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उम्मीद की किरण

4 सितम्बर 2021

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उम्मीद की नई किरण, एक दिन नई रंग बनकर उदित होगी
मिट जाएगा ये तिमिर,जब दीप्ति बन स्फूटित होगी।
झूम उठे गी ये धरा, दिशाएं मंगल गान करेंगी,
उमंग उत्साह से उल्लासित,सरिता भी बलखाएगी।
स्वच्छ अम्बर भी प्रसन्न हो हृदय पट खोलेगा,
शीतल पवन के झोंके से पल्लव द्रूम डोलेगा।
चहकेगी चिड़िया एक नई स्वर में ,
कूकेगी कोयल एक नई धुन में।
मधुकर के मधुर गुंजन से,भर उठेगा मधुवन,
पुष्पों के खिलने से,महक उठेगा उपवन।
हर्षित होकर कलियां स्वागत गीत गाएंगी,
रंग - बिरंगी कुसुम डलिया सर्व हृदय को भाएगी।
होगी विशिष्ट आभा, तरणी के तरंग में,
कंचन- सी चमकेगी बूंदे, उस तरंग के संग में।
प्रफुल्लित हो उठेगा हृदय, हिरण - मृग के चाल से,
दिव्य आंनद की अनुभूति होगी,केकी की नृत्य ताल से।
सर्वत्र मंगल ही होगा और खुशियां छाएंगी,
धरा - धात्री के सभी जीवों के, होठों पर मुस्कान आएगी।
तन- मन उल्लासित होगा, जन - जन उत्साहित होगा,
इस प्रकृति में सर्वत्र मंगल ही मंगल होगा।

शिव खरे "रवि"

शिव खरे "रवि"

बहुत खूब लिखा

4 सितम्बर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही उम्दा रचना

4 सितम्बर 2021

CNP CNP

CNP CNP

❤️❤️❤️❤️❤️❤️

4 सितम्बर 2021

Nitya

Nitya

बहुत अच्छी कविता है । सकारात्मकता का बहुत अच्छे से विवरण किया गया है

4 सितम्बर 2021

8
रचनाएँ
बुलबुले
5.0
यह एक काव्य संग्रह है जो आपको मेरी कविताओं से परिचय कराएगी । कविताएं प्रकृति सौंदर्य , प्रेम की अनुभूति , भावनाओं की अभव्यक्ति , समाज की सच्चाई और आध्यात्म पर आधारित है ।🙏🙏
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