प्रकृति द्वारा जब नर और नारी दोनों को सामान शक्ति प्रदत्त है तो फिर क्यों स्त्री हर क्षेत्र में पीछे रहती है । विज्ञान ,राजनीति, संसद,उद्योग ,कला,सृजन सभी क्षेत्रों में स्त्री की सहभागिता कुछ प्रतिशत तक ही सीमित रहती है । आज के नारी सशक्तिकरण के दौर में भी नारी पिछड़ी क्यों है ? यह प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण बना हुआ है ।
नारी के विकास में सबसे पहली और बड़ी बाधा उसकी देह है । स्वयं स्त्री ही इस बाधा को पार करने में असफल रह जाती है । नारी को सर्वप्रथम अपने देह के प्राकृतिक सुंदरता से बाहर निकलना होगा क्योंकि सदा से ही स्त्री को सौंदर्य की मूर्ति के रूप में प्रतिस्थापित किया गया है इसी मानसिकता के वशीभूत नारी अपने शरीर को सजाने संवारने में ही अपनी अधिकतम शक्ति को खर्च कर देती है । स्त्री की तुल्यता पुष्पों की कोमलता से की जाती है ।फिर उस कोमलता की रक्षा हेतु उन्हें घर के चारदीवारी में कैद कर दिया जाता है और वह घर में मात्र पुरुष के भोग्य वस्तु बन और प्रजनन सम्बन्धित कार्यों में तथा घर - परिवार के पचड़े में ही अपने जीवन और शक्ति को समाप्त कर देती है ।
स्त्री को अपने स्वविकास के लिए इन सभी बातों से ऊपर उठना ही होगा । उसे घर के चारदीवारी से निकलकर अपने अस्तित्व को खोज करनी पड़ेगी । घर से बाहर निकलने में नि: संदेह कई समस्याएं आएंगी ,खतरों का सामना करना पड़ेगा , समाज के तानों ,निंदा ,उपहास ,क्रोध को झेलना पड़ेगा । क्योंकि यह यथार्थ सत्य है कि सबसे सुरक्षित जगह पिजड़ा ही है जहां किसी भी प्रकार का कोई भी नहीं है लेकिन उसके साथ ही परम सत्य यह भी है कि पिजड़े में पर भी कतर दिए जाते है । सुरक्षा है आजादी नहीं है । अगर खुले आसमान में उड़ने का सुख लेना है तो पिजड़े को तोड़ना ही होगा तभी नारी को सामाजिक परिवेश का अनुभव होगा ,ज्ञान की प्राप्ति होगी ,अपने अस्तित्व की समझ आएगी और दुनिया को समझने का अनुभव प्राप्त होगा । ज्ञान ,कौशल और अनुभव ही मनुष्य का असली ताकत होता है। इसे हासिल करने के लिए स्त्री को अपने आप से ,घर - परिवार से ,समाज से संघर्ष करने का प्रयास अवश्य ही करना चाहिए । क्योंकि अधिकतर वहीं स्त्रियां अधिक शोषित होती है जिनके पास ज्ञान नहीं है ,कौशल नहीं ,अनुभव नहीं है ।
सुंदरता केवल शारीरिक नहीं बल्कि आत्मिक भी होनी चाहिए । शरीर को सजाने और संवारने से पहले नारी को अपने व्यक्तित्व और अस्तित्व को संवारने की आवश्यकता है । आत्मनिर्भरता ही नारी को उसके आत्मान्वेषण के मार्ग पर अग्रसर कर सकता है । और तभी सही मायने में नारी देवी के गुण को धारण कर सकेगी।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
🙏🙏🙏