आज अनुज सुबह सुबह अपने आवारा दोस्तों के साथ आवारागर्दी करने निकल गया और घर में किसी को कुछ बताया भी नहीं । सुबह क्या और शाम क्या, ठेके पर सिनेमा हॉल में और बस दूसरा कोई काम धंधा नहीं । बस सारा दिन यही करता। पिताजी बड़े साहब और रसूख वाले थे, शहर में बड़ा नाम था जिसकी वजह से अनुज हर किसी से दादागिरी से बात करता था । कॉलेज तो सिर्फ़ नाम के लिए ही जाता, पढ़ाई से कोई वास्ता ही नहीं था उसको । माँ पर बहुत चिंतित रहती अपने इकलौते बेटे के लिए “ना जाने इसका आगे क्या होगा “ यही हमेशा सोचा करती । हालाकि पिताजी व्यस्तता के कारण उनको अपने बेटे की हरकतों के बारे में पता नहीं था ।
एक दिन पिताजी अपनी गाड़ी में कहीं जा रहे थे, तभी देखते हैं की अनुज अपने आवारा दोस्तों के साथ सड़क पर दारू के नशे में यहाँ वहाँ लड़खड़ा रहा था । ये देख का कुछ भी कहे बिना वे घर आ गए । उसकी माँ से पूछा कि “ये सब क्या है? और ऐसा कब से हो रहा है ?” माँ ने बताया कि ५ साल से जबसे उसने मेट्रिक पास किया “ कारण उसकी हर ज़रूरत पूरी करना, बिना उसके लिए संघर्ष करे “! पिताजी की आँखो में आंसू थे । पिताजी ने मन में सोचा अब इसे सही रास्ते लाना पड़ेगा । दूसरे दिन ऑफिस से छुट्टी लेकर अनुज को कड़े शब्दों में कहा कि “ये ले ५००० रुपये और अब तू यहाँ से चला जा और तब तक मत आना जब तक ५०००/- के ५००००००/- ना बन जाए । अनुज अचंभित हो कर माँ से पूछा क्यूंकि पिताजी से पूछने की हिम्मत न थी । माँ ने भी कुछ कहे बिना उसे हाथो के इशारे से बाहर का रास्ता दिखा दिया । अनुज ने देखा अब कोई चारा नहीं तो वो घर से निकल गया , दोस्त मिले कहने लगे “ आज आना नहीं है क्या?” उसने मना कर दिया । और सोचने लगा कि कैसे ५हज़ार के ५लाख बनाये ? उसने बहुत सोचा फिर एक बनिये के घर गया और कहा की मेरे पास कुछ रुपए हैं मैं आपको ब्याज पर दूँ तो मुझे कितने दिन में १०० गुना कर के दोगे ? बनिये ने कहा कम से कम २० साल के बाद । “ बीस साल के बाद !” बाप रे तब तक मैं क्या करूँगा, उसने ऐसे बहुत हाथ पैर मारे। पर कहीं से कुछ जुगाड़ ना हुआ और देखते ही देखते १ सप्ताह में सारे पैसे खर्च भी हो गए । अब खाने के भी पैसे ना थे । थक हार कर वो घर वापस आया । पिताजी से मिला, पिताजी उसकी हालत देख कर सब समझ गए पर फिर भी अनजान बनने का नाटक करते हुए पूछा “लगता है ५लाख बन गए है, लाओ मुझे दे दो “ अनुज शर्मिंदगी महसूस करते हुए “पिताजी मुझे माफ कर दीजिए मैं आपकी बात पर खरा ना उतर सका, पर अब मैं सब समझ चुका हूँ की पैसों और समय का सही उपयोग करने से ही जीवन में उन्नति होती है”
पिताजी ने उसको गले लगाते हुए कहा “बेटा यही तो मैं तुम्हें समझाना चाहता था,आज तुम्हारी ज़िंदगी की अंधेरी रात की नई भोर हुई है “ आज से तुम एकदम सही रास्ते पर चलोगे “। उस दिन के बाद से अनुज ने आवारा गर्दी हमेशा के लिए छोड़ दी और एक सभ्य इंसान बन गया ।
नीरज पांडेय ✍️✍️
अहमदाबाद, गुजरात