20-25 दिन गुज़र जाते हैं मगर अब तक दुआ का दिमाग़ वहीं फरहान सिद्दीकी की बातों में अटका होता है, जिसकी वजह से दिन-ब-दिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है, उसके दिल में एक अजीब सा डर घर करने लगता है, सब लोग उससे कितना भी कहें मगर वो पूरे-पूरे दिन कुछ नहीं खाती, बस हर दफा कोई ना कोई बहाना बना देती जिसकी वजह से अब वो एकदम ही कमज़ोर होने लगी थी, कभी भी उसे चक्कर आ जाता, कई बार सीढ़ियां उतरते हुए, उसके पैर लड़खड़ा जाते, दिन-रात वो सोचों में गुम रहने लगीं थीं, उसका रंग भी काफ़ी पीला पड़ता जा रहा था मगर जब भी रुद्र डॉक्टर के पास जाने को कहता वो कुछ ना कुछ बहाना कर डाक्टर के पास जाने से बच जाती......
वो डाक्टर को चैक करवाना नहीं चाहती थी क्योंकि वो जानती थी, इस सबकी वजह उसकी टेंशन थी और अगर रुद्र को यह पता चला तो जब तक वो इस बात की जड़ तक नही पहुंचेगा तब तक सुकून से नहीं बैठेगा।
बस यह सब सोच वो हर बार डाक्टर के पास जाने से किसी ना किसी बहाने बच जाती मगर गुज़रते वक्त के साथ वो कमज़ोर होती जा रही थी.......
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रात के नौ बज रहे होते हैं, जब रुद्र ऑफिस से घर वापस आता है, वो अपने कमरे में आता है तो पूरे कमरे में अंधेरा होता है, कोई छोटा सा लैम्प भी नही जल रहा होता है, वो आहिस्ता से एक छोटा बल्ब जलाता है तो देखता हैं, दुआ सो चुकी होती है….....
वो दुआ के पास जाकर उसके सिर पर किस करता है तो उसका हाथ ग़लती से दुआ के तकिए पर पड़ जाता है, जो उसके आंसुओं से भीगा होता है....... रूद्र थोड़ी देर दुआ को यूं ही देखता रहता है और उसके रोने की वजह तलाशने की कोशिश करता है फिर कुछ सोचते हुए, फ्रेश होने चला जाता है......
अभी वो नहा-धोकर, शीशे के सामने खड़ा, अपने बाल बना रहा होता है कि दुआ एकदम चिखते हुए उठ जाती है....... वो भाग कर उसके पास आता है तो दुआ रोते हुए उसके गले लग जाती है और उसको इतने कस कर पकड़ती है कि उसके नाखून रुद्र के चुभने लगते हैं.......उसकी आवाज़ कांप रही होती हैं और वो बस रुद्र- रुद्र ही कह रही होती हैं।
रुद्र उसकी पीठ सहलाते हुए------- दुआ, देखो मैं तुम्हारे पास ही हूं........दुआ खुद को संभालों, सब ठीक है, देखो मुझे कुछ नही हुआ, मैं बिल्कुल ठीक हूं, परेशान नही हो।
दुआ सिसकियां लेते हुए-------- रुद्र, प्लीज़ - प्लीज़ मुझे कभी छोड़कर नहीं जाना।
रुद्र उसे अपने सिने में छुपाते हुए----- शशशशश!!! बस......बस मेरी जान, प्लीज़ नही रो, आई प्रोमिस, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा, तुम्हे कभी भी खुद से दूर नहीं होने दूंगा और अगर तुमने कभी कोशिश भी की ना तो दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ इसी तरह अपने सिने में छुपा लूंगा.....सबकी नज़रों से दूर, अपनी धड़कनों के साथ.....
रुद्र कोशिश कर रहा था कि वो किसी तरह उसको चुप करा दें.....मगर दुआ तो जैसे अभी भी अपने सपनों में गुम थी, वो रुद्र को कसकर पकड़े हुए रोए ही जा रही थी और अब उसके नाखून रुद्र के इतने गढ़ गए थे कि उससे ख़ून रीस रहा था..........
रुद्र----- प्लीज़ दुआ, प्लीज़ चुप हो जाओ, सब ठीक है, मैं तुम्हारे पास ही हूं, प्लीज़ मत रो...
दुआ सिसकियां लेते हुए------- र-- रुद्र, प्लीज़--- डोंट----डोंट गो।
रुद्र सारी कोशिश कर चुका था मगर दुआ अभी भी रोए जा रही थी, अब रुद्र से उसका रोना बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसको समझ नही आ रहा था वो कैसे दुआ को सुकून पहुंचाए, कैसे उसके बहते आंसु रोक लें....
रुद्र, दुआ का चेहरा ऊपर करते हुए------ दुआ प्लीज़ आंखें खोलो, देखो कोई नहीं है यहां, सिर्फ मैं हूं तुम्हारा रुद्र, कोई मुझे तुमसे नहीं छिनेगा, रुद्र की बहुत कोशिशों के बाद भी दुआ ने उसे नहीं छोड़ा था तो रुद्र ने आखिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए......और तभी रुद्र की आंखों से आंसु बह गए, उसके किस करने से दुआ ने आंखें तो नहीं खोली थी मगर उसकी सिसकियां बंद हो गई थी.......
रुद्र को समझ नहीं आ रहा था, दुआ को आख़िर हों क्या रहा है...... जो दुआ उसके क़रीब आने पर, उससे दूर जाने के बहाने ढूंढती थी, वो अब उसके दूर जाने से डरने लगी थी, और पिछले कुछ दिनों से तो वो रुद्र को लेकर बहुत ज़्यादा इमोशनल हो रही थी मगर आज तो हद ही हो गई, दुआ को रुद्र की इतनी नज़दीकियों का एहसास ही नही हुआ.......
वो कुछ दिनों से तकरीबन रोज़ ही सोते-सोते डर कर उठ जाया करती थी लेकिन आज जैसा पहले नहीं हुआ था, आज दुआ की इस हालत से रुद्र बहुत ज़्यादा परेशान हो गया था, अब रुद्र को कुछ ना कुछ तो करना था, वो दुआ की यह हालत और नहीं देख सकता था.......यही सोचते-सोचते रुद्र कब सो जाता है उसे पता नहीं चलता.....
सुबह के सात बज रहे होते हैं, जब रुद्र ऑफिस जाने के लिए उठने की कोशिश करता है मगर दुआ ने उसे अभी भी बहुत कसकर पकड़ा होता है!
रुद्र, दुआ का सिर सहलाते हुए आहिस्ता से------- दुआ, सुबह हो गई, छोड़ो, ऑफिस जाना है।
दुआ नम आंखों से, छोटे बच्चे की तरह रुद्र को ख़ाली आंखों से देखने लगती है....... रोने की वजह से उसकी आंखें सूज गई थी....... रुद्र उसकी आंखों को देखता है तो रुद्र की आंखें एकदम फिर से नम हो जाती है......
रुद्र, दुआ की आंखों पर किस करते हुए, रुंधी हुई आवाज़ में------- दुआ मत करो ऐसा प्लीज़, मैं नहीं देख सकता तुम्हारी यह हालत, ऐसी कौन-सी बात है, जो तुमको अन्दर ही अन्दर खा रही है??? प्लीज़ मुझे बताओं, प्लीज़ दुआ, मैं तुमको ऐसे नहीं देख सकता, प्लीज़ मुझे मेरी बीवी लौटा दो, तुम जानती हो ना मुझे तुम्हारी आंखों में गुस्सा अच्छा लगता है यह नमी नहीं, प्लीज़ दुआ....
रुद्र की बात सुन दुआ की आंखों से फिर आंसू बह जाते हैं और वो कोई जवाब दिए बग़ैर, आंखें बंद उसके सिने से लग दोबारा सो जाती है, दुआ को फिर से सोता देख, रुद्र ख़ामोश हो जाता है मगर अब उसकी निंद उड़ जाती है, पूरे वक्त वो दुआ को देखता रहता है और सोचता रहता है कि वो कैसे उसे फिर से ठीक कर सकता है......वो ऐसा क्या करें, जो दुआ के दिल से दिन-ब-दिन बढ़ता डर जड़ से खत्म हो जाएं???
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अमित जी------ सर हमको सिंगापुर आएं, छः महीनों से ज़्यादा हो गए हैं अब तो यहां का प्रोजेक्ट भी कम्प्लीट हों गया है, क्या अब हम वापस कश्मीर में जाएंगे???
अहान फाइल बंद करते हुए------ नहीं अमित जी, मैं कश्मीर नहीं जाउंगा!!!
अमित जी------ सर एक साल से ज़्यादा हो गया है, आप घर नहीं गए, जब से आप उस लड़की की तलाश में निकलें है तब से अब तक हम लोग एक शहर से दूसरे शहर तो कभी दुसरे देश किसी ना किसी बहाने घूमें ही जा रहे हैं, मुझे लगता है अब हमको घर चलना चाहिए।
अहान ------- अमित जी, आप जानते हैं, मैं हार मानने वालों में से हूं ही नहीं, जब तक मुझे वो लड़की मिल नहीं जाती, तब तक मैं वापस नहीं लौट सकता।
अमित जी------ सर, जब कोई चीज़ हमें रब से मांगने पर भी ना मिले तो उसका फैसला समझ ज़िद्द छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि ज़बरदस्ती अगर आप वो चीज़ किसी तरह पा भी लें तो उसके बाद भी आप खुश नहीं रहते, हो सकता है.....
अहान गुस्से में------- बस अमित जी, आगे एक और शब्द नहीं, क्या हो सकता है और क्या नहीं, इसकी भविष्यवाणी आपको करने की ज़रूरत नहीं है, मैं आपको बता चुका हूं, वो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में हो, एक दिन अल्लाह उसे खुद मेरे पास भेजेगा और आप देखना यह दिन ज़रूर आएगा।
यह कह कर अहान गुस्से में वहां से चला जाता है और अमित जी उसकी दिवानगी देख सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि अगर उसे वो लड़की कभी नही मिली तो क्या होगा???
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सुबह के 11 बजे रहें होते हैं जब दुआ की पकड़ ज़रा ढ़ीली पड़ गई थी, शायद अब वो गहरी नींद में सो गई थी, वरना पूरी रात तो वो किसी छोटे बच्चे की तरह डरी हुई, सहमी सी उसको बहुत कसकर पकड़ी हुई थी, जैसे अगर उसने रुद्र को छोड़ा तो वो उससे बहुत दूर चला जाएगा........
रुद्र, आहिस्ता से उसका हाथ हटा, बिस्तर से उठ, नहा-धोकर नीचे चला जाता है, तकरीबन एक घंटे बाद जब वो वापस कमरे में आता है तो दुआ भी नहा-धोकर तैयार हो चुकी होती है और शायद वो नीचे ही जाने वाली होती है कि रुद्र को देख हैरानी से पूछती हैं......
दुआ------ आज ऑफिस नहीं गए तुम?????
रुद्र मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ अपनी गोद में बैठाते हुए-------- हां, क्योंकि आज मेरी बीवी ने मुझे छोड़ा ही नहीं!!!!
रुद्र की बात सुन, दुआ को फौरन उसकी रात की हरकत याद आ जाती है, कि उसने रुद्र को कितने कसकर पकड़ा था और उसके नाखून रुद्र को ज़ख्म दे गए थे, वो अब तक यही सोच रही थी, कि वो सब एक ख्वाब था.....
दुआ शर्मिन्दा होते हुए--------- एम् सोरी रुद्र, मैं जान बूझ कर तुम्हें तक़लीफ नहीं पहुंचाना चाहती थी, वो ग़लती से हो गया, दिखाओ मैं तुम्हारे मेडिसिन लगा देती हूं, वरना निशान पड़ जाएंगे......
रुद्र शरारत से-------- अरे, तुम्हारा ही शौहर हूं, इट्स ओके........अब शेरनी कभी तो पंजे मारेगी ही ना!!!!
दुआ बड़ा सा मुंह खोलते हुए-------- अअअअअ...... रुद्र, मैंने बताया ना, मैं पूरी तरह नहीं जागी थी, इसलिए ख्वाब समझ बैठी, अगर होश में होती तो कभी ऐसा नहीं करतीं....
रुद्र------ अच्छा छोड़ो कल की बातें, आज की खबर सुनो।
दुआ ---------- बताओं।
रुद्र उसको अपने ओर करीब करते------- हम लोग आज हनीमून पर जा रहें हैं।
दुआ यह सुन हैरानी से उठ खड़ी होती है-------- क्या????
रुद्र उसका हाथ पकड़ फिर से उसे अपने करीब बैठते हुए------- हम्ममम!!!! वैसे उसूलन तो लोग शादी के फ़ौरन ही बाद जातें हैं मगर अब तुम्हारी ज़िद्द थी, पहले घर वालों को मनाना है, यह करना है वो करना........ मगर अब बस, आज रात की फ्लाइट कन्फर्म हो चुकी है, हम आज ही कश्मीर के लिए निकलेंगे।
दुआ समझ जाती है, यह सब वो उसकी रात की बेचैनी की वजह से कर रहा था और यह सोच उसकी आंखें फिर नम हो जाती है कि वो अपने डर को काबू नही कर पा रही जिसकी वजह से रुद्र परेशान हो रहा है।
दुआ रुंधी हुई आवाज़ में------- रुद्र मगर!!!!
रुद्र उसके होंठों पर उंगली रखते हुए------ शशशशश!!!! एक लफ्ज़ भी नही, एम् सोरी दुआ, यह सब मेरी ग़लती है, मैं ही नही समझ पाया, तुम्हारे दिल में, मुझे खोने का डर इस हद्द तक बढ़ जाएगा यह मैंने कभी नहीं सोचा था, दुआ में तुम्हें इस हाल में नहीं देख सकता.......
मैं समझता था, मुझे सब पता है मगर कुछ है दुआ जो तुम मुझे नहीं बता रही, जो तुमको दिन-रात परेशान कर रहा है, प्लीज़ दुआ, प्लीज़ मुझे बताओं...... मैं तुमको नहीं खौ सकता.....
यह कहते हुए रूद्र की आवाज़ रुंध गई थी और वो उसके सिने से लग गया था.....
रुद्र दुआ को कसकर पकड़ते हुए ----- दुआ मैं, तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं, तुम्हें याद है ना, जब तुमने दादू के लिए अपने हाथ की नस काट ली थी तब मैंने कहा था, अगर इसके बाद किसी ने भी तुमको तकलीफ़ पहुंचाई तो मैं किसी को भी नहीं छोडूंगा......और मैं समझ गया हूं इस सबकी वजह कहीं ना कहीं डॉक्टर सिद्दीकी है, इसलिए सच जानने के लिए, मैंने छाया और अजय को फोन किया था.....
यह सुनकर दुआ के दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती है, इस डर से कि कहीं उन दोनों में से किसी ने कुछ बता ना दिया हो।
दुआ मुश्किल से अनजान बनते हुए------ क-क्यों????? उनको फोन क्यूं किया????
रुद्र उससे अलग होते हुए------- क्योंकि दुआ, मुझे पता है कि चाहे जो भी हो जाएं तुम मुझे सच नहीं बताओगी मगर मेरा भी वादा है तुमसे, इस बार मैं उनको इतनी आसानी से माफ़ नहीं करुंगा......
और मुझे पता है, अब अजय से सच कैसे निकलवाना है.....
दुआ रोते हुए------ रुद्र प्लीज़, नही करो यह सब, प्लीज़ रुद्र....
रुद्र उसको रोता देख, दुआ को गले लगा------ ओके-ओके दुआ....... प्लीज़ रोना बंद करो, आईं प्रोमिस, अभी मैं कुछ नहीं करूंगा प्लीज़ बस रोना बंद करों.....
दुआ खुद को संभाल, खड़े होते हुए-----रुद्र, मैं ठीक हूं.......
दुआ की बात सुन, रुद्र सुकून की सांस लेता है।
रुद्र बात बदलते हुए----- अच्छा बताओ, कश्मीर के बाद, कहा चलना है, मैं सोच रहा हूं, मलेशिया चलते हैं, कैसा रहेगा???
दुआ----- रुद्र हम कहीं नहीं जा रहें, चाची की डिलीवरी में ज़्यादा वक़्त नहीं है, यहां सबको हमारी ज़रूरत है.....
दुआ यही कह रही होती हैं कि कुन्ती देवी और जिया कमरे में आ जाते हैं......
कुन्ती देवी------- दुआ अभी नए मेहमान के आने में तीन महीने है तब तक तो तुम लोग वापस भी आ जाओगे....
दुआ------ मगर चाची, यहां आप सबको मेरी ज़रूरत है, मैं कैसे चली जाऊं???
जिया मुस्कुराते हुए----- दुआ कभी-कभी अपने बारे में भी सोचना चाहिए और जब सभी एक बात कहें तो मान लेनी चाहिए।
दुआ----- मगर भाभी....
जिया उसका हाथ पकड़ते हुए------ अच्छा अगर-मगर छोड़ो जल्दी से नीचे चलों, सब लोग तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे हैं.....
दुआ हैरानी से------- क्या??? आज कुछ ख़ास है????
रुद्र पिछे से दुआ के कन्धों पर हाथ रख------ जी!! बहुत ख़ास है, आज दादू ने तुम्हारे लिए, घर में पूजा रखी, उनका मानना है तुमको बुरी नज़र लग गई है और सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने घर में क़ुरान पड़ने के लिए मस्जिद से मौलवी भी बुलवाएं है!!
दुआ हैरानी से------ क्या?????
रुद्र मुस्कुराते हुए----- हां, उन्होंने सुबह तुम्हारी नानू को ख़ास तौर पर फोन कर पुछा था कि इस्लाम के हिसाब से वो तुम्हारे लिए क्या कर सकते हैं तो नानू ने जैसा बताया, सुबह से वहीं सब हो रहा है और सिर्फ इतना ही नहीं अभी दोनों धर्मों के हिसाब से उन्होंने तुम्हारा सदका भी देना है.......
दुआ हैरानी से रुद्र को देखते हुए-------रुद्र यह सब क्या है???
रुद्र मुस्कुराते हुए------- यह दादू का प्यार है बेवकूफ, वो चाहते हैं, हम लोग घूमने जाने से पहले यह सब करके जाएं, इसलिए उन्होंने सबकुछ आज ही करना है, अब जल्दी नीचे चलों।
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आज का पूरा दिन कब गुज़र गया दुआ को पता ही नहीं चला, मुकेश रघुवंशी ने दोनों धर्मों के हिसाब से दुआ को जो भी करने को कहा वो करती गई, अब दादू खुद उसके हाथ से दान करवा रहे थे, यह सब देख बार-बार वो यही सोच रही थी कि वो खुद को खुशनसीब समझें, सबकी इतनी बेहिसाब मोहब्बत पाकर या बदनसीब कि उसके खुद के बाबा उससे नफ़रत करते हैं, आज मुकेश रघुवंशी का प्यार देख उसका दिल बार-बार भरें जा रहा था, ना चाहते हुए भी उसकी आंखें नम हो रही थी।
वो किसी तरह, सभी काम पूरे विधि-विधान से कर थक कर अपने कमरे में आ जाती है.......यह सारी बातें उसे जीतनी ख़ुशी दे रही थी उतना ही उसे अपनी तबियत में भारीपन महसूस हो रहा था, वो कमरे में आती है तो रुद्र फोन पर बात कर रहा होता है......
रुद्र, फोन दुआ की तरफ़ बढ़ाते हुए------- दुआ घर पर बात कर लो सबसे, आधे घंटे में हम एयरपोर्ट के लिए निकलेंगे.......
मैं नीचे जा रहा हूं, तुम आराम से बात करो...
यह कह कर रुद्र कमरे से चला जाता है और दुआ दरवाज़े की तरफ देखते हुए सोचती रहती है........ वो कितनी खुशनसीब है, उसके कहें बग़ैर, रुद्र उसकी हर चीज़ का ख़्याल कितना रखता है...... बग़ैर कहें वो कैसे समझ जाता है उसे क्या चाहिए....... दुआ यही सब सोचते-सोचते अपनी अम्मी, नानू और आकिब से मुश्किल से 15 मिनट तक बात करती है और फिर फ़ोन काट देती है क्योंकि इस वक्त उसका सारा ध्यान रुद्र पर होता है..... थोड़ी ही देर में रुद्र कमरे में आता है और उसे चलने का कहता है...... दुआ खामोशी से सबसे गले मिल, कश्मीर के लिए निकल जाती है, उसका दिल तो बिल्कुल नहीं होता, घूमने जाने का मगर वो नहीं चाहती थी कि रुद्र, उसके बाबा को कुछ भी कहें इसलिए इस सबको फिलहाल रोकने का यही सबसे बेहतर तरीका था......
दुआ और रुद्र, वक्त पर एयरपोर्ट पहुंच जाते हैं मगर बोर्डिंग के वक्त अचानक ही दुआ परेशान हो जाती है......
दुआ परेशानी से------- रुद्र, मैं ग़लती से दादू की दी हुई अंगूठी ड्रेसिंग टेबल पर ही रखी भुल आई, अब क्या करें.......
रुद्र मुस्कुराते हुए------- इट्स ओके दुआ, हमेशा के लिए नहीं जा रहे हैं, वापस आएंगे तो पहन लेना.......
दुआ परेशान होते हुए--------- रुद्र, तुम समझ नही रहें, वो अंगूठी दादू ने आशिर्वाद के तौर पर दी थी, अगर उनको पता चला मैंने वो अंगूठी नहीं पहन रखी तो उनको बुरा लगेगा।
रुद्र जिया का नम्बर मिलाते हुए------- अच्छा ठीक है, रुको, मैं अभी तुम्हारी प्रोब्लम सोल्व कर देता हूं...... हेल्लो भाभी???
जिया------- रुद्र अब तक तुम लोगों ने फ्लाइट नहीं ली??? सब ठीक है ना??
रुद्र------- हां, भाभी सब ठीक है, बोर्डिंग हो रही है, दरअसल दुआ परेशान हो रही है, वो दादू की दी हुई अंगूठी, ड्रेसिंग टेबल पर रख भुल गई है, इसलिए प्लीज़ क्या आप उसे सम्भाल कर रख लेंगी???
जिया मुस्कुराते हुए------ हां-हां परेशान नही हो, मैं अभी जाकर उसे सम्भाल कर रख देती हूं!!!
रुद्र------ अच्छा प्लीज़ आप दुआ से बात कर लें तो उसे तसल्ली हो जाएगी।
दुआ फोन लेते हुए-------- हेल्लो भाभी, प्लीज़ आप उस अंगुठी को सम्भाल कर रखिएगा और दादू को बिल्कुल नही पता चलने देना, वरना उनको बुरा लगेगा.......
जिया------- अच्छा-अच्छा, ठीक है दुआ, तुम परेशान नही हो...... हनीमून पर जा रही हों, इन सब परेशानियों को यही छोड़ कर जाओ.......यह तुम्हारी ज़िन्दगी का बहुत ख़ास दौर है, इसको इनजाॅय करो...... अच्छा, चलो अब मैं फोन रखती हूं और हां फोटो सेंड करना बिल्कुल नहीं भुलना...... बाएं!!!
यह कह कर जिया फोन काट देती है और दुआ सुकून का सांस लेती है तकरीबन दो घंटे बाद दुआ और रुद्र कश्मीर पहुंच जाते हैं, दुआ का दिल अभी भी बुझा-बुझा सा था, उसके चेहरे पर अब तक कोई उमंग, कोई ख़ुशी नज़र नही आ रही थी....... मगर रुद्र पूरी कोशिश कर रहा था कि वो उसको खुश रखें.........
रुद्र ने होटल की जगह एक दोस्त का खाली पड़ा घर, रुकने के लिए चुना था क्योंकि वो दुआ को पूरी तरह से उसका टाइम देना चाहता था, वहीं एक नौकर का इंतेज़ाम कर दिया गया था जो घर की सफाई और खाने-पिने का इंतेज़ाम कर सकें।
रुद्र उसे होटल की जगह एक घर में लें जाता है तो दुआ काफ़ी हैरान होती है.....
दुआ------ यह किसका घर हैं?????
रुद्र मुस्कुराते हुए------- यह एक दोस्त का घर है, काफी वक्त से ख़ाली पड़ा था, मुझे होटल से बेहतर लगा यह ओप्शन......कम से कम यहां कोई हमको डिस्टर्ब नहीं करेगा।
तभी सत्यपाल हाथ जोड़कर दरवाज़े पर आकर उनका स्वागत करते हुए-------- सर जी, मेरा नाम सत्यपाल है, साहब ने मुझे बताया था आप लोग आने वाले हैं, इसलिए पूरे घर की सफाई पहले से ही करवा दी है, खाना भी तैयार हैं, आप लोग जल्दी से फ्रेश होकर आ जाएं तो मैं खाना लगा दूं।
रुद्र मुस्कुराते हुए, सत्यपाल के कन्धे पर हाथ रख------ थैंक यू सो मच सत्यपाल जी, मगर हम लोग खाना खाकर आए हैं, आप हमको बस कमरा दिखा दें तो हम थोड़ा आराम कर लें......
सत्यपाल------- जी-जी साहब ज़रुर....... इस घर में छः कमरे हैं आप जिस भी कमरे में रहना चाहें, रह सकते हैं, सब साफ़ पड़े हैं मगर मेरे ख़्याल से, आपको ऊपर वाला दाईं तरफ का कमरा लेना चाहिए, क्योंकि उसमें बालकनी है जहां से बाहर का नज़ारा बहुत खुबसूरत दिखता है, उस कमरे की सजावट भी बहुत खुबसूरत है, आपको पसंद आएगी, साहब जब भी आते हैं उसी कमरे में रुकते हैं।
रुद्र मुस्कुराते हुए------- अच्छा ठीक है, अब तुम इतनी तारीफ कर रहे हो तो हमारा समान उसी कमरे में ले चलो.....
सत्यपाल, रुद्र और दुआ को कमरे में ले जाता है, कमरा सच में काफी बड़ा और खुबसूरत होता है, बालकनी में एक तरफ हैंगिंग स्विंग चेयर लगी होती है जिसको लाइट से सजाया होता है उसके पास ही कुछ पौधे लगें थे वहीं एक छोटी सी टेबल भी थी, कमरे में बेड के दोनों तरफ सफ़ेद रंग के जाली वाले पर्दे थे, बाथरूम भी अच्छा खासा बड़ा था, घर रुद्र की उम्मीद से ज़्यादा अच्छा निकला था।
सत्यपाल सामान रख चलें जाता है, उसके जातें ही रुद्र कमरे का दरवाज़ा बंद कर लेता है...........
रुद्र दुआ को बाहों में भरते हुए----------- तो मेरी प्यारी सी बीवी, बताओं, कैसा लगा मेरा आइडिया, घर पसंद आया ना.......
दुआ बुझे से अंदाज़ में-------- हम्ममम!!!! अच्छा है।
रुद्र------- क्या बात है दुआ???
दुआ------ कुछ नही, बस थोड़ा थक गई हूं, निंद आ रही है।
रुद्र मुस्कुराते हुए------ अच्छा ठीक है, जाओ चेंज कर लो फिर सोते हैं।
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कहते हैं ज़िन्दगी कभी तेज़ तो कभी धीमी सी महसूस होती है, यह हर पल अपने रंग बदलती है, कभी खुशी तो कभी ग़म इसलिए हमें अपने हर पल को जीना चाहिए, क्या पता किस पल ज़िन्दगी के रंग फिर बदल और हमारे हाथ से सब फिसल जाए।
रुद्र इस पल अपनी बेपनाह मोहब्बत से दुआ की ज़िन्दगी में खुशियों के बेहिसाब रंग भर रहा था, उसका हर पल वो अपनी मोहब्बत से इस क़दर खुबसूरत बना रहा था कि दुआ को अपनी किस्मत पर रश्क हो रहा था....... रुद्र हर पल उसके साथ था, जो डर फरहान सिद्दीकी की बद्दुआओं की वजह से उसके दिल में बर्फ की परत जैसा जम रहा था वो रुद्र की बेहिसाब मोहब्बत की तपीश से पिघलने लगा था......
रुद्र पांच मिनट के लिए भी उसकी आंखों से ओझल नहीं होता, वो उसको हमेशा अपने साथ बिज़ी रखता, कभी लूडो तो कभी कैरमबोर्ड, कभी चेस तो कभी पज़ल........कभी कोई काॅमेडी मूवी लगा लेता, जिसे देख दुआ हंसते- हंसते लौट-पौट हों जाती, तो कभी अपने स्कूल और कॉलेज के किस्से सुनाता जो वो उसकी गोद में सिर रख घंटों तक सुनती रहती और कब उसकी आंख लग जाती, उसे पता भी नहीं चलता......
इस ट्रीप पर रुद्र का एक ही मक़सद था, कि दुआ को दुबारा से नोर्मल करना, अपनी फुल अटेंशन और बेपनाह मोहब्बत से वो अपने मक़सद में कामयाब भी हो चुका था.......
अब ना दुआ को पिछले कुछ दिनों जैसे डरावने सपने आ रहे थे, ना बात-बात पर उसकी आंखें नम हो रही थी, उसका पीला पड़ता रंग भी नोर्मल हो गया था, अब वो वक्त पर खाना भी खा रहीं थीं, अगर कभी वो ना-नुकुर करतीं, तो भी रुद्र ज़बरदस्ती उसे अपने हाथों से खाना खिलाता...... और दुआ को फिर ना चाहते हुए भी उसके हाथ से खाना किसी भी तरह खाना ही पड़ता क्योंकि वो हार मानता ही नहीं।
इसी तरह दस दिन गुज़र गए थे, मगर अब तक वो कहीं घूमने नहीं गए थे, सिर्फ उस घर में एक-दूसरे के साथ खुबसूरत यादें बना रहे थे.......
दुआ किसी सोच में गुम थी जब रुद्र नहा कर आया......
रुद्र अपना सिर दुआ की गोद में रखते हुए........ हम्ममम!!! तो, मेरी प्यारी-सी वाइफ, किन सोचों में गुम है???
दुआ उसका सिर सहलाते हुए------ रुद्र हमें यहां आएं पूरे दस दिन हो चुके हैं और अब तक हम कहीं घूमने नहीं गए......
रुद्र मुस्कुराते हुए------ तो, क्या मेरी प्यारी सी बीवी बोर हो गई?????
दुआ----- नहीं तो, मेरा मतलब वो नहीं था....
रुद्र शरारत से------ तो क्या मतलब था, मेरी जान का......
दुआ------- तुमको पता है, कश्मीर को जन्नत कहा जाता है।
रुद्र मुस्कुराते हुए------ हां, बिल्कुल पता है, इसी जन्नत में तो मुझे मेरी फ़रिश्ते जैसी बीवी मिली थी..... वैसे मैं सोचता हूं कि अगर मैं उस रोज़ अजय की बात नहीं मानता और तुमसे मुलाक़ात नहीं होती तो मैं कितनी बड़ी गलती करता और शायद फिर अल्लाह तुमको किसी ओर के नसीब में लिख देता...... वैसे क्या कोई और तुमको मुझसे ज़्यादा प्यार कर सकता है?????
दुआ उसके मुंह पर हाथ रखते हुए, गुस्से से------- क्या बकवास करें जा रहें हों????....... एक बात याद रखो इस दुनिया में कोई और हो ही नहीं सकता जिसके नसीब में अल्लाह मेरा नाम लिख दें क्योंकि तुमसे ज़्यादा प्यार मुझे कभी, कोई कर ही नहीं सकता....... मैं सिर्फ तुम्हारा नसीब हूं और किसी का नहीं, कभी नही.......
रुद्र उसका मूड खराब होता देख फौरन बात बदल देता है।
रुद्र मुस्कुराते हुए------- अच्छा ठीक है - ठीक है...... प्लीज़ अपना मूड खराब नही करो, मैं मज़ाक कर रहा था....... अच्छा जल्दी से बताओ, कहा जाना??
दुआ अपना मूड ठीक करते हुए----- आज के बाद कभी ऐसा मज़ाक नही करना, मुझे पसंद नहीं.....
रुद्र अपने दोनों कान पकड़ते हुए----- पक्का बाबा, आज के बाद ऐसी ग़लती, फिर कभी नहीं होगी...... अच्छा बताओ तो सही, जाना कहा चाहती हो???
दुआ सोचते हुए------ सोनमर्ग, कहते हैं सोनमर्ग बहुत खुबसूरत है, बहुत खुबसूरत झरने और नदियां है वहां तो पहले हम वहीं चलते हैं???
रुद्र मुस्कुराते हुए------ ठीक है, जैसा तुम कहो, मगर उससे पहले, हम डाक्टर के पास चलेंगे, फिर सीधा सोनमर्ग....
दुआ मुंह बनाते हुए------- रुद्र मुझे नहीं जाना किसी डॉक्टर के पास, बेवजह कड़वी- कड़वी दवाईयां दे देनी है उसने.......
रुद्र हंसते हुए------- दुआ ज़िद्द नहीं करते, कल उल्टी हुई थी ना, अब मैं नहीं चाहता तुमको कुछ भी हो और वैसे भी यह दादू का हुक्म है, उन्होंने सख्ती से कहा है कि आज तुमको सबसे पहले डॉक्टर से चैक करवाऊं और उनको फौरन इत्तिला करु.....
दुआ, रुद्र को घूरते हुए------- तो तुमने उनको क्यूं बताया, इतनी छोटी सी बात पर बेवजह परेशान कर दिया सबको.....
रुद्र मुस्कुराते हुए-------- क्योंकि मुझे पता है, मेरी बीवी कितनी ज़िद्दी है, आसानी से तो मानेगी नहीं इसलिए दादू का सहारा लेना पड़ा..... खैर, अब चलों, वरना देर हो जायेगी।
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रूद्र और दुआ तकरीबन एक घंटे बाद डाक्टर के पास पहुंच जाते हैं..... डॉक्टर दुआ को अच्छे से चैक करती है, कुछ सवाल पूछने के बाद टैस्ट करती है और तकरीबन 20 मिनट में रिज़ल्ट के साथ मुस्कुराती हुई बाहर आ जाती है......
डॉक्टर मुस्कुराते हुए दुआ से--------- मुबारक हो, आप मां बनने वाली हैं......
रुद्र और दुआ दोनों एक साथ हैरानी से------- क्या????
डॉक्टर मुस्कुराते हुए---------- जी हां, आप प्रेगनेंट है, इसी वजह से आपको चक्कर आ रहें हैं, ऐसा होना नोर्मल हैं........
दुआ बेयक़ीनी से------ डॉक्टर मगर, क-क-कितना टाइम हो गया है??? म-मेरा मतलब है, अब तक ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ।
डॉक्टर मुस्कुराते हुए------- डोंट वरी दुआ, परेशान होने वाली कोई बात नहीं है, कुछ लोगों को पहली दफा नहीं पता चलता, वैसे आपको दो-ढाई महिने हों चुके हैं........ इसलिए अब आपको अपना ख्याल रखना होगा, ज़्यादा से ज़्यादा खुश रहने की कोशिश करें, किसी भी तरह की टेंशन बिल्कुल ना लें और खाने-पीने का बहुत ख्याल रखें...... अब तक सब नोर्मल हैं, ख़्याल रखेंगे तो आगे भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।
रुद्र मुस्कुराते हुए------- ठीक है डॉक्टर, मैं इनका पूरा ख्याल रखूंगा, थैंक यू सो मच!!
यह कह कर, बिल पे कर, रुद्र क्लीनिक से निकल, सोनमर्ग जाने के लिए, टैक्सी में बैठते ही दादू को फोन मिला देता है, दुसरी तरफ से मुकेश रघुवंशी फौरन फोन उठा लेते हैं, जैसे उसी के फोन का इंतेज़ार हों..........
रुद्र------- हेल्लो दादू??
मुकेश रघुवंशी परेशानी से फोन स्पीकर पर करते हुए-------- हां, रुद्र बेटा, बहू को डॉक्टर के पास लेकर गए कि नहीं???? कैसी है अब उसकी तबीयत?????
रुद्र----- हां, दादू अभी हम डॉक्टर के क्लीनिक से ही निकलें है।
मुकेश रघुवंशी------ अच्छा, तो क्या बताया डाक्टर ने???? सब ठीक है ना????
रुद्र संजीदगी से ------ दादू, डॉक्टर कह रही है, बात बहुत सिरियस है, कुछ भी हो सकता है!!!
जिया परेशानी से------ रुद्र क्या हुआ है दुआ को????? तुम ऐसा क्यों कह रहे हो???
रुद्र हैरानी से फ़ोन देखते हुए------ भाभी आप???
जिया------- हां, तुम फोन करते नहीं हो और यहां सभी दुआ के लिए परेशान थे, इसलिए दादू ने फोन स्पीकर पर कर रखा है ताकि सब बात कर सकें.......
दुआ, रुद्र के हाथ से फोन लेते हुए--------- भाभी, दादू प्लीज़ आप सब लोग परेशान नही हो मेरे लिए, मैं बिल्कुल ठीक हूं, रुद्र मज़ाक कर रहे हैं......
रुद्र हंसते हुए फ़ोन स्पीकर पर कर-------- भाभी, सीरियस नही हो, मैं मज़ाक कर रहा था, दरअसल डॉक्टर ने कहा है, अब रघुवंशी परिवार में सिर्फ खुशियां ही खुशियां बरसेगी!!!!
कुन्ती देवी----- मतलब, रुद्र साफ़- साफ़ बताओ!!
रुद्र हंसते हुए----- मतलब चाची, आप दादी बनने वाली है।
रुद्र की बात सुन सभी लोग एक साथ------ क्या, सच में????
रुद्र हंसते हुए------- देख लो दुआ, हम लोगों से ज़्यादा तो यह लोग हैरान हैं.....
मुकेश रघुवंशी फोन कान पर लगाते हुए------ अच्छा अब सब बाद में बात करना, रुद्र बेटा, तुमको बहुत- बहुत मुबारक हो, अच्छा सुनो, अब बहू को कहीं नहीं लेकर जाना और रात की फ्लाइट से ही घर वापस आ जाओ!!!
रुद्र हैरानी से----- क्या???
मुकेश रघुवंशी------ हां, बेटा ऐसी हालत में घूमना-फिरना सही नहीं है, तुम लोग, अगले साल चलें जाना, मैं, अजय से कह कर अभी तुमको टिकट भिजवाता हूं......
यह कह कर मुकेश रघुवंशी फौरन फोन काट देते हैं, और रुद्र की एक नही सुनते।
रुद्र फोन रख, मुंह बनाते हुए-------- यार यह क्या बात हुई????? मैंने सोचा था, हम यहां से मलेशिया जाएंगे मगर इस नन्हे-मुन्ने मेहमान ने आकर सारे प्लान्स ख़राब कर दिए.......
दुआ ----- ऐसा नही कहते रुद्र!!!!
रुद्र मुंह बनाते हुए------- तो क्या कहूं, सुना ना तुमने, हमारी नज़दीकियां बर्दाश्त ही नहीं है किसी को......
दुआ उसका हाथ पकड़ते हुए------- रुद्र, मूड खराब नही करो, दादू सही कह रहे हैं, कोई बात नहीं हम अगले साल घूमने चलें जाएंगे.......
रुद्र मुंह बना गाड़ी से दूसरी तरफ देखने लगता है, सड़क काफी संकरी होती है और बर्फ की वजह से फिसलन भरी भी, दुआ गाड़ी से झांक, कभी बहते पानी को देखती तो कहीं गिरते झरने को कि तभी अचानक गाड़ी का बेलेंस बिगड़ जाता है और इससे पहले रूद्र और दुआ कुछ समझ पाते गाड़ी स्पीड में होने के कारण एक पेड़ से जा टकराती है, जिससे ड्राइवर का सिर स्टेरिंग से टकरा जाता है और उसी वक़्त वहीं उसकी मौत हो जाती है......
दुआ गाड़ी के टकराते ही, गाड़ी से बाहर गिर जाती है और पहाड़ के कोने से लटक जाती है, उसके नीचे नदी बह रही होती हैं, वो पत्थर को ताक़त से पकड़ रुद्र को आवाज़ देती है मगर रुद्र नहीं आता तभी उसको अपने बाबा की बददुआ याद आती है और उसके हाथों की पकड़ ढीली पड़ जाती हैं जिससे वो रुद्र को पुकारते हुए नदी में गिर जाती है।
वहीं गाड़ी की दुसरी तरफ रुद्र पड़ा होता है, उसका सिर बढ़े से पत्थर पर टकराने की वजह से सर से काफी खून बह रहा होता है जिससे उसका चेहरा ख़ून से लथपथ हो गया होता है और उसकी धीरे-धीरे बंद होती हुई आंखें अभी भी दुआ को तलाश रही होती हैं, मगर वो उसे कहीं नज़र नहीं आती और आखिर रुद्र की आंखें बंद हो जाती है।
बाकी अगले भाग में:-