेकर फेंक दी......मगर उस छड़ी के साथ-साथ रूद्र के हाथ की खाल भी उतर गई। रुद्र नम आंखों से, अपना जला हुआ हाथ देख, मुस्कुराते हुए----- दुआ अब मेरे मरने के बाद भी कोई तुम पर उंगली नही उठा सकेगा, कोई तुम्हारे बाबा से नही पूछेगा कि मैं हिन्दू हूं, अब मेरे हाथ पर लिखा यह अल्लाह कभी नही मिट सकेगा, अब तो तुम मेरी मोहब्बत को क़ुबूल करोगी ना.... दुआ मैं अपनी मोहब्बत के लिए खुद को कुर्बान कर दुंगा.....मगर अपनी मोहब्बत को कुर्बान नही होने दूंगा इस दुनिया के लिए--- रूद्र यही कह रहा था कि दुआ ने गुस्से में उसके थप्पड़ मार दिया. दुआ उसके जले हाथ को देखते हुए-------तुम पागल हो क्या, जानते भी हो, क्या किया है तुमने??? यह कोई छोटी बात नही है रुद्र, बच्चों का खेल नहीं है यह, ज़िन्दगी भर भी इस निशान को मिटाने की कोशिश करोगे, तब भी अब यह नहीं जाएगा...... क्या जवाब दोगे सबको, अपने घर वालों को, क्या बताओगे यह कैसे हुआ??? यहां कोई तुम्हारे जज़्बात नही समझेगा रुद्र, यह आज का हिन्दुस्तान है जहां हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लाखों मासूमों का खून बहा दिया जाता है यह देश पहले जैसा नही है, जहां सब एक साथ नहीं, एक-दूसरे के दिल में रहते थे, रहम करो मुझ पर और खुद पर.......प्लीज़ खुद को बर्बाद नही करो, छोड़ दो मेरा पीछा, चलें जाओ मेरी ज़िन्दगी से,  नही करती मैं तुमसे प्यार, मुझे मेरे बाबा की इज़्ज़त सबसे प्यारी है, प्लीज़ चलें जाओ - दुआ ने रूद्र के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा यह कहते हुए दुआ की आंखें भर आईं थी मगर उसने अपने आंसु बहने नही दिए, क्योंकि उसके आंसु जहां उसको कमज़ोर बनाते वहीं रूद्र की मोहब्बत को ओर हवा देते, इससे पहले वो कुछ बोलता दुआ वहां से चली गई. आज मौसम भी अपने तेवर दिखा रहा था, वह रेस्टोरेंट से बाहर निकली ही थी कि ज़ोर से बारिश शुरू हो गई, बारिश की बूंदों के साथ दुआ के आंसूओं ने भी अपनी सरहद तोड़ दी थी...... दुआ-----कोई किसी से इतनी मोहब्बत कैसे कर सकता है, एक पल में उसने अपना सब कुछ गंवा दिया, एक बार भी नही सोचा, उसका अंजाम किया होगा और मैं बेरहम लड़की, उसको इतनी तकलीफ़ में, अकेला छोड़ आई......काश मुझे थोड़ा भी अंदाज़ा होता उसकी हरकत का, तो मैं इतनी घटिया बात कहती ही नही उसको........मैंने तो सिर्फ इसलिए ऐसा कहा था कि शायद वो हार मान जाएं, शायद उसे मेरी बात चुभ जाए, शायद वो मुझसे नफरत करने लगे.....मगर मुझे क्या पता था वो मुझसे इतनी मोहब्बत करता है कि सबकुछ खोने को तैयार है, उसे अपनी किसी तकलीफ की परवाह नही और मैं इस दुनिया की फ़िक्र लिए बैठी हूं.....उसने सच ही तो कहा.....अगर उसे कुछ हो गया, तो इस दुनिया को क्या फर्क पड़ेगा.......लेकिन मुझे??? क्या मुझे, सच में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उसके चलें जाने से??? क्या अब, मैं रह सकूंगी उसके बगैर??? दुआ बारिश में पैदल चले जा रही थी और खुद से हज़ारों सवाल कर रही थी, ना उसको सिग्नल का ख्याल था और ना ही रफ्तार से चल रही गाड़ियों का डर......उसके सामने तो सिर्फ वो मंज़र था जब वह रुद्र के जलते हाथ को देखती रही, उसको रोक ना सकी, वो तो मिलने सिर्फ इसलिए गई थी कि आज किसी भी तरह उसको समझा देगी और फिर कभी नही आएगी उसके सामने, मगर उसको क्या खबर थी आज वो खुद ही हार जाएगी, और वहीं छोड़ आएगी खुद को...... आज रूद्र की मोहब्बत जीत गई थी और वो हार गई थी, रो-रो कर उसकी आंखें सुझ गई थी, उसको अपना-आपा बोझ-सा लग रहा था, जिसको घसीटते हुए वह घर ले जा रही थी, इस वक्त उसको किसी की फ़िक्र नहीं थी कि उसकी ऐसी हालत देख लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, कुछ नही, अब अगर फ़िक्र हो रही थी उसको तो सिर्फ रुद्र की, अब उसके दिल और दिमाग में सिर्फ एक ही नाम था....... दो घंटे तक वो बारिश में भीगते-भीगते पैदल चलते हुए कब घर आ गई उसको पता ही नही चला, उसने दरवाज़ा खोला ही था कि उसकी नानी उसे देखते ही जल्दी से तौलिया लेकर उसके पास आ गई. कितनी बार कहा है! बारिश में नही भीगते, हर बार बीमार होने के बाद भी नही सुनती यह लड़की-----उसकी नानी (साएरा बेगम) ने सिर पर तौलिया डालते हुए कहा और दुआ उनके गले लग कर रोने लगी. दुआ! मेरा बच्चा क्या हुआ----साएरा बेगम ने उसके सिर पर प्यार करते हुए घबरा कर पूछा। एम् सोरी नानू-एम् सोरी, मैं आपकी अच्छी नवासी नही बन सकी, इस घर की इज्ज़त का बोझ नही उठा सकी, मैं हार गई उसके सामने, नानू मैं हार गई. साएरा बेगम-----दुआ मेरी बच्ची हुआ क्या है, यह क्या कह रही हो......दुआ की ऐसी हालत देख उनकी आंखें भर आईं थी। दुआ-----नानू मैं सच कह रही हूं, हार गई मैं उसके सामने, मगर--मगर मैंने कोशिश की थी, पूरी कोशिश की थी......सच में .....लेकिन वो पागल हैं ना नानू, मर जाएगा, अपनी जान ले लेगा मगर मुझे नही भुला सकेगा------दुआ सिसकियां लेते हुए अटक-अटक कर उनको सब कुछ बता रही थी. आज मैंने उसकी आंखों में देखा है नानू उसकी मोहब्बत की कोई हद नही है, वो बहुत आगे निकल गया है, मैं उसको नही रोक सकी.....झुका दिया मैंने अपने बाबा का सिर, तोड़ दिया उनका ग़ुरूर ----- दुआ किसी बच्चे की तरह रो-रो कर बोले जा रही थी, आज से पहले उसकी ऐसी हालत कभी नही हुई थी, यहां तक उसको इतना भी ख्याल नही रहा था कि उसके बाबा, उसके पिछे ही खड़े थे, जिनके पैरों तले ज़मीन खींच ली थी उसकी बातों ने, अपनी जवान बच्ची की ऐसी हालत देख फरहान सिद्दीकी का गुस्से से लाल चेहरा आने वाले तूफान का एहसास दिला रहा था। ********** जिया (रुद्र की भाभी) ------मां रूद्र का नम्बर बन्द जा रहा है, आप परेशान नही हो, रोहित ने अभी अजय से बात की है, वो उसे ढूंढने गया है वैसे उसने कहा है रूद्र अब घर ही आ रहा होगा, उसको एक मीटिंग के लिए जाना था, शायद इसलिए फोन बंद रखा होगा..... आपको तो पता है वो काम को लेकर कितना सीरियस रहता है, उसे डिस्टर्बेंस नही पसंद- जिया ने अपनी सासु मां को तसल्ली देते हुए कहा। पार्वती जी (रुद्र की मां)----- मगर जिया उसको पता था हम सब लोग यहां तक बाबू जी भी उसका इंतेज़ार कर रहे हैं, हम सबको एक साथ जाना था ना मिस्टर सिंघानिया के यहां , वो ऐसे लापरवाह नही है तुमको तो पता है..... तीन घंटे होने को है और आज यह बारिश भी रूकने का नाम नही ले रही, जिया मेरा दिल तो बहुत घबरा रहा है, पता नही वो अब तक क्यों नही आया? कुन्ती देवी (रुद्र की चाची)-------भाभी आप परेशान नही हो, रूद्र अब बच्चा थोड़ी है......जिया सही कह रही है, वो ठीक होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा, हो सकता है बारिश की वजह से कहीं फंस गया हो और अजय गया है ना उसको ढूंढने, थोड़ी देर में देखना, दोनों साथ ही आ रहे होंगे ---कुन्ती ने अपनी जेठानी को परेशान होते हुए देखा तो वो भी तसल्ली देने लगी। घर में सभी लोग परेशान हो रहे थे रूद्र के लिए, उसने पहले कभी अपना फोन इतनी देर के लिए बंद नही किया था मगर जिया वो परेशान होने से ज़्यादा डरी हुई थी, कि ऐसा क्या हो गया जो रूद्र अब तक नही आया.....वो तो उसको बता कर गया था कि आज वो दुआ से हां सुनकर ही आएगा, तो फिर वो अब तक क्यों नही आया--- जिया अपनी सोचों में गुम थी कि तभी अपनी सासु मां के चीखने की आवाज़ से होश में आई, उसने दरवाज़े की तरफ देखा तो, एक पल के लिए उसके पैर भी वहीं जम गए. आज से पहले कभी किसी ने रूद्र को ऐसी हालत में नही देखा था......उसके होंठ नीले पड़ गए थे जिससे पता चल रहा था कि वो घंटों बारिश में भीगता रहा है, उसकी आसमानी रंग की शर्ट पर खून के धब्बों को साफ देखा जा सकता था, उसकी हथेली में कुछ कांच के टुकड़े गड़े हुए थे जिसकी वजह से हाथ से खून अभी भी रीस रहा था.......उसकी यह हालत देख सब एक साथ दरवाज़े की तरफ दौड़े और रूद्र वही दहलीज़ पर खड़ा रहा, उसकी हिम्मत ही नही हुई कि वो एक क़दम भी आगे बड़ा सकता। पार्वती जी-----यह क्या हाल बना रखा है रूद्र, जिया जाओ जल्दी से फर्स्ट-एड लेकर आओ---उसकी मां ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिससे खून रिस रहा था मगर फौरन ही एक झटके से उसका हाथ छोड़ दिया, उनकी हैरानी की हद ना रही जब उनकी नज़र रूद्र की जली हुई कलाई पर गई। यह-यह क्या है रूद्र- उन्होंने उसकी जली हुई कलाई की तरफ इशारा करते हुए पूछा....उसकी शर्ट का कपड़ा उसकी खाल में चिपक गया था, इतना बड़ा निशान उनके बेटे के हाथ पर, उन्होंने तो कभी उसको सूई भी नही चुभने दी थी फिर आज इतना बड़ा ज़ख्म, कैसे??? रोहित ( रुद्र का बड़ा भाई)-----यह कैसे हुआ रूद्र, किसने किया तुम्हारे साथ यह सब- उसके भाई ने आगे बढ़ते हुए पुछा। रुद्र अपने हाथ को देखते हुए------भाई यह सब मेरे नाम ने किया है, "रूद्र रघुवंशी" यही नाम है ना मेरा, यही सबसे बड़ा गुनाह है मेरा, तो क़ीमत तो अदा करनी थी- रूद्र ने थोड़ा चिल्लाते हुए कहा जिस पर सभी हैरान थे, इससे पहले उसने कभी भी तेज़ आवाज़ में बात तक नही की थी घर वालों के सामने और आज वो दादू के सामने इतनी तेज़ आवाज़ में चिल्ला रहा था, जिनके आगे वो नज़र भी नही उठाया करता था। जिया ने उसकी हालत देखते हुए, थोड़ा हिम्मत करके पूछा----रूद्र बताओ तो सही हुआ क्या है??? रुद्र, जिया को देखते हुए----भाभी आपने सही कहा था, आसान नही होता मोहब्बत का सफर, मगर अब यह सफ़र कितना भी मुश्किल हो, मैं इतनी जल्दी हार नही मानूंगा...... क्योंकि अगर मैंने हार मान ली तो इस दुनिया की घटिया सोच जीत जाएगी..... जिया कुछ ना समझते हुए----- मतलब??? रुद्र हल्का सा मुस्कुराते हुए----- मतलब भाभी, आखिर इस दुनिया की घटिया सोच, आज आ ही गई, मेरी मोहब्बत के बीच..... जानती है आप, उसने क्या कहा मुझसे.......वो कहती है उसे मुझसे मोहब्बत नही है, वो मुझे देखना भी पसंद नही करती, क्योंकि वो मजबूर हैं, दुनिया उस पर ऊंगली उठाएगी, उसके बाबा से सवाल करेगी, जानती है क्यों वो मुझे अपना नही सकती क्योंकि मैं हिन्दू और वो मुसलमान है- रूद्र ने आख़री शब्द चिखते हुए कहा. जिसे सुनकर, रघुवंशी परिवार के पैरों तले ज़मीन निकल गई थी......किसी ने नही सोचा था कि रूद्र को कभी कोई लड़की पसंद भी आ सकती है, वो भी एक मुसलमान लड़की, यह कैसे हो सकता है। पार्वती जी ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए पुछा-----रूद्र यह क्या कह रहे हो तुम?? रुद्र-----एम् सोरी मोम, एम् सोरी मगर आपके बेटे को एक मुसलमान लड़की से प्यार हो गया है--- रूद्र ने यही कहा था कि मुकेश रघुवंशी ने उसके सामने आते ही उसके ज़ोर का थप्पड़ जड़ दिया। मुकेश रघुवंशी गुस्से में------तुमको पता है, तुम क्या कह रहे हों, एक मुसलमान लड़की, तुम्हारा दिमाग ठीक है---- उन्होंने उसे घूरते हुए पूछा। रुद्र-----हम्मम!! जानता हूं.......उसने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा मगर उसकी आंखों में नमी थी। दादू! मैं जानता हूं, मैंने आज आपका मान तोड़ दिया, आपको ठेस पहुंचाई है, बहुत बुरा हूं, आपका पोता कहलाने के लायक भी नहीं इसलिए इस घर को छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहा हूं। रुद्र-----मैं कभी आप लोगों से अलग नही होना चाहता था, मगर जानता हूं, आप कभी भी उसको नही अपनाएंगे.......क्योंकि यह हिन्दुस्तान है, यहां इज़्ज़त और धर्म के नाम पर बच्चों को कुर्बान कर देना ज़्यादा अच्छा समझा जाता हैं, मगर उनकी खुशियों के लिए, उनके साथ मिलकर दुनिया से लड़ना, यह तो यहा सिखाया ही नही जाता. पार्वती जी, रूद्र का हाथ पकड़ते हुए-------रूद्र होश में आओ, क्या कह रहे हो, तुमको पता भी है, देखो अपना हाल, खून बह रहा है, जिया जल्दी से डॉक्टर को फोन करो--- रुद्र------भाभी रहने दीजिए, अब मेरा इस घर पर कोई हक़ नही रहा, मुझे जाना है मगर उससे पहले दादू से कुछ सवाल करने है...... दादू, मैंने बचपन से आपको देखा है, आप किसी मुसलमान के हाथ से पानी लेना भी पाप समझते हैं, आप उनके साथ बैठना भी पसंद नहीं करते, आखिर इतनी नफ़रत क्यों है आपके दिल में, क्या वजह है इस भेदभाव की......क्या वो लोग इंसान नही दादू??? मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए-----बंद करो अपनी बकवास, लगता है भूल गए हो, कि तुम अपने दादू के सामने खड़े हो---- रुद्र-----ठीक है दादू! हो जाउंगा चुप, मगर आप मुझे बताएं, आप तो हिन्दू है ना, वो मुसलमान है फिर क्यों आप दोनों की सोच अलग नही है, फिर क्यों उसने भी यही कहा, क्यों उसने भी मुझे थप्पड़ मारा, क्यों उसको भी समाज की परवाह ज़्यादा है। दादू आप जानते है! हिन्दुस्तान में हर साल रावण को जलाया जाता है, बुराई का प्रतीक समझ कर मगर वहीं श्रीलंका में उसकी पूजा की जाती है, भगवान समझ कर, क्या इसका मतलब यह है कि वो लोग अच्छे नही या वह नफरत के काबिल है क्योंकि वो रावण को भगवान मानते हैं......बताए मुझे- रूद्र ने मुकेश रघुवंशी के गुस्से की परवाह ना करते हुए उनकी तरफ देखते हुए पूछा और जवाब ना मिलने पर उसने बोलना फिर शुरू कर दिया। नही ना दादू!! इसका मतलब सिर्फ इतना है कि जो इंसान जहां पैदा होता है वहां की रीति-रिवाज़ अपना लेता है, अपना नज़रिया वैसे ही बना लेता है, लेकिन अपने नज़रिए की वजह से करोड़ों लोगों से नफ़रत करना, उनका खून बहा देना, हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर अनगिनत बच्चों को अनाथ कर देना, लाखों औरतों की इज्ज़त लूट लेना यह हक़ किस धर्म ने दिया है??? कौन सा धर्म नफरत सिखाता है दादू??? क्या ईसा-अलैहिस्सलाम ने, हुज़ूर ने या राम जी ने, कृष्ण जी ने, शिव जी ने, या किसी ओर भगवान ने किसी औरत की इज्ज़त को रौंदा था पैरों तले अपने धर्म का बदला लेने के लिए??? क्या उनमें से किसी ने भी मासूमों का खून बहाया था??? गीता और क़ुरान में क्या कहीं भी लिखा है कि बेगुनाहों का कत्ल कर दो, सिर्फ इसलिए कि वो अपने रब को आपके हिसाब से नही पुकारते, उनके रब का नाम वो नही जो आप लेते हैं। दादू धर्म तो प्यार की नींव रखता है, धर्म तो धैर्य, संयम और निष्ठा सिखाता है, हर धर्म का पहला पाठ इंसानियत है....... फिर सब यही पाठ छोड़ कर आगे कैसे बढ़ जाते हैं??? सिर्फ गीता या क़ुरान को पड़ लेना तो धार्मिक होना नही है.....उसकी गहराई को समझना और अमल करना धार्मिक बनाता है इंसान को....... लेकिन आज के दौर में हर इंसान खुद को धर्म का ठेकेदार कह कर अपने को अल्लाह और भगवान समझ लेता है, लाखों लोगों का खून बहा देता है, यह सोचे बगैर कि जब वह इंसानियत ही भुल गया तो वो धार्मिक कहा से रहा----- रूद्र आज वो सब बोल रहा था जो हमेशा वो अपने दादू को समझाना चाहता था मगर कभी हिम्मत नही कर सका था। रुद्र------दादू! मैं आप सबसे बहुत प्यार करता हूं मगर उस लड़की को नही छोड़ सकता, वो भी सिर्फ इस वजह से कि उसका नाम दुआ सिद्दीकी है क्योंकि वो एक मुसलमान के घर पैदा हुई........दादू मैं अपनी मोहब्बत की कुर्बानी नही दूंगा किसी धर्म के नाम पर चाहे जो हो जाए मगर आपका पोता हार नही मानेगा। रुद्र, कुन्ती देवी की तरफ बढ़ते हुए------चाची आप मुझे बताइएं, क्या भगवान जी ने आपको पैदा करने से पहले पूछा था कि आप हिन्दू के घर पैदा होना चाहती है या मुसलमान के घर??? रूद्र के सवाल पर सभी ख़ामोश थे तब ही पिछे से अजय भी उसे ढूंढता हुआ आ गया मगर रूद्र का सवाल सुनकर उसके क़दम भी जहां थे वहीं रुक गए। रुद्र----नही ना चाची!!! पता है क्यों?? क्योंकि उसने तो हम सबको सिर्फ इंसान बनाया था, हिन्दू-मुस्लिम तो इस दुनिया ने बनाया है हमको...... रुद्र-----हम में से किसी से भी भगवान ने नही पूछा था.....ना आप से, ना मुझसे, ना उससे.......फिर उसको मुझसे अलग रहने को मजबूर क्यों किया जा रहा है......क्यों सबकी नज़रों में मैं ग़लत बन गया हूं??? क्यों मेरी मोहब्बत को सब गुनाह समझ रहे हैं??? आप सब ही चाहते थे ना कि मैं शादी कर लूं, आज जब मुझे किसी से प्यार हो गया तो आप लोग चाहते हैं मैं उसे भुल जाऊं क्योंकि वो मुसलमान है। 27 साल तक आप लोगों ने मुझे पाला-पोसा, बेइंतेहा प्यार किया, मैं आप सबकी आंखों का तारा इस घर का सबसे ज़्यादा लाडला बेटा....... "एक मिनट में" सिर्फ एक मिनट में दादू!!!! मैं आप सबका दुश्मन बन गया, वो प्यार, वो फ़िक्र, वो ममता सब कुछ खत्म हो गया सिर्फ एक मिनट में!!! क्या यही सब सिखाता है धर्म, मुझे तो मेरे धर्म ने नफरत करना नही सिखाया दादू, मुझे ऐसे संस्कार ही नही दिए आपने---- रूद्र ने रोते हुए अपने दादू से कहा जो उसको बस सुन रहे थे, उनकी गुस्से से लाल आंखें अब ज़मीन पर टिकी थी। दादू जिससे आप प्यार करते हो उनके लिए लड़ना मैंने आपसे सिखा है, अपने शिव जी से सीखा है, अपने प्रेम के लिए अगर वो भैरों बन सकते हैं तो मैं क्यों इस दुनिया की बेबुनियाद नफरत से नही लड़ सकता। आपने मुझे सिखाया था अगर सवाल प्रेम का हो तो शिव जी का भैरों अवतार बन जाना..... सबकुछ त्याग देना प्रेम के लिए......मगर प्रेम को नही त्याग ना दुनिया के लिए। आज मैं आपके सामने हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि क्या आप धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव को खत्म नही कर सकते, क्या आप अपने गुरूर का त्याग नही सकते, अपने पोते के प्यार में। या आप भी बाकी सब की तरह इस दुनिया के बने बैठे, धर्म के ठेकेदारों के सवालों से डर कर, अपने पोते का त्याग करना ज़्यादा अच्छा समझते हैं। रुद्र-----दादू मैं उसके बगैर ज़िन्दा नही रह सकूंगा, मगर आप लोगों के बगैर सुकून से भी नही रह सकता, प्लीज़ मुझे खुद से अलग नही करना दादू मुझे इस दुनिया के रीति-रिवाजों की भैंट ना चढ़ाना--- रूद्र ने छोटे बच्चे की तरह रोते हुए अपने दादू से प्रार्थना की थी, वहां खड़े हर इंसान की आंखों में आसूं थे, उसका कहा हर लफ्ज़ सही और सच था मगर दुनिया की रीति-रिवाजों के बांध तोड़ कर सच और सही का साथ देना आसान नही होता बहुत मुश्किल होता है दुनिया के खिलाफ जाना, लाखों लोगों के सवालो का सामना करना इसी कशमकश में उसके दादू भी थे, जिनका दिल फट रहा था अपने जान से प्यारे पोते की आंखों में आंसु देख कर, उनके दिमाग में रूद्र का कहा हर शब्द गूंज रहा था...... क्या सच में उनका धर्म प्रेम करना, त्याग करना, दुसरो का मान रखना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना और इंसानियत नही सिखाता। यही सब तो उन्होंने हमेशा पड़ा था मगर कभी इतनी गहराई से धर्म को समझा ही नही जितना उनका पोता समझ चुका था। आज उनको इंसानियत और धर्म का अस्तित्व समझ आ रहा था, क्यों धर्म बनाए गए, क्यों गीता और क़ुरान पढ़ाए जाते हैं मगर अक्सर लोग सिर्फ पड़ते हैं, समझते नही...... धर्म को समझना आसान नही, लोगों की ज़िन्दगी गुज़र जाती है, मासूमों का खून बहा दिया जाता है और फिर भी खाली हाथ रह जाते हैं। आज भगवान ने उनके सामने भी इम्तेहान की घड़ी रख दी थी कि वो दुनिया के दिखाएं रास्ते पर धर्म के नाम पर नफरत को जन्म देंगे या भगवान का रूप धारण कर प्रेम के लिए, अपना घमंड, अपना क्रोध त्याग देंगे। वो धर्म कहा जो तोड़ दे रिश्ते, धर्म तो जोड़ता है अपनों को परायो को----वो यही सब सोच रहे थे कि रूद्र खड़े-खड़े गिर गया, उसके ज़मीन पर गिरते ही रघुवंशी परिवार में डर की लहर दौड़ गई, उसका जिस्म आग-सा तप रहा था, रोहित और अजय मिलकर फौरन रूद्र को ज़मीन से उठा, उसके कमरे में ले गए, जल्द ही जिया ने डाक्टर को भी बुला लिया था। डॉक्टर ने उसको चैक किया फिर जल्दी से उसको 2 इंजेक्शन लगाए, उसकी हर्टबीट बहुत धीमी हो गई थी, बुखार से जिस्म तप रहा था, हाथ से बहता खून तो रूक गया था मगर उसकी जली हुई कलाई पर ज़ख्म बहुत ज़्यादा गहरा था। डॉक्टर ने सबको बताया कि फिलहाल उससे कोई ऐसी बात ना करें, जिससे उसको टेंशन हो, क्योंकि वो अभी सदमे की हालत में है, इसलिए उसके होश में आने के बाद, इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाए, नही तो वो अपना दिमागी संतुलन खो सकता है, वैसे आने वाले 24 घंटों में अगर उसका बुखार कम नही हुआ तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता है-----यह कह कर डाक्टर साहब वहां से चले गए। डॉक्टर के जाते ही मुकेश रघुवंशी ने गुस्से में बाला को आवाज़ दी, जो उनका खास आदमी था। बाला अगले एक घंटे में किसी भी तरह मुझे वो लड़की और उसका बाप यहां मेरी आंखों के सामने चाहिए। यह सुनते ही अजय फौरन हाथ जोड़कर मुकेश रघुवंशी के सामने खड़ा हो गया। दादा जी, मुझे पता है, आप इस वक्त बहुत गुस्से में है मगर बस एक बार मेरी बात सुन लीजिए, कोई भी फैसला लेने से पहले पूरी कहानी सुन लेनी चाहिए, गुस्से में किए फैसले हमेशा सिर्फ तकलीफ देते हैं-----यह कह कर अजय ने हिम्मत करके सबकुछ बताना शुरू किया। बाकी अगले भाग में:- नोट:- आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में ज़रुर बताएं।
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भाग 2

10 अक्टूबर 2021
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छः महीने पहले :-<div><br></div><div>रूद्र कहा हों - जिया ने कमरे में क़दम रखते हुए कहा.....देखा तो व

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भाग 3

14 अक्टूबर 2021
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सुबह के 10 बज रहे थे और रूद्र अपनी आंखें बंद किए, सोफे पर सिर टिकाए उसी लड़की के बारे में सोच रहा था

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भाग 4

31 अक्टूबर 2021
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अच्छा, ठीक है-ठीक है, गुस्सा नही हो, मैं तो बस यह कह रहा था एक बार उससे बात तो कर लेना, ताकि उसके दि

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भाग 5

25 नवम्बर 2021
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अमित जी------सर मैंने पूरी कोशिश की थी मगर इस युनिवर्सिटी की प्रिंसिपल बहुत सख्त है, मैंने रिश्वत दे

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भाग 6

7 दिसम्बर 2021
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मलिक हाउस:-<div><br></div><div>यह है दुआ के मामा का घर, बहुत ही बड़ा और आलीशान, रात के अंधेरे में चा

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भाग 7

7 दिसम्बर 2021
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अमित जी ने अभी यू-टर्न लिया ही था कि उस लड़की के सामने, नीले रंग की बड़ी सी गाड़ी रुक जाती है, जिसक

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भाग 8

8 दिसम्बर 2021
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आकिब घर वापस आते ही, दुआ के कमरे में जाता है तो देखता हैं, दुआ की आंखे अभी भी नम थी।<div><br></div><

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भाग 9

8 दिसम्बर 2021
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रात कब गुज़र जाती है, मुकेश रघुवंशी को पता ही नहीं चलता, रुद्र उनकी आंखों का तारा, उनके दिल की धड़कन

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भाग 10

30 दिसम्बर 2021
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रुद्र दरवाज़ा खोल कर अंदर जाता है, तो दुआ नज़रें झुकाए उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं, इस पल उसे ऐसा

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भाग 11

5 जनवरी 2022
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अगले दिन सभी लोग फंक्शन की तैयारी में जुटे थे, धीरे-धीरे मेहमान भी आना शुरू हो गए थे, रुद्र भी बाकी सबके साथ फंक्शन की तैयारी में लगा था, दादू के हुक्म पर दुआ कमरे में ही आराम कर रही थी और जिया के कहन

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भाग 12

5 जनवरी 2022
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20-25 दिन गुज़र जाते हैं मगर अब तक दुआ का दिमाग़ वहीं फरहान सिद्दीकी की बातों में अटका होता है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है, उसके दिल में एक अजीब सा डर घर करने लगता है, सब लोग उस

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