आज मैं पूरे बत्तीस साल का हो गया हूँ। साथ-ही- साथ एक अकलमंद और सयाना लौंडा भी। इसलिए आज मैं पूरे होशो-हवास में यह निर्णय ले रहा हूँ कि आज के बाद मैं किसी कुंवारी लड़की की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखूंग।
रणनीतिक आलिंगन, जो अब पहले से कहीं अधिक घनिष्ठ है, शक्तिशाली सामान्य हितों और दोनों पक्षों के फायदे की स्पष्ट धारणा का परिणाम है। दोनों देश आगे की लंबी राह के बारे में जानते हैं, लेकिन जैसा कि प्रधान
जब मैं छोटा बच्चा था तो रात को मां से चांद दिखाने की जिद किया करता था। माँ मना करती तो मैं रोने लगता था। मजबूर होकर माँ को चांद दिखाने मुझे छत पर ले जाना पड़ता था...
"तुम ! यहाँ भी।""हाँ, बिल्कुल ! जहाँ तुम, वहाँ मैं।""अच्छा, ऐसा है क्या ?"" बिल्कुल, तुम्हारा हमसाया जो हूँ।""चुप पागल !"और ऐसा कहते ही वह खिल उठी। सूरजमुखी नहीं थी वह और न था वह सूरज...
गतांक से आगे:-जिसका डर था वही बात हुई ।रानी मां को महल के पहरेदारों से पता चला कि राजकुमार सूरजसेन किसी चंचला को पुकारते हुए पूरब दिशा मे गये है ।रानी मां के मुंह से अनायास ही निकल गया"हाय राम! उसी दि