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भाग 6

7 दिसम्बर 2021

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मलिक हाउस:-

यह है दुआ के मामा का घर, बहुत ही बड़ा और आलीशान, रात के अंधेरे में चारों तरफ से रौशनी से सजा यह घर दूर से देखने में ही बहुत खुबसूरत लग रहा था.......... 

डाक्टर सिद्दीकी की गाड़ी दरवाज़े पर रुकती है तो अन्दर से बहुत सारे लोग उनका वेलकम करने के लिए बाहर आते हैं, उन सभी को देख ऐसा लग रहा था जैसे रात नही, सुबह हो रही हो, सभी लोग शायद उनका ही इंतेज़ार कर रहे थे, डाक्टर सिद्दीकी के साथ सभी लोग गाड़ी से उतरते हुए, एक-दूसरे को सलाम करते हैं, फिर सभी गले मिलते हैं, जब सब एक-दूसरे से मिल लेते है, तब साजिद मलिक का ध्यान उस नए चेहरे पर जाता है, जो गाड़ी के पास खड़ा, मुस्कुराते हुए सबको देख रहा था।

साजिद मलिक (दुआ के मामा)------ अरे, सिद्दीकी साहब, यह गबरू जवान कौन है????

मलिक साहब की बात सुनकर, सभी का ध्यान रुद्र की तरफ जाता है, सभी उसे देखने लगते हैं और जैसे ही दुआ की निगाह उस पर जाती है, मानों उसके पैरों तले ज़मीन निकल जाती है।

दुआ बहुत ही हैरत से उसे देखती है, जैसे उसे अपनी आंखों पर यक़ीन ही ना आ रहा हो और आता भी कैसे??? उसने तो अपने सपने में भी नही सोचा था कि रुद्र उसके पीछे, यहां तक आ सकता है!

दुआ अपने मन में----- रुद्र!! यह यहां कैसे आ गया वो भी बाबा के साथ, इसको कैसे पता चला कि मैं यहां हूं, ए अल्लाह यह कैसा इम्तेहान है मेरा, अब मैं क्या करूंगी???....... 

दुआ अपने ख्यालों में गुम होती है कि तभी उसको रुद्र की हल्की सी आवाज़ अपने कानों में सुनाई देती है।

रुद्र उसके पास से गुज़रते हुए----- मुझे देख कर खुश हो, या हैरान??

इससे पहले दुआ उसकी बात का जवाब देती वो सभी घरवालों की तरफ बढ़ जाता है।

डाक्टर सिद्दीकी----- रुद्र, वहां क्यों खड़े हो, यहां आओ, मैं तुमको सबसे मिलवाता हूं।

रुद्र मुस्कुराते हुए----जी अंकल, ज़रूर!!

डाक्टर सिद्दीकी----यह है मेरा ख़ास मेहमान, मलिक साहब आपको तो पता है, कुछ वक्त पहले अम्मा जी की तबीयत बिगड़ गई थी, तो यही हमारा गबरु जवान, अम्मा को वक्त पर अस्पताल ले गया था, जिसकी वजह से आज अम्मा हमारे साथ है, और सिर्फ अम्मा ही नहीं, इसने एक बार मुझे भी बचाया है, जिसकी वजह से इसकी खुद की टांग में फ्रेक्चर भी हो गया था, आप बस समझें कि यह तो हमारे लिए फ़रिश्ते जैसा है, बहुत ही अच्छा बच्चा है।

रूद्र थोड़ा शरमाते हुए---- अंकल आप भी ना, बस यूं ही तारीफ कर रहे हैं, अब इतना भी अच्छा नही हूं मैं!!

डाक्टर सिद्दीकी---- अब यह जनाब क़िस्मत से एयरपोर्ट पर टकरा गए थे, तो मैंने इनसे कहा कि बस अब जब हम यहां भी किस्मत से मिल गए हैं तो अब तुम हमारे साथ चलों, जब अपना घर है तो होटल में क्यूं रहना??? 

मलिक साहब, आप क्या कहते हैं, मैंने रुद्र को यहां लाकर सही किया ना??

साजिद मलिक हंसते हुए----- अरे भाई साहब, बहुत ही बढ़िया किया, बिटिया की शादी हैं, जितने ज़्यादा भाई दिखाई देंगे उतना रोब बनेगा ससुराल वालों पर!!

तभी दुआ फौरन बोल पढती है---- हां, मगर घर तो, पहले से ही मेहमानों से इतना भरा हुआ है, यह यहां कैसे रूकेंगे???

डाक्टर सिद्दीकी नाराज़ होते हुए---- दुआ यह क्या कह रही हो, रुद्र हम सबके कहने पर यहां आया है, तुम ऐसा कह कर, हमारी बात काट रही हो???

दुआ थोड़ा शर्मिन्दा होते हुए---- नही, मेरा वो मतलब नही था बाबा, मैं तो बस यह कह रही थी, इतने सारे लोग हैं, शादी का घर है, बहुत शोर-शराबा होगा ऐसे में, इनको अपना ऑफिस का काम करने में परेशानी होगी तो बेहतर होता यह होटल में ही रूक जाते??

यह बात सुनकर सब सोच में पड़ जाते हैं, दुआ कह तो सही रही थी।

रूद्र सबको सोचता हुआ देख---- हा, अंकल!! यह बिल्कुल ठीक कह रही हैं, मेरा होटल तो बुक्ड ही है, मैं चले ही जाता हूं ऐसे ना आप लोगों को कोई परेशानी होगी, ना मुझे और वैसे भी यहां लड़कियां ही ज़्यादा दिख रही है, मैं अकेला पड़ जाऊंगा।

साजिद मलिक---- बरखुरदार!! कैसी बातें कर रहे हो, भाई साहब तुम्हे यहां लेकर आए हैं, तुम्हारा जाना उनको अच्छा नही लगेगा, अब आ गए हो तो हम लोगों के साथ ही रहो और दुआ बेटा तुम इतनी परेशान नहीं हो, भाई साहब के साथ वाला कमरा खाली हैं, यह वहां रुक जाएंगे।

ठीक है ना, भाई साहब???

डाक्टर सिद्दीकी-----हां, बहुत बढ़िया!!!

साजिद मलिक रुद्र के कन्धे पर हाथ रखते हुए-----और रुद्र बेटा, तुम अकेले होने की फ़िक्र नहीं करो, रेशमा के इतने सारे कज़िन्स ब्रदर है ना, तुम उनसे मिलोगे तो बिल्कुल बोर नही होंगे, अन्दर चलों, मैं तुमको सबसे मिलवाता हूं, भाई साहब, अम्मी, आप सब लोग भी अन्दर चलें ना.....सब यही खड़े होकर बातें करें जा रहे हैं।

सभी लोग अंदर चलें जाते हैं, साजिद मलिक एक-एक कर रुद्र को सभी से मिलवाते हैं, सभी सफर से थके होते हैं इसलिए जल्द ही सब सोने चले जाते है, रेशमा का भाई, रुद्र को उसका कमरा दिखाता है और गुड़ नाईट बोल कर चले जाता है।

अभी थोड़ी ही देर गुज़रती है कि रुद्र को बराबर कमरे से दुआ की आवाज़ आती है, वो दरवाज़ा खोलकर चैक करता है तो वो अपनी अम्मी और बाबा को गुड नाईट बोल कर जा रही होती हैं कि तभी रुद्र, डाक्टर सिद्दीकी के कमरे में आ जाता है।

रुद्र मासुमियत से---- अंकल एम् सोरी, इतनी रात को परेशान करने के लिए, वो मेरे कमरे में पीने का पानी नहीं है, एक्चुअली सब सोने चले गए हैं और मुझे किचन का रास्ता भी नहीं पता, तो आपके पास आना पड़ा।

डाक्टर सिद्दीकी---- अरे!!! तुम परेशान क्यों हो रहे हों, दुआ है ना, वो तुमको पानी लाकर दे देंगी।
दुआ बेटा, जाओ ज़रा रुद्र को एक जग में पीने का पानी लाकर दे दो।

दुआ गुस्से में रुद्र को घूरते हुए---- ठीक है बाबा, 

रुद्र मुस्कुराते हुए अपने कमरे में वापस चलें जाता है थोड़ी ही देर में, दुआ पानी का जग लेकर आ जाती है, रुद्र वहीं दरवाज़े के पास रखीं कुर्सी पर बैठा होता है।

रूद्र शरारती अंदाज़ में मुस्कुराते हुए---- वहां बेड के पास रख दो!

दुआ गुस्से में जैसे ही कमरे के अन्दर आती है, रुद्र फौरन ही पीछे से, दरवाज़ा बंद कर लेता है।

दुआ----- यह क्या बदतमीज़ी है, हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी दरवाज़ा बंद करने की, खोलो दरवाज़ा वरना अभी मैं सबको बुला लूंगी??

रुद्र, शरारत से, उसके पास आते हुए----मिस दुआ सिद्दीकी, अभी तुमने मेरी हिम्मत को अज़माया ही कहा है, और रही बात बदतमीज़ी की तो यह सब करने पर तुमने ही मुझे मजबूर किया है।

दुआ कुछ ना समझते हुए---- मतलब??? मैंने क्या किया??

रूद्र---- तुमने खुद को, मुझसे दूर करने की कोशिश की है, तुम मुझसे दूर भागना चाहती थीं क्योंकि तुमको डर था, अगर मैं तुम्हारे सामने रहा तो तुम लाख कोशिशों के बाद भी खुद को नही रोक सकोगी, एक बात तो साफ है दुआ सिद्दीकी की तुम भी मुझे चाहने लगी हो।

दुआ----- जस्ट शट-अप!!! अपनी बकवास बंद करो, ऐसा कुछ नही है, मेरे रास्ते से हटो, मुझे जाने दो।

रूद्र उसको छेड़ते हुए----इतनी आसानी से कैसे जाने दूं, 27 दिन बाद देख रहा हूं, थोड़ा तो मुझे इन पलों को जीने दो।

दुआ उसकी बात का कोई जवाब देती, इससे पहले ही कोई दरवाज़ा खटखटाने लगता है जिसे सुनकर दुआ घबरा जाती है।

अ-अब मैं क्या करूंगी, पता नहीं सब मेरे बारे में क्या सोचेंगे, अल्लाह प्लीज़ बचा लो----- दुआ फौरन ही घबराहट में आंखें बंद कर अल्लाह से दुआ मांगने लगती है कि तभी रुद्र उसके होंठों पर उंगली रख, उसे ख़ामोश कर देता है.....

दुआ गुस्से से एकदम उसका हाथ झटक देती है......रुद्र उसका गुस्सा देख मुस्कुराता है और अपनी शर्ट उतार देता है, जिस पर वो फौरन आंखें बंद कर दुसरी तरफ मुड़ जाती है..... 

रूद्र ज़बरदस्ती उसका हाथ पकड़ उसे दरवाज़े के पीछे खड़ा कर देता है और दरवाज़ा खोल देता है..... दरवाज़े पर डाक्टर सिद्दीकी होते हैं।

रुद्र को बगैर शर्ट के देख, उनको थोड़ी शर्मिन्दगी होती है, उनको लगता है, शायद उन्होंने रुद्र को, डिस्टर्ब कर दिया।

रूद्र----- अरे अंकल! आप, अन्दर आइए ना, दरअसल मैं कपड़े चेंज करने जा रहा था, इसलिए दरवाज़ा खोलने में ज़रा देर लग गई, एक मिनट, मैं पहले शर्ट पहन लूं फिर.....वो यह कहते हुए मुड़ता ही है कि डॉक्टर सिद्दीकी उसे रोक लेते हैं।

डाक्टर सिद्दीकी-----बेटा! मैं तो बस यह देखने आया था कि दुआ ने तुमको पानी लाकर दिया भी या भूल गई।

रुद्र-----अंकल, आप बेवजह इतने परेशान हो रहे हैं, उन्होंने मुझे तभी पानी लाकर दे दिया था, आप जाकर आराम कीजिए।

डाक्टर सिद्दीकी------ अच्छा चलो ठीक है, अब तुम सो जाओ, कल हल्दी का फंक्शन हैं, सबने जल्दी उठना है।

रूद्र----- जी अंकल, ठीक है!

डाक्टर सिद्दीकी उसको गुड नाईट कह कर चले जाते हैं वो फिर दरवाज़ा बंद कर लेता है, दुआ अब तक आंखें बंद किए वैसे ही खड़ी होती है, वो शर्ट पहनता है और उसको आंखें खोलने को कहता है।

दुआ आंखें खोलती है और रुद्र को मुस्कुराता देख, उसके थप्पड़ मार देती है।

तुम समझते क्या हो अपने आपको, मेरे बाबा तुम पर इतना यकीन करते हैं और तुम उनका फायदा उठा रहे हो, कोई ज़मीर है या नही?

रुद्र उसके करीब आते हुए-----तुमसे मोहब्बत करता हूं, तुम्हारे लिए सारी हदें, सारे कायदे-कानून,सारी रस्में तोड़ सकता हूं, जो तुमको मुझसे जुदा करें वो राहें छोड़ सकता हूं, अब यही मेरा ज़मीर है और यही मेरी हकीक़त....... जहां तक रहा सवाल फायदा उठाने का........तो यक़ीन मानो, इसमें जितना फायदा मेरा है उससे ज़्यादा उनका...... जिस दिन उनको मेरी मोहब्बत समझ आ जाएगी उस दिन वो मुझे लाखों दुआएं देंगे, क्योंकि उनकी बेटी से, इतनी मोहब्बत करने वाला इंसान वो खुद भी नहीं ढूंढ सकते......

रुद्र उसको छेड़ते हुए------खैर, हम यह बातें, बाद में भी कर सकते हैं...मुझे पता है तुम मुझसे बहुत सारी बातें करना चाहती हो, मगर अभी बहुत रात हो गई है, मैं थक भी गया हूं, कल से ससुराल वालों को मनाना भी तो है, प्लीज़ थोड़ा आराम करने दो।

यह कहते हुए, रूद्र मुस्कुरा कर दरवाज़ा खोल देता है और दुआ गुस्से में उसे घूरते हुए, कुछ कहें बगैर ही वहां से चली जाती है।

*********

अगले दिन:-

सुबह के 10 बजे होते हैं जब दुआ तैयार होकर, अपने कमरे से बाहर आती है, और जैसे ही वो डाइनिंग टेबल पर रुद्र को बैठा देखती है, उसके कदम वहीं रुक जाते हैं....... 

रुद्र उसके मामा, बाबा और बाकि अंकल के साथ बैठकर चाय पी रहा होता है और साथ ही उन लोगों को, अपने बिज़नेस के बारे में बता रहा होता है, जिससे टेबल पर बैठे, सभी लोग रुद्र से काफी इंप्रेस होते हैं........

तभी रुद्र की निगाह, दूर खड़ी दुआ पर पड़ती है और वो फौरन मुस्कुराते हुए, उसको इशारों-इशारों में गुड मॉर्निंग विश कर देता है।

दुआ यह देख एकदम मुड़ जाती है, कि कहीं अगर किसी ने रुद्र को इशारा करते देख लिया तो पता नहीं, क्या होगा, वो कोई भी मुसीबत मोल नहीं लेना चाहती थी।

मगर रुद्र का यह रूप देख, उसे हैरत ज़रूर हो रही थी क्योंकि उसने पहले कभी, यह सब नहीं किया था, वो तो हमेशा बहुत डिसेंट रहता था..... हां उसने अपनी मोहब्बत का इज़हार हमेशा किया था, मगर एक हद में, उसने पहले कभी उसका हाथ पकड़ने तक की कोशिश नही की थी, पास आना तो बहुत दूर की बात है लेकिन वो जब से यहां आया था, तब से बहुत ही अलग बर्ताव कर रहा था......उसे हुआ क्या है, दुआ को समझ ही नही आ रहा था।

दुआ यही सब सोच रही थी कि उसकी कज़िन्स उसके पास आ जाती है, 

दुआ तुम यहां खड़े होकर क्या सोच रही हो......चलो रेशमा आपी को उठाने चलते हैं, वो शायद अब तक सो रही है, दुआ हां मैं सर हिला कर, अपनी कज़िन्स के साथ, रेशमा के कमरे की तरफ चली जाती है।

घर में शादी की तैयारी ज़ोर-शोर से चल रही थी, हर इंसान किसी ना किसी काम में मसरूफ था, डाक्टर सिद्दीकी, साजिद मलिक और घर के बाकी सभी मर्द बाहर के कामों में व्यस्त थे, वहीं दूसरी तरफ सभी लड़कियां और औरतें हल्दी के फंक्शन के लिए ड्रेस और मैचिंग ज्वेलरी देखने में बिज़ी थी, तो घर के लड़कों को डेकोरेशन की ज़िम्मेदारी थमा दी गई थी, किस्मत से रुद्र के डेकोरेशन आइडियाज़, सभी को बहुत पसंद आ गए थे, अपने आइडियाज़ की वजह से रुद्र, लड़कों के ग्रुप में कुछ ही देर में काफी फेमस हो गया था......सभी छोटे-छोटे काम उससे पूछ कर रहे थे।

रहीम (दुआ की बड़ी खाला का बेटा)----- रुद्र भाई, यह सफेद फूल कहा लगवाने है???

रुद्र-----यह एंट्रेंस पर लगाने है रहीम!

तभी दुआ का दुसरा कज़िन ब्रदर आ जाता हैं......रूद्र भाई, यह स्ट्रिंग लाइट कहा लगनी है और यह डेकोरेशन सेंटरपीस जो आपने लाने को कहा था वो भी आ गए हैं, एक बार प्लीज़ सारा सामान चैक कर लें।

रुद्र---- ठीक है, मैं बस यह काम खत्म करके आता हूं, दो मिनट रुको।

सुबह से शाम हो जाती है, एक-एक कर सभी लोग तैयार होने चले जाते हैं मगर रुद्र डेकोरेशन कम्प्लीट करवाने में लगा होता है।

डॉक्टर सिद्दीकी और साजिद मलिक रुद्र के पास आते हुए------ बेटा, बस करो, थक गए होगे???

रुद्र मुस्कुराते हुए---- अंकल बहनों की शादी में काम करने से थकन नही ख़ुशी होती है।

साजिद मलिक------ अच्छा, अब बहुत हो गया काम, जल्दी से जाकर तैयार हो, मेहमान भी आना शुरू हो गए हैं, 

रुद्र मुस्कुराते हुए----- हां अंकल, बस हो गया।

धीरे-धीरे मलिक हाऊस, मेहमानों से खचाखच भर गया था, हर तरफ फूलों की खुशबू महक रही थी, एक तरफ पियानो बज रहा था, तो एक तरफ खाने का इंतेज़ाम किया गया था.....आज सबकुछ ही बहुत खुबसूरत लग रहा था।

सभी मेहमानों के आने के बाद, दुआ और बाकि 10-15 लड़कियां रेशमा को स्टेज पर लेकर आती है, आज रेशमा ने येलो कलर का फिश स्टाइल गाऊन पहना होता है, सर पर पिछे की तरफ नेट का लम्बा सा दुपट्टा सेट होता है, जिसे देख ऐसा लगता है मानो आसमां से परी आ रही हो.....सबकी निगाह रेशमा पर होती है मगर रुद्र की निगाह दुआ पर....

आज दुआ ने पिले और मरून रंग का ग़रारा पहना था, जिस पर बहुत ही खूबसूरत कारीगरी हुई थी, उसका लम्बा-सा दुपट्टा उसने अपने एक हाथ पर डाल रखा था और दूसरे हाथ में मैचिंग चूड़ियां पहन रखी थी, अपने लम्बे बालों को एक साइड चोटी की शक्ल में बांधा था, माथे पर टीका और कानों में बालें.....उसकी खुबसूरती में चार चांद लगा रहे थे..... 

थोड़ी ही देर बाद हल्दी की रस्में शुरू हो जाती है, एक-एक कर के सभी लोग रेशमा को हल्दी लगाने आते हैं और ढ़ेर सारी दुआएं देकर जाते हैं, फिर फोटो सेशन शुरू होता है, उसके बाद खाना, सभी लोग बहुत इंजाय करते हैं, धीरे-धीरे मेहमान जाना शुरू होते हैं...... इस सब में दुआ पूरी कोशिश करती है कि वो जितना हो सके, उतना कम रुद्र की निगाहों में आए, क्योंकि अगर किसी ने रुद्र की हरकतें देख ली तो बड़ा मसला हो जाएगा..... 

खैर किसी तरह वो आज तो खुद को, उससे दूर रखने में कामयाब हो जाती है और अपने कमरे में आकर सुकून का सांस लेती है..... मगर रुद्र हार मानने वालों में से नही था इसलिए उसको अब आने वाले कल की ज़्यादा फ़िक्र सताने लगती है।

**********

मेहंदी फंक्शन:-
आज सुबह से ही, रुद्र, डेकोरेशन चेंज करवाने में लग गया था, आज उसने ब्लू एंड पर्पल आर्किड फूलों की डेकोरेशन करवाईं थी, जो बेइंतेहा खुबसूरत लग रही थी, सभी लोग रुद्र की बहुत तारीफ कर रहे थे, कि वो कितना मेहनती हैं, कितना इंटेलीजेंट और हेंडसम है और पता नहीं क्या-क्या.....जब दुआ यह सब सुनती है तो मन ही मन बड़बड़ाने लगती है।

दुआ-----ऐसा कौन सा तीर मार दिया उसने, इतनी घटिया डेकोरेशन, तो कोई भी करवा सकता है, पता नही इन लोगों को क्या हो गया है, जिसको देखो, उसकी ही तारीफ कर रहा है, खैर, मुझे क्या, बस एक बार यह शादी सुकून से हो जाए फिर दिल्ली जाकर मैंने किसी भी तरह इससे अपना पिछा छुड़वा कर ही रहना है, फिर चाहे मुझे शादी ही क्यों ना करनी पड़े किसी से, मगर मैं अपने बाबा की इज़्ज़त पर दाग़ नही आने दुंगी।

दुआ यही सोच रही थी कि आकिब उसके पास भागते हुए आता है।

आकिब----- अरे आपी!!! आप यहां क्या कर रही हो, चलो बाहर चल कर देखो, रुद्र भईया ने कितनी अच्छी डेकोरेशन की है, सब लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं।

दुआ थोड़ा झुंझलाते हुए---- हां तो, मैं क्या करूं, डेकोरेशन हो गई ना बात खत्म, मुझे तैयार होने जाना है, यह फ़िज़ूल चिज़े तुम्हीं देखो।

आकिब-----मगर आपी, अभी तो फंक्शन शुरू होने में वक्त है।

दुआ----- ज़्यादा सवाल पूछ कर, मुझे परेशान नही करो, एक-दो घंटे में मेहमान आना शुरू हो जाएंगे, अब तुम भी जाओ, जल्दी से तैयार हो, इधर-उधर वक्त बर्बाद नही करो।

वो यह कहते हुए, अपने कमरे की तरफ चली जाती है।

अभी वो अपने कमरे में तैयार ही हो रही थी कि कोई दरवाज़ा खटखटाता है, वो दरवाज़ा खोलती है तो रुद्र को अपने सामने देख, मानों उसकी जान आधी हो जाती है।

रुद्र मुस्कुराते हुए------अंदर आने को नही कहोगी, देखो अगर तुम चाहती हो, सबको पता चल जाए, कि मुझे तुमसे कितनी मोहब्बत है तो मुझे इस कमरे के बाहर खड़े हो कर बात करने में कोई प्रोब्लम नही है।

दुआ उसकी बात इग्नोर करते हुए, गुस्से में पूछती है------ यहां क्यों आए हो??

रुद्र----तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात पूछनी थी, अब अगर यहां खड़े होकर कहूंगा तो कहीं कोई ओर ना सुन लें, फिर नही कहना मेरी वजह से प्रोब्लम हो गई।

दुआ सोचते हुए----- अगर इसको यहां खड़ा किसी ने देख लिया तो पता नहीं कौन, क्या समझेगा.....वैसे भी इसका भरोसा नहीं है, पता नही क्या पूछना है, किसी ने इसकी बातें सुन ली तो अलग मुसीबत।

रुद्र---- क्या सोच रही हो, अंदर आऊं या यही बोल दूं??? 

दुआ दरवाज़े से हटते हुए---- ठीक है आओ, पूछो क्या पूछना है तुमको।

रूद्र उसके पास आते हुए----- मिस दुआ सिद्दीकी तुमको नही लगता, तुम मेरे साथ बहुत ज़ुल्म कर रही हो.....मेरा छोटा सा दिल, तुमको देखने के लिए हर वक्त तड़पता है और तुम खुद को छुपाने से बाज़ ही नही आ रही, आज सब लोगों ने बाहर आकर डेकोरेशन देखी मगर तुम नही आई, सुबह से एक दफा भी मेरे सामने नही आई, इसलिए अब मजबूरन मुझे यहां आना पड़ा।

यह कहते हुए रूद्र उसके काफी करीब आ चुका था, अब दुआ का गला खुश्क हो रहा था, उसको समझ नहीं आ रहा था, वो क्या कहें।

दुआ आहिस्ता से हिम्मत करते हुए----- रुद्र, तुम यह सब क्यों कर रहे हो, तुम पहले तो ऐसी हरकतें नहीं करते थे।

दुआ की रुंधी हुई आवाज़ सुन, रूद्र को महसूस होता है, कि वो ग़लती से उसके काफी करीब आ गया था, जिस वजह से दुआ थोड़ा डर गई थी, तभी वो फौरन उससे दूर हो जाता है, और सिचुएशन नोर्मल करने के लिए, खुद को शीशे में देखते हुए....

रुद्र----- मिस दुआ सिद्दीकी, देखो मुझे, क्या मुझमें कोई कमी है, माना कि तुम बहुत खूबसूरत हो मगर में भी कम नहीं हूं, हज़ारों लड़किया मरती है मुझ पर और मैं सिर्फ तुम पर और रही बात मेरी इन हरकतों की तो इसके लिए तुमने ही मुझे मजबूर किया है।

दुआ हैरानी से----- मैंने??? मैंने क्या किया???

रुद्र---- तुम जानती थी, मैं तुमसे प्यार करता हूं, तुमको ना पाकर बहुत तकलीफ होगी मुझे, फिर भी तुम मुझसे इतनी दूर यहां चली आई, अब तुमने ग़लती की थी तो थोड़ी सज़ा तो बनती है ना???

दुआ---- अच्छा तो तुम मुझे सज़ा दे रहे हों???

रुद्र मुस्कुराते हुए------सोचा तो कुछ ऐसा ही था मगर क्या करूं, मेरा दिल मुझसे ही बेवफाई करने लगा, चाह कर भी तुमको सज़ा नही दे सकता, हां, तुमको थोड़ा परेशान इसलिए किया क्योंकि जब तुम, गुस्से में मुझे घूरती हो तो मुझे तुम पर और भी ज़्यादा प्यार आता है।

दुआ उसे घूरते हुए---- बंद करो अपनी बकवास!!! ज़रा यह सब ना, मेरे घरवालों के सामने कह कर दिखाओ, तब पता चले तुम्हारा इस सो-कॉल्ड प्यार की गहराई।

कुछ देर में सब लोग तुम्हारे सिर से यह प्यार का भूत ना उतार दें, तो कहना।

रूद्र----- तुम मेरे प्यार को चैलेंज कर रही हो???

दुआ---- अब इसको तुम चैलेंज समझो या कुछ और तुम्हारी मर्ज़ी!

रुद्र मुस्कुराते हुए-----ठीक है, तो मिस दुआ सिद्दीकी तैयार हो जाओ मिसेज़ रघुवंशी बनने के लिए।

दुआ----- मिस्टर रूद्र रघुवंशी, ज़रा संभल कर, ज़्यादा बड़े बोल नही बोलों, यह दिल्ली नही, जहां तुम्हारे खानदान का नाम चलता है, यह सिंगापुर है, एक दूसरा मुल्क और यहां मेरा छोटा मासूम सा भाई नहीं है, जिसको तुमने बहुत आसानी से बेवकूफ बना लिया, यहां मेरा पूरा खानदान है।

रुद्र करीब आते हुए----- मुझे डरा रही हो???

दुआ हल्का सा मुस्कुराते हुए---- मैं तो बस हालात बता रही हूं।

रुद्र सोचते हुए---- अगर मैं ग़लत नहीं तो कुल मिलाकर तुम्हारे 17 कज़िन्स ब्रदर है यहां, उसके बाद 2 मामा, 3 मौसा और 6 दूर के अंकल जिन सबके मिलाकर 13 बेटे हैं बाकि फंक्शन में आने वाले मर्दों का पता नही मगर तकरीबन 450 तो होंगे ही।

दुआ हैरानी से उसे देखते हुऐ सोचने लगती है, इतनी डिटेल में तो उसे भी नही पता था।

रुद्र मुस्कुराते हुए------दुआ एक बात याद रखना, रुद्र रघुवंशी आज तक ना कभी हारा है, ना ही किसी से डरा हैं...... और आज तो सवाल मेरे प्यार का है, तो देख लेते हैं....... तुम्हारे खानदान में ज़्यादा ताक़त है या मेरी मोहब्बत में???

रुद्र यह कह कर वहां से चले जाता है और दुआ उसकी बात सुन अपना सिर पीट कर रह जाती है.....

यह उसने क्या कर दिया, वो तो रुद्र को रोकना चाहती थी मगर गुस्से में उसे चैलेंज कर बैठी, यह जानते हुए कि वो हार मानने वालों में से नही है, कहा तो वो उससे बचना चाह रही थी और कहा अब खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली थी........

अब यह जो रायता फैलाया था, उसे वो कैसे समेट पाएंगी------यह सोच-सोच कर, उसका सिर दर्द से फटने लगा था।

वो जल्दी-जल्दी तैयार होकर हाॅल में पहुंचती है, आज उसने बहुत ही खूबसूरत हरे-लाल रंग का लहंगा पहना होता है, कानों में लम्बे झुमके, पैरों में पायल, हाथों में चूड़ी और अपने लम्बे बाल बहुत ही खूबसूरती से हाई जूड़े की शक्ल में बांधे होते हैं..... उसको देखने वाला हर इंसान उसकी तारीफ़ कर रहा था और वो फिका सा मुस्कुरा कर शुक्रिया कह रही थी।

धीरे-धीरे सभी मेहमान आ गए थे, रेशमा के मेहंदी भी लगना शुरू हो गई थी उसके साथ बाकि सभी लड़कियों के भी मेहंदी लग रही थी, एक तरफ डी.जे पर मेहंदी के गाने बज रहे थे, तो दुसरी तरफ घर के सभी बड़े एक-दूसरे से बातें करने में मसरुफ़ थे, मगर दुआ इन सबसे जुदा, रुद्र को ढूंढ रही थी कि किसी तरह वो उसे रोक सके, चाहे रुद्र को रोकने लिए आज उसको माफी ही क्यों ना मांगनी पड़े उससे!!!

दुआ अपनी ही परेशानी में खोई होती है कि अचानक सारी लाइट बंद हो जाती है, और हर तरफ अंधेरा छा जाता है, सभी लोग परेशान होकर एक-दूसरे से लाइट का पूछते हैं कि तभी गिटार की आवाज़ सबके कानों में पड़ती है......गाने की धुन सुनकर सभी स्टेज की तरफ देखते हैं और तभी लाइट ऑन हो जाती है, रुद्र को गिटार बजाता देख, सभी लोग झूमने लगते हैं.... तभी रुद्र, दुआ को देख मुस्कुराते हुए गाना शुरू करता है......

दिल को, तुमसे प्यार हुआ....
पहली बार हुआ....तुमसे प्यार हुआ......

मैं भी, आशिक यार हुआ.... 
पहली बार हुआ, तुमसे प्यार हुआ.....

छाई है, बेताबी..... 
मेरी जां, कहो मैं क्या करूं..........
छाई है, बेताबी..... 
मेरी जां, कहो मैं क्या करूं.........

दिल को, तुमसे प्यार हुआ.....
पहली बार हुआ.... तुमसे प्यार हुआ....
मैं भी आशिक यार हुआ.... 
पहली बार हुआ, तुमसे प्यार हुआ......

यह लाइन्स सुनकर दुआ की घबराहट बढ़ने लगती है, उसे समझ नही आता वो करे तो क्या करें तभी रुद्र गाना गाते हुए, स्टेज से उतर कर उसकी तरफ आने लगता है।

खो गया, मैं ख्यालों में...
अब निंद भी नही आंखों में...
करवटें बस बदलता हूं... 
अब जागता हूं मैं रातों में...
अब दूरी...... ना सहनी, हर लम्हा कहता है,
ना जाने..... हाल मेरा, ऐसा क्यों रहता है,
मैं दिवाना तेरा बन गया, जान-ए-जाना, 
मैं फ़साना तेरा बन गया, जान-ए-जाना,

हसीना गोरी-गोरी, चुराए चोरी-चोरी,
चुराए दिल, चोरी-चोरी~ 3

दिल को, तुमसे प्यार हुआ...
पहली बार हुआ, तुमसे प्यार हुआ....

रूद्र को अपनी तरफ आता देख, वो अपनी जगह से हटना चाहती मगर सबकी निगाह अब दुआ पर टिकी होती है, क्योंकि रुद्र अब उससे सिर्फ 10-15 क़दम की दूरी पर होता है।

आरज़ू.... है, मेरे सपनों की, 
बैठा रहूं, तेरी बाहों में,
सिर्फ तू मुझे चाहे अब,
इतना असर हो मेरी आहों में,
तू कह दें........हंस के तो..... तोड़ दूं मैं रस्मों को....
मर के भी..... ना भूलूं ..... मैं तेरी कसमों को.....

मैं तो आया हूं यहां पे बस तेरे लिए, 
तेरा तन-मन सब है मेरे लिए
है क्या हसीं नज़ारा, समां है प्यारा- प्यार
गले लगा लें, यारा-यारा ~3

वो यह लाइन्स दुआ के चारों तरफ घुमते हुए कहता है जिससे किसी को भी समझने में देर नहीं लगती, वो यह सब दुआ से कह रहा है.......अब सभी लोग रुद्र को घूरने लगे थे, दुआ को अपने बाबा की आंखों में गुस्सा बिल्कुल साफ दिख रहा था, मगर रुद्र बिल्कुल निडर होकर गाना गा रहा था, और किसी की परवाह किए बगैर दुआ को आंखों से इशारा कर पूछ भी रहा था, उसको कैसा लग रहा है.....

दुआ ने यह सब इमेजिन भी नही किया था कि वो सबके सामने ऐसे अपने दिल की बात कह देगा, उसने तो सोचा था वो इनडायरेक्टली तरीका ढूंढेंगा, जिससे वो चैलेंज भी जीत जाए और कोई कुछ समझ भी ना पाए।

मैं भी, आशिक यार हुआ... 
पहली बार हुआ, तुमसे प्यार हुआ...

छाई है, बेताबी..... 
मेरी जां.....कहो मैं क्या करूं.....
छाई है, बेताबी..... 
मेरी जां..... कहो मैं क्या करूं.......

छाई है बेताबी..... मेरी जां, 
कहो मैं क्या करूं,
छाई है बेताबी..... मेरी जां, 
कहो मैं क्या करूं-क्या करूं-क्या करूं........

दुआ अपनी ही सोचों में गुम होती है कि रुद्र गाना खत्म कर उसके सामने, घुटनों पर बैठ जाता है जिसको देख दुआ की जान निकल ही जाती है..... इससे पहले रूद्र कुछ कहता वो हंसते हुए तेज़-तेज़ ताली बजाने लगती है।

दुआ मुस्कुराते हुए------ बहुत ही अच्छा था आपका गाना, आपने सच कहा था, गाते तो आप सच में बहुत बढ़िया है, देखें सभी लोग आपके गाने में खो गए थे-------वो सबकी तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, जो अभी भी गुस्से में रुद्र को घूर रहें थे।

दुआ अपने बाबा और मामा के पास आते हुए----- अरे, मामा!! आज संगीत का फंक्शन हैं ना तो यह सुबह बता रहे थे, कि यह इतने दिल से गाते हैं कि सब उसमें खो जाते हैं, इनके कहने के मुताबिक, इनका कोई मुकाबला नहीं...... तभी हमने भी इनको चैलेंज कर दिया था कि आज फंक्शन में डिसाइड हो ही जाएगा, इनका गाना ज़्यादा अच्छा है या हमारा डांस???

अब आप सबने इनका गाना तो सुन ही लिया है अब हमारा डांस भी देख लें, और बताए कि यह चैलेंज किसने जीता है......

दुआ की बात सुनकर सभी लोग नोर्मल हो गए, और रुद्र की तारीफ करने लगे.... मगर दुआ की बात सुनकर रुद्र हैरानी से उसे देखने लगा..... उसने कितनी समझदारी से पूरी सिचुएशन ही बदल दी थी।

तभी दुआ डी.जे वाले को गाना शुरू करने का कह कर, स्टेज पर पहुंच जाती हैं।

गाना शुरू होता है....

पैरों में बंधन है, पायल ने मचाया शोर,
पैरों में बंधन है, पायल ने मचाया शोर,
सब दरवाज़े कर लो बंद, 
सब दरवाज़े कर लो बंद, 
देखो आए, आए चोर....
पैरों में बंधन है....

अचानक ही रूद्र और दुआ के कज़िन्स ब्रदर स्टेज पर आ जाते हैं-------

तोड़ दे, सारे बंधन तू,
तोड़ दे, सारे बंधन तू, 
मचने दे पायल का शोर,

तोड़ दे, सारे बंधन तू, 
मचने दे पायल का शोर,

दिल के सब दरवाज़े खोल, 
दिल के सब दरवाज़े खोल, 
देखो आए, आए चोर
पैरों में बंधन है....

दुआ अपनी नानी के पिछे छुपते हुए---कहुं मैं क्या???

करूं मैं क्या???
शर्म आ जाती है...

सभी लड़के एक साथ रुद्र के डांसिंग स्टेप फाॅलो करते हुए-------- 

ना यूं तड़पा, 
कि मेरी जां,
निकलती जाती है....

अब दुआ के साथ बाकि लड़कियां भी स्टेज पर आ जाती है-----

तू आशिक है, मेरा सच्चा,
यक़ीन तो आने दें...

तेरे दिल में, अगर शक है,
तो बस, फिर जाने दें,

इतनी जल्दी लाज का,
घूंघट ना खोलूंगी,
सोचूंगी.... फिर सोच के,
कल-परसो बोलुंगी,

तू आज भी, हां, ना बोली,
ओए कुड़िए, तेरी डोली.....
ले ना जाए, कोई ओर....

पैरों में बंधन है, पायल ने मचाया शोर,
सब दरवाज़े कर लो बंद, 
सब दरवाज़े कर लो बंद, 
देखो आए, आए चोर....

तोड़ दे, सारे बंधन तू,
तोड़ दे, सारे बंधन तू, 
मचने दे पायल का शोर,

दिल के सब दरवाज़े खोल, 
दिल के सब दरवाज़े खोल, 
देखो आए, आए चोर
पैरों में बंधन है....

दुआ रेशमा के करीब जाते हुए----

जिन्हें, मिलना है... 
कुछ भी हो,
अजी मिल जाते हैं

दिलों के फूल... तो पतझड़, 
में भी खील जाते हैं

ज़माना, दोस्तों.... दिल को दिवाना कहता है....
दिवाना दिल.... ज़माने को, दिवाना कहता है...

लें, मैं सय्या आ..... गई,
सारी... दुनिया छोड़ के,
तेरा बंधन बांध लिया,
सारे बंधन तोड़ के,

एक दूजे से जुड़ जाए...
आ, हम दोनों उड़ जाए....
जैसे संग, पतंग और डोर....

पैरों में बंधन है, पायल ने मचाया शोर,
सब दरवाज़े कर लो बंद, 
सब दरवाज़े कर लो बंद, 
देखो आए, आए चोर....

तोड़ दे, सारे बंधन तू,
तोड़ दे, सारे बंधन तू, 
मचने दे पायल का शोर,

दिल के सब दरवाज़े खोल, 
दिल के सब दरवाज़े खोल, 
देखो आए, आए चोर

सब दरवाज़े कर लो बंद, 
सब दरवाज़े कर लो बंद, 
देखो आए, आए चोर....

देखो आए आए चोर~3

सभी लोग गाने और डांस को बहुत इंजाय करते हैं, आखिर में तालियों की गूंज से गाना बंद हो जाता है, सभी रुद्र और दुआ की बहुत तारीफ करते हैं कि आज तो उन दोनों ने संगीत के फंक्शन में, रंग ही जमा दिया।

मगर हक़ीक़त तो बस रुद्र और दुआ को ही पता थी..... दुआ गाना खत्म होते ही सबकी नज़रों से बच कर वहां से चली जाती है, उसके बाद रुद्र, सब जगह दुआ को ढूंढता है मगर वो उसे कहीं नहीं दिखती आखिर फंक्शन खत्म हो जाता है और रुद्र थक हार कर अपने कमरे में आ जाता है।

अगले दिन बारात होती है, सभी लोग अपने-अपने कामों में मसरूफ होते हैं, सिद्दीकी फेमिली की फ्लाइट उसी दिन रात के 11:30 बजे थी, तो वो लोग अपनी पैकिंग करने में बिज़ी होते हैं, दुआ पूरे दिन किसी ना किसी के साथ रहती है जिससे वो चाह कर भी दुआ से बात नही कर पाता..... 

बरात का फंक्शन सिंगापुर के 5 स्टार होटल पार्क रॉयल में रखा गया था....सभी लोग होटल पहुंच जाते हैं, बारात भी आ जाती है मगर दुआ, रुद्र को कहीं नज़र नहीं आती, रुद्र को समझ नही आ रहा था कि वो किस तरह दुआ से बात करें....थोड़ी ही देर के बाद, मौलवी साहब निकाह पढ़ाना शुरू करते हैं, उसके बाद सभी लोग आंखें बंद कर, हाथ उठाकर दुल्हा-दुल्हन की आने वाली ज़िन्दगी के लिए दुआ मांगना शुरू करते हैं कि तभी रुद्र की निगाह दुआ पर जाती है, जो शायद उसकी ही निगाहों से बचने के लिए, कोने में खड़ी दुआ मांग रही थी.... रुद्र सबको दुआएं मांगता देख, दुआ के पास जाकर उसका हाथ पकड़ लेता है, दुआ हैरानी से उसकी तरफ देखती है मगर वो कुछ भी कहती इससे पहले वो ज़बरदस्ती उसका हाथ पकड़, दुआ को बाहर की तरफ, लेकर आ जाता है..... दुआ बाहर आते ही, झटके से अपना हाथ छुड़ाती है और उसके थप्पड़ मार देती है।

दुआ गुस्से में------प्रोब्लम क्या है तुम्हारी हां, समझते क्या खुद को, कोई सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं है क्या, इतना इंकार सुनने पर तो कोई भी ग़ैरतमंद इंसान वापस चला जाता, मगर तुमको तो समझ ही नही आता कि मैं तुम से प्यार नही करती।

रूद्र पहली बार हैरानी से उसका गुस्सा देख रहा था, उसको हैरानी उसके थप्पड़ मारने पर नहीं थी लेकिन उसके कहें शब्द उसको ज़ख्म जैसे महसूस हो रहे थे....

आज रुद्र की आंखें भर आईं थी----- यही बात मेरी आंखों में देखकर कहो, कि तुम्हें मुझसे प्यार नही है।

दुआ मज़ाक उड़ाने के अंदाज़ में हंसते हुए---- तुमको क्या लगता है, आंखों में देखकर, कुछ कह देने से वो बात सच्ची हो जाती है.....जो लोग आंखों में देखकर लव यू कहते हैं, वो सब लोग सच्चे होते हैं, रुद्र यह कलयुग है, यहां सबसे ज़्यादा झूठ आंखों में देखकर ही बोला जाता है, खैर, तुम्हारी खुशी के लिए आज यह भी कर देती हूं, मिस्टर रघुवंशी, तुम बहुत बड़ी गलतफहमी के शिकार हो, मैं.......

वो इतना ही कहती हैं कि रुद्र उसका हाथ पकड़, उसको अपने करीब कर लेता है, तभी उसकी निगाह खुद बा खुद झुक जाती है, 

रुद्र उसको घोर से देखते हुए----अपनी बात पूरी करो ना दुआ, अब क्यों ख़ामोश हो गई??? अब क्यों नहीं कहती कि तुमको मुझसे प्यार नहीं....मेरे करीब आने पर क्यों तुम मुझे खुद से दूर नही कर पाती, क्यों तुम्हारी धड़कन बेकाबू हो जाती है, बताओ मुझे, क्यों तुम वही बात दोबारा नहीं बोल पा रही जो कुछ पल पहले इतनी आसानी से कह गई।

जानती हो क्यों???....... क्योंकि तुम खुद से ही सच छूपा रही हो, तुम खुद को ही धोखा दे रही हो, मैं जानता हूं, तुम अपने घरवालों से सबसे ज़्यादा प्यार करती हो मगर तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई एहसास नही, कोई जगह नही, यह मैं मान ही नहीं सकता, तुम हां कहो या ना मगर तुम्हारा दिल मेरी मोहब्बत की गवाही देता है।

रुद्र की बातें दुआ को कमज़ोर बना रहीं थी उसको समझ नही आ रहा था वो क्या कहें, उसकी आवाज़ उसका साथ नही दे रही थी, मगर अगर थोड़ी देर और रुद्र यूं ही उससे सवाल करता रहा तो उसे डरता था, कहीं वो उसके सामने टूट ना जाए। 

यह ख्याल आते ही, वो अपनी पूरी ताकत से उसे धक्का देती है और उससे दूर हो जाती है।

दुआ उसे घूरते हुए------ प्यार ज़बरदस्ती से नही करवाया जाता रुद्र रघुवंशी, और तुम मेरे साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश करते हों, तुम जैसा घटिया इंसान मैंने आज तक नहीं देखा, अल्लाह के वास्ते चले जाओ यहां से----- दुआ अपने दोनों हाथ उसके सामने जोड़ते हुए कहती हैं और वहां से भागते हुए होटल के बाहर की तरफ चली जाती है।

काफी देर तक, दुआ के अल्फाज़, रुद्र के कानों में गूंजते रहते है, मगर कुछ ही देर बाद उसको एहसास होता है.... दुआ होटल से अकेले ही बाहर चली गई है.....तभी वो सबकुछ भुल पार्किंग की तरफ दौड़ता है और जल्दी से कार स्टार्ट कर उसे ढूंढने चले जाता है।

दुसरी तरफ दुआ रोते-रोते अपने ख्यालों में खोए हुए, होटल से काफी दूर चली जाती है, थोड़ी देर बाद जब वो वापस जाने के लिए मुड़ती है तब उसे एहसास होता है कि वो रास्ता भूल गई है, क्योंकि रोने की वजह से वो रास्ते पर ध्यान ही नहीं देती, सोने पर सुहागा ना उसके पास अभी, ना फोन होता है, ना ही पैसे...... उसको याद आता है उसने अपना पर्स तो दुआ मांगते हुए टेबल पर रख दिया था और रुद्र से बचने के चक्कर में वो खाली हाथ ही होटल से निकल जाती है.....अब उसे रुद्र पर और भी गुस्सा आने लगता है कि उसकी वजह से वो अब एक नई मुसीबत में पड़ गई......अब उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, क्या करें क्या ना करें.....वो वहीं टेक्सी के इंतेज़ार में रोड के एक साइड में खड़ी हो जाती है।

सर उधर देखें, यह वही लड़की है ना जिसको आप ढूंढ रहे थे------ अमित जी ने रोड की दुसरी तरफ इशारा करते हुए कहा।

अहान हैरत से उस तरफ देखते हुए------हां अमित जी, यह वही लड़की है, जल्दी चले उसके पास।

बाकी अगले भाग में:-
Anita Singh

Anita Singh

सूंदर

30 दिसम्बर 2021

11
रचनाएँ
दिल ए नादान
5.0
यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसका मानना है कि आप अपने रब को "भगवान कह कर पुकारो, अल्लाह कहो या कुछ ओर" सुनने वाला एक ही है.........क्योंकि रब को अलग नाम दिए जा सकते हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे हम अपने चाहने वालों को कई नामों से पुकारते हैं मगर होता वो एक ही है इसी तरह फरियाद सुनने वाला भी एक ही है और पुकारने वाला दिल भी वही है, फ़र्क है तो नज़रिए का......उसके हिसाब से दुनिया का हर धर्म सबसे पहले इंसानियत सिखाता है.......एक-दूसरे से प्यार करना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना सिखाता है मगर क्या वो अकेला, धर्म पर होने वाली नफरत को मिटा सकेगा????? कहते है, किसी एक इंसान की सोच बदलना भी बहुत मुश्किल है फिर उसके सामने तो उसका पूरा परिवार था जो उसकी सोच के खिलाफ, उसकी मोहब्बत के खिलाफ था...... आइए चलें एक नए सफर पर इस दिवाने के साथ, देखें क्या होगा इसका अंजाम, क्या पिघल जाएंगेे लोगों के दिल उसकी मोहब्बत के सामने या होगा फिर वही, लाखों लोगों की तरह.....उसकी मोहब्बत भी तोड़ देगी दम धर्म के नाम पर पैदा हुई नफरत के सामने.      **************** 12-Dec-2018 आज रूद्र बहुत तेज़ कार चला रहा था, ज़्यादातर वह कायदे-कानून का पालन करता था, मगर आज शायद उससे इंतेज़ार नही हो रहा था, उसका दिल कह रहा था कि वो उड़ कर दुआ के सामने पहुंच जाएं, उसकी मोहब्बत, उसका जुनून, उसकी ज़िद्द सब कुछ उस एक नाम पर अटक गया था "दुआ"........ छः महीनों की लगातार कोशिशों के बाद, आखिर आज दुआ ने उसे मिलने बुला ही लिया था, वो नही जानता था कि आगे क्या होगा बस उसको तो इंतेज़ार था, उस पल का, जब दुआ उसके सामने हो और वो उसको बता सके, कि वो उससे कितनी मोहब्बत करता है, कितनी बातें थी उसके दिल में, आज वो सारी बातें कहने का मौका मिला था उसे इसलिए आज का दिन उसके लिए बहुत खास था .....यही सब सोचते-सोचते वो कब दुआ के बताए रेस्टोरेंट के सामने पहुंच गया उसको पता ही नही चला, वो जल्दी से गाड़ी से उतर अन्दर जाकर पुछता है, तो वेटर उसको दाएं हाथ की तरफ इशारा करते हुए रास्ता बता देता है..... कुछ क़दम चलने के बाद ही वो एक दरवाज़े से बाहर निकलता है तो सिर पर खुला आसमान, चारों तरफ हरियाली, तेज़ हवाएं, जगह ज़्यादा बड़ी नहीं थी मगर उसकी डेकोरेशन इतनी खूबसूरत थी कि बड़े-बड़े होटलों को फेल कर दे, थोड़ी ही दूर पर एक टेबल रखी थी और उसकी दाईं ओर कुछ लकड़ियों को जला रखा था, आज मौसम भी काफी सुहाना था जो रूद्र के मूड को ओर भी खुशगवार बना रहा था, वो टेबल के पास पहुंचा तो दुआ को देख कर एक पल के लिए जैसे सब कुछ भुल गया....... तेज़ हवाएं उसके लम्बे बालों से खेल रही थी, और वो खुद किसी गहरी सोच में गुम थी, उसकी आंखें टेबल पर गड़ी हुई थी जहां एक तरफ भगवान की छोटी सी मुर्ती रखी थी और उसके ही साथ एक छड़ी थी जिस पर अल्लाह लिखा हुआ था......दुआ अपनी सोच में इतना खो गई थी कि उसे रूद्र के आने का एहसास तक नही हुआ. रूद्र का दिल तो कह रहा था कि वो उसको यू ही ज़िन्दगी भर देखता रहे मगर अभी उसको इतना हक़ कहा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपना गला साफ करते हुए, दुआ से बैठने की इजाज़त मांगी और दुआ उसकी आवाज़ सुनते ही खुद को ठीक करते हुए एक दम सीधी बैठ गई। जानते हो रूद्र यह क्या है??----इससे पहले रूद्र कुछ कहता दुआ ने टेबल पर रखी मूर्ति और छड़ी की तरफ देखते हुए उससे पूछा। उसने कुछ ना समझते हुए दुआ को देखा। रूद्र यह हम दोनों है जो कभी एक नही हो सकते, आज मैंने, तुम्हे यहां सिर्फ यही कहने के लिए बुलाया है......भुल जाओ मुझे, अभी कुछ नही बिगड़ा है, तुम एक अच्छे बिजनेसमैन हो, अपने करियर पर ध्यान दो, तुम्हारे परिवार का बहुत नाम है, उनका मान नही तोड़ो, मैं नही चाहती मेरी वजह से किसी का परिवार टूट जाए, मैं नहीं चाहती, मैं किसी की बर्बादी की वजह बनूं, इसलिए आज के बाद फिर कभी तुम मेरे सामने नही आना---- दुआ उसे समझा रही थी और वो सिर्फ उसको देखें जा रहा था, कितनी आसानी से उसने कह दिया था भूल जाओ मुझे....... रूद्र तुम सुन भी रहे हो या नही----दुआ ने रूद्र को खामोश देखा तो थोड़ा झुंझलाते हुए पूछा। ना-नही हो सकता यह......यह मूर्ति, यह छड़ी इन बेजान चिज़ो को तुम मेरे दिल, मेरे जज़्बात से मिला रही हो.......रूद्र ने गुस्से में टेबल पर हाथ मारते हुए कहा, जिससे दोनों चिज़े जलती हुई आग में गिर गई और दुआ हैरानी से उसे देखती रह गई, पहली बार रूद्र ने उससे तेज़ आवाज़ में बात की थी, उसको इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नही था कि रूद्र को गुस्सा भी आ सकता हैं। क्या-क्या समझाना चाहती हो तुम मुझे, हां, बोलो, कहना क्या चाहती हो, यही ना कि मैं हिन्दू हूं और तुम मुसलमान.......तो यह मेरी गलती है क्या, बताओ मुझे......मैं खुद को क्यों रोकूं? क्यों मैं खुद को उस ग़लती की सज़ा दूं जो मैंने की ही नही....क्या रब ने मुझे पैदा करने से पहले मुझसे पूछा था, किस धर्म, किस जाति में पैदा होना चाहता हूं मैं......नही ना.....तो फिर मुझे सज़ा क्यों दें रही हों......... यक़ीन मानो मैंने तो कभी चाहा भी नही था कि मुझे कभी किसी लड़की से प्यार हो मगर हो गया ना, मैं मानता हूं यह आसान नही है मगर तुमको भूल जाना भी मेरे हाथ में नही है......... तुमसे प्यार करता हूं, खुद को भुला सकता हूं मगर तुमको नहीं भूल पाऊंगा------ यह कहते हुए रूद्र की आवाज़ रूंध गई थी और कब उसकी आंखों से आंसू बहने लगे यह शायद उसको भी पता नहीं चला वो बस बोले जा रहा था। रुद्र--------दुआ मैं नही जानता यह सही है या ग़लत, मगर मैं मानता हूं, मोहब्बत का कोई धर्म, कोई जाति नही होती, यह तो वो खास एहसास होता है जो बहुत कम लोगों के दिल में पैदा होता है, तुमको देखकर जो एहसास, जो सुकून मुझे मिलता है, वो मैं लफ़्ज़ों में नही बता सकता....... अगर तुम मुझे कोई ओर वजह देती ना, तुम से दूर जाने के लिए तो शायद मैं खुद की जान ले लेता लेकिन तुम्हारे सामने फिर कभी नही आता ......मगर तुम मुझे खुद को भूलने का कह रही हो, इस घटिया दुनिया के लिए, जो कभी किसी की नही हुई......आज मैं आत्महत्या कर लूं तो क्या इस दुनिया पर कोई फ़र्क पड़ेगा????.... नही!!! कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा किसी को!!! मगर-अगर मैं अपने प्यार के लिए लड़ूंगा ना तो इस दुनिया को ज़रूर फ़र्क पड़ेगा, तब ज़रूर यह दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी होगी...... रुद्र------दुआ यह दुनिया, धर्म और जाति के नाम पर एक-दूसरे को मारने के लिए पल भर में तैयार है मगर प्यार और इन्सानियत का क्या??? ........क्यों मैं ऐसे समाज के लिए अपनी मोहब्बत, अपनी खुशियों का त्याग करूं?? जो कभी किसी की हुई ही नहीं.... तुम मुझे अपना मानो या ना मानो मगर मेरे लिए तुम मेरी ज़िन्दगी बन गई हो, अब चाहे जो हो जाए, तुमको भुलना नामुमकिन है---रूद्र की आंखों में साफ दिख रहा था, कि कुछ भी हो जाएं, वो हार नही मानेगा, और मानता भी क्यों उसका कहा हर लफ्ज़ सही था..... दुआ ने तो यह सोचा ही नही था कि रूद्र आज उसकी एक नही सुनेगा, मगर दुआ भी उसके सामने हार नही सकती थी क्योंकि वो बहुत अच्छे से जानती थी, कि रुद्र की मोहब्बत की क़ीमत कितनी बड़ी हो सकती है उसे अच्छे से पता था इसलिए उसे किसी भी तरह आज यह किस्सा यही खत्म करना था, यही सोच दुआ गुस्से में कुर्सी से खड़ी हो गई। दुआ गुस्से में-----ठीक है, तुम्हे परवाह नही है, तो ना सही, मगर मुझे है..... मिस्टर रूद्र रघुवंशी हर इंसान तुम्हारी तरह नही सोचता, तुम एक मर्द हो, वो भी इस शहर के सबसे अमीर परिवार से, इसलिए शायद तुम ऐसा सोच सकते हों, मगर मैं एक लड़की हूं वो भी ऐसे परिवार से जहां मैं अपने बाबा का मान हूं उनकी इज़्ज़त हूं, मैं एक हिन्दू लड़के को कभी नही अपना सकती, अपने बाबा पर उंगली उठाने की वजह नही दे सकती मैं दुनिया को, क्या कहेंगे लोग मेरे बाबा से, कैसे जवाब देंगे मेरे बाबा, इस दुनिया के अनगिनत सवालों के, नहीं रुद्र, तुम्हारी मोहब्बत की क़ीमत मेरे बाबा चुकाएं ऐसा मैं नही होने दूंगी इसलिए अच्छा होगा आज के बाद तुम मेरे सामने कभी ना आओ----यह कह कर वो जाने के लिए आगे बड़ी ही थी कि रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया। रुद्र------यही प्रोब्लम है ना कि मेरा नाम रूद्र रघुवंशी है कोई रहमान या सलीम नही, तो ठीक है, मैं इस प्रोबलम को अभी यही खत्म कर देता हूं......आज तुमको, अपनी मोहब्बत को गवाह बना कर, मैं इस्लाम कुबूल करता हूं....... तुम एक लड़की होना, तुम कुछ नही कर सकती क्योंकि तुम मजबूर हो सकती हो मगर मैं नही, आज से मैं तुम्हारी ताकत बनूंगा और तुम्हारा मान, कभी नही टूटने दूंगा---उसने यह कहते हुए आग में पड़ी छड़ी, को उठाया जिस पर अल्लाह लिखा था और उसे अपने हाथ पर चिपका दिया, जिसे देख दुआ चीख पड़ी और उसने रूद्र के हाथ से छड़ी लेकर फेंक दी......मगर उस छड़ी के साथ-साथ रूद्र के हाथ की खाल भी उतर गई। रुद्र नम आंखों से, अपना जला हुआ हाथ देख, मुस्कुराते हुए----- दुआ अब मेरे मरने के बाद भी कोई तुम पर उंगली नही उठा सकेगा, कोई तुम्हारे बाबा से नही पूछेगा कि मैं हिन्दू हूं, अब मेरे हाथ पर लिखा यह अल्लाह कभी नही मिट सकेगा, अब तो तुम मेरी मोहब्बत को क़ुबूल करोगी ना.... दुआ मैं अपनी मोहब्बत के लिए खुद को कुर्बान कर दुंगा.....मगर अपनी मोहब्बत को कुर्बान नही होने दूंगा इस दुनिया के लिए--- रूद्र यही कह रहा था कि दुआ ने गुस्से में उसके थप्पड़ मार दिया. दुआ उसके जले हाथ को देखते हुए-------तुम पागल हो क्या, जानते भी हो, क्या किया है तुमने??? यह कोई छोटी बात नही है रुद्र, बच्चों का खेल नहीं है यह, ज़िन्दगी भर भी इस निशान को मिटाने की कोशिश करोगे, तब भी अब यह नहीं जाएगा...... क्या जवाब दोगे सबको, अपने घर वालों को, क्या बताओगे यह कैसे हुआ??? यहां कोई तुम्हारे जज़्बात नही समझेगा रुद्र, यह आज का हिन्दुस्तान है जहां हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लाखों मासूमों का खून बहा दिया जाता है यह देश पहले जैसा नही है, जहां सब एक साथ नहीं, एक-दूसरे के दिल में रहते थे, रहम करो मुझ पर और खुद पर.......प्लीज़ खुद को बर्बाद नही करो, छोड़ दो मेरा पीछा, चलें जाओ मेरी ज़िन्दगी से,  नही करती मैं तुमसे प्यार, मुझे मेरे बाबा की इज़्ज़त सबसे प्यारी है, प्लीज़ चलें जाओ - दुआ ने रूद्र के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा यह कहते हुए दुआ की आंखें भर आईं थी मगर उसने अपने आंसु बहने नही दिए, क्योंकि उसके आंसु जहां उसको कमज़ोर बनाते वहीं रूद्र की मोहब्बत को ओर हवा देते, इससे पहले वो कुछ बोलता दुआ वहां से चली गई. आज मौसम भी अपने तेवर दिखा रहा था, वह रेस्टोरेंट से बाहर निकली ही थी कि ज़ोर से बारिश शुरू हो गई, बारिश की बूंदों के साथ दुआ के आंसूओं ने भी अपनी सरहद तोड़ दी थी...... दुआ-----कोई किसी से इतनी मोहब्बत कैसे कर सकता है, एक पल में उसने अपना सब कुछ गंवा दिया, एक बार भी नही सोचा, उसका अंजाम किया होगा और मैं बेरहम लड़की, उसको इतनी तकलीफ़ में, अकेला छोड़ आई......काश मुझे थोड़ा भी अंदाज़ा होता उसकी हरकत का, तो मैं इतनी घटिया बात कहती ही नही उसको........मैंने तो सिर्फ इसलिए ऐसा कहा था कि शायद वो हार मान जाएं, शायद उसे मेरी बात चुभ जाए, शायद वो मुझसे नफरत करने लगे.....मगर मुझे क्या पता था वो मुझसे इतनी मोहब्बत करता है कि सबकुछ खोने को तैयार है, उसे अपनी किसी तकलीफ की परवाह नही और मैं इस दुनिया की फ़िक्र लिए बैठी हूं.....उसने सच ही तो कहा.....अगर उसे कुछ हो गया, तो इस दुनिया को क्या फर्क पड़ेगा.......लेकिन मुझे??? क्या मुझे, सच में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उसके चलें जाने से??? क्या अब, मैं रह सकूंगी उसके बगैर??? दुआ बारिश में पैदल चले जा रही थी और खुद से हज़ारों सवाल कर रही थी, ना उसको सिग्नल का ख्याल था और ना ही रफ्तार से चल रही गाड़ियों का डर......उसके सामने तो सिर्फ वो मंज़र था जब वह रुद्र के जलते हाथ को देखती रही, उसको रोक ना सकी, वो तो मिलने सिर्फ इसलिए गई थी कि आज किसी भी तरह उसको समझा देगी और फिर कभी नही आएगी उसके सामने, मगर उसको क्या खबर थी आज वो खुद ही हार जाएगी, और वहीं छोड़ आएगी खुद को...... आज रूद्र की मोहब्बत जीत गई थी और वो हार गई थी, रो-रो कर उसकी आंखें सुझ गई थी, उसको अपना-आपा बोझ-सा लग रहा था, जिसको घसीटते हुए वह घर ले जा रही थी, इस वक्त उसको किसी की फ़िक्र नहीं थी कि उसकी ऐसी हालत देख लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, कुछ नही, अब अगर फ़िक्र हो रही थी उसको तो सिर्फ रुद्र की, अब उसके दिल और दिमाग में सिर्फ एक ही नाम था....... दो घंटे तक वो बारिश में भीगते-भीगते पैदल चलते हुए कब घर आ गई उसको पता ही नही चला, उसने दरवाज़ा खोला ही था कि उसकी नानी उसे देखते ही जल्दी से तौलिया लेकर उसके पास आ गई. कितनी बार कहा है! बारिश में नही भीगते, हर बार बीमार होने के बाद भी नही सुनती यह लड़की-----उसकी नानी (साएरा बेगम) ने सिर पर तौलिया डालते हुए कहा और दुआ उनके गले लग कर रोने लगी. दुआ! मेरा बच्चा क्या हुआ----साएरा बेगम ने उसके सिर पर प्यार करते हुए घबरा कर पूछा। एम् सोरी नानू-एम् सोरी, मैं आपकी अच्छी नवासी नही बन सकी, इस घर की इज्ज़त का बोझ नही उठा सकी, मैं हार गई उसके सामने, नानू मैं हार गई. साएरा बेगम-----दुआ मेरी बच्ची हुआ क्या है, यह क्या कह रही हो......दुआ की ऐसी हालत देख उनकी आंखें भर आईं थी। दुआ-----नानू मैं सच कह रही हूं, हार गई मैं उसके सामने, मगर--मगर मैंने कोशिश की थी, पूरी कोशिश की थी......सच में .....लेकिन वो पागल हैं ना नानू, मर जाएगा, अपनी जान ले लेगा मगर मुझे नही भुला सकेगा------दुआ सिसकियां लेते हुए अटक-अटक कर उनको सब कुछ बता रही थी. आज मैंने उसकी आंखों में देखा है नानू उसकी मोहब्बत की कोई हद नही है, वो बहुत आगे निकल गया है, मैं उसको नही रोक सकी.....झुका दिया मैंने अपने बाबा का सिर, तोड़ दिया उनका ग़ुरूर ----- दुआ किसी बच्चे की तरह रो-रो कर बोले जा रही थी, आज से पहले उसकी ऐसी हालत कभी नही हुई थी, यहां तक उसको इतना भी ख्याल नही रहा था कि उसके बाबा, उसके पिछे ही खड़े थे, जिनके पैरों तले ज़मीन खींच ली थी उसकी बातों ने, अपनी जवान बच्ची की ऐसी हालत देख फरहान सिद्दीकी का गुस्से से लाल चेहरा आने वाले तूफान का एहसास दिला रहा था। ********** जिया (रुद्र की भाभी) ------मां रूद्र का नम्बर बन्द जा रहा है, आप परेशान नही हो, रोहित ने अभी अजय से बात की है, वो उसे ढूंढने गया है वैसे उसने कहा है रूद्र अब घर ही आ रहा होगा, उसको एक मीटिंग के लिए जाना था, शायद इसलिए फोन बंद रखा होगा..... आपको तो पता है वो काम को लेकर कितना सीरियस रहता है, उसे डिस्टर्बेंस नही पसंद- जिया ने अपनी सासु मां को तसल्ली देते हुए कहा। पार्वती जी (रुद्र की मां)----- मगर जिया उसको पता था हम सब लोग यहां तक बाबू जी भी उसका इंतेज़ार कर रहे हैं, हम सबको एक साथ जाना था ना मिस्टर सिंघानिया के यहां , वो ऐसे लापरवाह नही है तुमको तो पता है..... तीन घंटे होने को है और आज यह बारिश भी रूकने का नाम नही ले रही, जिया मेरा दिल तो बहुत घबरा रहा है, पता नही वो अब तक क्यों नही आया? कुन्ती देवी (रुद्र की चाची)-------भाभी आप परेशान नही हो, रूद्र अब बच्चा थोड़ी है......जिया सही कह रही है, वो ठीक होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा, हो सकता है बारिश की वजह से कहीं फंस गया हो और अजय गया है ना उसको ढूंढने, थोड़ी देर में देखना, दोनों साथ ही आ रहे होंगे ---कुन्ती ने अपनी जेठानी को परेशान होते हुए देखा तो वो भी तसल्ली देने लगी। घर में सभी लोग परेशान हो रहे थे रूद्र के लिए, उसने पहले कभी अपना फोन इतनी देर के लिए बंद नही किया था मगर जिया वो परेशान होने से ज़्यादा डरी हुई थी, कि ऐसा क्या हो गया जो रूद्र अब तक नही आया.....वो तो उसको बता कर गया था कि आज वो दुआ से हां सुनकर ही आएगा, तो फिर वो अब तक क्यों नही आया--- जिया अपनी सोचों में गुम थी कि तभी अपनी सासु मां के चीखने की आवाज़ से होश में आई, उसने दरवाज़े की तरफ देखा तो, एक पल के लिए उसके पैर भी वहीं जम गए. आज से पहले कभी किसी ने रूद्र को ऐसी हालत में नही देखा था......उसके होंठ नीले पड़ गए थे जिससे पता चल रहा था कि वो घंटों बारिश में भीगता रहा है, उसकी आसमानी रंग की शर्ट पर खून के धब्बों को साफ देखा जा सकता था, उसकी हथेली में कुछ कांच के टुकड़े गड़े हुए थे जिसकी वजह से हाथ से खून अभी भी रीस रहा था.......उसकी यह हालत देख सब एक साथ दरवाज़े की तरफ दौड़े और रूद्र वही दहलीज़ पर खड़ा रहा, उसकी हिम्मत ही नही हुई कि वो एक क़दम भी आगे बड़ा सकता। पार्वती जी-----यह क्या हाल बना रखा है रूद्र, जिया जाओ जल्दी से फर्स्ट-एड लेकर आओ---उसकी मां ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिससे खून रिस रहा था मगर फौरन ही एक झटके से उसका हाथ छोड़ दिया, उनकी हैरानी की हद ना रही जब उनकी नज़र रूद्र की जली हुई कलाई पर गई। यह-यह क्या है रूद्र- उन्होंने उसकी जली हुई कलाई की तरफ इशारा करते हुए पूछा....उसकी शर्ट का कपड़ा उसकी खाल में चिपक गया था, इतना बड़ा निशान उनके बेटे के हाथ पर, उन्होंने तो कभी उसको सूई भी नही चुभने दी थी फिर आज इतना बड़ा ज़ख्म, कैसे??? रोहित ( रुद्र का बड़ा भाई)-----यह कैसे हुआ रूद्र, किसने किया तुम्हारे साथ यह सब- उसके भाई ने आगे बढ़ते हुए पुछा। रुद्र अपने हाथ को देखते हुए------भाई यह सब मेरे नाम ने किया है, "रूद्र रघुवंशी" यही नाम है ना मेरा, यही सबसे बड़ा गुनाह है मेरा, तो क़ीमत तो अदा करनी थी- रूद्र ने थोड़ा चिल्लाते हुए कहा जिस पर सभी हैरान थे, इससे पहले उसने कभी भी तेज़ आवाज़ में बात तक नही की थी घर वालों के सामने और आज वो दादू के सामने इतनी तेज़ आवाज़ में चिल्ला रहा था, जिनके आगे वो नज़र भी नही उठाया करता था। जिया ने उसकी हालत देखते हुए, थोड़ा हिम्मत करके पूछा----रूद्र बताओ तो सही हुआ क्या है??? रुद्र, जिया को देखते हुए----भाभी आपने सही कहा था, आसान नही होता मोहब्बत का सफर, मगर अब यह सफ़र कितना भी मुश्किल हो, मैं इतनी जल्दी हार नही मानूंगा...... क्योंकि अगर मैंने हार मान ली तो इस दुनिया की घटिया सोच जीत जाएगी..... जिया कुछ ना समझते हुए----- मतलब??? रुद्र हल्का सा मुस्कुराते हुए----- मतलब भाभी, आखिर इस दुनिया की घटिया सोच, आज आ ही गई, मेरी मोहब्बत के बीच..... जानती है आप, उसने क्या कहा मुझसे.......वो कहती है उसे मुझसे मोहब्बत नही है, वो मुझे देखना भी पसंद नही करती, क्योंकि वो मजबूर हैं, दुनिया उस पर ऊंगली उठाएगी, उसके बाबा से सवाल करेगी, जानती है क्यों वो मुझे अपना नही सकती क्योंकि मैं हिन्दू और वो मुसलमान है- रूद्र ने आख़री शब्द चिखते हुए कहा. जिसे सुनकर, रघुवंशी परिवार के पैरों तले ज़मीन निकल गई थी......किसी ने नही सोचा था कि रूद्र को कभी कोई लड़की पसंद भी आ सकती है, वो भी एक मुसलमान लड़की, यह कैसे हो सकता है। पार्वती जी ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए पुछा-----रूद्र यह क्या कह रहे हो तुम?? रुद्र-----एम् सोरी मोम, एम् सोरी मगर आपके बेटे को एक मुसलमान लड़की से प्यार हो गया है--- रूद्र ने यही कहा था कि मुकेश रघुवंशी ने उसके सामने आते ही उसके ज़ोर का थप्पड़ जड़ दिया। मुकेश रघुवंशी गुस्से में------तुमको पता है, तुम क्या कह रहे हों, एक मुसलमान लड़की, तुम्हारा दिमाग ठीक है---- उन्होंने उसे घूरते हुए पूछा। रुद्र-----हम्मम!! जानता हूं.......उसने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा मगर उसकी आंखों में नमी थी। दादू! मैं जानता हूं, मैंने आज आपका मान तोड़ दिया, आपको ठेस पहुंचाई है, बहुत बुरा हूं, आपका पोता कहलाने के लायक भी नहीं इसलिए इस घर को छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहा हूं। रुद्र-----मैं कभी आप लोगों से अलग नही होना चाहता था, मगर जानता हूं, आप कभी भी उसको नही अपनाएंगे.......क्योंकि यह हिन्दुस्तान है, यहां इज़्ज़त और धर्म के नाम पर बच्चों को कुर्बान कर देना ज़्यादा अच्छा समझा जाता हैं, मगर उनकी खुशियों के लिए, उनके साथ मिलकर दुनिया से लड़ना, यह तो यहा सिखाया ही नही जाता. पार्वती जी, रूद्र का हाथ पकड़ते हुए-------रूद्र होश में आओ, क्या कह रहे हो, तुमको पता भी है, देखो अपना हाल, खून बह रहा है, जिया जल्दी से डॉक्टर को फोन करो--- रुद्र------भाभी रहने दीजिए, अब मेरा इस घर पर कोई हक़ नही रहा, मुझे जाना है मगर उससे पहले दादू से कुछ सवाल करने है...... दादू, मैंने बचपन से आपको देखा है, आप किसी मुसलमान के हाथ से पानी लेना भी पाप समझते हैं, आप उनके साथ बैठना भी पसंद नहीं करते, आखिर इतनी नफ़रत क्यों है आपके दिल में, क्या वजह है इस भेदभाव की......क्या वो लोग इंसान नही दादू??? मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए-----बंद करो अपनी बकवास, लगता है भूल गए हो, कि तुम अपने दादू के सामने खड़े हो---- रुद्र-----ठीक है दादू! हो जाउंगा चुप, मगर आप मुझे बताएं, आप तो हिन्दू है ना, वो मुसलमान है फिर क्यों आप दोनों की सोच अलग नही है, फिर क्यों उसने भी यही कहा, क्यों उसने भी मुझे थप्पड़ मारा, क्यों उसको भी समाज की परवाह ज़्यादा है। दादू आप जानते है! हिन्दुस्तान में हर साल रावण को जलाया जाता है, बुराई का प्रतीक समझ कर मगर वहीं श्रीलंका में उसकी पूजा की जाती है, भगवान समझ कर, क्या इसका मतलब यह है कि वो लोग अच्छे नही या वह नफरत के काबिल है क्योंकि वो रावण को भगवान मानते हैं......बताए मुझे- रूद्र ने मुकेश रघुवंशी के गुस्से की परवाह ना करते हुए उनकी तरफ देखते हुए पूछा और जवाब ना मिलने पर उसने बोलना फिर शुरू कर दिया। नही ना दादू!! इसका मतलब सिर्फ इतना है कि जो इंसान जहां पैदा होता है वहां की रीति-रिवाज़ अपना लेता है, अपना नज़रिया वैसे ही बना लेता है, लेकिन अपने नज़रिए की वजह से करोड़ों लोगों से नफ़रत करना, उनका खून बहा देना, हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर अनगिनत बच्चों को अनाथ कर देना, लाखों औरतों की इज्ज़त लूट लेना यह हक़ किस धर्म ने दिया है??? कौन सा धर्म नफरत सिखाता है दादू??? क्या ईसा-अलैहिस्सलाम ने, हुज़ूर ने या राम जी ने, कृष्ण जी ने, शिव जी ने, या किसी ओर भगवान ने किसी औरत की इज्ज़त को रौंदा था पैरों तले अपने धर्म का बदला लेने के लिए??? क्या उनमें से किसी ने भी मासूमों का खून बहाया था??? गीता और क़ुरान में क्या कहीं भी लिखा है कि बेगुनाहों का कत्ल कर दो, सिर्फ इसलिए कि वो अपने रब को आपके हिसाब से नही पुकारते, उनके रब का नाम वो नही जो आप लेते हैं। दादू धर्म तो प्यार की नींव रखता है, धर्म तो धैर्य, संयम और निष्ठा सिखाता है, हर धर्म का पहला पाठ इंसानियत है....... फिर सब यही पाठ छोड़ कर आगे कैसे बढ़ जाते हैं??? सिर्फ गीता या क़ुरान को पड़ लेना तो धार्मिक होना नही है.....उसकी गहराई को समझना और अमल करना धार्मिक बनाता है इंसान को....... लेकिन आज के दौर में हर इंसान खुद को धर्म का ठेकेदार कह कर अपने को अल्लाह और भगवान समझ लेता है, लाखों लोगों का खून बहा देता है, यह सोचे बगैर कि जब वह इंसानियत ही भुल गया तो वो धार्मिक कहा से रहा----- रूद्र आज वो सब बोल रहा था जो हमेशा वो अपने दादू को समझाना चाहता था मगर कभी हिम्मत नही कर सका था। रुद्र------दादू! मैं आप सबसे बहुत प्यार करता हूं मगर उस लड़की को नही छोड़ सकता, वो भी सिर्फ इस वजह से कि उसका नाम दुआ सिद्दीकी है क्योंकि वो एक मुसलमान के घर पैदा हुई........दादू मैं अपनी मोहब्बत की कुर्बानी नही दूंगा किसी धर्म के नाम पर चाहे जो हो जाए मगर आपका पोता हार नही मानेगा। रुद्र, कुन्ती देवी की तरफ बढ़ते हुए------चाची आप मुझे बताइएं, क्या भगवान जी ने आपको पैदा करने से पहले पूछा था कि आप हिन्दू के घर पैदा होना चाहती है या मुसलमान के घर??? रूद्र के सवाल पर सभी ख़ामोश थे तब ही पिछे से अजय भी उसे ढूंढता हुआ आ गया मगर रूद्र का सवाल सुनकर उसके क़दम भी जहां थे वहीं रुक गए। रुद्र----नही ना चाची!!! पता है क्यों?? क्योंकि उसने तो हम सबको सिर्फ इंसान बनाया था, हिन्दू-मुस्लिम तो इस दुनिया ने बनाया है हमको...... रुद्र-----हम में से किसी से भी भगवान ने नही पूछा था.....ना आप से, ना मुझसे, ना उससे.......फिर उसको मुझसे अलग रहने को मजबूर क्यों किया जा रहा है......क्यों सबकी नज़रों में मैं ग़लत बन गया हूं??? क्यों मेरी मोहब्बत को सब गुनाह समझ रहे हैं??? आप सब ही चाहते थे ना कि मैं शादी कर लूं, आज जब मुझे किसी से प्यार हो गया तो आप लोग चाहते हैं मैं उसे भुल जाऊं क्योंकि वो मुसलमान है। 27 साल तक आप लोगों ने मुझे पाला-पोसा, बेइंतेहा प्यार किया, मैं आप सबकी आंखों का तारा इस घर का सबसे ज़्यादा लाडला बेटा....... "एक मिनट में" सिर्फ एक मिनट में दादू!!!! मैं आप सबका दुश्मन बन गया, वो प्यार, वो फ़िक्र, वो ममता सब कुछ खत्म हो गया सिर्फ एक मिनट में!!! क्या यही सब सिखाता है धर्म, मुझे तो मेरे धर्म ने नफरत करना नही सिखाया दादू, मुझे ऐसे संस्कार ही नही दिए आपने---- रूद्र ने रोते हुए अपने दादू से कहा जो उसको बस सुन रहे थे, उनकी गुस्से से लाल आंखें अब ज़मीन पर टिकी थी। दादू जिससे आप प्यार करते हो उनके लिए लड़ना मैंने आपसे सिखा है, अपने शिव जी से सीखा है, अपने प्रेम के लिए अगर वो भैरों बन सकते हैं तो मैं क्यों इस दुनिया की बेबुनियाद नफरत से नही लड़ सकता। आपने मुझे सिखाया था अगर सवाल प्रेम का हो तो शिव जी का भैरों अवतार बन जाना..... सबकुछ त्याग देना प्रेम के लिए......मगर प्रेम को नही त्याग ना दुनिया के लिए। आज मैं आपके सामने हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि क्या आप धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव को खत्म नही कर सकते, क्या आप अपने गुरूर का त्याग नही सकते, अपने पोते के प्यार में। या आप भी बाकी सब की तरह इस दुनिया के बने बैठे, धर्म के ठेकेदारों के सवालों से डर कर, अपने पोते का त्याग करना ज़्यादा अच्छा समझते हैं। रुद्र-----दादू मैं उसके बगैर ज़िन्दा नही रह सकूंगा, मगर आप लोगों के बगैर सुकून से भी नही रह सकता, प्लीज़ मुझे खुद से अलग नही करना दादू मुझे इस दुनिया के रीति-रिवाजों की भैंट ना चढ़ाना--- रूद्र ने छोटे बच्चे की तरह रोते हुए अपने दादू से प्रार्थना की थी, वहां खड़े हर इंसान की आंखों में आसूं थे, उसका कहा हर लफ्ज़ सही और सच था मगर दुनिया की रीति-रिवाजों के बांध तोड़ कर सच और सही का साथ देना आसान नही होता बहुत मुश्किल होता है दुनिया के खिलाफ जाना, लाखों लोगों के सवालो का सामना करना इसी कशमकश में उसके दादू भी थे, जिनका दिल फट रहा था अपने जान से प्यारे पोते की आंखों में आंसु देख कर, उनके दिमाग में रूद्र का कहा हर शब्द गूंज रहा था...... क्या सच में उनका धर्म प्रेम करना, त्याग करना, दुसरो का मान रखना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना और इंसानियत नही सिखाता। यही सब तो उन्होंने हमेशा पड़ा था मगर कभी इतनी गहराई से धर्म को समझा ही नही जितना उनका पोता समझ चुका था। आज उनको इंसानियत और धर्म का अस्तित्व समझ आ रहा था, क्यों धर्म बनाए गए, क्यों गीता और क़ुरान पढ़ाए जाते हैं मगर अक्सर लोग सिर्फ पड़ते हैं, समझते नही...... धर्म को समझना आसान नही, लोगों की ज़िन्दगी गुज़र जाती है, मासूमों का खून बहा दिया जाता है और फिर भी खाली हाथ रह जाते हैं। आज भगवान ने उनके सामने भी इम्तेहान की घड़ी रख दी थी कि वो दुनिया के दिखाएं रास्ते पर धर्म के नाम पर नफरत को जन्म देंगे या भगवान का रूप धारण कर प्रेम के लिए, अपना घमंड, अपना क्रोध त्याग देंगे। वो धर्म कहा जो तोड़ दे रिश्ते, धर्म तो जोड़ता है अपनों को परायो को----वो यही सब सोच रहे थे कि रूद्र खड़े-खड़े गिर गया, उसके ज़मीन पर गिरते ही रघुवंशी परिवार में डर की लहर दौड़ गई, उसका जिस्म आग-सा तप रहा था, रोहित और अजय मिलकर फौरन रूद्र को ज़मीन से उठा, उसके कमरे में ले गए, जल्द ही जिया ने डाक्टर को भी बुला लिया था। डॉक्टर ने उसको चैक किया फिर जल्दी से उसको 2 इंजेक्शन लगाए, उसकी हर्टबीट बहुत धीमी हो गई थी, बुखार से जिस्म तप रहा था, हाथ से बहता खून तो रूक गया था मगर उसकी जली हुई कलाई पर ज़ख्म बहुत ज़्यादा गहरा था। डॉक्टर ने सबको बताया कि फिलहाल उससे कोई ऐसी बात ना करें, जिससे उसको टेंशन हो, क्योंकि वो अभी सदमे की हालत में है, इसलिए उसके होश में आने के बाद, इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाए, नही तो वो अपना दिमागी संतुलन खो सकता है, वैसे आने वाले 24 घंटों में अगर उसका बुखार कम नही हुआ तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता है-----यह कह कर डाक्टर साहब वहां से चले गए। डॉक्टर के जाते ही मुकेश रघुवंशी ने गुस्से में बाला को आवाज़ दी, जो उनका खास आदमी था। बाला अगले एक घंटे में किसी भी तरह मुझे वो लड़की और उसका बाप यहां मेरी आंखों के सामने चाहिए। यह सुनते ही अजय फौरन हाथ जोड़कर मुकेश रघुवंशी के सामने खड़ा हो गया। दादा जी, मुझे पता है, आप इस वक्त बहुत गुस्से में है मगर बस एक बार मेरी बात सुन लीजिए, कोई भी फैसला लेने से पहले पूरी कहानी सुन लेनी चाहिए, गुस्से में किए फैसले हमेशा सिर्फ तकलीफ देते हैं-----यह कह कर अजय ने हिम्मत करके सबकुछ बताना शुरू किया। बाकी अगले भाग में:- नोट:- आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में ज़रुर बताएं।
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भाग 2

10 अक्टूबर 2021
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छः महीने पहले :-<div><br></div><div>रूद्र कहा हों - जिया ने कमरे में क़दम रखते हुए कहा.....देखा तो व

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भाग 3

14 अक्टूबर 2021
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सुबह के 10 बज रहे थे और रूद्र अपनी आंखें बंद किए, सोफे पर सिर टिकाए उसी लड़की के बारे में सोच रहा था

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भाग 4

31 अक्टूबर 2021
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अच्छा, ठीक है-ठीक है, गुस्सा नही हो, मैं तो बस यह कह रहा था एक बार उससे बात तो कर लेना, ताकि उसके दि

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भाग 5

25 नवम्बर 2021
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अमित जी------सर मैंने पूरी कोशिश की थी मगर इस युनिवर्सिटी की प्रिंसिपल बहुत सख्त है, मैंने रिश्वत दे

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भाग 6

7 दिसम्बर 2021
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मलिक हाउस:-<div><br></div><div>यह है दुआ के मामा का घर, बहुत ही बड़ा और आलीशान, रात के अंधेरे में चा

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भाग 7

7 दिसम्बर 2021
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अमित जी ने अभी यू-टर्न लिया ही था कि उस लड़की के सामने, नीले रंग की बड़ी सी गाड़ी रुक जाती है, जिसक

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भाग 8

8 दिसम्बर 2021
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आकिब घर वापस आते ही, दुआ के कमरे में जाता है तो देखता हैं, दुआ की आंखे अभी भी नम थी।<div><br></div><

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भाग 9

8 दिसम्बर 2021
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रात कब गुज़र जाती है, मुकेश रघुवंशी को पता ही नहीं चलता, रुद्र उनकी आंखों का तारा, उनके दिल की धड़कन

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भाग 10

30 दिसम्बर 2021
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रुद्र दरवाज़ा खोल कर अंदर जाता है, तो दुआ नज़रें झुकाए उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं, इस पल उसे ऐसा

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भाग 11

5 जनवरी 2022
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अगले दिन सभी लोग फंक्शन की तैयारी में जुटे थे, धीरे-धीरे मेहमान भी आना शुरू हो गए थे, रुद्र भी बाकी सबके साथ फंक्शन की तैयारी में लगा था, दादू के हुक्म पर दुआ कमरे में ही आराम कर रही थी और जिया के कहन

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भाग 12

5 जनवरी 2022
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20-25 दिन गुज़र जाते हैं मगर अब तक दुआ का दिमाग़ वहीं फरहान सिद्दीकी की बातों में अटका होता है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है, उसके दिल में एक अजीब सा डर घर करने लगता है, सब लोग उस

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