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"भाई - बहन तथा पति के लिए पीड़िया एक सामूहिक, अनोखा, स्त्रियों का त्योहार "

5 दिसम्बर 2021

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"भाई - बहन तथा पति के लिए पीड़िया एक सामूहिक, अनोखा, स्त्रियों का त्योहार "

हर साल अगहन शुक्ल पक्ष के एकम को पीड़िया या रुद्रव्रत मनाया जाता है। यह त्योहार गोवर्धन पूजा के दिन से शुरू हो जाता है। गोधन कूटने के पश्चात उसी गोबर से लड़किया सामूहिक रुप से दीवार पर गोल गोल सी छोटी - बड़ी आकृतियाँ बनाती है। तथा उसी दिन से वहाँ सुबहपीड़िया की गीत और भजन शुरू हो जाता है। औरतें और लड़कियाँ पीड़िया के पास नृत्य और भजन, सामूहिक गीत का प्रस्तुति करते है। एक महीने बाद अगहन शुक्ल पक्ष के एकम के दिन भोर मे ही पीड़िया को दीवाल से हटा दिया जाता है और उन्हें किसी टोकरी मे भरकर रख दिया जाता है। इस दिन सभी लड़कियाँ अपने भाई की सलामती के लिए / औरतें भाई और पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है और शाम में चावल के आटा को घोल कर घर के दिवालों पर कुछ आकृति बनाई जाती है। जिसे पीड़िया लिखना कहते है। शाम को रसियाव ( गुड मे बना चावल) तथा दही - चूड़ा  को पीड़िया माता को चढाकर इसी से व्रत खोला जाता है। इसमे मे नियम है की व्रत खोलते समय बोलना सख्त मना होता है साथ ही अगर उस समय किसी कुत्ते की आवाज आई या किसी ने व्रती को आवाज देदी तो  व्रती को प्रसाद छोड़ देना होता है। वो दुबारा मुँह जुठा नही कर सकती है।

अगले दिन सुबह ही लड़कियाँ पीड़िया को लेकर किसी तालाब और नदी मे विसर्जित कर देती हैं। हमारे यहाँ " सोहनाग धाम ( जहाँ अयोध्या से लौटते हुए भगवान परशुराम ने विश्राम किया था। यहाँ भगवान परशुराम के साथ साथ ब्रम्हा, विष्णु महेश त्रिदेवो की अष्टधातु से निर्मित मूर्तियाँ स्थापित थी। कालांतर मे परशुराम और और भगवान विष्णु, ब्रम्हा की मुर्तिया चोरी हो गई। ) " मे पीड़िया का मेला लगता है। हम सभी सुबह 5 बजे ही पीड़िया को लेकर सोहनाग धाम पहुँच जाते है। सभी लड़कियाँ घर से चना, चूड़ा मिठाई या कोई भुजा कुछ न कुछ साथ लाती है और अपने समूह मे सभी को बांटती है जिसे हम लोग  "मिलना करना " कहते है। मिलना करवा के बाद पीड़िया के मेले का आनंद उठाना । पीड़िया एक सामूहिक पूजा है जो लोगों को आपस मे जोड़ती है, प्रेम से रहना सिखाती है, अपनापन प्रदर्शित करती है। पीड़िया का हर कार्य समूह मे ही होता है इससे लोगों मे एकता बढ़ती है लेकिन आज ये पावन और अत्यंत आकर्षित त्योहार भी सुनापन, अकेलापन और व्यस्तता का शिकार हो चुकी है। लोग पीड़िया को भूलते जा रहे है। एक दूसरे से दूर होते जा रहे है किसी के पास समय नही है कि वो पीड़िया के बहाने ही सही कुछ वक्त अपने आस - पड़ोस के साथ गुजार सके। यह त्योहार विशेषकर औरत के लिए था जिसमे वे एक महीने तक सब कुछ छोड़कर भक्ति के साथ साथ मनोरंजन किया करती थी। 

#pragya

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत बढ़िया लिखा

18 फरवरी 2022

Manohar Jha

Manohar Jha

प्र.जी समय का बदलना इसी को कहते है.

5 दिसम्बर 2021

Manohar Jha

Manohar Jha

अच्छी लगी.

5 दिसम्बर 2021

5 दिसम्बर 2021

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यह एक काव्य संग्रह है जो आपको मेरी कविताओं से परिचय कराएगी । कविताएं प्रकृति सौंदर्य , प्रेम की अनुभूति , भावनाओं की अभव्यक्ति , समाज की सच्चाई और आध्यात्म पर आधारित है ।🙏🙏
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