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भाग 12

5 जनवरी 2022

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20-25 दिन गुज़र जाते हैं मगर अब तक दुआ का दिमाग़ वहीं फरहान सिद्दीकी की बातों में अटका होता है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है, उसके दिल में एक अजीब सा डर घर करने लगता है, सब लोग उससे कितना भी कहें मगर वो पूरे-पूरे दिन कुछ नहीं खाती, बस हर दफा कोई ना कोई बहाना बना देती जिसकी वजह से अब वो एकदम ही कमज़ोर होने लगी थी, कभी भी उसे चक्कर आ जाता, कई बार सीढ़ियां उतरते हुए, उसके पैर लड़खड़ा जाते, दिन-रात वो सोचों में गुम रहने लगीं थीं, उसका रंग भी काफ़ी पीला पड़ता जा रहा था मगर जब भी रुद्र डॉक्टर के पास जाने को कहता वो कुछ ना कुछ बहाना कर डाक्टर के पास जाने से बच जाती...... 

वो डाक्टर को चैक करवाना नहीं चाहती थी क्योंकि वो जानती थी, इस सबकी वजह उसकी टेंशन थी और अगर रुद्र को यह पता चला तो जब तक वो इस बात की जड़ तक नही पहुंचेगा तब तक सुकून से नहीं बैठेगा।

बस यह सब सोच वो हर बार डाक्टर के पास जाने से किसी ना किसी बहाने बच जाती मगर गुज़रते वक्त के साथ वो कमज़ोर होती जा रही थी.......
*******

रात के नौ बज रहे होते हैं, जब रुद्र ऑफिस से घर वापस आता है, वो अपने कमरे में आता है तो पूरे कमरे में अंधेरा होता है, कोई छोटा सा लैम्प भी नही जल रहा होता है, वो आहिस्ता से एक छोटा बल्ब जलाता है तो देखता हैं, दुआ सो चुकी होती है…..... 

वो दुआ के पास जाकर उसके सिर पर किस करता है तो उसका हाथ ग़लती से दुआ के तकिए पर पड़ जाता है, जो उसके आंसुओं से भीगा होता है....... रूद्र थोड़ी देर दुआ को यूं ही देखता रहता है और उसके रोने की वजह तलाशने की कोशिश करता है फिर कुछ सोचते हुए, फ्रेश होने चला जाता है......

अभी वो नहा-धोकर, शीशे के सामने खड़ा, अपने बाल बना रहा होता है कि दुआ एकदम चिखते हुए उठ जाती है....... वो भाग कर उसके पास आता है तो दुआ रोते हुए उसके गले लग जाती है और उसको इतने कस कर पकड़ती है कि उसके नाखून रुद्र के चुभने लगते हैं.......उसकी आवाज़ कांप रही होती हैं और वो बस रुद्र- रुद्र ही कह रही होती हैं।

रुद्र उसकी पीठ सहलाते हुए------- दुआ, देखो मैं तुम्हारे पास ही हूं........दुआ खुद को संभालों, सब ठीक है, देखो मुझे कुछ नही हुआ, मैं बिल्कुल ठीक हूं, परेशान नही हो।

दुआ सिसकियां लेते हुए-------- रुद्र, प्लीज़ - प्लीज़ मुझे कभी छोड़कर नहीं जाना।

रुद्र उसे अपने सिने में छुपाते हुए----- शशशशश!!! बस......बस मेरी जान, प्लीज़ नही रो, आई प्रोमिस, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा, तुम्हे कभी भी खुद से दूर नहीं होने दूंगा और अगर तुमने कभी कोशिश भी की ना तो दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ इसी तरह अपने सिने में छुपा लूंगा.....सबकी नज़रों से दूर, अपनी धड़कनों के साथ.....

रुद्र कोशिश कर रहा था कि वो किसी तरह उसको चुप करा दें.....मगर दुआ तो जैसे अभी भी अपने सपनों में गुम थी, वो रुद्र को कसकर पकड़े हुए रोए ही जा रही थी और अब उसके नाखून रुद्र के इतने गढ़ गए थे कि उससे ख़ून रीस रहा था..........

रुद्र----- प्लीज़ दुआ, प्लीज़ चुप हो जाओ, सब ठीक है, मैं तुम्हारे पास ही हूं, प्लीज़ मत रो...

दुआ सिसकियां लेते हुए------- र-- रुद्र, प्लीज़--- डोंट----डोंट गो।

रुद्र सारी कोशिश कर चुका था मगर दुआ अभी भी रोए जा रही थी, अब रुद्र से उसका रोना बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसको समझ नही आ रहा था वो कैसे दुआ को सुकून पहुंचाए, कैसे उसके बहते आंसु रोक लें....

रुद्र, दुआ का चेहरा ऊपर करते हुए------ दुआ प्लीज़ आंखें खोलो, देखो कोई नहीं है यहां, सिर्फ मैं हूं तुम्हारा रुद्र, कोई मुझे तुमसे नहीं छिनेगा, रुद्र की बहुत कोशिशों के बाद भी दुआ ने उसे नहीं छोड़ा था तो रुद्र ने आखिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए......और तभी रुद्र की आंखों से आंसु बह गए, उसके किस करने से दुआ ने आंखें तो नहीं खोली थी मगर उसकी सिसकियां बंद हो गई थी.......

रुद्र को समझ नहीं आ रहा था, दुआ को आख़िर हों क्या रहा है...... जो दुआ उसके क़रीब आने पर, उससे दूर जाने के बहाने ढूंढती थी, वो अब उसके दूर जाने से डरने लगी थी, और पिछले कुछ दिनों से तो वो रुद्र को लेकर बहुत ज़्यादा इमोशनल हो रही थी मगर आज तो हद ही हो गई,  दुआ को रुद्र की इतनी नज़दीकियों का एहसास ही नही हुआ....... 

वो कुछ दिनों से तकरीबन रोज़ ही सोते-सोते डर कर उठ जाया करती थी लेकिन आज जैसा पहले नहीं हुआ था, आज दुआ की इस हालत से रुद्र बहुत ज़्यादा परेशान हो गया था, अब रुद्र को कुछ ना कुछ तो करना था, वो दुआ की यह हालत और नहीं देख सकता था.......यही सोचते-सोचते रुद्र कब सो जाता है उसे पता नहीं चलता.....

सुबह के सात बज रहे होते हैं, जब रुद्र ऑफिस जाने के लिए उठने की कोशिश करता है मगर दुआ ने उसे अभी भी बहुत कसकर पकड़ा होता है!

रुद्र, दुआ का सिर सहलाते हुए आहिस्ता से------- दुआ, सुबह हो गई, छोड़ो, ऑफिस जाना है।

दुआ नम आंखों से, छोटे बच्चे की तरह रुद्र को ख़ाली आंखों से देखने लगती है....... रोने की वजह से उसकी आंखें सूज गई थी....... रुद्र उसकी आंखों को देखता है तो रुद्र की आंखें एकदम फिर से नम हो जाती है......

रुद्र, दुआ की आंखों पर किस करते हुए, रुंधी हुई आवाज़ में------- दुआ मत करो ऐसा प्लीज़, मैं नहीं देख सकता तुम्हारी यह हालत, ऐसी कौन-सी बात है, जो तुमको अन्दर ही अन्दर खा रही है??? प्लीज़ मुझे बताओं, प्लीज़ दुआ, मैं तुमको ऐसे नहीं देख सकता, प्लीज़ मुझे मेरी बीवी लौटा दो, तुम जानती हो ना मुझे तुम्हारी आंखों में गुस्सा अच्छा लगता है यह नमी नहीं, प्लीज़ दुआ....

रुद्र की बात सुन दुआ की आंखों से फिर आंसू बह जाते हैं और वो कोई जवाब दिए बग़ैर, आंखें बंद उसके सिने से लग दोबारा सो जाती है, दुआ को फिर से सोता देख, रुद्र ख़ामोश हो जाता है मगर अब उसकी निंद उड़ जाती है, पूरे वक्त वो दुआ को देखता रहता है और सोचता रहता है कि वो कैसे उसे फिर से ठीक कर सकता है......वो ऐसा क्या करें, जो दुआ के दिल से दिन-ब-दिन बढ़ता डर जड़ से खत्म हो जाएं???
********

अमित जी------ सर हमको सिंगापुर आएं, छः महीनों से ज़्यादा हो गए हैं अब तो यहां का प्रोजेक्ट भी कम्प्लीट हों गया है, क्या अब हम वापस कश्मीर में जाएंगे???

अहान फाइल बंद करते हुए------ नहीं अमित जी, मैं कश्मीर नहीं जाउंगा!!!

अमित जी------ सर एक साल से ज़्यादा हो गया है, आप घर नहीं गए, जब से आप उस लड़की की तलाश में निकलें है तब से अब तक हम लोग एक शहर से दूसरे शहर तो कभी दुसरे देश किसी ना किसी बहाने घूमें ही जा रहे हैं, मुझे लगता है अब हमको घर चलना चाहिए।

अहान ------- अमित जी, आप जानते हैं, मैं हार मानने वालों में से हूं ही नहीं, जब तक मुझे वो लड़की मिल नहीं जाती, तब तक मैं वापस नहीं लौट सकता।

अमित जी------ सर, जब कोई चीज़ हमें रब से मांगने पर भी ना मिले तो उसका फैसला समझ ज़िद्द छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि ज़बरदस्ती अगर आप वो चीज़ किसी तरह पा भी लें तो उसके बाद भी आप खुश नहीं रहते, हो सकता है.....

अहान गुस्से में------- बस अमित जी, आगे एक और शब्द नहीं, क्या हो सकता है और क्या नहीं, इसकी भविष्यवाणी आपको करने की ज़रूरत नहीं है, मैं आपको बता चुका हूं, वो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में हो, एक दिन अल्लाह उसे खुद मेरे पास भेजेगा और आप देखना यह दिन ज़रूर आएगा।

यह कह कर अहान गुस्से में वहां से चला जाता है और अमित जी उसकी दिवानगी देख सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि अगर उसे वो लड़की कभी नही मिली तो क्या होगा???
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सुबह के 11 बजे रहें होते हैं जब दुआ की पकड़ ज़रा ढ़ीली पड़ गई थी, शायद अब वो गहरी नींद में सो गई थी, वरना पूरी रात तो वो किसी छोटे बच्चे की तरह डरी हुई, सहमी सी उसको बहुत कसकर पकड़ी हुई थी, जैसे अगर उसने रुद्र को छोड़ा तो वो उससे बहुत दूर चला जाएगा........

रुद्र, आहिस्ता से उसका हाथ हटा, बिस्तर से उठ, नहा-धोकर नीचे चला जाता है, तकरीबन एक घंटे बाद जब वो वापस कमरे में आता है तो दुआ भी नहा-धोकर तैयार हो चुकी होती है और शायद वो नीचे ही जाने वाली होती है कि रुद्र को देख हैरानी से पूछती हैं......

दुआ------ आज ऑफिस नहीं गए तुम?????

रुद्र मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ अपनी गोद में बैठाते हुए-------- हां, क्योंकि आज मेरी बीवी ने मुझे छोड़ा ही नहीं!!!!

रुद्र की बात सुन, दुआ को फौरन उसकी रात की हरकत याद आ जाती है, कि उसने रुद्र को कितने कसकर पकड़ा था और उसके नाखून रुद्र को ज़ख्म दे गए थे,  वो अब तक यही सोच रही थी, कि वो सब एक ख्वाब था.....

दुआ शर्मिन्दा होते हुए--------- एम् सोरी रुद्र, मैं जान बूझ कर तुम्हें तक़लीफ नहीं पहुंचाना चाहती थी, वो ग़लती से हो गया, दिखाओ मैं तुम्हारे मेडिसिन लगा देती हूं, वरना निशान पड़ जाएंगे......

रुद्र शरारत से-------- अरे, तुम्हारा ही शौहर हूं, इट्स ओके........अब शेरनी कभी तो पंजे मारेगी ही ना!!!!

दुआ बड़ा सा मुंह खोलते हुए-------- अअअअअ...... रुद्र, मैंने बताया ना, मैं पूरी तरह नहीं जागी थी, इसलिए ख्वाब समझ बैठी, अगर होश में होती तो कभी ऐसा नहीं करतीं....

रुद्र------ अच्छा छोड़ो कल की बातें, आज की खबर सुनो।

दुआ ---------- बताओं।

रुद्र उसको अपने ओर करीब करते------- हम लोग आज हनीमून पर जा रहें हैं।

दुआ यह सुन हैरानी से उठ खड़ी होती है-------- क्या????

रुद्र उसका हाथ पकड़ फिर से उसे अपने करीब बैठते हुए------- हम्ममम!!!! वैसे उसूलन तो लोग शादी के फ़ौरन ही बाद जातें हैं मगर अब तुम्हारी ज़िद्द थी, पहले घर वालों को मनाना है, यह करना है वो करना........ मगर अब बस, आज रात की फ्लाइट कन्फर्म हो चुकी है, हम आज ही कश्मीर के लिए निकलेंगे।

दुआ समझ जाती है, यह सब वो उसकी रात की बेचैनी की वजह से कर रहा था और यह सोच उसकी आंखें फिर नम हो जाती है कि वो अपने डर को काबू नही कर पा रही जिसकी वजह से रुद्र परेशान हो रहा है।

दुआ रुंधी हुई आवाज़ में------- रुद्र मगर!!!!

रुद्र उसके होंठों पर उंगली रखते हुए------ शशशशश!!!! एक लफ्ज़ भी नही, एम् सोरी दुआ, यह सब मेरी ग़लती है, मैं ही नही समझ पाया, तुम्हारे दिल में, मुझे खोने का डर इस हद्द तक बढ़ जाएगा यह मैंने कभी नहीं सोचा था, दुआ में तुम्हें इस हाल में नहीं देख सकता....... 

मैं समझता था, मुझे सब पता है मगर कुछ है दुआ जो तुम मुझे नहीं बता रही, जो तुमको दिन-रात परेशान कर रहा है, प्लीज़ दुआ, प्लीज़ मुझे बताओं...... मैं तुमको नहीं खौ सकता.....

यह कहते हुए रूद्र की आवाज़ रुंध गई थी और वो उसके सिने से लग गया था.....

रुद्र दुआ को कसकर पकड़ते हुए ----- दुआ मैं, तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं, तुम्हें याद है ना, जब तुमने दादू के लिए अपने हाथ की नस काट ली थी तब मैंने कहा था, अगर इसके बाद किसी ने भी तुमको तकलीफ़ पहुंचाई तो मैं किसी को भी नहीं छोडूंगा......और मैं समझ गया हूं इस सबकी वजह कहीं ना कहीं डॉक्टर सिद्दीकी है, इसलिए सच जानने के लिए, मैंने छाया और अजय को फोन किया था.....

यह सुनकर दुआ के दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती है, इस डर से कि कहीं उन दोनों में से किसी ने कुछ बता ना दिया हो।

दुआ मुश्किल से अनजान बनते हुए------ क-क्यों????? उनको फोन क्यूं किया????

रुद्र उससे अलग होते हुए------- क्योंकि दुआ, मुझे पता है कि चाहे जो भी हो जाएं तुम मुझे सच नहीं बताओगी मगर मेरा भी वादा है तुमसे, इस बार मैं उनको इतनी आसानी से माफ़ नहीं करुंगा......

और मुझे पता है, अब अजय से सच कैसे निकलवाना है.....

दुआ  रोते हुए------ रुद्र प्लीज़, नही करो यह सब, प्लीज़ रुद्र.... 

रुद्र उसको रोता देख, दुआ को गले लगा------ ओके-ओके दुआ....... प्लीज़ रोना बंद करो, आईं प्रोमिस, अभी मैं कुछ नहीं करूंगा प्लीज़ बस रोना बंद करों.....

दुआ खुद को संभाल, खड़े होते हुए-----रुद्र, मैं ठीक हूं....... 

दुआ की बात सुन, रुद्र सुकून की सांस लेता है।

रुद्र बात बदलते हुए----- अच्छा बताओ, कश्मीर के बाद, कहा चलना है, मैं सोच रहा हूं, मलेशिया चलते हैं, कैसा रहेगा???

दुआ----- रुद्र हम कहीं नहीं जा रहें, चाची की डिलीवरी में ज़्यादा वक़्त नहीं है, यहां सबको हमारी ज़रूरत है.....

दुआ यही कह रही होती हैं कि कुन्ती देवी और जिया कमरे में आ जाते हैं......

कुन्ती देवी------- दुआ अभी नए मेहमान के आने में तीन महीने है तब तक तो तुम लोग वापस भी आ जाओगे....

दुआ------ मगर चाची, यहां आप सबको मेरी ज़रूरत है, मैं कैसे चली जाऊं???

जिया मुस्कुराते हुए----- दुआ कभी-कभी अपने बारे में भी सोचना चाहिए और जब सभी एक बात कहें तो मान लेनी चाहिए।

दुआ----- मगर भाभी....

जिया उसका हाथ पकड़ते हुए------ अच्छा अगर-मगर छोड़ो जल्दी से नीचे चलों, सब लोग तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे हैं.....

दुआ हैरानी से------- क्या??? आज कुछ ख़ास है????

रुद्र पिछे से दुआ के कन्धों पर हाथ रख------ जी!! बहुत ख़ास है, आज दादू ने तुम्हारे लिए, घर में पूजा रखी, उनका मानना है तुमको बुरी नज़र लग गई है और सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने घर में क़ुरान पड़ने के लिए मस्जिद से मौलवी भी बुलवाएं है!!

दुआ हैरानी से------ क्या?????

रुद्र मुस्कुराते हुए----- हां, उन्होंने सुबह तुम्हारी नानू को ख़ास तौर पर फोन कर पुछा था कि इस्लाम के हिसाब से वो तुम्हारे लिए क्या कर सकते हैं तो नानू ने जैसा बताया, सुबह से वहीं सब हो रहा है और सिर्फ इतना ही नहीं अभी दोनों धर्मों के हिसाब से उन्होंने तुम्हारा सदका भी देना है.......

दुआ हैरानी से रुद्र को देखते हुए-------रुद्र यह सब क्या है???

रुद्र मुस्कुराते हुए------- यह दादू का प्यार है बेवकूफ, वो चाहते हैं, हम लोग घूमने जाने से पहले यह सब करके जाएं, इसलिए उन्होंने सबकुछ आज ही करना है, अब जल्दी नीचे चलों।

*********

आज का पूरा दिन कब गुज़र गया दुआ को पता ही नहीं चला, मुकेश रघुवंशी ने दोनों धर्मों के हिसाब से दुआ को जो भी करने को कहा वो करती गई, अब दादू खुद उसके हाथ से दान करवा रहे थे, यह सब देख बार-बार वो यही सोच रही थी कि वो खुद को खुशनसीब समझें, सबकी इतनी बेहिसाब मोहब्बत पाकर या बदनसीब कि उसके खुद के बाबा उससे नफ़रत करते हैं, आज मुकेश रघुवंशी का प्यार देख उसका दिल बार-बार भरें जा रहा था, ना चाहते हुए भी उसकी आंखें नम हो रही थी।

वो किसी तरह, सभी काम पूरे विधि-विधान से कर थक कर अपने कमरे में आ जाती है.......यह सारी बातें उसे जीतनी ख़ुशी दे रही थी उतना ही उसे अपनी तबियत में भारीपन महसूस हो रहा था, वो कमरे में आती है तो रुद्र फोन पर बात कर रहा होता है......
 
रुद्र, फोन दुआ की तरफ़ बढ़ाते हुए------- दुआ घर पर बात कर लो सबसे, आधे घंटे में हम एयरपोर्ट के लिए निकलेंगे....... 
मैं नीचे जा रहा हूं, तुम आराम से बात करो...

यह कह कर रुद्र कमरे से चला जाता है और दुआ दरवाज़े की तरफ देखते हुए सोचती रहती है........ वो कितनी खुशनसीब है, उसके कहें बग़ैर, रुद्र उसकी हर चीज़ का ख़्याल कितना रखता है...... बग़ैर कहें वो कैसे समझ जाता है उसे क्या चाहिए....... दुआ यही सब सोचते-सोचते अपनी अम्मी, नानू और आकिब से मुश्किल से 15 मिनट तक बात करती है और फिर फ़ोन काट देती है क्योंकि इस वक्त उसका सारा ध्यान रुद्र पर होता है..... थोड़ी ही देर में रुद्र कमरे में आता है और उसे चलने का कहता है...... दुआ खामोशी से सबसे गले मिल, कश्मीर के लिए निकल जाती है, उसका दिल तो बिल्कुल नहीं होता, घूमने जाने का मगर वो नहीं चाहती थी कि रुद्र, उसके बाबा को कुछ भी कहें इसलिए इस सबको फिलहाल रोकने का यही सबसे बेहतर तरीका था......

दुआ और रुद्र, वक्त पर एयरपोर्ट पहुंच जाते हैं मगर बोर्डिंग के वक्त अचानक ही दुआ परेशान हो जाती है......

दुआ परेशानी से------- रुद्र, मैं ग़लती से दादू की दी हुई अंगूठी ड्रेसिंग टेबल पर ही रखी भुल आई, अब क्या करें.......

रुद्र मुस्कुराते हुए------- इट्स ओके दुआ, हमेशा के लिए नहीं जा रहे हैं, वापस आएंगे तो पहन लेना.......

दुआ परेशान होते हुए--------- रुद्र, तुम समझ नही रहें, वो अंगूठी दादू ने आशिर्वाद के तौर पर दी थी, अगर उनको पता चला मैंने वो अंगूठी नहीं पहन रखी तो उनको बुरा लगेगा।

रुद्र जिया का नम्बर मिलाते हुए------- अच्छा ठीक है, रुको, मैं अभी तुम्हारी प्रोब्लम सोल्व कर देता हूं...... हेल्लो भाभी???

जिया------- रुद्र अब तक तुम लोगों ने फ्लाइट नहीं ली??? सब ठीक है ना??

रुद्र------- हां, भाभी सब ठीक है, बोर्डिंग हो रही है, दरअसल दुआ परेशान हो रही है, वो दादू की दी हुई अंगूठी, ड्रेसिंग टेबल पर रख भुल गई है, इसलिए प्लीज़ क्या आप उसे सम्भाल कर रख लेंगी???

जिया मुस्कुराते हुए------ हां-हां परेशान नही हो, मैं अभी जाकर उसे सम्भाल कर रख देती हूं!!!

रुद्र------ अच्छा प्लीज़ आप दुआ से बात कर लें तो उसे तसल्ली हो जाएगी।

दुआ फोन लेते हुए-------- हेल्लो भाभी, प्लीज़ आप उस अंगुठी को सम्भाल कर रखिएगा और दादू को बिल्कुल नही पता चलने देना, वरना उनको बुरा लगेगा.......

जिया------- अच्छा-अच्छा, ठीक है दुआ, तुम परेशान नही हो...... हनीमून पर जा रही हों, इन सब परेशानियों को यही छोड़ कर जाओ.......यह तुम्हारी ज़िन्दगी का बहुत ख़ास दौर है, इसको इनजाॅय करो...... अच्छा, चलो अब मैं फोन रखती हूं और हां फोटो सेंड करना बिल्कुल नहीं भुलना...... बाएं!!!

यह कह कर जिया फोन काट देती है और दुआ सुकून का सांस लेती है तकरीबन दो घंटे बाद दुआ और रुद्र कश्मीर पहुंच जाते हैं, दुआ का दिल अभी भी बुझा-बुझा सा था, उसके चेहरे पर अब तक कोई उमंग, कोई ख़ुशी नज़र नही आ रही थी....... मगर रुद्र पूरी कोशिश कर रहा था कि वो उसको खुश रखें.........

रुद्र ने होटल की जगह एक दोस्त का खाली पड़ा घर, रुकने के लिए चुना था क्योंकि वो दुआ को पूरी तरह से उसका टाइम देना चाहता था, वहीं एक नौकर का इंतेज़ाम कर दिया गया था जो घर की सफाई और खाने-पिने का इंतेज़ाम कर सकें।

रुद्र उसे होटल की जगह एक घर में लें जाता है तो दुआ काफ़ी हैरान होती है.....

दुआ------ यह किसका घर हैं?????

रुद्र मुस्कुराते हुए------- यह एक दोस्त का घर है, काफी वक्त से ख़ाली पड़ा था, मुझे होटल से बेहतर लगा यह ओप्शन......कम से कम यहां कोई हमको डिस्टर्ब नहीं करेगा।

तभी सत्यपाल हाथ जोड़कर दरवाज़े पर आकर उनका स्वागत करते हुए-------- सर जी, मेरा नाम सत्यपाल है, साहब ने मुझे बताया था आप लोग आने वाले हैं, इसलिए पूरे घर की सफाई पहले से ही करवा दी है, खाना भी तैयार हैं, आप लोग जल्दी से फ्रेश होकर आ जाएं तो मैं खाना लगा दूं।

रुद्र मुस्कुराते हुए, सत्यपाल के कन्धे पर हाथ रख------ थैंक यू सो मच सत्यपाल जी, मगर हम लोग खाना खाकर आए हैं, आप हमको बस कमरा दिखा दें तो हम थोड़ा आराम कर लें......

सत्यपाल------- जी-जी साहब ज़रुर....... इस घर में छः कमरे हैं आप जिस भी कमरे में रहना चाहें, रह सकते हैं, सब साफ़ पड़े हैं मगर मेरे ख़्याल से, आपको ऊपर वाला दाईं तरफ का कमरा लेना चाहिए, क्योंकि उसमें बालकनी है जहां से बाहर का नज़ारा बहुत खुबसूरत दिखता है, उस कमरे की सजावट भी बहुत खुबसूरत है, आपको पसंद आएगी, साहब जब भी आते हैं उसी कमरे में रुकते हैं।

रुद्र मुस्कुराते हुए------- अच्छा ठीक है, अब तुम इतनी तारीफ कर रहे हो तो हमारा समान उसी कमरे में ले चलो.....

सत्यपाल, रुद्र और दुआ को कमरे में ले जाता है, कमरा सच में काफी बड़ा और खुबसूरत होता है, बालकनी में एक तरफ हैंगिंग स्विंग चेयर लगी होती है जिसको लाइट से सजाया होता है उसके पास ही कुछ पौधे लगें थे वहीं एक छोटी सी टेबल भी थी, कमरे में बेड के दोनों तरफ सफ़ेद रंग के जाली वाले पर्दे थे, बाथरूम भी अच्छा खासा बड़ा था, घर रुद्र की उम्मीद से ज़्यादा अच्छा निकला था।

सत्यपाल सामान रख चलें जाता है, उसके जातें ही रुद्र कमरे का दरवाज़ा बंद कर लेता है...........  

रुद्र दुआ को बाहों में भरते हुए----------- तो मेरी प्यारी सी बीवी, बताओं, कैसा लगा मेरा आइडिया, घर पसंद आया ना.......

दुआ बुझे से अंदाज़ में-------- हम्ममम!!!! अच्छा है।

रुद्र------- क्या बात है दुआ???

दुआ------ कुछ नही, बस थोड़ा थक गई हूं, निंद आ रही है।

रुद्र मुस्कुराते हुए------ अच्छा ठीक है, जाओ चेंज कर लो फिर सोते हैं।
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कहते हैं ज़िन्दगी कभी तेज़ तो कभी धीमी सी महसूस होती है, यह हर पल अपने रंग बदलती है, कभी खुशी तो कभी ग़म इसलिए हमें अपने हर पल को जीना चाहिए, क्या पता किस पल ज़िन्दगी के रंग फिर बदल और हमारे हाथ से सब फिसल जाए।

रुद्र इस पल अपनी बेपनाह मोहब्बत से दुआ की ज़िन्दगी में खुशियों के बेहिसाब रंग भर रहा था, उसका हर पल वो अपनी मोहब्बत से इस क़दर खुबसूरत बना रहा था कि दुआ को अपनी किस्मत पर रश्क हो रहा था....... रुद्र हर पल उसके साथ था, जो डर फरहान सिद्दीकी की बद्दुआओं की वजह से उसके दिल में बर्फ की परत जैसा जम रहा था वो रुद्र की बेहिसाब मोहब्बत की तपीश से पिघलने लगा था...... 

रुद्र पांच मिनट के लिए भी उसकी आंखों से ओझल नहीं होता, वो उसको हमेशा अपने साथ बिज़ी रखता, कभी लूडो तो कभी कैरमबोर्ड, कभी चेस तो कभी पज़ल........कभी कोई काॅमेडी मूवी लगा लेता, जिसे देख दुआ हंसते- हंसते लौट-पौट हों जाती, तो कभी अपने स्कूल और कॉलेज के किस्से सुनाता जो वो उसकी गोद में सिर रख घंटों तक सुनती रहती और कब उसकी आंख लग जाती, उसे पता भी नहीं चलता...... 

इस ट्रीप पर रुद्र का एक ही मक़सद था, कि दुआ को दुबारा से नोर्मल करना, अपनी फुल अटेंशन और बेपनाह मोहब्बत से वो अपने मक़सद में कामयाब भी हो चुका था.......

अब ना दुआ को पिछले कुछ दिनों जैसे डरावने सपने आ रहे थे, ना बात-बात पर उसकी आंखें नम हो रही थी, उसका पीला पड़ता रंग भी नोर्मल हो गया था, अब वो वक्त पर खाना भी खा रहीं थीं, अगर कभी वो ना-नुकुर करतीं, तो भी रुद्र ज़बरदस्ती उसे अपने हाथों से खाना खिलाता...... और दुआ को फिर ना चाहते हुए भी उसके हाथ से खाना किसी भी तरह खाना ही पड़ता क्योंकि वो हार मानता ही नहीं।

इसी तरह दस दिन गुज़र गए थे, मगर अब तक वो कहीं घूमने नहीं गए थे, सिर्फ उस घर में एक-दूसरे के साथ खुबसूरत यादें बना रहे थे.......

दुआ किसी सोच में गुम थी जब रुद्र नहा कर आया......

रुद्र अपना सिर दुआ की गोद में रखते हुए........ हम्ममम!!! तो, मेरी प्यारी-सी वाइफ, किन सोचों में गुम है??? 

दुआ उसका सिर सहलाते हुए------ रुद्र हमें यहां आएं पूरे दस दिन हो चुके हैं और अब तक हम कहीं घूमने नहीं गए......

रुद्र मुस्कुराते हुए------ तो, क्या मेरी प्यारी सी बीवी बोर हो गई?????

दुआ----- नहीं तो, मेरा मतलब वो नहीं था....

रुद्र शरारत से------ तो क्या मतलब था, मेरी जान का......

दुआ------- तुमको पता है, कश्मीर को जन्नत कहा जाता है।

रुद्र मुस्कुराते हुए------ हां, बिल्कुल पता है, इसी जन्नत में तो मुझे मेरी फ़रिश्ते जैसी बीवी मिली थी..... वैसे मैं सोचता हूं कि अगर मैं उस रोज़ अजय की बात नहीं मानता और तुमसे मुलाक़ात नहीं होती तो मैं कितनी बड़ी गलती करता और शायद फिर अल्लाह तुमको किसी ओर के नसीब में लिख देता...... वैसे क्या कोई और तुमको मुझसे ज़्यादा प्यार कर सकता है?????

दुआ उसके मुंह पर हाथ रखते हुए, गुस्से से------- क्या बकवास करें जा रहें हों????....... एक बात याद रखो इस दुनिया में कोई और हो ही नहीं सकता जिसके नसीब में अल्लाह मेरा नाम लिख दें क्योंकि तुमसे ज़्यादा प्यार मुझे कभी, कोई कर ही नहीं सकता....... मैं सिर्फ तुम्हारा नसीब हूं और किसी का नहीं, कभी नही.......

रुद्र उसका मूड खराब होता देख फौरन बात बदल देता है।

रुद्र मुस्कुराते हुए------- अच्छा ठीक है - ठीक है...... प्लीज़ अपना मूड खराब नही करो, मैं मज़ाक कर रहा था....... अच्छा जल्दी से बताओ, कहा जाना??

दुआ अपना मूड ठीक करते हुए----- आज के बाद कभी ऐसा मज़ाक नही करना, मुझे पसंद नहीं.....

रुद्र अपने दोनों कान पकड़ते हुए----- पक्का बाबा, आज के बाद ऐसी ग़लती, फिर कभी नहीं होगी...... अच्छा बताओ तो सही, जाना कहा चाहती हो???

दुआ सोचते हुए------ सोनमर्ग, कहते हैं सोनमर्ग बहुत खुबसूरत है, बहुत खुबसूरत झरने और नदियां है वहां तो पहले हम वहीं चलते हैं???

रुद्र मुस्कुराते हुए------ ठीक है, जैसा तुम कहो, मगर उससे पहले, हम डाक्टर के पास चलेंगे, फिर सीधा सोनमर्ग....

दुआ मुंह बनाते हुए------- रुद्र मुझे नहीं जाना किसी डॉक्टर के पास, बेवजह कड़वी- कड़वी दवाईयां दे देनी है उसने.......

रुद्र हंसते हुए------- दुआ ज़िद्द नहीं करते, कल उल्टी हुई थी ना, अब मैं नहीं चाहता तुमको कुछ भी हो और वैसे भी यह दादू का हुक्म है, उन्होंने सख्ती से कहा है कि आज तुमको सबसे पहले डॉक्टर से चैक करवाऊं और उनको फौरन इत्तिला करु.....

दुआ, रुद्र को घूरते हुए------- तो तुमने उनको क्यूं बताया, इतनी छोटी सी बात पर बेवजह परेशान कर दिया सबको.....

रुद्र मुस्कुराते हुए-------- क्योंकि मुझे पता है, मेरी बीवी कितनी ज़िद्दी है, आसानी से तो मानेगी नहीं इसलिए दादू का सहारा लेना पड़ा..... खैर, अब चलों, वरना देर हो जायेगी।
*******

रूद्र और दुआ तकरीबन एक घंटे बाद डाक्टर के पास पहुंच जाते हैं..... डॉक्टर दुआ को अच्छे से चैक करती है, कुछ सवाल पूछने के बाद टैस्ट करती है और तकरीबन 20 मिनट में रिज़ल्ट के साथ मुस्कुराती हुई बाहर आ जाती है......

डॉक्टर मुस्कुराते हुए दुआ से--------- मुबारक हो, आप मां बनने वाली हैं......

रुद्र और दुआ दोनों एक साथ हैरानी से------- क्या???? 

डॉक्टर मुस्कुराते हुए---------- जी हां, आप प्रेगनेंट है, इसी वजह से आपको चक्कर आ रहें हैं, ऐसा होना नोर्मल हैं........

दुआ बेयक़ीनी से------ डॉक्टर मगर, क-क-कितना टाइम हो गया है??? म-मेरा मतलब है, अब तक ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ।

डॉक्टर मुस्कुराते हुए------- डोंट वरी दुआ, परेशान होने वाली कोई बात नहीं है, कुछ लोगों को पहली दफा नहीं पता चलता, वैसे आपको दो-ढाई महिने हों चुके हैं........ इसलिए अब आपको अपना ख्याल रखना होगा, ज़्यादा से ज़्यादा खुश रहने की कोशिश करें, किसी भी तरह की टेंशन बिल्कुल ना लें और खाने-पीने का बहुत ख्याल रखें...... अब तक सब नोर्मल हैं, ख़्याल रखेंगे तो आगे भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।

रुद्र मुस्कुराते हुए------- ठीक है डॉक्टर, मैं इनका पूरा ख्याल रखूंगा, थैंक यू सो मच!!

यह कह कर, बिल पे कर, रुद्र क्लीनिक से निकल, सोनमर्ग जाने के लिए, टैक्सी में बैठते ही दादू को फोन मिला देता है, दुसरी तरफ से मुकेश रघुवंशी फौरन फोन उठा लेते हैं, जैसे उसी के फोन का इंतेज़ार हों..........

रुद्र------- हेल्लो दादू??

मुकेश रघुवंशी परेशानी से फोन स्पीकर पर करते हुए-------- हां, रुद्र बेटा, बहू को डॉक्टर के पास लेकर गए कि नहीं???? कैसी है अब उसकी तबीयत?????

रुद्र----- हां, दादू अभी हम डॉक्टर के क्लीनिक से ही निकलें है।

मुकेश रघुवंशी------ अच्छा, तो क्या बताया डाक्टर ने???? सब ठीक है ना????

रुद्र संजीदगी से ------ दादू, डॉक्टर कह रही है, बात बहुत सिरियस है, कुछ भी हो सकता है!!!

जिया परेशानी से------ रुद्र क्या हुआ है दुआ को????? तुम ऐसा क्यों कह रहे हो???

रुद्र हैरानी से फ़ोन देखते हुए------ भाभी आप???

जिया------- हां, तुम फोन करते नहीं हो और यहां सभी दुआ के लिए परेशान थे, इसलिए दादू ने फोन स्पीकर पर कर रखा है ताकि सब बात कर सकें.......

दुआ, रुद्र के हाथ से फोन लेते हुए--------- भाभी, दादू प्लीज़ आप सब लोग परेशान नही हो मेरे लिए, मैं बिल्कुल ठीक हूं, रुद्र मज़ाक कर रहे हैं......

रुद्र हंसते हुए फ़ोन स्पीकर पर कर-------- भाभी, सीरियस नही हो, मैं मज़ाक कर रहा था, दरअसल डॉक्टर ने कहा है, अब रघुवंशी परिवार में सिर्फ खुशियां ही खुशियां बरसेगी!!!!

कुन्ती देवी----- मतलब, रुद्र साफ़- साफ़ बताओ!!

रुद्र हंसते हुए----- मतलब चाची, आप दादी बनने वाली है।

रुद्र की बात सुन सभी लोग एक साथ------ क्या, सच में????

रुद्र हंसते हुए------- देख लो दुआ, हम लोगों से ज़्यादा तो यह लोग हैरान हैं.....

मुकेश रघुवंशी फोन कान पर लगाते हुए------ अच्छा अब सब बाद में बात करना, रुद्र बेटा, तुमको बहुत- बहुत मुबारक हो, अच्छा सुनो, अब बहू को कहीं नहीं लेकर जाना और रात की फ्लाइट से ही घर वापस आ जाओ!!!

रुद्र हैरानी से----- क्या???

मुकेश रघुवंशी------ हां, बेटा ऐसी हालत में घूमना-फिरना सही नहीं है, तुम लोग, अगले साल चलें जाना, मैं, अजय से कह कर अभी तुमको टिकट भिजवाता हूं......

यह कह कर मुकेश रघुवंशी फौरन फोन काट देते हैं, और रुद्र की एक नही सुनते।

रुद्र फोन रख, मुंह बनाते हुए-------- यार यह क्या बात हुई????? मैंने सोचा था, हम यहां से मलेशिया जाएंगे मगर इस नन्हे-मुन्ने मेहमान ने आकर सारे प्लान्स ख़राब कर दिए....... 

दुआ ----- ऐसा नही कहते रुद्र!!!!

रुद्र मुंह बनाते हुए------- तो क्या कहूं, सुना ना तुमने, हमारी नज़दीकियां बर्दाश्त ही नहीं है किसी को......

दुआ उसका हाथ पकड़ते हुए------- रुद्र, मूड खराब नही करो, दादू सही कह रहे हैं, कोई बात नहीं हम अगले साल घूमने चलें जाएंगे.......

रुद्र मुंह बना गाड़ी से दूसरी तरफ देखने लगता है, सड़क काफी संकरी होती है और बर्फ की वजह से फिसलन भरी भी, दुआ गाड़ी से झांक, कभी बहते पानी को देखती तो कहीं गिरते झरने को कि तभी अचानक गाड़ी का बेलेंस बिगड़ जाता है और इससे पहले रूद्र और दुआ कुछ समझ पाते गाड़ी स्पीड में होने के कारण एक पेड़ से जा टकराती है, जिससे ड्राइवर का सिर स्टेरिंग से टकरा जाता है और उसी वक़्त वहीं उसकी मौत हो जाती है......

दुआ गाड़ी के टकराते ही, गाड़ी से बाहर गिर जाती है और पहाड़ के कोने से लटक जाती है, उसके नीचे नदी बह रही होती हैं, वो पत्थर को ताक़त से पकड़ रुद्र को आवाज़ देती है मगर रुद्र नहीं आता तभी उसको अपने बाबा की बददुआ याद आती है और उसके हाथों की पकड़ ढीली पड़ जाती हैं जिससे वो रुद्र को पुकारते हुए नदी में गिर जाती है।

वहीं गाड़ी की दुसरी तरफ रुद्र पड़ा होता है, उसका सिर बढ़े से पत्थर पर टकराने की वजह से सर से काफी खून बह रहा होता है जिससे उसका चेहरा ख़ून से लथपथ हो गया होता है और उसकी धीरे-धीरे बंद होती हुई आंखें अभी भी दुआ को तलाश रही होती हैं, मगर वो उसे कहीं नज़र नहीं आती और आखिर रुद्र की आंखें बंद हो जाती है।

बाकी अगले भाग में:-

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रचनाएँ
दिल ए नादान
5.0
यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसका मानना है कि आप अपने रब को "भगवान कह कर पुकारो, अल्लाह कहो या कुछ ओर" सुनने वाला एक ही है.........क्योंकि रब को अलग नाम दिए जा सकते हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे हम अपने चाहने वालों को कई नामों से पुकारते हैं मगर होता वो एक ही है इसी तरह फरियाद सुनने वाला भी एक ही है और पुकारने वाला दिल भी वही है, फ़र्क है तो नज़रिए का......उसके हिसाब से दुनिया का हर धर्म सबसे पहले इंसानियत सिखाता है.......एक-दूसरे से प्यार करना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना सिखाता है मगर क्या वो अकेला, धर्म पर होने वाली नफरत को मिटा सकेगा????? कहते है, किसी एक इंसान की सोच बदलना भी बहुत मुश्किल है फिर उसके सामने तो उसका पूरा परिवार था जो उसकी सोच के खिलाफ, उसकी मोहब्बत के खिलाफ था...... आइए चलें एक नए सफर पर इस दिवाने के साथ, देखें क्या होगा इसका अंजाम, क्या पिघल जाएंगेे लोगों के दिल उसकी मोहब्बत के सामने या होगा फिर वही, लाखों लोगों की तरह.....उसकी मोहब्बत भी तोड़ देगी दम धर्म के नाम पर पैदा हुई नफरत के सामने.      **************** 12-Dec-2018 आज रूद्र बहुत तेज़ कार चला रहा था, ज़्यादातर वह कायदे-कानून का पालन करता था, मगर आज शायद उससे इंतेज़ार नही हो रहा था, उसका दिल कह रहा था कि वो उड़ कर दुआ के सामने पहुंच जाएं, उसकी मोहब्बत, उसका जुनून, उसकी ज़िद्द सब कुछ उस एक नाम पर अटक गया था "दुआ"........ छः महीनों की लगातार कोशिशों के बाद, आखिर आज दुआ ने उसे मिलने बुला ही लिया था, वो नही जानता था कि आगे क्या होगा बस उसको तो इंतेज़ार था, उस पल का, जब दुआ उसके सामने हो और वो उसको बता सके, कि वो उससे कितनी मोहब्बत करता है, कितनी बातें थी उसके दिल में, आज वो सारी बातें कहने का मौका मिला था उसे इसलिए आज का दिन उसके लिए बहुत खास था .....यही सब सोचते-सोचते वो कब दुआ के बताए रेस्टोरेंट के सामने पहुंच गया उसको पता ही नही चला, वो जल्दी से गाड़ी से उतर अन्दर जाकर पुछता है, तो वेटर उसको दाएं हाथ की तरफ इशारा करते हुए रास्ता बता देता है..... कुछ क़दम चलने के बाद ही वो एक दरवाज़े से बाहर निकलता है तो सिर पर खुला आसमान, चारों तरफ हरियाली, तेज़ हवाएं, जगह ज़्यादा बड़ी नहीं थी मगर उसकी डेकोरेशन इतनी खूबसूरत थी कि बड़े-बड़े होटलों को फेल कर दे, थोड़ी ही दूर पर एक टेबल रखी थी और उसकी दाईं ओर कुछ लकड़ियों को जला रखा था, आज मौसम भी काफी सुहाना था जो रूद्र के मूड को ओर भी खुशगवार बना रहा था, वो टेबल के पास पहुंचा तो दुआ को देख कर एक पल के लिए जैसे सब कुछ भुल गया....... तेज़ हवाएं उसके लम्बे बालों से खेल रही थी, और वो खुद किसी गहरी सोच में गुम थी, उसकी आंखें टेबल पर गड़ी हुई थी जहां एक तरफ भगवान की छोटी सी मुर्ती रखी थी और उसके ही साथ एक छड़ी थी जिस पर अल्लाह लिखा हुआ था......दुआ अपनी सोच में इतना खो गई थी कि उसे रूद्र के आने का एहसास तक नही हुआ. रूद्र का दिल तो कह रहा था कि वो उसको यू ही ज़िन्दगी भर देखता रहे मगर अभी उसको इतना हक़ कहा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपना गला साफ करते हुए, दुआ से बैठने की इजाज़त मांगी और दुआ उसकी आवाज़ सुनते ही खुद को ठीक करते हुए एक दम सीधी बैठ गई। जानते हो रूद्र यह क्या है??----इससे पहले रूद्र कुछ कहता दुआ ने टेबल पर रखी मूर्ति और छड़ी की तरफ देखते हुए उससे पूछा। उसने कुछ ना समझते हुए दुआ को देखा। रूद्र यह हम दोनों है जो कभी एक नही हो सकते, आज मैंने, तुम्हे यहां सिर्फ यही कहने के लिए बुलाया है......भुल जाओ मुझे, अभी कुछ नही बिगड़ा है, तुम एक अच्छे बिजनेसमैन हो, अपने करियर पर ध्यान दो, तुम्हारे परिवार का बहुत नाम है, उनका मान नही तोड़ो, मैं नही चाहती मेरी वजह से किसी का परिवार टूट जाए, मैं नहीं चाहती, मैं किसी की बर्बादी की वजह बनूं, इसलिए आज के बाद फिर कभी तुम मेरे सामने नही आना---- दुआ उसे समझा रही थी और वो सिर्फ उसको देखें जा रहा था, कितनी आसानी से उसने कह दिया था भूल जाओ मुझे....... रूद्र तुम सुन भी रहे हो या नही----दुआ ने रूद्र को खामोश देखा तो थोड़ा झुंझलाते हुए पूछा। ना-नही हो सकता यह......यह मूर्ति, यह छड़ी इन बेजान चिज़ो को तुम मेरे दिल, मेरे जज़्बात से मिला रही हो.......रूद्र ने गुस्से में टेबल पर हाथ मारते हुए कहा, जिससे दोनों चिज़े जलती हुई आग में गिर गई और दुआ हैरानी से उसे देखती रह गई, पहली बार रूद्र ने उससे तेज़ आवाज़ में बात की थी, उसको इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नही था कि रूद्र को गुस्सा भी आ सकता हैं। क्या-क्या समझाना चाहती हो तुम मुझे, हां, बोलो, कहना क्या चाहती हो, यही ना कि मैं हिन्दू हूं और तुम मुसलमान.......तो यह मेरी गलती है क्या, बताओ मुझे......मैं खुद को क्यों रोकूं? क्यों मैं खुद को उस ग़लती की सज़ा दूं जो मैंने की ही नही....क्या रब ने मुझे पैदा करने से पहले मुझसे पूछा था, किस धर्म, किस जाति में पैदा होना चाहता हूं मैं......नही ना.....तो फिर मुझे सज़ा क्यों दें रही हों......... यक़ीन मानो मैंने तो कभी चाहा भी नही था कि मुझे कभी किसी लड़की से प्यार हो मगर हो गया ना, मैं मानता हूं यह आसान नही है मगर तुमको भूल जाना भी मेरे हाथ में नही है......... तुमसे प्यार करता हूं, खुद को भुला सकता हूं मगर तुमको नहीं भूल पाऊंगा------ यह कहते हुए रूद्र की आवाज़ रूंध गई थी और कब उसकी आंखों से आंसू बहने लगे यह शायद उसको भी पता नहीं चला वो बस बोले जा रहा था। रुद्र--------दुआ मैं नही जानता यह सही है या ग़लत, मगर मैं मानता हूं, मोहब्बत का कोई धर्म, कोई जाति नही होती, यह तो वो खास एहसास होता है जो बहुत कम लोगों के दिल में पैदा होता है, तुमको देखकर जो एहसास, जो सुकून मुझे मिलता है, वो मैं लफ़्ज़ों में नही बता सकता....... अगर तुम मुझे कोई ओर वजह देती ना, तुम से दूर जाने के लिए तो शायद मैं खुद की जान ले लेता लेकिन तुम्हारे सामने फिर कभी नही आता ......मगर तुम मुझे खुद को भूलने का कह रही हो, इस घटिया दुनिया के लिए, जो कभी किसी की नही हुई......आज मैं आत्महत्या कर लूं तो क्या इस दुनिया पर कोई फ़र्क पड़ेगा????.... नही!!! कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा किसी को!!! मगर-अगर मैं अपने प्यार के लिए लड़ूंगा ना तो इस दुनिया को ज़रूर फ़र्क पड़ेगा, तब ज़रूर यह दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी होगी...... रुद्र------दुआ यह दुनिया, धर्म और जाति के नाम पर एक-दूसरे को मारने के लिए पल भर में तैयार है मगर प्यार और इन्सानियत का क्या??? ........क्यों मैं ऐसे समाज के लिए अपनी मोहब्बत, अपनी खुशियों का त्याग करूं?? जो कभी किसी की हुई ही नहीं.... तुम मुझे अपना मानो या ना मानो मगर मेरे लिए तुम मेरी ज़िन्दगी बन गई हो, अब चाहे जो हो जाए, तुमको भुलना नामुमकिन है---रूद्र की आंखों में साफ दिख रहा था, कि कुछ भी हो जाएं, वो हार नही मानेगा, और मानता भी क्यों उसका कहा हर लफ्ज़ सही था..... दुआ ने तो यह सोचा ही नही था कि रूद्र आज उसकी एक नही सुनेगा, मगर दुआ भी उसके सामने हार नही सकती थी क्योंकि वो बहुत अच्छे से जानती थी, कि रुद्र की मोहब्बत की क़ीमत कितनी बड़ी हो सकती है उसे अच्छे से पता था इसलिए उसे किसी भी तरह आज यह किस्सा यही खत्म करना था, यही सोच दुआ गुस्से में कुर्सी से खड़ी हो गई। दुआ गुस्से में-----ठीक है, तुम्हे परवाह नही है, तो ना सही, मगर मुझे है..... मिस्टर रूद्र रघुवंशी हर इंसान तुम्हारी तरह नही सोचता, तुम एक मर्द हो, वो भी इस शहर के सबसे अमीर परिवार से, इसलिए शायद तुम ऐसा सोच सकते हों, मगर मैं एक लड़की हूं वो भी ऐसे परिवार से जहां मैं अपने बाबा का मान हूं उनकी इज़्ज़त हूं, मैं एक हिन्दू लड़के को कभी नही अपना सकती, अपने बाबा पर उंगली उठाने की वजह नही दे सकती मैं दुनिया को, क्या कहेंगे लोग मेरे बाबा से, कैसे जवाब देंगे मेरे बाबा, इस दुनिया के अनगिनत सवालों के, नहीं रुद्र, तुम्हारी मोहब्बत की क़ीमत मेरे बाबा चुकाएं ऐसा मैं नही होने दूंगी इसलिए अच्छा होगा आज के बाद तुम मेरे सामने कभी ना आओ----यह कह कर वो जाने के लिए आगे बड़ी ही थी कि रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया। रुद्र------यही प्रोब्लम है ना कि मेरा नाम रूद्र रघुवंशी है कोई रहमान या सलीम नही, तो ठीक है, मैं इस प्रोबलम को अभी यही खत्म कर देता हूं......आज तुमको, अपनी मोहब्बत को गवाह बना कर, मैं इस्लाम कुबूल करता हूं....... तुम एक लड़की होना, तुम कुछ नही कर सकती क्योंकि तुम मजबूर हो सकती हो मगर मैं नही, आज से मैं तुम्हारी ताकत बनूंगा और तुम्हारा मान, कभी नही टूटने दूंगा---उसने यह कहते हुए आग में पड़ी छड़ी, को उठाया जिस पर अल्लाह लिखा था और उसे अपने हाथ पर चिपका दिया, जिसे देख दुआ चीख पड़ी और उसने रूद्र के हाथ से छड़ी लेकर फेंक दी......मगर उस छड़ी के साथ-साथ रूद्र के हाथ की खाल भी उतर गई। रुद्र नम आंखों से, अपना जला हुआ हाथ देख, मुस्कुराते हुए----- दुआ अब मेरे मरने के बाद भी कोई तुम पर उंगली नही उठा सकेगा, कोई तुम्हारे बाबा से नही पूछेगा कि मैं हिन्दू हूं, अब मेरे हाथ पर लिखा यह अल्लाह कभी नही मिट सकेगा, अब तो तुम मेरी मोहब्बत को क़ुबूल करोगी ना.... दुआ मैं अपनी मोहब्बत के लिए खुद को कुर्बान कर दुंगा.....मगर अपनी मोहब्बत को कुर्बान नही होने दूंगा इस दुनिया के लिए--- रूद्र यही कह रहा था कि दुआ ने गुस्से में उसके थप्पड़ मार दिया. दुआ उसके जले हाथ को देखते हुए-------तुम पागल हो क्या, जानते भी हो, क्या किया है तुमने??? यह कोई छोटी बात नही है रुद्र, बच्चों का खेल नहीं है यह, ज़िन्दगी भर भी इस निशान को मिटाने की कोशिश करोगे, तब भी अब यह नहीं जाएगा...... क्या जवाब दोगे सबको, अपने घर वालों को, क्या बताओगे यह कैसे हुआ??? यहां कोई तुम्हारे जज़्बात नही समझेगा रुद्र, यह आज का हिन्दुस्तान है जहां हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लाखों मासूमों का खून बहा दिया जाता है यह देश पहले जैसा नही है, जहां सब एक साथ नहीं, एक-दूसरे के दिल में रहते थे, रहम करो मुझ पर और खुद पर.......प्लीज़ खुद को बर्बाद नही करो, छोड़ दो मेरा पीछा, चलें जाओ मेरी ज़िन्दगी से,  नही करती मैं तुमसे प्यार, मुझे मेरे बाबा की इज़्ज़त सबसे प्यारी है, प्लीज़ चलें जाओ - दुआ ने रूद्र के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा यह कहते हुए दुआ की आंखें भर आईं थी मगर उसने अपने आंसु बहने नही दिए, क्योंकि उसके आंसु जहां उसको कमज़ोर बनाते वहीं रूद्र की मोहब्बत को ओर हवा देते, इससे पहले वो कुछ बोलता दुआ वहां से चली गई. आज मौसम भी अपने तेवर दिखा रहा था, वह रेस्टोरेंट से बाहर निकली ही थी कि ज़ोर से बारिश शुरू हो गई, बारिश की बूंदों के साथ दुआ के आंसूओं ने भी अपनी सरहद तोड़ दी थी...... दुआ-----कोई किसी से इतनी मोहब्बत कैसे कर सकता है, एक पल में उसने अपना सब कुछ गंवा दिया, एक बार भी नही सोचा, उसका अंजाम किया होगा और मैं बेरहम लड़की, उसको इतनी तकलीफ़ में, अकेला छोड़ आई......काश मुझे थोड़ा भी अंदाज़ा होता उसकी हरकत का, तो मैं इतनी घटिया बात कहती ही नही उसको........मैंने तो सिर्फ इसलिए ऐसा कहा था कि शायद वो हार मान जाएं, शायद उसे मेरी बात चुभ जाए, शायद वो मुझसे नफरत करने लगे.....मगर मुझे क्या पता था वो मुझसे इतनी मोहब्बत करता है कि सबकुछ खोने को तैयार है, उसे अपनी किसी तकलीफ की परवाह नही और मैं इस दुनिया की फ़िक्र लिए बैठी हूं.....उसने सच ही तो कहा.....अगर उसे कुछ हो गया, तो इस दुनिया को क्या फर्क पड़ेगा.......लेकिन मुझे??? क्या मुझे, सच में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उसके चलें जाने से??? क्या अब, मैं रह सकूंगी उसके बगैर??? दुआ बारिश में पैदल चले जा रही थी और खुद से हज़ारों सवाल कर रही थी, ना उसको सिग्नल का ख्याल था और ना ही रफ्तार से चल रही गाड़ियों का डर......उसके सामने तो सिर्फ वो मंज़र था जब वह रुद्र के जलते हाथ को देखती रही, उसको रोक ना सकी, वो तो मिलने सिर्फ इसलिए गई थी कि आज किसी भी तरह उसको समझा देगी और फिर कभी नही आएगी उसके सामने, मगर उसको क्या खबर थी आज वो खुद ही हार जाएगी, और वहीं छोड़ आएगी खुद को...... आज रूद्र की मोहब्बत जीत गई थी और वो हार गई थी, रो-रो कर उसकी आंखें सुझ गई थी, उसको अपना-आपा बोझ-सा लग रहा था, जिसको घसीटते हुए वह घर ले जा रही थी, इस वक्त उसको किसी की फ़िक्र नहीं थी कि उसकी ऐसी हालत देख लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, कुछ नही, अब अगर फ़िक्र हो रही थी उसको तो सिर्फ रुद्र की, अब उसके दिल और दिमाग में सिर्फ एक ही नाम था....... दो घंटे तक वो बारिश में भीगते-भीगते पैदल चलते हुए कब घर आ गई उसको पता ही नही चला, उसने दरवाज़ा खोला ही था कि उसकी नानी उसे देखते ही जल्दी से तौलिया लेकर उसके पास आ गई. कितनी बार कहा है! बारिश में नही भीगते, हर बार बीमार होने के बाद भी नही सुनती यह लड़की-----उसकी नानी (साएरा बेगम) ने सिर पर तौलिया डालते हुए कहा और दुआ उनके गले लग कर रोने लगी. दुआ! मेरा बच्चा क्या हुआ----साएरा बेगम ने उसके सिर पर प्यार करते हुए घबरा कर पूछा। एम् सोरी नानू-एम् सोरी, मैं आपकी अच्छी नवासी नही बन सकी, इस घर की इज्ज़त का बोझ नही उठा सकी, मैं हार गई उसके सामने, नानू मैं हार गई. साएरा बेगम-----दुआ मेरी बच्ची हुआ क्या है, यह क्या कह रही हो......दुआ की ऐसी हालत देख उनकी आंखें भर आईं थी। दुआ-----नानू मैं सच कह रही हूं, हार गई मैं उसके सामने, मगर--मगर मैंने कोशिश की थी, पूरी कोशिश की थी......सच में .....लेकिन वो पागल हैं ना नानू, मर जाएगा, अपनी जान ले लेगा मगर मुझे नही भुला सकेगा------दुआ सिसकियां लेते हुए अटक-अटक कर उनको सब कुछ बता रही थी. आज मैंने उसकी आंखों में देखा है नानू उसकी मोहब्बत की कोई हद नही है, वो बहुत आगे निकल गया है, मैं उसको नही रोक सकी.....झुका दिया मैंने अपने बाबा का सिर, तोड़ दिया उनका ग़ुरूर ----- दुआ किसी बच्चे की तरह रो-रो कर बोले जा रही थी, आज से पहले उसकी ऐसी हालत कभी नही हुई थी, यहां तक उसको इतना भी ख्याल नही रहा था कि उसके बाबा, उसके पिछे ही खड़े थे, जिनके पैरों तले ज़मीन खींच ली थी उसकी बातों ने, अपनी जवान बच्ची की ऐसी हालत देख फरहान सिद्दीकी का गुस्से से लाल चेहरा आने वाले तूफान का एहसास दिला रहा था। ********** जिया (रुद्र की भाभी) ------मां रूद्र का नम्बर बन्द जा रहा है, आप परेशान नही हो, रोहित ने अभी अजय से बात की है, वो उसे ढूंढने गया है वैसे उसने कहा है रूद्र अब घर ही आ रहा होगा, उसको एक मीटिंग के लिए जाना था, शायद इसलिए फोन बंद रखा होगा..... आपको तो पता है वो काम को लेकर कितना सीरियस रहता है, उसे डिस्टर्बेंस नही पसंद- जिया ने अपनी सासु मां को तसल्ली देते हुए कहा। पार्वती जी (रुद्र की मां)----- मगर जिया उसको पता था हम सब लोग यहां तक बाबू जी भी उसका इंतेज़ार कर रहे हैं, हम सबको एक साथ जाना था ना मिस्टर सिंघानिया के यहां , वो ऐसे लापरवाह नही है तुमको तो पता है..... तीन घंटे होने को है और आज यह बारिश भी रूकने का नाम नही ले रही, जिया मेरा दिल तो बहुत घबरा रहा है, पता नही वो अब तक क्यों नही आया? कुन्ती देवी (रुद्र की चाची)-------भाभी आप परेशान नही हो, रूद्र अब बच्चा थोड़ी है......जिया सही कह रही है, वो ठीक होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा, हो सकता है बारिश की वजह से कहीं फंस गया हो और अजय गया है ना उसको ढूंढने, थोड़ी देर में देखना, दोनों साथ ही आ रहे होंगे ---कुन्ती ने अपनी जेठानी को परेशान होते हुए देखा तो वो भी तसल्ली देने लगी। घर में सभी लोग परेशान हो रहे थे रूद्र के लिए, उसने पहले कभी अपना फोन इतनी देर के लिए बंद नही किया था मगर जिया वो परेशान होने से ज़्यादा डरी हुई थी, कि ऐसा क्या हो गया जो रूद्र अब तक नही आया.....वो तो उसको बता कर गया था कि आज वो दुआ से हां सुनकर ही आएगा, तो फिर वो अब तक क्यों नही आया--- जिया अपनी सोचों में गुम थी कि तभी अपनी सासु मां के चीखने की आवाज़ से होश में आई, उसने दरवाज़े की तरफ देखा तो, एक पल के लिए उसके पैर भी वहीं जम गए. आज से पहले कभी किसी ने रूद्र को ऐसी हालत में नही देखा था......उसके होंठ नीले पड़ गए थे जिससे पता चल रहा था कि वो घंटों बारिश में भीगता रहा है, उसकी आसमानी रंग की शर्ट पर खून के धब्बों को साफ देखा जा सकता था, उसकी हथेली में कुछ कांच के टुकड़े गड़े हुए थे जिसकी वजह से हाथ से खून अभी भी रीस रहा था.......उसकी यह हालत देख सब एक साथ दरवाज़े की तरफ दौड़े और रूद्र वही दहलीज़ पर खड़ा रहा, उसकी हिम्मत ही नही हुई कि वो एक क़दम भी आगे बड़ा सकता। पार्वती जी-----यह क्या हाल बना रखा है रूद्र, जिया जाओ जल्दी से फर्स्ट-एड लेकर आओ---उसकी मां ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिससे खून रिस रहा था मगर फौरन ही एक झटके से उसका हाथ छोड़ दिया, उनकी हैरानी की हद ना रही जब उनकी नज़र रूद्र की जली हुई कलाई पर गई। यह-यह क्या है रूद्र- उन्होंने उसकी जली हुई कलाई की तरफ इशारा करते हुए पूछा....उसकी शर्ट का कपड़ा उसकी खाल में चिपक गया था, इतना बड़ा निशान उनके बेटे के हाथ पर, उन्होंने तो कभी उसको सूई भी नही चुभने दी थी फिर आज इतना बड़ा ज़ख्म, कैसे??? रोहित ( रुद्र का बड़ा भाई)-----यह कैसे हुआ रूद्र, किसने किया तुम्हारे साथ यह सब- उसके भाई ने आगे बढ़ते हुए पुछा। रुद्र अपने हाथ को देखते हुए------भाई यह सब मेरे नाम ने किया है, "रूद्र रघुवंशी" यही नाम है ना मेरा, यही सबसे बड़ा गुनाह है मेरा, तो क़ीमत तो अदा करनी थी- रूद्र ने थोड़ा चिल्लाते हुए कहा जिस पर सभी हैरान थे, इससे पहले उसने कभी भी तेज़ आवाज़ में बात तक नही की थी घर वालों के सामने और आज वो दादू के सामने इतनी तेज़ आवाज़ में चिल्ला रहा था, जिनके आगे वो नज़र भी नही उठाया करता था। जिया ने उसकी हालत देखते हुए, थोड़ा हिम्मत करके पूछा----रूद्र बताओ तो सही हुआ क्या है??? रुद्र, जिया को देखते हुए----भाभी आपने सही कहा था, आसान नही होता मोहब्बत का सफर, मगर अब यह सफ़र कितना भी मुश्किल हो, मैं इतनी जल्दी हार नही मानूंगा...... क्योंकि अगर मैंने हार मान ली तो इस दुनिया की घटिया सोच जीत जाएगी..... जिया कुछ ना समझते हुए----- मतलब??? रुद्र हल्का सा मुस्कुराते हुए----- मतलब भाभी, आखिर इस दुनिया की घटिया सोच, आज आ ही गई, मेरी मोहब्बत के बीच..... जानती है आप, उसने क्या कहा मुझसे.......वो कहती है उसे मुझसे मोहब्बत नही है, वो मुझे देखना भी पसंद नही करती, क्योंकि वो मजबूर हैं, दुनिया उस पर ऊंगली उठाएगी, उसके बाबा से सवाल करेगी, जानती है क्यों वो मुझे अपना नही सकती क्योंकि मैं हिन्दू और वो मुसलमान है- रूद्र ने आख़री शब्द चिखते हुए कहा. जिसे सुनकर, रघुवंशी परिवार के पैरों तले ज़मीन निकल गई थी......किसी ने नही सोचा था कि रूद्र को कभी कोई लड़की पसंद भी आ सकती है, वो भी एक मुसलमान लड़की, यह कैसे हो सकता है। पार्वती जी ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए पुछा-----रूद्र यह क्या कह रहे हो तुम?? रुद्र-----एम् सोरी मोम, एम् सोरी मगर आपके बेटे को एक मुसलमान लड़की से प्यार हो गया है--- रूद्र ने यही कहा था कि मुकेश रघुवंशी ने उसके सामने आते ही उसके ज़ोर का थप्पड़ जड़ दिया। मुकेश रघुवंशी गुस्से में------तुमको पता है, तुम क्या कह रहे हों, एक मुसलमान लड़की, तुम्हारा दिमाग ठीक है---- उन्होंने उसे घूरते हुए पूछा। रुद्र-----हम्मम!! जानता हूं.......उसने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा मगर उसकी आंखों में नमी थी। दादू! मैं जानता हूं, मैंने आज आपका मान तोड़ दिया, आपको ठेस पहुंचाई है, बहुत बुरा हूं, आपका पोता कहलाने के लायक भी नहीं इसलिए इस घर को छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहा हूं। रुद्र-----मैं कभी आप लोगों से अलग नही होना चाहता था, मगर जानता हूं, आप कभी भी उसको नही अपनाएंगे.......क्योंकि यह हिन्दुस्तान है, यहां इज़्ज़त और धर्म के नाम पर बच्चों को कुर्बान कर देना ज़्यादा अच्छा समझा जाता हैं, मगर उनकी खुशियों के लिए, उनके साथ मिलकर दुनिया से लड़ना, यह तो यहा सिखाया ही नही जाता. पार्वती जी, रूद्र का हाथ पकड़ते हुए-------रूद्र होश में आओ, क्या कह रहे हो, तुमको पता भी है, देखो अपना हाल, खून बह रहा है, जिया जल्दी से डॉक्टर को फोन करो--- रुद्र------भाभी रहने दीजिए, अब मेरा इस घर पर कोई हक़ नही रहा, मुझे जाना है मगर उससे पहले दादू से कुछ सवाल करने है...... दादू, मैंने बचपन से आपको देखा है, आप किसी मुसलमान के हाथ से पानी लेना भी पाप समझते हैं, आप उनके साथ बैठना भी पसंद नहीं करते, आखिर इतनी नफ़रत क्यों है आपके दिल में, क्या वजह है इस भेदभाव की......क्या वो लोग इंसान नही दादू??? मुकेश रघुवंशी चिल्लाते हुए-----बंद करो अपनी बकवास, लगता है भूल गए हो, कि तुम अपने दादू के सामने खड़े हो---- रुद्र-----ठीक है दादू! हो जाउंगा चुप, मगर आप मुझे बताएं, आप तो हिन्दू है ना, वो मुसलमान है फिर क्यों आप दोनों की सोच अलग नही है, फिर क्यों उसने भी यही कहा, क्यों उसने भी मुझे थप्पड़ मारा, क्यों उसको भी समाज की परवाह ज़्यादा है। दादू आप जानते है! हिन्दुस्तान में हर साल रावण को जलाया जाता है, बुराई का प्रतीक समझ कर मगर वहीं श्रीलंका में उसकी पूजा की जाती है, भगवान समझ कर, क्या इसका मतलब यह है कि वो लोग अच्छे नही या वह नफरत के काबिल है क्योंकि वो रावण को भगवान मानते हैं......बताए मुझे- रूद्र ने मुकेश रघुवंशी के गुस्से की परवाह ना करते हुए उनकी तरफ देखते हुए पूछा और जवाब ना मिलने पर उसने बोलना फिर शुरू कर दिया। नही ना दादू!! इसका मतलब सिर्फ इतना है कि जो इंसान जहां पैदा होता है वहां की रीति-रिवाज़ अपना लेता है, अपना नज़रिया वैसे ही बना लेता है, लेकिन अपने नज़रिए की वजह से करोड़ों लोगों से नफ़रत करना, उनका खून बहा देना, हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर अनगिनत बच्चों को अनाथ कर देना, लाखों औरतों की इज्ज़त लूट लेना यह हक़ किस धर्म ने दिया है??? कौन सा धर्म नफरत सिखाता है दादू??? क्या ईसा-अलैहिस्सलाम ने, हुज़ूर ने या राम जी ने, कृष्ण जी ने, शिव जी ने, या किसी ओर भगवान ने किसी औरत की इज्ज़त को रौंदा था पैरों तले अपने धर्म का बदला लेने के लिए??? क्या उनमें से किसी ने भी मासूमों का खून बहाया था??? गीता और क़ुरान में क्या कहीं भी लिखा है कि बेगुनाहों का कत्ल कर दो, सिर्फ इसलिए कि वो अपने रब को आपके हिसाब से नही पुकारते, उनके रब का नाम वो नही जो आप लेते हैं। दादू धर्म तो प्यार की नींव रखता है, धर्म तो धैर्य, संयम और निष्ठा सिखाता है, हर धर्म का पहला पाठ इंसानियत है....... फिर सब यही पाठ छोड़ कर आगे कैसे बढ़ जाते हैं??? सिर्फ गीता या क़ुरान को पड़ लेना तो धार्मिक होना नही है.....उसकी गहराई को समझना और अमल करना धार्मिक बनाता है इंसान को....... लेकिन आज के दौर में हर इंसान खुद को धर्म का ठेकेदार कह कर अपने को अल्लाह और भगवान समझ लेता है, लाखों लोगों का खून बहा देता है, यह सोचे बगैर कि जब वह इंसानियत ही भुल गया तो वो धार्मिक कहा से रहा----- रूद्र आज वो सब बोल रहा था जो हमेशा वो अपने दादू को समझाना चाहता था मगर कभी हिम्मत नही कर सका था। रुद्र------दादू! मैं आप सबसे बहुत प्यार करता हूं मगर उस लड़की को नही छोड़ सकता, वो भी सिर्फ इस वजह से कि उसका नाम दुआ सिद्दीकी है क्योंकि वो एक मुसलमान के घर पैदा हुई........दादू मैं अपनी मोहब्बत की कुर्बानी नही दूंगा किसी धर्म के नाम पर चाहे जो हो जाए मगर आपका पोता हार नही मानेगा। रुद्र, कुन्ती देवी की तरफ बढ़ते हुए------चाची आप मुझे बताइएं, क्या भगवान जी ने आपको पैदा करने से पहले पूछा था कि आप हिन्दू के घर पैदा होना चाहती है या मुसलमान के घर??? रूद्र के सवाल पर सभी ख़ामोश थे तब ही पिछे से अजय भी उसे ढूंढता हुआ आ गया मगर रूद्र का सवाल सुनकर उसके क़दम भी जहां थे वहीं रुक गए। रुद्र----नही ना चाची!!! पता है क्यों?? क्योंकि उसने तो हम सबको सिर्फ इंसान बनाया था, हिन्दू-मुस्लिम तो इस दुनिया ने बनाया है हमको...... रुद्र-----हम में से किसी से भी भगवान ने नही पूछा था.....ना आप से, ना मुझसे, ना उससे.......फिर उसको मुझसे अलग रहने को मजबूर क्यों किया जा रहा है......क्यों सबकी नज़रों में मैं ग़लत बन गया हूं??? क्यों मेरी मोहब्बत को सब गुनाह समझ रहे हैं??? आप सब ही चाहते थे ना कि मैं शादी कर लूं, आज जब मुझे किसी से प्यार हो गया तो आप लोग चाहते हैं मैं उसे भुल जाऊं क्योंकि वो मुसलमान है। 27 साल तक आप लोगों ने मुझे पाला-पोसा, बेइंतेहा प्यार किया, मैं आप सबकी आंखों का तारा इस घर का सबसे ज़्यादा लाडला बेटा....... "एक मिनट में" सिर्फ एक मिनट में दादू!!!! मैं आप सबका दुश्मन बन गया, वो प्यार, वो फ़िक्र, वो ममता सब कुछ खत्म हो गया सिर्फ एक मिनट में!!! क्या यही सब सिखाता है धर्म, मुझे तो मेरे धर्म ने नफरत करना नही सिखाया दादू, मुझे ऐसे संस्कार ही नही दिए आपने---- रूद्र ने रोते हुए अपने दादू से कहा जो उसको बस सुन रहे थे, उनकी गुस्से से लाल आंखें अब ज़मीन पर टिकी थी। दादू जिससे आप प्यार करते हो उनके लिए लड़ना मैंने आपसे सिखा है, अपने शिव जी से सीखा है, अपने प्रेम के लिए अगर वो भैरों बन सकते हैं तो मैं क्यों इस दुनिया की बेबुनियाद नफरत से नही लड़ सकता। आपने मुझे सिखाया था अगर सवाल प्रेम का हो तो शिव जी का भैरों अवतार बन जाना..... सबकुछ त्याग देना प्रेम के लिए......मगर प्रेम को नही त्याग ना दुनिया के लिए। आज मैं आपके सामने हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि क्या आप धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव को खत्म नही कर सकते, क्या आप अपने गुरूर का त्याग नही सकते, अपने पोते के प्यार में। या आप भी बाकी सब की तरह इस दुनिया के बने बैठे, धर्म के ठेकेदारों के सवालों से डर कर, अपने पोते का त्याग करना ज़्यादा अच्छा समझते हैं। रुद्र-----दादू मैं उसके बगैर ज़िन्दा नही रह सकूंगा, मगर आप लोगों के बगैर सुकून से भी नही रह सकता, प्लीज़ मुझे खुद से अलग नही करना दादू मुझे इस दुनिया के रीति-रिवाजों की भैंट ना चढ़ाना--- रूद्र ने छोटे बच्चे की तरह रोते हुए अपने दादू से प्रार्थना की थी, वहां खड़े हर इंसान की आंखों में आसूं थे, उसका कहा हर लफ्ज़ सही और सच था मगर दुनिया की रीति-रिवाजों के बांध तोड़ कर सच और सही का साथ देना आसान नही होता बहुत मुश्किल होता है दुनिया के खिलाफ जाना, लाखों लोगों के सवालो का सामना करना इसी कशमकश में उसके दादू भी थे, जिनका दिल फट रहा था अपने जान से प्यारे पोते की आंखों में आंसु देख कर, उनके दिमाग में रूद्र का कहा हर शब्द गूंज रहा था...... क्या सच में उनका धर्म प्रेम करना, त्याग करना, दुसरो का मान रखना, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना और इंसानियत नही सिखाता। यही सब तो उन्होंने हमेशा पड़ा था मगर कभी इतनी गहराई से धर्म को समझा ही नही जितना उनका पोता समझ चुका था। आज उनको इंसानियत और धर्म का अस्तित्व समझ आ रहा था, क्यों धर्म बनाए गए, क्यों गीता और क़ुरान पढ़ाए जाते हैं मगर अक्सर लोग सिर्फ पड़ते हैं, समझते नही...... धर्म को समझना आसान नही, लोगों की ज़िन्दगी गुज़र जाती है, मासूमों का खून बहा दिया जाता है और फिर भी खाली हाथ रह जाते हैं। आज भगवान ने उनके सामने भी इम्तेहान की घड़ी रख दी थी कि वो दुनिया के दिखाएं रास्ते पर धर्म के नाम पर नफरत को जन्म देंगे या भगवान का रूप धारण कर प्रेम के लिए, अपना घमंड, अपना क्रोध त्याग देंगे। वो धर्म कहा जो तोड़ दे रिश्ते, धर्म तो जोड़ता है अपनों को परायो को----वो यही सब सोच रहे थे कि रूद्र खड़े-खड़े गिर गया, उसके ज़मीन पर गिरते ही रघुवंशी परिवार में डर की लहर दौड़ गई, उसका जिस्म आग-सा तप रहा था, रोहित और अजय मिलकर फौरन रूद्र को ज़मीन से उठा, उसके कमरे में ले गए, जल्द ही जिया ने डाक्टर को भी बुला लिया था। डॉक्टर ने उसको चैक किया फिर जल्दी से उसको 2 इंजेक्शन लगाए, उसकी हर्टबीट बहुत धीमी हो गई थी, बुखार से जिस्म तप रहा था, हाथ से बहता खून तो रूक गया था मगर उसकी जली हुई कलाई पर ज़ख्म बहुत ज़्यादा गहरा था। डॉक्टर ने सबको बताया कि फिलहाल उससे कोई ऐसी बात ना करें, जिससे उसको टेंशन हो, क्योंकि वो अभी सदमे की हालत में है, इसलिए उसके होश में आने के बाद, इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाए, नही तो वो अपना दिमागी संतुलन खो सकता है, वैसे आने वाले 24 घंटों में अगर उसका बुखार कम नही हुआ तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता है-----यह कह कर डाक्टर साहब वहां से चले गए। डॉक्टर के जाते ही मुकेश रघुवंशी ने गुस्से में बाला को आवाज़ दी, जो उनका खास आदमी था। बाला अगले एक घंटे में किसी भी तरह मुझे वो लड़की और उसका बाप यहां मेरी आंखों के सामने चाहिए। यह सुनते ही अजय फौरन हाथ जोड़कर मुकेश रघुवंशी के सामने खड़ा हो गया। दादा जी, मुझे पता है, आप इस वक्त बहुत गुस्से में है मगर बस एक बार मेरी बात सुन लीजिए, कोई भी फैसला लेने से पहले पूरी कहानी सुन लेनी चाहिए, गुस्से में किए फैसले हमेशा सिर्फ तकलीफ देते हैं-----यह कह कर अजय ने हिम्मत करके सबकुछ बताना शुरू किया। बाकी अगले भाग में:- नोट:- आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में ज़रुर बताएं।
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भाग 2

10 अक्टूबर 2021
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छः महीने पहले :-<div><br></div><div>रूद्र कहा हों - जिया ने कमरे में क़दम रखते हुए कहा.....देखा तो व

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भाग 3

14 अक्टूबर 2021
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सुबह के 10 बज रहे थे और रूद्र अपनी आंखें बंद किए, सोफे पर सिर टिकाए उसी लड़की के बारे में सोच रहा था

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भाग 4

31 अक्टूबर 2021
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अच्छा, ठीक है-ठीक है, गुस्सा नही हो, मैं तो बस यह कह रहा था एक बार उससे बात तो कर लेना, ताकि उसके दि

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भाग 5

25 नवम्बर 2021
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अमित जी------सर मैंने पूरी कोशिश की थी मगर इस युनिवर्सिटी की प्रिंसिपल बहुत सख्त है, मैंने रिश्वत दे

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भाग 6

7 दिसम्बर 2021
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मलिक हाउस:-<div><br></div><div>यह है दुआ के मामा का घर, बहुत ही बड़ा और आलीशान, रात के अंधेरे में चा

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भाग 7

7 दिसम्बर 2021
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अमित जी ने अभी यू-टर्न लिया ही था कि उस लड़की के सामने, नीले रंग की बड़ी सी गाड़ी रुक जाती है, जिसक

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भाग 8

8 दिसम्बर 2021
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आकिब घर वापस आते ही, दुआ के कमरे में जाता है तो देखता हैं, दुआ की आंखे अभी भी नम थी।<div><br></div><

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भाग 9

8 दिसम्बर 2021
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रात कब गुज़र जाती है, मुकेश रघुवंशी को पता ही नहीं चलता, रुद्र उनकी आंखों का तारा, उनके दिल की धड़कन

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भाग 10

30 दिसम्बर 2021
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रुद्र दरवाज़ा खोल कर अंदर जाता है, तो दुआ नज़रें झुकाए उसका इंतेज़ार कर रही होती हैं, इस पल उसे ऐसा

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भाग 11

5 जनवरी 2022
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अगले दिन सभी लोग फंक्शन की तैयारी में जुटे थे, धीरे-धीरे मेहमान भी आना शुरू हो गए थे, रुद्र भी बाकी सबके साथ फंक्शन की तैयारी में लगा था, दादू के हुक्म पर दुआ कमरे में ही आराम कर रही थी और जिया के कहन

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भाग 12

5 जनवरी 2022
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20-25 दिन गुज़र जाते हैं मगर अब तक दुआ का दिमाग़ वहीं फरहान सिद्दीकी की बातों में अटका होता है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है, उसके दिल में एक अजीब सा डर घर करने लगता है, सब लोग उस

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