उम्मीद की नई किरण, एक दिन नई रंग बनकर उदित होगी
मिट जाएगा ये तिमिर,जब दीप्ति बन स्फूटित होगी।
झूम उठे गी ये धरा, दिशाएं मंगल गान करेंगी,
उमंग उत्साह से उल्लासित,सरिता भी बलखाएगी।
स्वच्छ अम्बर भी प्रसन्न हो हृदय पट खोलेगा,
शीतल पवन के झोंके से पल्लव द्रूम डोलेगा।
चहकेगी चिड़िया एक नई स्वर में ,
कूकेगी कोयल एक नई धुन में।
मधुकर के मधुर गुंजन से,भर उठेगा मधुवन,
पुष्पों के खिलने से,महक उठेगा उपवन।
हर्षित होकर कलियां स्वागत गीत गाएंगी,
रंग - बिरंगी कुसुम डलिया सर्व हृदय को भाएगी।
होगी विशिष्ट आभा, तरणी के तरंग में,
कंचन- सी चमकेगी बूंदे, उस तरंग के संग में।
प्रफुल्लित हो उठेगा हृदय, हिरण - मृग के चाल से,
दिव्य आंनद की अनुभूति होगी,केकी की नृत्य ताल से।
सर्वत्र मंगल ही होगा और खुशियां छाएंगी,
धरा - धात्री के सभी जीवों के, होठों पर मुस्कान आएगी।
तन- मन उल्लासित होगा, जन - जन उत्साहित होगा,
इस प्रकृति में सर्वत्र मंगल ही मंगल होगा।